Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी - Page 2 - SexBaba
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Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी

तो शफ़ीक़ ने कहा-“मैं आपकी बेटी से प्यार करता हूँ और शादी करना चाहता हूँ। लेकिन मैंने एक झूठ बोला था कि मेरी बीवी मर चुकी है पर मेरी बीवी जिंदा है। मेरी दो बेटियाँ हैं। मैं चाहता हूँ कि शादी करूँ ताकी दूसरी बीवी से मेरा बेटा हो सके…” 
मौलवी-“दूसरी शादी करना हर इंसान का हक है, आपका भी हक है क्या पहली बीवी राजी है?” 
शफ़ीक़-“जी हाँ… राजी है आप मेरी बीवी से मिल भी लें…” 
मौलवी-ठीक है मिल लूँगा। मेरी बेटी के नाम कोई घर कर दें, मैं ये रिश्ता मंजूर कर देता हूँ। 

शफ़ीक़-ठीक है, जी मुझे मंजूर है। मैं एक घर इशरत के नाम पे कर देता हूँ। 
इशरत-लेकिन शफ़ीक़, आपने मुझसे झूठ क्यों कहा कि आपकी बीवी मर चुकी है? 
शफ़ीक़-अगर सच कह देता तो तुमने मुझे छोड़ देना था। 
मौलवी-मुझे आपकी पहली शादी से कोई ऐतराज नहीं है। दूसरी शादी की वजह कानूनी है कि बेटे के लिए दूसरी शादी करनी है। 
शफ़ीक़-ठीक है आप मेरी बीवी से मिल लें, कहें तो अभी चलते हैं…” 
उसके बाद मौलवी और इशरत चले गये शफ़ीक़ की बीवी से मिलने। मौलवी संतुष्ट हो गया कि शफ़ीक़ और उसकी बीवी ठीक हैं। मौलवी ने रिश्ता ओके कर दिया। घर आने के बाद मौलवी ने एलान कर दिया कि इशरत का रिश्ता तय हो गया है। 
सब ने पूछा कैसा? किस से? 
तो मौलवी ने सारी डीटेल बताई जिस पर सब खुश हो गये। 
शाम के 5:00 बजे मौलवी अपनी बीवी रुखसाना को बस में बिठाकर घर वापिस आने लगा। शाम हो चुकी थी कि रुखसाना की बस खराब हो गई। ड्राइवर ने चेक किया तो उसने कहा अभी बस ठीक नहीं हो सकती, क्योंकी बस के इंजन ने काम करना छोड़ दिया है, इसलिए आप लोग उतर जायें और अपना-अपना इंतज़ाम कर लें। रुखसाना परेशान हो जाती है। इस टाइम अंधेरे में कहाँ कोई बस मिलेगी। ये बस उसके गाँव जाने के लिए आखिरी टाइम था बस का। इसलिए वो पस़ से अपना मोबाइल निकालने लगी। जब पस़ में देखा के वो अपना मोबाइल जल्दी में घर छोड़ आई है, तब तो रुखसाना परेशान हो गई कि किसको बताए। रुखसना अभी स्टॉप पे खड़ी हो गई। 
लोग आ रहे थे और रुखसाना को गंदी नजरों से देख रहे थे, जिसको रुखसाना भाँप गई। फिर रुखसाना ने सोचा कि पैदल चला जाए शायद आगे जाकर कोई तांगा मिल जाए। अभी कुछ आगे चली ही थी कि एक बड़ी गाड़ी आती नजर आई। वो गाड़ी रुखसाना के पास से गुजर गई, कुछ आगे जाकर उस गाड़ी ने ब्रेक लगाई और उस आदमी ने गाड़ी को रिवर्स किया। जब गाड़ी रुखसाना के पास आई और गाड़ी का शीशा जब नीचे हुआ तो एक खूबसूरत जवान लड़के ने कहा-“आंटी, आपने कहाँ जाना है? 
तो रुखसाना ने कोई जवाब नहीं दिया। उस टाइम उसका ब्लड-प्रेशर इतना कम था कि बोल नहीं सकी। उस लड़के ने दोबारा पूछा-“आपने कहाँ जाना है? 
तो रुखसाना बोल पड़ी-“मुझे आगे गाँव में जाना है…” 
तो वो लड़का बोला-“बैठ जायें, मैं आपको वहीं उतार देता हूँ…” 

