hotaks444
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अध्याय 45
सुबह मैंने डॉ को फोन लगाया और उन्होने मुझे शाम को अपने उसी घर में आने के लिए कहा ..
आज मैं अपनी माँ के साथ बैठा हुआ था ..
“अब कैसी हो माँ”
“अच्छी हु बेटा “ उनके होठो में एक फीकी सी मुस्कान उभरी
“माँ मुझे आपसे कुछ बाते करनी थी,उस एक्सीडेंट के बारे में “
“क्या पूछना है तुझे ??”
वो थोड़ी चौकी
“माँ असल में हुआ ये था की दोनो कारो में बम लगे थे,लेकिन कातिल का निशाना मैं या बहने थी ,पापा और आप नही “
“क्या ??”
‘हा ,क्योकि उसने पहले हमारी कार के बम को एक्टिव किया था,लेकिन जब आप हमारे साथ बैठी तो उसने पापा को काल किया ताकि आपको बचाया जा सके और उसके बाद उसने दूसरे कार का बम एक्टिव कर दिया “
माँ बिल्कुल ही आश्चर्य से मुझे देख रही थी ..
“इसका मतलब ??”
“इसका मतलब ये ही है की वो नही चाहता था की आप को नुकसान पहुचे ..”
हम दोनो ही शांत हो गए थे ,माँ अभी भी गहरी सोच में डूबी हुई थी ..
“माँ ..मुझे लगता है की इसका कनेक्शन आपके अतीत से जुड़ा हुआ है ,कहि ना कहि कुछ तो ऐसा है जो हम नही समझ पा रहे है…”
माँ ने एक गहरी सांस ली ..
“ह्म्म्म तो क्या पूछना चाहते हो मुझसे “
“एक सिंपल सी चीज कौन ऐसा कर सकता है,कौन है जिसे आपकी इतनी फिक्र है ,और वो हमे मरना चाहता है ..आप को किसी पर कोई शक है “
“तेरे पापा के अलावा सिर्फ दो लोग ऐसे थे जो मुझपर जान लुटाते थे ..लेकिन शक मुझे दोनो पर नही है “
इन दो में से एक को तो मैं जानता था लेकिन ये दूसरा कौन था ??
मेरी उत्सुकता और भी बढ़ गई थी
“कोन दो लोग माँ”
“भैरव और विवेक “
“विवेक अग्निहोत्री ??”
“हा मेरा बहुत अच्छा दोस्त था वो ,हमेशा से ,और भैरव और तेरे पापा दोनो ही मुझे चाहते थे ,लेकिन तेरे पापा में एक बात थी जो मैं उनके ओर खिंची चली गई “
मुझे पता था की मेरे बाप में क्या बात थी ..क्योकि अब वो मुझमे है ..
माँ ने बोलना जारी रखा
“लेकिन अब विवेक इस दुनिया में नही है वही भैरव के ऊपर शक करना ही मूर्खता है,वो एक बहुत ही अच्छा आदमी है..”
“क्या आप भी उससे प्यार करती हो ..”
मेरी सवाल से माँ बुरी तरह से चौक गई
“ये कैसी बात कर रहे हो “
“मैं सच पूछ रहा हु और सच ही जानना चाहता हु “
उन्होंने थोड़ी देर तक मुझे देखा ..फिर बोलने लगी
“बेटा तेरे पिता रतन और भैरव दोनो हो अच्छे दोस्त हुआ करते थे ,उस समय भैरव की आर्थिक हालत सही नही थी,हा वो इस इलाके का राजा जरूर था लेकिन बहुत ही कर्ज में था ,रतन ने उसकी भरपूर मदद की लेकिन ….”
“लेकिन क्या माँ ??”
“लेकिन रतन ने भैरव के प्यार को उससे छीन लिया “उनकी आंखों में पानी आ गया ..
