Desi Sex Kahani निदा के कारनामे - Page 9 - SexBaba
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Desi Sex Kahani निदा के कारनामे

मैं बोली- “कोई बात नहीं, मैं पानी डाल देंगी...”

वो बोली- “अरे जालिम, यह आग पानी से नहीं बुझेगी। यह तो लण्ड के पानी से बुझती है...”

फिर हमने कपड़े चेंज कर लिये। शादी वाले घर में भीड़ काफी होती है और सोने की जगह मुश्किल से मिलती है। हमको भी ऊपर वाली मंजिल में एक छोटे से कमरे में सोने को जगह मिली थी। मैं और नयला वहाँ सोती थीं। वहां सिर्फ दो चारपाई की जगह थी और बाकी जगह में सामान पड़ा हुवा था। सर्दियों के दिन थे और इससे पहले की वहाँ पर कोई और कब्ज़ा करता, मैं और नयला वहाँ पहुँच गये सोने के लिये।

हमने लाइट बंद की और लेट गये।

नयला ने काहा- “अब तो जोड़ी ने काम शुरू कर दिया होगा और दोनों नंगे हो गये होंगे...”

मैंने कहा- “नयला, मैं तो अपनी फुद्दी पर हाथ फेर रही हूँ और आज यह बड़ा तड़पी है...”

नयला बोली- “तुम हाथ फेर रही हो, मैंने तो उंगली डाली हुई है। जा कोई लड़का ले आ मुझसे बर्दाश्त नहीं होता..”

मैंने कहा- “अगर मेरे पास होता तो मैं इस समय सुहागरात ना मना रही होती...”

लड़के तो कम्बख़्त बहुत हैं लेकिन बदनाम होने से डर लगता है...” नयला बोली- “वैसी मेरे पास एक आयडिया है। इस कमरे में कितना अंधेरा है, अगर दो लड़के यहाँ आकर हमें चोदकर चले जाएँ और अंधेरे में उनको क्या पता चलेगा की हम कौन हैं?”

मैंने कहा- “आइडिया तो ठीक है लेकिन वो आयेंगे कहां से...”

नयला बोली- “मैं बुला के लाती हूँ..”


मैं बोली- “लेकिन कहाँ से?”

वो बोली- “इधर बाहर कोई ना कोई घूम रह होगा."

मैंने कहा- “लेकिन जब तुम बाहर जाओगी तो वो तुमको पहचान लेंगे...”

नयला बोली- “तो फिर कुछ तो करना पड़ेगा...”

मैंने कहा- “एक तरह हो सकता है, तुम यहाँ दरवाजे में नकाब्ब करके थोड़ा सा मुँह बाहर निकालकर खड़ी हो जाओ, कोई ना कोई यहाँ से गुजरे तो उसको अंदर बुला लेना...”

वो बोली- “हाँ यह ठीक है..” नयला बोली और फिर उठकर उसने चादर ली नकाब किया और दरवाजे से बाहर मुँह निकाल लिया, खड़ी रही, काफी देर खड़ी रही।

मैंने पूछा- “कोई मिला क्या?”

वो बोली- “नहीं आ रहा...”

मुझे बड़ी बेचैनी हो रही थी और मैं मुसलसल अपनी फुददी को मसल रही थी। फिर नयला ने सरगोशी की- “आ एक लड़का आ रहा है...”

मेरा दिल धड़का जब वो करीब आया तो नयला ने उसको शी श्इ किया। वो देखके पास आया।
 
नयला ने कहा- “जी एक मिनट बात सुने, मैंने एक चारपाई निकालनी यहाँ से, प्लीज़ जरा निकलवा दें..."

वो बोला- “जी निकाल देता हूँ..” और उसके साथ अंदर आ गया।

नयला ने फौरन दरवाजा बंद कर दिया और उसको चिमत गई। एक दफा तो वो हेरान होकर डर गया की ये क्या हो गया है... पर जब संभला तो उसको क्या चाहिये था, वो भी लिपट गया। चूमने की अावाजें आने लगी फिर नयला बोली- “चारपाई नहीं निकालनी बलकी चारपाई में पावा डालना है...”

वो बोला- “जी डाल दूंगा..."

नयला बोली- “आश... बात सुनो, हम दो हैं और तुमको हम दोनों की फुद्दी मारनी पड़ेगी, सारी रात..."