लेकिन रुखसाना डर रही थी। बहुत इसरार के बाद रुखसाना बैठ गई। कुछ आगे जाकर रुखसाना ने कहा-“बेटा, तुम कहाँ के रहने वाले हो?” 
उसने बताया कि मैं एक स्पेशलिस्ट सर्जन हूँ और मैं एक अमीर आदमी हूँ, लेकिन डॉक्टर होना मेरा पेशा है। 
रुखसाना ने भी अपना बताया फिर रुखसाना ने उसका नाम पूछा तो उस लड़के ने बताया के मेरा नाम काशिफ है डॉक्टर काशिफ। 
काशिफ केा नाम सुनकर रुखहाना गुमसुम हो गई और दिल में सोचा कि मेरे बेटे का नाम भी काशिफ है। काशिफ ने बताया कि वो उसी गाँव में जा रहा है, एक काम से। वहाँ उसने दो घंटे रुकना है फिर दोबारा सरगोधा वापिस जाना है।
रुखसाना ने दिल में सोचा ये लड़का शरीफ है, क्यों न इससे कहूँ कि मैंने शादी के कार्ड्स देने हैं और कार्ड्स देकर मुझे भी वापिस लेते जाओ। रुखसाना ने उसे बता दिया कि मैंने वापिस भी जाना है। तो काशिफ ने कहा आंटी आप 11:00 बजे गाँव के स्टॉप पर आ जाना, मैं आपको सरगोधा वापिस शहर में छोड़ दूँगा। उसके बाद रुखसाना गाँव में चली गई और काशिफ जिस काम से आया था, उस काम में लग गया। वो काम शराब पीना था, वो शराब पीता रहा और शराब पीने के बाद 11:00 बजे उसी स्टॉप पर आ गया। पर वहाँ रुखसाना नहीं आई थी तो काशिफ ने सोचा कि वो इंतजार कर लेता है कुछ देर। 20 मिनट के बाद रुखसाना आ गई और गाड़ी में बैठ गई। 
 
रुखसाना जब गाड़ी में बैठी तो उसने कहा-“बेटा, जब पहले आई थी उस टाइम कोई गंध नहीं आ रही थी अब गंध आ रही है गाड़ी में। पर काशिफ कुछ न बोला और गाड़ी चलाता रहा। काशिफ फ्रंट मिरर से देखता रहा रुखसाना को और सोचता रहा कि औरत तो प्यारी है। उसने एक जगह देखी और वहाँ जाकर गाड़ी को ब्रेक मारी और गाड़ी से निकलकर चेक किया और फिर उसके बाद रुखसाना को कहा-“इंजन गरम हो गया है, इसलिए कुछ देर इंतजार करना पड़ेगा…” 
रुखसाना-ओह्ह… ये तो बहुत बुरा है। यहाँ सुनसान जगह पर कोई जानवर भी आ सकता है। 
काशिफ-नहीं आता आप क्यों घबरा रही हैं? मैं हूँ आपके साथ। 
रुखसाना-तुम अच्छे लग रहे हो, प्यारे हो, कितनी लकी है तुम्हारी बीवी। 
काशिफ-मैं अभी तक कुँवारा हूँ, मैंने अभी शादी नहीं की। 
रुखसाना-क्यों? 
काशिफ-कोई अच्छी लगी नहीं, आप जैसी कोई मिल जाएगी तो आज ही कर लूँ शादी। 
रुखसाना-बेटा, मैं तो शादीशुदा हूँ मुझसे शादी करके क्या मिलेगा? 

