Hindi Kamuk Kahani बरसन लगी बदरिया - Page 2 - SexBaba
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Hindi Kamuk Kahani बरसन लगी बदरिया

[size=large]तभी उसने मुझे पकड़कर कहा- “एक गुड नाइट किस तो दो पहले…” और मेरे दहकते होंठों पर अपने होंठ रख दिये। बिना उसकी ओर देखे अपने आपको अलग करके मैं अपने कमरे में चली गयी पर अपना दरवाजा मैंने खुला रखा।

“फिर क्या हुआ…” उत्सुकता से मैंने पूछा।

मीता आगे बोलने लगी- भाभी आप तो जानती हैं कि कल मौसम कितना सेक्सी था। मेरे कमरे में खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी और पानी तेजी से बरस रहा था। ऊपर के कमरे से आप लोगों की मादक आहो की आवाज भी आ रही थी। जैसा आपने और भाभी ने झूले पर मुझे वहां छुआ था, मेरा हाथ अपने आप वहां चला गया, और यू नो मैं एकदम गीली थी। मैं संजय के बारे में और आज शाम हुई सब घटनाओं के बारे में सोच रही थी और मेरी उंगलियां धीरे-धीरे वहां चल रही थीं। मैं सोने की कोशिस कर रही थी तभी जोर से बिजली कौंधी।

आप तो जानती हैं कि मुझे बिजली से कितना डर लगता है और मैं चीख पड़ी और यह सुनकर वह अंदर आ गये। मैंने उससे प्रार्थना की कि थोड़ी देर मेरे पास लेट जाओ और वह मान कर मेरे पास सो गया। मेरा दिल धड़क रहा था और इसलिए मैंने उसका हाथ फ्रोक के अंदर मेरे दिल पर रख दिया। तभी बिजली फिर चमकी, इस बार वह इतनी प्रखर थी कि मैंने उसे पकड़ लिया और कहा- “प्लीज़, मुझे कस के पकड़ लो…” और उसका हाथ मेरे स्तनों पर दबा दिया।


उसके बाद वह मुझे धीरे-धीरे सहलाने लगा। मेरे सारे बटन उन्होने खोल दिये और ब्रा का हुक भी निकाल दिया।

जब तक मैं समझती, मेरे दोनों उरोज उनके हाथ में थे और वे बड़े प्यार से धीरे-धीरे उन्हें सहला रहे थे। मैं थोड़ा अपराधीपन महसूस कर रही थी और अच्छा भी लग रहा था। मुँह से मैं कह रही थी कि नहीं नहीं पर… यह उसको भी समझ में आ गया।

उन्होने मेरा फ्रोक उतारने की कोशिस की तो मैंने मना कर दिया- “नहीं, प्लीज़ नहीं…”

उसने गिड़गिड़ा कर कहा- “मीता, प्लीज़, मेरा बहुत दिनों से मन है। मैं बस तुम्हें कस के बाहों में लेना चाहता हूँ। लगता है कि मैं तुम्हें भींच लूं और हमारे बीच में कुछ भी न हो…”

मैंने बेमन से इजाजत दे दी - “ठीक है, पर प्लीज़, थोड़ी देर के लिए, मुझे बहुत शर्म लग रही है…” तभी बिजली गुल हो गयी।

“तो मैं फ्रोक उतार दूँ? ” वह बोला।

मैंने धीरे से कहा- “हाँ…”
उसने खींचकर उतार दिया। हम शीट के नीचे थे इसलिए मुझे यकीन था कि वह मेरा नग्न शरीर नहीं देख पायेगा। उसने भी बनियान उतार दिया था और उसकी चौड़ी छाती मेरी छाती से भिड़ी हुई थी। मेरी झिझक भी अब जाती रही थी और मैं अपनी कमसिन जवान चूंचियाँ उसकी छाती पर दबा रही थी। हम आपस में पागल1 जैसी चूमाचाटी कर रहे थे।

बाहर हवा का झोंका अब एक तूफान में तब्दील हो रहा था और सांय-सांय की आवाज आ रही थी। उसके पाजामे से मेरी पैंटी पर पड़ता दबाव मुझे महसूस हो रहा था। उसका एक हाथ, जो अबतक मेरे मम्मे दबा रहा था, नीचे आकर मुझे वहां सहलाने लगा। अचानक बिना मुझसे पूछे, उसने खींचकर मेरी पैंटी उतार दी । मैं अपनी जांघ. बंद करती, उसके पहले ही उसका हाथ वहां था, मेरी जाँघो को अलग करता हुआ और उन्हें अंदर से सहलाता हुआ…

मीता अब कांप रही थी।

मैंने उसे पकड़कर कहा- “बोलो ना फिर क्या हुआ?”

