Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ - Page 5 - SexBaba
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Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ

फिर उन्होंने अपने दोस्तोंसे हमारा परिचय कराया. विक्रम, जिसका वो घर था, गोरा चिट्टा २२ वर्ष का युवक था. सागर भी २२ का साल का और अक्षय २४ वर्ष का था. सागर और अक्षय सांवले थे मगर हट्टे कट्टे एकदम बॉडीबिल्डर टाइप के थे. हम सबसे मिलकर वाइन पी ही रहे थे तब एक और हैंडसम लड़का आ गया. उसने अपना नाम सनी बताया, वो भी कुछ २५ साल का ही होगा. अब वो चार लड़के, रूबी और तान्या, और हम चारो (राज, सुनीता, सारिका और रूपेश) मिलकर शराब पीकर नाचने लगे. 

हम चारो लड़किया अदलबदल कर सभी लडकोंके साथ नाच रही थी. राज को भी तान्या के साथ नाचने का और यहाँ वहाँ छूने का मौका मिल रहा था, इसलिए वो भी बड़ा खुश था. मैं और सारिका भी सनी, विक्रम, सागर और अक्षय के साथ बिना झिझक के एकदम खुलकर नाच रही थी. जैसे ही नशा चढ़ता गया, वो लड़के मेरी और सारिका की गांड और चूचियोंको सहलाते और दबाते गए. हमने भी उनके सख्त लौडोंको छूने का कोई मौका नहीं गवाया. 

फिर घंटे भर के बाद विक्रम ने संगीत को रोककर सबको एक जगह बुलाया. 

"दोस्तों और आज के खास गेस्ट्स, चलो अब हम सब लोग थोड़ा खाना खाकर फिर पीने और नाचने का दौर शुरू करेंगे," उसने सबको सम्बोधित करके कहा. 

सभी लोग किचन की तरफ बढे. वहाँ टेबल पर पिज़्ज़ा और सैंडविच रखे थे. सबने अपनी अपनी पसंद के हिसाब से खाना खाया. हमने भी गार्डन पिज़्ज़ा और वेजी सैंडविच का स्वाद लिया. दारू के नशे में सब ठीक ही लग रहा था. जैसे ही हम लोग किचन से फिर हॉल की तरफ वापस आये, विक्रम ने माइक हाथ में लेकर कहा,"चलो, अब स्पेशल डांस शुरू होगा."

उसके बाद, चारो लड़के रूबी और तान्या के इर्द गिर्द नाचने और उनके अंगोंको सहलाने लगे. अब मैं और सारिका भी उत्तेजना और नशे में झूम रही थी. मैंने एक ऊँगली के इशारे से सनी को मेरे पास बुलाया. वो मुस्कुराता हुआ मेरे पास आकर मेरे वक्षोंको टटोलते हुए मेरे साथ नाचने लगा. अब राज और रूपेश भी रूबी और तान्या के करीब पहुंचकर उनसे छेड़छाड़ करने लगे. ये सब देखकर विक्रम और सागर दोनों सारिका के नजदीक आकर उसे सहलाने और चूमने लगे. कुछ देर तक पता नहीं चला की कौनसा लड़का (या लड़के) कौनसी लड़की के साथ मस्ती कर रहे हैं. 

जैसे ही संगीत थम गया, फिर एक बार विक्रम ने माइक हाथ में लेकर कहा, "प्यारे दोस्तों, अब हमेशा की तरह पासे का खेल होगा. आज हमारे बीच चार नए और स्पेशल गेस्ट्स हैं, इसलिए हमें दो पासोंसे खेलना होगा."

सभी को एक एक नंबर दिया गया और आखरी के दो (ग्यारह और बारह) को रद्द किया गया. खेल यूँ इसप्रकार था, की जिसका भी नंबर आएगा उसे एक पनिशमेंट मिलेगा. अगर लड़के का नंबर आया तो कोई भी और लड़का पनिशमेंट बताएगा और लड़की का नंबर आया तो कोई भी और लड़की पनिशमेंट बताएगी. 

पहले राउंड में अक्षय का नंबर आया, तो सागर ने कहा, "रूबी को चूमो."

अक्षय जाकर रूबी से लिपट गया और एक मिनट तक उसको चूमता रहा. सबने तालिया बजाई और फिर से पासे फेके गए. अब ग्यारह आये, इसलिए पासे दुबारा फेके गए. अब मेरा नंबर आया. मेरा दिल धड़क रहा था, तभी तान्या ने कहा, "सुनीता, हमारे मेजबान विक्रम को अच्छा सा आलिंगन और चुम्बन देके थैंक्स कहो."

मैंने राज की ओर देखा भी नहीं और जाके विक्रम की बाहोंमें समा गयी. उसने भी मुझे जकड लिया और मेरे रसीले होठोंको चूम लिया. कुछ पल के लिए उसकी जीभ मेरे होठो और जीभ के साथ भी खेली. 

अगले राउंड में रूपेश का नंबर आया. राज कुछ बोलना चाहता था उसके पहले ही सनी ने कहा, "सुनीता के साथ लम्बा चुम्बन!"

अब किसी को भी ये पता नहीं था की मैं और रूपेश कई बार हमबिस्तर हो चुके हैं, इस कारण बाकि सभी के लिए ये एक बड़ी बात थी. रूपेश सीधा मेरे पास आकर मुझे सोफे पर लिटाया और मेरे होठोंको अपने हाथोंमें लेकर चूमता और चूसता रहा. साथ में उसने मेरे वक्षोंको भी उपरसे ही दबा दिया. सनी और विक्रम ने जोरदार सीटिया बजाई. 

अगला नंबर तान्या का आया, और मैं झट से बोली, "टॉप खोलकर राज और रूपेश को आलिंगन और चुम्बन दो."

"सुनीता, तुम भी बड़ी चालू हो, ऐसे लग रहा हैं जैसे की तुम राह देख रही थी कब मेरा नंबर आये और तुम मुझे अपने पति के पास भेजोगी," ये कहते हुए उसे अपना पीले रंग का छोटा सा टॉप उतार कर फ़ेंक दिया और राज के पास गयी. उसने अंदर हलके नीले रंग की ब्रा पहनी थी. राजने उसे चूमा और बाहोंमें ले लिया. पीछेसे रूपेश भी उससे चिपट गया . 

अगले पंद्रह मिनट में रूबी को छोड़कर बाकी तीनो लड़कियोंके टॉप निकल गए और काफी देर तक अलग अलग लड़कोंके साथ आलिंगन और चुम्बन हो गया था. अब मैं भी काफी गरम हो चुकी थी और मेरी योनि गीली होकर अपना रास छोड़ रही थी. वहाँ राज और रूपेश दोनोंके लंड तम्बूमें खड़े होकर रूबी और खास करके तान्या को सलामी दे रहे थे. 

मैंने राज की तरफ देखा और उसे आँखों आखोंमें पूंछ लिया, "सब ठीक चल रहा हैं न? तुम खुश तो हो ना?"

वहांसे भी हाँ में ही जवाब आया. फिर मैं बिनधास्त हो गयी और मैंने विक्रम के पास जाकर माइक हाथ में लिया, "एक राउंड में एक को ही पनिशमेंट थोड़ा सा बोरिंग हो रहा हैं यार विक्रम. चलो कुछ ऐसा खेल खेलते हैं जिसमे और ज्यादा मज़ा आये."

अब सभी लोगोंके नाम की चिट्ठियां लिखी गयी, एक तरफ लडकोंके नामोंकी चिट्ठियोंका ढेर और दूसरी तरफ लड़कियोंके नामोंकी चिट्ठियोंका ढेर रखा गया. अब पासे के साथ साथ दोनों ढेर में से एक एक चिट्ठी उठायी जाने वाली थी. 

"सुनीता, तुम तो बहुत ही हॉट और स्मार्ट भी हो," अक्षय ने मुझसे कहा. मैंने मुस्कुराते हुए उसे एक फ्लाइंग किस दिया. 

अब पासे के अनुसार सनी, और चिट्ठियोंके हिसाब से रूबी और रूपेश का नंबर आया. 

