Desi Sex Kahani पापा के दोस्तो ने जम के पेला - SexBaba
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Desi Sex Kahani पापा के दोस्तो ने जम के पेला

hotaks444

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Nov 15, 2016
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हेल्लो दोस्तो मेरा नाम सोनियाँ है मैं आपको आज ऐक इंटरस्टिंग स्टोरी सुनाने जा रही हूँ मैं हयदेराबाद की रहने वाली हूँ और अपने वल्डाइन की इक्लोटी ओलाद हूँ. इस वक़्त मैं लाहोर यूनिवर्सिटी से मास्टर्स कर रही हूँ. ये कहानी जब की है जब मैं छुट्टियाँ गुज़ारने के लिए अपने घर जा रही थी. मैं जिस ट्रेन से जा रही थी उस के बारे मे मैं ने घर मे इतला दे दी थी के मैं कल शाम तक पोहन्च जाओं गी. ट्रेन मे मैं इस वक़्त अपने कॉमपार्टमेंट मे अकेली थी इसलिए मैं ने अपनी ऐक किताब निकाली और पढ़ने लगी. ये फर्स्ट क्लास कॉमपार्टमेंट था और ये कॉमपार्टमेंट 4 लोगो के लिए रिजर्व था. अभी ट्रेन चली नही थी और फिर थोड़ी देर बाद कॉमपार्टमेंट मैं ऐक आदमी आकर बैठ गया . वो कोई 60 साल का होगा वो आदमी लंबा और सेहत मंद था. मैं ने ऐक नज़र उसकी तरफ देखा और दोबारा अपनी किताब पढ़ने लगी. वो आदमी मेरी तरफ आया और मेरी तरफ हाथ बढ़ा कर बोला, हेलो स्वीट गर्ल मेरा नाम वसीम है. मैं ने ऐक नज़र उस के बढ़े हो हाथ को देखा और मुँह बना कर वापिस किताब पढ़ने लगी. मेरे मुँह बनाने पर उस को गुस्सा आगेया और वो जाकर अपनी सीट पर बैठ गया और मुझे घूर घूर कर देखने लगा. मैं ने उसे इग्नोर कर दिया और अपनी किताब पढ़ने लगी. अब ट्रेन चल पड़ी थी. थोड़ी देर बाद मुझे पीशाब लगा तो मैं उठ कर साथ बने हो बाथरूम मे आगाई. अभी मैं कामोट पर बैठी पीशाब ही कर रही थी के बाथरूम का दरवाज़ा ऐक दम से खुला और वसीम अंदर आगेया. मैं ऐक दम से घबरा गई और फिर गुस्से से बोली, ये किया बट्तमीज़ी है. वो बेशर्मी से मुस्काराया और बोला, ये बट्तमीज़ी नही है मेरी जान मैं तो पीशाब करने आया हूँ. मैं फिर गुस्से से बोली, तुम ज़रा सी भी तमीज़ नही है किया? देख नही रहे के मैं पहले से ही यहा मोजूद हूँ. वो हंसा और बोला, तुम यहा हो जब ही तो मैं आया हूँ. मैं ने गुस्से से कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोला ही था के उसने ऐक दम से अपनी पॅंट की ज़िप खोली और अपना लंड पॅंट से बाहर निकाल लिया जो 9 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था. फिर फॉरन ही उसके लंड से पीशाब की ऐक बोहत तेज़ धार निकल कर मेरे चेहरे से टकराई और मेरे खुले मुँह से काफ़ी सारा पीशाब मेरे हलक़ से नीचे उतर गया . पीशाब का टेस्ट कड़वा सा था और मुझे उबकाई आगाई. मैं ने अपने दोनो हाथो से अपने चेहरे को बचाने की कोशिश करी तो उसने अपने पीशाब से मुझे पूरा भीगो दिया. मेरे सारे कपड़े पीशाब से खराब होगे थे. पीशाब करने के बाद वो हंसता हुआ बाहर चला गया . वो गया तो मेरी शिकल रोने वाली हो गई और मुझे गुस्सा भी आने लगा. मैं बाहर आई तो पीसाब से पूरी तरह भीगी हुई थी और वो मुझे देख कर फिर हँसने लगा. मैं गुस्से से अपनी सीट पर गई ताक़ि मैं अपने बेग से दोसरा सूट निकालू पर वाहा मेरा बेग नही था. मैं गुस्से से वसीम की तरफ मूडी और बोली, ये तुम ने मेरा बेग क्यूँ लिया है. वो फिर हंसा और बोला, तुम्हारा बेग मैं क्यूँ लूँगा क्या तुम्हे अपना बेग मेरे पास नज़र आरहा है?
 
हेल्लो दोस्तो मेरा नाम सोनियाँ है मैं आपको आज ऐक इंटरस्टिंग स्टोरी सुनाने जा रही हूँ मैं हयदेराबाद की रहने वाली हूँ और अपने वल्डाइन की इक्लोटी ओलाद हूँ. इस वक़्त मैं लाहोर यूनिवर्सिटी से मास्टर्स कर रही हूँ. ये कहानी जब की है जब मैं छुट्टियाँ गुज़ारने के लिए अपने घर जा रही थी. मैं जिस ट्रेन से जा रही थी उस के बारे मे मैं ने घर मे इतला दे दी थी के मैं कल शाम तक पोहन्च जाओं गी. ट्रेन मे मैं इस वक़्त अपने कॉमपार्टमेंट मे अकेली थी इसलिए मैं ने अपनी ऐक किताब निकाली और पढ़ने लगी. ये फर्स्ट क्लास कॉमपार्टमेंट था और ये कॉमपार्टमेंट 4 लोगो के लिए रिजर्व था. अभी ट्रेन चली नही थी और फिर थोड़ी देर बाद कॉमपार्टमेंट मैं ऐक आदमी आकर बैठ गया . वो कोई 60 साल का होगा वो आदमी लंबा और सेहत मंद था. मैं ने ऐक नज़र उसकी तरफ देखा और दोबारा अपनी किताब पढ़ने लगी. वो आदमी मेरी तरफ आया और मेरी तरफ हाथ बढ़ा कर बोला, हेलो स्वीट गर्ल मेरा नाम वसीम है. मैं ने ऐक नज़र उस के बढ़े हो हाथ को देखा और मुँह बना कर वापिस किताब पढ़ने लगी. मेरे मुँह बनाने पर उस को गुस्सा आगेया और वो जाकर अपनी सीट पर बैठ गया और मुझे घूर घूर कर देखने लगा. मैं ने उसे इग्नोर कर दिया और अपनी किताब पढ़ने लगी. अब ट्रेन चल पड़ी थी. थोड़ी देर बाद मुझे पीशाब लगा तो मैं उठ कर साथ बने हो बाथरूम मे आगाई. अभी मैं कामोट पर बैठी पीशाब ही कर रही थी के बाथरूम का दरवाज़ा ऐक दम से खुला और वसीम अंदर आगेया. मैं ऐक दम से घबरा गई और फिर गुस्से से बोली, ये किया बट्तमीज़ी है. वो बेशर्मी से मुस्काराया और बोला, ये बट्तमीज़ी नही है मेरी जान मैं तो पीशाब करने आया हूँ. मैं फिर गुस्से से बोली, तुम ज़रा सी भी तमीज़ नही है किया? देख नही रहे के मैं पहले से ही यहा मोजूद हूँ. वो हंसा और बोला, तुम यहा हो जब ही तो मैं आया हूँ. मैं ने गुस्से से कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोला ही था के उसने ऐक दम से अपनी पॅंट की ज़िप खोली और अपना लंड पॅंट से बाहर निकाल लिया जो 9 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था. फिर फॉरन ही उसके लंड से पीशाब की ऐक बोहत तेज़ धार निकल कर मेरे चेहरे से टकराई और मेरे खुले मुँह से काफ़ी सारा पीशाब मेरे हलक़ से नीचे उतर गया . पीशाब का टेस्ट कड़वा सा था और मुझे उबकाई आगाई. मैं ने अपने दोनो हाथो से अपने चेहरे को बचाने की कोशिश करी तो उसने अपने पीशाब से मुझे पूरा भीगो दिया. मेरे सारे कपड़े पीशाब से खराब होगे थे. पीशाब करने के बाद वो हंसता हुआ बाहर चला गया . वो गया तो मेरी शिकल रोने वाली हो गई और मुझे गुस्सा भी आने लगा. मैं बाहर आई तो पीसाब से पूरी तरह भीगी हुई थी और वो मुझे देख कर फिर हँसने लगा. मैं गुस्से से अपनी सीट पर गई ताक़ि मैं अपने बेग से दोसरा सूट निकालू पर वाहा मेरा बेग नही था. मैं गुस्से से वसीम की तरफ मूडी और बोली, ये तुम ने मेरा बेग क्यूँ लिया है. वो फिर हंसा और बोला, तुम्हारा बेग मैं क्यूँ लूँगा क्या तुम्हे अपना बेग मेरे पास नज़र आरहा है?
 