वह हथेलियों में मुँह छिपाते हुए बोली - “भाभी मुझे शरम आती है…”

मैंने कस के उसकी चूची मसली और झल्ला कर बोली - “आगे बोल…”

वह आगे बोली - “फिर भाभी उन्होने मुझे अपना वो पकड़ा दिया…”

मैं अपनी हँसी न दबा सकी। खिलखिलाते हुए बोली - “खुल के बोल ना क्या पकड़ा दिया…”

वह बोली - “वही अपना वो मैनहुड…”

इस बार मैंने मीता की बुर उसके ड्रेस के ऊपर से ही कसकर भींची और कहा- “अरी बन्नो, रात में दो तीन बार पूरा घोंट गयी, और इस समय नाम बोलने में शरमा रही हो। खुल के बोलो और बताओ कितना बड़ा था? तुम्हें कैसा लगा? वरना यह पूरा का पूरा बेलन तुम्हारी …”
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[size=large][size=large]वह आगे बोली - “फिर भाभी उन्होने मुझे अपना वो पकड़ा दिया…”

मैं अपनी हँसी न दबा सकी। खिलखिलाते हुए बोली - “खुल के बोल ना क्या पकड़ा दिया…”

वह बोली - “वही अपना वो मैनहुड…”

इस बार मैंने मीता की बुर उसके ड्रेस के ऊपर से ही कसकर भींची और कहा- “अरी बन्नो, रात में दो तीन बार पूरा घोंट गयी, और इस समय नाम बोलने में शरमा रही हो। खुल के बोलो और बताओ कितना बड़ा था? तुम्हें कैसा लगा? वरना यह पूरा का पूरा बेलन तुम्हारी …”

मेरी धमकी से मीता फिर बोलने लगी- “भाभी, ओके… उन्होने मुझे अपना लंड पकड़ा दिया था, कितना सख़्त था। और एकदम गरम, मेरे बित्ते के बराबर रहा होगा या उससे भी बड़ा। थोड़ी देर तो मैं ऐसे ही पकड़े रही पर फिर उनके रिक्वेस्ट करने पर मैंने उसे धीरे-धीरे दबाया। तब तक उन्होने अपनी एक उंगली मेरे वहां…”

“फिर वहां बोली … बता खुलकर कहाँ डाली थी उंगली , सारी रात चुदवाई, चूत में तीन चार बार लंड घोंटा और… अरे अब शर्म को गुडबाइ करो और जिंदगी के मजे लो…”

“भाभी उन्होने… उन्होने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी और वह अंगूठे से क्लिट भी रगड़ने लगे। उनके होंठ मेरे निपल चूस रहे थे…”

“फिर…” अब मैं भी उत्तेजित हो चली थी।

फिर उन्होने टेबल के ऊपर से उठाकर मेरी क्रीम अपने लंड पर लगायी और मेरी चूत फैलाकर उसमें भी खूब सी डाल दी और मेरी टांग. उठाकर अपने कंधों पर रख ली । मैं मना कर रही थी कि नहीं, प्लीज़ नहीं, मुझे बहुत दर्द होगा पर उन्होने कहा- “मीता डार्लिंग, मुझे तुम्हारा बहुत खयाल है और जैसे ही दर्द हो बोलना, मैं निकाल लूंगा…”

उन्होने मेरी चूत पर लंड रगड़ा और थोड़ा सा प्रेस किया और मेरी तो जान सी निकल गयी। मैंने अपने होंठ भींच लिए और उन्होने कसकर दोबारा डाला। मुझे लगा जैसे गरम लोहे का राड घुस गया हो और मैं दर्द से चीख दी ।

“फिर क्या हुआ? क्या वह रुक गया?”

