hotaks444
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गर्ल'स स्कूल --8
सरिता ने मुँह से लंड निकाल कर अपनी हार स्वीकार की. सर ने दिव्या को उठा कर मैदान से बाहर कर दिया... वो तो कब की मैदान छ्चोड़ चुकी थी...
शमशेर के दिमाग़ से अंजलि की गांद की चुदाई वाली खुमारी उतरी नही थी. सरिता वहाँ भी ले सकती है सोचकर वो कुर्सी पर बैठा और सरिता को सीधा अपने उपर बिठा लिया, गांद के बाल! उसने उसको संभाले का भी मौका नही दिया!
"आ मरी", सरिता बदहवास हो चुकी थी. ऐसे करार प्रहार से चारों खाने चित हो गयी; उसने अपने को संभाला और टेबल पर हाथ टीका दिए और पैरों का थोड़ा सहारा लेकर उठने की कॉसिश करने लगी; ताकि जितना बचा है, वो ना घुसने पाए! पर शमशेर ने जैसे ये काम आखरी बार करना था. उसने सरिता के हाथों को टेबल से उठा दिया और टंगड़ी लगाकर उसकी टाँगो को ऐसा हवा में उठाया की 'ढ़च्छाक' से सरिता की जांघे उसकी जांघों से मिल गयी.
ओओईइ मा! छ्चोड़ साले मुझे...आ... तू तो मार देगा... मेरी मा... बचा... आहह... तू तो... एक बार रुक जा बस... प्लीज़... आ... तू तो... बदलाः...ले... रहा... है... बहनचोड़... मेरी मा का किया ... मैं भुगत रही ... हूँ... थोडा धीरे धीर कर... हाथ मेज़ पर रखने दो जान... इतना मज़ा कभी नही आया... उच्छाल ले मुझे.. पहले की तरह... ज़ोर से कर ना... हिम्मत नही रही क्या साले... कर ना... कर ना... कर नाआ! आइ लव यू जान! बस छ्चोड़ दे अपना जल्दी.. प्लीज़ बाहर निकाल ले मुँह में पीला दे... प्लीज़ सर! उसको याद आ गया था की वो सर है... उसकी चूत का भूत भाग गया था...
शमशेर को उसकी ये सलाह पसंद आई... उसने झट से उसको पलट दिया और सरिता के चूतड़ ज़मीन पर जा बैठे... शमशेर ने उसके बालों को खींचा और लंड उसके मुँह में ठूस दिया... बस उसका वक़्त आ चुका था... जैसे ही उसके लंड ने मुँह की नमी देखी... उसने भी अपना रस छ्चोड़ दिया... आज इतना निकला था की उसका मुँह भरकर बाहर टपकने लगा... पर उसने इतना सा भी बेकार नही किया... मुँह का गटक कर जीभ से होंटो को चाटने लगी...
उनका जुनून उतर चुका था... सरिता खड़े होते हुए बोली, सर मैं किसी को नही बतावुँगी... शमशेर एक दम शांत था.... एकदम निसचिंत..!
दिव्या इतनी सहम गयी थी की पीछे हट-ते हट-ते दीवार से जा लगी थी और वही से सब देख रही थी,' जो उसने कल सीखा था... उस्स खेल का ओरिजिनल वर्षन...'
कहने को तो ये थ्रीसम सेक्स था... पर कोई चौथा भी था.... जो बाहर वाली खिड़की से सब देख रहा था.....!
आ... मज़ा आ गया दोस्तो... इसको कहते हैं... लंबी जड...सॉरी लुंबी चुदाई! प्लीज़ निकालने के बाद ज़रूर कॉमेंट करें... ( ये पोस्ट किसी खास दोस्त की फरमाइश पर थी... सरिता की चुदाई के लिए... मैं 'बिल' भेज रहा हूँ ड्यूड...हा हा हा...!
