Gandi Kahaniya सहेली के पापा - SexBaba
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Gandi Kahaniya सहेली के पापा

hotaks444

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Nov 15, 2016
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सहेली के पापा 


सहेली की सच्ची कहानी सुन बड़ा अजीब लगा. रीता मेरी बेस्ट फ्रेंड थी. 
वह मुझसे कुच्छ नही छुपाती थी हर बात बताती थी. उसने बिना किसी 
शरम के अपनी चुदाई की कहानी सुनाई थी. अजीब इसलिए लगा कि वह 
अपने पापा के साथ ही घर मैं चुदाई का मज़ा ले रही थी. वह कई 
दिनो से बता रही थी कि उसके पापा उसके साथ क्या क्या करते हैं पर 
आज की तो बात ही कुच्छ और थी. वह बोली, 

"हाए आज रात मुझे पूरा मज़ा मिला पापा से. अब मैं पूरी जवान हो 
गयी हूँ." मैं उसकी बात सुन बेताब हो बोली, 

"कल फिर मज़ा लिया क्या?" 

"हां कल तो पूरा मज़ा लिया. पापा ने खूब प्यार से मेरी प्यास 
बुझाई. हाए मेरे पापा अभी पूरे जवान हैं. मैं उनको बहुत अच्छी 
लगती हूँ. कह रहे थे कि रोज़ मेरे पास सोया करो. पापा ने मुझे कल 
पूरी जवान कर दिया. आ चल तुझे दिखाउ." वह मुझे स्कूल के 
टाय्लेट मे ले गयी और अपनी शलवार के ज़रबंद को खोलती बोली, 

"मुझे नही मालूम था कि इस'मे इतना मज़ा आता है वरना मैं पहले ही 
पापा के पास सोया करती. लो देखो मेरे पापा ने मुझे कितना जवान कर 
दिया है." और मस्ती से भरी सहेली ने शलवार को नीचे खिसकाया तो 
मैं उसकी चुदी चूत को देख मस्त हो गयी. . 

"देख रही हो पहले कैसी थी और अब कैसी है." उसने अपनी टांगे 
फैलाकर अपनी कुंवारेपन मैं चुदी मस्त चूत दिखाई. देखकर मेरी 
भी गुदगुदाने लगी. टांगे फैलाकर मुझे दिखा शलवार को ऊपर कर 
ज़रबंद बाँध अपनी चूचियों को उचकाती बोली, 

"मेरी पहले से बड़ी लग रही हैं ना?" 

"हां रीता." 

"इनको भी पापा खूब मज़ा देते हैं. मुझे तो बहुत अच्छा लगता है 
इनको पापा को पिलाने मे. अब पापा के साथ ही सोउंगी. जानती हो पापा 
क्या कह रहे थे?" 

"क्या कह रहे थे?" 

"कह रहे थे कि अगर कोई सहेली मज़ा लेने को तैय्यार हो तो उसे भी 
लाना उसे भी जवान कर दूँगा. बोलो अगर तुम्हारा मन हो कहूँ अपने 
पापा से? बहुत मज़ा आएगा." सहेली की चुदी चूत देख मुझे लगा की 
मैं कोई भूल कर रही हूँ. मुझे भी किसी से मज़ा लेना चाहिए. 
उसकी इस बात ने तो मज़े के रास्ते खोल दिए. मैं ललचा गयी. मज़ा 
लेने से उसकी चूचिया बड़ी हो गयी थी जो बहुत खूबसूरत लग रही 
थी. मैने बेताब हो पूचछा, 

"मुझे मज़ा देंगे तुम्हारे पापा?" 

"हां तुम रेडी हो तो बोलो." 

"ठीक है रीता अपने पापा से बात करो." 

"ठीक है मेरे पापा तेल लगाकर खूब प्यार से चोद्ते हैं फाड़ते 
नही. बहुत मज़ा आता है चुदवाने मे. देखा है तुमने मेरी भी नही 
फटी है." 

