कपूर तो पहले से ही सुमन की गांड पर थपकीयाँ मारकर उसे चुदाई के लिए तैयार कर चुका था....
राहुल भी नीरू को चूमते-2 दूसरी तरफ ले गया और कोने में पड़े एक सोफे पर बैठकर दोनो एक दूसरे को बुरी तरह से नोचने खसोटने लगे...
सरदारजी ने एक बार फिर से काजल को अपनी गिरफ़्त में लिया और उसे नीचे बिठा कर अपना मोटा लंड उसके मुँह में उतार दिया...
गुप्ता जी के काले लंड पर काफ़ी देर से डिंपल सरदारनी की नज़र थी, वो धीरे-2 चलती हुई उनके करीब आई और उन्हे बिस्तर पर लिटाकर उनकी टाँगो के बीच खड़े उनके घीस जैसे लंड पर टूट पड़ी...
और बाकी बचा शशांक.... जिसने ये सारी महा गाथा लिखी थी... और जिसे दिमाग़ में रखकर लिखी थी, वो उसके सामने नंगी पड़ी थी...
यानी सबा...
जो अपनी चूत सुमन से चुसवाने के बाद गहरी साँसे लेकर आस पास हो रही हलचल पर नज़र रख रही थी...और अचानक वो उछल सी पड़ी...शशांक ने उसकी चूत पर हमला बोल दिया था.... जिस चूत को उसकी बीबी सुमन कुछ देर पहले तक चूस रही थी, उसे अब उसका पति शशांक चूस रहा था...
ऐसा एहसास मिलते ही सबा ने एक बार फिर से आनद से भरी सिसकारी मारकर अपनी आँखे बंद कर ली...
कुछ देर तक उसकी चूत चूसने के बाद शशांक उठ खड़ा हुआ और अपने लंड पर थूक मलकर उसने उसे हमले के लिए तैयार कर लिया...
शशांक तो शुरू से ही उसकी गांड का दीवाना था....
उसने अपना लंड सीधा उसकी गांड के छेद पर टीकाया और धीरे-2 करके उसे अंदर खिसका दिया...
सबा बेचारी ने 2 दिन पहले ही गांड मरवा कर अपना छेद खुलवाया था, शशांक के मोटे लंड के लिए वो बिल्कुल भी तैयार नही थी....
''आआआआआआआआहह ..... मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईई......... ''
पर कुछ देर तक अपना लंड उसकी गांड में हिलाने के बाद उसे थोड़ा आराम मिला.....और फिर धीरे-2 मज़ा भी मिलने लगा....जो दर्द से भरी सिसकारी थी वो कब मज़े में बदल गयी, उसे भी पता नही चला...
और ऐसी सिसकारियाँ और हू हा की आवाज़ें कुछ ही देर पूरे कमरे से आने लगी...
कपूर साहब ने अपना लंड सुमन की चूत में डाल कर उसे पेलना शुरू कर दिया था.... और ज़ोर से से उसकी चूत मारते हुए, उसके हिलते हुए मुममे देखकते हुए, वो अपने ऑर्गॅज़म के करीब पहुँचने लगे...
सरदारजी ने भी अपना लंड चुसवाने के बाद काजल को पटक कर बेड पर उल्टा कर दिया, और उसे घोड़ी बना कर अपना हाथी जैसा लंड उसकी चूत में डाल दिया...
और वो सच में किसी घोड़ी की तरह ही हिनहीना उठी, और अपने आगे वाले दोनो हाथों को उपर करके उसने सरदारजी की गर्दन पकड़ ली....
''उम्म्म्मममममममममममम...... ओह सरदारजी ....... आपके लंड में तो सच में बहुत ताक़त है..... ''
ये बात उसके पति गुप्ता जी ने भी सुनी.... पर उन्हे इस बात पर गुस्सा नही आया की उनकी पत्नी उनके सामने किसी और से चुदाई करवाते हुए इस तरह की बाते कर रही है... बल्कि खुशी हुई की वो अपनी अंधेरे वाली लाइफ से बाहर निकल आई है.... अब वो खुद भी मज़े लेंगे और वो भी मज़े लेगी जैसा वो इस वक़्त ले रही थी...