“माँ सबका अपना अतीत होता है,मैं आपके अतीत को कुरेदना नही चाहता लेकिन ...लेकिन मेरी ये मजबूरी है की मुझे आपसे ये सब पूछना पड़ रहा है ,पिता जी के कातिल और चन्दू को भड़काने वाला एक ही है और उसकी विवेक अग्निहोत्री का भी कत्ल किया है ,यही नही विवेक की बीबी को मारकर सारा दोष एक अतुल वर्मा नाम के शख्स पर लगा दिया है ..इसलिए मेरा ये सब जानना बेहद ही जरूरी है माँ”
उन्होंने एक बार मुझे ध्यान से देखा,और प्यार से मेरे चहरे में अपना हाथ फेरा
“बेटा इस उम्र में तुझे क्या क्या देखना पड़ रहा है...मैं तुझे हर चीज बताउंगी तू फिक्र मत कर ,मुझे अब समझ आ रहा है की ये सब जानने के लिए ना जाने तुझे कितनी मेहनत की होगी ..बेटा पहले मैं भैरव से ही प्यार करती थी ,हम दोनो शादी करने वाले थे लेकिन मेरे पिता को ये नामंजूर था,क्योकि भैरव की स्तिथि उस समय अच्छी नही थी ,भैरव ने भी मेरे पिता जी से कहा की वो अपनी हालत ठीक करके ही मेरे पास आएगा ,रतन उसकी मदद कर रहा था लेकिन रतन की आंखे मुझपर भी थी ,मुझे ये पता था लेकिन मैंने उसे कुछ नही कहा,भैरव रतन पर जान से भी ज्यादा भरोसा करता था,और मैं भी इस दोस्ती को तोडना नही चाहती थी लेकिन पता नही मेरे दिल में धीरे धीरे भैरव की जगह रतन लेने लगा,मैं इस चीज से डर गई थी इसलिए उससे ज्यादा बाते भी नही करती थी लेकिन जब भी समय मिलता रतन जरूर मुझसे बात करता,और वो जितना मुझसे बात करता मैं उतना ही उसे करीब जाने लगती..
उसकी आंखों में कुछ था ,जिससे मैं इतना ज्यादा आकर्षित होती थी ,रतन के पिता और मेरे पिता अच्छे दोस्त भी थे और भैरव मुझे पाने के लिए अपने काम को बढ़ाने में लग गया था,दोनो के पिता की दोस्ती के कारण मेरे पिता चाहते थे की मैं रतन से ही शादी करू लेकिन मैं भैरव से धोखा भी तो नही कर सकती थी ,और ऐसे में एक दिन …….”
वो बोलते हुए थोड़ी रुकी जैसे सोच रही हो की बताऊ की नही
“क्या हुआ मा “
“एक दिन तेरे पिता मेरे घर आये मैं घर में अकेली ही थी ,मैं उससे मिलने से डरती थी क्योकि वो मुझे बहुत ही आकर्षक लगने लगा था ,लेकिन उस दिन मुझे उससे मजबूरी में ही अकेले मिलना पड़ा...और मैं….और मैं बहक गई बेटा ..”
वो चुप हो गई ,मैं समझ चुका था की वो क्या कहना चाहती है
“और एक बार बहकने के बाद मैं दुबारा ही खड़ी हो पाई,ये हमारे रोज का काम हो चुका था जब तक की निकिता मेरे पेट में नही आ गई ,भैरव से ये बात ज्यादा दिनों तक छिपी नही रह सकी वही जब ये बात पिता जी को पता चली तो वो गुस्सा होने की बजाय खुश हो गए और हमारी शादी करवा दी ,उस समय रतन मुझसे शादी नही करना चाहता था लेकिन अब भैरव भी मुझे नही अपनाना चाहता था ,दोनो दोस्तो में दरार पड़ गई थी ,लेकिन मेरी हालत बहुत ही बुरी हो चुकी थी ,रतन ने मुझसे कहा की वो मुझसे शादी करना नही चाहता वो तो सिर्फ मस्ती कर रहा था,अगर मैं चाहूं तो भैरव के साथ चली जाऊ लेकिन दूसरी तरफ मेरे पिता ने ही भैरव को सारी बात बता दी की मैं रतन के बच्चे की माँ बनने वाली हु ,मैं टूट चुकी थी ,ऐसा लग रहा था जैसे मैंने कोई बहुत बड़ा पाप कर लय तब विवेक ने मुझे सम्हाला ,उसने कहा की वो एक ऐसी वसीयत बनवायेगा जिससे रतन मुझे कभी भी छोड़ नही पायेगा ,मुझे उसपर भरोसा था ,उसने ही मुझे रतन से शादी करने की सलाह दी क्योकि भैरव के नजरो में मेरे लिए बस नफ़रत ही थी ,”
माँ के आंखों में आंसू थे ,मुझे समझ नही आ रहा था की मैं कैसे उन्हें समझाऊँ ,पिता जी ने मजबूरी में माँ से शादी की थी वही दौलत के खेल के कारण कभी उनसे अलग भी नही हो पाए ,तभी मेरा दिमाग खनका
“माँ अपने कहा की ऐसी वसीयत बनाई गई ताकि पापा आपको ना छोड़ सके लेकिन जन्हा तक मुझे पता है इस वसीयत के बारे में तो पापा को भी नही पता था ..”
