hotaks444
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कुणाल ने नीचे आकर उसकी टी शर्ट को उपर किया और उसका नंगा पेट उजागर किया,
निशु की अंदर की तरफ धँसी हुई नाभि इतनी सैक्सी लग रही थी की वो उसमे अपनी जीभ डालकर उसे भी जोरो से चूसने लगा..
निशु ने भी उसके सिर को पकड़कर अपने पेट में ऐसे दबा लिया जैसे उसे अंदर ही समा लेगी...
वो उसकी धुन्नी चूसने में बिज़ी था तो निशु ने खुद ही अपनी जीन्स को खोल कर नीचे खिसका दिया...
उसकी चूत से निकल रही भीनी खुश्बू जब कुणाल की नाक से टकराई तो उसने अपना रुख़ नीचे की तरफ किया और उसकी पेंटी को सरकाते हुए उसकी चूत को नंगा कर दिया...
उफफफ्फ़.....
क्या कमाल की चूत थी उसकी...
एकदम फूली हुई सी....
एकदम टाइट...
कुणाल ने अपनी मंगेतर की चूत जब मारी थी तो वो भी लगभग ऐसी ही कड़क थी, यानी ये भी अभी तक कुँवारी ही है...
इसे चोदने पर भी खून ज़रूर निकलेगा...
एक के बाद दूसरी कुँवारी चूत को फाड़ने के ख्याल मात्र से ही उसके लंड का बुरा हाल हो गया...
और उसने घोड़े की तरह हिनहिनाते हुए, गहरी साँस ली और अपनी जीभ उसकी गर्म चूत पर लगाकर अंदर घुसा दी..
''आआआआआआआआआअहह ओह कुणाल....... उम्म्म्ममममममममम....... एसस्स्स्स्स्स्सस्स....... सक मिईीईईईईई कुणाल....सॅक.....मिईीई''
बस फिर क्या था,
कुणाल ने अपना चेलेंज पूरा करते हुए उसकी टाँगो के बीच घुसकर उसकी गुफा की ऐसी चटाई करनी शुरू कर दी की वो भी पागल सी हो गयी..
पर इन सबके बीच वो दोनो ये ध्यान ज़रूर रख रहे थे की उनकी ये सिसकारिया और आवाज़ें बाहर ना चली जाए...
हालाँकि कुणाल को ये विश्वास था की अब अंकल जी अंदर आने वाले नही है,
कामिनी ने उन्हे अच्छी तरह से रोक कर रखा होगा...
पर इस वक़्त वो अगर एकदम से अंदर आ जाते तो उन्हे अपनी बेटी की चूत चूसता हुआ वो ठरकी इंसान दिख जाता जिसकी मंगेतर के साथ वो बाहर तीन पत्ती खेल रहे है..
और वैसे भी ये वो टाइम था जब बाहर बाथरूम के बाहर खड़े होकर अंकल जी प्लास से कामिनी की ब्रा का हुक ठीक कर रहे थे...
और उन्हे भी यही डर था की कही वो दोनो अंदर से बाहर ना आ जाए वरना उन्हे ये काम करते हुए देखकर वो क्या बोलेंगे..
इसलिए जो डर अंदर वालो को था, वही बाहर भी था..
पर जो होना ही नही था उसके बारे में बात ही क्यो करनी..
इसलिए कुणाल लगभग इत्मीनान के साथ वो सब करने में लगा था..
उसकी चूत के होंठो के साथ फ्रेंच किस्स करते हुए वो उन्हे उपरी होंठो की तरह ही चूस रहा था...
निशु के चेलेंज को उसने अच्छे से पूरा कर दिया था..
.
कुणाल ने अपने हाथ उपर किए और उसकी टी शर्ट में घुसा कर उसके अनारो को दबोच लिया...
एकदम सख़्त और गद्देदार थे वो...
निशु ने अपनी ब्रा को बिना खोले ही उपर खिसका कर अपनी चुचिया बाहर निकाल दी ताकि उसका प्रेमी उन्हे अच्छे से एंजाय कर सके...
और कुणाल ने वो किया भी....
उसकी चूत के रस से डूबे होंठो को उसके पेट पर रगड़ता हुआ सा वो उपर आया और उसकी टी शर्ट में अपना सिर घुसा कर उसके मम्मों को दबोच लिया और उनपर वो सारा देसी घी लगाकर वो उन्हे चूसने लगा..