वो सुनकर हैरान रह गया की ये क्या बोल रही है।

नयला इतनी चुदक्कड़ होगी ये मुझे भी नहीं पता था और इतनी खुली होगी ये भी नहीं पता था।

वो बोला- “कोई मसला नहीं...”

नयला बोली- “हम दोनों की एक-एक दफा ले के तुम्हारे बस हो जाने हैं। तुम्हारा कोई दोस्त कजिन जो फुद्दी
का शौकीन हो उसको भी बुला लो। क्या मिल सकता है?”

वो बोला- “ले आता हूँ जी..."

नयला बोली- “लेकिन खबरदार चुपके से जाओ और उसके इलावा किसी तीसरे को पता ना चले...”

वो बोला- “आप बिल्कुल फिकर ना करें, किसी को पता नहीं चलेगा...”

आश... तो फिर जल्दी जाओ और जल्दी आना...”

वो चला गया और नयला ने कहा- “याहू.." और मेरे पास लेट गई।

मैंने घबराते हुये कहा- “अरे यार कोई गड़बड़ ना हो जाय...”


नयला बोली- “अरे कुछ नहीं होता, यह लड़के फुद्दी के इतने ही दीवाने होते हैं, जितनी हम लण्ड की और जो लड़की इनको फुद्दी दे। यह उसकी बड़ी केयर करते हैं क्योंकी इनके जेहन में होता है की बाद में भी लेनी है... जिसका बड़ा हुवा उसका मैं दूंगी...”
 
फिर कदमों की आवाज आने लगी हम चुप कर गईं उन्होंने धीरे से दरवाजा खोला और अंदर आ के नयला ने कहा- “जल्दी से कुण्डी लगा दो और खबरदार मोबाइल की रोशनी ना करना...”

उन्होंने हुकुम की तामील की फिर नयला बोली- “थोड़ा उधर आओ चारपाईं के बीच..”

वो बिचारे अंधेरे में हाथ पाँव मारते उधर आ गये।

नयला बोली- “चलो उठो, चलो उठो चेक करते हैं..."

फिर हम दोनों चारपाई से टांगें नीचे करके बैठ गये। अब वो दोनों हमारे सामने थे।

नयला ने एक को हाथ बढ़ाकर खींचा और लगी उसका बेल्ट खोलने। मैंने भी दूसरे को पकड़ लिया और उसका बेल्ट खोलकर बटन और जिप उसने खुद ही खोल दी।

मैंने हाथ मारा तो मेरे हाथ में एक बहुत ही प्यारा लण्ड आया। दिल खुश हो गया, मेरे पूरे जिश्म में मजे की एक लहर दौड़ गई।

लेकिन नयला ने झट से मेरा हाथ पीछे किया और खुद पकड़ लिया और सरगोशी में बोली- “तुम दूसरा चेक कर लो...”

मैंने हाथ उधर करके उसको पकड़ा, वो भी बड़ा गरम और क्यूट था लेकिन पहले वाले से जरा छोटा था। फिर नयला बोली- “प्लीज़ तुम इधर आ जाओ..."

वो लड़का उसकी तारीफ खिसक गया और सरगोशी में नयला बोली- “इसका लण्ड काफी लंबा मोटा है यह मुझे लेने दो। प्लीज़ तुम इसको शायद बर्दाश्त ना कर पाओ। और अगर मजा ना आया तो एक ट्रिप मार के बदल लेना..."

मैंने कहा- “ठीक है मेडम..”

और फिर वो उस लंबे लण्ड वाले लड़के को लेकर दूसरी चारपाई पर चली गई। और मैं भी लेटने लगी तो वो लड़का बोला- “एक मिनट क्या इसको मुँह में नहीं डालेंगे...”

