desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
रेहान कल वाली बात कर रहा था. उसे विशवास ही नहीं हो रहा था की कल मैंने और ऋतू ने सोनी और मोनी के मोम डैड के साथ चुदाई करी, कल की चुदाई देखकर वो हमसे आज खुल कर लंड-चूत की बातें कर रहा था.
रेहान : "अरे ऋतू, कल तो मजा आ गया, मुझे लगता तो था की तुम लंड चूसने में माहिर हो पर कल देख भी लिया, तुम्हारी ब्रेस्ट बड़ी सुन्दर हैं और पीछे की गोलाइयाँ तो ग़जब की हैं, मैं तो कल से बैचैन हूं तुम्हे नंगा देखकर! "
ऋतू अपनी तारीफ़ सुनकर मुस्कुरा दी, उसके दिल में भी अब थोड़ी बहुत हलचल होने लगी थी.
नेहा जो पिछले दो दिनों से रेहान को देखकर मचल उठती थी वो बीच में बोल पड़ी "अरे तुमने अभी देखा ही क्या है, आगे -२ देखो हम क्या-२ करते हैं"
रेहान, नेहा की तरफ़ा देखते हुए : "अच्छा तो आप भी इस खेल में शामिल है, हमें भी तो बताओ की आप और क्या-२ कर सकती हैं"
"तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेकर सुबह से शाम तक तुमसे मरवा सकती हूँ" नेहा ने उसकी आँखों में देखते हुए मादक स्वर में कहा.
रेहान का मुंह खुला का खुला रह गया. ऋतू और नेहा जोर-२ से हंसने लगी.
"क्यों क्या हुआ, अब कहाँ गयी तुम्हारी बेचैनी" ऋतू ने उससे पुछा, अब वो भी नेहा के साथ-२ मजे ले रही थी.
"हंस लो, हंस लो..जब सही में मेरा लंड लोगी तो पता चलेगा की क्या मुसीबत मोल ले ली तुमने..." और रेहान भी हंसने लगा.
मुझे उनकी बातों से बड़ी जलन सी हो रही थी, मुझे वो शुरू से ही पसंद नहीं था और आज वो साला मेरे सामने बैठा मेरी बहनों से चुदाई की बातें कर रहा था.
मैंने ऋतू के कान में कहा "ऋतू, इस मादरचोद को ज्यादा भाव न दो, तुम दोनों इससे दूर ही रहो.."
ऋतू भी मेरे कान में बोली "भाई...तुम क्यों जल रहे हो..मैं तो बस मजे ले रही हूँ, तुम्हे क्या मैंने कभी रोका है किसी और से मजे लेने के लिए.." उसके लहजे में थोडा गुस्सा भी था.
मैं समझ गया की उनको समझाना बेकार है, नेहा तो पहले से ही रेहान पर लट्टू थी.
मैंने जल्दी से नाश्ता किया और वहां से उठ खड़ा हुआ, मैंने नेहा से कहा "तो ठीक है तुम मजे लो, मैं तो चला"
मैं उठ कर वहां से आगे चल दिया, थोड़ी दूर चलने पर मैंने देखा की एक पेड़ के नीचे एक लड़की बैठी हुई एक किताब पड़ रही थी, मैंने सोचा चलो इसपर ट्राई मारते हैं.
मैं उसके सामने पहुंचा तो उसकी खूबसूरती को देखकर मैं दंग रह गया, बला की खुबसूरत थी वो लड़की, लम्बी, गोरी, पतली कमर, छोटे-२ टेनिस बोल जितने चुचे, लम्बे बाल, काले सलवार सूट में उसका हुस्न कहर ढा रहा था.
"हाय ...मेरा नाम अशोक है..क्या मैं यहाँ थोड़ी देर बैठ सकता हूँ" मैंने उसके पास पहुंचकर कहा
उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और मुस्कुरा कर बोली "हाँ हाँ क्यों नहीं, आईये.."