मज़े की बात ये थी की गुप्ता जी की बीबी को इस वक़्त सरदारजी चोद रहे थे और सरदारजी की बीबी डिंपल इस वक़्त उनके लंड को चूस कर चुदाई के लिए तैयार कर रही थी...गुप्ता जी का काला लंड भी इस वक़्त चुदाई के लिए बिल्कुल तैयार था....
वो बेड पर लेट गये और उन्होने इशारा करके डिंपल को उपर आने को कहा..... वो मटकती हुई सी बेड पर चढ़ गयी और ठीक गुप्ता जी के लंड के उपर अपनी चूत लगाकर नीचे बैठती चली गयी...
''उम्म्म्मममममममममममममममममममम ....... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... आपके इसी लंड को लेने के लिए ना जाने कब से तड़प रही थी.....''
गुप्ता जी भी उसकी बात नही समझ पाए..... ऐसा पहला मौका था जब कोई रसीली औरत उनके लंड को लेने की तड़प बयान कर रही थी.... इस बात को सुनकर उनका जोश दुगना हो गया और उन्होने सरदारनी की पतली कमर को पकड़ कर नीचे से अपना रॉकेट उसकी चूत में ज़ोर-2 से घुसाने लगे....
झटके इतने तेज थे की डिंपल के मुम्मे उछल कर उसके ही चेहरे से टकरा रहे थे... गुप्ता जी ने उसके मांसल कुल्हों को पकड़ कर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया...डिंपल थोड़ा आगे झुकी तो उसके निप्पल्स को मुँह में लेकर उसका दूध भी पीना शुरू कर दिया.... अपनी चूत और छातियों पर दोहरा हमला वो बर्दाश्त ना कर सकी और उनके मोटे और काले लंड के उपर अपना रज न्योछावर करके भरभराकर झड़ने लगी...
''आआआआआआआआआहह उईईईईईईईईईईईईईई माआआआआआआ मैं तो गयी ........ अहह.....''
पर गुप्ता जी मे अभी बहुत जान बची थी..... उन्होने उसे बेड पर चित लिटा दिया और उसकी टांगे मोड़ कर उसकी चूत में अपना लंड एक बार फिर से पेल दिया.... अपना चेहरा उन्होने उसकी गर्दन में घुसा दिया और दे दना दन झटके मारकर पूरे पलंग को हिलाने लगे...... और तब तक हिलाते रहे जब तक उनके लंड ने हिलना बंद नही किया....
वो भी अंत में आकर जब झडे तो उन्होने पूरा घर सिर पर उठा लिया...
''आआआआआआआआआआआआहह मेरी ज़ाआाआआआअन्न ....... साआआाआली रंडी ....... ये ले मेरा माआआाालल्ल्ल ..... अपनी चूत में साआआआाआली .... तेरी माँ को चोदूँ .... भेंन की लौड़ी ...... अहह ..... ये ले ...... ''
और उसे और उसके पूरे खानदान की माँ बहन एक करने के बाद वो एक तरफ लुडक कर गहरी साँसे लेने लगे...
सरदारजी ने भी काजल की चूत का बाजा अच्छी तरह से बजाया..... उसे बेड पर लिटा कर लंड भी पेला और अपने बड़े-2 हाथों से उसकी छातियां भी बुरी तरह से दबाई....
और अंत में जब दोनो एक साथ झड़ने लगे तो उन्होने अपनी उंगली उसकी गांड के छेद में डालकर उसके ऑर्गॅज़म को एक नयी उँचाई पर पहुँचा दिया.... और दोनो पहली बार चुदाई कर रहे प्रेमियों की तरह एक दूसरे के शरीर को रगड़ते हुए झड़ने लगे....
''आआआआआआआआआहह ओह गुरपाााआाअल्ल्ल ...... मैं तो गयी ......''
सरदरजी ने भी काजल को घुमा कर अपनी तरफ कर लिया और उसके फूल की पंखुड़ी जैसे होंठों को चबाता हुआ बोला : " आआआआआआआआअहह मेरी ज़ाआाआआनन्न .... मज़ा आ गया....... आज तो तेरी गांड भी मारूँगा...... तू देखती जा बस....''