हाँ भाभी, यू नो ही इज़ सो केयरिंग… उन्होने मुझे किस किया और कहा- “मीता अगर तुम्हें बहुत दर्द हो रहा हो तो मैं निकाल लेता हूँ, पर मेरा बहुत दिनों से मन कर रहा था और फिर ऐसा मौका मिले कि ना मिले…” वे बोले कि आइ प्रामिस बस थोड़ा सा और दर्द होगा और उसके बाद तुमको भी खूब मजा आयेगा। जैसा बोलो…

तुम कहो तो मैं निकाल लूं… मेरे लिए इस मजे से तुम्हारी खुशी ज़्यादा इम्पोर्टेंट है पर कभी तो ये दर्द सहना ही होगा…” और वे लंड बाहर खींचने लगे।

मुझे लगा कि ये इतने दिनों से मेरी पिक्चर अपने पास रखे थे, और मेरे दर्द के लिए ये सब कुछ करने को तैयार हैं तो ऐसे में मुझे सेल्फिश नहीं होना चाहिये। और मेरा दर्द भी कुछ कम हो गया था। मैंने उनके होंठों पर कस के किस कर लिया और उन्हें लिपटाकर जोर से अपनी ओर खींचा। वे समझ गये। फिर बहुत धीरे-धीरे प्यार करते हुए…
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[size=large][size=large][size=large]मुझे लगा कि ये इतने दिनों से मेरी पिक्चर अपने पास रखे थे, और मेरे दर्द के लिए ये सब कुछ करने को तैयार हैं तो ऐसे में मुझे सेल्फिश नहीं होना चाहिये। और मेरा दर्द भी कुछ कम हो गया था। मैंने उनके होंठों पर कस के किस कर लिया और उन्हें लिपटाकर जोर से अपनी ओर खींचा। वे समझ गये। फिर बहुत धीरे-धीरे प्यार करते हुए…

थोड़ी देर में दर्द भी गायब हो गया और मुझे भी मजा आने लगा। बाहर खूब जोर का पानी बरस रहा थ और अंदर हम दोनों की चुदाई… बहुत देर तक… मैं खो गयी थी, कभी वह मेरे निपल चूसते कभी मेरे क्लिट पर हाथ फेरते, कभी धीरे कभी पूरी तेजी से, सच भाभी, आप सही कह रही थीं बहुत मजा आता है। पता नहीं कित्ती देर तक तो उन्होने किया और फिर वे मेरे अंदर ही स्खलित हो गये।

“तो आया ना मजा…” मैंने उसका चुम्मा लिया।

“बहुत भाभी…” और उसने मेरे चुंबन का जवाब चुंबन से दिया।

“हाँ, तो उसके बाद तुम लोग सो गये?” मैंने पूछा।

कहाँ भाभी, इत्ते सीधे आपके भाई थोड़े ही हैं। बाहर बहुत मस्त मौसम हो रहा था। पानी अब फिर से तेज हो गया था। बिजली चली गयी थी इसलिए हमने खिड़की भी खोल रखी थी। सावन की फुहार. मेरे बदन पर पड़कर फिर आग सी लगा रही थीं। फिर वो मुझे लेकर खिड़की के पास खड़े हो गये और मुझे अपनी बाहों में लेकर चूमने लगे। तेज हवा और पानी के छींटे., हमें अंदर तक हिला रहे थे। उसने पहले मेरी आँख. किस की और फिर होंठ… उसके बाद एक बहुत सेक्सी लाइन गायी…

Your lips make the roses red,
Because to see your lips they blush for shame
From your sweet breath
Their sweet smells do proceed;
The living heat which your eye beams doth make
Warmeth the ground and quickeneth the seed.

