Desi chudai story वो जिसे प्यार कहते हैं - SexBaba
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Desi chudai story वो जिसे प्यार कहते हैं

hotaks444

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भाइयो मेरी पहली कहानी समाप्त हो चुकी है इसीलिए एक और कहानी शुरू करने जा रहा हूँ आशा करता हूँ आप इसे ज़रूर पसंद करेंगे 

मंडे का दिन, केवल 10 किमी का रास्ता घर से अंधेरी में ऑफीस तक, राजेश को हमेशा 25 मिनट ही लगते थे. आज ऐसा लग रहा था कि ये रास्ता कभी ख़तम ही नही होगा.

आज कुछ ऐसा ज़रूर था, कुछ मिस्सिंग सा लग रहा था. इतना अशांत वो कभी नही हुआ. कुछ ना कुछ अड़चने आती जा रही थी अभी आधा रास्ता भी तय नही हुआ था और उसे लग रहा था जैसे जन्मों से बाइक चला रहा हो.

उमसदार वातावरण उसके गुस्से को चार चाँद लगाने लगा. हर सिग्नल पे रुकना पड़ता और वो ‘टाइमिंग’ को गाली देता. हां ये ग़लत टाइमिंग की ही बात है, वरना इतने सारे झंझट एक साथ कैसे और वो भी अचानक.

राजेश दरअसल एक हफ्ते बाद ऑफीस जा रहा था. उसकी सगाई पंजाब की एक खूबसूरत लड़की सिमिरन के साथ पिछले हफ्ते हुई थी.


उसे मालूम था जिस मॅट्रिमोनियल वेबसाइट कंपनी में वो एड.-सेल्स मॅनेजर है वहाँ सब उसकी बाल की खाल निकाल निकाल कर सवाल करेंगे. और यही वो बिल्कुल नही चाहता था.

शादी नाम सोच कर ही लोग नयी आने वाली जिंदगी के बारे में कल्पनाएं करने लग जाते हैं, एक नयी उमंग, एक नया उत्साह उनमे भर जाता है, लेकिन राजेश के लिए ऐसा नही था. ये सगाई उसने ज़बरदस्ती अपने माँ बाप के कहने पे करी थी जो अमृतसर रहते हैं. सगाई के बाद ही खुश होने की जगह एक एक कर के सारी उलझने सामने आने लगी जो उसकी जिंदगी की किताब में दबी पड़ी थी.

क्या वो शादी करने के लिए मानसिक रूप से तयार है? क्या सिमिरन उसके लिए सही लड़की साबित होगी .क्या उसका ताल मेल उसके साथ बैठ जायगा, क्या वो उसके साथ अड्जस्ट कर पाएगी, या वो खुद उसके साथ अड्जस्ट कर पाएगा. क्या आज की दुनिया में अरेंज्ड मॅरेज कामयाब होगी?

पता नही क्या क्या सवाल उसके दिमाग़ में उठने लगे जिस की वजह से कभी कभी वो कहीं और खो जाता और उसकी एकाग्रता पर फरक पड़ने लगा. इस कारण वो रेड लाइट क्रॉस कर गया, शुक्र है कोई आक्सिडेंट नही हुआ, लेकिन कॉन्स्टेबल ने बहुत खुश हो कर,उसकी बाइक का नंबर. नोट कर लिया. और राजेश बाइक दौड़ाता चला गया, कॉन्स्टेबल की हरकत को नज़र-अंदाज करते हुए,जो होगा देखा जाएगा.

पोलीस कहीं रोक ना ले इस लिए उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी. अभी मुश्किल से 1किमी ही आगे गया था कि बाइक रोकनी पड़ी, सामने लोकल एंपी का जलूस जा रहा था जो उसके 15 मिनट खा गया. मज़े की बात ये वो एंपी उसी सरकार के खिलाफ जलूस निकल रहा था जिसका वो खुद मेंबर था.

इस रुकावट की वजह से उसके दिमाग़ में फिर कई सवाल खड़े हो गये अपनी फियान्से सिमरन के बारे में और अपने बॉस मूर्ति के बारे में. आगे बढ़ने पे एक एक कर हर सिग्नल पर उसे रुकना पड़ा हो, रोज उसे हरी झंडी दिखाया करते थे. ऐसा लग रहा था जैसे उसके खिलाफ कोई कॉन्स्पिरेसी करी जा रही हो – ‘बॅड टाइमिंग’.

हर सिग्नल पर जब बाइक रुकती तो वो अपनी शक्ल बॅक व्यू मिरर में ज़रुस देखता . अपनी लुक्स के लिए बहुत ही कॉन्षियस था.

कुछ देर बाद उसे बहुत ही कष्ट सा महसूस होने लगा. एक डर दिमाग़ में घर कर गया. सोचने पर महसूस किया कि डीहाइड्रेशन हो रही है. पर ऐसे क्यूँ हो रहा है, शायद आज बहुत पसीना आ रहा है इसलिए. दोपहर से पहले ही तापमान 39 को छू रहा था और उमस भी बहुत ज़यादा थी.उसकी दिमागी हालत और बिगड़ने लगी जैसे जैसे उसे और पसीना आता गया.

अपनी बाइक पे चलाते हुए , वो उम्मीद कर रहा था कि इस जानलेवा गर्मी से कब छुटकारा मिलेगा, कब मुंबई का मान्सून शुरू होगा.ये उसका पहला मान्सून होगा मुंबई में. उसने मुंबई की बारिश के बारे में बहुत सुना था और हिन्दी मूवीस में बहुत बहुत देखा था. अब मई के आखरी हफ्ते में, मुंबई की जादुई बारिश ज़यादा दूर नही थी, कुछ ही हफ्तों में शुरू हो जाएगी.

कुछ पल के लिए उसने सिमरन और खुद को इस बारिश का मज़ा लेते हुए सोचा.फिर इस ख़याल को दिमाग़ से झटक दिया, क्या वो दोनो सच में रोमॅंटिक लगेंगे मुंबई की बारिश में भीगते हुए – जैसे शाह रुख़ और काजोल लगते हैं डीडीएलजी में.

कोई भी अगर उसके दिमाग़ में घूमती हुई इन बातो को जानता तो निसंदेह उसे पागल करार कर देता.
ऐसा ही हाल था उसके दिमाग़ का जब वो ऑफीस से कुछ ही दूरी पे था.

जब राजेश ऑफीस में घुसा तो उसने ऑफीस काफ़ी खाली पाया. कम से कम एक तिहाई स्टाफ गायब था. अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ पायल – रिसेप्षनिस्ट- ने उसका स्वागत किया. 

राजेश को कुछ गड़बड़ लग रही थी और पायल की बत्तीसी से कुछ पता नही चलने वाला था. वो आर्यन के ऑफीस की तरफ लपका तो ऑफीस खाली था.
‘आर्यन साहिब, बड़े बॉस के कॅबिन में हैं’ पीयान ने बताया.

आर्यन के ऑफीस में बैठ कर वेट करना ही उसे उत्तम लगा, ताकि बड़े बॉस का सामना करने से पहले करेंट स्थिती का पता चल जाए. एर कंडीशंड ऑफीस में वेट करते हुए भी वो पसीने से सराबोर हो रहा था, और बाहर की गर्मी से ज़यादा पसीना तो एसी में आ रहा था. आस पास के लोगो को घूरते हुए वो तनावग्रस्त होते हुए अपने नाख़ून चबाने लगा.

******* का दावा था कि कम से कम 10000 शादियाँ दुनिया भर में इस पोर्टल के द्वारा हुई हैं और 2 मिलियन से ज़यादा रिजिस्टर्ड लोग हैं .

एक कमर्षियल कॉंप्लेक्स के तीसरे फ्लोर पे इनका ऑफीस है, छोटा ऑफीस लेकिन प्लॅनिंग अच्छी है.

ऑफीस का दरवाजा खुलते ही सामने पायल बैठ ती है अपनी जादुई मुस्कान लिए जो हर आनेवाले का दिल मोह लेती है. 

ऑफीस का एक पार्ट मार्केटिंग और फाइनान्स की लिए है जहाँ 4 कॅबिन बने हुए हैं उनमे से एक राजेश का है एक आर्यन का जो सीए है और राजेश का दोस्त भी. दूसरे हिस्से में जमघट है लड़कियों का जो वेब डिज़ाइनिंग, मेंटेनेन्स, सबस्क्रिपशन लेना वगेरा वगेरा करती हैं. रिसेप्षन के पीछे आ छोटा कॅबिन है जहाँ दो लोग बैठ सकते हैं एडिटोरियल टीम के पर अभी सिर्फ़ एक ही है समीर.

मेज़. फ्लोर पे सीईओ का ऑफीस है एक कान्फरेन्स हाल है जो मीटिंग वगेरा के लिए इस्तेमाल होता है, लोग वहाँ लंच भी कर लिया करते हैं.

किसी के आने की आवाज़ से राजेश यथार्थ में वापस आता है. गर्दन घुमा कर देखा तो आर्यन था. ‘अरे कब आया भाई, बहुत खुशी हुई तुझे देख के’ खुशी प्रकट करते हुए आर्यन राजेश के गले लगता है.

‘बस अभी थोड़ी देर पहले, क्या पंगा है मूर्ति का, सुबह तो तुम्हारी कभी उसके साथ मीटिंग नही हुआ करती थी, सब ठीक तो है’राजेश के आवाज़ में चिंता और उत्सुकता दोनो ही थे.

‘तुम्हें तो पता ही है उसके बारे में, हर वक़्त टेन्षन – छोड़ उसे – ये बता तेरे साथ क्या हुआ’

अपने ही ख़यालों में राजेश ने पूछा – ‘यार ये ऑफीस आधे से ज़यादा खाली लग रहा है’
 
कुछ देर आर्यन ने सोचा क्या जवाब दे ‘ जैसा कि तुझे पता ही है, जब से लीवर ने फाइनान्सिंग बंद करी है मुस्किलें बढ़ गई हैं और मजबूरन स्टाफ को निकालना पड़ा’
राजेश का चेहरा पीला पड़ गया अपने सामने उसे पिंक स्लिप नज़र आने लगी – आड़ सेल्स मॅनेजर की ज़िम्मेवारी होती है आड़ रेवेन्यूस लाने की जो ऑफीस की रीड की हड्डी का काम करती है.

पिछले कुछ महीनो से एड रेवेन्यू ना के बराबर थे. काफ़ी अच्छे क्लाइंट दूसरी वेबसाइट्स पे शिफ्ट कर गये थे , फाइनॅन्सी भी हट गया था तो अब सारा भार राजेश के काम पर ही पंडा था यानी उसे एड रेवेन्यू बढ़ने थे इतने कॉंपिटेशन के होते हुए भी.

आर्यन और राजेश बातें कर ही रहे थे कि पीछे से आवाज़ आइी ‘ ओए हुए तू वापस आ गया, क्या चमका है चेहरे पे लगता है सिमरन का जादू चढ़ गया तेरे पे’ कहते हुए समीर राजेश को गले लगा लेता है. समीर भी पायल की तरहा हमेशा मस्त रहता था कोई चिंता नही , फरक बस इतना था कि कंपनी में उसकी पोज़िशन थी.

बाकी स्टाफ के लोग भी राजेश को सगाई की मुबारकबाद देते हैं जो वो फीकी मुस्कान के साथ मंजूर करता है और फिर अपने दोस्त आर्यन और समीर के साथ बातें करने लगता है.

सॉफ दिख रहा था राजेश सगाई से खुश नही है.

‘समझ में नही आ रहा मैं शादी का फ़ैसला कर के ठीक कर रहा हूँ या नही. एक तो मैं सिमरन के बारे में कुछ ज़यादा जानता नही और दूसरा जो थोड़ी देर उस से मिला तो मेरे टाइप की नही लगती…..’