निशु ने सिसकारी मारते हुए अपनी टी शर्ट निकाल फेंकी...और उसके सामने नंगी होकर खड़ी हो गयी
नीचे की जीन्स निकली हुई थी और उपर से टी शर्ट और ब्रा हट चुकी थी इसलिए कुणाल उसे उपर से नीचे तक पूरा नंगा देख पा रहा था...
पर कुणाल का एक भी कपड़ा अभी तक हटा नही था...
वो उतारना तो चाहता था पर उसे भी इस बात का डर था की वो वहां पर उसकी चुदाई कर पाएगा या नही...
क्योंकि दरवाजा खुला हुआ था और उसे बंद करने की हिम्मत ना तो निशु में थी और ना ही उसमे..
क्योंकि ऐसे दरवाजा बंद करके बैठने से निशु के पापा को शक हो सकता था...
खैर, इस बात के लिए उसे कामिनी से बात करनी पड़ेगी ताकि वो ही कोई उपाय निकाल सके दरवाजा बंद करने का ताकि वो दोनो बिना किसी टेंशन के चुदाई कर सके...
पर अभी के लिए तो वो उसे अपना लंड ज़रूर चुसवाना चाहता था जो उसके नंगे जिस्म को देखकर उबाल खा रहा था इसलिए उसने निशु को अपने सामने ज़मीन पर बिठाया और खुद सोफे पर बैठकर उसने अपना लंड निकाल लिया..
निशु ने कुणाल का लंड पहली बार देखा...
और उसके मोटे और लंबे लंड को देखकर वो सिर्फ़ एक ही बात बोली : "उम्म्म......उससे शादी करनी ज़रूरी है क्या....मेरे नही हो सकते तुम ?''
उसकी इस बात में प्यार से ज़्यादा उस मोटे लंड के लिए हवस छुपी थी...
जिसे महसूस करके कुणाल का लंड फूला नही समा रहा था...
आख़िर अपने लंड की तारीफ किसे पसंद नही होती.
वो उसके चेहरे को बड़े प्यार से सहलाते हुए बोला : "मैं तो तुम्हारा ही हूँ जानेमन...वरना उसके होते हुए इस तरह तुम्हारे साथ भला क्यो बैठ होता...''
निशु ने मन में सोचा : "पागल है वो साली...अपने हॅंडसम मँगेतर को इस तरह से उसकी पुरानी माहूका के साथ छोड़कर मेरे बूढ़े बाप के साथ बैठकर ताश खेल रही है...''
और मंद-2 मे मुस्कुराते हुए निशु ने अपनी सैक्सी आँखो से उसे देखते हुए जीभ निकाली और उसके लंड को छू लिया...
लंड के अंदर से निकल रही गाड़े प्रिकम की बूँद को उसने अपनी जीभ से सॉफ करके निगल लिया...
और जैसे ही उसका स्वाद उसके गले से नीचे उतरा, वो तो पागलों की तरह उसे नॉचकर खाने लगी...
हालाँकि उसकी लाइफ का ये पहला लंड नही था जिसे वो चूस रही थी,
कुणाल के बाद उसकी लाइफ में 2-3 लड़के आए थे पर चूसम चुसाई से ज़्यादा उसने कुछ भी नही किया था...
पर कुणाल के लंड के सामने वो काफ़ी छोटे थे, इसलिए उसे शायद आज अफ़सोस हो रहा था की ये शानदार लंड उसका क्यो नही हो रहा है...
पर फिर भी, जितना मिल रहा था वो उसे अच्छे से ले लेना चाहती थी.
कुणाल को बस यही डर था की बाहर से कोई अंदर ना आ जाए..
वैसे भी अब अंदर आना किसने था क्योंकि बाहर का नज़ारा अब वैसे भी बदल चुका था...
अपने कपड़े पहन कर कामिनी वापिस बैठ चुकी थी और अंकल के साथ ताश खेल रही थी..
जो खेल वो रोक कर गये थे वो उन्होने फिर से शुरू कर दिया...
पर अंकल का सारा ध्यान तो अब उसके जवान जिस्म पर ही था...
ख़ासकर उसके उन्नत उभारो पर, जिन्हे आज उन्होने नंगा देख लिया था....
शीशे के थ्रू भी और सामने से भी..
कामिनी ने जब देखा की अंकल का ध्यान खेल से ज़्यादा उसके जिस्म पर है तो वो अपने होंठो को दांतो तले दबाते हुए धीरे से बोली : "क्या हुआ अंकल जी...लगता है आपका मन नही कर रहा अब खेलने का....क्या चल रहा है आपके मन में ...बताइए ना...''