और उनके इन शब्दों से मैं फिर पूरी तरह उत्तेजित हो गयी। वह मुझे अपनी बाहों में लेकर पलंग पर लाये और मुझे अपनी गोद में बिठाकर दोनों हाथों से मेरे मम्मे दबाने लगे।

मेरे निपल्स फिर से खड़े हो गये थे और मेरे पूरे शरीर में सिहरन सी हो रही थी। भाभी… मैं बता नहीं सकती कितना अच्छा लग रहा था। वो बड़ी बेशर्मी से मेरे जोबन को सहलाते हुए उसकी तारीफ कर रहे थे और मैं भी इत्ती बेशरम हो गयी थी कि मुझे भी सुनकर मजा आ रहा था और मैंने भी उनके एकदम सख़्त… उसको पकड़ लिया और सहलाने लगी।

मैंने फिर उसको बोला- “पकड़ने में नहीं शरमायी और नाम लेने में बन्नो को शरम आ रही है…”

“ओके भाभी, मैं उनका लंड पकड़कर सहला रही थी और उन्होने भी अपनी एक उंगली मेरी चूत में डालकर हिलाना शुरू कर दिया था। मेरी चुचियों पर जो पानी की बूंदे पड़ी थीं, वह उसे चाट-चाटकर साफ कर रहे थे।

इत्ते में अचानक लाइट आ गयी और दूधिया नाइट बल्ब जल गया। मैंने अपने को कवर करने की कोशिस की पर आपके भाई इत्ते दुष्ट हैं कि उन्होने मुझे करने नहीं दिया और कहने लगा- “मीता, अब हम लोगों को एक दूसरे से क्या छिपाना…”
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[size=large][size=large][size=large][size=large]“ओके भाभी, मैं उनका लंड पकड़कर सहला रही थी और उन्होने भी अपनी एक उंगली मेरी चूत में डालकर हिलाना शुरू कर दिया था। मेरी चुचियों पर जो पानी की बूंदे पड़ी थीं, वह उसे चाट-चाटकर साफ कर रहे थे।
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इत्ते में अचानक लाइट आ गयी और दूधिया नाइट बल्ब जल गया। मैंने अपने को कवर करने की कोशिस की पर आपके भाई इत्ते दुष्ट हैं कि उन्होने मुझे करने नहीं दिया और कहने लगा- “मीता, अब हम लोगों को एक दूसरे से क्या छिपाना…”

मैंने शरम से आँख. बंद कर ली पर चूमकर और फिर अपनी कसम हिलाकर उन्होने मुझे आँख. खोलने के लिए मजबूर कर दिया। मैंने जब नजर नीचे की तो पाया कि मेरे निपल्स एकदम कड़े और खड़े हैं और आपके भाई अपनी जीभ से उसे फ्लिक कर रहे हैं। उन्होने मुझे फोर्स किया कि मैं अपनी चूत भी दिखाऊँ । बोले कि- “see how beautiful are your portals of love…”

फिर उन्होने अपनी उंगलियों से उसे अलग किया और मुझसे बोले- 

“As a petal of rose with soft and pearly skin, I open your love lips my smooth and pink flower, I offer to your sex, its delicate velvet as a smooth nest formy hot kisses and later on warm love juice…”

भाभी, बाहर का सेक्सी मौसम, हलकी बूँदा-बाँदी और उनकी छुअन के साथ उनके शब्दों ने मुझे एकदम से गरम कर दिया और मैं सब शरम भूल गयी और अपने आप मेरी चूत, जैसे कोई कली खिलती है वैसे खुल गयी।
और बस ये देखते ही वे झुक कर मेरी चूत पर चुम्मा लेने लगे। मैंने उन्हें मना किया कि किस जगह पे आप किस कर रहे हो?

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पर भाभी उन्होने कहा कि- “मेरा सारा शरीर… एक-एक इंच प्यार करने के लिए है और मुझे चुपचाप इसका मजा लेना चाहिये…”

मेरी सांस. भारी हो रही थीं, मेरी आँख. मुंद रही थीं और मेरे चूतड़ धीरे-धीरे हिल रहे थे और मैंने अपने को फिर उनके भरोसे छोड़ दिया। उन्होने दो तीन तकिये मेरी चुतड़ों के नीचे रखे और फिर पहले की तरह अपने लंड और मेरी चूत पर क्रीम लगाकर उन्होने मेरी दोनों टांग. अपने कंधों पर रखी और जबरदस्ती करके मेरी आँख. खुलवायीं।