अब आप सोच रहे होंगे राज शर्मा तो सला मज़ा ले रहा है हम अपने लॅंड को हाथ मॅ लेके हिला रहे है पर यार टेंशन क्यो ले रहे हो
अभी तो कहानी बनना शुरू हुई है बस तुम्हारा भी निकल जाएगा दो चार हाथ ओर मार लो चलो बाते बहुत हो गयी अब कहानी पर वापस आते है
लकिन फिर कह रहा हूँ निकालने के बाद कमेंट देना मत भूलना दोस्तो समझते क्यो नही तुम्हारे कमेंट ही मेरी सारी थकान उतार देते है
मेल करना नही भूलना मेरा मेल आइडी तो सबको मालूम है ही
शमशेर ने आँखों के इशारे से दिव्या को अपने पास बुलाया," सॉरी दिव्या, बाकी खेल फिर कभी सीखूंगा!" वह सहमी हुई थी;
वह अब भी सहमी हुई थी; सर उससे सीखीन्गे या उसको सिखाएँगे.. सरिता बार बार अपनी गांद के च्छेद को हाथ लगाकर देख रही थी... शायद वो 'घायल' हो गयी थी.
शमशेर ने दोनों को जाने के लिए कहा और कुर्सी पर बैठकर अपना पसीना सुखाने लगा... वो आदमख़ोर बन चुका था.... पर दिशा के लिए अब भी उसके दिल में प्यार था....और वाणी के लिए भी..!
उधर दिशा वाणी के साथ लेटकर वाणी का सिर सहलाने लगी... वाणी का शरीर तप रहा था. दिशा ने प्यार से उसके गालों पर एक चुम्मि ली," वाणी!"
हां दीदी....
दिशा लगातार वाणी को दुलार रही थी," अब कुच्छ आराम है?
वाणी ने आँखें खोल कर दिशा को देखा; जैसे कहना चाहती हो 'आराम कैसे होगा'
"तू मुझसे प्यार करती है ना!" दिशा ने वाणी से पूचछा!
वाणी ने दिशा के गले में अपनी बाहें डाल दी और उसके गालों से होंट लगा दिए.
दिशा: मेरी एक बात मानेगी?
वाणी: बोलो दीदी!
दिशा: नही मेरी, कसम खाओ पहले!
वाणी ने कुच्छ देर उसको घूरा और फिर वचन दे दिया," तुम्हारी कसम दीदी!"
दिशा: तू मुझे वो बात बता दे की तू कल रो क्यों रही थी...
वाणी की आँखों से आँसू छलक उठे... वो कैसे बताए... पर वो वचन से बँधी थी.... उसने दिव्या के घर आने से लेकर अपने रोती हुई नीचे आने तक की बात, डीटेल में सुना दी..... जैसे मैने आपको सुनाई थी...!
दिशा हैरान रह गयी... उसकी च्छुटकी अब च्छुटकी नही रह गयी थी.... वो जवान हो चुकी है... उसको उस्स 'खेल' में मज़ा आने लगा है जो बच्चों के लिए नही बना. उसने कसकर 'जवान च्छुटकी को अपने सीने से भींच लिया... पर वो हैरान थी शमशेर ने इश्स बात पर उनको कुच्छ भी नही कहा.... वो फिर भी कितना शांत था... कितना..........!
"वाणी! तू ठीक हो जा, मैं वादा करती हूँ; सर अब भी तुझे उतना ही प्यार करेंगे, उससे भी ज़्यादा....
वाणी की आँखें चमक उठी... वो उठ कर बैठ गयी! उसमें जैसे जान सी आ गयी," आइ लव यू दीदी!"...
दिव्या तेज़ी से घर आ रही थी... उसने आज जो कुच्छ भी देखा था वह सपने जैसे था... वो तो सोच रही थी सर उसको सज़ा देंगे.... पर उन्होने तो उसको मज़ा ही दिया... वो ये बात वाणी को बताना चाहती थी.... वो बताना चाहती थी की वाणी को वो खेल पूरा खेलने के लिए राकेश की ज़रूरत नही है.... उनके घर में तो इश्स खेल का 'सबसे बड़ा खिलाड़ी' है.... वो वाणी के घर घुस्स गयी...
वाणी अब ठीक हो चुकी थी... वो और दिशा हंस हंस कर बातें कर रही थी... अब वो बेहन नही रही थी... सहेलियाँ बन चुकी थी... जो सब कुच्छ शेयर कर सकती हैं...