"नही रीता फैल गयी है." मैं मस्त हो बोली.
 
"जब पापा तेल लगाकर तुम्हारी चोदेन्गे तो तुम्हारी भी फैल जाएगी. 
पापा कह रहे थे कि एक साथ दो लड़कियो को चोदने मैं ज़्यादा मज़ा 
आता है. तुमको रात मे मेरे घर पर सोना होगा." 

"मैं मोम से स्टडी का बहाना कर दूँगी." 

"हां कह देना कि रीता के पापा पढ़ाते हैं." फिर वह रात के मज़े के 
बारे मैं बताने लगी जिसे मैं ध्यान से सुनने लगी. मेरे बदन को 
हर पार्ट सनसनाने लगा. रानो के बीच चूत पर चींटी सी चलने 
लगी थी. रीता ने मुझे एक-एक बात बताई कि किस तरह उसके पापा ने 
उसकी चूत मे लंड पेला. वह मुझसे चिपकती बोली, 

"हाए कल रात पापा ने दो बार पूरा डालकर चोदा." 

"मोटा है तुम्हारे पापा का?" 

"हां पर ज़्यादा नही. तेल लगाकर पहले पूरा अंदर करते हैं फिर 
चोद्ते हैं. बहुत मज़ा आता है." 

"पूरा चला गया था रीता?" 

"हां मज़ा तो पूरे लंड से चुदवाने मैं ही है. पहली रात आधे से 
चोदा था तो मज़ा ही नही आया था. कल आया असली मज़ा चुदाई का. एक 
बार मेरे पापा से चुद कर देखो. पहले तुम मेरे पापा को अपनी 
चखाओ फिर मैं तुम्हारे पापा को अपनी चखाउंगी. देखकर बताना 
तुम्हारे पापा का कैसा है? पापा कह रहे थे कि इस उमर मैं लड़किया 
तगड़ी होती हैं और उनको चुदवाने मे मज़ा भी खूब आता है. शादी 
के बाद अपने हज़्बेंड से चुदवाने मैं कोई दिक्कत नही होती. शादी के 
बाद तो लड़किया घर- बार मैं फँस कर मज़ा नही ले पाती. मज़ा तो इसी 
उमर मैं लिया जाता है." फिर वह मेरी चूचियों को पकड़ बोली, 

"ईनमे भी खूब मज़ा है. पापा जब इनको मुँह मे लेकर चूस्ते हैं 
तो मेरा पानी निकल जाता है. ईन्को चूसने के बाद पापा मेरी चूत को 
जीभ से खूब चाटते हैं. हाए बहुत मज़ा है चटवाने मे. मैं 
अपनी चूत को फैलाकर खूब चटवाती हूँ. चाटने के बाद पापा लंड 
को चूत पर रगड़-रगड़ उसपर सफेद पानी गिराते हैं और उंगली 
डालकर चूत को फैलाते हैं फिर लास्ट मे अपने लंड पर मुझसे तेल 
लगवाकर पेलते हैं. हाए सहेली इतना मज़ा आता है कि क्या बताउ." 

सहेली की कहानी सुनकर इतना मज़ा आया कि मेरी चड्डी गीली हो गयी. 
हम दोनो ही 16 साल के हो गये थे और बदन भी अच्छा निकला था. 
चूचिया एक हाथ मे आने वाली थी. उसकी बात सुन मेरी चूत से 
पानी निकला तो मैं अपनी चूत को दबाती बोली, 

"आज ही ले चलो ना?" 

"ठीक है स्कूल से तुम्हारे घर चल'ते हैं तुम अपनी मोम से कह 
देना कि रात को मेरे पापा इंग्लीश बताएँगे."
 