"रूबी, अपना टॉप खोलकर रूपेश को जहाँ मर्जी वहां चूमने दो. सनी, तुम सुनीता की मिनी स्कर्ट उतारकर उसको सेहलाओ और किस करो," अब तान्या ने मुझसे बदला लेने के लिए कहा. 
 
रूपेश रूबी के पास गया और पहले तो उसे बाहोंमें लेकर उसके होंठ चूसे फिर वक्षोंको कपडेके उपरसे ही सहलाया. फिर उसका टॉप उठाया, देखा तो रूबी ने अंदर सफ़ेद रंग की बहुत ही छोटी सी ब्रा पहनी थी. फिर रूपेश ने उसके वक्षोंको, गर्दन को और कंधोंको चूमना शुरू किया. लग रहा था की एक नए पुरुष के इतने निकट स्पर्श से वो भी उत्तेजित हो रही थी और आँखें बंद कर मज़े ले रही थी. 

सनी ने मेरे पास आकर मेरी मिनी स्कर्ट उतार दी और मुझे सोफे पर लिटा दिया. अब वह मेरी मांसल जांघें और वक्षोंके बीच चूमने लगा. क्योंकि वो मुझपर लेटा हुआ था, उसका कड़क और लम्बा लंड मुझे छूकर दीवाना बना रहा था. 

अगले राउंड में राज, सारिका और विक्रम का नंबर आया. अब सारिका और विक्रम सोफे पर लेटकर चूमाचाटी में लग गए और राज को अपनी शॉर्ट्स उतारकर रूबी के साथ पीठ और कमर सहलाना था. जैसे ही रूबी पेट के बलपर लेट गयी, राजने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी नंगी पीठ को सहलाने और चूमने लगा. उसने हलके से रूबी की पैंटी नीचे सरकायी और उसकी गांड को भी चूमने लगा. 

ये देखकर उत्तेजित होकर विक्रम और अक्षय मेरे पास आये और दोनों मेरे एक एक वक्ष को ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगे. 

अगला राऊंड अक्षय, रूबी और तान्या के नाम था. फिर तान्या को राज और अक्षय के साथ चूमाचाटी का आदेश हुआ और रूबी विक्रम के साथ कपडोंके ऊपर से ही सिक्सटी नाइन की पोज में एन्जॉय करने लगी. 

अब विक्रम ने माइक उठाकर कहा, "अब सब लोग, हमारे स्पेशल गेस्ट्स भी, एक दुसरे से पूरी तरह खुल चुके हैं. इसलिए आगे का खेल यूँ होगा. हर लड़की को एक्का से लेकर चार में से एक पत्ता मिलेगा. जिसके पास एक्का आएगा, वो पहले लड़का या लड़कोंका चुनाव करेगी. चारो लडकियोंको एक और पत्ता मिलेगा, राजा या गुलाम. अगर राजा मिला तो एक लड़का चुनना होगा और अगर गुलाम मिला तो दो लड़के."

मैं, राज, सारिका और रूपेश ने एक दुसरे की तरफ देखा। सबकी आंखोंमें अजीब सा नशा था और दिलोंकी धड़कन बढ़ रही थी. ये संभव था की मुझे और सरिकाको पूर्ण रूपसे अजनबी लडकोंके साथ सम्भोग करना पद सकता था. वैसे ही राज और रूपेश को रूबी और तान्या मिल सकती थी या फिर किसी और लड़के के साथ अपनी पत्नी/साली को शेयर भी करना पड सकता था. 

आखिर सारिका से रहा नहीं गया और उसने हम सब को सम्बोधित कर पूँछ लिया, "क्या हम चारो इस किये तैयार हैं?"

मैं राज, सारिका और रूपेश को लेकर सबसे थोड़ा दूर चली आयी और मैंने कहा, "अगर मैं इन लड़कोंसे सम्भोग करुँगी तो सिर्फ कंडोम के साथ ही. वो भी अगर राज या रूपेश भी तैयार हैं तो ही."

रूपेश ने कहा, "सच कहूँ तो तान्या को चोदने के लिए मैं तड़प रहा हूँ मगर इस खेल में कोई भी किसी के साथ जा सकता हैं. मेरी तरफ से सारिका को पूरी आज़ादी हैं किसी भी लड़के के साथ सेक्स करने की."

अब राज बोला, "मुझे थोड़ा अजीब लग रहा हैं, इन चारो लडकोंको हम जानते नहीं हैं. हो सकता हैं की रूबी और तान्या इन चारोंके साथ कई बार चुद चुकी हो, मगर ये चारो सुरक्षित हैं या नहीं, ये बताना कठिन हैं."

"अब इस समय तो उनसे टेस्ट का सर्टिफिकेट नहीं मांग सकते न? या तो तैयार होकर साथ में चुदेँगे या फिर उन लोगोंको चुदाई करते देखेंगे और हम चार अपने बीच हमेशा की तरह सम्भोग का सुख लेंगे," ये मेरी राय थी. 

फिर राज ने कहा, "ठीक हैं मैं विक्रम से बात करता हूँ. अगर वो चारो लड़के कंडोम पहनकर चुदाई के लिए राजी हैं, तो हम भी इस में शामिल हो जायेंगे. और पत्तोंके हिसाब से किसके साथ कोई भी जाओ, बीच में जोड़ी बदलकर तान्या को तो मैं और रूपेश चोद ही सकते हैं. कोई रोकने वाला थोड़ा ही हैं?"

इसपर मैं और सारिका हंस दिए, और मैंने राज और रूपेश पर व्यंग कसते हुए कहा, "तुम दोनों भी ले जाके तान्या के पीछे पड़े हो!"

राजने विक्रम से बातचीत की और फिर वो चारो लड़के कंडोम पहनकर चुदाई के लिए राजी हो गए. यह बात जाहिर थी की वो लोग भी मेरी और सारिका की जवानी का रसपान करना चाहते थे. 
 
अब नियम के अनुसार मैं, सारिका, रूबी और तान्या ने एक ढेर में से एक पत्ता (जिसमे इक्का से लेकर चार थे) और दुसरे ढेर में एक पत्ता (जिसमे दो राजा और दो गुलाम थे) उठाये. रूबी को इक्का और गुलाम , मुझे दो और राजा , सारिका को तीन और राजा और तान्या को चार और गुलाम मिला. सारे लड़के एक कतार लगाकर खड़े थे (और उनके लंड भी खड़े थे) इस इंतज़ार में की कौनसी लड़की किसको चुनेगी. 

सबसे पहले रूबी आगे बढ़ी और उसने रूपेश और सनी को पास बुलाया. अब मेरी बारी थी, मैंने विक्रम को बुलाया, क्योंकि मुझे वो भा गया था. सारिका ने मेरे और राज की तरफ देखते हुए अक्षय को अपने पास बुलाया. उसी क्षण राज और सागर दोनों तान्या के पास गए. राज ने मन ही मन रूबी को धन्यवाद किया की उसने राज को नहीं चुना. वैसे रूबी भी जानती थी की राज तान्या को चोदने के लिए बेकरार था इसलिए उसने समझदारी दिखाकर राज को नहीं चुना. 

अब चार ग्रुप हॉल के चार कोनोमें बिछे हुए बिस्तरोंके पास चले गए. सभी बिस्तारोंके पास कामसूत्र कंडोम के बड़े डब्बे रक्खे हुए थे. मैं और सारिका, दोनोंके दिल जोरोंसे धड़क रहे थे. हम दोनों भी बिलकुल अनजान लड़कोंसे सम्भोग सुख प्राप्त करने वाले थे. अब खासकर राज को तान्या मिलने के बाद पीछे हटने का कोई मौका नहीं था. 

रूपेश भी नयी चुत को आजमाने वाला था, इसलिए वो भी अब पीछे हटने वाला नहीं था. अब तो "आर या पार" वाला मौका था.

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अब इसके आगे की कहानी राज की जुबानी 

मैं और सागर दोनों तान्या का एक एक हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर के पास लाये. 

"यार राज, तुम्हारा तान्या के साथ ये पहला मौका हैं, इसलिए तुम बताओ अब कैसे शुरुआत की जाए," सागर ने कहा. 

"मैं तो पहले तान्या के सुन्दर गोरे गोरे मम्मे चूसूंगा और फिर उसके साथ टिट फकिंग करूंगा. तुम नीचे शुरू हो जाओ," मैंने कहा. 

