desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
उसने कोई उत्तर न दिया ।
“सर, मैं ऐसे क्लायंट के लिए काम करना अफोर्ड नहीं कर सकता जो खुद ही नहीं चाहता कि मैं कामयाब होऊं ।”
“ऐसी बात नहीं है ।”
“तो फिर झूठ क्यों ? छुपाव क्यों ? पर्दादारी किस लिए ? जो बातें मैने कही, उन दोनों की हकीकत के सबूत हैं मेरे पास ।”
“क्या सबूत हैं ?”
“मैं अभी पेश करता हूं । पहले कौन-सी बात का सबूत चाहते हैं आप ?”
“पहले पहली बात की बाबत ही बोलो ।”
“जो मैं कहूंगा, वो अगर सच होगा तो आप हामी भरेंगें ?”
“जरूर ।”
“परसों शाम चार बजे आपने शशिकांत को उसकी कोठी पर फोन किया था ।”
“झूठ । हम कभी किसी ऐरे-गैरे को फोन नहीं करते ।”
“तो उसने आपको किया होगा ।”
वो फिर खामोश हो गया ।
“उस वार्तालाप का एक गवाह है ।” मैं बोला, “जिसने साफ शशिकांत को माथुर नाम लेते सुना था । वो माथुर या आप हो सकते हैं या आपके साहबजादे । कल मैंने ज्यादा दबाव देकर इस बाबत आपसे इसलिए नहीं पूछा था क्योंकि मैं पहले आपके साहबजादे से बात कर लेना चाहता था । आपके साहबजादे उस टेलीफोन कॉल से इन्कार करते हैं । चाहे तो बुलाकर खुद तसदीक कर लें ।”
“कोई जरूरत नहीं । वो माथुर हम ही थे जिनसे उस शख्स ने बात की थी । वो कई दिनों से हमसे बात करने को तड़प रहा था परसों उसकी कॉल आई थी तो हमने उस बेहूदगी को खत्म करने के लिए उससे बात करना गवारा कर लिया था ।”
“आई अंडरस्टेंड । बात क्या हुई ?”
“कुछ भी नहीं । वो घटिया आदमी फोन पर कुछ बताना ही नहीं चाहता था । वो तो बातचीत के लिए शाम साढ़े आठ बजे हमें अपनी कोठी पर आने को कह रहा था । यूं दबाव में आकर तो हम कभी किसी अमीर उमरा से मिलने नहीं गए । हम तो उसकी इस गुस्ताखी पर ही भड़क उठे थे कि वो हमें अपने यहां आने के लिए कह रहा था ।”
“नतीजतन आपने उससे कहा था कि अगर आपको उसके घर आना पड़ा तो आप उससे बात करने नहीं, उसे शूट करने आएंगें ।”
उसने हैरानी से मेरी तरफ देखा ।
“वो वार्तालाप किसी तीसरे शख्स ने सुना था । मैंने पहले ही अर्ज किया है ।”
“ओह ।”
“सर, आपको पहले मालूम नहीं था लेकिन क्या अभी भी नहीं मालूम कि शशिकांत आपसे क्या चाहता था ?”
“नहीं । अभी भी नहीं मालूम ।”
“जानना चाहते हैं ?”
“हां । जरूर ।”
“वो आपके सामने आपका दामाद होने का दावा पेश करना चाहता था ।”
“क्या !”
“और इस बिना पर आपको ब्लैकमेल करना चाहता था ।”
“क्या बकते हो ?”
“उसका कहना था कि उसने नेपाल में पिंकी से शादी की थी और उस शादी के सबूत के तौर पर उसके पास शादी की वीडियो फिल्म उपलब्ध थी ।”
“तुम्हें कैसे मालूम ?”
“सर, मेरी हर जानकारी पर सवालिया निशान न लगाइए । मालूमात से ही तो मेरा कारोबार चलता है ।”
“ऐसा नहीं हो सकता । हम पिंकी से बात करेंगे । हम अभी पिंकी से बात करेंगें ।”
“अब वो बातचीत बेमानी होगी ।”
“क्यों ?”
“क्योंकि आपका दामाद होने का दावा करने वाला शख्स मर चुका है ।”
“लेकिन ....लेकिन...वो वीडियो फिल्म....”
“मेरे पास है ।”
“तु... तुम्हारे पास ?”
“जी हां ।”
“तुमने देखी वो फिल्म ?”
