hotaks444
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शरीर का हर रोम रोम कामया को भोगने को लालायित था इतना सुंदर और सुढ़ाल शरीर उसके सामने था और वो पूरी तरह से हर हिस्से को छू लेना चाहता था अपने होंठों से अपने हाथों से और अपने पूरे शरीर से वो कामया के शरीर को छूने की कोशिश में था
उसकी आतूरता देखते ही बनती थी हबशियो की तरह से वो कामया पर टूट पड़ा था जहां उसके होंठ जाते कामया के शरीर को गीलाकर जाते हर एक-एक को छूते हुए भीमा कामया के शरीर को अपनी बाहों में लिए निचोड़ता जा रहा था कामया भी उसे उत्साहित करती जा रही थी मचलते हुए अपने आपको उसकी बाहों के सुपुर्द करते हुए मुख से तरह तरह की आवाजें निकालती जा रही थी
कामया- हाँ… चाचा और जोर लगऊऊऊ और जोर-जोर से आज कर लो जो करना है कल से फिर में नहीं मिलूंगी ‘
भीमा- हाँ… बहू हाँ… आज नहीं छोड़ूँगा बहुत दिनों बाद मिली है तू, सिर्फ़ देखता रहता था इन दिनों में तुझे
और फिर एक किस कर अपने हाथों का दबाब उसकी चुचियों पर कर दिया था भीमा ने जैसे अपनी शक्ति दिखाने का वही एक जरिया था उसके पास
कामया के मुख से हल्की सी सिसकारी निकली थी और कही गुम हो गई थी
कामया- सस्शह अहहाआआआआआआअ और जोर से चाचा और जोर से आज अकेले पड़ गये क्या काका के बिना
भीमा- अरेबहू नहीं वो तो बस थोड़ा सा उतावला हो गया था नहीं तो हमम्म्ममममममममम
[size=large]दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़ गये थे और एक ना खतम होने वाली चुंबन की शरंखला चल पड़ी थी एक दूसरे के होंठों के सिवा जीब को चूसते हुए दोनों इतना डूब चुके थे और अपने शरीर को एक दूसरे के सुपुर्द करके वो इस खेल को आगे बढ़ाते हुए अपने आपको भूल चुके थे भीमा भूल चुका था कि वो एक नौकर है और कामया यह भूल चुकी थी कि वो इस घर की बहू है और अब आश्रम की होने वाली कामयणी देवी है सेक्स का वो खेल जो वो खेल रहे थे एक बहुत ही खतरनाक मोड़ पर आ गया था भीमा की एक हथेली की उंगली कामया की जाँघो के बीच में पीछे से डाल रखी थी जहां वो कामया की योनि को छेड़ता जा रहा था और उत्साह में कभी-कभी उसकी उंगली उसके गुदा द्वार को भी छू जाती और कामया बॅया बार अपनी कमर को पीछे करके उसे और करने को उत्साहित करती जा रही थी
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अपने नितंबो को और उँचा करके अपनी जाँघो को थोड़ा सा खोलकर भीमा की उंगलियों के लिए जगह भी बनाते जा रही थी होंठों के जुड़े होते हुए भी उसके मुख से आवाजें निकलती जा रही थी आज तो भीमा भी कम नहीं था वो भी बिंदास हो गया था और अपने मन की हर दबी हुई इच्छा को जैसे वो पूरा कर लेना चाहता था वो भी कामया के रूप के बारे और कामया को उत्साहित करने के लिए जो कुछ कर सकता था करता जा रहा था
भीमा- बहुत खूबसूरत हो बहू तुम कितना सुंदर शरीर है तुम्हारा उूुउउम्म्म्मममममम उूुउउफफफफफफफफफफ्फ़ पागल हो गया हूँ
कामया- हूंम्म्मममममममम अंदर करो चाचा प्लीज अंदर करो और नहीं रुका जाता प्लीज ईईई