[size=large]तकलीफ़ की वजा से मैं चीखने लगी और मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे. वसीम मुझे छोड़ कर बाथरूम चला गया . मुझ मे उठने की हिम्मत नही थी और मैं नीचे ही पड़ी रही और दर्द की वजा से तड़पति रही. थोड़ी देर बाद जो वसीम बाथरूम से निकला तो उसके हाथ मे मेरे पीशाब मे भीगे हो कपड़े थे जो मैं बाथरूम मे छोड़ आई थी. वसीम ने मेरी पीशाब से भीगी होई कमीज़ से मेरे दोनो हाथो को बाँध दिया. अब मुझ मे अब लड़ने की हिम्मत नही बची थी. मैं रोते हुए बोली, तुम मेरे साथ आएसा क्यूँ कर रहे हो मैं ने तुम्हारा किया बिगाड़ा है. वसीम ने मेरे हाथो को बाँधने के बाद उसने मेरी शलवार से मेरे दोनो पावं भी बाँध दिए. मैं ने फिर उस से इल्तीजा करी, प्लीज़ मुझ पर रहम करो मुझे छोड़ दो मैं तुमसे माफी मांगती हूँ प्लीज़ मुझे मेरा क़सूर तो बता दो. मेरे दोनो हाथ पैरों को बाँध देने के बाद उसने मेरा ब्रेज़ियर मेरे मुँह मे ठूंस दिया. अब मैं हिलने जुलने के साथ साथ बोल भी नही सकती थी. वो मुझे बाँध कर बोला, पहले शायद मैं तुम्हारा ये हाल नही करता मगर तुम ने मुझ पर वार कर के खुद ही मुसीबत मोल ली है. और रही बात क़सूर की तो क़सूर तुम्हारी खूबसूरती का है जिस को देख कर मैं पागल होगया हूँ. अगर तुम खुशी से मेरा साथ देती तो तुम्हे भी माज़ा आता मगर अब मुझे ये सब ज़बरदस्ती करना पड़े गा. वसीम ने मुझे सीधा लिटा दिया और झोक कर मेरे बूब्स को चूमने और चाटने लगा. वो वहशी पने से मेरे दोनो बूब्स को चूस और काट रहा था जिस से मुझे तकलीफ़ हो रही थी. मैं कुछ बोल तो नही सकती थी मगर मेरी आँखों से मुसलसल आँसू बह रहे थे. वो बार बार मेरे बूब्स के निपल को काट रहा था और मैं बुरी तरहा से सिसक रही थी. काफ़ी देर तक मेरे बूब्स को चूसने और काटने के बाद उसने मेरी चूत पर हमला कर दिया. वो कुत्टो की तरहा बड़ी बेसब्री से मेरी चूत को नोच और खसोट रहा था. फिर उसने ऐक दम से अपनी 3 उंगलियाँ मेरी कुँवारी चूत मे घुस्सा दी. तकलीफ़ की वजा से तड़प गई. वसीम वहशी बना तेज़ी से अपनी उंगलियाँ मेरी चूत मे आगे पीछे कर रहा था. अचानक से मेरे बदन मे अकराहट पैदा होई और मेरे पूरे बदन की ताक़त जेसे मेरी चूत मे समा गई. मेरी साँसे ऐक दम से तेज़ हो गई थी और मुझे ऐसा लगा जेसे मेरी जान मेरी चूत के रास्ते निकल जाय गी और फिर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. ये मेरा पहला सेक्स सॅटिस्फॅक्षन था और फिर मेरे पूरे बदन मे ऐक सरूर सा दौड़ गया और मेरी तेज़ साँसे बहाल हो गई. मैं ने अपनी आँखे बंद कर ली. फिर जब वसीम ने मेरी टाँगे उठाई तो मैं ने आँखे खोल कर देखा. वसीम घोटनो के बल बैठा हुआ था और उसका आकड़ा हुआ पाइप जेसा लंड मेरी चूत से टकरा रहा था. मैं समझ गई के अब वो अपना लंड मेरी चूत मे डाल कर मेरी चूत को फाड़ना चाहता है. आने वाली तकलीफ़ का सोच कर मेरे जिस्म से जेसे जान निकल गई. वसीम ने अपने हाथ से अपने लंड की टोपी मेरी चूत के सोराख मे फँसैई और ऐक ज़ोरदार झटका मारा. तेज दर्द की वजह से मैं बुरी तरहा तदपि और चीखी. मेरे मुँह मे ब्रेज़ियर होने की वजा से मेरे मुँह से चीख की जगा सिर्फ़ ग्घूऊऊऊ की आवाज़ निकली. मेरा जिस्म ज़ोर से तडपा. वसीम का लंड 2 इंच तक मेरी चूत मे घुस्स चुक्का था. वसीम ने मेरे तद्दपते हुए जिस्म को कस कर पकड़ा और ऐक ज़ोरदार झटका और मारा. अब उसका लंड 4 इंच तक मेरी चूत मे घुस्स गया था. मुझे ऐसा लग रहा था जेसे वसीम ने कोई तेज़ धार तलवार मेरी चूत मे घुसा दी हो. मेरा जिस्म बुरी तरहा से तड़प रहा था. शदीद दर्द की वजा से मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे. मेरी ये हालत देख कर वसीम मुस्काराया और बोला, मेरी जान अभी तो मेरा सिर्फ़ 4 इंच लंड अंदर गया है ये दर्द तो कुछ नही है असली दर्द तो तुम्हे अभी होगा. ये कह कर वसीम ने ऐक बोहत ही तेज़ झटका मारा. अब की बार उसका 9 इंच लंबा और 2 इंच मोटा लंड मेरी चूत को बुरी तरहा से फाड़ता हुआ जड़ तक अंदर घुस्स गया . दर्द के मारे जेसे मेरा साँस रुक गया और मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया . इसी दौरान वसीम ने ऐक ज़ोरदार झटका और मारा और दर्द के मारे जेसे मैं उछल पड़ी. वसीम ने मुझे कस कर पकड़ा हुआ था और वो ज़ोरदार झटके मारने लगा. वसीम के हर झटके पर मैं दर्द के मारे उछल पड़ती. मुझे ऐसा लग रहा था जेसे मेरी जान निकल जाय गी. अभी वसीम को मुझे चोदते हुए 5 मिनिट ही हुए होंगे के ट्रेन के कॉमपार्टमेंट का दरवाज़ा खुला और कोई अंदर आगेया. शायद वसीम दरवाज़ा अंदर से बंद करना भूल गया था. दरवाज़े खुलने की आवाज़ पर वसीम घबरा कर मुझ पर से उतर गया . आने वाला टिकेट चेकार था. टिकेट चेकर अंदर का मंज़र देख कर हेरान रह गया और बोला, ये क्या होरहा है? टिकेट चेकरर को देख कर मुझे अपने बचने की उमीद नज़र आई और मैं बुरी तरहा से तड़प कर कुछ कहने की कोशिश करने लगी. मुँह मे ब्रेज़ियर होने की वजा से सिर्फ़ ग्घूऊऊऊ ग्घूऊऊऊ की आवाज़ ही मेरे मुँह से निकल रही थी. मेरी हालत देख कर टिकेट चेकरर वसीम से बोला, आप इस मासूम का रेप कर रहे हैं मैं अभी जा कर पोलीस को खबर करता हूँ. टिकेट चेकरर की बात सुनकर वसीम बोला, पोलीस को खबर करने से पहले मेरी ऐक बात सुनते जाओ. वसीम की बात सुनकर टिकेट चेकरर सवालिया नज़रों से वसीम को देखने लगा. वसीम ने कहना शुरू किया, पोलीस को तुम बाद मे बुलाते रहना मगर पहले तुम मेरे लंड की तरफ देखो जो इस लड़की के खून से लाल हो रहा है. टिकेट चेकर की नज़रों के साथ साथ मेरी नज़रे भी वसीम के लंड पर गई. वसीम का पूरा लंड खून से लाल हो रहा था. वसीम ने फिर कहा, ये लड़की कुँवारी थी अभी अभी मैं ने इसकी चूत की सील तोड़ी है मगर इसकी गंद अभी तक कुँवारी है तुम चाहो तो इस लड़की की कुँवारी गंद मार सकते हो. देखो इस लड़की का जिस्म देखो कितना खूबसूरत और सेक्सी जिस्म है किया कोई इतना सेक्सी जिस्म ऐसे छोड़ सकता है? मेरे साथ साथ तुम्हे भी मोका मिल रहा है इस मोके से फ़ायदा उठाओ. 