काशिफ-क्या मैं आपके साथ गाड़ी में बैठ सकता हूँ? 
रुखसाना-बेटा तुम्हारी गाड़ी है, तुम बैठ जाओ। 
काशिफ बैठ गया और रोमाँटिक बातें करता रहा। 
धीरे-धीरे रुखसाना पागल होती गई अपनी खूबसूरती पे। उसके बाद रुखसाना ने कहा-“बेटा, मेरी बेटी की शादी है 3 दिन के बाद आना…” 
काशिफ ने कह दिया-“जी जरूर आउन्गा…” उसका बाद काशिफ उठ गया। गाड़ी को चलाया और दो घंटे के बाद रुखसाना को उसका घर छोड़ दिया और शादी में आने के वादा कर लिया। 
***** ***** 
रात को रुखसाना ने अपने शौहर को सारी बातें बता दी कि एक लड़का मिला, बहुत अच्छा था। उसने ऐसे उसकी हेल्प की और उसको छोड़ के गया। 
मौलवी खुश हुआ कि चलो इस दुनियाँ में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो कि हेल्प कर सकते हैं। इसी तरह टाइम गुजरता गया और शादी का दिन आ गया। जिस दिन आयशा और नदीम की शादी थी, जब काशिफ इनके घर आया तो कोई भी उसे नहीं जनता था। फ़रदीन ने जब काशिफ को देखा कि ये तो बहुत बड़े हॉस्पिटल का मालिक हैं और हार्ट -सर्जन भी है। ये यहाँ कहाँ आ गये हमारी शादी में। 
जब काशिफ अपनी गाड़ी से उतरा उसने कहा के जी मुझे रुखसाना से मिलना है। 
फ़रदीन ने कहा-वो मेरी अम्मी हैं…” उसका बाद फ़रदीन रुखसाना को बुलाकर लाया। 
रुखसाना के साथ मौलवी भी था। वो काशिफ से मिलकर खुश हुआ। काशिफ ने शादी के लिए एक गोल्ड का छोटा सा सेट रुखसाना को दिया कि ये मेरी तरफ से है। जब रुखसाना ने सेट देखा तो कहा-“बेटा, इसकी क्या जरूरत थी? 
काशिफ ने कहा-“ये मेरा अधिकार था लाना…” 
उसके बाद मौलवी ने अपनी बेटी का निकाह अपने भतीजे से कर दिया और बारात कुछ देर बाद रुखसत हो गई। बारात और वालिमा कम्बाइन रखा गया था। उसके बाद काशिफ भी चला गया। काशिफ को सहरीश देख चुकी थी, सहरीश जिसकी शादी फ़रदीन से होनी थी। वो काशिफ के हॉस्पिटल में मेडिकल ओफीसर थी काशिफ ने सहरीश को 3 बार चोदा हुआ था। काशिफ को उसने बहुत नखरे दिखाए थे लेकिन फिर भी काशिफ ने सहरीश को नहीं छोड़ा। 
रात को मौलवी ने अपनी बीवी से कहा-“लगता है काशिफ काफ़ी अमीर आदमी है। जिस गाड़ी में आया था वो गाड़ी कम से कम 50 लाख की थी और जो सेट लाया है वो भी एक लाख से कम का नहीं…” मौलवी ने फिर अपनी बीवी से कहा-“काशिफ से कहो कि हमें शहर में कोई अच्छा से घर दे दे…” 

जिस पर रुखसाना ने कहा-“कोई ऐसे थोड़े ही दे देता है…” 
मौलवी-“जब एक लाख वाला सेट दे सकता है तो घर भी दे देगा। 
रुखसाना-मुझे नहीं लगता। 
मौलवी-एक काम करो, काशिफ को तुम फँसा लो। 
रुखसाना-“ये आप क्या कह रहे हैं? अपनी ही बीवी को बोल रहे हैं…” 
मौलवी-तो क्या हुआ? किसी को मत बताना सारी जिंदगी शराफ़त से गुजारी है, कुछ कर नहीं सके। वैसे भी आज तक तुमने मेरे अलावा किसी से कुछ प्यार नहीं किया, लेकिन मैंने अपनी ही दो बेटियों को चोद लिया। 
रुखसाना-वो तो ठीक है, मगर वो मुझे ऐसा नहीं लगता। मेरा भी दिल करता है कि आपके अलावा एक बार तजुर्बा करूँ किसी से। 
मौलवी-तो ठीक है, कर लो। मैं नहीं रोकता, उससे बात करो। क्या उसका कोई फ़ोन नंबर है तुम्हारे पास? 
रुखसाना-जी है। 
मौलवी-ठीक है, एक दो दिन में करना फ़ोन। 
उधर दूसरी तरफ आयशा बेड पे लेटी हुई थी कि नदीम कब आएगा अंदर? पर नहीं आया। जब बहुत इंतजार के बाद आया तो वो नशे में था और आयशा से कुछ बातें करने के बाद सो गया। आज नदीम और आयशा की सुहागरात थी, पर नदीम ने शराब पी ली थी। आयशा अपनी किस्मत पे रोती हुई वहीं सो गई। 
 