माँ मुझे देखकर मुस्कुराई
“वो दूसरी वसीयत थी बेटा ,उसके अनुसार रतन पूरी प्रोपेर्टी का केयर टेकर रहेगा लेकिन मालिकाना हक मेरे पास रहता ...और भी बहुत कुछ है उस वसीयत में “
“क्या:?:”
“यही की अगर हम अलग हुए तो पूरी जयजाद एक ट्रस्ट को चली जाती जो की तुम्हारे दादा और नाना के नाम पर है और उसकी पूरी देखरेख विवेक कर रहा था ,और मेरे पास सिर्फ तुम्हरे नाना की संपत्ति बचती वही रतन पूरी तरह से संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता और अगर हमसे से किसी की भी मृत्यु हुई तो प्रोपेर्टी दूसरे के नाम में चली जाती ,लेकिन शर्त ये ही थी की वो अकाल मृत्यु ना हो बल्कि स्वाभाविक मौत हो “
उनकी बात सुनकर मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई
“आपके पास इतनी पावर थी फिर भी आप पिता जी की ज्यादतियों को सहती रही ,आप उनसे अलग क्यो नही हो गई ,आपके पास तो फिर भी नाना जी की संपत्ति बचती ..”
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई ..
“बेटा शादी के बाद से धीरे धीरे हम दोनो ही एक दूसरे से प्यार करने लगे थे,पहले जिस्म के आकर्षण ने हमे एक दूसरे से मिलवाया लेकिन फिर प्यार में ही पड़ गए ,उन्होंने कभी मुझसे बत्तमीजी नही की ,हा उनके अंदर शायद जिस्म की आग इतनी ज्यादा थी की उन्हें मेरे अलावा भी कई जगह जाना पड़ता था ,मुझे इन सबका दुख तो था लेकिन ...लेकिन आखिर पति थे वो मेरे ,प्यार करती थी मैं उनसे कैसे छोड़कर जा सकती थी “
“हम्म्म्म लेकिन मा फिर भैरव अंकल की नफरत आपके लिए कैसे कम हुई “
उन्होंने एक गहरी सांस ली
“हमारे शादी के बाद भैरव बुरी तरह से टूट चुका था ,वो धीरे धीरे सम्हलता गया,प्यार तो वो अब भी मुझसे ही करता था,यहां भी विवेक ने उसका साथ दिया और वो धीरे धीरे नार्मल होता गया ,उसने अर्चना से शादी की जो की मेरी सहेली थी ,इसलिए फिर से हम मिलने लगे लेकिन ...लेकिन भैरव हमेशा मुझसे सामना करने से घबराता रहा ,वही तुम्हारे पिता को मेरा भैरव से मिलना पसंद नही आता था लेकिन उन्होंने मुझे कभी भी कुछ नही कहा ..”
मैं उनकी बात सुनकर मुस्कुराया
“उन्हें तो हमेशा ये ही लगता था की मैं उनका नही भैरव का खून हु “
“क्या..???
“
वो बुरी तरह से चौक गई
“हा माँ मुझे ये बात रश्मि से पता चली ,जब आप हॉस्पिटल में थी तो भैरव अंकल आपको देखकर खुद को सम्हाल नही पाए और उनके मुह से ये निकल गया ..”
मेरी बात सुनकर माँ हँसने लगी
“ये भैरव भी ना ,देखने में जितना तगड़ा है अदंर से उतना ही नरम है ,हमेशा मेरी फिक्र करता है ...लेकिन कभी कह नही पाता ,उसकी आंखे ही बता देती है “
“और आप ..?”