क्रमशः.................................[/size]
 
[size=large]गतान्क से आगे.................. 

पोलीस को बुला कर तुम्हे क्या मिल जाय गा? अब ये तुम्हारे उपर है के तुम पोलीस को बुलाओ या यहा माज़े कर लो फ़ैसला तुम्हारे हाथ मे है. टिकेट चेकरर वसीम की बात सुनकर उसको देखने लगा फिर उसने मेरे जिस्म को देखा और मूड गया . दरवाज़े के पास पोहन्च कर उसने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया और लॉक कर दिया. फिर जब वो मुड़ा तो उसके चेहरे पर मुस्कराहट थी. टिकेट चेकरर को मुस्करता हुआ देख कर वसीम भी मुस्करा दिया. फिर वो बोला, मेरे दोस्त तुम ने बिल्कुल सही फ़ैसला किया है आओ अब दोनो मिल कर माज़े करते हैं. टिकेट चेकरर अपनी पॅंट उतारता होवा बोला, आप सही कह रहे हैं पोलीस को बुला कर मुझे किया मिल जाय गा क्यूँ ना मैं भी कुछ माज़ा ले लूँ काफ़ी दिनो से किसी लड़की को चोदा नही है अब ऐक कुँवारी लड़की मिल रही है तो मैं खुद को केसे रोक लूँ. टिकेट चेकरर की बात सुनकर मेरे पैरों तले ज़मीन निकल गई. कहा मैं उसे अपना मसीहा समझी थी कहा वो ऐक लूटेरे के साथ लूटेरा बन कर मेरी बची कूची इज़्ज़त लूटना चाहता था. फिर जब मैं ने टिकेट चेकरर का लंड देखा तो मेरा साँस मेरे हलक़ मे अटक गया क्यूँ उसका लंड भी वसीम के लंड से कम नही था. थोड़ी देर मे ही टिकेट चेकरर का लंड फुल अकड़ गया था. वसीम कहने लगा, दोस्त पहले तुम इसकी गंद फाडो फिर हम दोनो मिल कर इसे चोदे गे. वसीम की बात सुनकर टिकेट चेकरर मेरे पास आगेया. वसीम ने मुझे बुरी तरहा से बाँधा था और मैं ज़रा सी भी हिल नही सकती थी. टिकेट चेकरर ने मेरी दोनो टांगे उठा कर उसने मेरे कंधो से लगा दी. फिर वो मेरे पैरों को पकड़ कर मेरे उपर झुक गया . इस पोज़िशन मे मेरी गंद घूम कर उपर उठ गई थी और अब वो टिकेट चेकरर के लंड से टकरा रही थी. टिकेट चेकरर ने झुके झुके ही अपना लंड मेरी गंद के सुराख मे फँसाया. मेरी गंद का सुराख बोहत छोटा था और उसका लंड बोहत मोटा. काफ़ी मूसखिल से उसने अपना लंड मेरी गंद के सुराख मे फिट किया. लंड की टोपी फिट करने मे ही मेरी गंद का हाल खराब होगया था. मैं सोच रही थी के मेरी गंद मे अभी इतना दर्द है तो गंद फ़ाटने के बाद कितना होगा. टिकेट चेकरर ने ज़ोरदार झटका मारा और मेरी जान उछल कर मेरे हलक़ मे आगाई. शदीद दर्द की वजा से मेरे जिस्म मे झिर झिरी सी दौड़ गई. टिकेट चेकरर का लंड 1 इंच मेरी गंद मे घुस्स चुक्का था. उसने फिर झटका मारा और उसका लंड 2 इंच मेरी गंद मे चला गया . दर्द के मारे मैं फिर तदपि. टिकेट चेकरर वसीम से बोला, साहिब इसकी गंद तो बोहत टाइट है. वसीम मुस्काराया और बोला, दोस्त टाइट चूत और टाइट गंद ही तो माज़ा देती है तुम लगे रहो और इसकी गंद फाड़ डालो. वसीम की बात सुनकर टिकेट चेकरर ने ऐक ज़ोरदार झटका और मारा. मुझे यू महसूस होरहा था के मेरी जान अब निकली के तब निकली. मेरी गंद का दर्द मेरी बर्दाश्त से बाहर होरहा था. मैं तड़पना चाहती थी मगर तड़प नही पा रही थी रोना चाह रही थी पर रो नही पा रही थी.[/size]
 