मैं वहीँ जमीन पर उसके पास बैठ गया और बोला "आप यहाँ अकेली बैठी है...कोई साथ नहीं है आपके"
"दरअसल मैं यहाँ किसी को भी नहीं जानती, मैं अपनी फॅमिली के साथ यहाँ आई हूँ, मेरा नाम हिना है" उसने कहा.
"तो क्या हुआ हिना, हमें भी यहाँ कोई नहीं जानता, पर हमने भी यहाँ कई दोस्त बनाये है, जब तक तुम ऐसे कोने में बैठी रहोगी तो दोस्त कैसे मिलेंगे.." मैंने उसे समझाया.
"हाँ वो तो है...पर ..मेरा सवभाव ऐसा ही है..मुझे इन सबमे बड़ी शर्म आती है..u know .." कहते -२ वो रुक गयी.
"चलो कोई बात नहीं, अब मैं यहाँ आ गया हूँ, तो क्या तुम मेरी दोस्त बनना पसंद करोगी" मैंने उसकी नशीली आँखों में देखते हुए अपना हाथ उसकी तरफ बड़ा दिया.
वो मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी और मेरे हाथ को थाम लिया, उसके नाजुक हाथों के ठन्डे स्पर्श से मेरा पप्पू अपनी औकात पर उतर आया. बड़ी मुश्किल से मैंने बैठे -२ उसका एंगल सही किया.
"और कोन-२ है तुम्हारी फॅमिली में..." मैंने उससे पुछा .
"मेरे मोम डैड और मेरा बड़ा भाई..रेहान" उसने कहा
रेहान का नाम सुनकर मैं चोंक गया..अच्छा तो ये उस रेहान की बहन है, अब मजा आएगा. वो साला मेरी बहनों को चोदने की सोच रहा है, अब तो मैं भी उसकी बहन की चूत मार कर ही रहूँगा..वैसे ये हिना उसकी बहन ना भी होती तो भी मैं इसे छोड़ता नहीं..इतनी खुबसूरत थी वो.
मैंने वापिस घूम कर दूसरी तरफ देखा तो दूर टेबल पर बैठे ऋतू, नेहा और रेहान उठ कर ऊपर पहाड़ी की तरफ जा रहे थे, मैं समझ गया की नेहा और ऋतू अब रेहान से चुदे बिना नहीं मानेगी, और वो उसे उसी पहाड़ी वाली चट्टान पर ले जा रहे थे..चुदने के लिए.
मैंने अपने मन में उसकी चुदाई की योजना बनानी शुरू कर दी.
"चलो हिना मैं तुम्हे यहाँ पर एक खुबसूरत जगह दिखाकर लाता हूं"
"कौन सी जगह ?" उसने पुछा.
"इस पहाड़ी इलाके की सुन्दरता वाली जगह...तुम चलो तो सही, बड़ा मजा आएगा..." मैंने उसके हाथों को पकड़ा और उसे खड़ा कर दिया.
वो मेरे साथ चल पड़ी.
मैं उससे बातें करते हुए उसी पहाड़ी की तरफ चल पड़ा.
धीरे -२ चलते हुए मैंने उन लोगो से काफी फासला बना कर रखा हुआ था, थोड़ी ही देर में मैं उस जगह पर पहुँच गया, मैं उसे चट्टान वाली जगह के बिलकुल पीछे ले गया जहाँ से दूसरी तरफ का नजारा दिखाई दे रहा था, उस जगह पर पहुँच कर वो सही में काफी खुश हो गयी थी, वहां की ऊँचाई से पूरी घाटी नजर आ रही थी, इस नज़ारे को देखकर उसने मेरा हाथ जोर से पकड़ लिया और मुझसे बोली "अरे वाह..क्या नजारा है, ऐसा लगता है अल्लाह ने खूबसूरती की पूरी कायनात यहाँ पर सजा कर रख दी है..." उसका शरीर मुझसे रगड़ खा रहा था और मेरा बुरा हाल हो रहा था.