आयशा सुबह उठी, उसके कुछ देर बाद नदीम भी उठ गया। उसको बहुत शर्मिंदगी हुई जो भी उसने लास्ट नाइट किया। नदीम को बहुत गुस्सा आया कि रात को उसका दोस्तों ने कुछ ज्यादा पिला दी थी। नदीम अपने बाप से छुपकर शराब पीता था। सारा दिन इसी तरह गुजर गया। रात को नदीम ने अपना काम आयशा से शुरू किया। किसिंग करने के बाद जब आयशा नंगी हुई तो नदीम ने अपना लण्ड जब आयशा की फुद्दी पर रखा तो झटका दिया ही था की नदीम फारिग हो गया। आयशा को हैरानगी के साथ दुख भी हुआ कि उसकी किस्मत में क्या लिखा है कि नदीम में शायद वो पावर नहीं जो एक मर्द में होनी चाहिए। 
दूसरे दिन आयशा घर आई लेकिन उसने अपनी माँ को ऐसा कुछ नहीं बताया। इसी तरह आयशा वापिस अपने सुसराल चली गई। अब आयशा को साबित हो गया था कि हस्तमैथुन की वजह से नदीम के लण्ड में जान नहीं है। इसी वजह से उसका लण्ड ढीला से खड़ा होता है फिर बैठ जाता है। बेचारी अपनी किस्मत को कोषती रही। 

रुखसाना ने काशिफ को फ़ोन किया काशिफ के अटेंड करने के बाद रुखसाना ने कहा-“बेटा, मुझे तुमसे एक काम था क्या तुम मुझसे मिल सकते हो? जिस टाइम रुखसाना बात कर रही थी उस टाइम मौलवी पास बैठा था। 
काशिफ-हाँ जी जरूर… क्यों नहीं मिल सकता? आप बता दें कब मिलना है? 
रुखसाना-बेटा, कहो तो अभी आ जाती हूँ। 
काशिफ-ठीक है, मैं ड्राइवर को भेज देता हूँ आप उसका साथ आ जायें। 
रुखसाना-ठीक है, और फ़ोन बंद कर दिया। रुखसाना तैयार हो जाती है। एक घंटे के बाद ड्राइवर आ जाता है और रुखसाना को साथ ले जाता है। कुछ देर के बाद रुखसाना काशिफ के बगलो में पहुँच जाती है। जब काशिफ का घर देखती है तो हैरान हो जाती है। इतना बड़ा घर जैसा महल है। काशिफ वहीं आ जाता है और कुछ देर के बाद रुखसाना को कोल्ड-ड्रींक दी जाती है। 
काशिफ-जी आंटी कहें, आपको क्या काम है जो मुझे आज आपने मिलने को कहा? 
रुखसाना-बेटा, जैसा कि तुम जानते हो कि हम शहर से हट के रहते हैं और बच्चों के अच्छे रिश्ते नहीं आते। मैं चाहती हूँ कि शहर में कोई अच्छा घर हो। 
काशिफ-जी बिल्कुल होना चाहिए घर आपका। 
रुखसाना-“क्या काशिफ बेटा, इसके अलावा आपका कोई घर है जहाँ हम रह सकें?” 
काशिफ रुखसाना को देखता रहा फिर कहता है-“जी बिल्कुल है घर…” 
रुखसाना-क्या हमें मिल सकता है कुछ अरसे के लिए जब तक बच्चों के रिश्ते न हो जायें। जब रिश्ते हो जायेंगे तो आपका घर वापिस कर देंगे। 
काशिफ-“ठीक है, मैं अपना एक घर आपको दे देता हूँ बेशक आप अपने नाम करवा लें लेकिन…” 
रुखसाना-लेकिन क्या बेटा? 
काशिफ-लेकिन… ये कि आपको भी कुछ देना पड़ेगा। आप हमें कुछ दें तो मैं आपको घर दे देता हू। 
रुखसाना-बेटा मुझ से क्या चाहिए? 
काशिफ-आंटी, आपसे क्या चाहना है? बस आपका रास्ता सीधा मेरे बेड पे आ जाए तो आपका हर काम होता जाएगा। 

