hindi kahani तरक्की का सफ़र - Page 4 - SexBaba
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hindi kahani तरक्की का सफ़र

“अगर हम दोनों ना करें और यहीं से घर वापस चले जायें तो? अंजू ने पूछा।” 

“अगर तुम तैयार नहीं हो और घर वापस जाना चाहती हो तो जा सकती हो, मैं जिद नहीं कर सकती। लेकिन मैं तीन कारण बता सकती हूँ जिससे तुम ये सब करने के लिये तैयार हो जाओगी... मैंने कहा।”

“मैंने चालू रहते हुए कहा... पहला कारण तो ये है कि तुम अपने पिताजी को जल्दी वापस लौटने का क्या कारण बताओगी। दूसरा अगर तुम गर्भवती हो गयी तो मैं ही तुम दोनों को उस परेशानी से बचा सकती हूँ, और तीसरा, क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारे भैया को सबक सिखाना चाहिये। तुम दोनों की चूत चुद चुकी है और दो चार और लंड लेने से कोई फ़रक नहीं पड़ने वाला, मैंने कहा, ठंडे दिमाग से सोच लेना और मुझे अपना फैसला सुना देना।”

“क्या राम और श्याम को मालूम है कि अपने अपना बदला लेने के लिये हमें मोहरा बनाया है? अंजू ने पूछा।”

“नहीं! उन्हें नहीं पता है! सिर्फ़ हम लोगों को पता है, यहाँ तक कि तुम्हारे भैया को भी नहीं.... मैंने जवाब दिया।”

“घूमने जाने से पहले मंजू ने कहा, भाभी हम तैयार हैं! जैसा आप बोलेंगी, हम करेंगे।”

“अच्छा है! अब राम और श्याम से दिल खोलकर मज़ा लो, तुम लोग दोबारा गर्भवती नहीं हो सकती... मैंने हँसते हुए जवाब दिया।”

“कार में बैठते वक्त राम ने कहा, दीदी! गाड़ी आप चलाइये, हम चारों पीछे की सीट पर बैठ जायेंगे।”

“जब कार हाईवे पर पहुँची तो मैंने अंजू को बोलते हुए सुना, नहीं राम! मैं तुम्हारा लंड अपने मुँह में नहीं ले सकती... ”

“क्यों नहीं ले सकती? जब तुम्हें चुदवाना था तो तुमने मेरा लंड चूस कर खड़ा किया नहीं था क्या? राम ने जवाब दिया।”

“नहीं हमने तुम लोगों का लौड़ा नहीं चूसा... मंजू बोली।”

“अगर यकीन नहीं आता तो अपनी भाभी से पूछ लो... श्याम बोला।”

“भाभी!!! इनसे कहिये ना कि हम लोगों ने इनका लंड नहीं चूसा था... अंजू गिड़गिड़ायी।”

“मगर ये सच है कि तुम दोनों ने इनके लंड को जोर-जोर से चूसा था और तुम्हें मज़ा भी आया था। मैंने हँसते हुए जवाब दिया।”

“अब इसे चूसो मेरी जान!!! कहकर राम ने अपना लंड अंजू के मुँह में दे दिया।”

“थोड़ी देर बाद मुझे पीछे से चपर-चपर की आवाजें सुनाई दीं। मैंने रियरव्यू मिरर में देखा कि दोनों लड़कियाँ जोर-जोर से उनके लौड़े को चूस रही थी।”

“ओहहह अच्छा लग रहा है, अंजू ज़रा जोर से चूसो राम ने सिसकरी भरते हुए कहा।” 

“ऐसे लगता है मंजू कि तुमने तो लौड़ा चूसने के लिये ही जन्म लिया है! कितने अच्छे तरीके से चूस रही हो, हाँआआआ और जोर से चूसो... कहकर श्याम ने अपना लंड और अंदर घुसेड़ दिया।”

“थोड़ी देर में दोनों ने अपना वीर्य उनके मुँह में छोड़ दिया और दोनों गटक कर उनका पानी पी गयी।”

“जब हम शाम को घर पहुँचे तो मैंने उन चारों को कमरे में अकेला छोड़ दिया। पूरी रात चारों चुदाई करते रहे, उनके सिसकने की, चिल्लाने की अवाज़ें आती रही।”

“एक बात कहूँ राज! तुम्हारी बहनें भी तुम्हारी तरह एक दम गरम हैं। जब तक वहाँ रहीं... मेरे भाइयों की हालत खराब कर दी। हम लोगों के जाने के बाद राहत की साँस ली होगी उन्होंने।”

“फिर हम लोग यहाँ चले आये और अगे की कहानी तुम्हें मालूम ही है।” ये कहकर प्रीती ने अपनी कहानी खत्म करी।

!!! क्रमशः !!!
 
प्रीती की कहानी सुनने के बाद मुझे सही में लगा कि जो कुछ मैंने किया वो गलत किया था। खैर जो होना था सो हो गया, अब वो बदला नहीं जा सकता था। मैंने प्रीती से कहा, “प्रीती! मैंने कुछ दिन बाद ही तुमसे माफ़ी माँग ली थी, उसके बाद भी मैं कई बार तुमसे माफ़ी माँग चुका हूँ, पर तुमने मेरी एक नहीं सुनी। आज फिर मैं दिल से तुमसे माफ़ी माँग रहा हूँ, मुझे माफ़ कर दो।”

“हाँ मुझे मालूम है, और मैं तुम्हें उस दिन भी माफ़ कर सकती थी, पर मैं तुम्हें एक सबक सिखाना चाहती थी। आज वो पूरा हो गया”, प्रीती ने जवाब देते हुए कहा, “राज मैं एक शर्त पर ही तुम्हें माफ़ करूँगी! अगर तुम मुझे एम-डी और महेश से बदला लेने में मेरी मदद करोगे?”

“मेरा वादा है तुमसे! मैं तुम्हारी पूरी मदद करूँगा।” मैंने जवाब दिया। “अब अंजू और मंजू के बारे में क्या करना है? अगर ये दोनों प्रेगनेंट हो गयी तो?”

“इसके बारे में मैंने सोच लिया है, सुबह मैं दोनों को डॉक्टर के पास ले गयी थी, इतनी जल्दी तो कुछ पता नहीं चलेगा किंतु भविष्य के लिये उसने बर्थ कंट्रोल पिल्स दे दी हैं”, प्रीती ने जवाब दिया।

“लेकिन अब इन दोनों का यहाँ क्या काम है, क्या तुम्हारा इनसे मक्सद पूरा नहीं हुआ?” मैंने पूछा।

“भाभी का हो गया होगा पर हमारा नहीं! अभी हम कुछ दिन और यहाँ रुकना चाहते हैं और खूब चुदाई करना चाहते है, क्यों भाभी ठीक है ना?” अंजू ने प्रीती से पूछा।

“क्या तुम लोग भी यहाँ रहकर वेश्या बनना चाहती हो? तुम लोगों का दिमाग खराब हो गया है?” मैंने थोड़ा झल्लाते हुए कहा।

“हाँ भैया! हम लोग पागल हो गये हैं, और एम-डी और उसके दोस्तों से चुदवा कर उनको पागल कर देंगे, जिन्होंने भाभी को उन सबसे चुदवाने पर मजबूर कर दिया था, और साथ ही साथ पैसा भी कमाना चाहते हैं,” मंजू ने कहा। 

“पर मैंने तो प्रीती से नहीं कहा था उन लोगों से चुदवाने को!” मैं थोड़ा गुस्से में बोला।

“नहीं भैया! आप गलत हो, जिस दिन आपने एम-डी और महेश को भाभी को चोदने दिया उसी दिन आपने भाभी को दूसरों से चुदवाने के लिये मजबूर कर दिया था”, अंजू ने कहा।

“हाँ भैया और हमारी शादी से पहले चुदाई भी आपके कारण ही हुई है”, मंजू ने कहा।

“पर ये मैंने नहीं, तुम्हारी भाभी ने किया है”, मैंने रोते हुए कहा।

“अगर आपने प्रीती भाभी के साथ ये सब ना किया होता तो ये हमारे साथ इस तरह ना करती”, अंजू बोली।

“प्रीती! तुम ही इन्हें समझाओ ना कि तुम्हारा बदला पूरा हो चुका है”, मैंने मिन्नत करते हुए कहा।