‘क्या मतलब तेरा – तेरे टाइप की’ आर्यन ने कुरेदा.

‘देख पहले तो उसका रंग सांवला है जब कि मैं हमेशा अपनी बीवी को गोरी होने के ख्वाब देखता था’

समीर ने झट इस बात को कूड़े दान में डाल दिया कि बकवास सोचता हूँ मैं ‘ तू पागल है साँवली लड़कियों में जो सेक्स अपील होती है वो गोरी लड़कियों में नही – रेखा और बिपाशा को ही देख सब मरते हैं उनपर उनका सांवला पन ही उनका चर्म बढ़ा देता है और बिस्तर पे तो वो धमाल मचाती हैं, मेरा खुद का एक्सपीरियेन्स है’

‘अबे तू ये कैसे कह सकता है’ आर्यन ने मुखॉल उड़ाते हुए कहा.

‘यार गोरी लड़कियों के भाव हम लड़कों ने बढ़ा रखें हैं जीने गोरी चमड़ी ज़यादा अच्छी लगती है, डार्क कंपेक्स्षन वाली लड़कियाँ किसी भी हद तक जाएँगी हमारी फॅंटसीस को पूरा करने के लिए’ बड़े ही कॉन्फिडेन्स के साथ समीर बोला अपना बेस्ट एक्सपीरियेन्स जताते हुए.

राजेश सोचने लग गया लेकिन आर्यन ने बहस करते हुए कहा ‘ यार तेरी ये रिसर्च किसी सिग्ज़लजिस्ट को ही ठीक लगेगी, लेकिन जिंदगी में हर चीज़ सेक्स की आगे पीछे नही घूमती.’

‘शर्त लगा – बहुत फरक पड़ता है, यार तुम्हारे बीवी के साथ में कुछ भी डिफरेन्सस हो सकते हैं , लेकिन जब वो बिस्तर में तुम्हें खुश करती है तो सब कुछ पीछे रह जाता है और तुम बाहर झाँकोगे भी नहीं, लेकिन अगर बिस्तर में वो तुम्हें खुश नही रखती तो बिल्कुल उल्टा ही होगा’

संशय के साथ देखते हुए, राजेश , समीर की धारणा पर शक़ करने लगा, उस विषय पर जिसपे समीर को महारत हासिल थी.

उसके दिमाग़ में खिचड़ी पक रही थी , एक सवाल उठ रहा था – किस तरहा दो विभिन्न और खास स्वाभाव वाले प्राणी – बिस्तर पर एक दूसरे के साथ सब कुछ भुला कर सेक्स का आनंद लेंगे.

क्या एक दूसरे के स्वभावों में अनुकूलता अनिवार्य नही एक मर्द और एक औरत के बीच वैवाहिक बंधन में बँधने से पहले? ताज्जुब के साथ राजेश सोच रहा था.

विपरीत सेक्स के बारे में अपने ज्ञान का राजेश कायल था, समीर आज पहली बार उसे ग़लत लग रहा था.

स्वाभाव की अनुकूलता के बिना बिस्तर पे एक रोमचक सेक्स की कल्पना - कतई भी मुमकिन नही. 

क्या होगा अगर एक को मजेदार संभोग की पूर्व क्रीड़ा में उत्सुकता हो और दूसरा बस फटाफट संभोग कर छुटकारा पाना चाहता हो? ऑर क्या होगा अगर एक पहले प्यार भरी सेडक्टिव बातें करना चाहता हो जिस्मो को छूने से पहले और दूसरा सिर्फ़ शांत रहे कोई भाग ना ले ? ऐसे ना जाने कितने सवाल उसके दिमाग़ में कोंध रहे थे जिनका जवाब सिर्फ़ कर के ही पता चलेगा और इसका मतलब है वास्तव में पहले शादी करना – और ये संभावना उसके लिए ख़तरों की लाडियाँ लगा रही थी.

गतिरोध को अवरुद्ध करने के लिए आर्यन ने पूछा ‘ चलो वो तो एक कारण हुआ, दूसरा कारण क्या है जो तुम्हें सिमरन के प्रति आशंकावान कर रहा है.’

राजेश वन्ग्मय रह गया इस डर के कारण कहीं उसका फिर से मज़ाक ना उड़ाया जाए.
बारबार पूछने पर बस मुँह में ही बड़बड़ा कर रह गया –‘ यार मुझे सच मुच कुछ नही पता. बस जब हम ने आपस में एक दूसरे से बात कर रहे थे तो ऐसा ही लग रहा था जैसे हमारी वेव्लेंत बिल्कुल अलग हैं’

‘क्यूँ , क्या हुआ’ समीर ने एक कॉन्स्टेबल की तरहा सख्ती से पूछा.

‘ देखो सच में मुझे वो एक मूक लगी – टोटली डंब यार, उसे यूके के एलेक्षन्स तक के बारे में कुछ नही पता था. और बस उसकी बुद्धिमता को जाँचने के लिए मैने उस से कॅपिटल पनिशमेंट के बारे में पूछा तो ऐसे देखने लगी जैसे मैं चाइनीस में बोल रहा हूँ’

राजेश जैसे जैसे अपनी कहानी उनको सुना रहा था उसे लगा आर्यन और समीर दोनो ही उसे घूर रहे थे जैसे अभी अभी चिड़ियाघर से छूट की आ रहा हो.

‘तुम से ज़यादा अकल्मंद कोई दुनिया में पैदा भी हुआ है’ आर्यन ने उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा.

समीर तो पागलों की तरहा हँसने लगा ‘ तू क्या उसका सरकारी नौकरी के लिए इंटरव्यू ले रहा था’

तभी पीयान वहाँ आ गया – ‘मूरती साहिब ने बुलाया है अभी इसी वक़्त’ उसने राजेश को बताया.

मुसीबत को भाँपते ही राजेश फटाफट मूरती के कॅबिन की तरफ भागा – जैसे फ़ौजी जनरल के पास जाता है . 

आर्यन और समीर दोनो ही एक मत थे राजेश पे गिरने वाली बिज़ली के बारे में सोच कर.

मूरती, कंपनी का फाउंडर और सीईओ, छोटी हाइट,पेट निकला हुआ,गहरा भूरा रंग आँखों में चस्मा.अभी तो सिर्फ़ 40 ही क्रॉस किया है पर लगता 50 से उप्पर है. अब मूरती ने ये कंपनी कैसे शुरू की उसके साथ क्या क्या हुआ, उसमे ना जाते हुए हम राजेश के साथ ही रहते हैं. मूरती ना राजेश को बधाई देने तो बुलाया नही.

राजेश कॅबिन में घुसता है और मूरती उसे 15 लाख का एड रेवेन्यू का टारगेट दे देता है वो भी दो हफ्ते के अंदर.राजेश ने सोचा 5 लाख होगा, 15 तो मज़ाक में बोल रहा है. 

‘और अगर तुम ये टारगेट पूरा नही करते तो ये कंपनी मुझे बंद करनी पड़ेगी’
एक बुरी खबर की तरहा राजेश ने ये झटका सहा और उसके दिमाग़ में ‘बॅड टाइमिंग’ ने फिर जड़ें पकड़ ली.

रात भर चिंता के कारण राजेश सो ना सका और सुबह होने में देर ना थी कि उसे नींद आ गई.

बिस्तर पे लेटे उपर घूमते पंखे को देखता रहा और जाने क्या क्या विचार और चेहरे उसके दिमाग़ में घूमने लगे. अपनी जिंदगी उसे इस पंखे की तरहा बिना किसी मकसद के घूमती नज़र आने लगी.

कभी सिमरन के अल्फ़ाज़ याद कर उनका मतलब जानने की कोशिश करता तो कभी बॉस के दिए हुए टारगेट के बारे में सोचता. अंत में सोचा कि दूसरी नौकरी अब ढूंडनी ही पड़ेगी. पर ब्राइड का क्या? क्या वो सर जिंदगी सिमरन के साथ गुजरने के लिए तयार है. कुछ जवाब नही था उसके पास.

कभी अपने माँ बाप के उपर गुस्सा आता जिन्होंने शादी उसके सर पे थोप दी. अभी 29 का ही तो हुआ हूँ, ये टाइम तो मज़े करने का है अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने का है. उसके शहर की बात और है पर मुंबई जैसे शाहर में कौन 29 की एज में शादी करता है. इस उम्र में तो पैसा आना शुरू होता है और मोज मस्ती की जाती है. फिर माँ बाप के साथ सहानुभूति भी हुई, उन्होने ने तो पूरी छूट दे रखी थी अपना करियर जैसा वो चाहे बनाने की. क्या उनका कुछ भी हक़ नही उस पर जहाँ तक उसकी शादी का सवाल है?

माँ बाप ने तो उसे पूरी छूट दे रखी थी अपनी पसंद की लड़की से शादी करने के लिए पर समय की सीमा भी बंद रखी थी. पर राजेश ही टालता रहा ,टालता रहा और उनके लिए वो समय आ चुका था जब राजेश को हर हालत में शादी कर लेनी चाहिए. इसलिए उसके पिता ने अपने दोस्त की बेटी सिमरन के साथ उसकी सगाई कर दी.
 
बिना कोई हरकत किए राजेश एक पत्थर की तरहा बिस्तर पे लेटा रहा, उसकी मुखाक्रुति पे कोई भाव ना था. रात के ढाई बज चुके थे अल्साते हुए वो उठा और बेड के नीचे से एक ट्रंक निकाल कर उसमे से एक डाइयरी निकाल ली.

डाइयरी में एक लिफ़ाफ़ा था, उसमे से फोटोस निकाल कर बिस्तर पे बिखेर दी.और दुखी नज़रों से उन फोटोस को देखने लगा. ये फोटो उसकी जिंदगी के सबसे खूबसूरत हिस्से को बयान करती थी. इन में उसके साथ सॉनॅक्षी थी, एक हसीन लड़की जिसके साथ कितने ही सुनहरे पल उसने अपने कॉलेज की जिंदगी में गुज़ारे थे. आज भी जब वो पल उसे याद आता है तो उसकी आँखें भर आती हैं. सॉनॅक्षी उसे अपने पिता से मिलाने ले गई थी. मिलते ही उसके पिता ने सीधा उसके सपनो में अपनी कुल्हाड़ी चला दी.


“ह्म्म तो तुम मेरी बेटी से शादी करना चाहते हो, बेटा सॉनॅक्षी जैसी होनहार लड़की के लिए रिश्तों की लाइन लगी पड़ी है – अगर तुम मुझे 10 लाख का अपना बॅलेन्स दिखा सकते हो तो मैं आज ही तुम्हारी शादी उस से करने को तयार हूँ, वरना जब तुम्हारे पास इतना हो जाए तब मुझ से बात करना- नमस्कार’ कह कर मुझे चलता कर दिया. 

जब मैं अपनी एमबीए कर के वापस पहुँचा तो सॉनॅक्षी से मिलने की बहुत कोशिश करी, तब पता चला कि एक साल पहले ही उसकी शादी किसी एनआरआइ से हो गई थी. वक़्त का चकरा घूमता रहा और राजेश खुद को संभालने की कोशिश करता रहा. 
सॉनॅक्षी के जिंदगी से जाने के बाद की जिंदगी तो पछतावे और गुस्से में ही गुज़री. 

देल्ही छोड़ के वो मुंबई आ गया एक नयी दुनिया में जीने के लिए.

वो पहले की तरहा एक विद्रोही जिंदगी जीना चाहता था. आज वो दुविधा में फसा हुआ था – अपनी नौकरी बचाए या उस अंजान लड़की से शादी करे.

अपनी फॅंटसीस के बारे में सोचते हुए वो कल्पनिनिक दुनिया में जीने की इच्छा करने लगा.