रुखसाना-“ठीक है, मंजूर है। पर ये बात मेरे और तुम्हारे बीच में रहे किसी को न पता चले…” 
काशिफ-ठीक है, नहीं पता चलता। 
रुखसाना-शुकिया… तो फिर कब मेरे नाम करवा रहे हो? 
काशिफ-कल ही करवा दूँगा और मेरा काम कब होगा? 
रुखसाना-“जब मेरा काम हो जाएगा उसी दिन तुम्हारा काम भी हो जाएगा…” उसके बाद रुखसाना कल का टाइम फ़िक्स करके अपने घर वापिस आ जाती है और मौलवी को सब बातें बता देती है। इसको सुनकर मौलवी बहुत खुश हो जाता है। फिर वो सपने देखने लग जाता है कि कैसे उसकी बीवी की फुद्दी में लण्ड जाएगा और उसकी बीवी इतनी कीमती निकली की घर मिल रहा है। 
***** 
आयशा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? लेकिन मजबूर थी। आयशा ने ये बात अपनी सास को बताई, जो कि उसकी चाची और खाला भी लगती थी। 
उसने कहा कि मैं नदीम के अब्बू से बात करूँगी कि वो नदीम का इलाज करायें, आखिर ऐसा क्यों हो रहा है उसका साथ? फिर शुगुफ़्ता आयशा को दिलासा देकर चली जाती है। 
मौलवी और रुखसाना तैयार होकर कचहरी चले गये, जहाँ काशिफ ने घर रुखसाना के नाम कर दिया। जब घर रुखसाना के नाम हुआ तो मौलवी वहीं पे इतना खुश हुआ कि उसने काशिफ को थैंक्यू कहा। 
उसके बाद काशिफ ने कहा-“थैंक यू को जो कहना है कहीं बैठकर कहते हैं…” काशिफ मौलवी और रुखसाना को अपने साथ अपने बड़े बगलो में ले आया, जहाँ बैठकर बात की जा सके। 
काशिफ ने अपने घर पहुँचकर कहा-“मौलवी साहब मुझे आपसे दो काम हैं। पहला काम ये है कि सब आपको पता ही है। आपकी बीवी ने मेरे साथ हर किश्म का रिश्ता रखने के कहा तो मैंने घर उसके नाम कर दिया। लेकिन मेरे आपसे दो काम हैं। पहला काम मैं अभी करूँगा और दूसरा काम उस वक़्त करूँगा जब मैं पहले काम से फारिग हो जाऊं गा…” 
काशिफ रुखसाना को लेकर अपने बेडरूम में आकर रूम को अंदर से लाक कर देता है। काशिफ के अंदर आने के बाद काशिफ ने अपनी शर्ट उतार दी और फिर पेंट उतारकर बेड पे आ गया। इस वक़्त काशिफ अडरवेर में बैठा हुआ था। रुखसाना काशिफ के पास गई। काशिफ ने रुखसाना की चादर उतारकर रुखसाना के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया। पहले तो रुखसाना को अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकी रुखसाना पहली बार किसी गैर मर्द के साथ लेटकर ऐसा कर रही थी। लेकिन बाद में रुखसाना को मजा आना शुरू हो गया। 
कभी मौलवी ने रुखसाना के साथ ऐसा प्यार नहीं किया था। काशिफ होंठ चूसने के साथ-साथ कमीज के ऊपर से रुखसाना केी चुचियों को दबाता रहा। रुखसाना अब गरम हो चुकी थी, उठकर अपनी कमीज उतार दी। कमीज उतारने के बाद काशिफ की नजर पड़ी तो वो एक ब्लैक ब्रा में बैठी हुई थी। काशिफ ने आगे जाकर ब्रा उतार दी 