“मेरे लिए वो हमेशा से अच्छा दोस्त रहा,मुझे उसके लिए आज भी दुख होता है और ये ग्लानि भी की मैंने उसे धोखा दिया ,लेकिन अब उसके लिए खुशी भी होती है की उसे अर्चना जैसी प्यार करने वाली बीबी मिली “
मेरे दिमाग में एक बार आया की क्या मा को पता है की रश्मि का असली पिता कौन है …??लेकिन मैंने ये बात उनसे पूछना सही नही समझा ..
“और विकेक की बीवी ??”
“विवेक की बीबी हमेशा से ही बेवफा थी ,बेचारा विवेक ?? “
“उन्होंने कभी आपको प्रपोज नही किया “
मेरी बात सुनकर वो जोरो से हंसी
“कई बार किया लेकिन मेरे लिए वो सिर्फ मेरा अच्छा दोस्त था ,सबसे पुराना दोस्त था ,जब मैं तुम्हारे पिता और भैरव को नही जानती थी तब से ,हम दोनो बचपन के दोस्त थे ..”
“तो उनमे क्या बुराई थी जो अपने उनका प्रपोजल एक्सेप्ट नही किया ??:?:”
“अरे बेटा मेरे लिए वो अच्छा दोस्त बस रहा,प्यार दिल वाली चीज है जिसपर आ जाए तो बस आ जाए ,जैसे रश्मि और तू “
माँ की बात सुनकर मैं शर्मा गया ,ना जाने कितने दिनों बाद आज शरमाया था ऐसे लग रहा था जैसे मैं फिर से वो पुराना वाला राज हु ..
मासूम सा राज……
“अरे तू तो शर्मा रहा है ..”
वो जोरो से हंस पड़ी ,माँ के चहरे में ये खुशी देखकर मैं भी खुश हो गया ,इतने दिनों के बाद उनके चहरे में ये खुसी देखी थी ,मैंने प्यार से उनके गालो को चूमा ..
“ठीक है माँ मुझे ऑफिस जाना होगा “
“ओके बेटा ..और अगर तुझे कुछ भी पूछना हो तो बेझिझक पूछना “
“ओके माँ “
और मैं निकल गया अपने नेस्ट टारगेट समीरा के पास ..
सुबह मैंने डॉ को फोन लगाया और उन्होने मुझे शाम को अपने उसी घर में आने के लिए कहा ..
आज मैं अपनी माँ के साथ बैठा हुआ था ..
“अब कैसी हो माँ”
“अच्छी हु बेटा “ उनके होठो में एक फीकी सी मुस्कान उभरी
“माँ मुझे आपसे कुछ बाते करनी थी,उस एक्सीडेंट के बारे में “
“क्या पूछना है तुझे ??”
वो थोड़ी चौकी
“माँ असल में हुआ ये था की दोनो कारो में बम लगे थे,लेकिन कातिल का निशाना मैं या बहने थी ,पापा और आप नही “
“क्या ??”
‘हा ,क्योकि उसने पहले हमारी कार के बम को एक्टिव किया था,लेकिन जब आप हमारे साथ बैठी तो उसने पापा को काल किया ताकि आपको बचाया जा सके और उसके बाद उसने दूसरे कार का बम एक्टिव कर दिया “
माँ बिल्कुल ही आश्चर्य से मुझे देख रही थी ..
“इसका मतलब ??”
“इसका मतलब ये ही है की वो नही चाहता था की आप को नुकसान पहुचे ..”
हम दोनो ही शांत हो गए थे ,माँ अभी भी गहरी सोच में डूबी हुई थी ..
“माँ ..मुझे लगता है की इसका कनेक्शन आपके अतीत से जुड़ा हुआ है ,कहि ना कहि कुछ तो ऐसा है जो हम नही समझ पा रहे है…”
माँ ने एक गहरी सांस ली ..
“ह्म्म्म तो क्या पूछना चाहते हो मुझसे “
“एक सिंपल सी चीज कौन ऐसा कर सकता है,कौन है जिसे आपकी इतनी फिक्र है ,और वो हमे मरना चाहता है ..आप को किसी पर कोई शक है “
“तेरे पापा के अलावा सिर्फ दो लोग ऐसे थे जो मुझपर जान लुटाते थे ..लेकिन शक मुझे दोनो पर नही है “
इन दो में से एक को तो मैं जानता था लेकिन ये दूसरा कौन था ??