अब भी ईस्वक़्त हवा का कोई नामोनिशान ना था और उमस इतनी ज़यादा थी कि पसीना बहना रुक ही ना रहा था, अपनी शर्ट उतार के बिस्तर पे उछाल दी इस उमस भरी गर्मीी से कुछ राहत पाने के लिए. मान्सून अभी भी कुछ हफ्ते दूर था – बॅड टाइमिंग.



आज सॅटर्डे है, पाँच दिन गुजर चुके हैं और टारगेट के नाम पे एक पैसा तक नही आया, तलवार वहीं की वहीं लटक रही है, और राजेश के दिमाग़ में सिमरन को लेके जो दुविधाएँ मन में हैं वो बरकरार हैं उपर से उमस भरी जानलेवा गर्मी.

अपने माता पिता द्वारा किसी ऐसी लड़की से सगाई करना जिसे वो जानता नही था जो उसके लिए ‘राइट गर्ल’ नही थी काफ़ी व्यंग्यात्मक स्तिथि है, मॅट्रिमोनियल वेबसाइट में काम करते हुए ना जाने कितने प्रपोज़ल उसके पास आए थे, कुछ से बात आगे भी बढ़ी.

समस्या वहाँ खड़ी होती थी जब राजेश हर लड़की में वो सारे गुण देखना चाहता था, जो उसने सॉनॅक्षी में पाए थे. 

हर लड़की की तुलना वो सॉनॅक्षी से करता था.

कुछ लड़कियों के साथ तो डेटिंग से पहले उसने काफ़ी प्लॅनिंग करी. वो लड़कियों का पाँच अलग मापदंडो से मूल्यांकन करता था – रूप, अकल्मंदी,पढ़ाई/जॉब, स्वाभाव और दृष्टिकोण.

कहना बेकार है इन सभी मापदंडों में वो सबसे उत्तम की ही तलाश करता था. उसकी अपेक्षाएँ हमेशा युक्ति संगत नही होती थी इसलिए वो हमेशा निराश होता था.

मॅट्रिमोनियल वेबसाइट के द्वारा उसकी पहली मुलाकात राम्या से हुई एक साल पहले. फोटो में लड़की काफ़ी सुंदर दिख रही थी, जो उसकी पहली ज़रूरत थी.उपर से वो एयिर्हसटेस्स थी जो उसे एग्ज़ाइट कर रही थी.बिना टाइम वेस्ट किए उसने राम्या से मीटिंग फिक्स करने की कोशिश करी और राम्या मान भी गई.


राम्या का स्वभाव राजेश से एक दम उलट था. सीधी साधी जिंदगी को आज पे ले कर जीनेवाली, कोई प्लॅनिंग नही जैसे राजेश किया करता है.एक दम चुलबुली, नटखट टाइप,मजाकिया. और दिल खोल के ज़ोर ज़ोर से हँसने वाली. कुछ दिन दोनो को साथ ठीक ठाक रहा, शायद ऑपोसिट पोल्स एक दूसरे को खींचते हैं. 

दोनो वॅलिंटाइन वाले दिन भी मिले, पर दोनो में से किसी ने प्रपोज़ नही किया, शायद दूसरा पहल करे यही सोचते रहे. पहले तुम कहो, पहले तुम कहो, वाली स्तिथि राजेश सह नही पा रहा था , दिल ही दिल में शायद वो फ़ैसला कर चुका था कि राम्या के साथ टाइम तो पास किया जा सकता है पर वो शादी वाली योग्यताएं जो राजेश चाहता था उसमे नहीं हैं.

एक एयिर्हसटेस्स उसे अच्छी लगेगी जिस्मानी तौर पे ये राजेश जानता था, पर शायद दोनो ही इंटेलेक्चुयली कंपॅटिबल नही थे. शायद उसेके पास वो ज्ञान नही था जो उसे दिमागी तौर पे एक लेवेल पे ला सके और एक दूसरे को एक कर सके.

कितनी अजीब बात है, राजेश बाकी लोगों की तरहा लड़कियों को दो टाइप की समझने लगा एक टाइम पास जिसके साथ मोज मस्ती करी जा सके और एक शादी के लायक जो भावी बच्चों की माँ बनने का दायत्व निभा सके. राम्या उसके लिए पहली केटेगरी में आती थी. लड़कियाँ तो लड़कियाँ ही होती हैं, राजेश की अच्छी फ्लर्टिंग नेचर राम्या को भा गई और वो राजेश के नज़दीक आने लगी और राजेश भी बाकी मर्दों की तरहा ये समझने लगा शायद राम्या कुछ और आगे बढ़ना चाहती है. समीर ने राजेश को उकसाया और राजेश हद से आगे बढ़ने लगा – बस यहीं इन दोनो की दोस्ती ख़तम हो गई .

‘बेह्न्चोद – ये लड़कियाँ अचानक रूढ़िवादी क्यूँ हो जाती हैं’ राजेश ने शिकायत करी . पर उसे ये भी समझ में आया कि बाकी लोग जो वेबसाइट से मिलते हैं वो इसे सीरीयस लेते हैं .

उसके बाद कई लड़कियों से राजेश मिला, एक फॅशन डेज़ाइनर उसे अच्छी लगी पर साला ये मांगलिक वाली चीज़ बीच में आ गई. वो लड़की मांगलिक थी. राजेश ने एक पंडित से बात करी कुछ हल निकालने के लिए पर कोई फ़ायदा ना हुआ.

एक और लड़की जो बहुत बड़ी कंपनी में काम करती थी, उसे मिली और पहली ही मीटिंग में अपने इतिहास के बारे में सब कुछ बता दिया, उसका किसी के साथ ब्रेकप हो गया था. राजेश को अच्छा लगा कि उसने कुछ छुपाया नही पर वो लड़की शायद आज भी दिल ही दिल में उस लड़के का इंतेज़ार कर रही थी और राजेश दूसरा विक्रांत नही बनना चाहता था. विक्रांत के बारे में बाद में बात करेंगे.

आख़िर में एक लड़की जो उसे बहुत अच्छी लगी, उसे उसके माँ बाप ने रिजेक्ट कर दिया, क्यूकी वो राजेश से 6 महीने बड़ी थी और उनकी बहू बेटे से उम्र में बड़ी हो, ये उन्हें मंजूर नही था.

ये सब हादसे राजेश को अकेला करते गये जहाँ उसने ढूँढना बंद कर दिया और उसके माँ बाप ने उसे एमोशनली ब्लॅकमेल कर सिमरन के साथ सगाई कर दी.

राजेश की तरहा, समीर भी एक खोज में था, पर उसकी खोज अलग किस्म की थी. समीर उन लड़कियों और औरतों को ढूंढता था जिनके लिए एक छोटा मॉटा अफेर कोई बड़ी बात नही थी.

समीर, एक सीनियर जर्नलिस्ट वेबसाइट में, उन लड़कियों को ज़यादा महत्व देता था जिन्हे पटाना थोड़ा मुस्किल होता था, वो लड़किया उसके लिए एक चुनौती होती थी जिस से उसे मज़ा आता था. वह बड़े बड़े स्टोर्स में जहाँ ग्लॅमरस लड़कियाँ आती हैं वहाँ अपना शिकार तलाश किया करता है, और धीरे धीरे उस शिकार की पर्सनल जिंदगी में घुस जाया करता है. अपने आप को इस कार्य में वो माहिर समझता था . उसका कहना है जर्नलिज़म सबसे बढ़िया प्रोफेशन है अगर तुम सेलेब्रिटी फीमेल्स की चार दीवारी के भीतर घुसना चाहते हो. वो तुम्हे सर पे चढ़ाएँगी अच्छी पब्लिसिटी पाने के लिए. अब ये आदमी पे निर्भर करता है कैसे वो फ़ायदा उठा कर उन्हें अपने बिस्तर तक ले जाता है. सिर्फ़ एक ही तरीका है लड़कियों को डील करने के लिए – उन्हें सिड्यूस करो और तुम्हारे सारे रास्ते सॉफ हो जाएँगे.

समीर एक, शादी शुदा आदमी है , पर कोई भी ऐसा नही समझता उसे देख कर – चार्मिंग आत्लेटिक बॉडी, एकदम इन्फेकियियस, खिली हुई मुस्कान और उसके हर्वक़्त तयार फ्लर्टेशस कॉमेंट्स.

तीन साल हो गये शादी को अभी 30 साल ही क्रॉस किए हैं और अब भी कॉलेज रोमीयो की तरहा ही रहता है. लड़की को पटाने का कोई भी मोका नही छोड़ता.
आर्यन उसके लिए एक ही बात बोलता है – ये भाई साहिब तो आँखों ही आँखों में रेप कर दिया करते हैं लड़कियों का.

समीर कहता है उसकी आँखों में एक शक्ति है दूसरे को अपनी तरफ खींचने की. अगर ठीक आइ कॉंटॅक्ट बन जाए तो लड़की को बिस्तर तक ले जाने में कोई देर नही लगती.

अपनी बातें इतने कॉन्फिडेन्स के साथ करता है जैसे केवल उसके पास आँखें हैं और बाकी सब अंधें हैं.

कभी कभी तो उसका कॉन्फिडेन्स इतना ज़यादा होता है कि सबको यही कहता है – कोई लड़की उस से बच नही सकती. लड़कियों को वो सिर्फ़ संभोग की वस्तु समझता है – यही उसके बारे में सभी सोचते है.

लड़कियों के लिए अपनी कमज़ोरी को वो सिर्फ़ ये कह कर छुपाता था कि उसे सही पत्नी नही मिली, अगर कोई उस से ये पूछता कि क्या वो सही पति है अपनी पत्नी के लिए तो उसे गुस्सा आ जाता. जो भी वो करता था, उसका एक ही मानना था कि सारी छूट सिर्फ़ उसके लिए ही है, उसकी पत्नी के लिए नही.

राजेश को समीर की इन हरकतों पे काफ़ी गुस्सा आता था और वो उसे छुपाता भी नही था समीर के मुँह पे बोल दिया करता था .अगर उसके इन व्यभिचारी इच्छाओं को छोड़ दिया जाए तो ऑफीस में सबसे बढ़िया इंसान वो ही था. मुश्किल हालातों में भी सबको हँसा के रखता था.

समीर और आर्यन दोनो ही एक दूसरे के विपरीत हैं. आर्यन, अकाउंट्स का हेड, सीधा साधा इंसान जो अपने काम और अपनी दोस्ती दोनो को ही सीरियस्ली लेता है. आर्यन का कहना है कि किसी भी रिश्ते में प्राब्लम तभी आती है जब आप दूसरे से उसकी क्षमता और अपेक्षाओं से अधिक की इच्छा करें. आदमियों के साथ ये समस्या हमेशा रहती है – सारी जिंदगी वो – राइट गर्ल – की तलाश में रहता है – जबकि जो लड़की तुम्हे मिलती है – जिससे तुम्हारी शादी होती है – वोही राइट गर्ल – है तुम्हारे लिए. आर्यन की शादी को अभी एक साल भी नही हुआ है . उसने त्रिवेणी से लव मॅरेज करी है और, त्रिवेणी को पुराने ब्रेकप की दुखी यादों से बाहर निकालने में काफ़ी मदद की है.उसके टूटे हुए दिल को अपने प्यार से सींचा है.
 
हर महीने के पहले शनिवार को, ये तीन आर्यन, समीर और राजेश शाम को अपनी पार्टी किया करते हैं और ये रस्म ये पिछले पाँच महीनो से पूरी कर रहे हैं बिन नागा.

तीनो एक्स रेटेड मूवी देखेंगे, फिर दारू के जाम चॅलेंज और फिर डिन्नर और ये पार्टी सुबह तक चलती रहेगी.

