hotaks444
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अपने पेरैंटस के गुज़र जाने के बाद मैं अपने चाचा, चाची और उनकी बेटी (मेरी कज़िन बहन) के साथ उनके बंगले में रहता था। मेरे चाचा बहुत ही कामयाब बिज़नेस मैन थे। घर में हर तरह के सुख-साधन और लग्ज़री मौजूद थी। मेरी उम्र उस समय आठरह साल की थी और मेरी चाची बयालीस साल की थी और उनकी बेटी मुझसे एक साल बड़ी थी और अभी-अभी बीस साल पूरे करे थे और कॉलेज में पढ़ रही थी।। आपको बता दूँ की मेरी मीना चाची का गदराया बदन बहुत ही मादक और मस्त था। उसकी चूची छत्तीस साइज़ की थी और छत्तीस-सी साईज़ की ब्रा पहनती थी। पतली कमर और बहुत ही प्यारे-प्यारे मोटे-मोटे चूतड़ अढ़तीस साइज़ के थे। जिसको देख के किसी का भी लंड तन जाये। चाची की शक्ल-सूरत और जिस्म भी बिल्कुल नीता अंबानी जैसा था।
मेरी कज़िन बहन, सोनिया जो बस जवान ही हुई थी, एकदम अपनी माँ की तरह मस्त दिखने लगी थी। जब वो स्कर्ट पहनती थी तो मैं हमेशा कोशिश कर के उसके सामने ही बैठा करता ताकि मुझे उसकी चिकनी जाँघें और पैंटी में कसी चूत का उभार और चूतड़ दिखें। मैं हमेशा इस फिराक में रहता था की मुझे एक बार अपनी मीना चाची और सोनिया पूरी नंगी देखने को मिल जायें।
मीना चाची शिक्षित और काफी आधुनिक थी और और किट्टी पार्टियों और कुछ चैरिटबल संस्थाओं से भी जुड़ी हुई थी। शराब-सिगरेट का सेवन भी करती थी। मीना चाची ज्यादातर साड़ी या सलवार-सूट पहनती थी लेकिन कभी-कभार जींस, स्कर्ट वगैरह जैसे वेस्टर्न कपड़े भी पहनती थी। जब शाम को चाची साड़ी में बैठ कर व्हिस्की पीती थी और स्मोक करती थी तो मेरा लंड कस कर अकड़ जाता था। दोस्तों आपने कभी साड़ी वाली औरत को व्हिस्की और सिगरेट पीते हुए देखा है की नहीं? इतना मस्त सीन होता है की इच्छा करती है की वहीं साली की साड़ी उठा के लंड पेल दें। मैं उन दोनों माँ-बेटी को सिर्फ देख कर ही मस्त हो जाता था और बाथरूम में जा कर उनकी उतरी हुई ब्रा और पैंटी, जिस में से उनकी मस्त चूत और चूची की खुशबू आती थी और कभी उनकी की ऊँची ऐड़ी वाली सैंडल जिन में से उनके पैरों के पसीने की महक आती थी, खूब सूँघता हुआ मुठ मारता था। मीना चाची की पैंटी में हमेशा मादक सूगंध आती थी और सोनिया की पैंटी में उसकी ताजी चूत की खुशबू मैं सूँघता था और उनकी ब्रा, पैंटी और सैंडलों को चाट-चाट कर अपने लंड को ठंडा करता था।
एक दिन की बात है, मेरा लंड रात को अचानक खड़ा हो गया और मेरी इच्छा हुई की मैं मीना चाची के बाथरूम में जा कर उनकी पैंटी और ब्रा सूँघ कर मुठ मारूँ। मैं चुप-चाप बाथरूम की ओर जाने लगा तो मुझे मीना चाची के कमरे से हल्की सी लाइट और कुछ आवाज़ सुनाई दी। मैं भी धड़कते दिल से चाची के दरवाजे से कान लगा कर सुनने लगा। अंदर मीना चाची चुदाई में मस्त हो कर चाचा को बहनचोद और मादरचोद की गालियाँ दे रही थी। इतनी सफिस्टिकेटिड और पढ़ी-लिखी चाची के मुँह से ऐसी गंदी गालियाँ सुनकर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ। लेखक सुनिल जैन हैं।