[size=large]ट्रेन के पूरे कॉमपार्टमेट मे मेरे मुँह से निकलने वाली ग्ग्गूऊऊओ गगगगगगगघूऊऊऊऊऊऊ की आवाज़े गूँज रही थी. टिकेट चेकरर का लंड 4 इंच तक मेरी गंद फाड़ चुक्का था. फिर टिकेट चेकरर ने अपने पूरे जिस्म की ताक़त लगा कर ऐक बोहत ही ज़ोरदार झटका मारा. अब उसका लंड मेरी गंद को बोहत बुरी तरहा से फाड़ता हुआ जड़ तक अंदर घुस्स गया . मुझे उसके टटटे अपने चूतरो पर टकराते हुए महसूस हुए. टिकेट चेकरर का ये झटका इतना ज़ोरदार था के मैं ये झटका बर्दाश्त नही कर पाई और दर्द के मारे बेहोश हो गई. मगर मेरी ये बेहोशी कुछ देर की थी क्यूँ के अगले ही लम्हे दर्द की ऐक और तेज़ लहर ने मुझे बोहोशि के दलदल से वापिस खींच लिया. ये टिकेट चेकरर का ऐक और शानदार झटका था जिस की वजा से मेरा जिस्म दर्द से बहाल होगया था. अब टिकेट चेकरर ने अपना पूरा वज़न मेरे उपर डाल दिया था और वो मेरी टाँगों को कस कर पकड़ा हुआ खूब ज़ोर ज़ोर से झटके मार रहा था. टिकेट चेकरर का लंड बुरी तरहा से मेरी गंद को छील रहा था. मैं ने अपनी ज़िंदगी मे कभी भी नही सोचा था के मुझे इतने बुरे दौर से गुज़रना पड़े गा. मैं दुवा माँग रही थी के काश मुझे मोत आ जाए और मुझे ये दर्द सहना ना पड़े मगर मुझे मोत नही आराही थी और मेरा दर्द बढ़ बढ़ कर मेरे पूरे जिस्म को तडपाए जा रहा था. टिकेट चेकरर ने पूरे 20 मिनिट तक मेरी बुरी तरहा से गंद मारी फिर वो मेरे उपर से उतर गया . मैं ने शूकर अदा किया के शायद उसे मुझ पर रहम आगेया है. वसीम कहने लगा, किया हुआ मेरे दोस्त तुम रुक क्यूँ गये क्या थक गये हो. टिकेट चेकरर मुस्कराता हुआ बोला, नही साहिब थका नही हूँ मुझे आप का ख़याल बार बार आरहा था के मैं आप का हक़ मार रहा हूँ और खुद माज़े कर रहा हूँ. टिकेट चेकरर की बात सुनकर मैं ने दिल ही दिल मे उसे गाली दी और बोली, भद्वे को वसीम के हक़ का ख़याल होरहा है पर मेरे दर्द का एहसास नही है. टिकेट चेकरर की बात सुनकर वसीम हंसा और बोला, अरे यार कोई बात नही मुझे तो देख कर भी बोहत माज़ा आरहा था. टिकेट चेकरर बोला, हा साहिब साली की गंद बड़ी टाइट है मा कसम इतनी टाइट गंद मुझे आज तक नही मिली. वसीम ज़ोर से हंसा और बोला, यार ये कुँवारी गंद है तुम ने अभी तक खोली होई गंद मारी होगी. वसीम की बात सुनकर टिकेट चेकरर भी हंसा और बोला, साहिब आप की बात सच है चले अब दोनो मिल कर इसे चोदते हैं. फिर वो दोनो मेरे पास आगाये. मैं दिल मे डरने लगी के अब मेरा पता नही किया हाल होने वाला है. वसीम ने मुझे उठा कर खड़ा कर दिया. मेरे पैरों मे बिल्कुल भी जान नही बची थी. मैं गिरने लगी तो टिकेट चेकरर ने मुझे थाम लिया. फिर वसीम ने मुझे घूमा कर उसने मुझे थोड़ा झुकाया और फिर उसने पीछे से अपना लंड मेरी गंद मे झटके से घुस्सा दिया. मैं झटके के ज़ोर से आगे गिरने लगी तो टिकेट चेकरर ने फिर मुझे थामा. फिर वसीम ने अपना लंड मेरी गंद मे डाले हो ही मुझे सीधा कर दिया. अब टिकेट चेकरर ने आगे से मेरी दोनो टाँगे उठाई तो वसीम ने कस कर मुझे कमर से पकड़ लिया. टिकेट चेकरर ने मेरी दोनो टाँगों को उठा कर अपना कंधो पर रख लिया. अब मैं वसीम और टिकेट चेकरर के सहारे हवा मे झूल रही थी. अब टिकेट चेकरर ने आगे से अपना लंड मेरी चूत मे ऐक झटके से डाल दिया. फिर दोनो ने मुझे कस कर पकड़ लिया और दोनो झटको पर झटके मार कर मुझे चोदने लगे. दोनो के ज़ोरदार झटको से मैं उन दोनो के बीच मे पीसी जा रही थी और मेरे दोनो सुराखों मे दर्द इतना था के जो मुझे से बर्दाश्त नही होरहा था. वो दोनो कुत्तों की तरहा बड़ी बेदर्दी से मुझे चोद रहे थे. चुदवा चुदवा कर मेरी चूत और गंद सूज गई थी और फोडे की तरहा दुख रही थी. 2 घंटे पूरे 2 घंटे तक वो दोनो ज़ालिम बने हुए मुझे कुत्तों की तरहा चोदते रहे. फिर जब वो दोनो फारिग हो तो टिकेट चेकरर ने तो अपने लंड की मॅनी मेरे बूब्स पर निकाल दी जब के वसीम ने मुझे लिटा कर मेरे मुँह मे फँसा हुआ मेरा ब्रेज़ियर मेरे मुँह से निकाला और अपना लंड जड़ तक मेरे मुँह मे घुस्सा दिया.[/size]
 