“जी हां ।”
“क्या वाकई उस आदमी ने.... पिंकी से.... शादी...”
“शादी तो दर्ज है उस कैसेट में लेकिन सर, पिंकी की हालात से साफ जाहिर होता था कि उसे तो खबर तक न थी कि उसके साथ क्या बीत रही थी । वो किसी तीखे नशे की गिरफ्त में मालूम होती थी और यंत्रचालित मानव की तरह उससे जो कहा जा रहा था, वो कर रही थी । कहने का मतलब ये है कि वो फिल्म धोखे से तैयार की गई थी आप पर दबाव बनाने के लिए ।”
“लेकिन जब तुम कहते हो कि साफ पता लग रहा था कि वो शादी फर्जी थी तो फिर दबाव कैसे बनता ? जब पिंकी को नशा कराके, उसे बेसुध करके वो सब कुछ .....”
“वही सब कुछ होता, सर, तो कोई बात नहीं थी लेकिन उस कैसेट में और भी कुछ था ।”
“और क्या था ?”
“और वही था जो शादी के बाद होता है । सुहागरात ।”
“ओह, माई गॉड ।”
“आप पर मेन प्रेशर पॉइंट तो वही साबित होता, सर ।”
“तुमने कहा कि वो कैसेट तुम्हारे पास है ?”
“जी हां ।”
“हमें दो ।”
“आप क्या करेंगें ?”
“हम खुद तसदीक करेंगे कि उस कैसेट में वो सब कुछ है जो कि तुम कह रहे हो कि है ।”
“बेटी की उरियानी देख सकेंगें ?”
वो खामोश हो गया । उसने जोर से थूक निगली ।
“वो...... वो कैसेट” कई क्षण बाद वो फंसे स्वर में बोला, “नष्ट होना चाहिए ।”
“हो जाएगा ।” मैं बोला ।
“हमें तसल्ली होनी चाहिए कि वो नष्ट हो गया है वरना हमें उम्र भर फिक्र लगी रहेगी कि किसी दिन कहीं तुम ही... तुम ही ....”
“कहीं मैं ही ब्लैकमेलिंग पर न उतर आऊं ? यही कहने जा रहे थे न आप ?”
उसने उत्तर न दिया ।
“सर, मैं ऐसे क्लायंट के लिए काम करना अफोर्ड नहीं कर सकता जो खुद ही नहीं चाहता कि मैं कामयाब होऊं ।”
“ऐसी बात नहीं है ।”
“तो फिर झूठ क्यों ? छुपाव क्यों ? पर्दादारी किस लिए ? जो बातें मैने कही, उन दोनों की हकीकत के सबूत हैं मेरे पास ।”
“क्या सबूत हैं ?”
“मैं अभी पेश करता हूं । पहले कौन-सी बात का सबूत चाहते हैं आप ?”
“पहले पहली बात की बाबत ही बोलो ।”
“जो मैं कहूंगा, वो अगर सच होगा तो आप हामी भरेंगें ?”
“जरूर ।”
“परसों शाम चार बजे आपने शशिकांत को उसकी कोठी पर फोन किया था ।”
“झूठ । हम कभी किसी ऐरे-गैरे को फोन नहीं करते ।”
“तो उसने आपको किया होगा ।”
वो फिर खामोश हो गया ।
“उस वार्तालाप का एक गवाह है ।” मैं बोला, “जिसने साफ शशिकांत को माथुर नाम लेते सुना था । वो माथुर या आप हो सकते हैं या आपके साहबजादे । कल मैंने ज्यादा दबाव देकर इस बाबत आपसे इसलिए नहीं पूछा था क्योंकि मैं पहले आपके साहबजादे से बात कर लेना चाहता था । आपके साहबजादे उस टेलीफोन कॉल से इन्कार करते हैं । चाहे तो बुलाकर खुद तसदीक कर लें ।”
“कोई जरूरत नहीं । वो माथुर हम ही थे जिनसे उस शख्स ने बात की थी । वो कई दिनों से हमसे बात करने को तड़प रहा था परसों उसकी कॉल आई थी तो हमने उस बेहूदगी को खत्म करने के लिए उससे बात करना गवारा कर लिया था ।”
“आई अंडरस्टेंड । बात क्या हुई ?”