बोल खतम होते इससे पहले तो भीमा कामया की योनि के अंदर था एक ही धक्के में आधे से ज्यादा
भीमा- लो सस्स्शह हमम्म्ममम ओ और डालु हाँ… और
कामया- हाँ… रूको थोड़ा रूको उूुुुउउफफफफफफफफफफफफफ्फ़
भीमा- क्यों रूको क्यों उउउहमम्म्मममममममममक्यों अब रूको क्यों हमम्म्मम
कामया- हमम्म्म उउउफ्फ… इतना जल्दी नहीं थोड़ा रूको बहुत दिनों बाद है ना इसलिए सस्स्स्स्स्स्स्शह
भीमा- और जोर से करू हमम्म्म और जोर से
और भीमा जैसे पागल हो गया था चिपचिपी योनि के अंदर वो पीछे से कामया को कस्स कर पकड़कर उसके चुचो को निचोड़ता हुआ और उसकी कमर को एक हाथ से कस्स कर पकड़कर वो लगातार कामया की योनि पर प्रहार कर रहा था कामया जो की अब भी बेड पर लेटी हुई थी किसी तरह से अपनी जाँघो को खोलकर भीमा के ऊपर चढ़ा कर अपने अंदर जगह बनाकर भीमा को दी इससे उसकी योनि भी खुल गई थी और थोड़ी सी परेशानी भी हल हुई थी पर भीमा के धक्के इतने जोर दार होते थे की उसकी टाँगें फिसल कर आगे गिर जाया करती थी पर कामया अपने संतुलन को बनाए हुए रखते हुए भीमा को और भी उत्साहित करती जा रही थी उसके अंदर गया भीमा का लिंग इतना गरम था कि कामाया को लग रहा था की वो ज्यादा देर नहीं रुक पाएगी इतनी दिनों बाद उसके अंदर किसी पुरुष ने प्रवेश किया था
वो लिंग उसे हमेशा से ही अच्छा लगता था भीमा ही वो पहला इंसान था जो की उसके पति के बाद का पहला मर्द था जिसने उसके इस शरीर को ठीक से भोगा था उसे सब पता था की क्या क्या करने से कामया को अच्छा लगेगा वो उसके शरीर का पुजारी था वो अपने आपको आज कुछ ज्यादा ही समर्थ दिखाने की कोशिश कर रहा था शायद इसलिए की जो कामया उसे छेड़ा था इसलिए या शायद वो भी बहुत दिनों से भूखा था इसलिए जो भी हो कामया के शरीर को आज वो निचोड़ कर रख देगा यह तो तय था उसके धक्के इतने तेज और जोर दार होते थे की हर धक्का कामया के मुख से एक आह और सिसकी निकाल ही देता था भीमा कामया के शरीर को पीछे से पकड़े हुए लगातार धक्के लगाए जा रहा था और उसके शरीर पर पूरा नियंत्रण बनाए हुए था जैसे चाहे वैसे मोड़ लेता था और जैसे चाहे वैसे उठा लेता था भीमा था तो तगड़ा ही और अब तो दारू भी अपना कमाल दिखाने लगी थी
सख्ती से पकड़े हुए वो कामया को सांस तक लेने की जगह नहीं देना चाहता था शायद उसे कामया का टोन्ट किया हुआ किचेन में उसके साथ किया हुआ और फिर कमरे में आते ही वो सब कहना शायद उसकी मर्दानगी को छू गई थी वो लगता था की अपने उसी अपमान का बदला लेलेना चाहता था कही कोई कोताही नहीं और नहीं कोई नर्मी थी आज उसके सेक्स में नहीं तो भीमा चाचा जब भी कामया के शरीर के साथ आज तक खेला था तब तब उन्होंने एक बात का तो ख्याल रखा ही था की वो इस घर की बहू है और उसकी मालकिन भी पर आज तो जैसे वो अपने में नहीं था लगता था की कोई वेश्या को भोग रहा था जिस तरह से वो बिना कुछ सुने और बिना कोई राहत के अपने आपको कामया के अंदर और बाहर कर रहा था और जिस तरह से वो कामया को उठाकर और पटक कर उसके शरीर को रौंद रहा था वो एक नया और अनौखा