[size=large][size=large]मैं बुरी तरहा से तदपि मगर उसने कस कर मेरा सर पकड़ लिया. फिर वसीम ने अपने लंड की सारी मानी मेरे हलक़ मे निकाल दी. मुझे उबकाई तो बोहत आई मगर जब तक उसके लंड की सारी मनी मेरे पेट मे ना उतर गई उसने मुझे छोड़ा नही. जब वसीम मुझे छोड़ कर हटा तो मैं अपनी किस्मत पर रोने लगी. मुझे रोता देख कर वसीम हँसने लगा. 2 घंटे की चुदाई के बाद वो दोनो थक गये थे इसलिए वो दोनो बैठ गये. टिकेट चेकरर वसीम से कहने लगा, साहिब किसी को चोदने मे आज तक इतना माज़ा नही आया जितना आज आया है और ये सब आप की वजा से हुआ है. वसीम हंसा और बोला, ऊय यारा मैं ने किया किया है जितनी मेहनत तुम ने करी है उतनी मेहनत मैं ने भी करी है. टिकेट चेकरर बोला, साहिब ये सब आप की ही बदोलत हुआ है अगर आप मुझे समझते नही तो मैं इतना मज़ा केसे ले पाता. वसीम मुस्काराया और बोला, अरे इस मे मेरा कोई एहसान नही है मेरा काम था सही और ग़लत बताना अगर तुम ने मेरी बात को समझ लिया तो इस मैं मेरा क्या एहसान हुआ. टिकेट चेकरर बोला, जो कुछ भी है मगर मैं आप का बोहत शूकर गुज़ार हूँ के आप की वजा से मैं ने अपनी ज़िंदगी का सब से बड़ा माज़ा हासिल किया है. ये कह कर वो उठ कर खड़ा होगया और बोला, साहिब मुझे बोहत देर हो गई है मैं अब चलता हूँ. ये कह कर वो अपनी पॅंट पहनने लगा. वसीम बोला, यार तुम अभी से जा रहे हो अभी तो काफ़ी सफ़र बाकी है दोनो मिल कर रास्ते भर इसे मिल कर चोदेन्गे. 
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[size=large][size=large]टिकेट चेकरर मुस्काराया और बोला, नही साहिब मुझे अभी सब के टिकेट भी चेक करने हैं मैं 2 घंटो से गायब हूँ ऐसा ना हो मेरी ढूँढ पड़े इस लिए मैं चलता हूँ अब मैं इस कॉमपार्टमेंट मे किसी को नही आने दूँगा अब आप बेफिकर होकर माज़े करे. इतना कह कर टिकेट चेकरर चला गया . टिकेट चेकरर के चले जाने के बाद वसीम मुझे देख कर मुस्कराने लगा. मैं ने नफ़रत से अपना मुँह मोड़ लिया कुछ कहना उस से बेकार था इस लिए मैं चुप ही रही. मेरी चूत और गंद मे अभी तक दर्द होरहा था इस लिए मैं ने अपनी आँखे बंद करली. अभी मुझे सकून से लेते हो 20 मिनिट ही हो होंगे के ऐक दम से मेरे जिस्म पर बोझ आ गिरा. मैं ने घबरा कर आँखे खोल दी. मैं ने देखा के वसीम मेरे उपर लेटा हुआ है और वो मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. मैं रोते हो बोली, प्लीज़ अब तो मुझे माफ़ कर दो रहम करो मेरे उपर मैं ने तुम्हारा किया बिगाड़ा है तुम क्यूँ मुझ पर ये ज़ुलाम कर रहे हो. तुम ने 2 घंटे तक टिकेट चेकरर के साथ मिल कर मुझे कुत्तों की तरहा चोदा है किया अब भी तुम्हारा दिल नही भरा. मेरी बात सुनकर वसीम ने हस्ते हुए अपने होन्ट मेरे होंटो से मिला दिए. फिर वो मेरा ऐक तवील बोसा लेकर बोला, अभी कहा मेरी जान अभी मेरा दिल कहा भरा है तुमने तो पूरे रास्ते मुझ से चुदवाना है अभी से तुम क्यूँ रो रही हो अपनी किस्मत पर मातम इस सफ़र के बाद करना क्यूँ के जब तक मैं इस कॉमपार्टमेंट मे हूँ तुम्हे चोद्ता ही रहू गा. ये हसीन मोका मैं ज़ाया करना नही चाहता फिर ये मोका मुझे मिले ना मिले इस लिए मेरी जान-ए-मन पूरे रास्ते तुमने अपनी चूत और गंद मर्वानी है. मैं फिर उस से माफी तलफी करने लगी मगर उसने मेरी ऐक ना सुनी. उसका लंड अब तक अकड़ चुक्का था इस लिए उसने लेटे लेटे ही अपना लंड मेरी चूत मे घुस्सा दिया और खूब ज़ोर-ओ-शोर से झटके मारने लगा. मेरी सूजी हुई चूत फिर दर्द करने लगी और बुरी तरहा से चीखने लगी. वसीम ने मेरे चीखने की बिल्कुल भी परवाह नही करी. ऐक तो ये VईP कॉमपार्टमेंट था और बंद था मेरी चीखे बाहर जा भी रही होंगी तो ट्रेन के शोर मे दब रही होंगी. फिर वसीम पूरे रास्ते ज़ालिम बना हुआ कुत्तों की तरहा मुझे चोद्ता रहा. ये 12 घंटो का सफ़र मेरी ज़िंदगी का सब से भयानक सफ़र था.[/size][/size]
 
अब हयदेराबाद करीब आरहा था इसलिए वसीम ने मुझे छोड़ दिया और उसने नहा कर अपने कपड़े पहन लिए. मैं अभी तक नंगी बँधी हुई नीचे पड़ी होई थी. मैं रोते हो उस से बोली, प्लीज़ अब तो मेरे हाथ पावं खोल दो और प्लीज़ मेरा बेग मुझे वापिस करदो अभी मेरे जिस्म पर कपड़ों के नाम पर ऐक धज्जी भी नही है मैं घर किस तरहा जाउ गी. वसीम मेरी बात सुनकर हँसने लगा और बोला, वाह क्या अछा सीन होगा जब तुम नंगी ट्रेन से उतरॉगी. वो सीन तो देखने वाला होगा फिर देखना किस तरहा लोग तुम पर टूटते हैं मुझे तो अभी से ये सोच कर माज़ा आरहा है जब ऐक हजूम तुम्हे चोदने के लिए बेताब होरहा होगा. वसीम की बात सुनकर मैं बुरी तरहा से डर गई और उसकी मिन्नताईं करने लगी और गिड गिदाने लगी. मेरे रोने और गिड गिदाने पर वसीम हंसता हुआ कॉमपार्टमेंट से बाहर चला गया . मैं सोचने लगी के अगर वसीम वापिस नही आया तो मेरा क्या हाल करेंगे लोग. मुझे तो लेने के लिए अब्बू आएँगे मैं किस तरहा सामना करूँगी उनका इस हालत मे. मैं अभी इन्ही सोचो मे गुम थी के कॉमपार्टमेंट का दरवाज़ा खुला और वसीम मेरा बेग लिए अंदर दाखिल होवा. उसने मेरा बेग पता नही कहा जाकर रखा था मगर ये मेरे सोचने की बात नही थी मैं इस बात पर शूकर गुज़ार थी के मुझे अब पहनने के लिए कपड़े मिल जाएँगे. वसीम ने फिर मेरे हाथ पैर भी खोल दिए और बोला, पता नही क्यूँ मुझे तुम पर रहम आगया है. मैं चाहता तो ऐसे ही चला जाता और फिर तुम्हारा जो भी हाल होता उसके बारे मे तुम सोच भी नही सकती. मैं दिल का बुरा नही हूँ इसलिए तुम्हे खोल कर जा रहा हूँ मेरा ये एहसान है तुम्हारे उपर जो तुमने सारी ज़िंदगी याद रखना है. ये कह कर वसीम चला गया . वाकई ये वसीम का मुझ पर एहसान था के उसने मुझे मेरा बेग दे दिया अगर ना देता तो मैं उसका किया बिगाड़ लेती. नंगी हालत मे तो मैं अब्बू का सामना कभी भी नही कर पाती. अब ट्रेन आहिस्ता होनी शुरू हो गई थी यानी स्टेशन आगेया था. मैं उठी तो मुझे से खड़ा नही होया गया . मेरी टाँगों से जान निकली जा रही थी और मेरे जिस्म का जोड़ जोड़ दुख रहा था. मैं हिम्मत कर के खड़ी होगआई फिर जब मैं ने अपनी चूत को देखा तो मेरी आँखों मे आँसू आगाये. मेरी चूत सूज कर डबल रोटी की तरहा फूल गई थी मेरी चूत के सुराख के चारों तरफ ज़ख़्म भी होरहे थे काफ़ी जगहों से चूत कट चुक्की थी जिस से खून रस रहा था. मैं ने अपनी चूत पर हाथ रखा तो तकलीफ़ की वजा से मेरी सिसकारी निकल गई. मैं ने अपने बेग से कपड़े निकाले और्र बड़ी मुश्किल से चलते हुई वॉशरूम मे चली गई. मैं जेसे तेसे कर के नहाई और कपड़े पहन कर बाहर आगाई. मैं ने सोच लिया था के मैं अपने रेप के बारे मे किसी को नही बताउ गी क्यूँ के इस मैं मेरी ही बदनामी थी. मैं ट्रेन से उतर कर अब्बू को ढूँढने लगी, मेरी हालत बोहत बुरी थी पर मैं ने खुद पर कंट्रोल किया हुआ था, थोड़ी देर बाद अब्बू मुझे किसी से बाते करते हो नज़र आ गये. जिस आदमी से अब्बू बाते कर रहे थे उसकी मेरी तरफ पीठ थी. फिर जब अब्बू ने मुझे देख कर खुशी से पूछा "सोनिया बेटी केसी हो केसा रहा तुम्हारा सफ़र?" तो उस आदमी ने पलट कर मेरी तरफ देखा. फिर जो शकल मुझे नज़र आई मैं सदमे और हेरात से पागल होगई क्यूँ के वो शक्स कोई और नही वसीम था. अब्बू ने मेरी बिगड़ती हुई केफियत को नोट नही किया और वो मुझे बोले, अछा सोनिया इन से मिलो ये हैं मेरे बोहत अच्छे दोस्त वसीम, ये अपने किसी काम के सिलसिले मे हयदेराबाद आए हैं और जब तक ये यहा हैं हमारे घर ही ठहरेंगे 