पालक झपकते ही मैंने तान्या को बाहोंमे लिया और उसके गीले और रसीले होठोंको चूसता गया. उसने भी अपनी जीभ मेरे मूंहमें डाल दी और दोनों जिव्हाएं एक दुसरे को प्यार करने लगी. तब तक सागर ने तान्या की पैंटी उतारकर उसकी टाँगे फैलाकर उसकी चुत को चूमना और चाटना शुरू कर दिया था. 

हम तीनो बिस्तर पर लेट गए और मैंने तान्या की ब्रा का हुक खोल दिया। उसकी भरी हुई और दूध के जैसी गोरी छातियाँ खुलकर बाहर आ गयी. मैं बारी बारी एक एक वक्ष को मुँह में लिए चाटने, चूसने, चूमने और मसलने लगा. तान्या ने हाथ बढ़ाकर मेरी फ्रेंची उतार दी और मेरे लौड़े को प्यारसे सहलाने लगी. 

"आह राज, कितना अच्छा लग रहा है इसे सहलाते हुए. और कितना अच्छा चूसते हो तुम, ओह राज, आह आह, चूसो और चूसो. थोड़ा बीच बीच में मेरे निप्पल को चबाओ, आह, यस, ऐसे ही राज, ओह, आह, यसस्स , आह."

थोड़ी देर और उसके निप्पल्स चूसने के बाद मैं उसके वक्षोंके बीच अपने लंड को लाया और तान्या के गठीले और सुन्दर चूचियोंको चोदने लग गया. वहाँ नीचे सागर ने तान्या की चुत चाटकर गीली कर दी थी और अब वो अपना लंड घुसाकर उसे आवेश में आकर चोद रहा था. तान्या दो दो लौडोंका एक साथ मज़ा ले रही थी, मगर उसके लिए ये आम बात थी. जाहिर बात थी की, रूबी और तान्या इन चारो लडकोंके साथ ग्रुप सेक्स करती रहती थी. 

दुसरे कोने में सुनीता और विक्रम पूर्ण रूप से नग्न होकर सिक्सटी नाइन का आनंद ले रहे थे. वैसे भी सुनीता रानी को ये पोज कुछ ज़्यादा ही पसंद था. दोनों आँखें बंद कर एक दुसरे को मौखिक सुख दे रहे थे. 

सुनीता को योनि पर से उठकर विक्रम ने कहा, "सुनीता, तुम्हारी इस मस्त जवानी को पूरे मजे दूंगा, आज तुझे ऐसा चोद डालूँगा की तू याद रखेगी."

जब विक्रम ने कंडोम लगाकर सुनीता को चोदना आरम्भ किया, तब सुनीता बोल उठी "मार.. विक्रम मार। कर दे तेरा सारा लौड़ा अंदर... हाय देखूँ कितनी जान है तेरे में.. आहह खाली बोलता रहता है चोद दूँगा चोद दूँगा की चोदेगा भी, चल चोद मुझे, यस, फक मि हार्ड, और जोर से, आह." 

रूपेश कंडोम लगाकर रूबी को घोड़ी बनाकर चोद रहा था, और उसी पोज में रूबी सनी का लम्बाचौड़ा कड़क लंड चूसे जा रही थी. चोदते समय रूपेश रूबी की छोटी छोटी चूँचिया मसल रहा था और उसकी गांड पर थप्पड़ जड़कर उसे और उत्तेजित कर रहा था. 

जैसे ही रूपेश उसे चोदता गया, रूबी भी बड़बड़ा उठी, "हाय,चोद पेल... आहह रुक क्यों गया ज़ालिम... आहह मत तरसा आहह.. अब तो असली वक्त आया है धक्के मारने क। मार खूब मार जल्दी कर.. आज कर दे मेरी चूत के टूकड़े टूकड़े... फ़ड़ डाल इसे... हाय बड़ा मोटा हैं तेरा लौड़ा, यस, फक मि रूपेश, चोदो मुझे और जोर से. आइइई।" 

अक्षय सारिका की चूतका दाना चाट रहा था और उसकी चूतमें दो ऊँगली से उसको और सुख दे रहा था. सारिका भी जोर जोर से "यस, यस, ऐसे ही, आह, चाटो मेरा दाना, ओह गॉड, फक, यस, चाटो," कहे जा रही थी. अक्षय को सारिका की गोरी गोरी मस्त गांड को सहलाना और चूतका दाना चाटने में बड़ा मज़ा आ रहा था. अब वो पूरे आवेश में आकर सारिका को चोदने के लिए कंडोम लगाकर तैयार हुआ. उसका लौड़ा पांच इंच का ही था मगर काफी चौड़ा था.
 
जब अक्षय का लंड सारिका की टाइट चूत में घुस जाने पर वो दर्द के मारे उछल पड़ी। सारिका जोर जोर से चिल्लाई, "आआअहह.. उफफ्फ़.. आआईयईई.. .. मररर गईईईई.. बसस्स्स्स.. नही..अई बाहआअररर निककाललो.. जाआ अन्नऊऊउउ आहह.. अहह उम्म्माआ आईईई..." 

उसकी एक न मानते हुए अक्षय उसे चोदता ही गया और आखिर सारिका को भी मज़ा आने लगा. वो भी अपनी गांड उठाकर चुदने लगी. दस मिनट घोड़ी बन कर चुदने के बाद अब सारिका की योनि अक्षय के मोटे लौड़े को आसानी से अंदर लेने लग गयी थी. 

अक्षय ने सारिका को फिर से बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी गोरी गोरी मांसल जांघोंको को ऊपर करके पूरा चौड़ा कर दिया। अक्षय ने अपना मोटा और कड़क लंड सारिका की चूत में घुसेड़ दिया। इस बार उसकी स्पीड इतनी थी कि सारिका हांफते हुए बोल रही थी,"आह, मजा आ गया... उम्म्ह... अहह... हय... याह... यस, अक्षय माई लव फाड़ दो आज मेरी चूत को... रुकना नहीं! और जोर से... और जोर से! पहली बार इतने तगड़े लंड से चुद रही हूँ, फक मि, हार्डर, यस, आह, चोदो मुझे."

सागर को तान्या के मुँह की तरफ भेजकर मैंने अब तान्या की चुत चाटना शुरू किया. मुझे ऐसा लगा की मैंने जन्नत की सैर ही कर ली हो. तान्या दिखने में जितनी सुन्दर थी, उतनी ही उसकी चुत रसीली और स्वाद से भरी थी. जैसे जैसे मैं उसकी चुत की पंखुडिया और चुत का दाना चूसता गया, उसकी मादक सिसकीया निकल रही थी. 

मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने कंडोम लगाकर तान्या को चोदना शुरू किया. तब तक सागर का लौड़ा उसके मुँह में आ चूका था. तान्या की योनि बहुत ही टाइट थी इसलिए चोदने में और भी ख़ुशी हो रही थी. 

"आह तान्या, कितना मस्त लग रहा हैं तुझे चोदते हुए, कितने दिन से इंतज़ार था इस घडी का, आह, फक, तान्या, तुम कितनी सेक्सी और माल हो, ओह यस, फक, तान्या," मैं कहता गया और उसे चोदता गया. वो इतनी सुन्दर और सेक्सी थी, जिसे दस बार चोदना और एक बार गिनना. 

कुछ ही मिनटोंमें सागर तान्या के मुँह में झड़ गया और उसका वीर्य चाटकर पी गयी. मैं घर से शक्तिवर्धक गोलियां खाकर आया था इस उम्मीद में की शायद तान्या या काम से काम रूबी को चोदने का मौका मिल जाए. इस कारण मैं अभी भी उसकी चूतमें अपने लौड़े से ठोकरे मार रहा था. 

यहाँ पर तो जैसे मेरी लाटरी निकल गयी थी. अब मैंने तान्या को घोड़ी बनाया और उसकी गांड खोलकर पीछे से चोदने लगा. 

"आह, आह, यस्स , ऐसे ही राज, छोड़ो मुझे, फक मि हार्ड, यस, आह, यस, यस."