“करने दो इन दोनों को, इन्हें कोई तकलीफ़ नहीं होगी... मैं हमेशा साथ रहुँगी। आओ पहले मैं तुम्हें इन दोनों की कुँवारी चूत के फटने की कुछ तसवीरें दिखाती हूँ”, प्रीती ने पर्स में से तसवीरें निकालते हुए कहा।

“भाभी! आप ने हम लोगों की तसवीरें कब निकाली?” अंजू ने पूछा।

“भाभी आप बड़ी बदमाश हो, आपको ऐसा नहीं करना चाहिये था”, मंजू बोली।

उनकी अलग-अलग रूप में चुदाई की तसवीरें देख कर मैं पागल सा हो गया, “बस अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं होता”, कहकर मैंने वो तसवीरें फेंक दीं।

“चलो लड़कियों! अब नहा धो कर तैयार हो जाओ, तब तक मैं फोन करके पास के होटल से खाना मंगवा लेती हूँ, आज मैंने बहुत पी ली है... खाना बनाने की हिम्मत नहीं है मुझमें”, प्रीती ने उन दोनों से कहा।

खाना खाते समय हम लोग बातें कर रहे थे कि प्रीती बोली, “चलो अब तुम लोग भी सोने जाओ और मैं भी सोने जा रही हूँ।”

“इतनी जल्दी भाभी? अभी तो बहुत वक्त पड़ा है,” अंजू बोली। 

“हाँ इतनी जल्दी! क्योंकि आज मैं तुम्हारे भैया के लंड की एक-एक बूँद अपनी चूत में ले लूँगी। कई दिन हो गये हैं तुम्हारे भैया के मोटे लंड से नहीं चुदवाया है...” कहकर प्रीती मुझे घसीट कर बेडरूम में ले आयी।

रात भर हम जमकर चुदाई करते रहे। प्रीती ने मुझे एक पल भी साँस नहीं लेने दी।

अगले दिन मैं जब ऑफिस पहुँचा तो महेश मुझे एक नये केबिन की और ले गया। दरवाजे पर नेम प्लेट लगी थी, राज अग्रवाल {फायनेंस और अकाऊँट्स मैनेजर}। “थैंक यू सर”, मैंने खुश होते हुए कहा।

“मुझे नहीं! अपने एम-डी साहिब को थैंक यू बोलो, उन्होंने रातों रात इसे तैयार करवाया है, जाओ अब मजे लो... स्पेशियली इस नये सोफ़े का। तुम्हारी तीनों एसिस्टेंट्स इंतज़ार कर रही हैं...” महेश हँसते हुए बोला।

नया केबिन पहले केबिन से बड़ा था और उसकी खासियत यह थी कि उसमें सोफ़ा-कम-बेड भी था। अपनी तीनों एसिस्टेंट्स को बुला कर मैंने नये सोफ़े पर चुदाई का आनंद लिया। 

शनिवार को महेश ने मुझे होटल शेराटन के सूईट में पहुँचने को कहा। शाम को मैंने प्रीती को बताया, तो उसने कहा, “तुम्हारा सही इनाम मिलने का वक्त आ गया है, शायद कोई बिना चुदी चूत हो...”
 
“तुम्हें जैसे करना है, वैसे करना, मुझे अपने तरीके से करने दो”, मैंने जवाब दिया। रेहाना मेरी और देख कर मुस्कुरा दी। उसकी आँखें नशे में बोझल थीं। मैंने अपने लंड और उसकी गाँड को चिकना कर अपने लंड को गाँड के छेद पर रख कर थोड़ा अंदर घुसाया।

“ऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईई प्लीज़ सर!!! रुक जाइये, बहुत दर्द हो रहा है, मैं मर जाऊँगी”, रेहाना दर्द से चिल्लायी।

“राज रुकना नहीं! और जोर से डालो”, एम-डी ने कहा। मैंने अपने लंड को और अंदर घुसाया।

“ऊऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईईईईईई....... अल्लाहहहहह मर गयीईईईई...” रेहाना जोर से चींखी।

मैंने रेहाना की गाँड में धक्के लगाते हुए महेश से कहा, “अब तुम अपना लंड रेहाना के मुँह में दे दो।”

मैं ऊपर से गाँड मर रहा था और एम-डी नीचे से धक्के लगा कर उसकी चूत को चोद रहा था। रेहाना जोर-जोर से महेश के लंड को चूस रही थी। करीब पाँच मिनट के बाद हमारे तीनों के लंड ने रेहाना के तीनों छेद मैं पानी छोड़ दिया। 

“नसरीन!! अब तुम्हारी बारी है”, महेश ने कहा।

“ठीक है सर! राज सर का लंड अपनी गाँड में लेकर मुझे खुशी होगी”, नसरीन ने जवाब दिया, “लेकिन सर इजाज़त हो तो पहले मैं अपनी डोज़ ले लूँ?”

“जरूर....” लेकिन जल्दी एम-डी ने कहा।

मुझे कनफ्यूज़्ड देख कर महेश ने बाताया कि नसरीन चुदाई के समय ड्रग्स लेती है और फिर बहुत मस्त हो कर चुदवाती है। मैंने देखा कि नसरीन ने अपने पर्स में से एक पैकेट निकाला और एक सफ़ेद से पाऊडर की मेज पर धारी सी बना दी और फिर एक सौ रुपये के नोट को रोल करके उसके द्वारा वो पाऊडर अपनी नाक में खींचने लगी।

“चलिये सर... अब मैं तैयार हुँ, चुदाई के लिये...” नसरीन अपना बाकी का पैग गटकते हुए बोली। उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी और उसकी आँखों की पुतलियाँ फैली हुई थीं।

इस बार महेश बिस्तर पर लेट गया और नसरीन उसके लंड को अपनी चूत में लेकर उस पर लेट गयी। एम-डी ने अपना लंड उसके मुँह में दिया। मैंने ऊपर आकर उसकी गाँड में एक ही धक्के में पूरा लंड पेल दिया।

हम तीनों जोर-जोर के धक्के लगाते हुए उसे चोद रहे थे। नसरीन की गाँड रेहाना की गाँड से कसी थी इसलिये मुझे और मज़ा आ रहा था। नसरीन की सिसकरियाँ भी तेज थी।

हम तीनों ने जम-जम कर धक्के मारते हुए अपना अपना पानी छोड़ दिया। थोड़ी देर बाद एम-डी ने कहा, “राज तुम मज़े लो, हम लोग जाते हैं, देर हो रही है।”

उनके जाने के बाद मैंने एक-एक बार और उन दोनों की चुदाई की और रात के दो बजे घर पहुँचा। 

मैं दूसरे दिन ऑफिस पहुँचा तो मुझे सभी महिला एम्पलोयिज़ की लिस्ट मिल गयी। उनका नाम, उम्र, किस डिपार्टमेंट में काम करती है और कितने साल से। उस दिन के बाद मैं एक-एक करके उनको अपने केबिन में बुला कर उन्हें चोदने लगा।

थोड़े ही दिन में ये बात आग की तरह फ़ैल गयी कि मेरा लंड महेश के लंड से मोटा है।

थोड़े दिन बाद पिताजी की चिट्ठी आयी कि मैं अंजू और मंजू को वापस भेज दूँ। मैंने उन दोनों की टिकट करा दी। जिस दिन वो जा रही थीं, मैंने उनसे कहा, “तुम दोनों वादा करो कि यहाँ से जाने के बाद ये सब छोड़ दोगी?”