पार्टी हमेशा राजेश के घर ही होती है क्यूंकी तीनो में से वोही अकेला है. समीर के हाथों कबाना चिली चिकन हमेशा लाजवाब होता है और इसकी खास डिमॅंड होती है इनकी पार्टी में.

ये पार्टी समीर और आर्यन को उनके ब्रह्मचर्या वाले दिनो की याद दिलाती है . समीर ने अपनी बीवी से हर महीने इस पार्टी की मंज़ूरी ले ली है. और वो जानती है हर महीने चाहे कुछ भी हो समीर ये पार्टी नही मिस करेगा, अपने फ्रेंड्स की कंपनी शायद बीवी के चार्म्स से उसे ज़यादा अच्छी लगती है.

राजेश को हमेशा शक़ रहता था कि कैसे कोई बीवी ये मान जाएगी कि उसका पति महीने में एक दिन अपने दोस्तों के साथ गायब हो जाता है.


आर्यन, को हमेशा गिल्ट होता था कि वो अपनी पत्नी को अकेले छोड़ अपने दोस्तों के साथ वक़्त गुज़ार रहा है. त्रिवेणी ही उसे समझती थी कि ये भी ज़रूरी है उनके रिश्ते को सही ढंग से चलाने के लिए, दोनो को एक दूसरे को थोड़ा स्पेस देना ही पड़ेगा.अगर एक रात दोस्तों के साथ गुजारने से खुशी मिलती है तो इसमे बुरा क्या है. आर्यन को फिर भी ग्लानि महसूस होती थी. 

राजेश सोचता था शायद उसे त्रिवेणी जैसे ही बीवी चाहिए जो उसपे थोड़ा कंट्रोल रखे. जहाँ तक वो समझता था उसकी नेज़ल आज़ादी और भरोसे के लायक नही है. शादी के बाद क्या सोचेगा, पता नही.


आर्यन को हमेशा ताजुब होता था त्रिवेणी इतनी मेच्यूर कैसे है और आँख मूंद के उसपे भरोसा करती है. ये भरोसा ही उसके अंदर ग्लानि की भावनाएँ भर देता है.

समीर जो बना रहा था उसका सत्यानाश हो गया, मूरती ने जो सुबह उसकी क्लास लगाई थी, वो उसके दिमाग़ में घूमती रही और किचन में वो क्या कर रहा था ये भूलते हुए कुछ का कुछ कर गया.

‘शिट कुछ भी ठीक नही हो रहा’ शिकायत करता हुआ वो लिविंग रूम में आ गया जहाँ आर्यन और राजेश टीवी के चॅनेल बदल बदल कर देख रहे थे. 

हर चॅनेल पे सीएम का इंटरव्यू आ रहा था डॅन्स बार्स बंद करने के लिए. और इस तरहा बोल रहा था जैसे आंतक के खिलाफ जंग लड़ रहा हो.

महॉल को हल्का करने के लिए राजेश बोल पड़ा’ इसकी शक्ल तो देखो ऐसा लग रहा है किसी बार डॅन्सर ने इसकी ले ली’ समीर का मूड बहुत खराब था उसने हाइवे पे लोंग ड्राइव के लिए मना कर दिया. शायद वो कुछ और ही चाहता था, जो बाकी दोनो नही जानते थे. 

वो सीधा एक डॅन्स बार के सामने गाड़ी रोकता है, मुंबई का सबसे फेमस डॅन्स बार ‘महफ़िल’ , राजेश और आर्यन दोनो ही हैरान हो गये, ये तो उन्हे बिल्कुल भी उम्मीद नही थी, कि समीर यहाँ लेके आएगा.

‘अरे बॅन अगले हफ्ते से शुरू होगा, आज तो मज़े कर लो जितना दिल चाहे’

आर्यन ने मना किया पर दिल में कहीं उसे भी इच्छा थी, एक बार तो अंदर घुस के देखे, इसलिए वो चुप हो गया. राजेश तो खिल उठा आनेवाले मज़े के बारे में सोच कर. उसने डॅन्स बार्स के बारे में बहुत सुना था और एक मूवी में भी देखा था जब वो देल्ही में था, वो देखना चाहता था असलियत में डॅन्स बार्स कैसे होते हैं.वो सोच रहा था कि यहाँ शायद वैसा बुरा नही होगा जैसा उसने मूवी में देखा था. डर था तो बस पोलीस का जो अचानक राइड करती है.

‘ओये फिकर नोट ये जगह शहेर से बाहर है और सेफ है इसीलिए तो यहाँ लाया हूँ, पोलिसेवाले यहाँ नही आते, और लड़कियाँ भी कमाल की हैं कोई नखरा नही करती जैसे सिटी के अंदर जो बार्स हैं वहाँ की किया करती हैं.’

एक लीडर की तरहा वो दोनो को अंदर ले गया, जितनी जानकारी समीर को थी, उसके हिसाब से तो वो यहाँ बार बार आता था. 

जब तीनो अंदर घुस्से तो वॉटर्स ने हॅंडशेक किया मुस्कुराते हुए, राजेश को लगा जैसे प्रोटोकॉल फॉलो कर रहे हैं उसी तरहा जिस तरहा दो अंबासडॉस मिलते हैं.

फरक ये था कि वेटर्स ने जल्दी हाथ नही छोड़ा और संमीर ने एक 100 का नोट निकाल उसे थमा दिया, अब जो लड़की समीर चाहेगा उसके पास ही भेजी जाएगी, चाहे पहले किसी और ने डिमॅंड कर रखी हो. शायद दूसरा वेटर जिसने राजेश से हाथ मिलाया था यही अपेक्षा कर रहा था राजेश ने झट से अपना हाथ खींच लिया.

तीनो जल्दी ही एक सोफा पे बैठ गये, डॅन्स फ्लोर के चारों तरफ सोफे लगे हुए थे. कम से कम दर्जन लड़कियाँ कामुकता भरा डॅन्स कर रही थी और पीछे से चुने हुए गाने बज रहे थे. एक गाना शायद इन्हें बहुत पसंद था दम मूवी का – बाबूजी ज़रा धीरे चलना-. लेकिन ये डॅनसस तो यना गुप्ता के किल्लिंग चार्म्स का कहीं भी मुकाबला नही कर पा रही थीं आ लुक्स में और ना ही थिरकन में, लेकिन कॉमपेनसेट ज़रूर कर रही थी ये इशारे कर के कि वो अवेलबल हैं.

राजेश समझ गया कि इन लड़कियों से कॉंटॅक्ट करना आसान है.बस किसी को ये जताना था कि वो उनके साथ काफ़ी वक़्त गुजारेगा.इसके बाद जो लड़की चुन्नी वो आ जाएगी.

जब वो आजाएगी तो एक कोज़ी पोज़ में साथ बैठेगी और रात के लिए गरम करना शुरू करेगी , अगर तुम उसके साथ रात बिताना चाहोगे, या फिर उनके बूब्स दबाओ, उंगली करो, कुछ मज़े ले कर उन्हें जाने दो.

राजेश यही सब हर सोफे पे देख रहा था.सारी लड़कियाँ खुश नही नज़र आ रही थी, उनमे से एक तो काफ़ी परेशान लग रही थी, उसका क्लाइंट उसे स्मूच कर रहा था और हर स्मूच के लिए 10 रूपरे पकड़ा रहा था.जब राजेश ने ध्यान से उस लड़की किी तरफ देखा तो कुछ पलों के लिए उसे शरम आई , ये रेप नही तो पैड मोलेस्टेशन तो ज़रूर है.
 
अपने ख्यालों में राजेश ये नही देख पाया कि उनमें से एक लड़की तिरछी नज़रों से उसे ही देख रही है- एक नेपाली लड़की. वो थोड़ी स्टेप्स ही दूर थी, जिस्म आधा मोड़ रखा था उसकी तरफ, और उसे इस तरहा देख रही थी, जिससे शायद इनकी दुनिया में – तिर्छी नज़र- कहते हैं. उस लड़की में खूबसूरती का कोई नामो निशान ना था – एक चालू रंडी लग रही थी. लेकिन जिस्म सही कटाव से भरपूर था, कपड़े ऐसे थे जो सब दिखा रहे थे, जाहिर है ऐसे कपड़ों में उसका जिस्म आकर्षित करेगा. उसके बूब्स ब्लाउस से बाहर टपक रहे थे जैसे मल्लिका शेरावत के हो रहे थे कॅन्स में. ये तो नही लग रहा था की उस लड़नी ने ट्रॅन्सप्लॅंट करवाया होगा.

राजेश सोच रहा था कि समीर का आइ कॉंटॅक्ट ज्ञान कहीं यहीं इन बार्स में आ कर ही तो नही डेवेलप हुआ..उसको सोचों से समीर ने ही बाहर निकाला.’ चलो शुरू हो गया है, बस लड़की को इंच बाइ इंच मॅच करो, उसे ऐसे ही बेशरम लुक दो जैसे वो दे रही है’

अगर समीर का मतलब सच मुच में ऐसा ही करने का था तो राजेश, अपनी ज़ुबान निकाल कर धीरे धीरे अपने होंठों पे फरेगा और नशीली नज़रों से लड़की की तरफ देखेगा. राजेश ने सिर्फ़ ओगल करना पसंद किया. कुछ देर तक दोनो बेकार में ओग्लिंग करते रहे, फिर उस लड़की ने समझा कि राजेश बच्चा है या फिर वो ज़्यादा पैसा नही खर्च करना चाहता, उसने अपना ध्यान राजेश से हटा कर उसपे कर दिया जो ज़यादा विल्लिंग क्लाइंट नज़र आ रहे था.

जबकि समीर ने अपनी आँखें एक लंबी खूबसूरत लड़की पे टिका ली और थोड़ी ओग्लिंग के बाद सीधे इशारों पे उतर आया. उसने बड़े स्टाइल से उस लड़की को पटाया जिसका नाम रेशमा था और Xअविएर्स में इंग्लीश होनोस कर रही थी. Xअविएर्स का नाम सुन कर समीर बोखला सा गया पर अब तो उसका सारा ध्यान सिर्फ़ उस लड़के के साथ सेक्स करने के लिए था. उस लड़की ने अपना चार्ज 10,000 बताया एक घंटे के लिए पर समीर ने उसे 2500 में मना लिया , पर उसमे वो लड़की ओरल नही करेगी.जल्दी ही समीर उस लड़की को उन कमरों की तरफ ले गया जो फर्स्ट फ्लोर पे थे और उन कमरों का मक़सद ही कस्टमर्स को सेक्स करने की सुविधा प्रदान करना था- जाहिर है कमरे का रेंट अलग होगा.

समीर की एक्सपर्ट गाइडेन्स के बिना राजेश और आर्यन खुद को अनाथ समझने लगे. सभी कस्टमर्स की हूटिंग आंड रिमार्क्स के शोर ने उनको अपनी सोचो में रहने ही नही दिया. और दोनो ने फ़ैसला किया कि अच्छी लड़कियों को अपने पास बुलाएँगे और देखते हैं क्या होता है इस से पहले की सारी बुक हो जाएँ.

आर्यन एक शॉर्ट और क्यूट लड़की बिजली के साथ बैठ गया, वो ज़यादा बिंगाली बोल रही थी, आर्यन ने निष्कर्ष निकाला के बांग्लादेश की ग़ैरक़ानूनी माइग्रेंट है. उसकी जिग्यासा को जगाने के लिए इतना काफ़ी था, और उसकी आदत थी खुद को ज़यादा महत्व देने की, उसने तो बाक़ायदा उस लड़की का इंटरव्यू शुरू कर दिया. उसके सवाल इस प्रकार के थे :
तुम्हारी उम्र क्या है ? कब से तुम ये काम कर रही हो? क्या तुम अपनी फॅमिली के साथ रहती हो? कितना कमा लेती हो? उस लड़की को समय की बर्बादी से नफ़रत होने लगी. आर्यन को ये समझ में आ गया तो बाकी लोग जो छेड़ छाड़ के लिए नोट निकाल रहे थे, आर्यन ने अपने सवालों के जवाब जानने के लिए नोट निकाल ने शुरू कर दिए.उसकी पर्सनल जिंदगी को इतना कुरेद कुरेद के सवाल पूछ रहा था जैसे सीबीआइ का केस तयार कर रहा हो. हर सवाल जो वो जवाब दे रही थी उसके चेहरे के भाव धीरे धीरे सख़्त होते गये.