मेरी उत्सुकता और भी बढ़ गई थी
“कोन दो लोग माँ”
“भैरव और विवेक “
“विवेक अग्निहोत्री ??”
“हा मेरा बहुत अच्छा दोस्त था वो ,हमेशा से ,और भैरव और तेरे पापा दोनो ही मुझे चाहते थे ,लेकिन तेरे पापा में एक बात थी जो मैं उनके ओर खिंची चली गई “
मुझे पता था की मेरे बाप में क्या बात थी ..क्योकि अब वो मुझमे है ..
माँ ने बोलना जारी रखा
“लेकिन अब विवेक इस दुनिया में नही है वही भैरव के ऊपर शक करना ही मूर्खता है,वो एक बहुत ही अच्छा आदमी है..”
“क्या आप भी उससे प्यार करती हो ..”
मेरी सवाल से माँ बुरी तरह से चौक गई
“ये कैसी बात कर रहे हो “
“मैं सच पूछ रहा हु और सच ही जानना चाहता हु “
उन्होंने थोड़ी देर तक मुझे देखा ..फिर बोलने लगी
“बेटा तेरे पिता रतन और भैरव दोनो हो अच्छे दोस्त हुआ करते थे ,उस समय भैरव की आर्थिक हालत सही नही थी,हा वो इस इलाके का राजा जरूर था लेकिन बहुत ही कर्ज में था ,रतन ने उसकी भरपूर मदद की लेकिन ….”
“लेकिन क्या माँ ??”
“लेकिन रतन ने भैरव के प्यार को उससे छीन लिया “उनकी आंखों में पानी आ गया ..
“माँ सबका अपना अतीत होता है,मैं आपके अतीत को कुरेदना नही चाहता लेकिन ...लेकिन मेरी ये मजबूरी है की मुझे आपसे ये सब पूछना पड़ रहा है ,पिता जी के कातिल और चन्दू को भड़काने वाला एक ही है और उसकी विवेक अग्निहोत्री का भी कत्ल किया है ,यही नही विवेक की बीबी को मारकर सारा दोष एक अतुल वर्मा नाम के शख्स पर लगा दिया है ..इसलिए मेरा ये सब जानना बेहद ही जरूरी है माँ”
उन्होंने एक बार मुझे ध्यान से देखा,और प्यार से मेरे चहरे में अपना हाथ फेरा
“बेटा इस उम्र में तुझे क्या क्या देखना पड़ रहा है...मैं तुझे हर चीज बताउंगी तू फिक्र मत कर ,मुझे अब समझ आ रहा है की ये सब जानने के लिए ना जाने तुझे कितनी मेहनत की होगी ..बेटा पहले मैं भैरव से ही प्यार करती थी ,हम दोनो शादी करने वाले थे लेकिन मेरे पिता को ये नामंजूर था,क्योकि भैरव की स्तिथि उस समय अच्छी नही थी ,भैरव ने भी मेरे पिता जी से कहा की वो अपनी हालत ठीक करके ही मेरे पास आएगा ,रतन उसकी मदद कर रहा था लेकिन रतन की आंखे मुझपर भी थी ,मुझे ये पता था लेकिन मैंने उसे कुछ नही कहा,भैरव रतन पर जान से भी ज्यादा भरोसा करता था,और मैं भी इस दोस्ती को तोडना नही चाहती थी लेकिन पता नही मेरे दिल में धीरे धीरे भैरव की जगह रतन लेने लगा,मैं इस चीज से डर गई थी इसलिए उससे ज्यादा बाते भी नही करती थी लेकिन जब भी समय मिलता रतन जरूर मुझसे बात करता,और वो जितना मुझसे बात करता मैं उतना ही उसे करीब जाने लगती..
उसकी आंखों में कुछ था ,जिससे मैं इतना ज्यादा आकर्षित होती थी ,रतन के पिता और मेरे पिता अच्छे दोस्त भी थे और भैरव मुझे पाने के लिए अपने काम को बढ़ाने में लग गया था,दोनो के पिता की दोस्ती के कारण मेरे पिता चाहते थे की मैं रतन से ही शादी करू लेकिन मैं भैरव से धोखा भी तो नही कर सकती थी ,और ऐसे में एक दिन …….”
