desiaks
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सोनी जो बड़ी देर से खड़ी हुई सब बातें सुन रही थी, उसकी समझ में नहीं आ रहा था की क्या बोले, उसकी चूत में अभी भी मेरे लंड की सनसनाहट हो रही थी, उसके मुंह में अभी भी ऋतू की चूत का स्वाद था जिसे वो कभी भी भुला नहीं सकती थी, उसके सामने उसके पापा नंगे खड़े थे, उनका लम्बा लटकता हुआ लंड देखकर उसकी चूत में फिर से अजीब तरह की खुजली होने लगी, उसकी माँ के मोटे स्तन देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और उनकी गीली चूत देखकर उसे चाटने का मन करने लगा... "माँ...आप हमसे नाराज तो नहीं हो ना.." वो धीरे -२ चलती हुई अपने पेरेंट्स के पास आई, चलने से उसके मोटे-२ चुचे उछल रहे थे और उसके निप्पल्स कड़क हो कर सामने की तरफ खड़े हो गए थे..
"हम तो बस सरप्राईज़ड हैं..." मंजू ने कहा, ना जानते हुए की और क्या बोले..
"हम आपको नाराज नहीं करना चाहते थे..." सोनी ने अपनी नंगी खड़ी हुई माँ के चारों तरफ अपनी बाहें लपेटते हुए कहा "बस ये सब करने में काफी अच्छा लग रहा था, इसलिए सब कुछ होता चला गया"
"आर यू श्योर...तुम ठीक हो.." उसके पापा पंकज ने सोनी के कंधे पर हाथ रखकर कहा..
"हाँ पापा, मैं ठीक हूँ" और सोनी अपने पापा की तरफ मुंह करके उनसे लिपट गयी, उसके पापा ने अपनी बाहें उसके चारों तरफ लपेट दी, अब उनका लंड उसकी नाभि को छु रहा था.
पंकज ने जब अपनी बाहें अपनी बेटी सोनी के चारों तरफ लपेटी तो सोनी का हाथ अपने आप ही उनके लंड की तरफ चला गया और उसने लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दबाना शुरू कर दिया, पंकज के मुंह से एक छोटी सी सिसकारी निकल गयी, वो भी बड़ी देर से अपनी नंगी लड़कियों को देखकर अपने आप पर कण्ट्रोल कर रहा था, पर जब उसने सोनी के चुचे अपनी छाती पर महसूस किये और उसके ठन्डे हाथों ने उसके गरम लंड को पकड़ा तो उसके सब्र का बाँध टूट गया और उसने अपनी आँखें बंद करके अपनी पकड़ और बड़ा दी अपनी नंगी बेटी की कमर पर..
उधर मंजू अपनी छोटी बेटी मोनी की तरफ बड़ी जो अपनी टाँगे चोडी करे बैठी थी, जिसकी वजह से उसकी रसीली चूत की पंखुडियां खुल कर अन्दर की दीवारों की लालिमा दिखा रही थी, और उससे पूछा "तुम तो ठीक हो ना मोनी..."
"हाँ माँ, मैं ठीक हूँ ...मुझे सही में मजा आया जब आशु ने मेरी चूत में लंड डाला और उसकी बहन ने मेरी चूत को चाटा था.." मोनी ने चहकते हुए कहा.
"उसने तुम्हे कोई तकलीफ तो नहीं पहुंचाई" मंजू ने चिंता भरे स्वर में कहा.
"नहीं माँ...ये देखो..कितनी सुन्दर दिख रही है ये, खुलने के बाद..." और उसने अपनी उँगलियों से अपनी चूत को फैला कर दिखाया. उसकी चूत में भी फिर से खुजली शुरू हो चुकी थी. वो अपनी माँ से बोली "माँ, क्या तुम मेरी चूत को चाट सकती हो जैसे आप दूसरी आंटियों की चाट रहे थे अपने कमरे में.."
"ये तुम क्या कह रही हो.." वो बोली
"प्लीसे मोम...क्या आपको मेरी चूत अच्छी नहीं लगी.." उसने अपनी एक ऊँगली अन्दर डाली और रस से भीगी ऊँगली को अपनी चूत के चारों तरफ मसल डाला...
"तुम काफी सुन्दर हो बेटी..."उसकी नजर सम्मोहित सी अपनी बेटी की ताजा खुली चूत को निहारने में लगी हुई थी.."पर ये सब हमें आपस में नहीं करना चाहिए"
"ओह..छोड़ो इन सब बातों को, अगर मेरी चूत सुन्दर है तो प्लीस चाटो इसे.." और उसने अपनी माँ का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा..