“भैया! हम आपसे वादा करते हैं कि अब शादी से पहले किसी से नहीं चुदवायेंगे”, मंजू ने कहा।

उन दोनों को ट्रेन में बिठा कर मैं घर पहुँचा तो प्रीती ने कहा, “राज अब अंजू और मंजू यहाँ से जा चुकी हैं तो क्यों ना हम एम-डी और महेश से अपना बदला लेने का प्लैन बनायें।”

“तुम क्या करना चाहती हो?” मैंने पूछा।

“सबसे पहले मैं उनके बारे में सब कुछ जानना चाहुँगी”, प्रीती ने कहा।

“तुम उन दोनों से इतनी बार चुदवा चुकी हो, और क्या जानना चहोगी?” मैंने कहा।

“मजाक मत करो, मैं उनकी हर बात जानना चाहती हूँ, जिससे उनकी कमजोरियों का पता चल सके, राज! तुम जितना भी जानते हो मुझे बताओ”, प्रीती बोली।

“महेश के बारे में इतना नहीं जानता। पर हाँ एम-डी, मिसेज योगिता के साथ उनके ही बंगले पर रहते हैं, उनकी बीवी का नाम मिली है और उनकी दो बेटियाँ हैं”, मैंने जवाब दिया।

“दो बेटियाँ!” प्रीती के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

“मैं जानता हूँ तुम क्या सोच रही हो पर अभी वो छोटी हैं”, मैंने कहा।

“राज! तुम मिस्टर रजनीश, तुम्हारे एक्स एम-डी के परिवार के बारे में क्या जानते हो?” प्रीती ने पूछा।

“यही कि उनकी विधवा मिसेज योगिता, और उनकी लड़की रजनी साथ में रहती हैं। एम-डी रजनी को अपनी बेटियों से भी ज्यादा प्यार करता है”, मैंने जवाब दिया।

“तुम्हें ये कैसे मालूम?” उसने पूछा।

“मुझे रजनी ने बताया था, उसने छुट्टियों में कुछ दिन कंपनी में काम किया था।” मैंने जवाब दिया।

“क्या तुमने रजनी को चोदा है? मुझे सच- सच बताना”, उसने पूछा।
 
कुछ देर सोचते रहने के बाद मैंने सच बताते हुए कहा, “हाँ! मैंने उसे चोदा है पर वो हमारी शादी के पहले की बात है।”

“उस समय वो कुँवारी थी! है ना? क्या उसके बाद तुमने उसे चोदा है?” प्रीती ने फिर पूछा।

“नहीं प्रीती! कसम ले लो, मैंने उसके बाद उसे एक बार ही मिला हूँ, वो भी पार्टी में तुम्हारे साथ”, मैंने जवाब दिया।

“राज मैं जानती हूँ तुम सच बोल रहे हो! जब तुम झूठ बोलते हो तो तुम्हारे चेहरे से पता चल जाता है। रजनी तुम्हें प्यार करती है, मैंने उसकी आँखों में तुम्हारे लिये प्यार देखा है, क्या तुम जानते हो?” प्रीती ने कहा।

“मुझे भी ऐसा कई बार लगा है”, मैंने जवाब दिया।

“क्या पता तुम्हें फिर रजनी को चोदना पड़े”, प्रीती ने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा, “फिलहाल तो रजनी को भूल जाओ, वो यहाँ नहीं है! पर मैं तो हूँ, राज! मुझे चोदो और इतना चोदो कि मेरी चूत माफी माँगने लगे।”

मैं उसे बाँहों में भर कर बेडरूम में ले गया और पूरी रात उसे कस-कस कर चोदता रहा। 

दूसरे दिन से प्रीती एम-डी और महेश के घर जाने लगी। वो बराबर उनसे और उनके परिवार से मिलने लगी। अब वो उनके परिवार की एक सदस्या जैसे हो गयी थी। एक दिन मैंने उससे पूछा, “क्या पता लगाया तुमने इतने दिनों में?”

“कुछ खास नहीं, महेश के दो बच्चे हैं! एक लड़की मीना २२ साल की... जो अपना ग्रैजुयेशन कर रही है और एक लड़का अमित १६ का। लगता है महेश घर से ज्यादा बाहर चुदाई करता है, प्रीती ने हँसते हुए कहा, मीना और मैं अच्छे दोस्त बन गये हैं।”

“एम-डी के बारे में क्या पता लगा?” मैंने पूछा।

“वहाँ भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। मिसेज योगिता और मिसेज मिली, अच्छी सहेलियाँ हैं, और हाँ तुमने सच कहा था! उनकी बेटियाँ छोटी हैं। हाँ! रजनी और मैं अच्छे दोस्त बन गये हैं। मैंने हार नहीं मानी है, एक दिन भगवान हमारी मदद जरूर करेगा।”

करीब तीन महीने बाद मुझे पिताजी की चिट्ठी मिली कि अंजू और मंजू की शादी पक्की हो गयी। करीब के गाँव के जमीनदार के लड़कों के साथ। हम दोनों को शादी में बुलाया था।

मैं और प्रीती हमारे घर शादी अटेंड करने पहुँचे। देखा अंजू और मंजू बहुत खुश थीं। शादी के दिन जब हम अकेले में मिले तो प्रीती ने उनसे पूछा, “तुम दोनों को कोई शिकायत तो नहीं है?”

अंजू ने मंजू की तरफ देख कर कहा, “सिर्फ़ एक!”

“और वो क्या है?” प्रीती ने पूछा। 

“हम इतने दिन वहाँ रहे पर भैया को हम इतने सुंदर नहीं दिखे कि वो हमें चोद सके”, अंजू ने कहा।

“अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, तुम भी यहीं हो और तुम्हारे भैया भी! जाओ और चुदवा लो उनसे, मैं बुरा नहीं मानुँगी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।

“प्रीती! अपनी सीमा में रहो”, मैंने अपनी बहनों को बाँहों में भरते हुए कहा, “ऐसी बात नहीं है पगली, जब तुम दोनों का नंगा बदन देखा तो मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था, अगर तुम दोनों मेरी बहनें ना होती तो उसी समय तुम दोनों को चोद देता।”

“मैं भी इस चीज़ को मानती हूँ, रिश्तों की कदर करनी चाहिये”, प्रीती बीच में बोली, “अब तुम दोनों को अपनी सुहागरात का इंतज़ार होगा?”

“हाँ भाभी, तीन महीने हो गये चुदवाये, अँगुली से अपनी चूत चोद-चोद कर देखो हमारी अँगुली भी घिस कर एक इंच छोटी हो गयी है”, मंजू ने अपनी अँगुली दिखाते हुए कहा।

“मैं तो यही प्रार्थना करती हूँ कि सब अच्छी तरह से हो जाये, हमारे पतियों को ये ना पता चले कि हमारी चूत कुँवारी नहीं है”, अंजू थोड़ा सिरियस होते हुए बोली।

“घबराओ मत! सब ठीक होगा”, प्रीती ने उन्हें सांतवना दी।

शादी के बाद हम लोग वापस लौट आये। प्रीती बराबर एम-डी और महेश के घर जाती रही। हमारी चुदाई वैसे ही चल रही थी। मैं ऑफिस में लड़कियों को चोदता और प्रीती को घर पर। प्रीती भी घर पर मुझसे चुदवाती और क्लब में दूसरों से। वो चाहे एम-डी और महेश से कितनी भी गुस्सा हो पर मुझे लगने लगा था कि प्रीती को यह शबाब-शराब से भरपूर ऐय्याश लाइफ स्टाईल रास आ गया था। उसकी चुदाई की आग पहले से बहुत बढ़ गयी थी। 

एक दिन मैं ऑफिस से घर लौटा तो देखा प्रीती एक खत फढ़ रही थी, और जोर-जोर से हँस रही थी।

“किसका खत है?” मैंने पूछा।

“लो तुम ही पढ़ के देख लो”, प्रीती ने मेरे हाथ में खत पकड़ा दिया।

मैंने खत लेके पढ़ा.............................

“हमारी प्यारी भाभी,

सॉरी हम दोनों आप को खत नहीं लिख पाये।

हम दोनों बहुत मज़े में हैं। हमारे पति बहुत ही अच्छे इनसान है। हर रात को हमारी जमकर चुदाई करते हैं। मैं शुरू से बताती हूँ।

हाँ हमारी सुहागरात की रात से! हमारे पतियों ने पहले किसी लड़की को चोदा नहीं था, इसलिये जल्दबाज़ी में उन्हें हमारे कुँवारे ना होने का पता नहीं चला। फिर भी हम उन्हें कहते रहे, जरा धीरे-धीरे करो, दर्द हो रहा है।

कुछ महीनों तक ऐसे ही चलता रहा। फिर हमें चुदाई में इतना मज़ा नहीं आता था, क्योंकि हमारे पति बहुत ही सीधे हैं। ना तो वो हमारी चूत चाटते हैं, ना ही हमे अपना लौड़ा चूसने देते हैं। गाँड मारने की बात तो जाने दो।

फिर हम दोनों ने मिलकर इसका उपाय निकाला। हम दोनों ने एक दूसरे के पति को पटाया और उनसे चुदवा लिया। फिर एक बार हमने नाटक करके एक दूसरे को दूसरे के पति के साथ पकड़ लिया। हमारे पति इतने सीधे हैं कि हमसे माफी माँगने लगे। हमने उन्हें माफ़ किया पर एक शर्त पर कि वो हमें साथ-साथ चोदेंगे।

अब हम चारों साथ में ही सोते हैं, जैसे राम और श्याम के साथ सोते थे। हमने उन्हें चूत चाटना भी सिखा दिया है और हम उनका लंड भी मज़े से चूसते हैं। हम चारों का आपके पास आने को बहुत मन कर रहा है।

और आपका क्या हल है? भैया को हमारा प्यार देना।

बाय-बाय!