अब मेरे भी सब्र का बाँध टूट गया और मैं उसकी योनि में ही झड़ गया. मैंने अपना लंड बाहर निकलकर कंडोम उतार दिया. पहले तो तान्या ने मेरे लौड़े के ऊपर बचा हुआ वीर्य चाटकर पी लिया, फिर कंडोम को खुद के मुँहे में उल्टा कर अंदर का सारा वीर्य भी पी गयी. फिर उसने मेरी तरफ देख कर आँख मारी. 

हॉल के बचे हुए तीन कोनोमें भी ऐसे ही ठुकाई, चुदाई, चुसाई और चटाई चल रही थी. आखिर सारे निढाल होकर बिस्तर पर लेट गए. 

दो घंटे के बाद, हम चारो (मैं, सुनीता, रूपेश और सारिका) मेजबान विक्रम का और रूबी, तान्या का धन्यवाद करते वहां से चल दिए. 

अगले ही हफ्ते शुक्रवार की शाम को अँधेरी के एक बड़े होटल में बाजू बाजू में दो कमरे बुक किये गए. एक कमरे मैं मैं, रूबी और तान्या थ्रीसम का आनंद ले रहे थे. वो दोनों उन चारों लडकोंके साथ ग्रुप सेक्स के साथ साथ एक दुसरे के साथ लेस्बियन सेक्स के भी मजे लूटती थी. नंगी होने के बाद, सबसे पहले रूबी अपनी टाँगे खोलकर लेट गयी और तान्या उसकी चुत को चाटते हुए एक मोटे खीरे से उसकी चुत को चोदने लगी. क्योंकि तान्या अपने घुटनोंपर बैठकर मुझे अपनी गांड के दर्शन करा रही थी, मैंने उसकी चूतमें अपना लंड पेलता गया. उसके अंग पर झुककर उसके बड़े बड़े वक्ष जोरोंसे मसल रहा था. उसके निप्पल्स एकदम कड़क हो गए और वो जोरो शोरो से चिल्ला रही थी, "यस, फक मि हार्ड, चोदो मुझे, और जोर से, आह, आह, यस्स, चोदो मुझे और जोर से."

फिर दोनों लड़कियोंने अपनी अपनी जगह बदली और फिर मैं रूबी की एकदम टाइट चुत को चोदने लगा. अब तान्या की गीली चुत में वही खीरा अंदर बाहर हो रहा था. जब मेरी सब्र का बाँध टूटने लगा, तब मैंने कंडोम निकाला और दोनोंके वक्षोंके ऊपर अपने लौड़े का सारा वीर्य उछाल दिया. फिर दोनोंने एक दुसरे के वक्ष से वीर्य चाट चाट कर पीया। फिर मेरे लंड को चाटकर और चूसकर वीर्य की आखरी बूँद तक निकाल ली. 

मुझे लगा की इतना सुख मुझे जीवन में पहली बार मिला. मैंने रूबी और तान्या को बारी बारी से मिशनरी, डॉगी पोज और अंत में गांडमें भी चोदा। सुबह के चार बजेतक चुदाई चलती रही और फिर दोनों मेरी बाहोंमें सो गयी. 

बाजू के कमरे में सुनीता चारो लडकोंके साथ अपनी ज़िन्दगी का प्रथम गैंग बैंग एक सुख ले रही थी. एक साथ उसके मुँह में, चुत में और दोनों हाथोंमें लंड थे. चारो लड़के बारी बारी से उसको जन्नत की सैर कराते रहे. 

विक्रम ने सुनीता की चूचियोंके बीच अपने लौड़े से चुदाई करते हुए अपना सारा वीर्य उसके चेहरेपर दाल दिया. बाकी के लड़के भी एक एक करके उसके वक्षोंपे, जाँघोंपे और पेटपर अपना अपना वीर्य उंडेल कर तृप्त हो गए. 

सभी के लौडोंसे निकलती हुई वीर्य की हर बूँद सुनीता चाट चाट कर पी गयी. चारो उसे गांड चुदाई के लिए कहते रहे मगर उसने न कहने में ही भलाई समझी. 

अगले दिन सुबह जब मैं और सुनीता होटल से निकले तब दोनों थकान से चूर चूर हो गए थे. घर जाकर पूरा दिन आराम करने के बाद ही दोनोंके बदन का दर्द काम हुआ. 

जल्द ही रूबी को मरीन ड्राइव की किसी बड़ी बैंकमें नौकरी मिली और वो वहांसे चली गयी. तान्या को भी किसी फिल्म में सह-अभिनेत्री का छोटा सा रोल मिल गया और वो भी काम में व्यस्त हो गयी. अब इन दोनोंके अलग होने के बाद हम उन चारो लड़कोंसे भी नहीं मिले. 

जो भी पल मैंने और सुनीता ने उस ग्रुप के साथ बिताये वो हमारे लिए यादगार हैं.
 
कहानी ३ : शादी में धूम धाम

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सुनीता की जुबानी 

जैसे की आपने हमारी पहली कहानी में आपने पढ़ा, मेरी छोटी बहन सारिका (२२) और उसका पति रूपेश (२५) हमारे साथ ही रहते हैं. एक बार रूपेश के चचेरी बहन की शादी के लिए हमें सोलापुर जाना था. चारोंके थ्री टायर ए.सी. के टिकट भी बनवा दिए गए थे. रूपेश के एक दोस्त को तीन-चार दिन के लिए दूकान सँभालनेका इंतज़ाम भी कर दिया था. मैं और सारिका दोनों भी खुश थे की हमें शादी में बनने संवरने का मौका मिलेगा और घूमने का मज़ा भी आएगा. शुक्रवार की रात की ट्रेन से हम लोग निकलने वाले थे. जाने की तयारी अच्छे से चल रही थी. राज ने भी अपनी नौकरी से छुट्टी ले ली थी. हम चारों कई दोनोंके बाद एक साथ शहर से बाहर जा रहे थे.

गुरुवार की सुबह अचानक कोई हेल्थ इंस्पेक्टर रूपेश की दूकान पर आ गया. उसने रूपेश पर अवैध (गैरकानूनी) दवाइयां बेचने का आरोप लगाया और दूकान पर सील लगा दिया. रूपेश ने उसे काफी समझाने की कोशिश की मगर वो एक बात नहीं माना. जब घूस देने की कोशिश की, तब वो और भी ज्यादा गुसा हो गया. अब कोर्ट के दरवाज़े खटखटाये बगैर बात नहीं बननेवाली थी. 

राज ने कहा, "रूपेश, हम चारोंके टिकट मैं रद्द कर देता हूँ. इस मुसीबत की घडी में तुम्हें यहां अकेला छोड़कर मैं नहीं जाऊंगा."

रूपेश ने कहा, "राज, अब जो भी करना हैं मुझे वकील के साथ मिलकर तय करना हैं. कम से कम आप तीनो तो शादी में जाकर हाजरी लगाकर आ जाओ."

दोनोंके बीच काफी देर तक बातचीत चलती रही. क्योंकि ट्रेन बोरीबन्दर से थी इसलिए शाम के सात बजे तक घर से निकलना जरूरी था. हां ना के बीच आखिर राज ने रूपेश की बात मान ली और हम तीनो टैक्सी में बैठकर बोरीबन्दर के लिए चल दिए. रस्ते में काफी भीड़ होने की वजह से मुश्किल से दस मिनट पहले बोरीबन्दर रेल स्टेशन पर पहुँच पाए. अब बोगी तक पहुँचने का ही समय बचा था, इसलिए रूपेश की टिकट रद्द (कैंसल) करने का मौका ही नहीं मिला. 

जैसे तैसे सामान के साथ हम लोग हमारी बोगी में दाखिल हुए. थ्री टायर ए.सी. में जिस तरफ छह सीट होती हैं, उसीमे हमारे चार सीट थे. नीचे के दो और ऊपर के दो. पांचवी और छट्टी सीट पर एक दक्षिण भारतीय जोड़ा आकर बैठ गया. आदमीं ने अपना नाम राव बताया और उसकी पत्नी का नाम था रागिनी। दोनों भी हमसे कुछ साल बड़े लग रहे थे, शायद दोनों भी ३५-३६ की उम्र के होंगे. 