अब मेरी शरम भी बहुत कम हो गयी थी और मैं उनके किस का खूब जवाब दे रही थी। थोड़ी देर तक मेरे क्लिट पर लंड रगड़ने के बाद जब मैं अपने चुतड़ों को बार-बार ऊपर उठाने लगी तो उन्होने मेरी चूत में पूरी ताकत से एक धक्के में लंड डाल दिया। भाभी, दर्द तो फिर हुआ पर पहले से कम। धीरे-धीरे करके आपके भाई ने पूरा अंदर डाल दिया। और उस दुष्ट ने फिर कस के मेरा निपल चूसके पूछा- “क्यों मीता, अब तो दर्द नहीं हो रहा है?”

“तो तुमने क्या जवाब दिया…” मैं उत्सुक थी।

भाभी, मैंने जवाब में कस के उन्हें किस कर लिया और अपने हाथों से अपनी ओर खींच लिया। फिर बहुत देर तक हम लोग करते रहे। वे अपना करीब-करीब पूरा बाहर निकालकर कहते- “मीता देखो अब बाहर आ गया है…”

और फिर एक बार में पूरा अंदर डाल देता। पोज़ बदल बदल कर, और फिर जब वो तो हम साथ-साथ करवट पर थे और ऐसे ही सो गये…”

“पर… पर तुम तो कह रही थीं तीन बार…” अब मैं भी गरमा चली थी।
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“हाँ भाभी, जब थोड़ी देर बाद नींद खुली तो मैंने अपनी टांग. हटाने की कोशिस की पर मैंने पाया कि उनका तो फिर पूरी तरह खड़ा और कड़ा है, और मैंने उन्हें फिर से बाहों में भर लिया। आधी नींद में ही वे कमर चलाने लगे और थोड़ी देर बाद मैं भी उनका साथ दे रही थी। मैंने उनका हाथ भी अपने मम्मों पर रख लिया और धीरे से किस कर लिया। इससे उनकी नींद खुल गयी और फिर तो… मुझे लिटाकर वह अच्छी तरह चालू हो गये।
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]“हाँ भाभी, जब थोड़ी देर बाद नींद खुली तो मैंने अपनी टांग. हटाने की कोशिस की पर मैंने पाया कि उनका तो फिर पूरी तरह खड़ा और कड़ा है, और मैंने उन्हें फिर से बाहों में भर लिया। आधी नींद में ही वे कमर चलाने लगे और थोड़ी देर बाद मैं भी उनका साथ दे रही थी। मैंने उनका हाथ भी अपने मम्मों पर रख लिया और धीरे से किस कर लिया। इससे उनकी नींद खुल गयी और फिर तो… मुझे लिटाकर वह अच्छी तरह चालू हो गये।
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बत्ती तो उन्होने बंद करने नहीं दी थी। अबकी दर्द मुझे पहले दोनों बार से कम हुआ और मजा भी खूब आ रहा था। मेरा तो कई बार हुआ पर वो बहुत देर बाद… आखिर वो झड़े… लेकिन अबके उनके झड़ते ही मैंने धीरे से उनके लंड को बाहर निकाल लिया और अपनी जाँघो के बीच में दबा लिया। थोड़ी देर में वह फिर सो गये थे।
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मैंने बाहर देखा तो सुबह हो रही थी। इसलिए मैंने फिर फ्रोक पहनी और किचन में आ गयी…”

“वाह, बन्नो, तुमने तो पहली ही बार में हैट्रिक कर ली । बट लेट मी टेल यू वन थिग, जैसे कान छेदते हैं ना, तो उसमें रिंग पहनना ज़रूरी होता है कि फिर से छेद बंद न हो जाये, उसी तरह से यही हालत चूत की है…” कहते हुए मैंने हाथ उसकी फ्रोक में डालकर उसकी अभी-अभी चुदी कमसिन चूत पकड़कर भींच दी - “इट ओन्ली मीन्स दैट मुझे तुम्हारे लिए कोई रेगुलर इंतज़ाम करना पड़ेगा, जिससे मेरी बन्नो की चूत अब रोज-रोज चारा खाये…”