आपकी रंडी ननदें, अंजू और मंजू।”

“थैंक गॉड! ये दोनों अपने जीवन में सैटल हो गयी”, मैंने खत पढ़कर कहा।

समय गुजरने लगा और प्रीती की एम-डी और महेश से बदला लेने की ख्वाहिश और ज्यादा तेज होने लगी। मैंने उसे सांतवना देते हुए कहा, “प्रीती हिम्मत रखो! कोई रास्ता जरूर निकल आयेगा।” मुझे क्या मालूम था कि रास्ता भविष्य में हमारा इंतज़ार कर रहा है।

एक दिन मैंने ऑफिस से लौट कर प्रीती को बताया कि महेश बरबाद हो गया है।
 
“मेरा प्लैन है कि एम-डी महेश की बेटी मीना को उसकी आँखों के सामने चोदें”, प्रीती ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा।

“क्या तुम्हें लगता है कि एम-डी अपने खास दोस्त की बेटी को चोदेगा?” मैंने कुछ सोचते हुए पूछा।

“एम-डी इतना हरामी है कि अगर मौका मिले तो वो अपनी बहन और बेटी को भी चोदने से बाज़ नहीं आयेगा, तुम इस बात की परवाह मत करो, सब मुझपर छोड़ दो”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।

“तुम मीना को कैसे तैयार करोगी?”

“कुछ महीने पहले की बात है, मैं मीना से उसके ग्रैजुयेशन के बाद मिली थी और पूछा था कि वो आगे क्या करना चाहती है। तब उसने ‘एम-ए करना है’, कहा था। लेकिन अब वो नौकरी ढूँढ रही है। उसने मुझे तुमसे बात करने के लिये भी कहा है। जबसे महेश ने अपना सब कुछ गंवा दिया है, वो नौकरी कर के पैसा कमाना चाहती है”, प्रीती ने जवाब दिया।

“इस बात को तुम महेश से कैसे छुपाओगी?”

“मुझे छुपाने की कोई जरूरत नहीं है, मीना ही इस बात को छुपाएगी। क्योंकि जब मैंने उस से कहा कि तुम खुद अपने पिताजी से बात क्यों नहीं करती तो उसने मुँह बनाते हुए कहा कि वो नहीं चाहते कि मैं नौकरी करूँ”, प्रीती ने हँसते हुए कहा। 

“लगता है तुमने काफी सोच कर ये प्लैन बनाया है, लेकिन तुम ऐसा क्या करोगी कि महेश अपनी बेटी को चुदवाते देखता रहे और कुछ ना कर पाये?” मैंने पूछा।

“उसी तरह जिस तरह तुम खड़े-खड़े अपनी बहनों को चुदवाते देखते रहे और कुछ नहीं कर पाये”, प्रीती ने जवाब दिया।

“ठीक है! फिर मीना का चुदाई दिवस कौन सा है?”

“पाँच दिन के बाद, इस महीने की १९ तारीख को”, उसने जवाब दिया।

“कुछ खास वजह ये दिन तय करने का?”

“हाँ मेरे राजा! वो दिन तुम्हारे एम-डी का जन्मदिन है और मीना की कुँवारी चूत एम-डी को महेश की तरफ से जन्मदिन का तोहफ़ा होगी”, प्रीती जोर से हँसते हुए बोली।

१९ तारीख की सुबह मुझे ऑफिस में प्रीती का फोन आया, “राज! तुम साढ़े तीन बजे तक घर पहुँच जाना। मैंने मीना को यहाँ बुलाया है, वो चाहती है कि हम उसके साथ एम-डी के सूईट में जायें। मैंने एम-डी को बोल दिया है कि हम चार बजे पहुँच जायेंगे इंटरव्यू के लिये।”

मैं ठीक साढ़े तीन घर पहुँचा तो प्रीती और मीना को कोक पीते हुए देखा। मीना को मुँह बनाते देख मैंने पूछा, “तुम क्या पी रही हो मीना?”

“मीना जब यहाँ आयी तो कुछ नर्वस लग रही थी, इसलिये मैंने इसे कोक पीने को दे दिया जिससे ये कुछ शाँत हो जाये और इंटरव्यू देने में आसानी हो”, प्रीती ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।

“तुमने ठीक किया, इससे जरूर आसानी हो जायेगी”, मैंने कहा।

“आपको ऐसा लगता है सर?” मीना ने पूछा। 

“अब हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है, मीना तुम अपना कोक फिनिश कर के चलने के लिये तैयार हो जाओ, हमें देर हो रही है?” प्रीती ने बात को बदलते हुए मीना से कहा।

जब हम ठीक चार बजे एम-डी के सूईट में दाखिल हुए तो उसे हमारा इंतज़ार करते पाया, “महेश कहाँ है?”

“महेश रास्ते में हैं और थोड़ी देर में यहाँ पहुँच जायेंगे, तब तक आपको इंटरव्यू स्टार्ट कर देना चाहिये।”

इतने में मीना ने अपना सिर पकड़ते हुए कहा, “प्रीती दीदी मुझे पता नहीं क्यों चक्कर आ रहे हैं।”

प्रीती ने एम-डी को आँख मारते हुए कहा, “सर! आप इसे सोफ़े पर क्यों नहीं लिटा देते।”

एम-डी ने मीना को कंधों से पकड़ कर सोफ़े पर लिटा दिया और उसके मम्मों को दबाने लगा। अब वो उसकी चूत कपड़ों के ऊपर से ही सहला रहा था। जब मीना को इस बात का एहसास हुआ तो एम-डी का हाथ झटकते हुए बोली, “सर ये आप क्या कर रहे हैं?”
 
“तेरी कुँवारी चूत का इंटरव्यू लेने की तैयारी कर रहे हैं!” प्रीती ने हँसते हुए कहा।

“तो क्या एम-डी मुझे चोदेंगे?” मीना ने घबराते हुए पूछा।

“हाँ मीना! पहले ये तेरी कुँवारी चूत चोदेंगे और बाद में तेरी गाँड मारेंगे”, प्रीती बोली।

“क्या ये सब जरूरी है?”

“हाँ मीना, एम-डी का इंटरव्यू लेने का यही तरीका है। अब ये तुम पर निर्भर करता है। अगर तुम्हें नौकरी चाहिये तो एम-डी से चुदवाना होगा, क्या तुम्हें नौकरी नहीं चाहिये?” प्रीती बोली।

“प्रीती दीदी! मुझे नौकरी की सख्त जरूरत है”, मीना अपनी चूत को सहलाते हुए बोली। कोक ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था।

“तो क्या तुम सहयोग देने को तैयार हो?” प्रीती ने पूछा। 

“हाँ दीदी! मैं वो सब करूँगी जो मुझसे करने को कहा जायेगा”, मीना खुले आम अपनी चूत खुजलाते हुए बोली।

“सर! आप मीना को बेडरूम में ले जाइये।” प्रीती ने एम-डी से कहा, “और हाँ सर! जरा संभल कर करना, ये मेरी छोटी बहन की तरह है।” एम-डी ने सिर हिलाया और मीना को बेडरूम में ले गया।

उनके जाते ही प्रीती मुझसे बोली, “राज! जल्दी से महेश को फोन करके बोलो कि वो दस मिनट में यहाँ पहुँच जाये नहीं तो बहुत देर हो जायेगी। मैं चाहती हूँ कि वो अपनी आँखों से एम-डी को मीना की कुँवारी चूत चोदते देखे।”

मैंने महेश को फोन लगाया, “सर! राज बोल रहा हूँ!”

