hotaks444
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“नहीं!!! मुझे और नहीं सुनना और मैं तुम पर अब विश्वास करती हूँ, मैं तुम्हारा साथ देने को तैयार हूँ, मुझे बताओ मुझे क्या करना है?” रजनी बोली।
“ये मैंने पहले ही सोच रखा है, मैं एम-डी से कहुँगी कि तुम एक गरीब घर की गाँव की रहने वाली लड़की हो और तुम्हें अपनी विधवा माँ के इलाज के लिये पैसे चाहिये, तुम पैसों की तंगी की वजह से अपनी चूत तो दे चुकी हो लेकिन तुम्हारी गाँड अभी भी कुँवारी है।”
“वो तो अब भी है!” रजनी ने हँसते हुए कहा।
“मैं जानती हूँ, इसलिये जानती हूँ कि एम-डी तैयार हो जायेगा। मैं ये भी शर्त रखुँगी कि तुम अंधेरे में चुदवाना चाहती हो”, प्रीती ने कहा।
“ये सब तो ठीक हो जायेगा पर क्या राज ने आयेशा को चोदा था?”
“हकीकत में हाँ! लेकिन ये अलग कहानी है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“बताओ मुझे, मैं जानना चाहती हूँ”, रजनी बोली।
“करीब पंद्रह दिन के बाद आयेशा मेरे घर आयी और बोली कि वो प्रेगनेंट है। मैंने उससे कहा कि अगर वो इस मुश्किल से बचना चाहती है तो उसे राज से चुदवाने पड़ेगा। वो मान गयी क्योंकि उसके पास दूसरा चारा नहीं था”, प्रीती ने कहा, “राज ने उस दिन उसे बड़े ही प्यार से चार बार चोदा। पहले तो वो उसका लौड़ा देख कर डर ही गयी थी, दीदी! इनका लंड तो कितना मोटा और लंबा है..... मैं तो मर ही जाऊँगी? मैं भी तो इनसे रोज़ चुदवाती हूँ और अभी तक जिंदा हूँ मैंने जवाब दिया। राज ने उसे बहुत ही नाजुक्ता और प्यार से चोदा, ऐसा चोदा कि वो इसके लंड कि दिवानी हो गयी। दूसरे दिन मैंने उसे डॉक्टर के पास ले जा कर उसका अबार्शन करा दिया। वो राज के लंड कि इतनी दिवानी हो गयी कि बराबर हमारे घर राज से चुदवाने के लिये आने लगी। इसी बीच राज ने उसकी गाँड का भी उदघाटन कर दिया।”
“क्या तुम्हें बुरा नहीं लगता कि राज दूसरी लड़कियों को चोदता है?” रजनी ने पूछा।
“नहीं, जब तक वो मुझे बताकर करता है, मैं जानती हूँ वो मुझे भी चुदाई का मज़ा दे सकता है और दूसरों को भी और फिर मैं भी तो दूसरे मर्दों से चुदवाती हूँ”, प्रीती बोली।
“फिर तो मैं भी अपनी गाँड का उदघाटन राज से ही करवाना चाहुँगी!” रजनी उत्सुक्ता से बोली।
“नहीं रजनी! तुम्हारी गाँड तुम्हारे अंकल के लिये ही रहने दो... हाँ तुम राज से अपनी चूत चुदवा सकती हो! एक शर्त पर कि, मेरे सामने चुदवाओ!” प्रीती ने जवाब दिया।
“ये तो बहुत ही अच्छी बात है, हाँ अगर तुम हमारा साथ दो तो और मज़ा आयेगा”, रजनी ने कहा।