तभी दूसरी तरफ से एक सिसकारी की आवाज आई....आआआआआआआआआह्ह्ह
वो रेहान की आवाज थी. हिना का ध्यान भी उस तरफ चला गया..मैंने उससे धीरे से कहा "लगता है वहां कोई है..चलो देखते है..." मैंने उसे चुप करने का इशारा किया और उसे अपने साथ चिपका कर उसी चट्टान की तरफ चल पड़ा.
वहां एक कोने में पेड़ के पीछे छिपकर हम दोनों खड़े हो गए, घनी झाड़ियों और पेड़ की आड़ में वो लोग हमें नहीं देख सकते थे.
वहां का नजारा देखकर हिना का मुंह खुला का खुला रह गया. रेहान वहां ऋतू और नेहा के बीच अपनी जींस उतार कर खड़ा हुआ था और उसका मोटा और लम्बा लंड वो दोनों नीचे बैठी हुई बारी-२ से चूस रही थी. मैंने इतना मोटा लंड आज तक नहीं देखा था, मेरा लंड जो की सात इंच का था पापा और चाचू का भी लगभग बराबर ही था, पर इस साले रेहान का लगभग साड़े आठ इंच का तो होगा ही और मोटाई भी उसी के अनुसार थी, काफी मोटा था, ऋतू की आँखों की चमक बता रही थी की उसे लोडा पसंद आया था, इसलिए वो कुतिया उसे बड़े मजे से अपने मुंह में ले-लेकर चूस रही थी.
"अरे ये तो मेरा भाई रेहान है...या अल्लाह ये क्या कर रहा है यहाँ पर, और ये लड़कियां कौन है.....तौबा-२ ..मुझे ये सब नहीं देखना चाहिए.." ये कहकर वो पीछे मूढ़ कर जाने लगी.
"अरे हिना रुको तो सही....ये तुम्हारा भाई है तो क्या हुआ...वो जिन लड़कियों से ये सब कर रहा है वो दोनों मेरी बहने हैं..." मैंने उसे शांत लहजे में कहा.
वो मेरी बात सुनकर हक्की-बक्की रह गयी.
मैंने आगे कहा "देखो..हर लड़का और लड़की सेक्स करता है...हम सभी के आस पास वाले यानि हमारे मम्मी पापा, भाई बहन , दोस्त और सभी रिश्तेदार भी...लेकिन उनको सेक्स करते हुए देखने का अवसर तुम्हे कभी नहीं मिलता..कई बार हमारे मन में अपने ही रिश्तेदारों के लिए कई बुरे विचार आते हैं..पर उन्हें हम साकार नहीं कर सकते, क्योंकि ये सब समाज में बुरी नजर से देखा जाता है..और आज हमें जब मौका मिला है की हम अपने भाई बहन को सेक्स करते हुए देखे तो इसे तुम मत गवाओं..देखो और मजे लो" मेरे मुंह में जो निकला मैं बोलता चला गया उसका कोई मतलब निकला के नहीं, मुझे नहीं मालुम, पर मेरी बात सुनकर वो वहीँ खड़ी हो गयी, और उधर उसके भाई का लंड मेरी बहनों के चूसने से खड़ा हो गया.
"पर तुम ये बात किसी से न कहना...की मैंने ये सब देखा.." उसने सकुचाते हुए मुझसे कहा.
"ठीक है.." मैंने उससे कहा और उसकी पतली कमर पर हाथ रखकर उसे अपने से चिपका लिया..
रेहान ने खड़े-२ अपनी टी शर्ट भी उतार दी.थोडा थुलथुला शरीर था उसका..
रेहान का लंड खड़ा होकर उसकी नाभि को टच कर रहा था...इतना लम्बा था उसका. नेहा और ऋतू ने भी बैठे हुए अपनी टी शर्ट उतर दी , अब वो दोनों सिर्फ ब्रा और जींस में बैठी उस मुसल्ले का लंड चूस रहीं थी.