क्रमशः................................. 
 
गतान्क से आगे..................

अब्बू की बात सुनकर मुझे अपने कानो पर यकीन ही नही हुआ. मैं अपनी किस्मत को कोसने लगी के जिस आदमी ने रास्ते भर मेरा रेप किया वो ही मेरे अब्बू का दोस्त निकला. अब्बू की बात सुनकर मैं घूम शुम होगई थी. यहा मेरी हालत खराब होरही थी उधर वसीम के चेहरे पर चमक आगाई थी और वो मुस्करता हुआ अब्बू से बोला, यार तुझे हमारा इंट्रोडक्षन करवाने की ज़रूरत नही है मैं तेरी बेटी को अछी तरहा जानता हूँ. वसीम की बात सुनकर मैं सन्नाटे मे आगाई के कही वो अब्बू को सब कुछ ना बता दे, मेरे पूरे जिस्म मे कपकपि शुरू हो चुक्की थी, ऐक तरफ मेरी हालत बिगड़ चुक्की थी दोसरि तरफ अब्बू खुशी और हेरात से बोले, अरे यार वो केसे? वसीम मुस्काराया और बोला, यार हम ने ऐक ही कॉमपार्टमेंट मे सफ़र किया है और तुम यकीन करो मेरा सफ़र बोहत अछा गुज़रा है तुम्हारी बेटी बोहत अछी कंपनी देती है और बोहत फार्मबरदार है. वसीम की बात सुनकर मैं सिर्फ़ उसे देख कर ही रह गई. जब के अब्बू वसीम से मेरी तारीफ सुनकर खुशी से बोले, अरे वाह ये तो और अछा होगया के तुम दोनो का पहले से ही इंट्रोडक्षन होगया है अब जान पहचान होगाई है तो घर मे भी तुम्हे बोरियत नही होगी सोनिया ट्रेन की तरहा तुम्हे घर मे भी कंपनी दे दिया करे गी. वसीम हस्ते हुए बोला, हा यार ज़रूर मुझे सोनिया की कंपनी मिले गी तो मेरा वक़्त भी अछा कट जाए गा. अब्बू मुझे देख कर बोले, सोनिया बेटी तुम इतनी खामोश क्यूँ हो किया तुम्हे खुशी नही होई, मुझे किया खुशी होनी थी अलबत्ता मुझे तो सदमा होगया था पर मैं ने अब्बू से सब कुछ छुपाना था इसी लिए मैं फीकी सी हँसी हँसी और बोली, नही अब्बू ऐसी तो कोई बात नही है बस ज़रा मेरी तबीयत ठीक नही है. मेरी बात सुनकर अब्बू हँसे और फखार से बोले, अरे बेटी तुम्हे रास्ते मे ही वसीम को बता देना था अपनी तबीयत के बारे मे मेरा दोस्त डॉक्टर है. अब्बू फिर वसीम से बोले, यार तो घर चल कर सोनिया का चेक-अप कर लेना. वसीम हंसा और बोला, हा हा यार ज़रूर क्यूँ नही अगर सोनिया ने रास्ते मे ही मुझे बताया होता तो मैं रास्ते मे ही इसका एलाज़ कर देता. मैं इन दोनो की बाते सुने जा रही थी और अपनी किस्मत को कोसे जा रही थी के नज़ाने अभी मेरे नसीब मे और किया लिखा था. मैं अब्बू को बता भी नही सकती थी के आप का दोस्त जिस पर आप को फखार है उसने रास्ते भर मेरे साथ किया सलूक़ किया है. वसीम मुस्करा मुस्करा कर मुझे देखे जा रहा था. मुझे उसकी नज़रे ज़हर लग रही थी और मैं सोच रही थी के मैं जल्दी से घर पहुचने तक मुझे इसकी मनहूस नज़रों से छुटकारा मिले, पर मैं जानती थी के मुझे घर मे भी ये शक्स सकून नही लेने देगा. फिर जब हमारा मुलाज़िम (शार्फ़ो बाबा) ने आकर अब्बू से कहा के साहिब गाड़ी मे समान रख दिया है तो अब्बू ने शार्फ़ो बाबा को मेरा समान भी पकड़ा दिया और उसके साथ साथ गाड़ी तक आगे. शार्फ़ो बाबा पहले शायद वसीम का समान रख कर आये थे. कार मे मैं अगली सीट पर बैठ गई ताकि वसीम की हरकतों से बच सकू. शार्फ़ो बाबा कार ड्राइव कर रहे थे. शार्फ़ो बाबा की उमर कोई 65 या 70 साल होगी. मैं ने जब से होश संभाला था शार्फ़ो बाबा को घर मे देखा था. मैं शार्फ़ो बाबा की बोहत लड़ली थी और बिटिया बिटिया कहते हुए शार्फ़ो बाबा की ज़बान नही थकती थी. घर पहुँचे तो अम्मी ने खुशी से मेरा इस्तक़्बाल किया. मैं अम्मी के सीने से लग गई मेरा बोहत रोने को दिल चाह रहा था मगर मैं रो नही सकती थी मैं ने खामोश रहना था ताकि मेरे मा बाप की इज़्ज़त मे कोई फ़र्क़ ना आए. अभी घर आए हुए कुछ देर भी नही गुज़री थी के मुझे ऐक और सदमा सहना पड़ा. जब मुझे ये पता चला के अब्बू ने वसीम के लिए मेरे कमरे के बराबर वाला कमरा सेट करवाया है तो मेरी आँखों मे आँसू आगाये. मैं ने जल्दी से अपने आप को संभाला. अब्बू ने मुझे से कहा, बेटी तुम अपने मेहमान को इनका कमरा दिखाओ ताकि ये आराम कर सकैं. अपना मेहमान का सुनकर मेरी जान जल कर रह गई. मैं ने खोखार नज़रों से वसीम को देखा तो वो मुझे देख कर हँसने लगा. मैं अम्मी और अब्बू के सामने अपनी केफियत को ज़ाहिर नही करना चाहती थी इसलिए मैं वसीम से बोली, आइए वसीम साहिब मैं आप को आप का कमरा दिखा दूं. मैं ने पलट कर सीढ़ियों की तरफ कदम बढ़ाए तो वसीम मेरे पीछे पीछे आने लगा. हमारा घर डबल स्टोरी था निचले हिस्से मे अम्मी और अब्बू का कमरा था जब के मेरा कमरा उपर के फ्लोर पर था. दोनो फ्लोर पर 5, 5 कमरे थे. शार्फ़ो बाबा भी निचले फ्लोर पर रहते थे. मेरे और वसीम के कमरे के बीच मे भी ऐक दरवाज़ा था जो दोनो कमरों को आपस मे मिलाता था. फिर जब मैं वसीम को लेकर उसके कमरे मे आई तो वसीम ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर के मुझे लिपटा लिया. मैं मचल कर बोली, छोड़ मुझे कमीने हरामी छोड़ मुझे, मैं बुरी तरहा से अपने हाथ पैर चलाने लगी. वसीम की गिरफ़्त काफ़ी मज़बूत थी इसलिए मैं खुद को छुड़ा नही पाई. वसीम हंस कर बोला, ऐसे केसे छोड़ दूँ मेरी जान अभी तो मैं ने तुम्हारा चेक-अप भी तो करना है. मैं मचलती हुई बोली, मुझे नही करवाना है चेक-अप छोड़ो मुझे वरना मैं शोर मचा दूँगी. वसीम हंसा और बोला, हा हा मचाओ शोर और बुलाओ अपने बाप को और अपने बाप को बताओ के मैं ने रास्ते भर तुम्हारे साथ किया किया है. फिर जब मैं ये बात ज़माने भर को बताउन्गा तो तुम्हारे बाप की बोहत इज़्ज़त हो जाय गी. वसीम की बात सुनकर मैं ठंडी पड़ गई और मैं ने अपनी जिदो जेहाद ख़तम करदी.
 