दोनों भी पति पत्नी का रंग मुझसे भी ज्यादा डार्क था. मिस्टर राव देखने में ठीक थे, रागिनी का रंग डार्क होने के बावजूद उसके नाक नक़्शे सुन्दर थे. उसके तंग चोलीसे पता चल रहा था की चूचियाँ मध्यम आकार की मगर एकदम उभरी हुई होगी. हम तीनो उनसे यहाँ वहा की बाते करने लगे. उनको हिंदी ख़ास अच्छी आती नहीं थी, इस कारण ज्यादा बातचीत हुई नहीं. 

क्योंकि हमने रूपेश का टिकट कैंसिल नहीं कराया था इसलिए उसका बर्थ खाली था. हम तीनोंके पास सामान काफी ज्यादा था और हम लोग नहीं चाहते थे की कोई और हमारे साथ बैठे. इसलिए जब टिकट चेकर आया तब उसे झूठ मूठ में बता दिया की हमारा चौथा साथी बाथरूम गया हैं. वो भी ज्यादा पूछताछ करे बगैर चला गया. 

हमने थोड़ी देर तक राव और रागिनी से बातचीत की. उन्हें पता चल गया की मैं (सुनीता) और राज पति और पत्नी हैं और सारिका मेरी छोटी बहन. भोजन होने के बाद साढ़े दस बजे के करीब हम सब लोग सोने का इंतज़ाम करने लगे. 

अब सोने का इंतज़ाम कुछ यूँ था: मैं और सारिका दोनों नीचे के बर्थ पर. मिस्टर राव और रागिनी बीच के बर्थ पर और राज ऊपर के बर्थ पर. दुसरे ऊपर के बर्थ पर सारा सामान रखा गया. बत्ती बुझाई गयी और सब एक दुसरे को शुभ रात्रि (गुड नाईट) कहकर अपने अपने बर्थ पर लेट गए. 

अब राज को नीचे दो दो रसीली चूत के होते हुए नींद कहाँसे आती. पांच मिनट के बाद वो कूद कर नीचे आ गया और मेरे बदन से लिपट गया. 

जैसे ही राज ने मुझे बाहोंमें लिया, राव और रागिनी की निगाहें हमारे बर्थ की तरफ हो गयी. राज ने मेरी नायटी ऊपर उठायी और मेरी मुलायम मांसल सांवली जांघोंको सहलाने लगा. वो नज़ारा देखकर राव और रागिनी हमें बेझिझक घूरने लगे. अब मैं और राज तो दोनों बेशर्म थे ही. राजने अपना टी-शर्ट और पैजामा उतार दिया और मेरी नायटी को सर के ऊपर से पूरा निकल दिया. अब हम दोनोंके शरीर पर सिर्फ अंडरवियर ही थी. 

अब तो राव और रागिनी बिना किसी झिझक के अपने अपने बर्थ से मुंडी बाहर निकालकर हमें देखने लगे. शायद दोनों लाइव ब्लू फिल्म देखकर उत्तेजित भी हो रहे थे. मेरे भरपूर और कठोर वक्ष, नुकीले निप्पल्स और मांसल जाँघे उस बोगी के थोड़ी सी रौशनी में चमक रहे थे. जैसे ही राजने हम दोनोंके अंडरवियर निकाल दिये, राव और रागिनी से रहा नहीं गया. दोनों पति पत्नी अपने अपने बर्थ से नीचे उतर गए. 

राव ने बिना कुछ कहे दोनों मिडिल बर्थ ऊपर उठा दिए. अब राज को मेरे ऊपर चढ़कर चोदना आसान हो गया. जैसे ही राज ने अपना सख्त हथियार मेरी योनि में घुसाया, रागिनी से रहा नहीं गया. उसने अपने पति की लुंगी ऊपर उठायी और उसके लंड को बाहर निकालकर सहलाने लगी. अब यह सब नज़ारा देखकर बाजू के बर्थ पर लेटी हुई सारिका भी दोनों कपल्स को देखने लग गयी. 

अब राजने मेरे वक्ष सहलाते हुए राव की तरफ देखा. जैसे की कोई इशारा समझ में आ गया हो ऐसे राव ने अपनी पत्नी रागिनी की नायटी को सर के ऊपर से उठा दिया और अब रागिनी भी सिर्फ पैंटी में थी. उसके वक्ष मेरे वक्षोंसे आकार में थोड़े छोटे थे मगर अमरुद के जैसे सख्त थे. वहा रागिनी ने भी जोश में आकर राव की लुंगी खोल दी. उसका लिंग लगभग छे इंच लम्बा और कड़क था. सारिका अपने बर्थ पर से उठ गयी और राव और रागिनी को उस खाली बर्थ की तरफ इशारा किया. अब रात के समय उस ट्रैन में बाकी के सभी लोग सोये हुए थे, इसलिए यह सारा मामला बिना कोई आवाज़ या बातचीत किये सिर्फ ईशारोंमें हो रहा था. 

राव ने रागिनी को मेरे बाजू के बर्थ पर लिटा दिया और उसकी पैंटी खींचकर निकाल दी. अब ऐसा लग रहा था की रागिनी भी पूरी तरह गरम हो गयी थी. उसने अपनी गांड उठाकर पैंटी को निकालनेमें सहायता की. दोनों नीचे के बर्थ पर कायदे से चुदाई होने लग गयी. राव तो मुझे देखता जा रहा था और रागिनी को चोदता जा रहा था. राज भी बीच बीच में रागिनी की तरफ नजर डाल रहा था. एक दो बार तो मुझे लगा की रागिनी ने राज की तरफ मुस्कुराके भी देखा.
 
अब राज पलट कर सिक्सटी नाइन की पोजमें आ गया और मेरी गीली चुत चाटने लगा. जैसे की राव और रागिनी हमसे चुदाई की शिक्षा ले रहे थे, इसलिए अगले ही पल वो दोनों भी सिक्सटी नाइन की पोजमें आकर लंड चुसाई और चुत चाटने का आनंद लेने लगे. अब ये सब देखकर सारिका भी पूर्ण रूपसे एक्साइट हो गयी. उसने भी अपनी नाइटी उतार दी. सारिका का सुन्दर, गोरा और सेक्सी बदन देखने के बाद तो राव जैसे पागल हो गया. अब वो सिक्सटी नाइन से उठकर बैठ गया और रागिनी को घोड़ी बनाकर चोदने लगा. वो चोद तो अपनी पत्नी को था, मगर उसकी हवस से भरी निगाहें हम दोनों बहनोंको ही देख रही थी. 

आधे घंटे तक यही चलता रहा, फिर राव ने अपना वीर्य रागिनी की चुत में छोड़ दिया. कुछ मिनट के बाद राज भी स्खलित होने वाला था, इसलिए हमेशा की तरह अपना लौड़ा मेरी योनिमें से निकालकर मेरे मुँह के पास ले आया. मैंने एक नज़र राव और रागिनी की तरफ फेंकी और राज का लंड चूसने लगी. अगले ही पल उसके लंड से नमकीन वीर्य निकलने लगा, जिसे मैं मुँह खोलकर पीती गयी. ये नज़ारा देखकर तो राव और रागिनी की अंदर की वासना फिर से भड़क उठी. 

अब रागिनी अपने पति के लौडेको सहलाती और चूमती गयी, जिससे राव का लंड धीरे धीरे कड़क होने लगा. अब उनको और ज्यादा उत्तेजित करने के इरादे से मैं बर्थ पर से उठ गयी और सारिका का हाथ पकड़कर उसे राज के बाजू में लिटा दिया. जैसे ही राज ने सारिका को बाहोंमें लिया, वहा बाजू के बर्थ पर राव का लंड एकदम से उछल कर खड़ा हो गया. दोनों पति पत्नी हमारी इस हरकत को देखकर परेशान और उत्तेजित हो गए थे. 