मंजू ने एक गहरी सांस ली और अपनी बेटी की चूत की तरफ झुक गयी, बाकी काम मोनी ने किया, उस सर पकड़कर उसे अपनी चूत पर टिका दिया, अपनी माँ की गर्म जीभ अपनी चूत पर लगते ही उसकी सिसकारी निकल गयी, मंजू ने भी जब अपनी बेटी की चूत में मुंह डाला तो अन्दर से आती भीनी खुशबू से उसके नथुने फड़क उठे और उसने अपनी जीभ और होंठ का इस्तेमाल करके अपनी बेटी की चूत को चाटना तेजी से शुरू कर दिया..उसे भी अब काफी मजा आ रहा था.
अपनी माँ को छोटी बहन की चूत चाटता देखकर, सोनी भी नीचे बैठ गयी और अपना मुंह खोलकर अपने पापा का खड़ा हुआ लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी, उनके लंड से अलग-२ चूत के रस की खुशबू आ रही थी, अपनी बेटी को अपना लंड चाटते देखकर पंकज ने अपनी आँखें बंद कर ली और उसके सर को पकड़ कर उसके मुंह में लंड अन्दर बाहर करके उसके कोमल से मुंह को चोदने लगा.
हम सभी वहां खड़े ये सब देख रहे थे और उनको शुरू होते देखकर हमारे अन्दर भी कुछ हलचल सी होने लगी, सबसे पहले ऋतू हरकत में आई और उसने पापा का लंड पकड़ा और उन्हें लंड से घसीटते हुए बेड पर जाकर लेट गयी और उन्हें अपने ऊपर गिरा लिया, पापा का खड़ा हुआ लंड सीधा ऋतू की फड़कती हुई चूत में घुस गया और ऋतू ने अपनी टाँगे पापा की कमर में लपेट कर उसे पूरा अन्दर ले लिया..आआआआआआआआआआआअह्ह्ह पाआअपाआआआआअ .......... म्मम्मम्मम
मम्मी ने भी मुझे बेड पर धक्का दिया और अपनी चूत को मेरे लंड पर टिका कर नीचे बैठ गयी और मेरा पूरा लंड हड़प कर गयी अपनी चूत में.. उयीईईईईईईईईईईईइ ...... अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह... उनके मुंह से एक लम्बी सी सिसकारी निकली..
नेहा भी जाकर नीचे लेटी मोनी के मुंह पर बैठ गयी और अपनी चूत उसके कोमल से मुंह पर रगड़ने लगी.
पुरे कमरे में अब सिस्कारियां गूंज रही थी.
सोनी नीचे बैठी अपने पापा का लंड बड़े मजे ले-लेकर चूस रही थी, उसे लग रहा था जैसे उसके बाप ने उसे पैदा ही उसका लंड चाटने के लिए किया है..
"हम तो बस सरप्राईज़ड हैं..." मंजू ने कहा, ना जानते हुए की और क्या बोले..
"हम आपको नाराज नहीं करना चाहते थे..." सोनी ने अपनी नंगी खड़ी हुई माँ के चारों तरफ अपनी बाहें लपेटते हुए कहा "बस ये सब करने में काफी अच्छा लग रहा था, इसलिए सब कुछ होता चला गया"
"आर यू श्योर...तुम ठीक हो.." उसके पापा पंकज ने सोनी के कंधे पर हाथ रखकर कहा..
"हाँ पापा, मैं ठीक हूँ" और सोनी अपने पापा की तरफ मुंह करके उनसे लिपट गयी, उसके पापा ने अपनी बाहें उसके चारों तरफ लपेट दी, अब उनका लंड उसकी नाभि को छु रहा था.
पंकज ने जब अपनी बाहें अपनी बेटी सोनी के चारों तरफ लपेटी तो सोनी का हाथ अपने आप ही उनके लंड की तरफ चला गया और उसने लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दबाना शुरू कर दिया, पंकज के मुंह से एक छोटी सी सिसकारी निकल गयी, वो भी बड़ी देर से अपनी नंगी लड़कियों को देखकर अपने आप पर कण्ट्रोल कर रहा था, पर जब उसने सोनी के चुचे अपनी छाती पर महसूस किये और उसके ठन्डे हाथों ने उसके गरम लंड को पकड़ा तो उसके सब्र का बाँध टूट गया और उसने अपनी आँखें बंद करके अपनी पकड़ और बड़ा दी अपनी नंगी बेटी की कमर पर..