थोड़ी ही देर में मैं दो सुंदर औरतों के साथ नंगा बिस्तर पर था जिनकी चूत का उदघाटन मैंने ही किया था।
जैसे ही मेरा लंड रजनी की चूत में दाखिल हुआ, वो कामुक्ता भरी आवाज़ में बोल उठी, “ओहहहहहह राज तुम्हारा लंड कितना अच्छा है।” प्रीती हमें देख रही थी और उसने अपने हाथों को रजनी की चूत के पास रखा हुआ था, जिससे मेरा लंड उसके हाथों से होकर रजनी की चूत में जा रहा था।
थोड़ी ही देर में रजनी मस्ती में आ गयी थी। वो अपने कुल्हे उछाल कर मेरी थाप से थाप मिला रही थी। उसके मुँह से उन्माद भरी आवाज़ें निकल रही थी, “हाँआँआआआ राज!!! ऐसे ही चोदते जाओ, और तेजी से राआआआजा हाँआँ मज़ाआआआआ आ रहा है...... और जोर से।”
उसकी कामुक्ता भरी बातें सुन कर मेरे लंड में भी उबाल आने लगा। मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार धीमी कर दी। तभी उसने कहा, “ओहहहहह राज रुको मत..... मेरा थोड़ी देर में ही छूटने वाला है, हाँआँआँ राजा और जोर से, प्लीज़ और जोर से...... कितना मज़ा आ रहा है।” यह कहते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने भी दो चार धक्के लगा कर अपना वीर्य उसकी चूत में डाल दिया और हम अपनी अपनी साँसें संभालने लगे।
“तुम दोनों की चुदाई देख कर अब मुझसे रहा नहीं जाता, प्लीज़ राज! मेरी चूत की भी प्यास बुझा दो।” प्रीती ने मेरे लंड को पकड़ते हुए कहा।
“जान मेरी! थोड़ा वक्त तो दो.... फिर मैं तुम्हारी अभी की प्यास तो क्या..... जनमों की प्यास बुझा दूँगा”, मैंने जवाब दिया।
प्रीती मेरा लंड अपने मुँह में लेकर जोर से चूसने लगी। जब मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया तो मैंने इतनी जोर से उसे चोदा कि वो तीन बार झड़ गयी।
हम लोग अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे कि रजनी ने अपने होंठ प्रीती की चूचियों पर रख कर चूसना शुरू कर दिया।
“ऊऊऊऊहहहहह ये क्या कर रही हो?” प्रीती बोली, लेकिन उसकी बातों को अनसुना कर के रजनी नीचे की ओर बढ़ती हुई अपनी जीभ को उसकी चूत पर रख कर चाटने लगी।
“ये मैंने पहले ही सोच रखा है, मैं एम-डी से कहुँगी कि तुम एक गरीब घर की गाँव की रहने वाली लड़की हो और तुम्हें अपनी विधवा माँ के इलाज के लिये पैसे चाहिये, तुम पैसों की तंगी की वजह से अपनी चूत तो दे चुकी हो लेकिन तुम्हारी गाँड अभी भी कुँवारी है।”
“वो तो अब भी है!” रजनी ने हँसते हुए कहा।
“मैं जानती हूँ, इसलिये जानती हूँ कि एम-डी तैयार हो जायेगा। मैं ये भी शर्त रखुँगी कि तुम अंधेरे में चुदवाना चाहती हो”, प्रीती ने कहा।
“ये सब तो ठीक हो जायेगा पर क्या राज ने आयेशा को चोदा था?”