मुझसे रहा नहीं गया। मैंने सोचा यह मौका है जब मैं मीना चाची को पूरा नंगा और चुदते हुए देख सकुँगा और मैं सीधा बालकोनी की ओर गया क्योंकि मुझे मालूम था वहाँ की खिड़की पर पर्दा नहीं है और वहाँ से मुझे सब दिखाई देगा। मैं चुपचाप दबे पैरों से बालकोनी में गया और अंदर का सीन देख कर तो मुझे जैसे मन की इच्छा मिल गयी। मीना चाची अपनी दोनों टांगों को फैला कर लेटी हुई थीं और एक हाथ से सिगरेट पी रही थीं और चाचा उनकी चूत में भीड़ा हुआ था।
मेरी कज़िन बहन, सोनिया जो बस जवान ही हुई थी, एकदम अपनी माँ की तरह मस्त दिखने लगी थी। जब वो स्कर्ट पहनती थी तो मैं हमेशा कोशिश कर के उसके सामने ही बैठा करता ताकि मुझे उसकी चिकनी जाँघें और पैंटी में कसी चूत का उभार और चूतड़ दिखें। मैं हमेशा इस फिराक में रहता था की मुझे एक बार अपनी मीना चाची और सोनिया पूरी नंगी देखने को मिल जायें।
मीना चाची शिक्षित और काफी आधुनिक थी और और किट्टी पार्टियों और कुछ चैरिटबल संस्थाओं से भी जुड़ी हुई थी। शराब-सिगरेट का सेवन भी करती थी। मीना चाची ज्यादातर साड़ी या सलवार-सूट पहनती थी लेकिन कभी-कभार जींस, स्कर्ट वगैरह जैसे वेस्टर्न कपड़े भी पहनती थी। जब शाम को चाची साड़ी में बैठ कर व्हिस्की पीती थी और स्मोक करती थी तो मेरा लंड कस कर अकड़ जाता था। दोस्तों आपने कभी साड़ी वाली औरत को व्हिस्की और सिगरेट पीते हुए देखा है की नहीं? इतना मस्त सीन होता है की इच्छा करती है की वहीं साली की साड़ी उठा के लंड पेल दें। मैं उन दोनों माँ-बेटी को सिर्फ देख कर ही मस्त हो जाता था और बाथरूम में जा कर उनकी उतरी हुई ब्रा और पैंटी, जिस में से उनकी मस्त चूत और चूची की खुशबू आती थी और कभी उनकी की ऊँची ऐड़ी वाली सैंडल जिन में से उनके पैरों के पसीने की महक आती थी, खूब सूँघता हुआ मुठ मारता था। मीना चाची की पैंटी में हमेशा मादक सूगंध आती थी और सोनिया की पैंटी में उसकी ताजी चूत की खुशबू मैं सूँघता था और उनकी ब्रा, पैंटी और सैंडलों को चाट-चाट कर अपने लंड को ठंडा करता था।
एक दिन की बात है, मेरा लंड रात को अचानक खड़ा हो गया और मेरी इच्छा हुई की मैं मीना चाची के बाथरूम में जा कर उनकी पैंटी और ब्रा सूँघ कर मुठ मारूँ। मैं चुप-चाप बाथरूम की ओर जाने लगा तो मुझे मीना चाची के कमरे से हल्की सी लाइट और कुछ आवाज़ सुनाई दी। मैं भी धड़कते दिल से चाची के दरवाजे से कान लगा कर सुनने लगा। अंदर मीना चाची चुदाई में मस्त हो कर चाचा को बहनचोद और मादरचोद की गालियाँ दे रही थी। इतनी सफिस्टिकेटिड और पढ़ी-लिखी चाची के मुँह से ऐसी गंदी गालियाँ सुनकर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ। लेखक सुनिल जैन हैं।
मुझसे रहा नहीं गया। मैंने सोचा यह मौका है जब मैं मीना चाची को पूरा नंगा और चुदते हुए देख सकुँगा और मैं सीधा बालकोनी की ओर गया क्योंकि मुझे मालूम था वहाँ की खिड़की पर पर्दा नहीं है और वहाँ से मुझे सब दिखाई देगा। मैं चुपचाप दबे पैरों से बालकोनी में गया और अंदर का सीन देख कर तो मुझे जैसे मन की इच्छा मिल गयी। मीना चाची अपनी दोनों टांगों को फैला कर लेटी हुई थीं और एक हाथ से सिगरेट पी रही थीं और चाचा उनकी चूत में भीड़ा हुआ था।