दिव्या को देखते ही दिशा ने उसको बाहर ही रोक दिया और उस्स पर बरस पड़ी....हराम जादि... मेरी बेहन को बिगाड़ना चाहती है... शरम नही आती तुझे... वग़ैरा वग़ैरा! वाणी भी वहीं खड़ी थी.. जैसे वो भी यही कहना चाहती हो!
दिव्या शर्मिंदा होकर चली गयी... अब उसने सोच लिया था... कि वो किसी को नही बताएगी... स्कूल वाली बात!
शमशेर स्कूल से निकलता हुआ अंजलि के बारे में सोच रहा था... बेचारी के साथ अच्च्छा नही हुआ.... 10 दिन बाद ही उसकी शादी तय हो गयी थी... कितनी सेक्सी है वह...उसको उस्स आदमी के साथ शादी करनी पड़ रही थी जो उससे उमर में 13-14 साल बड़ा है.. जिसकी एक शादी हो चुकी है और जिसकी एक बेटी है... करीब 18 साल की...
अंजलि की बेहन की वजह से उसको ये शादी स्वीकार करनी पड़ी... वरना क्या नही था अंजलि के पास... उसकी बेहन जो किसी लड़के के साथ भाग गयी थी...
शमशेर जैसे ही घर पहुँचा... उसकी दोनों 'प्रेमिकाओं' की आँखे उस्स पर टिक्क गयी. एक की आँखों में प्यास थी; प्यार की, दूसरी की आँखों में नमी थी.... प्यार की ही....... शमशेर वाणी को देखता हुआ सीधा उपर चला गया; वहाँ और कोई ना था.
वाणी: दीदी, सर नही बोलेंगे मुझसे; मुझे पता है....
दिशा: तू चल उपर मेरे साथ....
उपर जाकर दिशा अंदर चली गयी, पर वाणी के कदम बाहर ही रुक गये... वो हिम्मत नही कर पा रही थी; सर के सामने जाने की...!
दिशा ने शमशेर से कहा: वाणी बाहर खड़ी है... वो आपके लिए कल से ही रो रही है... वो आपसे बहुत प्यार करती है...
सरिता ने मुँह से लंड निकाल कर अपनी हार स्वीकार की. सर ने दिव्या को उठा कर मैदान से बाहर कर दिया... वो तो कब की मैदान छ्चोड़ चुकी थी...
शमशेर के दिमाग़ से अंजलि की गांद की चुदाई वाली खुमारी उतरी नही थी. सरिता वहाँ भी ले सकती है सोचकर वो कुर्सी पर बैठा और सरिता को सीधा अपने उपर बिठा लिया, गांद के बाल! उसने उसको संभाले का भी मौका नही दिया!
"आ मरी", सरिता बदहवास हो चुकी थी. ऐसे करार प्रहार से चारों खाने चित हो गयी; उसने अपने को संभाला और टेबल पर हाथ टीका दिए और पैरों का थोड़ा सहारा लेकर उठने की कॉसिश करने लगी; ताकि जितना बचा है, वो ना घुसने पाए! पर शमशेर ने जैसे ये काम आखरी बार करना था. उसने सरिता के हाथों को टेबल से उठा दिया और टंगड़ी लगाकर उसकी टाँगो को ऐसा हवा में उठाया की 'ढ़च्छाक' से सरिता की जांघे उसकी जांघों से मिल गयी.
ओओईइ मा! छ्चोड़ साले मुझे...आ... तू तो मार देगा... मेरी मा... बचा... आहह... तू तो... एक बार रुक जा बस... प्लीज़... आ... तू तो... बदलाः...ले... रहा... है... बहनचोड़... मेरी मा का किया ... मैं भुगत रही ... हूँ... थोडा धीरे धीर कर... हाथ मेज़ पर रखने दो जान... इतना मज़ा कभी नही आया... उच्छाल ले मुझे.. पहले की तरह... ज़ोर से कर ना... हिम्मत नही रही क्या साले... कर ना... कर ना... कर नाआ! आइ लव यू जान! बस छ्चोड़ दे अपना जल्दी.. प्लीज़ बाहर निकाल ले मुँह में पीला दे... प्लीज़ सर! उसको याद आ गया था की वो सर है... उसकी चूत का भूत भाग गया था...