वो बोलते हुए थोड़ी रुकी जैसे सोच रही हो की बताऊ की नही
“क्या हुआ मा “
“एक दिन तेरे पिता मेरे घर आये मैं घर में अकेली ही थी ,मैं उससे मिलने से डरती थी क्योकि वो मुझे बहुत ही आकर्षक लगने लगा था ,लेकिन उस दिन मुझे उससे मजबूरी में ही अकेले मिलना पड़ा...और मैं….और मैं बहक गई बेटा ..”
वो चुप हो गई ,मैं समझ चुका था की वो क्या कहना चाहती है
“और एक बार बहकने के बाद मैं दुबारा ही खड़ी हो पाई,ये हमारे रोज का काम हो चुका था जब तक की निकिता मेरे पेट में नही आ गई ,भैरव से ये बात ज्यादा दिनों तक छिपी नही रह सकी वही जब ये बात पिता जी को पता चली तो वो गुस्सा होने की बजाय खुश हो गए और हमारी शादी करवा दी ,उस समय रतन मुझसे शादी नही करना चाहता था लेकिन अब भैरव भी मुझे नही अपनाना चाहता था ,दोनो दोस्तो में दरार पड़ गई थी ,लेकिन मेरी हालत बहुत ही बुरी हो चुकी थी ,रतन ने मुझसे कहा की वो मुझसे शादी करना नही चाहता वो तो सिर्फ मस्ती कर रहा था,अगर मैं चाहूं तो भैरव के साथ चली जाऊ लेकिन दूसरी तरफ मेरे पिता ने ही भैरव को सारी बात बता दी की मैं रतन के बच्चे की माँ बनने वाली हु ,मैं टूट चुकी थी ,ऐसा लग रहा था जैसे मैंने कोई बहुत बड़ा पाप कर लय तब विवेक ने मुझे सम्हाला ,उसने कहा की वो एक ऐसी वसीयत बनवायेगा जिससे रतन मुझे कभी भी छोड़ नही पायेगा ,मुझे उसपर भरोसा था ,उसने ही मुझे रतन से शादी करने की सलाह दी क्योकि भैरव के नजरो में मेरे लिए बस नफ़रत ही थी ,”
माँ के आंखों में आंसू थे ,मुझे समझ नही आ रहा था की मैं कैसे उन्हें समझाऊँ ,पिता जी ने मजबूरी में माँ से शादी की थी वही दौलत के खेल के कारण कभी उनसे अलग भी नही हो पाए ,तभी मेरा दिमाग खनका
“माँ अपने कहा की ऐसी वसीयत बनाई गई ताकि पापा आपको ना छोड़ सके लेकिन जन्हा तक मुझे पता है इस वसीयत के बारे में तो पापा को भी नही पता था ..”
माँ मुझे देखकर मुस्कुराई
“वो दूसरी वसीयत थी बेटा ,उसके अनुसार रतन पूरी प्रोपेर्टी का केयर टेकर रहेगा लेकिन मालिकाना हक मेरे पास रहता ...और भी बहुत कुछ है उस वसीयत में “
“क्या:?:”
“यही की अगर हम अलग हुए तो पूरी जयजाद एक ट्रस्ट को चली जाती जो की तुम्हारे दादा और नाना के नाम पर है और उसकी पूरी देखरेख विवेक कर रहा था ,और मेरे पास सिर्फ तुम्हरे नाना की संपत्ति बचती वही रतन पूरी तरह से संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता और अगर हमसे से किसी की भी मृत्यु हुई तो प्रोपेर्टी दूसरे के नाम में चली जाती ,लेकिन शर्त ये ही थी की वो अकाल मृत्यु ना हो बल्कि स्वाभाविक मौत हो “
उनकी बात सुनकर मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई
“आपके पास इतनी पावर थी फिर भी आप पिता जी की ज्यादतियों को सहती रही ,आप उनसे अलग क्यो नही हो गई ,आपके पास तो फिर भी नाना जी की संपत्ति बचती ..”
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई ..