नेहा ने काले रंग की ब्रा और ऋतू ने जामनी रंग की ब्रा पहनी हुई थी. बड़ी सेक्सी लग रही थी दोनों उस ड्रेस में. रेहान ने अपने हाथ उन दोनों के पीछे रखे और अपनी कुशलता दिखाते हुए अपनी उँगलियों से एक ही झटके से दोनों की ब्रा खोल दी..उन दोनों की ब्रा उछल कर उनकी छातियों से अलग हो कर छिटक कर नीचे गिर गयी.
नेहा अपनी लम्बी जीभ का इस्तेमाल करके रेहान के लंड को नीचे से ऊपर तक ऐसे चाट रही थी जैसे कोई आइसक्रीम हो...बीच-२ में ऋतू और नेहा एक दुसरे को फ्रेंच किस भी कर रही थी.
हिना की साँसे उस नज़ारे को देखकर तेज होने लगी, वो खड़ी हुई अपनी टांगो को एक दुसरे से रगड़ रही थी, मैं समझ गया की लौंडिया गर्म हो रही है.
मैंने उसे अपने आगे खड़ा कर लिया और इस तरह उसके गुदाज चुतड मेरे खड़े हुए लंड को ठोकर मार रहे थे.
मैं उसके साथ चिपक कर खड़ा हो गया, उसने इस बात का कोई विरोध नहीं किया. मैंने अपना लंड सीधा किया और उसके मोटे-२ चूतडो से चिपक कर खड़ा हो गया. रेहान का लंड कभी ऋतू और कभी नेहा अपने मुंह में भरकर चूस रही थी, उसकी हुंकार से पता चल रहा था की उस कमीने को कितना मजा आ रहा था.
नेहा खड़ी हो गयी और उसने झट से अपनी जींस नीचे उतारी और अपनी पेंटी को भी उतार कर मादर्जात नंगी हो गयी और उसने रेहान के होंठो पर अपने होंठ टिका दिए..
रेहान : "अरे ऋतू, कल तो मजा आ गया, मुझे लगता तो था की तुम लंड चूसने में माहिर हो पर कल देख भी लिया, तुम्हारी ब्रेस्ट बड़ी सुन्दर हैं और पीछे की गोलाइयाँ तो ग़जब की हैं, मैं तो कल से बैचैन हूं तुम्हे नंगा देखकर! "
ऋतू अपनी तारीफ़ सुनकर मुस्कुरा दी, उसके दिल में भी अब थोड़ी बहुत हलचल होने लगी थी.
नेहा जो पिछले दो दिनों से रेहान को देखकर मचल उठती थी वो बीच में बोल पड़ी "अरे तुमने अभी देखा ही क्या है, आगे -२ देखो हम क्या-२ करते हैं"
रेहान, नेहा की तरफ़ा देखते हुए : "अच्छा तो आप भी इस खेल में शामिल है, हमें भी तो बताओ की आप और क्या-२ कर सकती हैं"
"तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेकर सुबह से शाम तक तुमसे मरवा सकती हूँ" नेहा ने उसकी आँखों में देखते हुए मादक स्वर में कहा.
रेहान का मुंह खुला का खुला रह गया. ऋतू और नेहा जोर-२ से हंसने लगी.
"क्यों क्या हुआ, अब कहाँ गयी तुम्हारी बेचैनी" ऋतू ने उससे पुछा, अब वो भी नेहा के साथ-२ मजे ले रही थी.
"हंस लो, हंस लो..जब सही में मेरा लंड लोगी तो पता चलेगा की क्या मुसीबत मोल ले ली तुमने..." और रेहान भी हंसने लगा.