और सरदारजी का लण्ड काजल की चूत से बाहर निकल आया, और साथ ही निकला ढेर सारा माल भी
अपन गांड मरवाने के ख़याल से ही वो एक बार फिर से सिहर उठी......... और दोनो एक दूसरे को गहरी स्मूचें करते हुए एक दूसरे से लिपट कर लेटे रहे...
राहुल के लंड को अंदर लेने के बाद नीरू तो जैसे पागल कुतिया जैसी हो चुकी थी..... वो राहुल को नोच रही थी.... उसे काट रही थी..... अपनी छातियों पर उसके चेहरे पर जोरों से दबा रही थी.... और हर तरह से उसे खुश करने का प्रयत्न कर रही थी..... आज जैसी गर्मी उसे बहुत सालों के बाद चढ़ी थी.... और उसका वो जी भरकर मज़ा लेना चाहती थी.... उसे अब समझ आ रहा था की इस तरहा से खुल कर सैक्स करने में कितना मज़ा है..
राहुल से भी उसकी चूत की गर्मी ज़्यादा देर तक बर्दाश्त नही हुई और वो जल्द ही झड़ने के करीब पहुँच गया...काजल ने नीरू के बूब्स को चूसकर उसे ओर्गास्म के और करीब पहुंचा दिया, चूत में अगर लंड हो और मुम्मे पर किसी के होंठ तो ओर्गास्म आने में जरा भी वक़्त नहीं लगता
नीरू तो पिछले आधे घंटे में ना जाने कितनी बार झड़ चुकी थी.... राहुल के साथ एक बार और झड़ते हुए वो उसे पागलों की तरह चूमने लगी.....और चिल्लाते हुए अपनी चूत का रस उसने राहुल के लंड से निकले वीर्य में मिला दिया..
''आआआआआआआआआआहह ओह माय गॉड ........ कितना मज़ा है ये सब करने में ....... अहह ...... मजाअ आ गया ...................... उम्म्म्मममममममम....''
उसने थेंक्स कहते हुए शशांक की तरफ देखा, जिसके कारण उसे ये मज़ा मिला था.... शशांक तो मस्ती में डूबकर सबा की गांड मारने में लगा हुआ था.... अपने मोटे लंड को उसने किसी कुत्ते की तरह उस कुतिया बनी सबा की गांड के छेद में फँसा रखा था और एक ही साँस में करीब 4-5 झटके मारकर उसकी हालत खराब करने में लगा हुआ था....
और सबा भी अपनी गांड मरवाई के पूरे मज़े ले रही थी ...
''उम्म्म्म्म्म आआआआआआहह ओह शशांक ...... सर. ...... उम्म्म्मममममम ...यसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... अहह .... दर्द भी है ...... अहह और ...... अहह मजा भी ....... ओह ....यूउूउ आअर द बेस्ट ....... ईसस्सस्स...... फककक माय एसस्स्स ......... मारो मेरी गांड ...... और ज़ोर से .....
अंत में शशांक को ही हार माननी पड़ी,
उसकी गांड के छेद का छल्ला था ही इतना टाइट की उसने शशांक के खड़े लंड को आख़िरकार ढेर कर ही दिया..... और उसके लंड का सारा पानी एक मिनट के अंदर ही सबा की गांड के अंदर ट्रान्स्फर हो गया.....
उसके बाद वो भी एक दूसरे से लिपट कर कूची पूची करने लगे....
पूरे कमरे में चूत और लंड से निकले पानी की महक थी..... सभी खुश थे......
और ये सिलसिला उसके बाद भी चलता रहा.... कभी राहुल के घर तो कभी सरदारजी के घर.... कभी कपूर साहब के तो कभी गुप्ता जी के...... और कभी -२ तो वो सब मिलकर किसी रिसोर्ट में भी जाते, और हर बार वो अपना पार्ट्नर बदलना नही भूलते थे....
दीवाली के जुए से शुरू हुए इस सिलसिले ने सभी की जिंदगी बदल दी थी. अब उनकी जिंदगी को एक नया रंग मिल चुका था.... जिन लोगों को अपनी पत्नी बोर लगती थी, अब उसी की वजह से वो दूसरी औरतों की चूत और गांड मार पा रहे थे.... और ये बदलाव सभी को पसंद आ रहा था..
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समाप्त
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दोस्तों ये कहानी यहीं समाप्त ....आशा करती हूँ की आपको ये पसंद आई होगी...