उधर मंजू अपनी छोटी बेटी मोनी की तरफ बड़ी जो अपनी टाँगे चोडी करे बैठी थी, जिसकी वजह से उसकी रसीली चूत की पंखुडियां खुल कर अन्दर की दीवारों की लालिमा दिखा रही थी, और उससे पूछा "तुम तो ठीक हो ना मोनी..."
"हाँ माँ, मैं ठीक हूँ ...मुझे सही में मजा आया जब आशु ने मेरी चूत में लंड डाला और उसकी बहन ने मेरी चूत को चाटा था.." मोनी ने चहकते हुए कहा.
"उसने तुम्हे कोई तकलीफ तो नहीं पहुंचाई" मंजू ने चिंता भरे स्वर में कहा.
"नहीं माँ...ये देखो..कितनी सुन्दर दिख रही है ये, खुलने के बाद..." और उसने अपनी उँगलियों से अपनी चूत को फैला कर दिखाया. उसकी चूत में भी फिर से खुजली शुरू हो चुकी थी. वो अपनी माँ से बोली "माँ, क्या तुम मेरी चूत को चाट सकती हो जैसे आप दूसरी आंटियों की चाट रहे थे अपने कमरे में.."
"ये तुम क्या कह रही हो.." वो बोली
"प्लीसे मोम...क्या आपको मेरी चूत अच्छी नहीं लगी.." उसने अपनी एक ऊँगली अन्दर डाली और रस से भीगी ऊँगली को अपनी चूत के चारों तरफ मसल डाला...
"तुम काफी सुन्दर हो बेटी..."उसकी नजर सम्मोहित सी अपनी बेटी की ताजा खुली चूत को निहारने में लगी हुई थी.."पर ये सब हमें आपस में नहीं करना चाहिए"
"ओह..छोड़ो इन सब बातों को, अगर मेरी चूत सुन्दर है तो प्लीस चाटो इसे.." और उसने अपनी माँ का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा..
मंजू ने एक गहरी सांस ली और अपनी बेटी की चूत की तरफ झुक गयी, बाकी काम मोनी ने किया, उस सर पकड़कर उसे अपनी चूत पर टिका दिया, अपनी माँ की गर्म जीभ अपनी चूत पर लगते ही उसकी सिसकारी निकल गयी, मंजू ने भी जब अपनी बेटी की चूत में मुंह डाला तो अन्दर से आती भीनी खुशबू से उसके नथुने फड़क उठे और उसने अपनी जीभ और होंठ का इस्तेमाल करके अपनी बेटी की चूत को चाटना तेजी से शुरू कर दिया..उसे भी अब काफी मजा आ रहा था.
अपनी माँ को छोटी बहन की चूत चाटता देखकर, सोनी भी नीचे बैठ गयी और अपना मुंह खोलकर अपने पापा का खड़ा हुआ लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी, उनके लंड से अलग-२ चूत के रस की खुशबू आ रही थी, अपनी बेटी को अपना लंड चाटते देखकर पंकज ने अपनी आँखें बंद कर ली और उसके सर को पकड़ कर उसके मुंह में लंड अन्दर बाहर करके उसके कोमल से मुंह को चोदने लगा.
हम सभी वहां खड़े ये सब देख रहे थे और उनको शुरू होते देखकर हमारे अन्दर भी कुछ हलचल सी होने लगी, सबसे पहले ऋतू हरकत में आई और उसने पापा का लंड पकड़ा और उन्हें लंड से घसीटते हुए बेड पर जाकर लेट गयी और उन्हें अपने ऊपर गिरा लिया, पापा का खड़ा हुआ लंड सीधा ऋतू की फड़कती हुई चूत में घुस गया और ऋतू ने अपनी टाँगे पापा की कमर में लपेट कर उसे पूरा अन्दर ले लिया..आआआआआआआआआआआअह्ह्ह पाआअपाआआआआअ .......... म्मम्मम्मम
मम्मी ने भी मुझे बेड पर धक्का दिया और अपनी चूत को मेरे लंड पर टिका कर नीचे बैठ गयी और मेरा पूरा लंड हड़प कर गयी अपनी चूत में.. उयीईईईईईईईईईईईइ ...... अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह... उनके मुंह से एक लम्बी सी सिसकारी निकली..
नेहा भी जाकर नीचे लेटी मोनी के मुंह पर बैठ गयी और अपनी चूत उसके कोमल से मुंह पर रगड़ने लगी.
पुरे कमरे में अब सिस्कारियां गूंज रही थी.
सोनी नीचे बैठी अपने पापा का लंड बड़े मजे ले-लेकर चूस रही थी, उसे लग रहा था जैसे उसके बाप ने उसे पैदा ही उसका लंड चाटने के लिए किया है..