hotaks444
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raj sharma stories
मस्त घोड़ियाँ--5
गतान्क से आगे........................
संगीता- खड़ी होकर अभी पहन कर आती हू पापा और संगीता अंदर चली जाती है,
मनोहर- अपनी आँखो से अपनी बहू की गुदाज जवानी का रस पीते हुए, आओ बेटी मेरे पास आओ ज़रा देखु तुम्हारा
जीन्स का कपड़ा तो बहुत अच्छा है और जब संध्या पापा के पास जाती है तो मनोहर सीधे संध्या की मोटी गंद
को अपने हाथो से सहलाते हुए मस्त हो जाता है
मनोहर- संध्या के चुतडो को दबोच कर सहलाते हुए बेटी पहले से तुम्हारा शरीर काफ़ी फैल गया है अब
तो तुम बिल्कुल मम्मी की तरह नज़र आने लगी हो
संध्या- अपने ससुर का हाथ पकड़ कर अपने पेट पर रखते हुए, पापा यहाँ च्छू
कर देखिए अभी मेरा पेट तो
मम्मी जैसा ज़्यादा उठा हुआ नही है ना
मनोहर- अपनी बहू के गुदाज पेट को उसकी टीशर्ट उपर करके सहलाता हुआ उसे खींच कर अपनी गोद मे बैठा लेता
है और उसके गुदाज पेट को सहलाता हुआ उसके गालो को चूम कर अपने दूसरे हाथ से उसकी जाँघो को थोड़ा खोल कर
हल्के से जीन्स के उपर से उसकी चूत पर हाथ रख कर सहलाते हुए, बेटी जब तुम्हारे पेट मे बच्चा आ जाएगा
ना और तुम उसे जब पेदा कर लोगि तब तुम्हारा पेट भी मम्मी जैसा उठ जाएगा तब देखना तुम पूरी तरह खिल
जाओगी,
तभी संगीता एक टाइट जीन्स और टीशर्ट पहन कर बाहर आ जाती है और मनोहर अपनी बेटी की कसी जवानी
गुदाज जंघे देख कर एक दम से संध्या की चूत को अपने हाथ से दबा देता है
संगीता- मुस्कुराते हुए पिछे घूम कर अब देखो पापा मैं ज़्यादा मोटी हू या भाभी
मनोहर - अपने लंड को मसल्ते हुए संध्या तुम भी सामने जाकर खड़ी हो जाओ तब मैं देखता हू कि तुम दोनो
मे किसका फिगुर जीन्स मे ज़्यादा मस्त लगता है संध्या और संगीता दोनो अपने पापा को अपनी मोटी गंद दिखाते
हुए खड़ी हो जाती है और मनोहर दो-दो जवान घोड़ियो को अपनी और चूतड़ उठा कर मतकते देख मस्त हो जाता
है और उठ कर दोनो के भारी चूतादो को सहलाते हुए बेटी तुम दोनो के चूतड़ काफ़ी बड़े है पर संध्या
थोड़ा खेली खाई है तो उसके चूतड़ ज़्यादा फैले हुए लग रहे है,
संगीता अपने पापा के सीने पर हाथ मारते हुए, मतलब पापा हमारा फिगुर आपको अच्छा नही लगा
मनोहर- नही बेटी तुम्हारे चूतड़ बहुत सुंदर है पर थोड़ा और फैल जाएगे तो और फिर मस्त लगेगे
संध्या- अपने ससुर की ओर देख कर पापा आप संगीता के चूतादो को फैला दीजिए ना यह तो कब से मरी जा रही
है, मनोहर अपनी बेटी और बहू दोनो के भारी चूतादो को अपने हाथ से दबाते हुए, बेटी चूतड़ तो तुम दोनो
के फैलाने लायक है हम तो तुम दोनो के चूतादो को फैलाएगे क्यो कि हमारी नज़र मे हमारी बहू और बेटी
एक समान है और हम दोनो को बराबर प्यार करेगे और फिर मनोहर दोनो रंडियो को अपनी बाँहो मे भर कर
चिपका लेता है
मनोहर- तुम दोनो का फिगुर हम बहुत मस्त कर देगे पर तुम दोनो ने हमे वह नये कपड़े पहन कर नही
दिखाए जो कल तुम्हारी मम्मी लेकर आई है,
संगीता- पापा वो तो हमारे लिए पेंटी और ब्रा लेकर आई है
मनोहर- हाँ मैं उन्ही की बात कर रहा हू
संगीता- शरमाते हुए पर पापा मैं वह पेंटी और ब्रा पहन कर आपके सामने कैसे आऊ