मैंने कहा- “आश.. फिर मैंने उसका लण्ड मुँह में डाल लिया और उसको चूसने लगी।

लड़के को बड़ा मजा आ रहा था और उसने मेरा मुँह अपने हाथों से पकड़ रख था। मुझे भी मजा आ रहा था पर मेरी तो फुद्दी में आग लगी थी। मैंने उससे कहा- “अब आ भी जाओ ना..." और साथ ही मैंने अपनी सलवार उतारी और लेट गई।

उसने पैंट उतारी और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरे ऊपर लेट के मेरी कमीज ऊपर की और मेरे 34" साइज के हाई मम्मों को मुँह मारने लगा। मेरे तो जिम में बिजली दौड़ गई, जब उसने अपनी जुबान मेरे निपल्स पर। रगड़ी आह्ह्ह... मेरी तो जान निकली जा रही थी। उस जालिम ने मेरे नाजुक मम्मों को मुँह मैं भरके चूसा, खींचा, चट्टा और मुझे बेहाल्ल कर दिया। मेरी फुद्दी तो अब रोने वाली हो चुकी थी। मैंने उसका मुँह पकड़ के चूमा और कहा- “प्लीज़... अब डाल दोऊ ना हइई...”
 
वो समझ गया और उसने पीछे हटके अपना लण्ड का टोपा मेरी फुद्दी पर रखा और उधर को फोर्स किया। मेरी फुद्दी में तो ईद का समा था जहाँ जहाँ लण्ड पहँचा फुददी को मजे का तोहफा दे दिया। और फिर उसने मेरी चूत मारनी शुरू कर दी। उधर नयला भी बड़े जोश में चूत मरवा रही थी और उनकी चारपाई की आवाज से पता चल रहा था की उसकी फुद्दी पर अभी हमला जारी है और मैं तो मजे की दुनियां में चली गई थी।

अब मुझे कोई होश नहीं था की मैं कहाँ हूँ। मुझे तो बस इतना पता था की मेरे फुद्दी में लण्ड है और हर धक्के से मेरे होश और भी खराब हो रहे हैं। मैंने उस समय बाकी लड़कियों का सोचा जिनको आज की रात लण्ड नहीं मिला था बेचारी... मैं कितनी खुशनसीब थी जो दुल्हन के साथ ही लण्ड का मजा ले रहे थी। ऊईईईइ... उउज्ज्ञन्... आहह... मजा... मजा... लँ।

फिर उस लण्ड ने मुझे उस जगह पहुँचा दिया जहाँ मजे से जिम हल्का हो जाता है और मुँह से सिर्फ यही निकलता है मारो... मारो... चोदो... और जोर से... मैं गई.. मैं गई... आआन्न्न्न ... आहहहह... ऊहहः... ओह मैं फारिग हो गई और डेली परगा। मैं खुश थी। आज जितना मैं तरसी थी उतना ही मजे का जाम पी लिया था।

थोड़ी देर में नायला ने खामोशी को तोड़ा- “क्यों मजा आया?”

मैं हँसी- “हाँ.. बहुत.."

वो बोला- “आप कौन हैं, अपना नाम तो बताएं?”

वो बोली- “तुम क्या करोगे नाम जानकर?”

वो बोला- “जी, पता तो चले ना की आप कौन हैं फिर कभी नहीं मिलना क्या?”
 
नयला बोली- “समय जाया ना कर... वो दूसरी को नहीं चोदोगे...”

वो बोला- “जी जरूर... आप की नवाजीश होगी तो.."

फिर जाओ और अपने साथी को इधर भेजो...”

लड़के तब्दील हो गये। फिर उसने अपना लण्ड मेरी फुदद्दी में डाल दिया। ऊईई... वो लंबा था और थोड़ा दर्द हो रहा था, लेकिन मजे की खातिर यह दर्द कुछ भी ना था।

वो लड़का बोला- “तुम्हारी फुद्दी तंग है। उसकी खुली थी..”

तो नयला गुस्से से बोली- “यह भी खुली हो जाएगी, सबह तक...”

फिर क्या दोस्तों वो लड़का एक दफा खारिज हो चुका था इसलिये अब वो जल्दी खारिज होने वाला नहीं था। ऊपर से उसका लंबा मोटा लण्ड इसलिये उसने मेरी फुद्दी का कबड़ा कर दिया। मैं भी चुपचाप मरवाती रही और फुद्दी भी अच्छी तरह प्यास बुझा लफ। एक घंटे तक उस लड़के ने मेरी फुद्दी को धक्के मारे। मुझे भी बड़ा मजा आया। मैं दूसरी दफा छूट गई और फिर वो लड़का भी खारिज हो गया।और उसका लण्ड ढीला पर गया फिर नयला जल्दी से उठी और बोली- “मैंने बाथरूम जाना है और आप लोग भी अब जाएँ सुबह मिलेंगे...”