और रुखसाना की चुचियों को बारी-बारी मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। कभी लेफ्ट मम्मे के निप्पल मुँह में लेता, कभी दायें मम्मे के निप्पल को। काशिफ जोर-जोर से निप्पल को दाँतों से दबाता, जिससे रुखसाना मचल जाती। 
काशिफ अब रुखसाना के पेट पे जुबान फेरते हुये धीरे-धीरे नीचे आता गया। जब शलवार के करीब आया तो काशिफ ने रुखसाना का नाड़ा खोल दिया। नाड़ा खोलने के बाद रुखसाना की शलवार उतर गई। काशिफ के सामने रुखसाना की बिल्कुल साफ फुद्दी आ गई और काशिफ ने रुखसाना की फुद्दी को अपनी जुबान से चोदना शुरू कर दिया। 
5 मिनट के बाद रुखसाना बोल पड़ी-“ओह्ह… काशिफ बेटा, जोर से करो। आज पहली बार मेरी फुद्दी पे किसी ने ऐसा मजा दिया है…” 
काशिफ नीचे से रुखसाना की गाण्ड के सुराख को रगड़ता है और साथ-साथ रुखसाना की फुद्दी को चूमता रहता है।10 मिनट के अंदर रुखसाना की फुद्दी ने पानी छोड़ दिया। फिर काशिफ उठा, उसने अपना अडरवेर जब उतरा तो रुखसाना की नजर काशिफ के लण्ड पर पड़ी-“उफफफफफ्फ़… इतना बड़ा लण्ड भी होता इैईईईई… ये तो मेरी फुद्दी का फुद्दा बना देगा… काशिफ आराम से डालना…” 
काशिफ ने टांगे खोलकर रुखसाना की फुद्दी पे लण्ड रखकर एक झटका मारा जिससे काशिफ का आधा लण्ड अंदर चला गया और रुखसाना को दर्द शुरू हो गया। फिर एक और झटका मारा जिससे काशिफ का पूरे का पूरा लण्ड अंदर चला गया। फिर काशिफ कभी अंदर करता लण्ड, कभी बाहर। कुछ देर के बाद काशिफ ने लण्ड को अंदर बाहर शुरू कर दिया। अब काशिफ की स्पीड बढ़ चुकी थी। वो दनादन रुखसाना की फुद्दी को चोदे जा रहा था। साथ-साथ चुचियों को भी चूम रहा था। 
रुखसाना अब भरपूर साथ दे रही थी। 
“हाय मेरी जान मजा आ रहा है क्यों मौलवी का लण्ड अच्छा है या मेरा? 
जिस पर रुखसाना ने कहा-“नहीं मेरी जान, तुम्हारे लण्ड में बहुत ताकत है लेकिन अभी तो चोदो और चोदो… बहुत मजा दे रहे हो। तुमने घर दिया है और अब ये फुद्दी तुम जब चाहो ले सकते हो, लेकिन प्यार से…” 
10-15 मिनट तक काशिफ रुखसाना को चोदता रहा उसके बाद काशिफ रुखसाना की फुद्दी में फारिग हो गया। फारिग होने के बाद काशिफ नहाकर बाहर आया फिर रुखसाना ने अपनी फुद्दी को अच्छी तरह साफ किया। उसका बाद काशिफ और रुखसाना बाहर मौलवी के पास आए। 
तो काशिफ ने कहा-“मौलवी साहब, एक काम तो कर लिया है। वैसे आपने अच्छा माल घर में रखा हुआ है…” 
फिर मौलवी ने कहा-“दूसरा काम बताएँ, क्या करना है?” 
काशिफ-जी बात ये है कि मुझे आपकी बेटी का रिश्ता चाहिए अपने लिए। 
 
मौलवी रुखसाना की तरफ देखते हुये-“जी कौन सी बेटी का?” 
काशिफ-निदा और मिशा दोनों प्यारी हैं। 
मौलवी-निदा तो कहती है कि मैंने कभी शादी नहीं करनी, मिशा से करवा देता हूँ। 
काशिफ-जैसा आपकी मर्ज़ी लेकिन ये काम जल्दी होना चाहिए। 
मौलवी-ठीक है। मैं रात तक फ़ोन करके बातें बता दूँगा। 
उसके बाद मौलवी और रुखसाना अपने घर चले जाते हैं। शाम को वो मिशा से बात करते हैं। वो तो खुश हो जाती है कि एक अमीर इंसान से उसकी शादी हो रही है और ऊपर से काशिफ है भी बहुत हैंडसम। फिर मौलवी ने सबसे बात करके काशिफ को फ़ोन करके बता दिया कि मिशा राजी है और मेरे ख्याल में परसों निकाह करके ले जाओ अपनी अमानत। 
काशिफ ने कहा-“ठीक है। परसों असर के बाद का टाइम बेहतर है…” 
इसी तरह दो दिन के गुजरने का पता नहीं चला। आयशा भी घर में आई होती है। 
काशिफ के साथ कुछ लोग आए और मिशा का निकाह करके अपने बड़े बंगलों में ले गये। 
इस तरह दोस्तो मौलवी को शहर में घर भी मिल गया बेटियों की भी शादी हो गई बेटियाँ भी चोदने के लिए मिल गईं

दोस्तो कहानी कैसी लगी ज़रूर बताएँ

समाप्त
 
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