एक्सपीरियंस था कामया के लिए उसने आज तक भोला को ही इस तरह से उसे भोगते हुए देखा था कामया भी भीमा के हर धक्के को संभालती और झेलती हुई अपने आपको किसी तरह से रोके हुए उसका साथ देती जा रही थी और सांसों को सम्भालती हुई कभी उसे रुकने का और कभी उसे धीरे करने का आग्रह करती जा रही थी पर भीमा तो कुछ सुनने और देखने के काबिल ही नहीं था आज वो कामया के अंदर तक जैसे उतरा था जैसे वही का होकर रह जाना चाहता था वो निरंतर धक्के लगाते हुए अपने चहरे को कामया के कंधों से जोड़े हुए था और अपने हाथों से कभी भी कामया को थोड़ा सा उठाकर अपने लिए जगह भी बना लेता था आज वो कुछ सुनने की स्थिति में नहीं था धक्कों के साथ-साथ वो भी कामया से कुछ कुछ कहता जा रहा था पर कामया को कुछ समझ नहीं आरहा था पर हाँ वो इतना जानती थी कि भीमा को आज मजा आ गया था वो जिस तरह से उसे निचोड़ रहा था वो उसका तरीका नहीं था वो भोला का तरीका था और कुछ कुछ लक्खा का भी पर आज भीमा भी बहुत उत्साहित था अपने मन की कोई तमन्ना बाकी नहीं रखना चाहता था करते-करते अचानक ही उसने कामया को उठा आकर उल्टा लिटा लिया था जो की अब तक साइड होकर लेटी थी उठाते ही उसने कामया की कमर को पकड़कर कई धक्के लगा दिए थे कामया जब तक संभालती तब तक तो वो उसपर हावी हो चुका था वो कामया को पकड़कर लगातार धक्कों की स्पीड बढ़ाते ही जा रहा था
कामया- हमम्म्म धीरे ईईई करो रूको जरा प्लेआस्ीईईईईईईई उूुुुुुुउउम्म्म्मममममममम रोने सी हालत थी कामया की
पर भीमा को कोई फरक नहीं पड़ा था वो तो कुछ सुनने को तैयार नही था हर कदम अपने लिंग को कामया के अंदर और अंदर तक पहुँचाने में लगा हुआ था वो अब धीरे धीरे कामया की कमर को पकड़कर उठाकर अपने लिंग के हर धक्के के साथ ही मच करने लगा था कामया बेड पर चेहरा टिकाए हुए थी और कमर जो की अभी अभी भीमा ने हवा मे उठा रखी थी उसकी योनि पर चोट किए जा रहा था भीमा की नजर अब उसके कूल्हों पर थी और उसे कामया का गुदा द्वार भी आसानी से दिख रहा था उसके अंदर एक इच्छा जागी थी वो धीरे से अपनी उंगली को उसके गुदा द्वार के अंदर कर दिया था और दूसरे हाथ से कामया को कस्स कर पकड़ लिया था और अपने पास खींच लिया था कामया उसकी गोद में आ गई थी पर कमर वैसा ही उठा हुआ था उसके दोनों छेदों में अब कुछ था नीचे की ओर भीमा का लिंग था और पीछे के छेद में उंगली थी कामया को आज कोई दिक्कत नहीं हुई थी उसे अच्छा लग रहा था अब तक उसके पीछे के द्वार पर सिर्फ़ उन छोटी महिलयो ने ही दस्तक दी थी पर आज भीमा की मर्दानी उंगली ने प्रवेश किया था मोटी-मोटी और सख्त सी उंगली उसके द्वार के अंदर तक चली गई थीभीमा की चाल में कोई नर्मी या शांति नहीं थी वो अब भी वैसे ही उसकी योनि पर प्रहार कर रहा था और गुदा द्वार को भी अपनी उंगली से अंदर-बाहर करते हुए उसे एक परम आनंद के सागर में गोते लगाने की ओर ले चला था अब कामया को उसकी हर हरकत अच्छी लग रही थी वो चाहती थी की वो जैसा चाहे करे उसकी फिकर ना करे और भीमा भी कुछ कुछ वैसा