वो जल्दी से कपड़े पहनने लगे और बोले- “आप अपना नाम तो बता दें ना प्लीज़...”

नयला बोली- “हमरा नाम ख्वाब है और ख्वाब रात को आते हैं और दिन को याद भी नहीं रहते। जल्दी जाओ। किसी को पता ना चल जाय। वो हमारे बारे में पूछते रहे लेकिन नयला ने उनको घुमा फिरा कर बाहर निकाल दिया। और आकर मेरे साथ लेट गई।

मैंने कहा- “किसी को बता ही ना दें.."

वो बोली- “कल सबने अपने-अपने घर चले जाना है कुछ पता नहीं चालेगा और हम दोनों चूत को साफ करके सो गईं।

***** समाप्त *****
 
भाई के दोस्त

जैसा की आप जानते हैं, शुरू से ही मुझे लोगों की तवज्जो मिली और हर कोई ही मुझसे बात करने या मुझे सेट करने में लगा होता था और मैं बहुत से लोगों से सेट भी हुई और बहुत से लोगों ने मुझे चोदा भी, मुझे भी चुदवाने में मजा आता था इसलिए मैंने भी उन लोगों का साथ दिया और सबसे खूब चुदवाया।
आज मैं जो कहानी सुना रही हूँ उसमें मुझे मेरे चाचाजाद भाई जुबैर भाई के एक दो नहीं पूरे 5 दोस्तों ने चोदा था, जब मैं उनक घर रहने गई थी और अब मैं आती हूँ कहानी की तरफ।
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शादी के बाद मैं घर नहीं आई थी एक दिन जुबैर भाई के दो दोस्त रशीद और फरहान घर पर आये हुये थे। मैं सबके लिए चाय लेकर गई और चाय इस तरह से झुक-झुक कर देने लगी की वो मेरी चूचियां देखने लगे। मैंने दुपट्टा नहीं पहना था और मैं काफी खुले और बड़े गले का सूट पहनी हुई थी।

मैं नार्माली बहुत टाइट फिटिंग के और बड़े गले के कपड़े पहनती थी। मेरे झुकने से मेरे आधी से ज्यादा चूचियां बाहर निकल रही थीं। मैंने लाइट पिंक कलर के लान के सूट के नीचे ब्लैक कलर का ब्रेजियर और अंडरवेर पहना हुवा था। जो की मेरे सूट से साफ नजर आ रहे थे। मैं देख रही थी की जुबैर भाई के दोनों दोस्तों की नजरें मेरे चूचियों पर ही जमी हुई हैं।

फिर मैंने प्लान बनाया। घर में भाइ के एलवा कोई नहीं था और जुबैर भाई से कहा- “भाई वो अंकल ने आपको बुलाया था, उनकी काल आई थी। मुझे बताना याद नहीं रहा आपको। मेरी बात सुनकर हड़बड़ा कर उठे और अपने दोस्तों से कहा की मुझे जाना पड़ेगा और तुम लोग चाय पीकर जाना और मुझे बोले इनका ध्यान रखना और घर से बाहर चले गये और मैं जुबैर भाई की हरकत पर मुश्कुरा दी। जुबैर भाई के जाने के बाद मैं उन । दोनों के सामने जाकर बैठ गई और उनसे बातें करने लगी। एक तो मेरी ड्रेसिंग और ऊपर से मैं उन दोनों के बिल्कुल सामने अपने गरम जिश्म को उनकी तरफ करके बैठी हुई थी जिससे वो दोनों बिल्कुल गरम हो चुके थे।

रशीद कहने लगा- “निदा तुम बहुत खूबसूरत और सेक्सी हो...”

मैं मुश्कुराई और बोली- “रियली?”

रशीद बोला- “हाँ वाकई तुम बहुत सेक्सी हो मेरा दिल तो चाह रहे है...”

मैं बोली- “क्या चाह रहा है तुम्हारा दिल..”

वो बोला नहीं छोड़ो बस रहने दो..”

मैं बोली- “अरे बता दो शर्माओ नहीं मैं बुरा नहीं मानूंगी...”

रशीद ने फरहान को देखा तो वो बोला- “हम शर्मा नहीं रहे, तुम हमारे दोस्त की बहन हो इसलिए नहीं कह रहे।

मैं बोली- “फिर भी आप दोनों के दिल में जो है वो बोल दो और मुझे सिर्फ एक लड़की समझो अपने दोस्त की बहन नहीं...”