“पर भाभी, संजय तो… आज रात में चला जायेगा…”
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“आइ नो…” उसकी चूत में उंगली डालकर उसकी लेबिया फैलाते हुए मैंने चिढ़ाया- “चलो मेरे भैया न सही , मेरे सैयाँ ही सही , आज उन्हीं के साथ तुम्हारा…”

“पर भाभी, आपका उपवास हो जायेगा…” मेरी बात बीच में काटकर आँख. मटकाकर खिलखिलाती हुई वह बोली ।

एक रात में छोरी कितनी बदल गयी थी।

“कोई बात नहीं, ननद भाभी मिल बाँट कर खाएँगे …” मैं हँसकर बोली ।

चाय का पानी अब उबल रहा था। मैंने चाय उड़ेलकर दो ट्रे बनायीं। एक मैंने मीता को देते हुए कहा- “हे, जरा यह मेरे भाई को दे के आओ। रात भर में तुमने उसकी सारी मलाई निकाल ली , अब थोड़ा रीप्लेनिश भी करो।

और हाँ, बेड-टी देने के पहले उसके हथियार को गुड मॉर्निंग का एक गरम-गरम किस दे के उठाना…”

“हाँ… मैं कह दूँगी कि यह किस मेरी भाभी की ओर से है…” अपने जवान नितंबों को हिलाते हुए वह बोली और जाने लगी।

“अच्छा चारा खाकर चिड़िया बहुत बोलने लगी है, आज मैंने अपने सैयाँ से तुम्हारी ये कोरी -कोरी गान्ड न मरवायी तो कहना…”

“ठीक है भाभी, आपके भैया को देख लिया, अब आपके सैयाँ को भी देख लूंगी…” किसी खिलती छिनार जैसे अपने चूतड़ मटकाकर वह बोली और चली गयी।

मैं भी अपने पति के लिए बेड-टी लेकर ऊपर आयी। उन्हें जल्दी जाना था इसलिए वे तैयार हो रहे थे। जब वे बाहर आये तो आंगन में फिर सावन भादों की झड़ी लग गयी थी। उन्हें छेड़ती हुई मैं बोली –

“तेरी दो टकिया की नौकरी, मेरा लाखों का सावन जाये।
हाय हाय ये मजबूरी, ये मौसम और ये दूरी…”
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[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif][size=x-small]मित्रो मेरे द्वारा पोस्ट की गई कुछ और भी कहानियाँ हैं [/font][/size][/size]
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]बत्ती तो उन्होने बंद करने नहीं दी थी। अबकी दर्द मुझे पहले दोनों बार से कम हुआ और मजा भी खूब आ रहा था। मेरा तो कई बार हुआ पर वो बहुत देर बाद… आखिर वो झड़े… लेकिन अबके उनके झड़ते ही मैंने धीरे से उनके लंड को बाहर निकाल लिया और अपनी जाँघो के बीच में दबा लिया। थोड़ी देर में वह फिर सो गये थे।

मैंने बाहर देखा तो सुबह हो रही थी। इसलिए मैंने फिर फ्रोक पहनी और किचन में आ गयी…”

“वाह, बन्नो, तुमने तो पहली ही बार में हैट्रिक कर ली । बट लेट मी टेल यू वन थिग, जैसे कान छेदते हैं ना, तो उसमें रिंग पहनना ज़रूरी होता है कि फिर से छेद बंद न हो जाये, उसी तरह से यही हालत चूत की है…” कहते हुए मैंने हाथ उसकी फ्रोक में डालकर उसकी अभी-अभी चुदी कमसिन चूत पकड़कर भींच दी - “इट ओन्ली मीन्स दैट मुझे तुम्हारे लिए कोई रेगुलर इंतज़ाम करना पड़ेगा, जिससे मेरी बन्नो की चूत अब रोज-रोज चारा खाये…”

“पर भाभी, संजय तो… आज रात में चला जायेगा…”

“आइ नो…” उसकी चूत में उंगली डालकर उसकी लेबिया फैलाते हुए मैंने चिढ़ाया- “चलो मेरे भैया न सही , मेरे सैयाँ ही सही , आज उन्हीं के साथ तुम्हारा…”