ही कर रहा था लगता था की उसे आज अपनी ही चिंता है और किसी की नहीं कामया के साथ उसका यह साथ वो एक यादगार बना लेना चाहता था और वो निरंतर उसका प्रयास कर भी रहा था वो जरा भी नहीं रुक रहा था उसकी हर चोट इतनी गहरी पड़ रही थी की कामया के मुख से सिसकारी के साथ साथ एक हल्की सी चीख भी निकलती थी कामया का शरीर पूरी तरह से भीमा के नियंत्रण में था और वो उस खेल का हर हिस्सा और हर कोना अच्छे से जानती थी
उत्तेजना में उसकी हालत खराब थी ना चाहते हुए भी वो उठ गई थी अपने शरीर में चल रहे उथल पुथल को वो और ना सह पाई थी उसका शरीर अकड़ने लगा था वो अपने अंदर और अंदर तक भीमा का लिंग ले जाने कोशिश करने लगी थी उठकर वो अपनी कोहनी पर आ गई थी पर धक्कों के चलते बड़े ही मुश्किल से संभल पा रही थी पर उत्सुकता और अंदर की हलचल को मिटाने के लिए वो जो करना चाहती थी वो अपने आप ही भीमा कर रहा था भीमा उसे सीधे बाहों से कस्स कर पकड़े हुए और अपने उल्टे हाथ के उंगुठे से उसके गुदा द्वार और लिंग से योनि को भेद-ते हुए उसे अंजाम तक पहुँचाने में लगा हुआ था
कामया की सिसकारी अब बढ़ गई थी और भीमा की सांसें भी बहुत तेजी से चल रही थी
कामया- जोर-जोर से करो चाचा रुकना नहीं प्लेआस्ीईईई और तेजी से अंदर तक वहां भी करो और अंदर तक
भीमा चौक गया था कामया की आवाज सुनकर वहाँ मतलब पीछे भी पर
भीमा- हाँ… बहू आज नहीं रुकुंगा अब देख मुझे पागल कर रखा था तूने मुझे रुक जा बस थोड़ी देर और
[size=large]कामया- नहीं चाचााआआ थोड़ी देर नहीं प्लीज़ बहुत देर बस करते रहो रुकना नहीं बस करते रहो सस्स्शह आआआआआअह्ह
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उसकी आतूरता देखते ही बनती थी हबशियो की तरह से वो कामया पर टूट पड़ा था जहां उसके होंठ जाते कामया के शरीर को गीलाकर जाते हर एक-एक को छूते हुए भीमा कामया के शरीर को अपनी बाहों में लिए निचोड़ता जा रहा था कामया भी उसे उत्साहित करती जा रही थी मचलते हुए अपने आपको उसकी बाहों के सुपुर्द करते हुए मुख से तरह तरह की आवाजें निकालती जा रही थी
कामया- हाँ… चाचा और जोर लगऊऊऊ और जोर-जोर से आज कर लो जो करना है कल से फिर में नहीं मिलूंगी ‘
भीमा- हाँ… बहू हाँ… आज नहीं छोड़ूँगा बहुत दिनों बाद मिली है तू, सिर्फ़ देखता रहता था इन दिनों में तुझे
और फिर एक किस कर अपने हाथों का दबाब उसकी चुचियों पर कर दिया था भीमा ने जैसे अपनी शक्ति दिखाने का वही एक जरिया था उसके पास
कामया के मुख से हल्की सी सिसकारी निकली थी और कही गुम हो गई थी
कामया- सस्शह अहहाआआआआआआअ और जोर से चाचा और जोर से आज अकेले पड़ गये क्या काका के बिना
भीमा- अरेबहू नहीं वो तो बस थोड़ा सा उतावला हो गया था नहीं तो हमम्म्ममममममममम