मैं पूरी तरह तैय्यार थी अपने कुंवारेपन को सहेली के पापा के 
साथ लुटाने को. जहाँ चाह होती है वहाँ राह निकल ही आती है. 
मोम भला क्यों रोकती. मैं शाम 5 बजे ही रीता के घर आ गयी. उसकी 
मोम मुझे जानती थी. रीता ने उनसे बताया कि यह भी रात को पापा से 
इंग्लीश पढ़ेगी तो वह बोली, 

"ठीक है बेटी आ जाया करो. मास्टर ढूँढ रहे क़ायदे का मिला तो 
रीता को ट्यूशन रखवा दूँगी." उसके पापा अभी घर पर नही थे. वह 
9 बजे तक आते थे. मैं रीता के साथ उसके कमरे मे आ गयी. उसका 
कमरा ऊपर था. उसकी मोम को साँस की बीमारी थी इसलिए वह ऊपर नही 
आती थी. रीता ऊपर मुझे अपने पापा के रूम मे लाई और बोली, 

"रात मे पापा इसी कमरे मे मुझे नंगी करके चोद्ते हैं, तुमको 
भी यहीं चोदेन्गे." 

"कब आते हैं पापा?" 

"ठीक 9 बजे ऊपर आते हैं और आते ही मज़ा लेते हैं. 12 बजे तक 
मज़ा ले चोद्कर मुझे नंगी ही चिपकाकर सो जाते हैं. सुबह होते ही 
कपड़े पहना देते हैं." 

"जब तुमको चोदेन्गे तो मुझे?" 

"हम दोनो को छोड़ेंगे. आने तो दो पापा को. पापा को एक साथ दो 
लड़कियो से बहुत मज़ा आता है." रीता ने मेरी गांद मसल्ते कहा. 16 
साल की थी इसलिए जानती सब थी पर रीता ने रात की कहानी सुना 
मुझे बेचैन कर दिया था. स्कूल मे रीता की चूत पर बाल नही 
दिखे थे पर मेरी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे. मैं रीता से बोली, 

"रीता तुम्हारी तो एकदम चिकनी थी." 

"हां और अब तुमको भी बाल सॉफ रखना होगा. क्योंकि पापा चिकनी ही 
चाटते हैं और मज़ा चटवाने मे ही है. मैं तो खूब 
फैला-फैलाकर चटवाती हूँ. तुम भी सॉफ कर लो." 

"कैसे?" 

"क्रीम से 5 मिनिट मे सब सॉफ. पापा ने दी थी." 

"मेरी भी सॉफ कर दो ना रीता अपनी तरह." मैने उसे चूमकर कहा तो 
वह बोली, 

"अभी मत करो पापा को दिखाना अगर कहेंगे तो कर दूँगी. पापा जो 
कहे करना. अपने पापा का देखना कैसा है?" रीता ने मेरी चूचियों 
को मसल कहा. फिर हम लोग खा पीकर इधर उधर की बातकरते रहे और फिर 
उसके पापा के कमरे मे आ गये. अभी भी 8 बजे थे. एक घंटा था 
अभी रीता के पापा के आने मे. हमलोग आपस मे मज़ा लेने लगे.
 
मैं उसकी चूचियों को दबा रही थी. वह बोली, 

"हाए ज़ोर-ज़ोर से दबाओ. मज़ा आ रहा है तुमको दबाने मे?" 

"हां." 

"एक काम करो. जब तक पापा नही आते आपस मे ही मज़ा लेते हैं." 

"ठीक है रीता." 

"तो तुम भी चड्डी उतार कर मेरी तरह नंगी हो जाओ." सहेली के पास 
आकर मुझे नया मज़ा मिल रहा था. उसके कहने पर मैं भी चड्डी 
उतार एकदम नंगी हो गयी. एक दूसरे की चूचियों को दबाने मे बड़ा 
मज़ा मिला था इसलिए नंगे होकर मज़ा लेने जा रहे थे. मेरी चूत 
चड्डी उतरते ही गुदगुदाने लगी. रीता नंगी होकर अपना जवान बदन 
दिखाने मे ज़रा भी नही शर्मा रही थी जबकि मुझे शरम लग रही 
थी. रीता इस खेल को अपने पापा के साथ खेलकर सीनियर हो गयी थी. 
चुदवाकर अपनी चूत को खुलवा चुकी थी. मेरी अभी कुँवारी थी.. 
चूचियों के निपल खड़े थे. रीता आँख मारती मस्ती के साथ बेड 
पर बुलाती बोली, 