“कहाँ हो तुम, मैं तुम्हें एक घंटे से ढूँढ रहा हूँ।”

मैंने उसकी बात काटते हुए कहा, “सर! मैं एम-डी के साथ उनके सूईट में हूँ। उनके साथ एक कुँवारी चूत भी है, आपको जल्दी से पहुँचने के लिये कहा है।”

“मुझे पहले क्यों नहीं बताया? एम-डी से कहना मैं दस मिनट में पहुँच जाऊँगा और मेरे आने से पहले वो शुरुआत ना करें”, कहकर महेश ने फोन पटक दिया।

“वो यहाँ दस मिनट में पहुँच जायेगा, और वो चाहता है कि एम-डी उसके आने से पहले शुरुआत नहीं करें”, मैंने कहा।

“ठीक है, आने दो उसे। आओ राज! हम देखते हैं कि एम-डी क्या कर रहा है”, प्रीती ने टीवी ऑन करते हुए कहा।

हमने टीवी पर देखा कि एम-डी मीना को नंगा कर चुका था और उसे बिस्तर पर लिटा कर उसकी छातियाँ चूस रहा था। “एम-डी ने अब तक उसकी चूत क्यों नहीं फाड़ी?” मैंने पूछा।

“पता नहीं क्यों? वरना तो उसे एक मिनट का भी सब्र नहीं है।”

अब एम-डी मीना की चूत चाट रहा था। उसकी दोनों टाँगें हव में उठी हुई थी, और उसकी चूत का छेद साफ दिखायी दे रहा था। इतने में महेश सूईट में दाखिल हुआ, “एम-डी कहाँ है?”

“लो तुम खुद अपनी आँखों से देख लो?” प्रीती ने टीवी की ओर इशारा करते हुए कहा। टीवी की और देखते हुए महेश ने कहा, “मैं सोच रहा हूँ कि मैं भी बेडरूम में चला जाऊँ।”

“नहीं महेश! तुम अंदर नहीं जा सकते, एम-डी बहुत नाराज़ थे तुम्हारे देर से आने पर, इसलिये खास तौर पर बोले कि जब तक मैं ना बोलूँ, कोई अंदर नहीं आयेगा। आओ यहाँ बैठो और व्हिस्की पियो”, प्रीती ने महेश को व्हिस्की का ग्लास पकड़ाते हुए कहा। हम दोनों तो पहले से ही व्हिस्की पी रहे थे।

“मेरा नसीब! राज तुमने मुझे पहले क्यों नहीं फोन किया?” महेश झल्लाते हुए बोला।

“सर! मुझे जैसे ही कहा गया, मैंने आपको फोन किया।”

“महेश वो देखो! इस लड़की की चूत का छेद कितना छोटा है!” प्रीती ने टीवी की और इशारा करते हुए कहा।

“हाँ काफी छोटा है, पर मैं जानता हूँ ये छेद ज्यादा देर तक छोटा नहीं रहेगा”, महेश ने हँसते हुए ग्लास में से बड़ा घूँट लिया।

एम-डी अब मीना के ऊपर लेटा हुआ था और उसकी कुँवारी चूत को फाड़ने को तैयार था। “तुम्हें थोड़ा दर्द होगा संभाल लोगी ना?” एम-डी की आवाज़ आयी।

“सर! प्लीज़ धीरे-धीरे करना, मेरी चूत अभी भी कुँवारी है”, मीना ने जवाब दिया। 

“ये... ये आवाज़...... ये आवाज़ किसकी है, मुझे कुछ जानी पहचानी लग रही है”, महेश सोफ़े पर से उछलते हुए बोला। टीवी पर अपनी नज़रें गड़ाते हुए वो जोर से चींखा, “ओह गॉड! ये तो मेरी बेटी मीना है, मुझे अभी और इसी वक्त एम-डी को रोकना होगा”, और एक ही साँस में अपना ग्लास खाली कर दिया। उसी वक्त एम-डी ने जोर से अपना लंड मीना की चूत में डाल दिया।
 
“ओहहहहहह माँ...आँ मर गयी, वो जोर से चिल्लायी, बहुत दर्द हो रहा सर।”

“क्या रोकोगे?” प्रीती जोर से हँसते हुए बोली, “एम-डी का लंड मीना की चूत में घुस चुका है। महेश, अब मीना कुँवारी नहीं रही, बेहतर होगा कि चुपचाप बैठ कर देखो और व्हिस्की पियो। अपना सब कुछ तो गंवा चुके हो... अब नौकरी से भी हाथ धो बैठोगे।” प्रिती ने कहते हुए उत्तेजना में अपना व्हिस्की का ग्लास एक साँस में पी लिया।

महेश सोफ़े पर ढेर होते हुए बोला, “हे भगवान! ये क्या हो गया! अब मैं क्या करूँ! ये कैसे हो गया।”

प्रीती मजे लेते हुए महेश को और जलाने लगी, “देखो महेश! कैसे एम-डी जोर-जोर से मीना की चूत में अपना लंड डाल रहा है। तुमने देखा राज! कैसे एम-डी ने मीना की कुँवारी चूत फाड़ दी? राज! महेश को एक ग्लास व्हिस्की का और बना के दो, लगता है इसे इसकी जरूरत है”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।

मैंने महेश को ग्लास बनाकर दिया। ग्लास लेते हुए महेश गुस्से में बोला, “साली कुत्तिया! मुझे मत सिखा कुँवारी चूत कैसे चोदी जाती है, मुझे मालूम है, पहले ये बता मीना यहाँ कैसे पहुँची।”

“अच्छा वो! मैं उसे नौकरी के लिये इंटरव्यू दिलवाने यहाँ लायी थी।”

“मगर एम-डी ने तो मीना को पहचान लिया होगा और उसके बावजूद एम-डी ने ये सब किया”, महेश थोड़ा शाँत होते हुए बोला।

“तो क्या हुआ? तुम्हें तो मालूम है कि हमारी कंपनी में नौकरी देने का रूल क्या है। मीना तुम्हारी बेटी है तो क्या एम-डी कंपनी के रुल बदल देते? माना एम-डी ने मीना को पहचान लिया था लेकिन कुँवारी चूत चोदने के खयाल ने ही उन्हें इतना बेचैन कर दिया कि वो तुम्हारे बिना ही शुरू हो गये”, प्रीती खिल खिलाते हुए बोली। वो शराब के नशे और खुशी से सातवें आसमान पर थी।

“ओह गॉड! मैं क्या करूँ? उसकी माँ को मैं क्या जवाब दूँगा?” महेश ने अपना सिर दोनों हाथों से पकड़ लिया।

“अब तुम्हें सब याद आ रहा है! जब तुम्हारा कोई अपना तुम्हारे इस गंदे खेल में फँस गया।”

“इसका मतलब तुमने ये सब जानबूझ कर किया?” महेश ने पूछा।

“हाँ! तुम क्या समझते हो?” प्रीती ने जवाब दिया।

“पर क्यों? प्रीती! मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था जो तुमने मुझे ऐसी सज़ा दी?” महेश की आँखों से आँसू बह रह थे।

“कितने हरामी आदमी हो तुम। कितनी जल्दी सब भूल जाते हो। क्या तुम्हें याद नहीं कि किस तरह तुमने मेरे पति को ब्लैकमेल किया, रिशवत का लालच दिया, जिससे तुम मुझे चोद सको? हाँ महेश! ये मेरा बदला था तुम्हारे साथ। तुम्हारी वजह से मैं एक पतिव्रता औरत से एक ऐय्याश, सिगरेट-शराब पीने वाली वेश्या बन गयी”, प्रीती ने जवाब दिया।

“हे भगवान! मैंने अपने आप को किस मुसीबत में फँसा लिया है।”

“महेश देखो! मीना के चूतड़ कैसे उछल-उछल कर साथ दे रहे हैं, लगता है उसे अपनी पहली चुदाई में कुछ ज्यादा ही मज़ा आ रहा है”, प्रीती ने टीवी की तरफ इशारा करते हुए कहा। बदले में महेश ने व्हिस्की की बॉटल उठा ली और नीट पे नीट पीने लगा।