वहीं थोड़ी दूर राजेश ने एक सुंदर सेक्सी घाघरा चोली पहने हुए एक लड़की को पास बुलाया – शनाज़.

वो जानता था कि कोई भी लड़की अपना असली नाम नही बताएगी. शनाज़ बड़ी अग्रेटस उसकी अगली हरकत का इंतेज़ार कर रही थी.राजेश बहुत ही अजीब सिचुयेशन में था. एक तरफ सिमरन का ख़याल उसमे ग्लानि भर रहा था वो उस जगह से ही बाहर निकल जाना चाहता था. दूसरी तरफ वो जगह ही उसे ललचा रही थी. अपने पहले एक्सपीरियेन्स के हिसाब से इस बात में कोई ग़लती नही थी कि ये डॅन्स बार्स असल में सेक्स बार्स हैं. ठीक है, उसने मान लिया, वो शायद पूरी चुदाई के लिए नही जाएगा, पर और भी ऑप्षन्स मोजूद हैं जैसे उसके बूब्स दबाना, कपड़ों के साथ ही उसे उंगली करना, उसकी पीठ पे हाथ फेरना. पर क्या वो वाकयी में ये सब करना चाहता था? उसे नही लगता था, पर अब तक दारू सर चढ़ के बोल रही थी. और अपने एक्सपीरियेन्स के हिसाब से वो जानता था कि वापसी में समीर कितना बाद चढ़ के बोलेगा कि उसने क्या क्या किया, तब क्या राजेश सिर्फ़ चुप चाप सुनता ही रहेगा. उस लड़की के उकसाने पर हर हरकत के 100 रुपये के हिसाब से राजेश ने वहीं बैठे सब कुछ किया जो वो कर सकता था. वो लड़की राजेश के चार्म्स से बहुत प्रभावित थी और आगे बढ़ने का हिंट देने के लिए उसने राजेश के होंठों पे किस जड़ दिया. राजेश को ये अच्छा नही लगा, वो तो शायद उल्टी ही कर देता.
हैरानी की बात है, राजेश की शरारते जब ख़तम हुई तो उसके पास एक ही साधन रह गया था मनोरण का गिटार सुनना और उसे इसमे ज़यादा मज़ा आ रहा था.

करीब पोने तीन बजे तीनो उस बार से निकल पड़े. समीर तो मस्ती में अपना किस्सा सुना रहा था. आर्यन अपने ख़यालों में खो गया और राजेश गुस्से में चुपचाप भूनबुना रहा था. 

‘क्या मज़ा आया यार, माइंडब्लोयिंग, वो वाकई में बहुत बढ़िया थी. शायद ये लोग हमारी बीवियों को कम से कम आधा ही ट्रेन कर्दे नये अंदाज़ों के बारे में.’ समीर राजेश की हालत शायद समझ गया.

‘क्या हुआ हीरो? अब ये मत कहना तू खाली हाथ आया है , कुछ नही किया, जिस तरहा तू अपने स्पॉन्सर्स के यहाँ से खाली हाथ आता है.’

‘जस्ट शट अप, अपने बकवास बंद करो, मैं चाहता हूँ तुम अपना ये एक्सपीरियेन्स अपनी बीवी के साथ शेयर करो’

राजेश का इस तरहा यूँ चिल्लाना किसी ने भी सोचा नही था. सब एक दम चुप हो गये. सुई भी गिरती तो आवाज़ सुनाई देती.

आर्यन जानता था ये सब कुछ अचानक नही हुआ, एक बारूद काफ़ी दिनो से फटने को पड़ा था और आज फट गया. राजेश को समीर की ये हरकतें बिल्कुल अच्छी नही लगती थी – अपनी बीवी को धोका देना. 

राजेश जब तक अपने घर पहुँचा उसे खुद से नफतत हो रही थी. उस लड़की के किस ने एक आलर्जी सी भर दी थी , घिन आ रही थी अपने जिस्म से . जब तक अच्छी तरहा से घिस्स के नहा नही लिया तब तक उसे चैन नही आया. अगले दिन 11 बजे तक वो सोता रहा. चाइ पी के वो न्यूज़ चॅनेल्स बदल बदल के देखने लगा जब उसे झटका लगा. कल रात पोलीस ने रेड कर के कम से कम 1000 लोगो को गिरफ्तार किया था. सबसे ज़यादा लोग महफ़िल से पकड़े थे. और ये सारी रेड 3 बजे हुई थी. सिर्फ़ 15 मिनट से बचे
 
12 जून बारिश के भगवान ने आख़िर अपनी कृपा दिखा ही दी. कल रात से लगातार बारिश हो रही थी, कभी मुसलदार तो कभी रिंजीम. चारों तरफ एक ख़ुसी का महॉल था पर अंदर बसी निराशा को ख्तम ना कर पा रही थी. फ्राइडे का दिन वैसे तो थॅंक गॉड इट्स फ्राइडे की भावना को जगाता था, आनेवाले वीकेंड की खबर ले कर , लेकिन आज ये ब्लॅक फ्राइडे लग रहा था, सारे ही स्टाफ को, सबके चेहरे उतरे हुए थे.

आज आखरी दिन था राजेश के लिए अपना टारगेट पूरा करने के लिए. और अब तक मुस्किल से 20% ही पूरा हुआ था. बड़ा सा टला लगता हुआ दिख रहा था, शायद कोई मिराकल ही अब कंपनी को बचा पाए.

कुछ लोग तो आगे के बारे में सोचने लग गये, उन्हे गोलडेन हॅंडशेक के बारे में बताया गया था – कुछ महीनो की तन्खा के साथ छुट्टी. 

लोगो ने नौकरीडॉटकॉम में नौकरी ढूंडना भी शुरू कर दिया था, अपनी वेबसाइट पे काम करने की जगह सभी नौकरीडॉटकॉम देख रहे थे.

राजेश के लिए आज टेस्ट था – तेज़ाब वाला टेस्ट.

उसने एक प्रेज़ेंटेशन देनी थी – एक बहुत ही खास क्लाइंट – शगुन को. शगुन – इंडिया का सबसे पहला और सबसे अद्वितिय वेड्डिंग माल, जहाँ एक छत के नीचे सब कुछ मोजूद था. वेड्डिंग ड्रेसस, गिफ्ट्स, और पता नही क्या क्या. पिछले कुछ सालों में मिली सक्सेस की वजह से एक चैन खोल दी गई थी इंडिया के बड़े बड़े सहरों में. जीने का एक नया लाइफ स्टाइल. 

शगुन की प्रॉडक्ट लाइन ध्यान से देखो तो अपार्ट ही जिसमे शामिल थे – शेरवानी, कमरबंध,साफा,जूती,कंठा, और भी बहुत कुछ आदमियों के लिए और डेसिनेर घाघरा चोली, सॅंडल्ज़, नये नये पर्स, एमब्राय्डरी वाली साड़ी और भी बहुत कुछ था लड़कियों और औरतों के लिए. डाज और वरी का पूरा समान. सब एक ही ब्रांड के अंदर मार्केट किया जाता था – शगुन. 

इनकी लेटेस्ट अडिशन थी – डिज़ाइनर फर्निचर. और सुना था कि हनिमून कपल्स के लिए बीचवीर भी इनकी प्रॉडक्ट लाइन में जुड़नेवाला था. 

इतनी बड़ी प्रॉडक्ट लाइन की साले के लिए अड्वर्टाइज़िंग की इन्हे बहुत आवश्यकता थी. और इनकी टारगेट मार्केट, राजेश की वेबसाइट के कस्टमर्स के लग भाग करीब थी अगर एक ना हो तो.

पता नही क्यूँ राजेश की कंपनी ने अभी तक इस ब्रांड को टॅप नही किया था. राजेश से पहले जो था – विराट – उसकी रिपोर्ट के हिसाब से इनकी मॅनेजर – मिनी को कन्विन्स करना नामुमकिन था . मिनी को एक ईगोयिस्टिक और आधी इन्फर्मेशन रखने वाली अपने ही पुराने मार्केटिंग के दाव पेच से जुड़ी रहनेवाली बताया था – इंटरनेट मार्केटिंग में उसे कोई इंटेरेस्ट नही था. बहुत कोशिश करने के बाद राजेश को उसके साथ अपायंटमेंट मिली थी.

अचानक हुई बारिश से जो ताज़गी फैली थी, वो राजेश को इशारा कर रही थी, कुछ अच्छा होनेवाला है. पर राजेश इस बात पे ध्यान नही रखता. पॉज़िटिव सोचना तो उसके लिए एलीयन हो गया था.

सिर्फ़ 2 घंटे रहते थे राजेश की मीटिंग के लिए, ऑफीस का महॉल तनावपूर्ण था. कुछ औरते शिकायत कर रही थी, इस बारिस की वजह से पॉटहोल्स भर जाएँगे आना जाना कितना मुश्किल हो जाएगा.

राजेश सोच रहा था काश कंपनी की हालत खराब ना होती तो आज दिल खोल कर बारिश का मज़ा लेता.

कुछ दूर, समीर लड़कियों को घूर रहा था, और लड़कियाँ जान कर भी चुप थी.वुड बे ब्राइड्स जो थी, और अपना प्रोफाइल वेबसाइट पे अच्छा रखवाना चाहती थी.

साड़ी में सजी सँवरी एक लड़की को कम से कम एक मिनट. तक घूर्ने के बाद समीर बोला ‘ ये लड़की तो बिस्तर में आग लगा देगी’.आर्यन जो पास में ही डेली फोर्कास्ट देख रहा था मिड डे में सोचने पे मजबूर हो गया- ये समीर इतनी गॅरेंटी के साथ कैसे बोल देता है. आर्यन चुप रहा कुछ कहता तो समीर का लंबा भाषण शुरू हो जाता.

समीर ने राजेश की तरफ देखा जो बहुत ही चिंतित लग रहा था. उसे थोड़ा रिलॅक्स करने के लिए बोल पड़ा ‘अगर ये वेबसाइट बंद होनी है तो होने दे. बहुत सी जगह हैं जहाँ हमे अच्छी नौकरी और देखने के लिए अच्छी लड़कियाँ मिल जाएँगी – इधर आ इन खूबसूरत लड़कियों को देख शायद तुझे सिमरन से कोई अच्छी मिल जाए’

राजेश को कभी कभी समीर पे ताज्जुब होता था – किस तरहा वो ये सब कर जाता है. शायद कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनका कोई जवाब नही होता – इन्हे छोड़ देना चाहिए’

राजेश को अजीब से बेचैनी हो रही थी ऑफीस में, उसने सीधा मीटिंग के लिए निकलना बेहतर समझा.

12.30 बज चुके थे, वॉरली जाने में आम तौर् पे एक घंटा लगता है , इस बेरिश की वजह से कम से कम आधा और लगेगा. उसने अपनी बाइक पे जाने की बजाय समीर से उसकी सैंट्रो माँगी जो समीर ने हँसते हुए दे दी.
गाड़ी चलाते वक़्त राजेश मीटिंग के बारे में और मिनी के बारे में ही सोच रहा था. किस टाइप की औरत है वो? नाम तो इतना सॉफ्ट है. कैसी होगी सुंदर ये भुतनी दिखेगी?