"तुम तो ऐसे शर्मा रही हो जैसे मेरे पास नही हैं." मैं रीता के 
पास गयी. रीता तकिये के सहारे दोनो टाँगो को फैला चूचियों को 
उचका मुझे अपनी चूत के ऊपर बैठने को बोली. मैं तो एक वासना केनशे मैं 
थी. अब हम दोनो की चूचियाँ एक दूसरे के सामने थी. मेरी 
चूचियों को पकड़ रीता बोली, 

"लो तुम मेरी दबाओ, मैं तुम्हारी दबाती हूँ. जो मैं करूँ वही तुम 
भी करना. देखना कितना मज़ा आता है. यार सच ही तूने कभी डबवाया 
नही किसी से." और वह मेरी चूचियों को धीरे- धीरे दबाने लगि. उसके 
हाथ लगाने से पूरे बदन की मस्ती तेज़ हुई. चूत की दरार मे 
खुजली होने लगी और फाँक फूलने लगी. मैं उसकी दोनो चूचियों को 
दबाते हुवे मज़ा लेते बोली, 

"नही रीता कभी नही डबवाया. आज तुम पहली बार.....हाए बड़ा मज़ा 
आ रहा है." 
क्रमशः............... 
 
गतान्क से आगे......... 
"अब बताओ?" रीता ने निपल को चुटकी दे पूचछा तो मैं बोली, 

"ओई मेरी जान अब तो और मज़ा है." मुझे तो जन्नत मिल गयी थी. 
जैसे-जैसे वह चूचियों को दबाते हुवे निपल मसल्ति जा रही थी 
वैसे-वैसे चूत के दोनो फाँक बाहर निकलते जा रहे थे. हम दोनो 
मस्त थे. मैं भी रीता की चूचियों को दबा रही थी. 

"चूत मे मस्ती तेज़ हो रही है ना?" 

"हां रीता बड़ा मज़ा आ रहा है." 

"पापा से करवाने मे और आएगा. यह खिलौना तो लड़को का है. अब 
हम्दोनो बराबर खेलेंगे. अब तुम्हारी भी मेरी तरह बड़ी-बड़ी हो 
जाएँगी. बस ध्यान रहे कि मेरे पापा से ज़रा भी नही शरमाना तभी 
मज़ा आएगा. तुम भी अपने पापा को फँसाओ." 

"तुमने कैसे फँसाया था अपने पापा को?" मैने पूचछा तो वह बोली, 

"कल स्कूल मे इंटेरवाल को बताउन्गि." अब हम दोनो सहेलियों की चूत 
मे आग लग चुकी थी. हल्का पानी भी चूत के मुँह पर आ गया था. 
रीता चुद्कर चालाक हो गयी थी. वह मुझे अपने ऊपर से अलग कर 
अपने बगल लिटा बोली, 

"लो तुम मेरी चूचियों को चूसो फिर मैं तुम्हारी चूसुन्गि." और 
इतना कह रीता ने मेरी रानो से अपनी राने सटा मेरे चूतड़ पर हाथ 
फेरते हुवे अपनी एक चूची को मेरे मुँह मे कर दूसरी को मेरे हाथ 
मे देती बोली, 