अब अंकल क्या बोलते की उनके मन में उसके मम्मे चल रहे है...
निशु की अंदर की तरफ धँसी हुई नाभि इतनी सैक्सी लग रही थी की वो उसमे अपनी जीभ डालकर उसे भी जोरो से चूसने लगा..
निशु ने भी उसके सिर को पकड़कर अपने पेट में ऐसे दबा लिया जैसे उसे अंदर ही समा लेगी...
वो उसकी धुन्नी चूसने में बिज़ी था तो निशु ने खुद ही अपनी जीन्स को खोल कर नीचे खिसका दिया...
उसकी चूत से निकल रही भीनी खुश्बू जब कुणाल की नाक से टकराई तो उसने अपना रुख़ नीचे की तरफ किया और उसकी पेंटी को सरकाते हुए उसकी चूत को नंगा कर दिया...
उफफफ्फ़.....
क्या कमाल की चूत थी उसकी...
एकदम फूली हुई सी....
एकदम टाइट...
कुणाल ने अपनी मंगेतर की चूत जब मारी थी तो वो भी लगभग ऐसी ही कड़क थी, यानी ये भी अभी तक कुँवारी ही है...
इसे चोदने पर भी खून ज़रूर निकलेगा...
एक के बाद दूसरी कुँवारी चूत को फाड़ने के ख्याल मात्र से ही उसके लंड का बुरा हाल हो गया...
और उसने घोड़े की तरह हिनहिनाते हुए, गहरी साँस ली और अपनी जीभ उसकी गर्म चूत पर लगाकर अंदर घुसा दी..
''आआआआआआआआआअहह ओह कुणाल....... उम्म्म्ममममममममम....... एसस्स्स्स्स्स्सस्स....... सक मिईीईईईईई कुणाल....सॅक.....मिईीई''
बस फिर क्या था,
कुणाल ने अपना चेलेंज पूरा करते हुए उसकी टाँगो के बीच घुसकर उसकी गुफा की ऐसी चटाई करनी शुरू कर दी की वो भी पागल सी हो गयी..
पर इन सबके बीच वो दोनो ये ध्यान ज़रूर रख रहे थे की उनकी ये सिसकारिया और आवाज़ें बाहर ना चली जाए...
हालाँकि कुणाल को ये विश्वास था की अब अंकल जी अंदर आने वाले नही है,
कामिनी ने उन्हे अच्छी तरह से रोक कर रखा होगा...
पर इस वक़्त वो अगर एकदम से अंदर आ जाते तो उन्हे अपनी बेटी की चूत चूसता हुआ वो ठरकी इंसान दिख जाता जिसकी मंगेतर के साथ वो बाहर तीन पत्ती खेल रहे है..
और वैसे भी ये वो टाइम था जब बाहर बाथरूम के बाहर खड़े होकर अंकल जी प्लास से कामिनी की ब्रा का हुक ठीक कर रहे थे...
और उन्हे भी यही डर था की कही वो दोनो अंदर से बाहर ना आ जाए वरना उन्हे ये काम करते हुए देखकर वो क्या बोलेंगे..
इसलिए जो डर अंदर वालो को था, वही बाहर भी था..
पर जो होना ही नही था उसके बारे में बात ही क्यो करनी..
इसलिए कुणाल लगभग इत्मीनान के साथ वो सब करने में लगा था..
उसकी चूत के होंठो के साथ फ्रेंच किस्स करते हुए वो उन्हे उपरी होंठो की तरह ही चूस रहा था...
निशु के चेलेंज को उसने अच्छे से पूरा कर दिया था..
.
कुणाल ने अपने हाथ उपर किए और उसकी टी शर्ट में घुसा कर उसके अनारो को दबोच लिया...
एकदम सख़्त और गद्देदार थे वो...
निशु ने अपनी ब्रा को बिना खोले ही उपर खिसका कर अपनी चुचिया बाहर निकाल दी ताकि उसका प्रेमी उन्हे अच्छे से एंजाय कर सके...
और कुणाल ने वो किया भी....
उसकी चूत के रस से डूबे होंठो को उसके पेट पर रगड़ता हुआ सा वो उपर आया और उसकी टी शर्ट में अपना सिर घुसा कर उसके मम्मों को दबोच लिया और उनपर वो सारा देसी घी लगाकर वो उन्हे चूसने लगा..
निशु ने सिसकारी मारते हुए अपनी टी शर्ट निकाल फेंकी...और उसके सामने नंगी होकर खड़ी हो गयी
नीचे की जीन्स निकली हुई थी और उपर से टी शर्ट और ब्रा हट चुकी थी इसलिए कुणाल उसे उपर से नीचे तक पूरा नंगा देख पा रहा था...