[size=large]दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़ गये थे और एक ना खतम होने वाली चुंबन की शरंखला चल पड़ी थी एक दूसरे के होंठों के सिवा जीब को चूसते हुए दोनों इतना डूब चुके थे और अपने शरीर को एक दूसरे के सुपुर्द करके वो इस खेल को आगे बढ़ाते हुए अपने आपको भूल चुके थे भीमा भूल चुका था कि वो एक नौकर है और कामया यह भूल चुकी थी कि वो इस घर की बहू है और अब आश्रम की होने वाली कामयणी देवी है सेक्स का वो खेल जो वो खेल रहे थे एक बहुत ही खतरनाक मोड़ पर आ गया था भीमा की एक हथेली की उंगली कामया की जाँघो के बीच में पीछे से डाल रखी थी जहां वो कामया की योनि को छेड़ता जा रहा था और उत्साह में कभी-कभी उसकी उंगली उसके गुदा द्वार को भी छू जाती और कामया बॅया बार अपनी कमर को पीछे करके उसे और करने को उत्साहित करती जा रही थी
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अपने नितंबो को और उँचा करके अपनी जाँघो को थोड़ा सा खोलकर भीमा की उंगलियों के लिए जगह भी बनाते जा रही थी होंठों के जुड़े होते हुए भी उसके मुख से आवाजें निकलती जा रही थी आज तो भीमा भी कम नहीं था वो भी बिंदास हो गया था और अपने मन की हर दबी हुई इच्छा को जैसे वो पूरा कर लेना चाहता था वो भी कामया के रूप के बारे और कामया को उत्साहित करने के लिए जो कुछ कर सकता था करता जा रहा था
भीमा- बहुत खूबसूरत हो बहू तुम कितना सुंदर शरीर है तुम्हारा उूुउउम्म्म्मममममम उूुउउफफफफफफफफफफ्फ़ पागल हो गया हूँ
कामया- हूंम्म्मममममममम अंदर करो चाचा प्लीज अंदर करो और नहीं रुका जाता प्लीज ईईई
बोल खतम होते इससे पहले तो भीमा कामया की योनि के अंदर था एक ही धक्के में आधे से ज्यादा
भीमा- लो सस्स्शह हमम्म्ममम ओ और डालु हाँ… और
कामया- हाँ… रूको थोड़ा रूको उूुुुउउफफफफफफफफफफफफफ्फ़
भीमा- क्यों रूको क्यों उउउहमम्म्मममममममममक्यों अब रूको क्यों हमम्म्मम
कामया- हमम्म्म उउउफ्फ… इतना जल्दी नहीं थोड़ा रूको बहुत दिनों बाद है ना इसलिए सस्स्स्स्स्स्स्शह
भीमा- और जोर से करू हमम्म्म और जोर से
और भीमा जैसे पागल हो गया था चिपचिपी योनि के अंदर वो पीछे से कामया को कस्स कर पकड़कर उसके चुचो को निचोड़ता हुआ और उसकी कमर को एक हाथ से कस्स कर पकड़कर वो लगातार कामया की योनि पर प्रहार कर रहा था कामया जो की अब भी बेड पर लेटी हुई थी किसी तरह से अपनी जाँघो को खोलकर भीमा के ऊपर चढ़ा कर अपने अंदर जगह बनाकर भीमा को दी इससे उसकी योनि भी खुल गई थी और थोड़ी सी परेशानी भी हल हुई थी पर भीमा के धक्के इतने जोर दार होते थे की उसकी टाँगें फिसल कर आगे गिर जाया करती थी पर कामया अपने संतुलन को बनाए हुए रखते हुए भीमा को और भी उत्साहित करती जा रही थी उसके अंदर गया भीमा का लिंग इतना गरम था कि कामाया को लग रहा था की वो ज्यादा देर नहीं रुक पाएगी इतनी दिनों बाद उसके अंदर किसी पुरुष ने प्रवेश किया था
