hotaks444
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गदरायी मदमस्त जवानियाँ
मेरा नाम राज हैं और मैं २८ वर्ष का हट्टा कट्टा जवान हूँ, रंग सांवला और दिखने में भी ठीकठाक हूँ. मैं मुंबई शहर के अँधेरी इलाके में एक निजी बैंक में अच्छी नौकरी पर हूँ. तीन साल पहले मेरी शादी २४ साल की सुन्दर सांवले रंग की प्यारी सी लड़की सुनीता के साथ हुई.
सुनीता एक छोटे गांव के गरीब और पुराने विचारोंवाले घर से आयी थी इसलिए उसे चुदाई के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं था. दस दिन के हमारे हनीमून पर मैंने उसे चुदाई के सारे पाठ पढ़ा दिए थे. उस दौरान मेरा लंड चूसना , सिक्स्टीनाइन करना , घोड़ी बनकर चुदाई, मेरा उसकी चूत चाटना, ब्लू फिल्म देखकर उत्तेजित होना और फिर चुदाई करना सुनीता ने सब अच्छे से एन्जॉय करना सीख लिया. शुरू शुरू में उसे मेरे वीर्य की एक बूँद चाटना भी अच्छा नहीं लगता था. जब उसने देखा की मैं उसकी योनि से बहता हुआ कामरस पूरी तरह मजे से चाट लेता हूँ तबसे उसने मेरे लंड के वीर्यको चाटना, पीना और निगल जाना शुरू कर दिया.
उसकी गदरायी हुई मदमस्त जवानी का मैं एकदम कायल हूँ और वो भी मुझे बिस्तर में पूरा मज़ा देती हैं . कुछ पति सिर्फ अपने सुख के बारे में ही सोंचते हैं मगर मैं जोरदार चुदाई के साथ साथ सुनीता की प्यारी और मीठी चुत का दाना चाटकर उसे बहुत आनंद दिया करता हूँ. चुत चाटने के बाद तो वह एकदम मदमस्त हो जाती हैं.
जैसे कपडेमें लपेटकर रसगुल्ले खाने का का मजा नहीं आता वैसे ही कंडोम लगाकर चुदाई करने में कोई मजा नहीं आता. जैसे ही हमारी मंगनी हुई, अगले ही दिन मैंने उसे कॉपर-टी लगवाने को कहा. जब वो शादीकी खरीदारी के लिए मुंबई आयी तभी उसने कॉपर-टी लगवा ली. इसलिए हम एकदम बिनधास्त होकर बिना कंडोम के दिन रात चुदाई कर लेते हैं.
हम एक दूसरे के साथ खुल्लम खुल्ला सेक्सी बाते भी करते है. हम जब सिक्स्टीनाइन में एक दूजे को चाट और चूस कर मज़ा देते हैं तब मैं उसकी चुत का सारा पानी बड़े प्यार से चाटता हूँ और वह भी मेरा गाढ़ा वीर्य ख़ुशी ख़ुशी से निगल जाती हैं. हम सेक्सी मैगज़ीन पढ़कर और कभी कभी ब्लू फिल्में देखकर पूरी रात चुदाई करते हैं. मेरे साढ़े छे इंच के लंड से मैं मेरी सुनीता को बहुत मस्ती से चोदता हूँ और वह भी अपनी पतली कमर और मस्त गांड उठा उठा कर मस्त चुदवाती हैं. उसके ३८ इंच के भरे हुए और कठोर वक्ष सहलाने में, मसलने में और उसके निप्पल चूसने में उसे भी बड़ा मजा आता हैं. इतने बड़े होने के बावजूद भी उसके वक्ष बिलकुल उन्नत रहते है. चुदवाने के समय कभी कभी मैं उसकी गांड की छेद में ऊँगली कर उसे और भी मस्त कर देता हूँ. मगर आज तक मैं उसकी गांड को चोदने में सफल नहीं रहा क्योंकि सुनीता को गांड की चुदाई पसंद नहीं हैं. इसलिए मैंने भी कभी इस मामले में जबरदस्ती नहीं की.
समय के साथ चुदाई में आयी हुई बोरियत को दूर करेने के लिए हमने कालोनी के दुसरे जोडियोंके बारे में सेक्सी बाते करना शुरू कर दिया. कोई एकदम माल लड़की दिखी तो रात को उसके बारे में बाते करते हुए चुदाई होती हैं और कभी कोई बाक़ा जवान मेरी सुनीता रानी को पसंद आया तो वह उसके बारे में गन्दी गन्दी बाते करते हुए मुझसे चुदती हैं.
"वो शाम को पार्क में दिखी नीले टॉप वाली लड़की की चूचियां कितनी मस्त थी न डार्लिंग?"
"हां मेरे राजा, उसके निप्पल चूसने में तुम्हे बड़ा मज़ा आयेगा."
"उसके साथ जो लड़का था वो तुम्हे बहुत अच्छे से चोदेगा सुनीता रानी!"