पर कुणाल का एक भी कपड़ा अभी तक हटा नही था...
वो उतारना तो चाहता था पर उसे भी इस बात का डर था की वो वहां पर उसकी चुदाई कर पाएगा या नही...
क्योंकि दरवाजा खुला हुआ था और उसे बंद करने की हिम्मत ना तो निशु में थी और ना ही उसमे..
क्योंकि ऐसे दरवाजा बंद करके बैठने से निशु के पापा को शक हो सकता था...
खैर, इस बात के लिए उसे कामिनी से बात करनी पड़ेगी ताकि वो ही कोई उपाय निकाल सके दरवाजा बंद करने का ताकि वो दोनो बिना किसी टेंशन के चुदाई कर सके...
पर अभी के लिए तो वो उसे अपना लंड ज़रूर चुसवाना चाहता था जो उसके नंगे जिस्म को देखकर उबाल खा रहा था इसलिए उसने निशु को अपने सामने ज़मीन पर बिठाया और खुद सोफे पर बैठकर उसने अपना लंड निकाल लिया..
निशु ने कुणाल का लंड पहली बार देखा...
और उसके मोटे और लंबे लंड को देखकर वो सिर्फ़ एक ही बात बोली : "उम्म्म......उससे शादी करनी ज़रूरी है क्या....मेरे नही हो सकते तुम ?''
उसकी इस बात में प्यार से ज़्यादा उस मोटे लंड के लिए हवस छुपी थी...
जिसे महसूस करके कुणाल का लंड फूला नही समा रहा था...
आख़िर अपने लंड की तारीफ किसे पसंद नही होती.
वो उसके चेहरे को बड़े प्यार से सहलाते हुए बोला : "मैं तो तुम्हारा ही हूँ जानेमन...वरना उसके होते हुए इस तरह तुम्हारे साथ भला क्यो बैठ होता...''
निशु ने मन में सोचा : "पागल है वो साली...अपने हॅंडसम मँगेतर को इस तरह से उसकी पुरानी माहूका के साथ छोड़कर मेरे बूढ़े बाप के साथ बैठकर ताश खेल रही है...''
और मंद-2 मे मुस्कुराते हुए निशु ने अपनी सैक्सी आँखो से उसे देखते हुए जीभ निकाली और उसके लंड को छू लिया...
लंड के अंदर से निकल रही गाड़े प्रिकम की बूँद को उसने अपनी जीभ से सॉफ करके निगल लिया...
और जैसे ही उसका स्वाद उसके गले से नीचे उतरा, वो तो पागलों की तरह उसे नॉचकर खाने लगी...
हालाँकि उसकी लाइफ का ये पहला लंड नही था जिसे वो चूस रही थी,
कुणाल के बाद उसकी लाइफ में 2-3 लड़के आए थे पर चूसम चुसाई से ज़्यादा उसने कुछ भी नही किया था...
पर कुणाल के लंड के सामने वो काफ़ी छोटे थे, इसलिए उसे शायद आज अफ़सोस हो रहा था की ये शानदार लंड उसका क्यो नही हो रहा है...
पर फिर भी, जितना मिल रहा था वो उसे अच्छे से ले लेना चाहती थी.
कुणाल को बस यही डर था की बाहर से कोई अंदर ना आ जाए..
वैसे भी अब अंदर आना किसने था क्योंकि बाहर का नज़ारा अब वैसे भी बदल चुका था...
अपने कपड़े पहन कर कामिनी वापिस बैठ चुकी थी और अंकल के साथ ताश खेल रही थी..
जो खेल वो रोक कर गये थे वो उन्होने फिर से शुरू कर दिया...
पर अंकल का सारा ध्यान तो अब उसके जवान जिस्म पर ही था...
ख़ासकर उसके उन्नत उभारो पर, जिन्हे आज उन्होने नंगा देख लिया था....
शीशे के थ्रू भी और सामने से भी..
कामिनी ने जब देखा की अंकल का ध्यान खेल से ज़्यादा उसके जिस्म पर है तो वो अपने होंठो को दांतो तले दबाते हुए धीरे से बोली : "क्या हुआ अंकल जी...लगता है आपका मन नही कर रहा अब खेलने का....क्या चल रहा है आपके मन में ...बताइए ना...''
अब अंकल क्या बोलते की उनके मन में उसके मम्मे चल रहे है...