“ओहहहहह सर! अच्छा लग रहा है”, मीना सिसकरी भर रही थी, “हाँ सर! ऐसे ही करते जाइये, और तेजी से ओहहहहहहह आआआहहहहहहह हाँ!!! और तेजी से सर!!!! मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है।”

“चूत में खुजली हो रही है? तुमने इस लड़की के साथ क्या किया?” महेश जोर से चिल्लाया।

“वही जो तुमने मेरे साथ किया था”, प्रीती ने जवाब दिया, “मैंने तुम्हारा वो स्पेशल दवाई मिला हुआ कोक इसे इतना पिला दिया है कि ये सारी रात दस-दस मर्दों से भी चुदवा लेगी तो इसकी चूत की खुजली नहीं मिटेगी।”

इससे पहले कि महेश कुछ कहता मीना जोर से चिल्लायी, “ओह सर!!!! जोर से, हाँ और जोर से हाँआंआंआंआं इसी तरह करते रहो...... ऊऊऊऊऊऊऊऊऊईई माँआंआंआं! हाँआंआं सर!!!! लगता है मेरा छूट रहा है।”

महेश ने दोनों हाथों से अपने कान बंद कर लिये। प्रीती जोरों से हँस रही थी। इतने में ही एम-डी भी चिल्लाया “हाआआआ ये ले.... और ले...” और अपना पानी मीना की कुँवारी चूत में छोड़ दिया। अब दोनों अपनी साँसें संभालने में लगे थे।

कमरे में एक दम खामोशी छायी हुई थी। महेश ड्रिंक पर ड्रिंक ले रहा था। प्रीती भी ड्रिंक पीते हुए ना जाने किस सोच में डूबी हुई थी कि इतने में एम-डी की आवाज़ सुनाई दी, “मीना! अब तुम घोड़ी बन जाओ! मैं तुम्हारी गाँड में अपना लंड डालुँगा।” मीना एम-डी की बात मानते हुए घोड़ी बन गयी।

महेश ने चौंक कर टीवी स्क्रीन की ओर देखा और जोर से चिल्लाया, “नहीं!!! अब ये उसकी गाँड भी मारेगा?”

“मीना तुम्हें पता है? महेश हमेशा मुझसे कहता था कि सर आपको कुँवारी गाँड मारना नहीं आता, आज मैं उसकी बेटी की कुँवारी गाँड मार कर सिखाऊँगा, क्या कहती हो?” कहकर एम-डी ने अपना खड़ा लंड उसकी गाँड के छेद पर रख दिया।

“आप जैसा कहें सर! मेरा जिस्म आपके हवाले है”, मीना ना जवाब दिया। 

“नहीं सर प्लीज़ नहीं! मेरी बेटी के साथ ऐसा ना करें... ओह राज! तुम कुछ करो ना प्लीज़!!” महेश मुझसे गिड़गिड़ाते हुए बोला।

“क्यों अब क्या हो गया? याद है, तुमने मुझे बताया था कि गाँड कैसे मारी जाती है। क्या तुम मेरी बहन मंजू को भूल गये..... जब उसने धीरे से डालने को कहा था! तब तुमने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी गाँड में डाल कर उसकी गाँड फाड़ दी थी। अब तुम्हारी बेटी की बारी आयी तो चिल्ला रहे हो।”

“राज तुम भी मेरे खिलाफ़ हो रहे हो?” महेश रोते हुए बोला।

उसी समय एम-डी ने जोर से अपना लंड मीना की गाँड में घुसा दिया और मीना के मुँह जोर से दर्द भरी चींख निकल गयी, “ऊऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईई माँ मर गयीईईईईई, निकालो अपना लौड़ा मेरी गाँड में से...... निकालो! मेरी गाँड फट रही है.... बहुत दर्द हो रहा है।”

उसकी चींखों की परवाह ना करते हुए एम-डी अब और तेजी से अपने लंड को उसकी गाँड के अंदर बाहर कर रहा था और मीना रो रही थी। “ओह गॉड! मेरी बच्ची”, महेश अब और तेजी से ड्रिंक कर रहा था।

मैं और प्रीती महेश को तड़पता हुआ देख रहे थे। उसी समय एम-डी नंगा ही कमरे में आ गया। प्रीती ने जल्दी से टीवी ऑफ कर दिया।

“गुड प्रीती, मज़ा आ गया!” उसने कहा और जब महेश को देखा तो बोला, “महेश! मेरे दोस्त! तुम शानदार दोस्त हो। मीना कमाल की लड़की है। उसकी चूत इतनी टाइट है कि मैं क्या कहूँ! ठीक उस कॉलेज की लड़की की चूत की तरह जिसे हमने कल चोदा था। मुझे नहीं मालूम था कि तुम मेरा इतना खयाल रखते हो।”
 
“म...म...म...मैं”, महेश ने हकलाते हुए कहा।

“तुम्हें कुछ कहने की जरूरत नहीं है! मुझे प्रीती ने सब बता दिया है”, एम-डी ने कहा।

“क्या प्रीती ने सब बता दिया?” महेश ने चौंकते हुए स्वर में कहा।

“हाँ मेरे दोस्त! उसने मुझे बताया कि किस तरह तुम कई दिनों से किसी कोरी चूत की तलाश में थे जिसे तुम मेरे जन्मदिन पर तोहफ़ा दे सको और जब तुम्हें कोई नहीं मिला तो अपनी ही बेटी को ये कहकर भेज दिया कि उसका इंटरव्यू है। तुम बहुत समझदार हो महेश”, एम-डी ने कहा, “महेश! उठो, मीना तुम्हारा इंतज़ार कर रही है, जाओ और मजे लो।”

“प्लीज़ सर! महेश को ऐसा करने को कह कर शर्मिंदा ना करें, आखिर में वो इसकी बेटी है”, मैंने धीरे से एम-डी से कहा।

“तुम नहीं जानते राज! महेश के लिये चूत, चूत है! वो चाहे जिसकी हो। हाँ, एक आम आदमी मेरी और तुम्हारी तरह शायद शर्म से मर जाये, पर महेश नहीं! इसने मुझे एक बार बताया था कि किस तरह इसने अपनी दो बहनों को चोदा था और तब तक चोदता रहा जब तक उनकी शादी नहीं हो गयी।” एम-डी ने हँसते हुए कहा और महेश से बोला, “उठो महेश! क्या सोच रहो हो? एक बहुत ही कसी और शानदार चूत तुम्हारा इंतज़ार कर रही है।”

“अभी नहीं! शायद बाद में”, महेश बड़बड़ाया।

“राज! जाके देखो तो मीना क्या कर रही है?”

मैं मीना को देखने बेडरूम में गया और थोड़ी देर बाद उसे साथ ले कर कमरे में आया। अपने पिताजी को देख कर मीना अपना नंगा बदन ढाँपने लगी और मेरे पीछे छुप कर अपनी चूत छुपानी चाही।

“मीना! तुम्हें अपनी चूत अपने डैडी से छुपाने की जरूरत नहीं है। अगर ये तुम्हें चोदना नहीं चाहता तो कम से कम इसे तुम्हारी चूत तो देखने दो”, एम-डी ने उसे अपने पास खींचते हुए कहा, “क्या अब भी तुम्हारी चूत में खुजली हो रही है?”

“हाँ सर! बहुत जोरों से हो रही है”, मीना ने कहा।

“शायद ये दूर कर दे”, कहकर एम-डी ने सोफ़े पर बैठ कर मीना का अपनी गोद में बिठा लिया और अपना लंड नीचे से उसकी चूत में घुसा दिया।

“अब तुम ऊपर नीचे हो और चोदो”, एम-डी ने मीना से कहा।

मीना उछल-उछल कर एम-डी के लंड पर धक्के मारने लगी। 

“राज! तुम वहाँ अपना खड़ा लंड लिये क्या कर रहे हो? यहाँ आओ और अपना लंड इसे चूसने को दे दो।” मैंने अपने कपड़े उतार कर अपना लंड मीना के मुँह में दे दिया। महेश चुपचाप सब देखता रहा और, और ज्यादा व्हिस्की पीने लगा। प्रीती भी काफी उतीजित हो गयी थी और दूसरे सोफ़े पर बैठी, अपनी साड़ी ऊपर उठा कर अपनी चूत रगड़ रही थी और सिसकारियाँ भर रही थी।

कमरे में हम चारों कि सिसकरियाँ सुनाई दे रही थी। मीना को भी खूब मज़ा आ रहा था और वो और तेजी से उछल रही थी। “और जोर से उछलो”, एम-डी ने कहा, “हाँ ऐसे ही अच्छा लग रहा, शायद मेरा छूटने वाला है, तुम्हारा क्या हाल है राज?”

