desiaks
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आँखें खुलते ही उकी नजर अपना लंड चूस रही अपनी बड़ी साली पर पड़ी...और साथ लेटी अपनी पत्नी दीपा की तरफ... उन्हें हैरान परेशान देखकर दीपा आंटी बोली "तो चोद दो न ...हम दोनों बहनों को एक ही पलंग पर...और हमारी चीखें निकाल दो..."
आंटी की बात सुनकर उनके चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए...उनकी पत्नी अपनी मर्जी से उन्हें अपनी बहन को चोदने के लिए बोल रही थी...ऐसा कितने लोगो की किस्मत में लिखा होता है...
उन्होंने आंटी को इशारे से अपने हाथ खोलने को कहा. आंटी ने उनके हाथ पाँव खोल दिए..
हाथ खुलते ही उन्होंने मम्मी को अपनी बाँहों में समेटा और उनपर टूट पड़े...मम्मी भी सेक्स के नशे में डूबी से अपना शरीर अपने जीजे से नुचवाने लगी...और लम्बी-२ सिस्कारियां लेने लगी...
"अह्ह्ह्हह्ह जीजू.......चाटो...आप यही चाहते थे न.....चाटो मेरे शरीर को....चोदो मुझे....फाड़ डालो मेरी चूत को....दाल दो अपना लंड मेरी चूत में....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह......."
अंकल : "मैं तो कब से तुम्हारी चूत मारना चाहता था....आज मौका मिला है...चोदने का....आज आपकी ऐसी चुदाई करूँगा की आप भी क्या याद करोगे...."
और ये कहते हुए उन्होंने अपना लंड सीधा मम्मी की चूत के ऊपर टिकाया और उनके मोटे-२ होर्न पकड़कर उन्हें दबाते हुए धक्का मारकर अपना लंड पेल दिया मम्मी की गीली चूत में... "अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह.........येस्सस्सस्स.......आआअ जाओं ......मेरे प्यारे जीजू............चोदो मेरी चूत को...."
और फिर तो जैसे अंकल के ऊपर कोई भूत सवार हो गया...उन्होंने मम्मी के हाथों को पकड़ा और उनके ऊपर झुक कर उनके मुम्मे चूसने लगे और धक्के मारने लगे...
उनके धक्के इतने तेज थे की उनके चुचे हर झटके से उनके मुंह से निकल जाते और वो उन्हें पकड़कर फिर से चूसने लगते और धक्के मारने लगते... आंटी भी अपनी चूत को मसल रही थी, अपने पति के द्वारा अपनी बहन को चुदते देखकर.. और बाहर खड़ा हुआ मैं अपने लंड को मसल रहा था, अपनी माँ को चुद्ता देखकर..
पुरे कमरे में मम्मी की चीखों का संगीत गूंज रहा था...
"अह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फफ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ अह्ह्हह्ह म्मम्मम्म अयूऊऊ ओये राजा.......अह्ह्हह्ह ..... म्मम्मम्मम हाआआन्न्न्न ऐसे.ही.....अह्ह्ह्हह्ह और तेज्ज.......और तेज्ज्ज्जज ..........फाड़ डालो......मेरी चूत को...."
अंकल ने अपना लंड बाहर खींचा और आंटी को एक झटके से मम्मी की बगल में लिटाया और अपना लंड घुसेड दिया उनकी चूत में.....आंटी की चीख निकल गयी... "अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फफ्फ्फ़ मर्र्र गयीई.....धीरे ....मेरे राजा.....हाआं....."
अंकल के सामने वो दोनों बहने अपनी चूत फैलाये लेटी थी और अंकल बारी-२ से उन दोनों की चूत को मार रहे थे...और उनकी चीखें निकाल रहे थे... उनका लंड कहने को थोडा छोटा था...पर उसमे काफी दम था...लगभग बीस मिनट से वो दो बहनों की चूत मार रहे थे...पर झड़ने का नाम नहीं था...
जल्दी ही आंटी की चूत से उनके रस का सेलाब निकलने लगा...वो चिल्लाने लगी..... "अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फफ्फ्फ़ .........मजा आ गया.......म्मम्मम्मम्म ......ओह्ह्ह्हह्ह ....."
और अंकल ने अपना लंड उनकी रस से भरी हुई चूत से बाहर निकाला और नीचे झुककर उनका निकलता हुआ रस पीने लगे...