क्या उम्र होगी उसकी? क्या वो आराम से उसकी बात सुनेगी या टरका देगी?
बहुत से सवाल उसके दिमाग़ में घूम रहे थे, इसलिए गाड़ी भी आहिस्ता चला रहा था.

राजेश जानता था मीटिंग इतनी आसान नही होगी ख़ासकर एक तुच्छ औरत के साथ जिसकी ईगो बहुत ज़यादा है.

राजेश को अपनी एक पुरानी मीटिंग याद आ गई एक औरत के साथ, ढंग से इंग्लीश आती भी नही थी उसे. बस बहस करे जा रही थी – न्यूसपेपर से बढ़िया वेबसाइट अड्वर्टाइज़िंग कैसे? कितना लॉजिकली उसे समझाया पर धाक के तीन पात. कुछ सुनने को तयार ना थी और राजेश को उसपे बहुत गुस्सा चढ़ गया था.

राजेश इस बात को मानता था कि हर औरत में एक नज़ाकत और शोभा होती है. इनके बिना औरत औरत नही लगती. जिस औरत में नज़ाकत नही होती उसे देख अपनेआप ही राजेश के मन में गृहण के भाव आ जाते. वो सोचता था ऐसी औरत का पति क्या करता होगा, अगर उसकी बीवी ऐसी निकली तो उसे प्यार के लिए घर के बाहर झाँकना ही पड़ेगा.

अपने ख़यालों में घूमता हुआ राजेश उस वक़्त खोया हुआ लग रहा था. और उसका निन्दनिय व्यवहार अभी ख़तम नही हुआ था ‘ देखो सर, मुझे नही लगता कि आप पूरी तायारी के साथ आए हो, और आपका का ध्यान भी मीटिंग में नही है. तो अगली बार पूरी तायारी के साथ आना’ उसने संवेदनशून्यता के साथ टिप्पणी करी. जैसे ही वो गयी राजेश उसे चुन चुन के गलियाँ देने लगा, जो वो कभी नही करता था, जब तक की ऐसे लोगो से भिड़ना ना पड़े.

रुग्ण रूप से निराशावेद उसके दिमाग़ को ग्रस्त करने लगा जब उसने वो अनुभव याद किया. और विराट ने जो मिनी के बारे में बताया था – वो भी कुछ अलग नही होगी.

गड़गड़ाहट की एक तेज़ आवाज़ उसे यथार्थ में वापस ले आई, ऐसा लगा जैसे बदल फट गया हो, एक दम इतनी तेज़ बारिश होने लगी कि गाड़ी चलना नामुमकिन हो गया. शायद 20 मिनट का रास्ता और रह गया था. कुछ दिख नही रहा था और ऐसे में वो कोई रिस्क ना ले कर सड़क के किनारे गाड़ी रोक कर बैठा रहा.

तेज़ बारिश ने उसे आधे घंटे वहीं रोक के रक्खा. जब तक वो ट्रॅफिक के सॉफ होने की वेट कर रहा था कुछ बच्चे उसे इतनी बेरिश में फूटबाल खेलते हुए नज़र आए.

तेज़ होती हुई बारिश उन्हे शायद खेलने के लिए उर्जा दे रही थी.उनमे से एक जो सबसे छोटा था उसने दो गोल लगातार किए. जिस जोश के साथ वो खेल रहे थे उस ने राजेश को भी निराशावादी से बाहर निकाल लिया.

राजेश शगुन के ऑफीस आधे घंटे लेट पहुँचा. माल ग्राउंड फ्लोर पे था और ऑफीस फर्स्ट फ्लोर पे और पूरा फ्लोर ही इनका ऑफीस था. कोई छोटा मोटा नही.

राजेश फटाफट रिसेप्षनिस्ट के पास पहुँचा जो फोन पे बिज़ी थी, पर पीयान को इशारा कर के राजेश को कान्फरेन्स हॉल में भेज दिया. 

जो संवेदनहीन व्यवहार रेसेपटिनिस्ट का था वो राजेश के दिमाग़ में बैठी हुई शगुन और मिनी की धारणा की और पुष्टि करता गया. शायद इनका काम करने का तरीका ही हँसमुख था. 

कान्फरेन्स हॉल में बैठा राजेश इंतेज़ार कर रहा था मिनी के आने का और एक अजीब सी धँसती हुई भावना का बोध होने लगा. अपने 5 साल के करियर में उसने ऐसा कभी महसूस नही किया था. खुद को संभालने के लिए वो दीवारों पे लगे पोस्टर्स पे ध्यान देने लगा. बिल्कुल किंग फिशर के कॅलंडर की तरहा लग रहे थे जो मॉडेल्स को ज़रूरत से ज़यादा वस्त्रहीन दिखाता था. शायद ये नये बीचवीयर के पोस्टर्स थे जो नया ब्रांड शगुन लॉंच करने वाला था. और जो अफ्वाएँ फैली हुई थी उनकी पुष्टि हो रही थी.

अपने ख़यालों में शगुन के सारे स्टाफ को बीचबीयर में देखने लगा जैसे इन पोस्टर्स में मॉडेल्स को. उसने सर झटकते हुए अपना ध्यान फिर मिनी पे लगा दिया, कैसा व्यक्तित्व होगा उसका , क्या बिकिनी पहन के आएगी.!!!

उसने अपने दिमाग़ में उमड़ते हुए इन वाहियात खलों का कारण कंपनी को ही दिया, खराब कंपनी है तभी ऐसे ख़याल दिमाग़ में आ रहे हैं.

तभी दरवाजा खुलता है और एक 30 साल की औरत बहुत ही खूबसूरत अंदर आती है.
“हाई, आइ’एम मिनी, मिनी पडगाओंकार”

राजेश मंत्रमुग्ध हो कर उसे देखता ही रहा, ऐसा लग रहा था जैसे पहले कभी मिला हो. कब और कहाँ मिला होगा?

मिनी ने तो उसकी सारी अपेक्षाओं की धज़ियाँ उड़ा दी थी. ऑफ वाइट सलवार कुर्ते में वो सोम्य और सुंदर दिख रही थी.

उसकी आँखें भूरे रंग की थी और लग रहा था कि उसने कॉंटॅक्ट लेंस लगा रखे हैं.लम्बे रेशमी बाल. उसकी मधुर वाणी कानो में मिशरी सा रस घोल रही थी.

‘माफ़ कीजिए गा , मुझे देर हो गयी’ राजेश ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा, वो इतना मंत्रमुग्ध हो गया था कि बात शुरू करने में देर लगा दी.

‘कोई बात नही. आप को मुश्किल हुई होगी इतनी बारिश में अंधेरी से यहाँ तक आने में. अगर आप चाहते तो ये मीटिंग हम कल के लिए भी पोस्टपोन कर सकते थे’ 

मिनी ने जो मानवता दिखाई वो राजेश ने कभी उसके द्वारा अपेक्षित नही किया था.
राजेश उसके मधुर व्यवहार से बहुत अचांबित हुआ. उसने जब अंधेरी का ज़िकरा किया और साथ में जो लंबा रास्ता राजेश ने बारिश में तय किया, वो बता रहा था कि मिनी एक केरिंग औरत है – राजेश ने सोचा. उसने एक बार ही तो फोन पे बताया था कि उसका ऑफीस कहाँ है जब उसने अपायंटमेंट ली थी.

एक दूसरे का अभिवादन करने के बाद , इस से पहले वो अपनी मीटिंग शुरू करते, राजेश यही सोच रहा था कि मिनी इतनी जानी पहचानी क्यूँ लग रही है? क्यूँ उसे ऐसा लग रहा था कि वो मिनी से पहले भी मिल चुका है? क्या ये पिछले जनम का कोई चक्कर है? शायद नही.

मिनी ने वक़्त ना बर्बाद करते हुए – ‘हां तो मिस्टर. राजेश बताइए आपका क्या प्रपोज़ल है’

राजेश अपनी प्रेज़ेंटेशन शुरू करने ही जा रहा था कि उसे ये समझ में आया कि क्यूँ मिनी उसे जानी पहचानी लग रही थी. वो बिल्कुल सॉनॅक्षी की तरहा है – वोही आत्मीयता,वोही भोलापन,वोही नज़ाकत,वोही देखभाल करना. उसे ऐसे लग रहा था कि सॉनॅक्षी से सालों बाद मिल रहा है.

राजेश ने अपनी बार बार अच्छी तरहा सोची समझी प्रेज़ेंटेशन मिनी को दी, किस तरहा उसकी वेबसाइट शगुन के टारगेट कस्टमर्स को पहुँचती है,और क्या उसकी वेबसाइट की पहुँच है. जब उसने ख़तम किया तो उसे महसूस हुआ कि उसे एक बार भी बीच में टोका नही गया, जबकि बीच बीच में उसका ध्यान हट रहा था.
एक बार वो कुछ बोल कर फिर, उसे ठीक कर के बोला, अपनी ही बात को नकारते हुए. जिसपे मिनी ने कोई ध्यान नही दिया.
 
राजेश अपनी प्रेज़ेंटेशन के बाद बहुत खुश था और दो ही घूँट में कॉफी ख़तम कर गया. वो जानता था कि उससे बीच में गड़बड़ क्यूँ हुई. अब वो मिनी क्या कहती है उसका इंतेज़ार कर रहा था.

‘एक और कप कॉफी चलेगी?’ मिनी का व्यवहार एक दम प्रोटेक्टिव था. आउज़ इस वजह से उसके दिमाग़ में कुछ गड़बड़ होने का डर बैठ गया. वो बहुत अच्छी तरहा से व्यवहार कर रही थी जो किसी भी अन्य ब्रांड मॅनेजर से मेल नही ख़ाता था- जिनसे भी वो आज तक मिला.

कुछ पलों के लिए उसे शक़ हुआ कि ये अच्छापन वाकई में है या फिर एक दिखावा. ऐसे लोगो से वो शायद ही आज तक मिला हो. उसके बारे में कोई सही राय बनाना बहुत मुश्किल था.

मिनी ने ये सारे डर उसके दिमाग़ से निकाल दिए जब उसने कितने ही कॉन्फिडेन्स के साथ बोलना शुरू किया- जो बताता था कि उसकी जानकारी कितनी गहरी है.

‘ मेरा एक सवाल है- हमारी अपनी रिसर्च के हिसाब से 5 में 4 जो हमारे माल में आते हैं वो ए+ या ए इनकम ग्रूप के हैं. और इन लोगो मैं शादियाँ , जान पहचान,और अपने सर्कल में ही ज़यादा होती है. जायदातर इनकी शादियाँ भी बिज़्नेस डील होती हैं. तो मुझे नही लगता की आपकी वेबसाइट का ऐसे लोगों पे कुछ असर होगा.’

राजेश ने कुछ पल सोच कर आग्रह किया.

‘मैं मानता हूँ कि जिस क्लास के लोगों के बारे में आप कह रही हैं वो शायद हमारी वेबसाइट पे नही जाएँगे. पर हमारी वेबसाइट आपका कस्टमर बेस बढ़ा सकती है. आप को शायद अपनी प्रॉडक्ट लाइन थोड़ी बदलनी होगी या फिर कुछ नये प्रॉडक्ट्स जो कुछ सस्ते हों. मेरे ख़याल से आप भी सहमत होंगी कि इस मार्केट को छोड़ना नही चाहिए.’ शायद मिनी का असर उसपे दिखने लगा था वो बड़े ही कॉन्फिडेन्स के साथ बोला था.

मिनी की जानकारी कमाल की थी उसे अपने कॉंपिटेशन की एड फिगर्स, और राजेश की वेबसाइट के कॉंपिटेशन के बारे में पूरी जानकारी थी. एक एक फिगर उसे रॅटा हुआ था.