“बहुत अच्छा सर! मैं भी ज्यादा दूर नहीं हूँ”, कहकर मैंने मीना का सिर पकड़ कर अपने लंड को और उसके गले तक डाल दिया।

“मीना राज का पानी पीना मत भूलना! तुझे अच्छा लगेगा”, एम-डी ने कहा।

“ओहहहहहह मीना!!!! और तेजी से... मेरा छूटने वाला है”, कहकर एम-डी ने अपना सारा वीर्य मीना की चूत में उढ़ेल दिया।

मैं भी कस कर उसके मुँह को चोदने लगा। मीना तेजी से मेरे लंड को चूसे जा रही थी। “हाँआँआँ चूस...... और जोर से चूस!” और मेरे लंड ने मीना के मुँह में पिचकारी छोड़ दी। मीना भी एक-एक बूँद पी गयी और अपने होंठों पे ज़ुबान फिरा कर मेरे लंड को चाटने लगी।

“मीना! कपड़े पहनो और चलो यहाँ से?” महेश ने नशीली आवाज़ में कहा।

“महेश सुनो! यहाँ रुको और मज़े लो, अगर मज़ा नहीं लेना है तो घर जाओ! मीना कहीं नहीं जायेगी, अभी मेरा दिल इसे चोदने से भरा नहीं है”, एम-डी ने कहा।

“हाँ पापा! आप घर जाइये! मैं यहीं रुकना चाहती हूँ, मेरी चूत में अभी भी खुजली हो रही है”, मीना ने एम-डी के मुर्झाये लंड को चूमते हुए कहा।

“राज! महेश अकेले जाने की स्तिथी में नहीं है। तुम इसे मेरी गाड़ी में बिठा कर आओ और ड्राईवर से कहना कि इसे घर छोड़ कर आये”, एम-डी ने कहा।

मैं महेश को सहारा देकर गाड़ी में बिठाने चला गया। जब वापस आया तो देखा कि एम-डी कस-कस कर मीना को चोद रहा था। प्रीती भी अब बिल्कुल नंगी थी और मीना के चेहरे पर अपनी चूत दबा कर बैठी थी और उससे अपनी चूत चटवा रही थी। उस रात हम दोनोंने कई बार मीना को चोदा और उसकी गाँड मारी। प्रीती ने भी एम-डी से एक-बार चुदवाया। रात को दो बजे मैं, मीना को उसके घर छोड़ते हुए नशे में चूर प्रीती को लेकर घर पहुँचा।

“राज उठो!” सुबह-सुबह प्रीती मुझे जोरों से हिलाते हुए बोली।

“प्लीज़ सोने दो! अभी बहुत सुबह है”, कहकर मैं करवट बदल कर सो गया।

“राज सुनो! मीना का फोन आया था, महेश रात से घर नहीं पहुँचा है, वो बहुत घबरायी हुई थी।” प्रीती मुझे फिर उठाते हुए बोली।
 
मैं भी घबराकर उठा, “ये कैसे हो सकता है, मैंने खुद उसे गाड़ी में बिठाया था।”

एक घंटे के बाद हमें खबर मिली कि महेश की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गयी है। 

दूसरे दिन ऑफिस में हम सभी ने मिलकर महेश की मौत का शोक मनाया। सभी को इस बात का दुख था।

एम-डी ने मुझे अपने केबिन में बुलाकर कहा, “राज! तुम जानते हो कि महेश अब नहीं है, सो मैं चाहता हूँ कि आज से उसकी जगह तुम ले लो।”

“थैंक यू सर”, मैंने कहा।

“और हाँ राज! मैंने मीना को भी नौकरी दे दी है। कल से वो तुम्हें रिपोर्ट करेगी। राज! मैं चाहता हूँ कि तुम उसका खयाल रखो और उसे बड़े कामों के लिये तैयार करो। आखिर वो हमारे पुराने दोस्त की बेटी है। पर इसका मतलब ये नहीं है कि हम उसकी टाइट चूत का मज़ा नहीं लेंगे”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।

“हाँ सर! पर आप उसकी कसी-कसी गाँड मत भूलियेगा”, मैंने भी हँसते हुए जवाब दिया।

रात को घर पहुँच कर मैंने प्रीती को सब बताया। मेरी तरक्की की बात सुन वो बहुत खुश हो गयी और हमने स्कॉच की नयी बोतल खोल कर सेलीब्रेट किया। फिर प्रीती मुझे बाँहों में पकड़ कर चूमने लगी। मैं भी उसे चूमने लगा और अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी। मेरे दोनों हाथ उसके शरीर को सहला रहे थे।

मैंने धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिये। उसके मम्मों को देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैं उसके निप्पल को मुँह में ले कर चूसने लगा।

प्रीती ने भी मेरे कपड़े उतार दिये और अपने हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगी। मैंने उसे गोद में उठाया और बिस्तर पे लिटा कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।

“ऊऊऊऊहहहहह राज!!!” उसने मुझे बाँहों में भींचते हुए कहा, “तुम्हें क्या पता तुम्हारे मोटे और लंबे लंड के बिना मैंने आज पूरा दिन कैसे गुज़ारा है।” कहकर वो भी कमर उछालने लग गयी। थोड़ी ही देर में हम दोनों झड़ गये।

दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो मीना को मेरा इंतज़ार करते हुए पाया, “आओ मीना! मैं तुम्हें तुम्हारा काम समझा दूँ”, मीना मेरे पीछे मेरे केबिन में आ गयी।

“मीना! तुम्हारा पहला और इंपोर्टेंट काम समझा दूँ! अपने कपड़े उतार कर सोफ़े पेर लेट जाओ।”

“पर सर! उस दिन तो आपने और एम-डी ने मेरा इंटरव्यू अच्छी तरह से लिया था”, मीना ने शर्माते हुए कहा।

“मेरी जान! वो तो शुरुआत थी! इस कंपनी में ये इंटरव्यू रोज़ लिया जाता है, चलो जल्दी करो, मेरे पास समय नहीं है”, मैंने कहा।

मीना शर्माते हुए अपने कपड़े उतारने लगी। मीना वाकय में बहुत सुंदर थी, उसके नंगे बदन दो देख कर मैंने कहा, “मीना! कल ऑफिस आओ तो तुम्हारी चूत पर एक भी बल नहीं होना चाहिये, एम-डी को भी बिना झाँटों की चूत अच्छी लगती है।” फिर मैंने उसके गोरे पैरों में ढाई-तीन इंच उँची हील के सैंडल देख कर कहा, “हाँ! और इस ऑफिस में काम करने वाली हर औरत को कम से कम चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहनना जरूरी है और चुदाई के समय इन्हें कभी मत उतारना।” फिर अगले एक घंटे तक मैं उसके हर छेद का मज़ा लेता रहा।

उस दिन से एम-डी मीना को सुबह चोदता था और मैं शाम को मीना की चूत अपने पानी से भर देता था। मेरी तीनों एसिस्टेंट्स को ये अच्छा नहीं लगा और वो मीना को सताने लगी।

एक दिन मैंने उन तीनों को अपने केबिन में बुलाया और पूछा, “तुम लोग मीना को क्यों सताते हो?”

“जबसे वो आयी है, तुम हमें नज़र अंदाज़ कर रहे हो”, शबनम ने कहा।

“आज कल तुम ज्यादा समय उसके साथ गुजारते हो”, समीना ने शिकायत की।

“या तो उसे नौकरी से निकाल दो, या उसे किसी और डिपार्टमेंट में ट्राँसफर कर दो”, नीता ने कहा।

“तुम तीनों सुनो! ना तो मैं उसे ट्राँसफर करूँगा ना मैं उसे नौकरी से निकालूँगा, आया समझ में?”