“बेटा शादी के बाद से धीरे धीरे हम दोनो ही एक दूसरे से प्यार करने लगे थे,पहले जिस्म के आकर्षण ने हमे एक दूसरे से मिलवाया लेकिन फिर प्यार में ही पड़ गए ,उन्होंने कभी मुझसे बत्तमीजी नही की ,हा उनके अंदर शायद जिस्म की आग इतनी ज्यादा थी की उन्हें मेरे अलावा भी कई जगह जाना पड़ता था ,मुझे इन सबका दुख तो था लेकिन ...लेकिन आखिर पति थे वो मेरे ,प्यार करती थी मैं उनसे कैसे छोड़कर जा सकती थी “
“हम्म्म्म लेकिन मा फिर भैरव अंकल की नफरत आपके लिए कैसे कम हुई “
उन्होंने एक गहरी सांस ली
“हमारे शादी के बाद भैरव बुरी तरह से टूट चुका था ,वो धीरे धीरे सम्हलता गया,प्यार तो वो अब भी मुझसे ही करता था,यहां भी विवेक ने उसका साथ दिया और वो धीरे धीरे नार्मल होता गया ,उसने अर्चना से शादी की जो की मेरी सहेली थी ,इसलिए फिर से हम मिलने लगे लेकिन ...लेकिन भैरव हमेशा मुझसे सामना करने से घबराता रहा ,वही तुम्हारे पिता को मेरा भैरव से मिलना पसंद नही आता था लेकिन उन्होंने मुझे कभी भी कुछ नही कहा ..”
मैं उनकी बात सुनकर मुस्कुराया
“उन्हें तो हमेशा ये ही लगता था की मैं उनका नही भैरव का खून हु “
“क्या..???

वो बुरी तरह से चौक गई
“हा माँ मुझे ये बात रश्मि से पता चली ,जब आप हॉस्पिटल में थी तो भैरव अंकल आपको देखकर खुद को सम्हाल नही पाए और उनके मुह से ये निकल गया ..”
मेरी बात सुनकर माँ हँसने लगी
“ये भैरव भी ना ,देखने में जितना तगड़ा है अदंर से उतना ही नरम है ,हमेशा मेरी फिक्र करता है ...लेकिन कभी कह नही पाता ,उसकी आंखे ही बता देती है “
“और आप ..?”
“मेरे लिए वो हमेशा से अच्छा दोस्त रहा,मुझे उसके लिए आज भी दुख होता है और ये ग्लानि भी की मैंने उसे धोखा दिया ,लेकिन अब उसके लिए खुशी भी होती है की उसे अर्चना जैसी प्यार करने वाली बीबी मिली “
मेरे दिमाग में एक बार आया की क्या मा को पता है की रश्मि का असली पिता कौन है …??लेकिन मैंने ये बात उनसे पूछना सही नही समझा ..
“और विकेक की बीवी ??”
“विवेक की बीबी हमेशा से ही बेवफा थी ,बेचारा विवेक ?? “
“उन्होंने कभी आपको प्रपोज नही किया “
मेरी बात सुनकर वो जोरो से हंसी
“कई बार किया लेकिन मेरे लिए वो सिर्फ मेरा अच्छा दोस्त था ,सबसे पुराना दोस्त था ,जब मैं तुम्हारे पिता और भैरव को नही जानती थी तब से ,हम दोनो बचपन के दोस्त थे ..”
“तो उनमे क्या बुराई थी जो अपने उनका प्रपोजल एक्सेप्ट नही किया ??:?:”
“अरे बेटा मेरे लिए वो अच्छा दोस्त बस रहा,प्यार दिल वाली चीज है जिसपर आ जाए तो बस आ जाए ,जैसे रश्मि और तू “
माँ की बात सुनकर मैं शर्मा गया ,ना जाने कितने दिनों बाद आज शरमाया था ऐसे लग रहा था जैसे मैं फिर से वो पुराना वाला राज हु ..
मासूम सा राज……
“अरे तू तो शर्मा रहा है ..”
वो जोरो से हंस पड़ी ,माँ के चहरे में ये खुशी देखकर मैं भी खुश हो गया ,इतने दिनों के बाद उनके चहरे में ये खुसी देखी थी ,मैंने प्यार से उनके गालो को चूमा ..
“ठीक है माँ मुझे ऑफिस जाना होगा “
“ओके बेटा ..और अगर तुझे कुछ भी पूछना हो तो बेझिझक पूछना “
“ओके माँ “
और मैं निकल गया अपने नेस्ट टारगेट समीरा के पास ..