राजेश समझ चुका था कि वो उसे बेवकूफ़ नही बना सकता – जैसे कि मार्केटिंग के गुरु कहते हैं गंजे को कंघी बेचना. ऐसा नही था कि राजेश को अपने क्लाइंट को बेवकूफ़ बना पसंद था पर थोड़ी बहुत मनिप्युलेशन तो चलती ही है – गोबर को सोने के दमो पे बेचने के लिए. 

वो जानता था कि मिनी के साथ वो ऐसा नही कर पाएगा. और वो ऐसा करना भी नही चाहता था. मिनी बहुत अच्छी है, जिससे बरगलाने की कोशिश की जाए.

‘मेडम, मैं ज़रूर कहना चाहूँगा कि आपकी पास जानकारी का पूरा ख़ज़ाना है’

‘ओह, शुक्रिया. लेकिन, विश्वास करो, रिसर्च एक बहुत ही अहम रोल प्ले करती है हमारे काम में, कम से कम मैं आज के नये खून की तरहा अपने इन्स्टिंक्ट पे काम नही करना चाहूँगी, मुझे कोई भी फ़ैसला करने के लिए पूरी जानकारी चाहिए होती है’

राजेश सोच रहा था कि अगर कोई और औरत होती तो वो उसे उपदेशक समझ ता, पर मिनी के साथ उसे ऐसा नही लग रहा था. वो चाहता था कि मिनी बोलती रहे.

उनकी बातें चलती रही , चलती रही,राजेश बीच बीच में कुछ अच्छे तर्क डाल देता और मिनी जवाब देती रहती और राजेश उसकी मिठास को महसूस करता रहता. उसके बोल राजेश के कानो में संगीत की तरहा बज रहे थे. मिनी के आस पास एक ताज़गी भरा वातावरण था. 

मिनी एक पूरी प्रोफेशनल की तरहा तर्क वितर्क कर रही थी पर फिर भी उसके पास एक सादगी थी जो कभी कभी वास्तविक नही लगती थी. राजेश का सारा ध्यान उसकी आँखों और उसके लबों पे था.

राजेश सोच रहा था कि सॉनॅक्षी भी क्या मिनी की तरहा आज भी लगेगी, अगर उसे मिले का मोका मिल जाए. दोनो के व्यक्तित्व के बीच में कितनी समानताएँ हैं.
सात साल एक लंबा अरसा होता है, बहुत कुछ बदल जाता है, अनुभव बदलते हैं, हालत बदलते हैं, और कभी कभी तो लोग खुद ही बदल जाते हैं. शायद सॉनॅक्षी के पास एक ही चीज़ नही थी, वो प्रोफेशनल नही थी, घरेलू ज़यादा थी, घर का इतना अंकुश जो था उसपे. शायद ये सात साल अगर सॉनॅक्षी ने राजेश के साथ गुज़ारे होते तो वो भी आज मिनी की तरहा बातें किया करती जैसे मिनी आज कर रही है.

दो घंटे के तर्कवितर्क के बाद समय आ गया था जब मिनी को अपना फ़ैसला सुनाना था.

राजेश को जो पॉज़िटिव वाइब्स मिल रही थी, उसके हिसाब से वो आज खाली हाथ वापस नही जाएगा.

हां रकम कुछ लाख ही होगी, क्योंकि वो अपने अनुभव से ये बात जानता था कि नये क्लाइंट्स पहले ब्रांड असोसियेशन को परखते हैं फिर दिल खोल के रकम लगाते हैं.

कुछ भी हो, वो काफ़ी उत्तेजित हो रहा था,वो हमेशा सोचता था कि कुछ ना कुछ तो होगा जो हारने पर भी उसे मुँह की नही खानी पड़ेगी..चाहे आज कंपनी बंद हो जाए, पर उसे एक तस्सली ज़रूर रहेगी एक नया क्लाइंट बना लिया.

मिनी आख़िर बोल पड़ी जो वो सुनना चाहता था.

‘ह्म्म व्यवसाय हमेशा जोखिम से भरा होता है, और शायद मैं भी आज एक जोखिम उठाउंगी. बाकी ब्रॅंड्स की तरहा नही जो खुद को हर जगह मोजूद रखना चाहते हैं. 

मैं लंबे समय के लिए युक्तीपूर्वक निवेश करना चाहूँगी. मैं आपके साथ एक साल लंबी डील करूँगी.'

राजेश को अपने कानो पे विश्वास नही हुआ. इतना बढ़िया रेस्पॉन्स उसे मिलेगा. उसका आश्चर्या उस पे हावी हो गया और शब्द निकालने भारी पड़ गये.

‘त..त..थॅंक यू सो मच , मा’म’

राजेश झीजक रहा था पूछने के लिए की कितनी रकम निवेश करी जाएगी. मिनी खुद बोली 
‘जहाँ तक रकम का सवाल है वो इस बात पे निर्भर करेगा कि आप कैसी डील हमे दोगे, मैं अभी इस पे कुछ नही कह पाउन्गि.’

और राजेश जानता था कि कम से कम 10लाख की डील तो होगी ही और अब तक किए हुए 3 लाख को मिला के 80% टारगेट पूरा होज़ायगा. उसकी खुशी का कोई ठिकाना ना था. 
‘बिल्कुल मेडम, मैं कल ही आपको प्रपोज़ल मैल कर दूँगा’
‘यस गॉट इट !!!’

80% टारगेट पूरा करना से था, 100% करने का मतलब अगली बार टारगेट कई गुना बढ़ जाएगा. अब मूरती की ज़ुबान बंद हो जाएगी.
 
कुछ देर, उसका चेहरा खाली स्लेट की तरहा रहा, दुनिया भर की भावनाए आ जा रही थी और अंत में एक मुस्कान उसके चेहरे पे आ गई. मिनी को राजेश की हालत देख के ताज्जुब हो रहा था, उसके डिसिशन का ऐसा असर राजेश पे पड़ेगा, उसने तो जो उसकी कंपनी के लिए अच्छा था वही किया, राजेश की कंपनी की वेबसाइट के बारे मे उसकी अच्छी राय थी.

राजेश के लिए तो वो एक परी की तरहा थी जिसने उसे मुसीबत से उभार लिया था अकेले ही.
राजेश ने फिर थॅंक्स किया और जाने की इजाज़त माँगी, बाहर देखा तो बरखा रानी पूरे ज़ोर से छम छमा छम बरस रही थी. अब किस मुँह से वो रुकने के लिए बोलता.

‘एक कप कॉफी और ?’ मिनी ने मुस्कुराते हुए पूछा.

‘ओह क्यूँ नही’ राजेश एक दम बोल पड़ा, पर खुद को रोका और अगले पल ‘ अगर आपके पास वक़्त हो तो मुझे बुरा नही लगेगा’

और दोनो अपने कॉफी के तीसरे कप पे बैठ गये.

अब दोनो बिज़्नेस नही, मुंबई की बारिश के बारे में बाते कर रहे थे. 
और मिनी ने कुछ सुझाव दिया राजेश की कंपनी की वेबसाइट को और भी बेहतर करने के लिए. मिनी को पता चलता है कि राजेश मुंबई में नया है और राजेश को पता चलता है कि मिनी का घर उसके ऑफीस के बहुत पास है लोखंडवाला में. थोड़ी देर बाद बारिश बंद होती है और राजेश चल देता है.

शाम देर तक कंपनी में पार्टी होती है. आज मूरती भी अपने रेयर जॉली मूड में था. समीर के साथ वो भी डॅन्स करता है ‘कजरा रे …..कजरा रे’ जो कंप्यूटर पे ज़ोर से चलाया हुआ था. दोनो ऐसे डॅन्स कर रहे थे जैसे अमिताभ और अभिषेक ने किया था. ये असर था राजेश का टारगेट के पास पहुँचने पर.

उसके बाद राजेश ने एक बहुत बड़ा केक काटा और मूरती अपनी खुशी में हर एक के थोबदे पर केक मल्ता रहा. सब कुछ हर एक के लिए एक आश्चर्य था, मूरती का इस तरहा सब के साथ घुलना मिलना डॅन्स करना. अगर पहले कभी कोई ऐसी पार्टी करने की जुर्रत करता तो मूरती गला फाड़ फाड़ कर उसे कंपनी से बाहर कर देता.

सब मस्ती में डूबे हुए थे सिर्फ़ राजेश के जो एक कोने में अकेला खड़ा था. समीर ने वहाँ जानने की कोशिश करी पर राजेश टाल गया.

जब तक पार्टी ख़तम होती 10 बज चुके थे. समीर की मस्ती अभी ख़तम नही हुई थी, वो राजेश और आर्यन को एक लोंग ड्राइव पे ले चलता है. तीनो के हाथ में हेवर्ड्स 5000 , चेहरे पे खुशी और एक कामयाबी का जशन छाया हुआ था. जिंदगी फिर गुलाब की महक से भरी हुई लग रही थी.

राजेश फिर भी खोया हुआ दिख रहा था. वो मिनी से अपनी मुलाकात के बारे में सोच रहा था. सालों के बाद उसे कोई ऐसा मिला था जो उस लड़की के आस पास था जिसे वो अपना बनाना चाहता था. ये ख़याल उसे पुराने दिनो में ले गया सॉनॅक्षी के बारे में जिसे वो भूलने की बहुत कोशिश कर रहा था.

समीर ने कार मराइन ड्राइव पे आख़िर रोक दी.

राजेश फटाफट कार से उतर गया, अपने आप में खोया हुआ सीधा समुन्द्र के किनारे चला गया. समुंद्र के उस पार उसे मलाबार हिल्स दिख रहा था. बारिश ने सारा महॉल जादुई कर दिया था, शायद अच्छे विचार उसे बेहतर महसूस होने दे रहे थे.

समीर और आर्यन को उस सीन से कोई मतलब नही था. उन्हें तो ये पता भी नही था कि वो कहाँ है.

वो तो समीर के मोबाइल में केयर्ना और शाहिद के स्मूच का एमएमएस देख के मस्त हो रहे थे.

राजेश समुंदर के किनारे बनी दीवार पे खड़ा हो गया दोनो हाथ फैला के और वातावरण की सुंदरता को अपने अंदर सोखने लगा. हल्की फुहार में उसका ये यूँ खड़ा होना कितना रोमॅंटिक लग रहा था.

समीर और आर्यन वो एमएमएस देख कर राजेश की तरफ मुड़े, ये जानने के लिए की वो अकेला इतना खुश क्यूँ है.

जो खुशी राजेश को थी वो आर्यन और समीर सपने में भी नही पा सकते थे.

‘हे मुझे मेरे सपनो की राजकुमारी मिल गई’ राजेश बड़े उल्लास से चीखा.
समीर और आर्यन ने अचंभे के साथ देखा ‘ वाउ! कौन है वो?’

‘मिनी’

दोनो को साँप सूंघ गया. ‘ तुम्हारा मतलब ब्रांड मॅनेजर शगुन की?’

समीर और आर्यन ने सोचा राजेश को चढ़ गई है, होश में नही है.वो जानते थे स्ट्रॉंग बियर उसे पचती नही.

राजेश तो अपनी ही धुन में था – ‘हां वो ही है मिनी पडगाओंकार!!’

पाँच दिन निकल चुके थे मिनी से मिले हुए दूसरी मीटिंग की तैयारी से ही दिल की धड़कने बढ़ी हुई थी.

अब बारिश मूसलाधार नही हो रही थी. हल्की हल्की फुहार की तरहसारा दिन होती रहती. फुहार इतनी हल्की थी की इसमे नहाना भी किसी को बुरा नही लगता और ड्राइविंग करने का अलग ही मज़ा था. 

सिवाए अच्छे मौसम के दो और कारण थे राजेश की उत्तेजना के पहला तो डील को क्लोज़ करना था और दूसरा था मिनी से मिलना जिसका नशे जैसा असर पड़ा था राजेश पर, और इस बार वो मीटिंग को पर्सनलआइज़्ड लेवेल पे ले जाना चाहता था.
 