मनोहर- अपनी बेटी के गालो पर अपनी जीभ फेरते हुए, अरे बेटी तू तो मेरी बेटी है और तुझे तो मैने नंगी अपनी
गोद मे खिलाया है फिर तू अपने पापा के सामने पेंटी पहन कर नही आ सकती क्या
संगीता- अच्छा ठीक है मैं तो पहन कर आ सकती हू पर भाभी तो आपकी बहू है ना वह कैसे आपके सामने
आएगी,
मनोहर- अरे क्यो नही आ सकती मैं भी तो उसके बाप जैसा हू और फिर तुम ही बताओ संध्या क्या तुमने कभी
अपने पापा मनोज के सामने पेंटी नही पहनी क्या
संध्या- संगीता पापा ठीक कह रहे है मुझे अपने पापा के सामने पेंटी पहनने मे कोई परेशानी नही है
पर पापा अभी घर का सारा काम पड़ा है देखो यहा झाड़ू पोच्छा भी करना है नही तो मम्मी आते ही चिल्लाने
लगेगी,
मनोहर-अच्छा एक काम करो पहले जाओ वह नई वाली ब्रा और पेंटी पहन कर आओ फिर मैं बताता हू क्या करना
है और फिर दोनो रंडिया रूम मे जाकर ब्रा और पेंटी पहन कर आ जाती है, मनोहर अपनी बेटी और बहू की
नंगी गुदाज जवानी को ब्रा और पेंटी मे देखता है तो उसके लंड से पानी की बूंदे बाहर आने लगती है वह,
संध्या जहाँ रेड कलर की ब्रा और पेंटी पहने थी संगीता वही पिंक कलर की ब्रा और पेंटी पहन कर अपने पापा
के सामने खड़ी थी,
मनोहर दोनो मस्तानी लोंदियो को अपने पास बुलाता है और दोनो रंडिया उसके बदन से लिपट
जाती है मनोहर उन दोनो के चूतादो पर उसकी पेंटी के उपर से सहलाता है और उसके बाद उन दोनो को प्यार से
चूमता हुआ, बेटी संगीता तू एक काम कर यहा झाड़ू मार दे और संध्या तू पोछा लगा ले तब तक मैं बैठ कर
पेपर पढ़ लेता हू उसके बाद भी अगर तुम्हराई मम्मी नही आई तो मैं तुम दोनो को अपना फिगुर बनाने के लिए
मदद करता हू,
मस्त घोड़ियाँ--5
गतान्क से आगे........................
संगीता- खड़ी होकर अभी पहन कर आती हू पापा और संगीता अंदर चली जाती है,
मनोहर- अपनी आँखो से अपनी बहू की गुदाज जवानी का रस पीते हुए, आओ बेटी मेरे पास आओ ज़रा देखु तुम्हारा
जीन्स का कपड़ा तो बहुत अच्छा है और जब संध्या पापा के पास जाती है तो मनोहर सीधे संध्या की मोटी गंद
को अपने हाथो से सहलाते हुए मस्त हो जाता है
मनोहर- संध्या के चुतडो को दबोच कर सहलाते हुए बेटी पहले से तुम्हारा शरीर काफ़ी फैल गया है अब
तो तुम बिल्कुल मम्मी की तरह नज़र आने लगी हो
संध्या- अपने ससुर का हाथ पकड़ कर अपने पेट पर रखते हुए, पापा यहाँ च्छू
कर देखिए अभी मेरा पेट तो
मम्मी जैसा ज़्यादा उठा हुआ नही है ना
मनोहर- अपनी बहू के गुदाज पेट को उसकी टीशर्ट उपर करके सहलाता हुआ उसे खींच कर अपनी गोद मे बैठा लेता
है और उसके गुदाज पेट को सहलाता हुआ उसके गालो को चूम कर अपने दूसरे हाथ से उसकी जाँघो को थोड़ा खोल कर
हल्के से जीन्स के उपर से उसकी चूत पर हाथ रख कर सहलाते हुए, बेटी जब तुम्हारे पेट मे बच्चा आ जाएगा
ना और तुम उसे जब पेदा कर लोगि तब तुम्हारा पेट भी मम्मी जैसा उठ जाएगा तब देखना तुम पूरी तरह खिल
जाओगी,
तभी संगीता एक टाइट जीन्स और टीशर्ट पहन कर बाहर आ जाती है और मनोहर अपनी बेटी की कसी जवानी
गुदाज जंघे देख कर एक दम से संध्या की चूत को अपने हाथ से दबा देता है
संगीता- मुस्कुराते हुए पिछे घूम कर अब देखो पापा मैं ज़्यादा मोटी हू या भाभी