अब जैसे ही राज ने सारिका को चूमना और उसके गोरे गोरे वक्षोंको चूसना आरम्भ किया, राव और रागिनी फिर से आवेश में आ गए और एक दुसरे को सम्भोग सुख देने लग गए. मैं बीच में खड़ी होकर अपनी चुत में ऊँगली करते हुए मजे ले रही थी. दोनों बर्थ पर घमासान चुदाई चल रही थी. दोनों पुरुष बाजू के बर्थ की औरत को देखकर और भी जोश में आके चूतमें ठोकर मार रहे थे. अब सारे इतना ज्यादा उत्तेजित हो गए थे की ऐसा लगा बाजू की बर्थ से कोई उठकर आ न जाए. 

आखिर राज ने अपना वीर्य सारिका की योनि में छोड़ दिया. इस बार रागिनी ने अपने पति का लौडा मुँह में लिया और उसका सारा वीर्य गटक गयी. फिर उसने राज और सारिका की तरफ देखा और अपने होठोंपर से जीभ फिरायी। कुछ समय के बाद, सभी थोड़ा नॉर्मल हो गए और फिर धीरे से उठकर राव ने दोनों बीच के बर्थ उठाये. सब लोग अपने अपने बर्थ पर जाकर सो गए, जैसे की पिछले दो घंटे कुछ हुआ ही नहीं. 

मैं सोचती रह गयी की जबसे मैं और राज पार्टनर बदल कर चुदाई करने लगे हैं, हमने क्या क्या कर लिया. पहले मैंने अपनी खुद की बहन और बहनोई के साथ पार्टनर बदल कर सम्भोग किया. फिर पडोसी जोड़ा (नीरज और निकिता) के साथ वही खेल खेला. कई सालोंतक नीरज और निकिता के साथ जबरदस्त सेक्स का सुख पाया. आज चलती हुई ट्रेन में एक अनजान कपल के सामने मैंने राज के साथ और फिर राज ने सारिका के साथ सम्भोग कर लिया. हम जैसे की सेक्स के मामले में ज्यादा माहिर होते जा रहे थे. 

सुबह हमारी नींद खुली और हम तीनो अपना सामान ठीकसे बांधकर सोलापुर स्टेशन पर उतरने के तैयारी में लग गए. जब मिस्टर राव बाथरूम की तरफ गए, तब रागिनी ने एक कागज़ का टुकड़ा मुझे थमाया और इशारों में छुपाने के लिए कह दिया. मैंने झट से उसे अपनी पर्स में रख दिया. स्टेशन आते ही हम लोग उतर गए और कुली की मदद से सामान नीचे उतार लिया. आगे जाकर मैंने जब वो पर्ची देखि तब उसमे रागिनी ने अपना फ़ोन नंबर और पता लिखा हुआ था. इसका मतलब वो हम तीनों (मैं, राज और सारिका) के साथ संपर्क बनाना चाहती थी. 

शादी का स्थल सोलापुर से तीस किलोमीटर दूर एक छोटे से गाँव में था. वहाँ के लिए एक मैटाडोर में हमें सवारी मिल गयी. करीब घंटे भर के बाद शादी की जगह पहुँच गए. रूपेश के चाचा भी गरीब ही थे, इसलिए इंतज़ाम ठीक ठाक ही था. मई महीने के आखरी के दिन थे, इसलिए खुले मैदान में ही सारी व्यवस्था की गयी थी. जिस दिन हम लोग पहुंचे उस दिन कुछ शादी के पहले के विधि थे और शादी अगले दिन होनेवाली थी. वहां आये हुए लोगोंमें मेरे और राज के पहचान के कोई ख़ास लोग नहीं थे. रूपेश का एक दूर का भाई मनोज और उसकी नववधू पत्नी शालिनी से सारिका की थोड़ी जान पहचान थी. बाकी के ज्यादा तर लोग ज्यादा उम्र के होने के कारण, मनोज और शालिनी थोड़ी देर हमारे साथ ही बातचीत करते रहे. दोनों भी सांवले रंग के और दुबले थे. शालिनी मुश्किल से २० साल की होगी, मनोज शायद २३ साल का होगा. 

दिन तो जैसे तैसे कट गया, शाम के भोजन के समय आंधी शुरू हो गयी. बड़ी मुश्किल से हम तीनो ने थोड़ा सा खाना खा लिया और तभी बिन मौसम की बरसात शुरू हो गयी. हम तीनो आसरा लेकर थोड़ी देर तक इंतज़ार करते रहे. हमने रात को सोने की सुविधा के बारे में पूछताछ की. पता चला की जिस धर्मशाला में सभी मेहमानोंको ठहराने वाले थे, वहाँ की छत से पानी गिर रहा था. 

अब राज ने मुझसे कहा, " सुनीता रानी, लगता हैं अपना रात का सोने का इंतज़ाम हम को खुद ही करना पड़ेगा. सिर्फ जरूरी सामान साथ में लेकर कोई लॉज में कमरा ढूंढते हैं."
 
तभी मनोज ने कहा, "राज भैया, मैं और शालिनी भी यहाँपर बिलकुल नए हैं और किसी को नहीं जानते. अगर आप लोगोंके साथ हम भी लॉज में एक और कमरा लेकर रहेंगे तो आपको चलेगा क्या?"

"हाँ, हाँ. कोई बात नहीं, चलो पहले कोई गाडी का इंतज़ाम करते हैं ताकि आसपास लॉज ढूंढ सके."

फिर हम तीनो औरते सामान को समेटकर सिर्फ जरूरी चीजे लेने लगी. बाकी का सामान रूपेश के चाचा घर पर रखवा दिया. तब तक राज और मनोज किसी गाडी की तलाश में चल दिए. आधे घंटे बाद दोनों एक बड़ी सी पुरानी फियाट गाडी लेकर दोनों आ गए. ड्राइवर के बाजू में मनोज और उसकी गोद में शालिनी बैठ गए. पीछे हम तीनो बैठे थे. थोड़ी तलाश के बाद एक टूटा फूटा लॉज मिला. अंदर जाकर काफी देर तक इंतज़ार किया मगर शायद मालिक कहीं बाहर गया था. 

फियाट के ड्राइवर ने और अधिक समय तक रुकने से मना कर दिया और पैसे लेकर चला गया. राज ने उसे अगले दिन सुबह दस बजे आने के लिए कह दिया. 

बीस पचीस मिनट के बाद उस लॉज का मालिक आ गया. मौसम खराब होने के कारण उसके लॉज के लगभग सारे कमरे भरे हुए थे. 

"साहब, लगता हैं आप सभी लोग एक ही परिवार के हैं. अगर आप चाहे तो मैं एक डबल बेड वाला कमरा आप लोगोंको दे सकता हूँ. दो कमरे कल रात को मिल जाएंगे," उसने राज से कहा. 

अब मरता क्या न करता, उस तूफानी और बरसाती रात में कहीं और जाकर दो कमरे ढूंढना असंभव था. वैसे भी ड्राइवर गाडी लेकर चला भी गया था. अब किसी तरह एक कमरेमें ही गुज़ारा करना था. राज ने उस लॉज के मालिक को पैसे दिए और हम पांचो उस कमरे में दाखिल हुए. कमरे में दो पुराने बेड और एक बाथरूम था. हम लोग साथ में लाया हुआ थोड़ा सा सामान रख ही रहे थे की बिजली चली गयी. बरसाती हवा चलने के कारण हम सब को ठण्ड भी लग रही थी. 

जब राज और मनोज ने जाकर मालिक को पूंछा तब उसका जवाब था, "जभी भी तेज़ बारिश होती हैं, तब बिजली काट देते हैं. मैं आप के कमरे में थोड़ा आग का बंदोबस्त कर देता हूँ जिससे आप लोगोंकी ठण्ड काम हो जाए."

मालिक ने तुरंत एक बड़ी कढ़ाई में कोयले और लकडिया और मिटटी का तेल लेकर आ गया. जल्द से कोयले जलाकर आग का प्रबंध हुआ. अब थोड़ी सी गर्मास आ रही थी. धुँआ बाहर जाए इसलिए खिड़किया खुली रखना जरूरी था. अब बाथरूम में जाकर सब फ्रेश होकर और कपडे बदलकर आ गए. मैं और सारिका हमेशा की तरह नाइटी में थी और राज ने कुरता और पैजामा पहना था. 