रशीद बोला- “अगर ऐसी बात है तो सुनो... तुम इतनी सेक्सी हो की हम दोनों का दिल चाह रहा है की हम दोनों तुम्हें अभी इसी समय चोद दें.”

मैं फिर मुश्कुराई और बोली- “अच्छा और अगर भाई को बता दें तो...”

वो इरते हुये बोले- “देखो प्लीज़... ऐसा मत करना। हम तो बस...” ये कहके वो चुप हो गये।

मेरे अंदर तो आग लगी हुई थी इतने दिन से लण्ड नहीं लिया था तो मैंने कहा- “अगर मुझे चोदने का इतना ही दिल चाह रहा है तो चोद लो मुझे, मैं तुम दोनों से चुदवाने के लिए राजी हूँ। पर ये एक राज़् रहेगा..." अगर भाई को बताया तो इज्ज़त लूटने का इल्ज़ाम लगा देंगी...”

फिर फरहान बोला- “मगर डर ये है की कही तुम्हारा भाई ना आ जाये...”
मैं मुश्कुराई और बोली- “आप दोनों इसकी फिकर ना करें जुबैर भाईजान अब नहीं आयेंगे। अंकल के पास गए हैं

फरहान बोला- “वो क्यों..."

मैं कहने लगी- “वो इसलिए की मैं तुम दोनों से चुदवा सकें, इसलिये मैंने जानबूझ कर उनको बहाना लगा के भेजा है...”
 
रशीद हैरान होकर बोला- “क्या?”

मैं मुश्कुराकर बोली- “वो इसलिए की मैं भी मजा लेना चाहती थी और मैंने तुम्हारी नीयत भाँप ली थी...”

मेरी बात पर वो दोनों बहुत हेरान हुये तो मैं बोली- “आप दोनों समय क्यों वेस्ट कर रहे हो?”

ये कहकर मैंने आगे होकर खुद से उन दोनों के लण्ड उनकी पैंट के ऊपर से पकड़ लिए तो वो दोनों भी मुझे चूमने और मेरी चूचियों को दबाने लगे। थोड़ी देर में ही वो दोनों मुझे नंगा कर चुके थे। अभी वो दोनों मेरे नंगे जिश्म को चूम और चाट रहे थे की फिर वो लोग मुझे लिटाकर मेरे जिश्म को चूमने और चाटने लगे। एक मेरे चूचियों को चूस रहा था, एक मेरी चूत, कोई मुझे किस कर रहा था, कोई मेरी गाण्ड में उंगली कर रहा था, मैं। आँखें बंद किए उन लोगों की इन हरकतों से बहुत गरम हो चुकी थी और मुझे बहुत मजा आ रहा था। काफी देर वो दोनों मुझे और मेरे जिश्म को चाटते रहे फिर वो दोनों भी नंगे होगे और मेरे इर्द गिर्द आकर खड़े हो गये।

वो दोनों मेरे चारों तरफ खड़े हो गये थे, फिर मैंने बारी-बारी दोनों का लण्ड चूसना शुरू कर दिया। काफी देर तक मैंने उन लोगों के लण्ड को चूसा।

फिर रशीद मुझसे बोला- “बताओ निदा तुम्हें किस तरह चोदें अकेले-अकेले या एक साथ दो?”

मैं बोली- “पूरा दिन है आप लोगों के पास इसलिए पहले तुम लोग मुझे अकेले-अकेले चोद लो फिर ग्रूप बनाकर चोद लेना..”

मेरा आइडिया सबको पसंद आया और फिर सबसे पहले मुझे रशीद ने चोदना शुरू किया। रशीद को डागी स्टाइल सबसे ज्यादा पसंद था इसलिए उसने मुझे डागी पोजीशन में किया और चोदना शुरू कर दिया। रशीद का लण्ड 8" इंच लंबा था जिससे मुझे बहुत मजा आने लगा।

और मैं लज़्ज़त भरी सिसकारियां लेने लगी- “आहहह... आहह्ह... ऊओह... ऊहह... उफफ्फ़... हाँणन्... जोरर से...”