मनोहर - अपने लंड को मसल्ते हुए संध्या तुम भी सामने जाकर खड़ी हो जाओ तब मैं देखता हू कि तुम दोनो
मे किसका फिगुर जीन्स मे ज़्यादा मस्त लगता है संध्या और संगीता दोनो अपने पापा को अपनी मोटी गंद दिखाते
हुए खड़ी हो जाती है और मनोहर दो-दो जवान घोड़ियो को अपनी और चूतड़ उठा कर मतकते देख मस्त हो जाता
है और उठ कर दोनो के भारी चूतादो को सहलाते हुए बेटी तुम दोनो के चूतड़ काफ़ी बड़े है पर संध्या
थोड़ा खेली खाई है तो उसके चूतड़ ज़्यादा फैले हुए लग रहे है,
संगीता अपने पापा के सीने पर हाथ मारते हुए, मतलब पापा हमारा फिगुर आपको अच्छा नही लगा
मनोहर- नही बेटी तुम्हारे चूतड़ बहुत सुंदर है पर थोड़ा और फैल जाएगे तो और फिर मस्त लगेगे
संध्या- अपने ससुर की ओर देख कर पापा आप संगीता के चूतादो को फैला दीजिए ना यह तो कब से मरी जा रही
है, मनोहर अपनी बेटी और बहू दोनो के भारी चूतादो को अपने हाथ से दबाते हुए, बेटी चूतड़ तो तुम दोनो
के फैलाने लायक है हम तो तुम दोनो के चूतादो को फैलाएगे क्यो कि हमारी नज़र मे हमारी बहू और बेटी
एक समान है और हम दोनो को बराबर प्यार करेगे और फिर मनोहर दोनो रंडियो को अपनी बाँहो मे भर कर
चिपका लेता है
मनोहर- तुम दोनो का फिगुर हम बहुत मस्त कर देगे पर तुम दोनो ने हमे वह नये कपड़े पहन कर नही
दिखाए जो कल तुम्हारी मम्मी लेकर आई है,
संगीता- पापा वो तो हमारे लिए पेंटी और ब्रा लेकर आई है
मनोहर- हाँ मैं उन्ही की बात कर रहा हू
संगीता- शरमाते हुए पर पापा मैं वह पेंटी और ब्रा पहन कर आपके सामने कैसे आऊ
मनोहर- अपनी बेटी के गालो पर अपनी जीभ फेरते हुए, अरे बेटी तू तो मेरी बेटी है और तुझे तो मैने नंगी अपनी
गोद मे खिलाया है फिर तू अपने पापा के सामने पेंटी पहन कर नही आ सकती क्या
संगीता- अच्छा ठीक है मैं तो पहन कर आ सकती हू पर भाभी तो आपकी बहू है ना वह कैसे आपके सामने
आएगी,
मनोहर- अरे क्यो नही आ सकती मैं भी तो उसके बाप जैसा हू और फिर तुम ही बताओ संध्या क्या तुमने कभी
अपने पापा मनोज के सामने पेंटी नही पहनी क्या
संध्या- संगीता पापा ठीक कह रहे है मुझे अपने पापा के सामने पेंटी पहनने मे कोई परेशानी नही है
पर पापा अभी घर का सारा काम पड़ा है देखो यहा झाड़ू पोच्छा भी करना है नही तो मम्मी आते ही चिल्लाने
लगेगी,
मनोहर-अच्छा एक काम करो पहले जाओ वह नई वाली ब्रा और पेंटी पहन कर आओ फिर मैं बताता हू क्या करना
है और फिर दोनो रंडिया रूम मे जाकर ब्रा और पेंटी पहन कर आ जाती है, मनोहर अपनी बेटी और बहू की
नंगी गुदाज जवानी को ब्रा और पेंटी मे देखता है तो उसके लंड से पानी की बूंदे बाहर आने लगती है वह,
संध्या जहाँ रेड कलर की ब्रा और पेंटी पहने थी संगीता वही पिंक कलर की ब्रा और पेंटी पहन कर अपने पापा
के सामने खड़ी थी,
मनोहर दोनो मस्तानी लोंदियो को अपने पास बुलाता है और दोनो रंडिया उसके बदन से लिपट
जाती है मनोहर उन दोनो के चूतादो पर उसकी पेंटी के उपर से सहलाता है और उसके बाद उन दोनो को प्यार से
चूमता हुआ, बेटी संगीता तू एक काम कर यहा झाड़ू मार दे और संध्या तू पोछा लगा ले तब तक मैं बैठ कर
पेपर पढ़ लेता हू उसके बाद भी अगर तुम्हराई मम्मी नही आई तो मैं तुम दोनो को अपना फिगुर बनाने के लिए
मदद करता हू,