"आह, एक ही बिस्तर पर चारों चुदेँगे तो क्या मज़ा आएगा, हैं न?"
सिर्फ मैं किसी लड़की के साथ या सिर्फ वो किसी आदमी के साथ चक्कर चलाकर सम्भोग का आनंद नहीं लेना चाहते थे. हम ऐसा शादीशुदा जोड़ा (कपल) खोजने लगे जिनके साथ मौज मस्ती की जाए और बात बन गयी तो आगे चलकर अदलाबदली करते हुए भरपूर चुदाई भी हो जाए. मगर ऐसा कोई जोड़ा हमें पसंद नहीं आ रहा था. हमारे पडोसी तो बिलकुल ही हमारी पसंद के विपरीत थे. उनका तबादला हुआ और वह देहली चले गए. कुछ दिनों तक तो बाजू वाला घर खाली रहा.
रविवार के दिन एक सुबह के समय बड़ी सी ट्रक हमारे बिल्डिंग के सामने आकर खड़ी हो गयी. उसमे से ड्राइवर के साथ एक हसीन २५-२६ वर्षीय युवक बाहर आया. यही हमारे नए पडोसी थे, उसका नाम नीरज था। उसका रंग काफी गोरा था, चौड़ा सीना और लगभग छे फ़ीट की ऊंचाई होगी. उसने बताया की उसकी पत्नी निकिता अपने मइके गयी थी और कुछ दिनोंके बाद आने वाली थी. उनका फर्नीचर बहुत ज्यादा था. मैंने उससे बातचीत की और फिर सामान लगवाने के लिए मजदूरोंका बंदोबस्त किया. तबतक सुनीता ने बढ़िया सा खाना बनाया और हम तीनों ने साथ मिलकर भोजन किया. वह बड़ा ही मिलनसार और अच्छे स्वभाव का लग रहा था.
सुनीता ने आँखों आँखों में मुझे बताया की नीरज उसे पसंद आया है. मैं भी मन ही मन में सोच रहा था की इसकी पत्नी भी सुन्दर और सेक्सी हो तो इस नए पडोसी जोड़े के साथ मौज मस्ती करने के बारे में सोचा जा सकता हैं.
"नीरज, शाम के भोजन के लिए भी हमारे घर पर ही आ जाओ," मैंने कहा.
नीरज ने कहा, "नहीं यार राज, हम तीनो मिलकर किसी अच्छे से रेस्टारेंट में चले जाएंगे।"
मेरा नाम राज हैं और मैं २८ वर्ष का हट्टा कट्टा जवान हूँ, रंग सांवला और दिखने में भी ठीकठाक हूँ. मैं मुंबई शहर के अँधेरी इलाके में एक निजी बैंक में अच्छी नौकरी पर हूँ. तीन साल पहले मेरी शादी २४ साल की सुन्दर सांवले रंग की प्यारी सी लड़की सुनीता के साथ हुई.
सुनीता एक छोटे गांव के गरीब और पुराने विचारोंवाले घर से आयी थी इसलिए उसे चुदाई के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं था. दस दिन के हमारे हनीमून पर मैंने उसे चुदाई के सारे पाठ पढ़ा दिए थे. उस दौरान मेरा लंड चूसना , सिक्स्टीनाइन करना , घोड़ी बनकर चुदाई, मेरा उसकी चूत चाटना, ब्लू फिल्म देखकर उत्तेजित होना और फिर चुदाई करना सुनीता ने सब अच्छे से एन्जॉय करना सीख लिया. शुरू शुरू में उसे मेरे वीर्य की एक बूँद चाटना भी अच्छा नहीं लगता था. जब उसने देखा की मैं उसकी योनि से बहता हुआ कामरस पूरी तरह मजे से चाट लेता हूँ तबसे उसने मेरे लंड के वीर्यको चाटना, पीना और निगल जाना शुरू कर दिया.
उसकी गदरायी हुई मदमस्त जवानी का मैं एकदम कायल हूँ और वो भी मुझे बिस्तर में पूरा मज़ा देती हैं . कुछ पति सिर्फ अपने सुख के बारे में ही सोंचते हैं मगर मैं जोरदार चुदाई के साथ साथ सुनीता की प्यारी और मीठी चुत का दाना चाटकर उसे बहुत आनंद दिया करता हूँ. चुत चाटने के बाद तो वह एकदम मदमस्त हो जाती हैं.
जैसे कपडेमें लपेटकर रसगुल्ले खाने का का मजा नहीं आता वैसे ही कंडोम लगाकर चुदाई करने में कोई मजा नहीं आता. जैसे ही हमारी मंगनी हुई, अगले ही दिन मैंने उसे कॉपर-टी लगवाने को कहा. जब वो शादीकी खरीदारी के लिए मुंबई आयी तभी उसने कॉपर-टी लगवा ली. इसलिए हम एकदम बिनधास्त होकर बिना कंडोम के दिन रात चुदाई कर लेते हैं.