आंटी की चूत की फांके लाल हो चुकी थी चुदाई के बाद, बिलकुल लाल स्ट्रोबेरी की तरह और उसके बीच से निकलता हुआ उनका गाड़ा रस अंकल चपड़ -२ करके साफ़ करने में लग गए... और फिर उन्होंने अपना लंड मम्मी की चूत के अन्दर डाला और उन्हें जी जान से चोदने लगे....और जल्दी ही मम्मी के साथ-२ अंकल भी अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँच गए और दोनों एक दुसरे के साथ-२ झड़ने लगे...
मम्मी चिल्लाई "अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ जीजू .......चोदो मुझे......हांन्न्न्नन्न दाल दो.अपना रस मेरी चूत में......निकालो..........अपना रस अन्दर ...मेरी चूत के अन्दर......आआह्ह्ह्ह " और अंकल ने उनकी बात का मान रखते हुए अपना सारा वीर्य मम्मी की चूत के अन्दर छोड़ दिया...
आंटी उठी और मम्मी की चूत पर अपना मुंह लगाकर वहां से अपने पति और बड़ी बहन का मिला जुला रस पीने लगी.. और फिर वो तीनो बेड पर नंगे लेट गए और एक दुसरे से छेड़ खानी करने लगे..
मैं अपना लंड पकडे अन्दर की तरफ चल दिया...और ऋतू या सुरभि की तलाश करने लगा....उनमे से किसी को भी चोदने के लिए. मैं सीधा ऊपर गया ऋतू के कमरे में...वहां तो सेक्स की कब्बड्डी चल रही थी...सुरभि की चूत उसका भाई अयान ऑंखें बंद करे ऐसे मार रहा था जैसे किसी लम्बे सफ़र का आनंद ले रहा हो..
सुरभि ने अपनी टाँगे ऊपर हवा में उठा रखी थी और अपने चोदु भाई के लम्बे लंड को अपनी चूत के अन्दर पिलवा रही थी...और चीख रही थी..
"अह्ह्हह्ह हाआआन्न भाईsssssssssssssss ....ऐसे ही....चोदो मुझेsssssssssssssss ...अपनी बहन की चूत में अन्दर तक डालोsssssssssssssss....ये लम्बा लंडsssssssssssssss...चोदो न.....जोर से....अह्ह्हह्ह्ह्ह स्स्स्स..."
आंटी की बात सुनकर उनके चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए...उनकी पत्नी अपनी मर्जी से उन्हें अपनी बहन को चोदने के लिए बोल रही थी...ऐसा कितने लोगो की किस्मत में लिखा होता है...
उन्होंने आंटी को इशारे से अपने हाथ खोलने को कहा. आंटी ने उनके हाथ पाँव खोल दिए..
हाथ खुलते ही उन्होंने मम्मी को अपनी बाँहों में समेटा और उनपर टूट पड़े...मम्मी भी सेक्स के नशे में डूबी से अपना शरीर अपने जीजे से नुचवाने लगी...और लम्बी-२ सिस्कारियां लेने लगी...
"अह्ह्ह्हह्ह जीजू.......चाटो...आप यही चाहते थे न.....चाटो मेरे शरीर को....चोदो मुझे....फाड़ डालो मेरी चूत को....दाल दो अपना लंड मेरी चूत में....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह......."
अंकल : "मैं तो कब से तुम्हारी चूत मारना चाहता था....आज मौका मिला है...चोदने का....आज आपकी ऐसी चुदाई करूँगा की आप भी क्या याद करोगे...."
और ये कहते हुए उन्होंने अपना लंड सीधा मम्मी की चूत के ऊपर टिकाया और उनके मोटे-२ होर्न पकड़कर उन्हें दबाते हुए धक्का मारकर अपना लंड पेल दिया मम्मी की गीली चूत में... "अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह.........येस्सस्सस्स.......आआअ जाओं ......मेरे प्यारे जीजू............चोदो मेरी चूत को...."
और फिर तो जैसे अंकल के ऊपर कोई भूत सवार हो गया...उन्होंने मम्मी के हाथों को पकड़ा और उनके ऊपर झुक कर उनके मुम्मे चूसने लगे और धक्के मारने लगे...