"एक को चूसो और एक को दबाओ खूब मज़ा आएगा. मैं तुम्हारी चूत 
सहलाती हूँ." और मेरी रान को पीछे से खुलवाकर गांद की दरार 
मे हाथ फेरते गांद के छेद को उंगली से च्छुवा तो मुझे मज़ा आने 
लगा. मैं पीछे से पैर को फैलाकर अपनी कोरी चूत को सहेली के 
हाथ से सह्ल्वाति किसी मर्द की तरह उसकी चूची को मुँह से चूस्ति 
दूसरी चूची को दबाने लगी. मुझे अब पहले से ज़्यादा मज़ा आ रहा 
था. रीता एक हाथ को चूतड़ पर चूत की दरार को उंगली से सहलाती 
दूसरे हाथ से अपनी चूचियों को दबा-दबाकर ऐसे चुस रही थी 
जैसे माँ बच्चे को दूध पिलाती है. उसकी उंगली जब मेरी गुलाबी 
फाँक पर लगती तो सर से पैर तक झनझणा जाती. रीता पूरी 
चूची को मेरे मुँह मे करती बोली, 

"हाए मेरी जान पूरी चूसो, पानी आ रहा है." मुझे सहेली की 
चूचियों को पीने से बहुत मज़ा मिल रहा था. मैं अपनी चूत को 
सह्ल्वाती उसकी चूचियों को चूस रही थी.
 
वह पूरी चूची को मुँह 
मे डालती बोली, 

"थोड़ा ज़ोर ज़ोर से चूसो बड़ा मज़ा आ रहा है. बस थोड़ी देर मे 
पानी निकलेगा." मुझे तो इतना मज़ा आ रहा था कि बता नही सकती. 
चूत के साथ साथ गोरी गांद भी गुदगुदाने लगी थी. सहेली की 
बड़ी-बड़ी चूचियों को चूसने मे अनोखा मज़ा था. तभी रीता ने 
मुझे कस लिया और एक मिनिट बाद चूत से उंगली हटा बोली, 

"आअहह मज़ा आ गया मेरी जान." एक चूची ही चूसी थी कि मेरी 
जवान सहेली झाड़ गयी. मस्ती के साथ अपनी चूत दिखाती बोली, 

"देखो सफेद पानी निकला." 

"हां तुम झाड़ गयी." 

"हां चुदी चूत जल्दी झाड़ जाती है. मैने तुम्हारी उंगली से चोदा 
नही, क्योंकि अगर उंगली पेलती तो तुम्हारा पानी भी निकल आता. पापा 
फाड़ेंगे तो तुमको ज़्यादा मज़ा आएगा. कुँवारी है पहली बार लंड ही 
पेलवाओ." मैं पहली बार चूत को झाड़ते देख रही थी. रीता की चूत 
गुलाबी और बड़ी थी. झड़ने के बाद रीता ठंडी हुई और अपनी चूत 
को टवल से रगड़ कर सॉफ करने के बाद मुझे बेड पर पैर फैलाकर 
लेटने को कहा. मैं तो अभी गरम थी. मेरी चूत की दोनो फांके तनी 
खड़ी थी. मैं पैर फैलाकर लेटी तो रीता मेरी रान सहलाती बोली, 

"तुम्हारी चूत बहुत अच्छी है. मज़ा आ रहा है." 

"बहुत." 

"अभी और आएगा लेटी रहो. तुमने मेरी झाड़ा है, अब देखो मैं तुमको 
किस तरह निचोड़ती हूँ. आज से तुम मेरी पक्की सहेली हो गयी हो. अब 
आपस मे बराबर मज़ा लिया जाएगा. पैर ऊपर करो तो पापा की तरह 
तेरी चूत चाट दूँ." मैं रीता के इस गोल्डन प्रपोज़ल पर मर-मिटी. 
वह बता चुकी थी कि लड़कियों को चूत चटवाने मैं बहुत मज़ा आता 
है. मेरी चूत गरमा गयी थी. मैं चुदासि थी. मैने फ़ौरन टांगे 
मोड़ चूत को उसके सामने किया. मेरी पूरी चूत को हथेली से सहलाते हुए 
रीता बोली, 

"हाए क्या मस्त चूत है. लड़का होती तो खूब चोदती." 

"ओह्ह्ह रीता अब चॅटो भी. तुम्हारे पापा तो आज चोदेन्गे ही. अपनी तरह 
मेरी चूत भी चिकनी कर दो." 