हम एक दूसरे के साथ खुल्लम खुल्ला सेक्सी बाते भी करते है. हम जब सिक्स्टीनाइन में एक दूजे को चाट और चूस कर मज़ा देते हैं तब मैं उसकी चुत का सारा पानी बड़े प्यार से चाटता हूँ और वह भी मेरा गाढ़ा वीर्य ख़ुशी ख़ुशी से निगल जाती हैं. हम सेक्सी मैगज़ीन पढ़कर और कभी कभी ब्लू फिल्में देखकर पूरी रात चुदाई करते हैं. मेरे साढ़े छे इंच के लंड से मैं मेरी सुनीता को बहुत मस्ती से चोदता हूँ और वह भी अपनी पतली कमर और मस्त गांड उठा उठा कर मस्त चुदवाती हैं. उसके ३८ इंच के भरे हुए और कठोर वक्ष सहलाने में, मसलने में और उसके निप्पल चूसने में उसे भी बड़ा मजा आता हैं. इतने बड़े होने के बावजूद भी उसके वक्ष बिलकुल उन्नत रहते है. चुदवाने के समय कभी कभी मैं उसकी गांड की छेद में ऊँगली कर उसे और भी मस्त कर देता हूँ. मगर आज तक मैं उसकी गांड को चोदने में सफल नहीं रहा क्योंकि सुनीता को गांड की चुदाई पसंद नहीं हैं. इसलिए मैंने भी कभी इस मामले में जबरदस्ती नहीं की.
समय के साथ चुदाई में आयी हुई बोरियत को दूर करेने के लिए हमने कालोनी के दुसरे जोडियोंके बारे में सेक्सी बाते करना शुरू कर दिया. कोई एकदम माल लड़की दिखी तो रात को उसके बारे में बाते करते हुए चुदाई होती हैं और कभी कोई बाक़ा जवान मेरी सुनीता रानी को पसंद आया तो वह उसके बारे में गन्दी गन्दी बाते करते हुए मुझसे चुदती हैं.
"वो शाम को पार्क में दिखी नीले टॉप वाली लड़की की चूचियां कितनी मस्त थी न डार्लिंग?"
"हां मेरे राजा, उसके निप्पल चूसने में तुम्हे बड़ा मज़ा आयेगा."
"उसके साथ जो लड़का था वो तुम्हे बहुत अच्छे से चोदेगा सुनीता रानी!"
"आह, एक ही बिस्तर पर चारों चुदेँगे तो क्या मज़ा आएगा, हैं न?"
सिर्फ मैं किसी लड़की के साथ या सिर्फ वो किसी आदमी के साथ चक्कर चलाकर सम्भोग का आनंद नहीं लेना चाहते थे. हम ऐसा शादीशुदा जोड़ा (कपल) खोजने लगे जिनके साथ मौज मस्ती की जाए और बात बन गयी तो आगे चलकर अदलाबदली करते हुए भरपूर चुदाई भी हो जाए. मगर ऐसा कोई जोड़ा हमें पसंद नहीं आ रहा था. हमारे पडोसी तो बिलकुल ही हमारी पसंद के विपरीत थे. उनका तबादला हुआ और वह देहली चले गए. कुछ दिनों तक तो बाजू वाला घर खाली रहा.
रविवार के दिन एक सुबह के समय बड़ी सी ट्रक हमारे बिल्डिंग के सामने आकर खड़ी हो गयी. उसमे से ड्राइवर के साथ एक हसीन २५-२६ वर्षीय युवक बाहर आया. यही हमारे नए पडोसी थे, उसका नाम नीरज था। उसका रंग काफी गोरा था, चौड़ा सीना और लगभग छे फ़ीट की ऊंचाई होगी. उसने बताया की उसकी पत्नी निकिता अपने मइके गयी थी और कुछ दिनोंके बाद आने वाली थी. उनका फर्नीचर बहुत ज्यादा था. मैंने उससे बातचीत की और फिर सामान लगवाने के लिए मजदूरोंका बंदोबस्त किया. तबतक सुनीता ने बढ़िया सा खाना बनाया और हम तीनों ने साथ मिलकर भोजन किया. वह बड़ा ही मिलनसार और अच्छे स्वभाव का लग रहा था.
सुनीता ने आँखों आँखों में मुझे बताया की नीरज उसे पसंद आया है. मैं भी मन ही मन में सोच रहा था की इसकी पत्नी भी सुन्दर और सेक्सी हो तो इस नए पडोसी जोड़े के साथ मौज मस्ती करने के बारे में सोचा जा सकता हैं.
"नीरज, शाम के भोजन के लिए भी हमारे घर पर ही आ जाओ," मैंने कहा.
नीरज ने कहा, "नहीं यार राज, हम तीनो मिलकर किसी अच्छे से रेस्टारेंट में चले जाएंगे।"