“कुछ भी नहीं । वो घटिया आदमी फोन पर कुछ बताना ही नहीं चाहता था । वो तो बातचीत के लिए शाम साढ़े आठ बजे हमें अपनी कोठी पर आने को कह रहा था । यूं दबाव में आकर तो हम कभी किसी अमीर उमरा से मिलने नहीं गए । हम तो उसकी इस गुस्ताखी पर ही भड़क उठे थे कि वो हमें अपने यहां आने के लिए कह रहा था ।”
“नतीजतन आपने उससे कहा था कि अगर आपको उसके घर आना पड़ा तो आप उससे बात करने नहीं, उसे शूट करने आएंगें ।”
उसने हैरानी से मेरी तरफ देखा ।
“वो वार्तालाप किसी तीसरे शख्स ने सुना था । मैंने पहले ही अर्ज किया है ।”
“ओह ।”
“सर, आपको पहले मालूम नहीं था लेकिन क्या अभी भी नहीं मालूम कि शशिकांत आपसे क्या चाहता था ?”
“नहीं । अभी भी नहीं मालूम ।”
“जानना चाहते हैं ?”
“हां । जरूर ।”
“वो आपके सामने आपका दामाद होने का दावा पेश करना चाहता था ।”
“क्या !”
“और इस बिना पर आपको ब्लैकमेल करना चाहता था ।”
“क्या बकते हो ?”
“उसका कहना था कि उसने नेपाल में पिंकी से शादी की थी और उस शादी के सबूत के तौर पर उसके पास शादी की वीडियो फिल्म उपलब्ध थी ।”
“तुम्हें कैसे मालूम ?”
“सर, मेरी हर जानकारी पर सवालिया निशान न लगाइए । मालूमात से ही तो मेरा कारोबार चलता है ।”
“ऐसा नहीं हो सकता । हम पिंकी से बात करेंगे । हम अभी पिंकी से बात करेंगें ।”
“अब वो बातचीत बेमानी होगी ।”
“क्यों ?”
“क्योंकि आपका दामाद होने का दावा करने वाला शख्स मर चुका है ।”
“लेकिन ....लेकिन...वो वीडियो फिल्म....”
“मेरे पास है ।”
“तु... तुम्हारे पास ?”
“जी हां ।”
“तुमने देखी वो फिल्म ?”
“जी हां ।”
“क्या वाकई उस आदमी ने.... पिंकी से.... शादी...”
“शादी तो दर्ज है उस कैसेट में लेकिन सर, पिंकी की हालात से साफ जाहिर होता था कि उसे तो खबर तक न थी कि उसके साथ क्या बीत रही थी । वो किसी तीखे नशे की गिरफ्त में मालूम होती थी और यंत्रचालित मानव की तरह उससे जो कहा जा रहा था, वो कर रही थी । कहने का मतलब ये है कि वो फिल्म धोखे से तैयार की गई थी आप पर दबाव बनाने के लिए ।”
“लेकिन जब तुम कहते हो कि साफ पता लग रहा था कि वो शादी फर्जी थी तो फिर दबाव कैसे बनता ? जब पिंकी को नशा कराके, उसे बेसुध करके वो सब कुछ .....”
“वही सब कुछ होता, सर, तो कोई बात नहीं थी लेकिन उस कैसेट में और भी कुछ था ।”
“और क्या था ?”
“और वही था जो शादी के बाद होता है । सुहागरात ।”
“ओह, माई गॉड ।”
“आप पर मेन प्रेशर पॉइंट तो वही साबित होता, सर ।”
“तुमने कहा कि वो कैसेट तुम्हारे पास है ?”
“जी हां ।”
“हमें दो ।”
“आप क्या करेंगें ?”
“हम खुद तसदीक करेंगे कि उस कैसेट में वो सब कुछ है जो कि तुम कह रहे हो कि है ।”
“बेटी की उरियानी देख सकेंगें ?”
वो खामोश हो गया । उसने जोर से थूक निगली ।
“वो...... वो कैसेट” कई क्षण बाद वो फंसे स्वर में बोला, “नष्ट होना चाहिए ।”
“हो जाएगा ।” मैं बोला ।
“हमें तसल्ली होनी चाहिए कि वो नष्ट हो गया है वरना हमें उम्र भर फिक्र लगी रहेगी कि किसी दिन कहीं तुम ही... तुम ही ....”
“कहीं मैं ही ब्लैकमेलिंग पर न उतर आऊं ? यही कहने जा रहे थे न आप ?”
उसने उत्तर न दिया ।