मुझे उनकी बातों से बड़ी जलन सी हो रही थी, मुझे वो शुरू से ही पसंद नहीं था और आज वो साला मेरे सामने बैठा मेरी बहनों से चुदाई की बातें कर रहा था.
मैंने ऋतू के कान में कहा "ऋतू, इस मादरचोद को ज्यादा भाव न दो, तुम दोनों इससे दूर ही रहो.."
ऋतू भी मेरे कान में बोली "भाई...तुम क्यों जल रहे हो..मैं तो बस मजे ले रही हूँ, तुम्हे क्या मैंने कभी रोका है किसी और से मजे लेने के लिए.." उसके लहजे में थोडा गुस्सा भी था.
मैं समझ गया की उनको समझाना बेकार है, नेहा तो पहले से ही रेहान पर लट्टू थी.
मैंने जल्दी से नाश्ता किया और वहां से उठ खड़ा हुआ, मैंने नेहा से कहा "तो ठीक है तुम मजे लो, मैं तो चला"
मैं उठ कर वहां से आगे चल दिया, थोड़ी दूर चलने पर मैंने देखा की एक पेड़ के नीचे एक लड़की बैठी हुई एक किताब पड़ रही थी, मैंने सोचा चलो इसपर ट्राई मारते हैं.
मैं उसके सामने पहुंचा तो उसकी खूबसूरती को देखकर मैं दंग रह गया, बला की खुबसूरत थी वो लड़की, लम्बी, गोरी, पतली कमर, छोटे-२ टेनिस बोल जितने चुचे, लम्बे बाल, काले सलवार सूट में उसका हुस्न कहर ढा रहा था.
"हाय ...मेरा नाम अशोक है..क्या मैं यहाँ थोड़ी देर बैठ सकता हूँ" मैंने उसके पास पहुंचकर कहा
उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और मुस्कुरा कर बोली "हाँ हाँ क्यों नहीं, आईये.."
मैं वहीँ जमीन पर उसके पास बैठ गया और बोला "आप यहाँ अकेली बैठी है...कोई साथ नहीं है आपके"
"दरअसल मैं यहाँ किसी को भी नहीं जानती, मैं अपनी फॅमिली के साथ यहाँ आई हूँ, मेरा नाम हिना है" उसने कहा.
"तो क्या हुआ हिना, हमें भी यहाँ कोई नहीं जानता, पर हमने भी यहाँ कई दोस्त बनाये है, जब तक तुम ऐसे कोने में बैठी रहोगी तो दोस्त कैसे मिलेंगे.." मैंने उसे समझाया.
"हाँ वो तो है...पर ..मेरा सवभाव ऐसा ही है..मुझे इन सबमे बड़ी शर्म आती है..u know .." कहते -२ वो रुक गयी.
"चलो कोई बात नहीं, अब मैं यहाँ आ गया हूँ, तो क्या तुम मेरी दोस्त बनना पसंद करोगी" मैंने उसकी नशीली आँखों में देखते हुए अपना हाथ उसकी तरफ बड़ा दिया.
वो मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी और मेरे हाथ को थाम लिया, उसके नाजुक हाथों के ठन्डे स्पर्श से मेरा पप्पू अपनी औकात पर उतर आया. बड़ी मुश्किल से मैंने बैठे -२ उसका एंगल सही किया.
"और कोन-२ है तुम्हारी फॅमिली में..." मैंने उससे पुछा .
"मेरे मोम डैड और मेरा बड़ा भाई..रेहान" उसने कहा
रेहान का नाम सुनकर मैं चोंक गया..अच्छा तो ये उस रेहान की बहन है, अब मजा आएगा. वो साला मेरी बहनों को चोदने की सोच रहा है, अब तो मैं भी उसकी बहन की चूत मार कर ही रहूँगा..वैसे ये हिना उसकी बहन ना भी होती तो भी मैं इसे छोड़ता नहीं..इतनी खुबसूरत थी वो.