वो लिंग उसे हमेशा से ही अच्छा लगता था भीमा ही वो पहला इंसान था जो की उसके पति के बाद का पहला मर्द था जिसने उसके इस शरीर को ठीक से भोगा था उसे सब पता था की क्या क्या करने से कामया को अच्छा लगेगा वो उसके शरीर का पुजारी था वो अपने आपको आज कुछ ज्यादा ही समर्थ दिखाने की कोशिश कर रहा था शायद इसलिए की जो कामया उसे छेड़ा था इसलिए या शायद वो भी बहुत दिनों से भूखा था इसलिए जो भी हो कामया के शरीर को आज वो निचोड़ कर रख देगा यह तो तय था उसके धक्के इतने तेज और जोर दार होते थे की हर धक्का कामया के मुख से एक आह और सिसकी निकाल ही देता था भीमा कामया के शरीर को पीछे से पकड़े हुए लगातार धक्के लगाए जा रहा था और उसके शरीर पर पूरा नियंत्रण बनाए हुए था जैसे चाहे वैसे मोड़ लेता था और जैसे चाहे वैसे उठा लेता था भीमा था तो तगड़ा ही और अब तो दारू भी अपना कमाल दिखाने लगी थी
सख्ती से पकड़े हुए वो कामया को सांस तक लेने की जगह नहीं देना चाहता था शायद उसे कामया का टोन्ट किया हुआ किचेन में उसके साथ किया हुआ और फिर कमरे में आते ही वो सब कहना शायद उसकी मर्दानगी को छू गई थी वो लगता था की अपने उसी अपमान का बदला लेलेना चाहता था कही कोई कोताही नहीं और नहीं कोई नर्मी थी आज उसके सेक्स में नहीं तो भीमा चाचा जब भी कामया के शरीर के साथ आज तक खेला था तब तब उन्होंने एक बात का तो ख्याल रखा ही था की वो इस घर की बहू है और उसकी मालकिन भी पर आज तो जैसे वो अपने में नहीं था लगता था की कोई वेश्या को भोग रहा था जिस तरह से वो बिना कुछ सुने और बिना कोई राहत के अपने आपको कामया के अंदर और बाहर कर रहा था और जिस तरह से वो कामया को उठाकर और पटक कर उसके शरीर को रौंद रहा था वो एक नया और अनौखा एक्सपीरियंस था कामया के लिए उसने आज तक भोला को ही इस तरह से उसे भोगते हुए देखा था कामया भी भीमा के हर धक्के को संभालती और झेलती हुई अपने आपको किसी तरह से रोके हुए उसका साथ देती जा रही थी और सांसों को सम्भालती हुई कभी उसे रुकने का और कभी उसे धीरे करने का आग्रह करती जा रही थी पर भीमा तो कुछ सुनने और देखने के काबिल ही नहीं था आज वो कामया के अंदर तक जैसे उतरा था जैसे वही का होकर रह जाना चाहता था वो निरंतर धक्के लगाते हुए अपने चहरे को कामया के कंधों से जोड़े हुए था और अपने हाथों से कभी भी कामया को थोड़ा सा उठाकर अपने लिए जगह भी बना लेता था आज वो कुछ सुनने की स्थिति में नहीं था धक्कों के साथ-साथ वो भी कामया से कुछ कुछ कहता जा रहा था पर कामया को कुछ समझ नहीं आरहा था पर हाँ वो इतना जानती थी कि भीमा को आज मजा आ गया था वो जिस तरह से उसे निचोड़ रहा था वो उसका तरीका नहीं था वो भोला का तरीका था और कुछ कुछ लक्खा का भी पर आज भीमा भी बहुत उत्साहित था अपने मन की कोई तमन्ना बाकी नहीं रखना चाहता था करते-करते अचानक ही उसने कामया को उठा आकर उल्टा लिटा लिया था जो की अब तक साइड होकर लेटी थी उठाते ही उसने कामया की कमर को पकड़कर कई धक्के लगा दिए थे कामया जब तक संभालती तब तक तो वो उसपर हावी हो चुका था वो कामया को पकड़कर लगातार धक्कों की स्पीड बढ़ाते ही जा रहा था
कामया- हमम्म्म धीरे ईईई करो रूको जरा प्लेआस्ीईईईईईईई उूुुुुुुउउम्म्म्मममममममम रोने सी हालत थी कामया की