मेरी हालत पर वसीम हँसने लगा और बोला, तुम जितना मेरा साथ दोगि उतना ही तुम्हारे लिए अछा है और इस तरहा ये बात हम दोनो तक रहे गी और अगर तुमने शोर मचाया तो फिर मैं ये बात हर किसी को बता दूँगा. वसीम ने मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया फिर उनसे मेरी कमीज़ उठा कर मेरी शलवार का आज़ारबंद खोलना चाहा तो मैं ने उसका हाथ पकड़ लिया. वसीम मेरी तरफ देख कर बोला, तुम मेरा साथ दोगि या तुम अपने मा बाप की बदनामी चाहती हो. वसीम की बात सुनकर मैं ने उसका हाथ छोड़ दिया. वसीम ने मुस्करा कर मेरी शलवार का अज़रबंद खोल कर मेरी शलवार खींच कर उतार दी. नीचे मेरी अंडरवेर थी वसीम ने उसे भी खींच कर उतार दिया. फ्री वसीम ने मेरी चूत को सहला कर अपनी पैंट और अंडरवेर उतार दी. मैं ने देखा के उसका 9 इंच लंबा और 2 इंच लंबा लंड फुल आकड़ा हुआ था. मैं ने वसीम से मिन्नत करना चाही पर उसने मुझे बोलने का मोका ही नही दिया और अपना पूरा लंड ऐक ही झटके मे मेरी चूत मे डाल दिया. मेरे हलाक़ से ऐक हल्की से चीख निकल गई. मेरी चूत रास्ते भर की चुदाई से पहले ही सोजी होई थी और अब जो वसीम ने ऐक झटके से अपना लंड मेरी चूत मे डाला तो तकलीफ़ के मारे मेरी आँखों मे आँसू आ गये. वसीम तेज़ी के साथ झटके मार रहा था और मैं दर्द के मारे मरी जा रही थी. वसीम ने पूरे 30 मिनिट तक तेज़ी के साथ मेरी चुदाई करी. चोदने के बाद वो मुस्करा कर मुझ से कहने लगा, मेरी जान अभी मेरी प्यास नही भुजी है मगर फिर भी मैं तुम्हे छोड़ रहा हूँ मगर रात मे तुम्हारे मा बाप के सोने के बाद मैं तुम्हारे कमरे मे आओंगा तुम बीच का दरवाज़ा खोला रखना और याद रहे तुम ने मेरी हर बात पर अमल करना है वरना बाद के नतीजे की तुम खुद ज़िमेदार होगी. ये कह कर वो मुझ पर से उतार गया . मैं कुछ नही बोली और चुप चाप उठ गई. मेरी टाँगों से जान निकल रही थी इस लिए मैं लड़खड़ाती हुई अपने कमरे मे आगाई और बिस्तर पर गिर कर रोने लगी. मेरी हालत बोहत खराब होरही थी इस लिए मैं रात का खाना खाने के लिए भी नीचे नही गई. शार्फ़ो बाबा मुझे बुलाने भी आए मगर मैं ने उन्हे भी मना कर दिया. मैं ने सोच लिया था के रात मे वसीम को चोदने नही दूँगी इसलिए मैं ने बीच का दरवाज़ा अपनी तरफ से लॉक कर दिया. मैं ने सोच लिया था के मैं अब वसीम से नही चुदवाउंगी चाहे कुछ होजाय. मैं अपने कमरे मे लेटी रही और अपने और वसीम के बारे मे सोचती रही यहा तक के रात के 12 बज गये. थोड़ी देर बाद मुझे बीच के दरवाज़े का हॅंडल घूमता हुआ महसूस हुआ फिर हल्के से दरवाज़े पर दस्तक भी होई मगर मे लेटी रही. थोड़ी दायर तक दरवाज़े पर दस्तक होती रही फिर बंद हो गई. मैं ने थोड़ी देर इंतेज़ार किया मगर फिर दस्तक नही होई. मैं सोने की कोशिश कर रही थी मगर मुझे नींद नही आरहि थी अजीब से बेचेनी हो रही थी. मैं बिस्तर पर कर्वते बदल रही थी के घड़ी ने 1 बजने का एलान किया. मैं ने चोंक कर दरवाज़े की तरफ देखा और वसीम के बारे मे सोचने लगी के वो सो गया होगा या जाग कर मेरा इंतेज़ार कर रहा होगा. मैं काफ़ी देर से वसीम के बारे मे सोच रही थी और मुझे उसके बारे मे सोचना अछा लग रहा था. दिन भर तो मैं वसीम से नफ़रत करती रही मगर अब मुझे उस से नफ़रत महसूस नही होरही थी. मैं खुद हेरान थी के मुझे क्या होरहा है. मेरी निगाहों मे बार बार उसका लंबा मोटा लंड आरहा था और मुझे अपनी चूत मे अजीब से खुजली सी महसूस होरही थी. मुझे अपने जिस्म पर कपड़े बुरे लगने लगे थे इस लिए मैं ने उठ कर अपने तमाम कपड़े उतार कर फेंक दिए और पूरी नंगी होगई. मैं शीशे के सामने खड़े होकर अपने आप को देखने लगी. मेरा जिस्म बोहत खूबसूरत और सेक्सी है. मेरी 27 की कमर पर 36 के मम्मे अजीब बहार दिखा रहे थे. मैं ने सोचा मैं इतनी खूबसूरत और सेक्सी जिस्म की मालिक हूँ और अगर वसीम मुझे चोदने के लिए पागल होरहा है तो इस मे उसका कोई कसूर नही है, और अगर मैं किसी और को भी कही अकेले मिलू तो वो भी मुझे चोदने से गुरीज़ नही करे गा क्यूँ के मेरा जिस्म ही ऐसा है. मैं ने अपने दिल और दिमाग़ से लड़ते हुए जब अपनी सूजी हुई चूत पर हाथ फेरा तो मेरी ऐक सिसकारी निकल गई. मुझे अछा लगा तो मैं अपनी चूत को दबाने लगी. मेरी चूत मे दर्द था मगर इस दर्द मे ऐक अजीब सा नशा था. मैं ने गोर से अपनी चूत को देखा तो मुझे अपनी चूत अधूरी अधूरी सी और प्यासी सी लगी मेरी चूत वसीम के लंड को पुकार रही थी. मैं ने वसीम के लंड का ख़याल किया तो मैं बेकरार सी होगई और मैं उसके पास जाने के लिए तैयार होगई. ऐक दम से मेरे दिमाग़ ने मुझे झंझोड़ा और कहा के ये मैं क्या करने जा रही हूँ अभी थोड़ी देर पहले तक तो वसीम मेरी नज़रों मे दुनिया का सब से नीच और ज़लील इंसान था अब मैं उसके पास जाने के लिए ही बेकरार हो रही हूँ. मेरा दिल मुझ से बोला, छोड़ो सब पुरानी बाते ये सब बेकार की बाते है, देखो अपनी चूत की तरफ देखो किया ये वसीम के लंड के बगैर अधूरी नही है क्या तेरी चूत को वसीम के लंड की प्यास नही है? मैं ने अपनी चूत पर हाथ फेरा और वो मुझे वसीम का नाम लेती हुई महसूस हुई, अभी दिल और दिमाग़ की जंग जारी थी और फिर दिमाग़ हार गया और दिल जीत गया, मैं सब कुछ भुला कर ऐक दम से दरवाज़े की तरफ बढ़ी, ऐक बार फिर मेरे दिमाग़ ने मुझे समझाया पर जब मैं ने अपने दिल पर हाथ रखा तो वाहा से सिर्फ़ वसीम वसीम ही निकलता हुआ महसूस हुआ., अब मेरे दिल मे वसीम के लिए कोई नफ़रत नही थी बलके मेरे दिल मे उसके लिए प्यार आरहा था और मैं ने सोच लिया के जो कुछ भी वसीम ने मेरे साथ किया उस मे वसीम का कोई कसूर नही था.
 