मिनी छुट्टी पे थी इसलिए मीटिंग पोस्टपोन करनी पड़ी और राजेश का दिमाग़ फिर डर से घिर गया, ऐसा उसके साथ पहले भी हो चुका था जब कोई मिलना नही चाहता था तो उस छुट्टी या ट्रान्स्फर के बहाने दिए जाते थे.

आख़िर बुधवार को अचानक मिनी का फोन आ गया.

‘असल में मैं छुट्टी पे हूँ, इसलिए ऑफीस नही जा रही हूँ. पर मैं आपको रोक के नही रखना चाहती, तो सोचा कि कुछ टाइम निकाल कर इस तरफ ही आपसे मिल लेती हूँ’

‘ये तो बहुत ही बढ़िया होगा मेडम’ राजेश लगबघ उछल ही पड़ा आवेश और अचंभे के कारण जो उसे मिनी की अप्रत्याशित अच्छाई के कारण महसूस हुआ.

‘ठीक है, तो 4 बजे मोवा पे, जुहू बीच, पे मिलते हैं’

‘ओके साउंड्स पर्फेक्ट’

‘हां रिलीस ऑर्डर आपको कल ही मिल पाएगा’

‘कोई प्राब्लम नही’

राजेश ने अपनी घड़ी देखी पोने एक हो रहा था. तीन घंटे के अंदर वो मिनी से मिलने जा रहा था, उसकी बेकरारी बढ़ती जा रही थी.

उसने खिड़की से बाहर देखा फुहार की वजह से मौसम में ताज़गी आई हुई थी. 
पोने तीन बजे वो मोवा के लिए निकल पड़ा. वो टाइम से पहले ही पहुँच गया, वो भी तब जब उसने अपनी बाइक की स्पीड कम कर दी रास्ते में. मिनी अभी तक नही आई थी. 

राजेश अंदर चला गया और एक मेनू कार्ड उसके सामने रख दिया गया.
मेनू कार्ड में जो ड्रिंक्स लिखी हुई थी, राजेश ने उनका नाम कभी नही सुना था और कुछ तो उसे एलीयन लग रही थी. वो नही चाहता था कि वेटर्स ये समझे क़ी वो पहली बार आया है .

‘वन आइस्ड टी’ यही ऐसी ड्रिंक थी जो मेनू में उसे समझ में आई.
जब तक मिनी आती तो उसने सोचा क्यूँ ना अपना हुलिया ठीक कर लिया जाए इस लिए वो रेस्ट रूम में चला गया.

5’9” की हाइट के साथ वो कोई ज़यादा लंबा नही लगता था, जो ‘टॉल, डार्क,हॅंडसम’ की केटेगरी में आता हो, पर फिर भी उसकी हाइट ठीक ही थी. उसे अच्छे फीचर, गहरी आँखें,अच्छे कपड़े कई लोगो के सर उसकी तरफ घुमा देते थे. जब उसके बाल कटे होते तो वो बहुत क्यूट लगता और वो ज़यादा ही लोग उसे मूड के देखते. 

आज कल वो लंबे बाल रख रहा था. उसके व्यक्तित्व का एक और विशेष गुण था उसकी स्वरघटित इंग्लीश. उसे दोस्त यार सब हैरान होते थे, वो कभी बाहर नही गया था तो ऐसी इंग्लीश उसे कैसे आई. राजेश के लिए ये उसका ये गुण एक रामबाण की तरहा था जो उसकी ग्रॅमर की ग़लतियों को भी छुपा लेता था. जो भी वो करता पूरे विश्वास और ज़ोर शोर से करता.

जहाँ तक उसकी कंपनी की मॅट्रिमोनियल वेबसाइट का सवाल था उसके हिस्साब से वो सच में एक काबिल और सबसे योग्य बॅचलर था.

राजेश आम तौर पे अपनी रेक्टॅंग्युलर सनग्लासस पहनता था जो उसके व्यक्तित्व की शोभा बढ़ाती थी.उसका पहना भी बिल्कुल अलग था, और नये नये एक्सपेरिमेंट करता था, जहाँ उसके कॉलीग्स फॉर्मल कपड़े पहनते वो चमकीले कपड़े पहनता. आज उसने वाइट शर्ट जिसपे मरून धारियाँ थी और काला ट्राउज़र पहना था.

पोने चार हो गये थे और मिनी अभी तक नही आई थी. राजेश सोच रहा था कहीं फस ना गई हो.

राजेश सोच रहा था कौन सी कार इस्तेमाल करती होगी वो. उसका दिल कह रहा था – हुंडई आक्सेंट. ये तो वो खुद भी नही जानता था कि उसका दिल कैसे इस नतीजे पर पहुँचा. अपनी आइस्ड टी के सीप लेते हुए बार बार वो अपनी घड़ी देख रहा था. बार बार यही सोच रहा था कि इस बार ‘टाइमिंग’ के साथ क्या गड़बड़ हुई है.

तभी उसने मोवा के बाहर एक ऑटो को रुकते हुए देखा, सफेद सलवार में उसे टाँगे नज़र आइी , जाहिर है कोई औरत ही होगी. जब एक औरत छाता ले कर बाहर निकली तो वो हैरान हो गया देख कर कि वो मिनी थी. 
 
सफेद सलवार के साथ उसने संतरी रंग की कमीज़ पहनी थी. उसकी कमीज़ घुटनो से थोड़ी उपर तक आ रही थी – उसकी जाँघो को कवर कर रही थी. शिफ्फॉन की परदाशिता की वजह से उसकी सुडोल टाँगे दिख रही थी, यानी वो भीग के आई है.उसने एक बढ़िया काले फ्रेम वाला चश्मा पहना हुआ था, जो इस बात की पुष्टि कर रहा था - उस दिन मीटिंग में उसने भूरे रंग के कॉंटॅक्ट लेंस लगा रखे थे.उसने अपने बाल बड़ी सफाई से पीछे बाँध रखे थे. उसकी मुखाक्रुति ये बता रही थी कि वो काफ़ी बिज़ी है और उसके पास ज़यादा समय नही होगा.

मिनी को देख कर उसे फिर सॉनॅक्षी की याद आ गई. वो दिन भी बारिश का दिन था और दोनो एक ही छतरी में थे. सॉनॅक्षी उस से चिपक गई थी और उसी दिन उसने सॉनॅक्षी को प्रपोज़ किया था. 

राजेश अचांबित था कि पुरानी भूली बातें फिर क्यूँ अचानक उसकी दिमाग़ को कोंधने लगी.

उसने नतीजा ये निकला कि उस दिन सोनाकशी के चेहरे पे भी वोही भाव थे जो आज मिनी के चेहरे पे हैं..

‘हे माफ़ करना देर हो गई, आज मेरा ड्राइवर नही आया’ मिनी ने माफी माँगी राजेश की टेबल की तरफ आते हुए.

‘कोई बात नही मेडम’

राजेश तो अजीब लगा जब उसका ध्यान अपनी आइस्ड टी पे गया जो लगबघ ख़तम हो चुकी थी.

‘क्या लेना पसंद करेंगी आप?’

‘येआः मैं कॉस्टा रीका तररज़ू लूँगी’

उसने दुबारा बोला ताकि राजेश को समझ में आ जाए किस टाइप को कॉफी उसे चाहिए थी. राजेश ऑर्डर देते वक़्त ग़लती नही करना चाहता था.सबसे बढ़िया था वेटर को बुला लेना.

‘मैं समझता हूँ आजकल आप कुछ दिनो से छुट्टी पे चल रही है. कोई सीरीयस बात तो नही?’

.नही नही,कुछ सीरीयस नही है, बस मेरी बेटी रीया के एग्ज़ॅम्स हैं और इस दोरान वो मुझे अपने पास चाहती है.तो मैने सोचा छुट्टी लेकर उसकी कुछ हेल्प ही कर दूं.’

कुछ पल के लिए राजेश को समझ में नही आया कैसे रिएक्ट करे. देखने में ही लगता था कि मिनी शादी शुदा है और बच्चे भी होंगे और वो राजेश से उम्र में भी बड़ी थी.लेकिन उसकी बेटी का ज़िकरा आते ही राजेश को झटका लगा. उसे कुछ ऐसा कहा गया था जो वो सुनना नही चाहता था.

‘आप की बेटी कितनी बड़ी है?’ अपने झटके को साइड में करते हुए उसने बात चालू रखी.

‘रीया 8 साल की है और थर्ड स्टॅंडर्ड में है. क्या तुम जानते हो ये बारिश कितनी मुसीबतें लाती है अगर इसी तरहा होती रहें.’

राजेश को लगा मिनी का ध्यान बटा हुआ है. वो जिस्म से यहाँ है पर दिमाग़ कहीं और है.
राजेश को उसके साथ सहानुभूति हुई, कितना मुश्किल होता होगा ऑफीस और घर दो दो ड्यूटीस संभालना.
मिनी ने तब एक लिफ़ाफ़ा निकाला और राजेश को दे दिया. 

‘मैने अपने बॉस के साथ सलाह की है तुम्हारे प्रपोज़ल के बारे में. हम ने ये फ़ैसला लिया है कि इनवेस्टमेंट 12लाख की करेंगे – एक साल के कांट्रॅक्ट मे. और तुम्हारी वेबसाइट पे हमारी वेबसाइट का डाइरेक्ट लिंक होगा और एक रेग्युलर बॅनर होम पेज पे.’
राजेश को अपने कानो पे विश्वास ना हुआ, उसकी खुशी का कोई ठिकाना ना था.

‘थॅंक यू मेडम, मैं वादा करता हूँ हम हर संभव प्रयास करेंगे आपके ब्रांड को उठाने के लिए.

मिनी की उदारता ने उनकी बातों को आराम से अपने पन पे पहुँचा दिया. कुछ ही क्षणों में वो काम से हट कर एक दूसरे के बारे में बाते करने लगे.
राजेश मिनी के बारे में अपनी जिग्यासा को शांत करना चाहता था.

मिनी : तो आप मुंबई से हो?

राजेश : नही, मैं देल्ही से हूँ,यहाँ आए हुए मुझे 10 साल हो गये हैं.

राजेश ने महसूस किया कि मिनी अपने हज़्बेंड के बारे में कोई बात नही कर रही.
बहुत कुछ इस बारे में उसके दिमाग़ में घर कर गया.
क्या उसकी शादी शुदा जिंदगी ठीक तक चल रही है?

वो बच्चों के बारे में इतनी चिंतित क्यूँ रहती है, जब उसका पति ये ज़िमेदारी बखूबी उठा सकता है? या वो खुद इतनी निस्वार्थ है की पति के उपर कोई बोझ नही डालना चाहती?

कुछ भी हो राजेश उसके पति के बारे में बात नही करना चाहता था- अपने अनुभव से वो ये जान चुका था कि अगर तुम किसी शादी शुदा के साथ फ्लर्ट करना चाहते हो तो कभी उसके पति के बारे में मत पूछना चाहे वो अच्छा हो या बुरा.
मिनी काफ़ी रिलॅक्स्ड लग रही थी जैसे जैसे इनकी बातें बढ़ रही थी..

‘तो तुम्हें मुंबई कैसा लगा? यहाँ की बारिश काफ़ी हतोत्साहित करती होगी’

‘ना, उल्टा मुझे मुंबई और भी अच्छा लगने लगा है पिछले 5 दिनो से जब से हम मिले हैं’

मिनी को एक झटका सा लगा उसके आखरी कुछ शब्द सुन के. और राजेश इस बात को समझ गया और उसने बात बदल दी ‘ मेरा मतलब था उस दिन बारिश का पहला दिन था’
 
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