पर भीमा को कोई फरक नहीं पड़ा था वो तो कुछ सुनने को तैयार नही था हर कदम अपने लिंग को कामया के अंदर और अंदर तक पहुँचाने में लगा हुआ था वो अब धीरे धीरे कामया की कमर को पकड़कर उठाकर अपने लिंग के हर धक्के के साथ ही मच करने लगा था कामया बेड पर चेहरा टिकाए हुए थी और कमर जो की अभी अभी भीमा ने हवा मे उठा रखी थी उसकी योनि पर चोट किए जा रहा था भीमा की नजर अब उसके कूल्हों पर थी और उसे कामया का गुदा द्वार भी आसानी से दिख रहा था उसके अंदर एक इच्छा जागी थी वो धीरे से अपनी उंगली को उसके गुदा द्वार के अंदर कर दिया था और दूसरे हाथ से कामया को कस्स कर पकड़ लिया था और अपने पास खींच लिया था कामया उसकी गोद में आ गई थी पर कमर वैसा ही उठा हुआ था उसके दोनों छेदों में अब कुछ था नीचे की ओर भीमा का लिंग था और पीछे के छेद में उंगली थी कामया को आज कोई दिक्कत नहीं हुई थी उसे अच्छा लग रहा था अब तक उसके पीछे के द्वार पर सिर्फ़ उन छोटी महिलयो ने ही दस्तक दी थी पर आज भीमा की मर्दानी उंगली ने प्रवेश किया था मोटी-मोटी और सख्त सी उंगली उसके द्वार के अंदर तक चली गई थीभीमा की चाल में कोई नर्मी या शांति नहीं थी वो अब भी वैसे ही उसकी योनि पर प्रहार कर रहा था और गुदा द्वार को भी अपनी उंगली से अंदर-बाहर करते हुए उसे एक परम आनंद के सागर में गोते लगाने की ओर ले चला था अब कामया को उसकी हर हरकत अच्छी लग रही थी वो चाहती थी की वो जैसा चाहे करे उसकी फिकर ना करे और भीमा भी कुछ कुछ वैसा ही कर रहा था लगता था की उसे आज अपनी ही चिंता है और किसी की नहीं कामया के साथ उसका यह साथ वो एक यादगार बना लेना चाहता था और वो निरंतर उसका प्रयास कर भी रहा था वो जरा भी नहीं रुक रहा था उसकी हर चोट इतनी गहरी पड़ रही थी की कामया के मुख से सिसकारी के साथ साथ एक हल्की सी चीख भी निकलती थी कामया का शरीर पूरी तरह से भीमा के नियंत्रण में था और वो उस खेल का हर हिस्सा और हर कोना अच्छे से जानती थी
उत्तेजना में उसकी हालत खराब थी ना चाहते हुए भी वो उठ गई थी अपने शरीर में चल रहे उथल पुथल को वो और ना सह पाई थी उसका शरीर अकड़ने लगा था वो अपने अंदर और अंदर तक भीमा का लिंग ले जाने कोशिश करने लगी थी उठकर वो अपनी कोहनी पर आ गई थी पर धक्कों के चलते बड़े ही मुश्किल से संभल पा रही थी पर उत्सुकता और अंदर की हलचल को मिटाने के लिए वो जो करना चाहती थी वो अपने आप ही भीमा कर रहा था भीमा उसे सीधे बाहों से कस्स कर पकड़े हुए और अपने उल्टे हाथ के उंगुठे से उसके गुदा द्वार और लिंग से योनि को भेद-ते हुए उसे अंजाम तक पहुँचाने में लगा हुआ था
कामया की सिसकारी अब बढ़ गई थी और भीमा की सांसें भी बहुत तेजी से चल रही थी
कामया- जोर-जोर से करो चाचा रुकना नहीं प्लेआस्ीईईई और तेजी से अंदर तक वहां भी करो और अंदर तक
भीमा चौक गया था कामया की आवाज सुनकर वहाँ मतलब पीछे भी पर
भीमा- हाँ… बहू आज नहीं रुकुंगा अब देख मुझे पागल कर रखा था तूने मुझे रुक जा बस थोड़ी देर और
[size=large]कामया- नहीं चाचााआआ थोड़ी देर नहीं प्लीज़ बहुत देर बस करते रहो रुकना नहीं बस करते रहो सस्स्शह आआआआआअह्ह
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