शमशेर को उसकी ये सलाह पसंद आई... उसने झट से उसको पलट दिया और सरिता के चूतड़ ज़मीन पर जा बैठे... शमशेर ने उसके बालों को खींचा और लंड उसके मुँह में ठूस दिया... बस उसका वक़्त आ चुका था... जैसे ही उसके लंड ने मुँह की नमी देखी... उसने भी अपना रस छ्चोड़ दिया... आज इतना निकला था की उसका मुँह भरकर बाहर टपकने लगा... पर उसने इतना सा भी बेकार नही किया... मुँह का गटक कर जीभ से होंटो को चाटने लगी...
उनका जुनून उतर चुका था... सरिता खड़े होते हुए बोली, सर मैं किसी को नही बतावुँगी... शमशेर एक दम शांत था.... एकदम निसचिंत..!
दिव्या इतनी सहम गयी थी की पीछे हट-ते हट-ते दीवार से जा लगी थी और वही से सब देख रही थी,' जो उसने कल सीखा था... उस्स खेल का ओरिजिनल वर्षन...'
कहने को तो ये थ्रीसम सेक्स था... पर कोई चौथा भी था.... जो बाहर वाली खिड़की से सब देख रहा था.....!
आ... मज़ा आ गया दोस्तो... इसको कहते हैं... लंबी जड...सॉरी लुंबी चुदाई! प्लीज़ निकालने के बाद ज़रूर कॉमेंट करें... ( ये पोस्ट किसी खास दोस्त की फरमाइश पर थी... सरिता की चुदाई के लिए... मैं 'बिल' भेज रहा हूँ ड्यूड...हा हा हा...!
अब आप सोच रहे होंगे राज शर्मा तो सला मज़ा ले रहा है हम अपने लॅंड को हाथ मॅ लेके हिला रहे है पर यार टेंशन क्यो ले रहे हो
अभी तो कहानी बनना शुरू हुई है बस तुम्हारा भी निकल जाएगा दो चार हाथ ओर मार लो चलो बाते बहुत हो गयी अब कहानी पर वापस आते है
लकिन फिर कह रहा हूँ निकालने के बाद कमेंट देना मत भूलना दोस्तो समझते क्यो नही तुम्हारे कमेंट ही मेरी सारी थकान उतार देते है
मेल करना नही भूलना मेरा मेल आइडी तो सबको मालूम है ही
शमशेर ने आँखों के इशारे से दिव्या को अपने पास बुलाया," सॉरी दिव्या, बाकी खेल फिर कभी सीखूंगा!" वह सहमी हुई थी;
वह अब भी सहमी हुई थी; सर उससे सीखीन्गे या उसको सिखाएँगे.. सरिता बार बार अपनी गांद के च्छेद को हाथ लगाकर देख रही थी... शायद वो 'घायल' हो गयी थी.
शमशेर ने दोनों को जाने के लिए कहा और कुर्सी पर बैठकर अपना पसीना सुखाने लगा... वो आदमख़ोर बन चुका था.... पर दिशा के लिए अब भी उसके दिल में प्यार था....और वाणी के लिए भी..!
उधर दिशा वाणी के साथ लेटकर वाणी का सिर सहलाने लगी... वाणी का शरीर तप रहा था. दिशा ने प्यार से उसके गालों पर एक चुम्मि ली," वाणी!"
हां दीदी....
दिशा लगातार वाणी को दुलार रही थी," अब कुच्छ आराम है?
वाणी ने आँखें खोल कर दिशा को देखा; जैसे कहना चाहती हो 'आराम कैसे होगा'
"तू मुझसे प्यार करती है ना!" दिशा ने वाणी से पूचछा!
वाणी ने दिशा के गले में अपनी बाहें डाल दी और उसके गालों से होंट लगा दिए.
दिशा: मेरी एक बात मानेगी?
वाणी: बोलो दीदी!
दिशा: नही मेरी, कसम खाओ पहले!
वाणी ने कुच्छ देर उसको घूरा और फिर वचन दे दिया," तुम्हारी कसम दीदी!"