मुझ पर जवानी का भूत सवार हो चुक्का था. रीता फ़ौरन मेरी फैली 
रानो के बीच लेट हाथ को ऊपर कर मेरी तनी-तनी चूचियों पर 
पैर दबाती अपनी गरम जीभ को मेरी कुँवारी चूत की चिकनी दरार 
मे चलाने लगी. मैं इस मज़े को पा सारी दुनिया को भूल गयी. उसकी 
गरम जीभ मेरी चूत को नशे से भर रही थी. चूत और चूचियों 
का मज़ा एक साथ मिल रहा था. मैं चूतड़ को उचका-उचका कर चटा रही 
थी. रीता मेरी चूचियों को कसकर दबा कर मज़े के बारे मे पूछती 
तो मैं कहती हाए रीता और चॅटो. तो वह फिर चाटने लगती.
 
रीता का कहना सही था. चूत चटवाने वाला मज़ा तो कभी नही मिला 
था. वह जीभ को अंदर तक पेल कर चाट रही थी. मेरी भी झड़ने 
वाली थी और 1 मिनिट बाद जो फल्ल से पानी उसके मुँह पर फेंका तो 
रीता बोली, 

"निकाल दो पानी, बड़ा मज़ेदार है तेरा पानी नमकीन- नमकीन." और वह 
मेरी चूत को चाटती रही. पहली-पहली बार मज़ा पाकर मेरी चूत 
झड़ी थी. चूत और राने लसलसा गयी थी. रीता की चूत से गाढ़ा 
पानी निकला था पर मेरी चूत से पतला. रीता ने टवल मुझे देते कहा, 

"लो पोछ लो. जानती हो पापा पहले लड़कियों की चूत को इसी तरह गीला 
करते है फिर गीली चूत को चोद्ते हैं. पापा चुदवाने वाली लड़कियों 
से ही अपने लंड पर तेल लगवाते हैं. पापा कहते हैं तुम जितनी भी 
सयानी सहेलियों को लाओगी, सबको बारी-बारी से चोद्कर मज़ा देंगे. पापा 
ने बताया है कि 14 से 17 साल की लड़कियों को चुदवाने मे बहुत मज़ा 
आता है. पापा कहते हैं कि हर बाप को अपनी बेटी की चूत को शादी 
से पहले चोदना चाहिए जिससे ससुराल जाने पर उसे परेशानी ना हो." 
मैं अभी मस्त थी. झाड़ चुकी थी. टवल से चूत पोछ बोली, 

"रीता क्रीम दो मैं भी सॉफ कर के चिकनी कर लूँ." 

"ओह पापा को आने दो, हो सकता है तुम्हारी अपने हाथ से सॉफ करके चोदे." 

"तुम्हारी चूत कोपापा ने साफ करके चोदा था?" 

"हां पापा ने मेरी चूत को अपने हाथ से चिकनी करके चोदा था. तुम भी अपने 
पापा को फँसाओ. मेरे पापा कुच्छ दिनो मे तुम्हारी भी बड़ी कर देंगे." 

"कितनी देर मे आएँगे तुम्हारे पापा." 

"बस आते ही होंगे. तुम ज़रा मेरी चूत सहलाओ." उसने अपनी मोटी-मोटी 
राने खोली तो मैं रीता की चूत देख निहाल हो गयी. उसकी पूरी 
औरत की तरह बड़ी हो गयी थी. फाँक खुले थे. मैं एक हाथ से 
रीता की चूत सहलाते हुवे उसकी चूची को दूसरे हाथ से पकड़ बोली, 

"ईस्को भी?" 

"हां." मैं उसकी चूत और चूची सहला रही थी. सहेली के नंगे 
बदन से लड़के की तरह खेलते अनोखा मज़ा आ रहा था. धीरे-धीरे 
मेरी उंगली उसकी चूत मे घुसती जा रही थी. वह टाँग फैलाए बेड 
पर लेटी थी. मैने उससे कहा, 

"रीता अपने पापा को कैसे फँसाऊं कोई रास्ता बताओ."
 