मनोज ने कुरता और लुंगी पेहेन ली और शालिनी भी नाइटी में आ गयी. अब जाहिर था की हम तीनो (मैं, सारिका और राज) को एक बेड और दुसरे कपल को दूसरा बेड मिल गया. शायद मनोज और शालिनी सोच रहे थे की ये पति, पत्नी और साली कैसे एक बिस्तर पर सोयेंगे. 

अब हम तीनो ट्रेन के अनुभव के बाद और भी बेशर्म और बिनधास्त हो गए थे. वहांपर जगह की कमी के कारण राज ने हम दोनों बहनोंको एक के बाद एक करके चोदा था. यहांपर एक ही बेड होनेके कारण अब उसे हम दोनों बहनोंको एक साथ चोदना पड़नेवाला था. बिचारा राज! 

जैसे ही मैंने और सारिका ने अपनी अपनी नाइटी उतार कर राज को दोनों तरफ से आलिंगन किया, बाजू के बेड पर लेटे मनोज और शालिनी को जैसे ४४० वोल्ट का झटका लग गया. 

"सारिका दीदी, आप," मनोज के मुँह से आगे के शब्द ही नहीं निकल पा रहे थे. शालिनी की तो आँखें फटी की फटी रह गयी थी. 

"हां, हम तीनो एक साथ मिलकर सेक्स का आनंद लेते हैं. और जब रूपेश साथ में हो, तब मैं राज के साथ चुदती हूँ और सुनीता रूपेश के साथ!" सारिका ने एकदम बेबाकी से जवाब दिया और राज का कुरता और पैजामा उतार दिया. अब वो राज के खड़े लंड को सहलाने लगी. तब तक मैं अपने निप्पल्स राज के मुँह में देकर उन्हें चुसवाने का आनंद ले रही थी. अगले आधे घंटे तक मैं, राज और सारिका के बीच फोरप्ले और उसके बाद अलग अलग पोज में चुदाई का किस्सा चलता रहा. मनोज और शालिनी आँखें फाड़ फाड़ कर वह नजारा देखते रहे. शायद ज़िन्दगी में पहली बार वो दोनों किसी और को सम्भोग सुख लेते और देते हुए देख रहे थे. 

जब मैं राज का कड़क लौड़ा चूस रही थी, तब राज बड़े प्यार से सारिका की मीठी चुत को चाट रहा था. यह सब नज़ारा देखकर स्वाभाविकतः मनोज और शालिनी भी उत्तेजित होकर आपस में सहलाना, चूमना और कपडे उतारने में लग गए. क्योंकि मैं और सारिका दोनों पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी इसलिए शालिनी को भी अपने कपडे उतारने में ज्यादा शर्म नहीं आयी. वैसे मनोज भी हम दोनों बहनोंकी नग्न और भरपूर जवानी देखकर पागल हुए जा रहा था. वो देखने में दुबला था मगर उसका भी हथियार लम्बा और कड़क था. 

अब मनोज और शालिनी पूर्ण रूप से नंगे होकर एक दुसरे को सिक्सटी नाइन की पोज में सुख देने लग गए. शालिनी भी दुबली और सांवली थी मगर उसके भी वक्ष कठोर और नितम्ब मादक थे, जिन्हे देखकर राज भी उत्तेजित हो रहा था. आखिर शालिनी की दोनों टाँगे खोलकर मनोज उसको चोदने लग गया. यहाँ दुसरे बेड पर मैं टाँगे खोलकर अपनी छोटी बहन से चुत चटवा रही थी और राज सारिका को घोड़ी बनाकर उसको चोदे जा रहा था. 

पूरा कमरा "आह चोदो और जोर से आह" ऐसी आवाजों से गूँज रहा था. अब हम पांचो पूरी तरह निढाल होकर लेटे हुए थे. हमारी देखादेखी शालिनी ने भी अपने पति के लौड़े को चूस कर उसकी सारी मलाई पी डाली थी. अब कोई शर्म बाकी नहीं रही थी. मनोज हिम्मत कर के बोला, "क्या हम पार्टनर बदल कर.." उसे आगे कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि सारिका मुस्कुराते हुए हमारे बेड पर से उठकर उन दोनोंके बेड तक चली गयी. फिर शालिनी ने मनोज की तरफ देखा और उसकी आज्ञा आखों ही आखों में लेकर वह मेरे और राज के पास आ गयी. आखिर राज भी मर्द था, उसे भी एक नयी और जवान लड़की को पूर्ण नंगे बदन अपने करीब देखकर रहा नहीं गया. उसने शालिनी को बाहों में लिए और उसके होठोंपर अपने होंठ रख दिए. 

वहाँ दुसरे बिस्तर पर, मनोज और सारिका चूमते और एक दुसरे के अंगोंको सहलाते हुए लेटकर मजे ले रहे थे. मनोज को इतनी गोरी और मदमस्त लड़की के शरीर से खेल ने का सौभाग्य पहली बार मिल रहा था. वो सारिका के उन्नत वक्षोंको सहलाकर चाटने लगा और फिर बारी बारी दोनों निप्पल्स मूंहमें लेकर चूसने लगा. सारिका ने मनोज के लौड़े से खेलना शुरू किया और कुछ ही पलोंमें वो एकदम सख्त हो गया. अब मनोज सारिका की दोनों टाँगे खोलकर उसकी गुलाबी चूत को चूमने और चाटने लगा. वहाँ की सुगंध लेकर वो पूरा उत्तेजित हुआ और दो उंगलियोंसे सारिका की चूत को चोदने लगा. बीच बीच में दोनों उँगलियाँ चाटकर सारिका के योनि रस का आस्वाद लेता रहा. फिर उससे रहा न गया और उसने सारिका की दोनों टाँगे पूरी खोलकर उसे चोदने लग गया. नया और सख्त लंड पाकर सारिका भी मजे लेने लगी. 
 
इधर राज ने शालिनी के सख्त वक्ष काफी देर तक चूसे और उसकी मुलायम टांगोंको प्यार से सहलाया. उसी बीच मैं शालिनी की गर्दन पर चुम्बन जड़कर उसे और भी गर्म कर रही थी. अब उसने भी दोनों हाथोंसे मेरे बड़े बड़े चूचियोंको मसलना शुरू किया. फिर राज ने शालिनी को पीठ के बल लिटाकर उसपर उल्टा लेट गया. सिक्सटी नाइन की पोज में आकर शालिनी की चूत को चाटने लगा. जैसे ही राज ने शालिनी की योनि का दाना (क्लाइटोरिस) चाटना शुरू किया, वो भी एकदम मदमस्त हो गयी. बिना संकोच के उसने राज का कड़क और लम्बा लौड़ा अपने मुँह में लिया और उसे आइस्फ्रूट की तरह चूसने लगी. मैं बैठकर दोनोंके अंगोंको सेहला रही थी और खुद की चूत में दो ऊँगलीया डाल कर मस्त हो रही थी. राज और शालिनी का सिक्सटी नाइन कुछ देर तक चला, फिर राज ने शालिनी को घोड़ी बनाया और उसकी गीली और टाइट चूत में अपना लौड़ा घुसेड़ दिया. मैं अपने हाथ से राज के अण्डकोषोंको सेहला रही थी और राज को चूम रही थी. इतना कड़क और लम्बा लौड़ा उसकी चूत में घुसते ही शालिनी को तो अपनी नानी दादी सब याद आ गयी. वो जोर जोर से चिल्लाती रही, "उई माँ, मर गयी, बाहर निकालो इसे. आह, मर गयी, बस करो,आह." मगर राज ने उसकी एक न मानी और उसकी गांड को पकड़ कर उसे जोर जोर से चोदता ही गया. आखिर कुछ समय के बाद शालिनी की चूत आराम से लौड़े को निगलने लगी. 

दोनों बेड पर धुँआधार चुदाई चल रही थी. अब मैं दुसरे बेड की तरफ गयी और झूट मूठ के गुस्से से सारिका से बोली, "क्यों री, क्या सारे मजे तू ही लूटेगी?" 

फिर सारिका मुस्कुराते हुए मनोज से अलग हुई और मैंने मनोज को बाहों में ले लिया. "सुनीता जी, आप तो एकदम सेक्स बॉम्ब हो. मैं कितना लकी हूँ," उसने कहा. 