उनके धक्के इतने तेज थे की उनके चुचे हर झटके से उनके मुंह से निकल जाते और वो उन्हें पकड़कर फिर से चूसने लगते और धक्के मारने लगते... आंटी भी अपनी चूत को मसल रही थी, अपने पति के द्वारा अपनी बहन को चुदते देखकर.. और बाहर खड़ा हुआ मैं अपने लंड को मसल रहा था, अपनी माँ को चुद्ता देखकर..
पुरे कमरे में मम्मी की चीखों का संगीत गूंज रहा था...
"अह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फफ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ अह्ह्हह्ह म्मम्मम्म अयूऊऊ ओये राजा.......अह्ह्हह्ह ..... म्मम्मम्मम हाआआन्न्न्न ऐसे.ही.....अह्ह्ह्हह्ह और तेज्ज.......और तेज्ज्ज्जज ..........फाड़ डालो......मेरी चूत को...."
अंकल ने अपना लंड बाहर खींचा और आंटी को एक झटके से मम्मी की बगल में लिटाया और अपना लंड घुसेड दिया उनकी चूत में.....आंटी की चीख निकल गयी... "अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फफ्फ्फ़ मर्र्र गयीई.....धीरे ....मेरे राजा.....हाआं....."
अंकल के सामने वो दोनों बहने अपनी चूत फैलाये लेटी थी और अंकल बारी-२ से उन दोनों की चूत को मार रहे थे...और उनकी चीखें निकाल रहे थे... उनका लंड कहने को थोडा छोटा था...पर उसमे काफी दम था...लगभग बीस मिनट से वो दो बहनों की चूत मार रहे थे...पर झड़ने का नाम नहीं था...
जल्दी ही आंटी की चूत से उनके रस का सेलाब निकलने लगा...वो चिल्लाने लगी..... "अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फफ्फ्फ़ .........मजा आ गया.......म्मम्मम्मम्म ......ओह्ह्ह्हह्ह ....."
और अंकल ने अपना लंड उनकी रस से भरी हुई चूत से बाहर निकाला और नीचे झुककर उनका निकलता हुआ रस पीने लगे...
आंटी की चूत की फांके लाल हो चुकी थी चुदाई के बाद, बिलकुल लाल स्ट्रोबेरी की तरह और उसके बीच से निकलता हुआ उनका गाड़ा रस अंकल चपड़ -२ करके साफ़ करने में लग गए... और फिर उन्होंने अपना लंड मम्मी की चूत के अन्दर डाला और उन्हें जी जान से चोदने लगे....और जल्दी ही मम्मी के साथ-२ अंकल भी अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँच गए और दोनों एक दुसरे के साथ-२ झड़ने लगे...
मम्मी चिल्लाई "अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ जीजू .......चोदो मुझे......हांन्न्न्नन्न दाल दो.अपना रस मेरी चूत में......निकालो..........अपना रस अन्दर ...मेरी चूत के अन्दर......आआह्ह्ह्ह " और अंकल ने उनकी बात का मान रखते हुए अपना सारा वीर्य मम्मी की चूत के अन्दर छोड़ दिया...
आंटी उठी और मम्मी की चूत पर अपना मुंह लगाकर वहां से अपने पति और बड़ी बहन का मिला जुला रस पीने लगी.. और फिर वो तीनो बेड पर नंगे लेट गए और एक दुसरे से छेड़ खानी करने लगे..
मैं अपना लंड पकडे अन्दर की तरफ चल दिया...और ऋतू या सुरभि की तलाश करने लगा....उनमे से किसी को भी चोदने के लिए. मैं सीधा ऊपर गया ऋतू के कमरे में...वहां तो सेक्स की कब्बड्डी चल रही थी...सुरभि की चूत उसका भाई अयान ऑंखें बंद करे ऐसे मार रहा था जैसे किसी लम्बे सफ़र का आनंद ले रहा हो..
सुरभि ने अपनी टाँगे ऊपर हवा में उठा रखी थी और अपने चोदु भाई के लम्बे लंड को अपनी चूत के अन्दर पिलवा रही थी...और चीख रही थी..
"अह्ह्हह्ह हाआआन्न भाईsssssssssssssss ....ऐसे ही....चोदो मुझेsssssssssssssss ...अपनी बहन की चूत में अन्दर तक डालोsssssssssssssss....ये लम्बा लंडsssssssssssssss...चोदो न.....जोर से....अह्ह्हह्ह्ह्ह स्स्स्स..."