मेरी बात सुन तीनों सोच में पड़ गयीं। “तो फिर हमारा क्या होगा, हम तुम्हारे लंड के बिना कैसे रहें?” शबनम ने कहा।

“इसका एक उपाय है मेरे पास”, मैंने मीना को अपने केबिन में बुलाया।

“तुम तीनों इसके कपड़े उतारो! आज मैं तुम चारों को साथ में चोदूँगा, जिससे किसी को शिकायत ना हो।”

तीनों ने मिलकर मीना को नंगा कर दिया। मीना के नंगे बदन को देख शबनम बोली, “राज! मीना बेहद खूबसूरत है।”

“हाँ! इसके भरे भरे मम्मे तो देखो... और इसकी चिकनी चूत को! इसलिये राज इसकी चूत को ज्यादा चोदता है... हमें नहीं”, समीना बोली।

“तो क्या तुम इन तीनों को भी चोदते हो?” मीना ने सवाल किया।

“हाँ! सिर्फ तीनों को ही नहीं मेर जान! बल्कि इस कंपनी की हर लड़की या औरत को चोदता है”, कहकर नीता उसके बदन को सहलाने लगी।

चलो तुम सब अपने कपड़े उतारो और मीना का हमारे बीच स्वगत करो, मैंने चारों को साइड-बाय-साइड सोफ़े पर लिटा दिया और खुद भी कपड़े उतार कर नंगा हो गया। मैं अपने लंड से बारी-बारी चारों को चोदने लगा। तीन चार धक्के लगा कर दूसरी चूत में लंड डाल देता और फिर दूसरी चूत में। वो भी एक-दूसरे की चूचियाँ सहलाती और एक दूसरे के होंठ चूमती। इसी तरह मेरा लंड तीन बार झड़ा।

प्रीती बहुत खुश थी और वो अब एम-डी से बदला लेने का प्लैन बना रही थी।

!!! क्रमशः !!!
 
प्रीती अब बहुत खुश थी कि उसने महेश से अपना बदला ले लिया था। एक दिन उसने मुझसे कहा, “राज! मुझे अब एम-डी से बदला लेना है, लेकिन कोई उपाय नहीं दिख रहा।”

“तुम रजनी को सीढ़ी क्यों नहीं बनाती?” मैंने सलाह देते हुए कहा, “एम-डी उसे अपनी बेटियों से भी ज्यादा प्यार करता है।”

“हाँ!!! मैं भी यही सोच रही थी”, प्रीती ने जवाब दिया।

“लेकिन एक चीज़ ध्यान में रखना, वो पढ़ी लिखी और समझदार लड़की है, मीना और मेरी बहनों की तरह बेवकूफ़ नहीं।”

“क्या तुम उसे प्यार करते हो?” उसने पूछा।

“बिल्कुल भी नहीं! पर हाँ मुझे उससे हमदर्दी जरूर है, वो मेरी पहली कुँवारी चूत थी।” मैंने जवाब दिया।

“ठीक है... मैं चाँस लेती हूँ! लगता है मैं उसे समझाने में और मनाने में कामयाब हो जाऊँगी”, प्रीती ने कहा।

प्रीती के बुलाने पर एक दिन शाम को रजनी हमारे घर आयी। मैंने देखा कि वो बातें करने में झिझक रही थी ।

“रजनी! इसके पहले कि मैं तुम्हें बताऊँ कि मैंने तुम्हें यहाँ क्यों बुलाया है और मैं तुमसे क्या चाहती हूँ, ये जान लो कि मुझे तुम्हारे और राज के बारे में सब मालूम है और मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा।”

रजनी कुछ बोली नहीं और चुप रही।

“लेकिन एक बात मुझे पहले बताओ, क्या राज के बाद तुमने किसी से चुदवाया है?” प्रीती ने पूछा।

रजनी ने झिझकते हुए मेरी ओर देखा और मैंने गर्दन हिला कर उसे सहमती दे दी। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“प्रीती, अगर तुम इतने खुले रूप में पूछ रही हो तो मैं बताती हूँ कि मैंने अपने कॉलेज के दो लड़कों से चुदवाया है पर राज जैसा कोई नहीं था।”

“मैं जानती हूँ! राज से चुदवाने में जो मज़ा आता है वो किसी से भी नहीं आता”, प्रीती ने जवाब दिया।

“अच्छा... अब मुझे बताओ तुमने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है?” रजनी ने पूछा।

प्रीती भी सीधे विषय पर आते हुए बोली, “रजनी! मैं चाहती हूँ कि तुम एम-डी से चुदवा लो?”

“तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया है? तुम चाहती हो कि मैं अपने अंकल के साथ सोऊँ???” रजनी अपनी जगह से उठते हुए बोली।

“रजनी रुको! एक बार हमारी बात तो सुन लो”, मैंने उसे रोकना चाहा।

“ठीक है राज! तुम कहते हो तो मैं रुक जाती हूँ। अब बताओ, तुम क्या कहना चाहते हो?” रजनी अपनी जगह पर बैठते हुए बोली। रजनी के बैठते ही प्रीती ने पूरी दास्तान रजनी को सुना दी और ये भी बता दिया कि किस तरह महेश और एम-डी ने ऑफिस की सभी लड़कियों और औरतों को चोदा है।

सारी बात सुनने के बाद रजनी बोली, “मैं इसमें कुछ गलत नहीं मानती, वो पैसे वाले हैं और उन्होंने इंसान की कमजोरियों का फ़ायदा उठाया है, किसी के साथ जबरदस्ती तो नहीं की। गल्ती उनकी है जो राज़ी हो गये।”

“तुम नहीं जानती हो रजनी! एम-डी ने कैसे कुँवारी चूत को चोदने के लिये कई लोगों को फंसाया और धमकाया है!” प्रीती बोली।

“मैं नहीं मानती कि अपनी हवस मिटाने के लिये मेरे अंकल किसी भी हद तक गिर सकते हैं।”

“ठीक है! मैं तुम्हें विस्तार में बताती हूँ। तुम असलम को तो जानती होगी, हमारे ऑफिस में पियन का काम करता था।”

“वही असलम ना जिसे चोरी के इल्ज़ाम में पकड़ा गया था और फिर छूट गया था?”

“हाँ वही! लेकिन तुम्हें हकीकत नहीं मालूम?” प्रीती ने कहा।

“मैं और माँ जानते थे कि असलम निर्दोष है, इसलिये हमने अंकल से रिक्वेस्ट भी की थी कि उसे छोड़ दें।”

प्रीती रजनी की बात सुन कर हंसने लगी। “मैं तुम्हें हकीकत बताती हूँ”, प्रीती ने कहा, “एक दिन तुम्हारे अंकल ने मुझे अपने ऑफिस में बुलाया और कहा कि प्रीती, मैं असलम पर से सारे इल्ज़ाम वापस ले लूँगा अगर उसकी बेटी आयेशा चुदवाने को तैयार हो जाये। मुझे बुरा लगा और मैंने एम-डी को मना करना चाहा, तो उन्होंने गुस्से में कहा, तुम्हें ये काम करना है तो करो नहीं तो मैं किसी और से करवा लूँगा। उसकी चूत किसी ना किसी दिन तो फटनी ही है तो मैं क्यों ना करूँ। एम-डी मुझे इन सब काम के लिये पैसे दिया करता था तो मैंने सोचा क्यों ना मैं भी पैसा कमा लूँ”, प्रीती आगे बोली।

“मैं दूसरे दिन आयेशा को समझा बुझा कर और अच्छे कपड़ों और मेक-अप में तैयार करके तुम्हारे अंकल के सूईट, होटल शेराटन में लेकर पहुँच गयी। तुम्हारे अंकल और महेश ने बुरी तरह उसकी चूत को चोदा और उसकी गाँड भी फाड़ दी और वो बेचारी अपने बाप को बचाने के लिये हर ज़ुल्म सहती गयी।”

“प्लीज़ प्रीती! मुझे और नहीं सुनना है”, रजनी ने अपने हाथ अपने कान पर रखते हुए कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“नहीं! तुम्हें पूरी बात सुननी होगी। तुम्हें नहीं मालूम महेश और एम-डी ने कितनी लड़कियों को अपने जाल में फंसाया है?”
 
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