दिशा: तू मुझे वो बात बता दे की तू कल रो क्यों रही थी...
वाणी की आँखों से आँसू छलक उठे... वो कैसे बताए... पर वो वचन से बँधी थी.... उसने दिव्या के घर आने से लेकर अपने रोती हुई नीचे आने तक की बात, डीटेल में सुना दी..... जैसे मैने आपको सुनाई थी...!
दिशा हैरान रह गयी... उसकी च्छुटकी अब च्छुटकी नही रह गयी थी.... वो जवान हो चुकी है... उसको उस्स 'खेल' में मज़ा आने लगा है जो बच्चों के लिए नही बना. उसने कसकर 'जवान च्छुटकी को अपने सीने से भींच लिया... पर वो हैरान थी शमशेर ने इश्स बात पर उनको कुच्छ भी नही कहा.... वो फिर भी कितना शांत था... कितना..........!
"वाणी! तू ठीक हो जा, मैं वादा करती हूँ; सर अब भी तुझे उतना ही प्यार करेंगे, उससे भी ज़्यादा....
वाणी की आँखें चमक उठी... वो उठ कर बैठ गयी! उसमें जैसे जान सी आ गयी," आइ लव यू दीदी!"...
दिव्या तेज़ी से घर आ रही थी... उसने आज जो कुच्छ भी देखा था वह सपने जैसे था... वो तो सोच रही थी सर उसको सज़ा देंगे.... पर उन्होने तो उसको मज़ा ही दिया... वो ये बात वाणी को बताना चाहती थी.... वो बताना चाहती थी की वाणी को वो खेल पूरा खेलने के लिए राकेश की ज़रूरत नही है.... उनके घर में तो इश्स खेल का 'सबसे बड़ा खिलाड़ी' है.... वो वाणी के घर घुस्स गयी...
वाणी अब ठीक हो चुकी थी... वो और दिशा हंस हंस कर बातें कर रही थी... अब वो बेहन नही रही थी... सहेलियाँ बन चुकी थी... जो सब कुच्छ शेयर कर सकती हैं...
दिव्या को देखते ही दिशा ने उसको बाहर ही रोक दिया और उस्स पर बरस पड़ी....हराम जादि... मेरी बेहन को बिगाड़ना चाहती है... शरम नही आती तुझे... वग़ैरा वग़ैरा! वाणी भी वहीं खड़ी थी.. जैसे वो भी यही कहना चाहती हो!
दिव्या शर्मिंदा होकर चली गयी... अब उसने सोच लिया था... कि वो किसी को नही बताएगी... स्कूल वाली बात!
शमशेर स्कूल से निकलता हुआ अंजलि के बारे में सोच रहा था... बेचारी के साथ अच्च्छा नही हुआ.... 10 दिन बाद ही उसकी शादी तय हो गयी थी... कितनी सेक्सी है वह...उसको उस्स आदमी के साथ शादी करनी पड़ रही थी जो उससे उमर में 13-14 साल बड़ा है.. जिसकी एक शादी हो चुकी है और जिसकी एक बेटी है... करीब 18 साल की...
अंजलि की बेहन की वजह से उसको ये शादी स्वीकार करनी पड़ी... वरना क्या नही था अंजलि के पास... उसकी बेहन जो किसी लड़के के साथ भाग गयी थी...
शमशेर जैसे ही घर पहुँचा... उसकी दोनों 'प्रेमिकाओं' की आँखे उस्स पर टिक्क गयी. एक की आँखों में प्यास थी; प्यार की, दूसरी की आँखों में नमी थी.... प्यार की ही....... शमशेर वाणी को देखता हुआ सीधा उपर चला गया; वहाँ और कोई ना था.
वाणी: दीदी, सर नही बोलेंगे मुझसे; मुझे पता है....
दिशा: तू चल उपर मेरे साथ....
उपर जाकर दिशा अंदर चली गयी, पर वाणी के कदम बाहर ही रुक गये... वो हिम्मत नही कर पा रही थी; सर के सामने जाने की...!
दिशा ने शमशेर से कहा: वाणी बाहर खड़ी है... वो आपके लिए कल से ही रो रही है... वो आपसे बहुत प्यार करती है...