"पहले तो किसी तरह से अपने पापा का लंड देखो. कितना लंबा और मोटा 
है. फिर मैं तरीका बताउन्गि. अगर तुमको शरम लगे तो बताना मैं 
खुद चलकर तुम्हारे पापा को फसाउन्गि. अभी तुम नादान हो." फिर हम 
दोनो आपस मे मज़ा लेते रहे. 30-40 मिनिट बाद रीता मेरे गाल 
सहलाते हुए बोली, 

"अब पापा आते ही होंगे, चलो तैय्यार हो जाओ." फिर हम दोनो बाथरूम 
मे जा पेशाब करने लगे. हम दोनो एक दूसरे की चूत से गिरते पेशाब 
को देखते रहे तो रीता ने कहा, 

"पापा चोदेन्गे तो थोडा दर्द होगा. घबराना नही, पहली बार दर्द होता 
है फिर मज़ा आने लगता है." 

"खून भी निकलेगा क्या रीता, सुना है पहली बार मे खून भी 
निकलता है." 

"ईसीलिए तो तुम्हारी चूत को उंगली से नही चोदा. जब पापा अपने लंड से 
तुम्हारा खून निकालेंगे तो तुम दोनो को खूब मज़ा आएगा." 

"रीता मुझे तो चुदवाना आता नही है." 

"जब पापा मुझे चोदे तो पास बैठकर ध्यान से देखना. वैसे पापा 
तुमको सिखा देंगे. एक बार मे मज़ा ना आए या मंन ना भरे तो 
बताना पापा से फिर चुदवा दूँगी." फिर हम्दोनो मूत्कर कमरे मे आए 
और जब मैं कप'डे पहन'ने लगी तो रीता बोली, 

"क्या फायेदा. पापा बिना नंगी किए चोद्ते नही हैं. बस शरमाना नही. 
जैसे कहे वैसे करना." फिर मुझे नंगी ही एक कुर्सी पर बिठा मेरे 
हाथ को मेरी चूत पर रखकर कहा, 

"चूत को छुपा लो, जब पापा कहे तभी दिखाना." रीता की हर्कतो से 
बहाल हो चुकी थी. नंगी होकर गदराई चूत को हाथ से ढॅक कर 
बैंठी थी. चूचियाँ फदक रही थी. मैं आज बहुत मस्त थी. रात 
के 9 बज चुके थे और हम्दोनो एकदम रेडी थे. रीता की चूत चिकनी 
थी पर उसके पापा ने चोद्कर फैला दिया था. तभी उसके पापा रोज़ की 
तरह मज़ा लेने की नियत से नीचे से तैय्यार हो लूँगी पहन कर ऊपर आए. 
वो जानते थे कि रीता ऊपर कमरे मे होगी ही. आहट पाने पर रीता 
मेरी लेफ्ट चूची को मसल्ति बोली, 

"पापा आ रहे हैं." और खुद नंगी ही दरवाज़े से बाहर निकल गयी. 
ईस बात से मेरा नंगा बदन सनसना गया . चूत की फाँक खुलने 
लगी. रीता के पापा के साथ आने वाले मज़े की बात सोच पूरा बदन 
सनसना गया . मैं चूत को हाथ से ढके कुर्सी पर बैठी रही.
 