"साले, बकबक करता ही रहेगा या मुझे चोदेगा भी?" मैं उसे हँसते हुए डाट दी और फिर उसने मेरे बड़े बड़े वक्षोंको मसलना शुरू किया. मेरी गांड पर हाथ फेरते हुए मेरे निप्पल्स चूसे और मेरी गीली चुत को प्यार से चाटा। फिर उसने मुझे चित लिटाकर मेरी दोनों टाँगे अपने कांधोंपर रक्खी. ऐसा करने से मेरी टाँगे कुछ ज्यादा ही खुल गयी और उसका थोड़ा पतला मगर कड़क लौड़ा मेरी चुत में घुस गया. अब तक मैं राज के अलावा रूपेश, नीरज, रोहित और न जाने कितने मरदोंसे चुद चुकी थी. इसलिए उसका लौड़ा मेरी चूतमें आसानी से घुस गया. फिर वो आवेश में आकर मुझे जमकर चोदने लगा. मनोज ने दोनों हाथोंसे मेरे वक्षोंको पकड़ा था, जिन्हे वो मसले जा रहा था. 

इस दौरान सारिका बाजू वाले बिस्तर पर गयी और अपनी टाँगे खोलकर अपनी गुलाबी चुत को शालिनी के मुँह के पास ले गयी. आजतक शालिनी ने किसी लड़की के साथ सेक्स नहीं किया था, मगर आज वो भी सारे मजे लेना चाहती थी. उसने सारिका को अपनी तरफ और नजदीक खींचा और फिर बड़े प्यार से सारिका की गुलाबी चुत चाटने लगी. ये नज़ारा देखकर राज तो और भी पागल हो गया और पूरी ताकत के साथ शालिनी को चोदने में लग गया. 

बीचमें आग जल रही थी और दोनों बिस्तरोंपर पांच लोग वासना की आग में जलकर जैसे जीवन का सर्वोच्च सम्भोग सुख पा रहे थे. आखिर मनोज मेरी चुत में झड़ गया. कुछ पल बाद राज ने भी शालिनी की चुत में अपना पानी छोड़ दिया. 

पूरी रात में मैं और सारिका इस बिस्तर से उस बिस्तर पर जाते रहे और सेक्स का मजा लूटते रहे. अगली बारी में शालिनी ने राज के लौड़े से निकला पूरा गाढ़ा वीर्य निगल लिया। लगभग चार बार सेक्स करने के बाद हम पाँचों गहरी नींद में सो गए. सुबह देरी से उठे, नहा धोकर शादी में चले गए. शाम होते ही फिर से लॉज पर वापिस आये और सामूहिक सम्भोग का दरबार फिर से लग गया. अब बिनधास्त होकर राज ने शालिनी से पूंछा, "क्या दोनों लौड़े एक साथ झेलोगी?"

उसने भी झट से हाँ कर दी और फिर राज का लौड़ा चूसने लगी. उसी समय आवेश में आकर मनोज ने शालिनी को डॉगी पोज में सेट किया और उसकी चूत में अपना लंड पेलने लगा. वहाँ दूसरे बिस्तर पर हम दोनों बहने सिक्सटी नाइन की पोज में एक दुसरे को स्वर्ग की सैर कराने में लगी हुई थी. एक के बाद एक राज और मनोज ने अपना वीर्य शालिनी के मुँह में निकाल दिया, जिसे वो बड़े प्यार से पी गयी. वहाँ से उठकर मनोज दुसरे बिस्तर पर आ गया, उसकी शायद प्यास बुझी नहीं थी. वैसे भी मैं और सारिका इतनी जबरदस्त माल हैं की कोई भी मर्द हमें बार बार चोदे बगैर तृप्त नहीं होता. सारिका ने उसका लौड़ा चूसकर उसे पांच मिनट में कड़क कर दिया, तबतक वो मेरे निप्पल्स बारी बारी चूसता और चबाता रहा. फिर उसने पहले मुझे लम्बे समय तक चोदा। उसका वीर्य थोड़ी देर पहले ही निकला था, इसलिए वो जल्दी झड़ने वाला नहीं था. फिर उसने सारिका को घोड़ी बनाकर पंद्रह मिनट तक चोदा। आखिर जब उसका वीर्य उबलने लगा तब हम दोनों बहनोंके चेहरों पर बरसाया. मैं और सारिका एक दुसरे के चेहरे से चाट कर उसे निगल गयी. 

अब पूरी तरह निढाल होकर मनोज तो सो गया. राज की बैटरी अभी भी डिस्चार्ज नहीं हुई थी. उसने हम दोनों बहनो को बुलाया और फिर हमने दो गद्दे जमीन पर बिछा दिए. अगले एक घंटे तक हम तीनो लड़किया (सुनीता, सारिका और शालिनी) एक दुसरे को और राज को सुख देती रही. आखिर कार राज ने अपना कड़क लंड शालिनी की जवान चुत में बाहर निकाल कर मेरे वक्षोंपर ढेर सारा वीर्य उंडेल दिया. सारिका और शालिनी दोनों ने चाट चाट कर उसे पी लिया. थोड़ा मेरे मुँह में भी डाल दिया. उसके बाद शालिनी जाकर मनोज के पास सो गयी. राज मेरे और सारिका के बीच सो गया. 

अगले दिन हम तीनो (मैं, राज और सारिका) मुंबई वापिस आने की तयारी में लग गए. हमने मनोज और शालिनी को हमारा फ़ोन नंबर दिया और मुंबई आने का न्यौता दिया. 

मनोज ने कहा, "जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी हम आएंगे।"

मैंने मन ही मन में कहा, "क्यों नहीं, दो दो माल लडकियोंको चोदने के लिए तुम जरूर आओगे मेरे शेर!"

वापसी की ट्रैन में हमारे साथ दो बुजुर्ग लोग थे इसलिए हम ट्रैन में कोई मस्ती नहीं कर सके. घर पर जाकर पता चला की रूपेश ने उस अफसर को पैसे खिलाकर सब मामला रफा दफा कर दिया था. बादमें रात को सामूहिक चुदाई का सारा किस्सा रूपेश को बताया. 

एक महीने के बाद मनोज का फ़ोन आया और उसने कहा, "सुनीता जी, मैं और शालिनी एक हफ्ते के बाद आप लोगोंसे मिलने आ रहे हैं."

जैसे ही ये समाचार मिले, रूपेश ने कहा, "इन दोनोंको रिसीव करने के लिए मैं और सारिका जाएंगे." 

आखिर रूपेश भी एक मर्द था और शालिनी को चोदने के लिए बेकरार था, जो की स्वाभाविक हैं. 

शनिवार के दिन मनोज और शालिनी मुंबई सेन्ट्रल स्टेशन पर आ गए. रूपेश और सारिका ने उन्हें गले लगाकर स्वागत किया. वहां से अँधेरी आने की जगह रूपेश उन्हें नजदीक के एक लॉज में ले गया. वहांपर लगातार पांच घंटोंतक रूपेश ने शालिनी को अलग अलग तरीकोंसे चोदा। बाद में पता चला की उसने सात आठ शक्तिवर्धक गोलिया खायी थी, ताकि उसका लौड़ा लम्बे समय तक न झड़े. इस पूरी चुदाई में शालिनी का अंग अंग चूर हो गया. साथ में सारिका भी मनोज से चुदती रही, मगर उन्होंने बीच बीच में थोड़ा आराम भी किया. 

शालिनी को चोद कर (या यूं कहो की उसकी जवानी का पूरा रस पीकर) जब रूपेश का मन भर गया, तब देर रात में चारो घर पर आये. उसके बाद मनोज ने मुझे और राज ने सारिका को चोदा। बिचारी शालिनी तो एक मुर्दे की तरह बिस्तर पर गहरी नींद में सारी रात सोती रही. 

मनोज और शालिनी हमारे साथ दस दिन तक रहे. हर रात जबरदस्त चुदाई की रात रही. 

कुछ दिन बाद हमने रागिनी को फ़ोन किया और उससे भी मिले. जब उसका पति ऑफिस के काम से तीन हफ्तोँके लिए सिंगापुर गया था तब पूरा समय वो हमारे घर पर रही और हम चारों के साथ सेक्स के मजे लूटती रही.

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