रशीद ने बहुत तूफानी झटकों के साथ मुझे 8 मिनट तक चोदा फिर वो हट गया और मुझे फरहान चोदने लगा।

फरहान को गाण्ड मारना पसंद था इसलिए उसने मेरी खूब गाण्ड मारी और मेरी खूब उफफ्फ़... उफफ्फ़... ऊऊऊऊह्ह... म्म्माआआ... उफफ्फ़... चीखें भी निकाली। हाआन्न फरहान्न ऐसे ही हहाँ ऊओह म्म्माआअ और मेरी गाण्ड में ही अपना पानी छोड़ दिया।

कोई दो घंटे बाद दोनों फिर तैयार हो गये फिर उन लोगों ने मेरे साथ ग्रूप सेक्स करने का फैसला किया, फिर रशीद ने तो अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया और फरहान ने मेरी गाण्ड में, फिर रशीद और फरहान खूब झटके मारकर मुझे चोदने लगे। अब मुझे हर जगह से हर तरह का मजा मिल रहा था, और मजे से उफफ्फ़... म्माआ... उफफ्फ़... माआ... उफफ्फ़... म्माआअ... कर रही थी, ये अनुभव मेरे लिए बिल्कुल नया था इसलिए मुझे इस स्टाइल में बहुत मजा आने लगा और मैं अपनी चुदाई से बहुत खुश होने लगी और भरपूर मजा भी लेने लगी।

फिर वो लोग मुझे इस पोजीशन में चोदने लगे। फिर मुझे इस तरह चुदवाते हुये आधे घंटे से ऊपर हो गया था। पर उनमें से कोई भी झड़ नहीं रहा था, जबकी मैं कई बार झड़ चुकी थी, मुसलसल चुदाई से मेरी चूत और गाण्ड में दर्द भी होना शुरू हो गया था। पर मैं बर्दाश्त करके चुदवा रही थी। फिर मजीद दस मिनट और मैं इसी तरह चुदती रही

फिर सबसे पहले फरहान झड़ा और उसने अपने लण्ड की मनी मेरी गाण्ड में ही निकाल दी, और थोड़ी देर बाद रशीद ने भी अपनी मनी मेरी चूत में ही छोड़ दी फिर मैं थक कर गिर पड़ी और लंबी-लंबी सांसें । लेने लगी, आधे घंटेर तक मैं लेटी रही। इतनी देर में रशीद, और फरहान के लण्ड फिर से ताजादम हो चुके थे। मैं बोली- “बस अब नहीं अब मुझमें और हिम्मत नहीं है चुदवाने की। तुम लोग मुझे फिर किसी दिन बुला लेना, आज बस करो।

रशीद बोला- “बाद की बात बाद में अभी तो हम लोगों ने तुमको और चोदना है। अभी तो हम सबर नहीं कर सकते..” फिर मेरे मना करने के बावजूद रशीद लेटा और उसने मुझे अपने ऊपर बिठाकर अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया। फिर फरहान भी मेरे पीछे आ गया और अपना लण्ड मेरी चूत में डालने की कोशिश करने लगा। मेरी चूत में पहले से ही रशीद का लण्ड था पर फरहान कोशिश करता रहा। थोड़ी देर में ही फरहान ने भी अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया।


अब मेरी चूत में एक साथ दो लण्ड थे। अब एक साथ दो लण्ड मेरी चूत में थे, शुरू में तो मुझे बहुत दर्द हुवा और मैं बहुत चीखी फिर मुझे भी मजा आया और मैं भी उनका साथ देने लगी। अब वो लोग अपनी जगह बदल बदल कर मुझे इसी तरह चोदने लगे फिर मजीद दो मिनट बाद वो सभी एक के बाद एक करके झड़ गये। मैंने सुबह 11:00 बजे से उन लोगों से चुदवाना शुरू किया था और इन लोगों ने मुझे मुसलसल 4 घंटे तक चोदा था, फिर उन लोगों ने जाने का फैसला किया।

रशीद मुझसे बोला- “निदा डार्लिंग बताओ आज तुमको चुदाई में कितना मजा आया?”

मैं बोली- “मजा तो बहुत आया पर दर्द भी बहुत हुवा, जिस तरह तुम लोगों ने मुझे चोदा है आज तक किसी ने भी मुझे इस तरह से नहीं चोदा...”

फिर वो लोग मुझे किस करके चले गए।

******** समाप्त ***
 
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