तभी रीता अपने पापा के साथ कमरे मे आई. जिस तरह दोनो अंदर 
आए थे, उसे देख और भी मस्त हुई. सहेली के पापा रीता की पीठ के 
पीछे से लेफ्ट हॅंड डाले उसकी लेफ्ट चूची को पकड़े थे और रीता 
राइट हॅंड से अपने पापा का लंड पकड़ लूँगी से बाहर किए. लंड अभी 
पूरी तरह खड़ा नही था. दोनो को इस तरह देख तो कोई 60 साल की 
भी चुदवाने को मचल जाती, मैं तो फिर 16 साल की थी. देखते ही 
मस्ती जवान हुई और चूत मे लहर उठने लगी. चूचियाँ गुदगुदा 
उठी. लंड पहली बार देख रही थी. रीता अपने पापा के लंड को पकड़े 
थी इसलिए केवल आगे का सूपड़ा ही दिख रहा था. मुझे नशा सा हो 
गया और रीता की तरह मैं भी लंड पकड़ने को बेताब हुई. मेरी ओर 
उंगली से इशारा करती रीता बोली, 

"पापा यह मेरी सहेली है." 
क्रमशः...............
 
गतान्क से आगे......... 

रीता के चोदु पापा मेरी तनी-तनी कुँवारी 
चूचियों को देखकर मस्ती से भरे और उनका लंड तनाव लेने लगा. 
अपनी लड़की की नंगी चूची को एक हाथ से दबाए वह मेरी ओर बड़ी 
मस्त नज़रो से देख रहे थे. मैं भी उनको अपनी लड़की की नंगी चूची 
को दबाते हुवे हाथ मे लंड थमाए देखकर बुरी तरह से बेचैन 
हो गयी थी. वो उसी तरह मेरी दोनो चूचियों को घूरते मेरी कुर्सी 
के पास आए. कमरे मे बहुत उजाला था इसलिए सब साफ-साफ दिख 
रहा था. मेरे बदन की झुनझुनी रीता के मुठ्ठी के लंड को देख तेज़ 
हो गयी. पहले जो सिक्युडा था अब काफ़ी खड़ा हो गया था. मेरे पास आ 
मुझे देखते हुए रीता से बोले, 

" बेटी तुम्हारी पक्की सहेली है?" 

"हाँ पापा इसी की बात तो आपसे कर रही थी. पापा इसे भी मेरी तरह 
जवान कर दीजिए ना?" रीता ने बड़े प्यार से अपने पापा के लंड को 
छ्चोड़ अपना हाथ मेरी चूचियों पर हाथ लगाया. अब मैं उसके बाप के लंड को 
आँखे नीची कर देख रही थी. वह बहुत मोटा लंबा नही था पर 
हमलोगो के लिए एकदम सही साइज़ का था. सूपड़ा लाल था. मैं रीता की 
बात सुन थोड़ा शरमाई तो उसके पापा ने मेरी एक चूची पर हाथ लगा 
पूचछा, 

"चुदी नही हो क्या बेटी?" सहेली के पापा के हाथ मे करेंट था. 
मैं सनसना उठी. चूत ने फल्ल से पानी बाहर फेंका और चूचियाँ 
मचल उठी. पापा ने नीचे से चूची पर हाथ लगाया था. मेरी 
चूची पर हाथ लगाने से उनका लंड और भी खड़ा हुवा. मेरी चूत 
रीता के पापा की च्छेड़च्छाद से मस्ती से भरने लगी. मैं चूत को 
हाथ से च्छुपाए थी. उनके सवाल पर शर्मा गयी तो रीता मेरे गाल 
को हाथ से सहलाकर बोली, 

"बताओ ना पापा को शरमाती क्यों हो?" 

"बोलो बेटी चुदी हो या नही?" रीता के पापा ने पूरी चूची को पकड़ 
फिर पूछा तो मैं शरमाती हुई कुर्सी से लगकर धीरे से बोली, 

"जी अभी नही." 

"रीता से कम उमर की हो?" और चूची को धीरे से दबाया तो मेरी 
जवानी दीवानी हो गयी. रीता के पापा से चूची डबवाने मे अनोखा 
मज़ा आया. चूत की धड़कन तेज़ हुई और अपने लंड को मेरे सामने कर 
कुर्सी पर बैठे ही मेरी दोनो चूचियों को एक साथ मसल्ते हुवे पूचछा, 

"बताओ रीता के बराबर की हो?"
 
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