मैं फ़ैसला कर चुक्की थी के अब मैं वसीम की सारी शिकायते ख़तम कर दूँगी. दरवाज़े के पास आकर मैं ने ऐक नज़र अपने नंगे जिस्म पर डाली और बीच का दरवाज़ा खोल कर वसीम के कमरे मे आगई. वसीम साहिब बेड पर लेटे हुए टीवी देख रहे थे. दरवाज़े की आवाज़ पर उन्हो ने दरवाज़े की तरफ देखा फिर मुझे नंगा खड़ा देख कर वो हेरान होगये और फिर मुस्कराने लगे. वो मुस्करा कर बोले, मुझे पता था सोनिया के तुम ज़रूर आओ गी. मैं चलती हुई उनके करीब आगई और बोली, हा वसीम साहिब मैं आगई हूँ अभी थोड़ी देर पहले तक मैं आप से नफ़रत करती थी मगर अब मैं आप से नफ़रत नही कर पा रही हूँ. ट्रेन मे आप ने जो कुछ भी मेरे साथ किया था मैं उसमे आप को कसूर वार नही मानती क्यूँ के मेरा जिस्म ही ऐसा है अगर आप की जगह वाहा और कोई होता तो वो भी मेरे साथ वो ही कुछ करता जो आप ने किया. वसीम साहिब मुस्करा कर बोले, ये अछी बात है सोनिया के तुम ने सच को समझा और मुझे माफ़ कर दिया. मैं बोली, मगर वसीम साहिब मैं आप से ऐक बात के लिए नाराज़ हूँ. मेरी बात सुनकर उन्हो ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने उपर लिटा लिया और मुस्करा कर बोले, अब क्या नाराज़गी ही मेरी जान को मुझ से. मैं लगावट से बोली, देखिए वसीम साहिब आप ने मेरी कुँवारी चूत का क्या हाल किया है देखिए ये कितनी सूज गई है और जगह जगह से कट भी गई है. वसीम साहिब ने मेरी बात सुनकर मेरी दोनो टाँगों को पहला दिया और मेरी चूत पर हाथ फेरते हो बोले, अरे हा सोनिया वाकई तुम्हारी चूत की तो काफ़ी बुरी हालत होगई है मुझे अपनी हरकत पर बोहत अफ़सोस है सोनिया मैं ने तुम्हारे साथ बोहत ग़लत किया है. मैं सिसकारी ले कर बोली, आआहह वसीम साहिब अगर आप ने ग़लत किया है तो सही भी आप ही कीजिए आप डॉक्टर हैं मेरी चूत का एलाज़ करे. मेरी बात सुनकर वसीम साहिब मुस्कराए और बोले, अगर ऐसी बात है तो मैं अभी इस पर दवा लगाता हूँ. वसीम साहिब ने उठ कर अपना बेग खोला और उसमे से ऐक स्प्रे और ऐक दवा की शीशी निकाल ली. फिर मेरे पास आकर उन्हो ने स्प्रे बॉटल से मेरी चूत पर स्प्रे किया. स्प्रे काफ़ी ठंडा था और उसकी ठंडक मेरी चूत के अंदर तक उतर गई. फिर उन्हो ने कॉटन पर दवाई निकाली और मेरी चूत की मालिश करने लगे. थोड़ी देर की मालिश से ही मेरी चूत का दर्द ख़तम होगया और उसकी सूजन भी काफ़ी हद तक कम होगई. वसीम साहिब मुस्करा कर बोले, लो मेरी जान अब तुम्हारी चूत ऐक दम फर्स्ट क्लास है और इस की सूजन भी सुबह तक बिल्कुल ठीक होजाय गी. उन्हो ने दवाई वापिस अपने बेग मे रख दी और बोले, अब तुम आराम करो सुबह तक तुम ऐक दम फ्रेश हो जाओ गी. मैं अभी तक लेटी हुई थी मैं ने लेटे लेटे ही उनका हाथ पकड़ लिया और बोली, वसीम साहिब क्या आप प्यासे ही रहे गे मुझे चोदे गे नही? वसीम साहिब मुस्कराए और बोले, नही मेरी जान अभी तुम्हारी चूत पूरी तरहा सही नही हुई है मैं ने अभी चोदा तो इसकी हालत और खराब होज़ायगी.

क्रमशः........................
 
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