मैंने वापिस घूम कर दूसरी तरफ देखा तो दूर टेबल पर बैठे ऋतू, नेहा और रेहान उठ कर ऊपर पहाड़ी की तरफ जा रहे थे, मैं समझ गया की नेहा और ऋतू अब रेहान से चुदे बिना नहीं मानेगी, और वो उसे उसी पहाड़ी वाली चट्टान पर ले जा रहे थे..चुदने के लिए.
मैंने अपने मन में उसकी चुदाई की योजना बनानी शुरू कर दी.
"चलो हिना मैं तुम्हे यहाँ पर एक खुबसूरत जगह दिखाकर लाता हूं"
"कौन सी जगह ?" उसने पुछा.
"इस पहाड़ी इलाके की सुन्दरता वाली जगह...तुम चलो तो सही, बड़ा मजा आएगा..." मैंने उसके हाथों को पकड़ा और उसे खड़ा कर दिया.
वो मेरे साथ चल पड़ी.
मैं उससे बातें करते हुए उसी पहाड़ी की तरफ चल पड़ा.
धीरे -२ चलते हुए मैंने उन लोगो से काफी फासला बना कर रखा हुआ था, थोड़ी ही देर में मैं उस जगह पर पहुँच गया, मैं उसे चट्टान वाली जगह के बिलकुल पीछे ले गया जहाँ से दूसरी तरफ का नजारा दिखाई दे रहा था, उस जगह पर पहुँच कर वो सही में काफी खुश हो गयी थी, वहां की ऊँचाई से पूरी घाटी नजर आ रही थी, इस नज़ारे को देखकर उसने मेरा हाथ जोर से पकड़ लिया और मुझसे बोली "अरे वाह..क्या नजारा है, ऐसा लगता है अल्लाह ने खूबसूरती की पूरी कायनात यहाँ पर सजा कर रख दी है..." उसका शरीर मुझसे रगड़ खा रहा था और मेरा बुरा हाल हो रहा था.
तभी दूसरी तरफ से एक सिसकारी की आवाज आई....आआआआआआआआआह्ह्ह
वो रेहान की आवाज थी. हिना का ध्यान भी उस तरफ चला गया..मैंने उससे धीरे से कहा "लगता है वहां कोई है..चलो देखते है..." मैंने उसे चुप करने का इशारा किया और उसे अपने साथ चिपका कर उसी चट्टान की तरफ चल पड़ा.
वहां एक कोने में पेड़ के पीछे छिपकर हम दोनों खड़े हो गए, घनी झाड़ियों और पेड़ की आड़ में वो लोग हमें नहीं देख सकते थे.
वहां का नजारा देखकर हिना का मुंह खुला का खुला रह गया. रेहान वहां ऋतू और नेहा के बीच अपनी जींस उतार कर खड़ा हुआ था और उसका मोटा और लम्बा लंड वो दोनों नीचे बैठी हुई बारी-२ से चूस रही थी. मैंने इतना मोटा लंड आज तक नहीं देखा था, मेरा लंड जो की सात इंच का था पापा और चाचू का भी लगभग बराबर ही था, पर इस साले रेहान का लगभग साड़े आठ इंच का तो होगा ही और मोटाई भी उसी के अनुसार थी, काफी मोटा था, ऋतू की आँखों की चमक बता रही थी की उसे लोडा पसंद आया था, इसलिए वो कुतिया उसे बड़े मजे से अपने मुंह में ले-लेकर चूस रही थी.
"अरे ये तो मेरा भाई रेहान है...या अल्लाह ये क्या कर रहा है यहाँ पर, और ये लड़कियां कौन है.....तौबा-२ ..मुझे ये सब नहीं देखना चाहिए.." ये कहकर वो पीछे मूढ़ कर जाने लगी.
"अरे हिना रुको तो सही....ये तुम्हारा भाई है तो क्या हुआ...वो जिन लड़कियों से ये सब कर रहा है वो दोनों मेरी बहने हैं..." मैंने उसे शांत लहजे में कहा.