“हकीकत में हाँ! लेकिन ये अलग कहानी है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“बताओ मुझे, मैं जानना चाहती हूँ”, रजनी बोली।
“करीब पंद्रह दिन के बाद आयेशा मेरे घर आयी और बोली कि वो प्रेगनेंट है। मैंने उससे कहा कि अगर वो इस मुश्किल से बचना चाहती है तो उसे राज से चुदवाने पड़ेगा। वो मान गयी क्योंकि उसके पास दूसरा चारा नहीं था”, प्रीती ने कहा, “राज ने उस दिन उसे बड़े ही प्यार से चार बार चोदा। पहले तो वो उसका लौड़ा देख कर डर ही गयी थी, दीदी! इनका लंड तो कितना मोटा और लंबा है..... मैं तो मर ही जाऊँगी? मैं भी तो इनसे रोज़ चुदवाती हूँ और अभी तक जिंदा हूँ मैंने जवाब दिया। राज ने उसे बहुत ही नाजुक्ता और प्यार से चोदा, ऐसा चोदा कि वो इसके लंड कि दिवानी हो गयी। दूसरे दिन मैंने उसे डॉक्टर के पास ले जा कर उसका अबार्शन करा दिया। वो राज के लंड कि इतनी दिवानी हो गयी कि बराबर हमारे घर राज से चुदवाने के लिये आने लगी। इसी बीच राज ने उसकी गाँड का भी उदघाटन कर दिया।”
“क्या तुम्हें बुरा नहीं लगता कि राज दूसरी लड़कियों को चोदता है?” रजनी ने पूछा।
“नहीं, जब तक वो मुझे बताकर करता है, मैं जानती हूँ वो मुझे भी चुदाई का मज़ा दे सकता है और दूसरों को भी और फिर मैं भी तो दूसरे मर्दों से चुदवाती हूँ”, प्रीती बोली।
“फिर तो मैं भी अपनी गाँड का उदघाटन राज से ही करवाना चाहुँगी!” रजनी उत्सुक्ता से बोली।
“नहीं रजनी! तुम्हारी गाँड तुम्हारे अंकल के लिये ही रहने दो... हाँ तुम राज से अपनी चूत चुदवा सकती हो! एक शर्त पर कि, मेरे सामने चुदवाओ!” प्रीती ने जवाब दिया।
“ये तो बहुत ही अच्छी बात है, हाँ अगर तुम हमारा साथ दो तो और मज़ा आयेगा”, रजनी ने कहा।
थोड़ी ही देर में मैं दो सुंदर औरतों के साथ नंगा बिस्तर पर था जिनकी चूत का उदघाटन मैंने ही किया था।
जैसे ही मेरा लंड रजनी की चूत में दाखिल हुआ, वो कामुक्ता भरी आवाज़ में बोल उठी, “ओहहहहहह राज तुम्हारा लंड कितना अच्छा है।” प्रीती हमें देख रही थी और उसने अपने हाथों को रजनी की चूत के पास रखा हुआ था, जिससे मेरा लंड उसके हाथों से होकर रजनी की चूत में जा रहा था।
थोड़ी ही देर में रजनी मस्ती में आ गयी थी। वो अपने कुल्हे उछाल कर मेरी थाप से थाप मिला रही थी। उसके मुँह से उन्माद भरी आवाज़ें निकल रही थी, “हाँआँआआआ राज!!! ऐसे ही चोदते जाओ, और तेजी से राआआआजा हाँआँ मज़ाआआआआ आ रहा है...... और जोर से।”
उसकी कामुक्ता भरी बातें सुन कर मेरे लंड में भी उबाल आने लगा। मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार धीमी कर दी। तभी उसने कहा, “ओहहहहह राज रुको मत..... मेरा थोड़ी देर में ही छूटने वाला है, हाँआँआँ राजा और जोर से, प्लीज़ और जोर से...... कितना मज़ा आ रहा है।” यह कहते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने भी दो चार धक्के लगा कर अपना वीर्य उसकी चूत में डाल दिया और हम अपनी अपनी साँसें संभालने लगे।
“तुम दोनों की चुदाई देख कर अब मुझसे रहा नहीं जाता, प्लीज़ राज! मेरी चूत की भी प्यास बुझा दो।” प्रीती ने मेरे लंड को पकड़ते हुए कहा।
“जान मेरी! थोड़ा वक्त तो दो.... फिर मैं तुम्हारी अभी की प्यास तो क्या..... जनमों की प्यास बुझा दूँगा”, मैंने जवाब दिया।
प्रीती मेरा लंड अपने मुँह में लेकर जोर से चूसने लगी। जब मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया तो मैंने इतनी जोर से उसे चोदा कि वो तीन बार झड़ गयी।
हम लोग अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे कि रजनी ने अपने होंठ प्रीती की चूचियों पर रख कर चूसना शुरू कर दिया।
“ऊऊऊऊहहहहह ये क्या कर रही हो?” प्रीती बोली, लेकिन उसकी बातों को अनसुना कर के रजनी नीचे की ओर बढ़ती हुई अपनी जीभ को उसकी चूत पर रख कर चाटने लगी।