वो मेरी बात सुनकर हक्की-बक्की रह गयी.
मैंने आगे कहा "देखो..हर लड़का और लड़की सेक्स करता है...हम सभी के आस पास वाले यानि हमारे मम्मी पापा, भाई बहन , दोस्त और सभी रिश्तेदार भी...लेकिन उनको सेक्स करते हुए देखने का अवसर तुम्हे कभी नहीं मिलता..कई बार हमारे मन में अपने ही रिश्तेदारों के लिए कई बुरे विचार आते हैं..पर उन्हें हम साकार नहीं कर सकते, क्योंकि ये सब समाज में बुरी नजर से देखा जाता है..और आज हमें जब मौका मिला है की हम अपने भाई बहन को सेक्स करते हुए देखे तो इसे तुम मत गवाओं..देखो और मजे लो" मेरे मुंह में जो निकला मैं बोलता चला गया उसका कोई मतलब निकला के नहीं, मुझे नहीं मालुम, पर मेरी बात सुनकर वो वहीँ खड़ी हो गयी, और उधर उसके भाई का लंड मेरी बहनों के चूसने से खड़ा हो गया.
"पर तुम ये बात किसी से न कहना...की मैंने ये सब देखा.." उसने सकुचाते हुए मुझसे कहा.
"ठीक है.." मैंने उससे कहा और उसकी पतली कमर पर हाथ रखकर उसे अपने से चिपका लिया..
रेहान ने खड़े-२ अपनी टी शर्ट भी उतार दी.थोडा थुलथुला शरीर था उसका..
रेहान का लंड खड़ा होकर उसकी नाभि को टच कर रहा था...इतना लम्बा था उसका. नेहा और ऋतू ने भी बैठे हुए अपनी टी शर्ट उतर दी , अब वो दोनों सिर्फ ब्रा और जींस में बैठी उस मुसल्ले का लंड चूस रहीं थी.
नेहा ने काले रंग की ब्रा और ऋतू ने जामनी रंग की ब्रा पहनी हुई थी. बड़ी सेक्सी लग रही थी दोनों उस ड्रेस में. रेहान ने अपने हाथ उन दोनों के पीछे रखे और अपनी कुशलता दिखाते हुए अपनी उँगलियों से एक ही झटके से दोनों की ब्रा खोल दी..उन दोनों की ब्रा उछल कर उनकी छातियों से अलग हो कर छिटक कर नीचे गिर गयी.
नेहा अपनी लम्बी जीभ का इस्तेमाल करके रेहान के लंड को नीचे से ऊपर तक ऐसे चाट रही थी जैसे कोई आइसक्रीम हो...बीच-२ में ऋतू और नेहा एक दुसरे को फ्रेंच किस भी कर रही थी.
हिना की साँसे उस नज़ारे को देखकर तेज होने लगी, वो खड़ी हुई अपनी टांगो को एक दुसरे से रगड़ रही थी, मैं समझ गया की लौंडिया गर्म हो रही है.
मैंने उसे अपने आगे खड़ा कर लिया और इस तरह उसके गुदाज चुतड मेरे खड़े हुए लंड को ठोकर मार रहे थे.
मैं उसके साथ चिपक कर खड़ा हो गया, उसने इस बात का कोई विरोध नहीं किया. मैंने अपना लंड सीधा किया और उसके मोटे-२ चूतडो से चिपक कर खड़ा हो गया. रेहान का लंड कभी ऋतू और कभी नेहा अपने मुंह में भरकर चूस रही थी, उसकी हुंकार से पता चल रहा था की उस कमीने को कितना मजा आ रहा था.
नेहा खड़ी हो गयी और उसने झट से अपनी जींस नीचे उतारी और अपनी पेंटी को भी उतार कर मादर्जात नंगी हो गयी और उसने रेहान के होंठो पर अपने होंठ टिका दिए..