“पर भाभी, आपका उपवास हो जायेगा…” मेरी बात बीच में काटकर आँख. मटकाकर खिलखिलाती हुई वह बोली ।

एक रात में छोरी कितनी बदल गयी थी।

“कोई बात नहीं, ननद भाभी मिल बाँट कर खाएँगे …” मैं हँसकर बोली ।

चाय का पानी अब उबल रहा था। मैंने चाय उड़ेलकर दो ट्रे बनायीं। एक मैंने मीता को देते हुए कहा- “हे, जरा यह मेरे भाई को दे के आओ। रात भर में तुमने उसकी सारी मलाई निकाल ली , अब थोड़ा रीप्लेनिश भी करो।

और हाँ, बेड-टी देने के पहले उसके हथियार को गुड मॉर्निंग का एक गरम-गरम किस दे के उठाना…”

“हाँ… मैं कह दूँगी कि यह किस मेरी भाभी की ओर से है…” अपने जवान नितंबों को हिलाते हुए वह बोली और जाने लगी।

“अच्छा चारा खाकर चिड़िया बहुत बोलने लगी है, आज मैंने अपने सैयाँ से तुम्हारी ये कोरी -कोरी गान्ड न मरवायी तो कहना…”

“ठीक है भाभी, आपके भैया को देख लिया, अब आपके सैयाँ को भी देख लूंगी…” किसी खिलती छिनार जैसे अपने चूतड़ मटकाकर वह बोली और चली गयी।

मैं भी अपने पति के लिए बेड-टी लेकर ऊपर आयी। उन्हें जल्दी जाना था इसलिए वे तैयार हो रहे थे। जब वे बाहर आये तो आंगन में फिर सावन भादों की झड़ी लग गयी थी। उन्हें छेड़ती हुई मैं बोली –

“तेरी दो टकिया की नौकरी, मेरा लाखों का सावन जाये।
हाय हाय ये मजबूरी, ये मौसम और ये दूरी…”

उसने मुझे बाहों में भींचकर कहा कि जानती हो, इस मौसम में मेरा बस एक ही मन करता है कि तुम्हें खींच के बारिश में ले जाऊँ , और वहां हम लोग खूब जमकर भीगें और वही तुम्हें मैं रस ले-लेके चोदू उसके होंठ मेरे होंठों के अमृत का पान कर रहे थे और उसके हाथ मेरे बालों में चल रहे थे।

“तो फिर देर क्या है? मैं भी हूँ और बारिश भी है…” आँख. मटकाकर मैंने उन्हें चेलेंज किया और फिर मेरा मतलब साफ करने के लिए उनकी पैंट में फिर से सरसराते हुए उनके लंड को पकड़ लिया।

“यू नो, आज मैं चार बजे तक जल्दी घर आने की सोच रहा था, उसके बाद… लेकिन यू नो, इट विल नाट बी पासिबल…” वे बोले।

“डालिग. , मैं जानती हूँ कि तमु किस प्राबलम की बात कर रहे हो पर अगर मैं वह प्राबलम साल्व कर दूं तो बस मेरी एक छोटी सी शर्त है, तुम्हें एक काम करना होगा…” अब तक मैंने उनका जिप खोल लिया था और ब्रीफ़ के
ऊपर से उसका करीब-करीब पूरा तन्नाया लंड सहला रही थी।


“बोलो ना क्या शर्त है तुम्हारी , यू नो, मैं वैसे ही जोरू का गुलाम हूँ, जो कहोगी वह करूँगा …” मुझे भूखे की तरह आलिगन में लेकर मेरा पल्लू उठाकर मेरे स्तन जोर से मसलते हुए उन्होने कहा।


“ओके, तो जिसके साथ, जैसे, जो भी कहूंगी… करना पड़ेगा, कोई भी नखरा नहीं चलेगा…” मेरा हाथ अब उसके ब्रीफ़ में घुसकर उसके सुपाड़े की चमड़ी नीचे कर रहा था।

“हाँ, हाँ, जिसके साथ, जैसे भी, जो भी कहोगी करूँगा, करूँगा, करूँगा, लेकिन आज शाम को…”

“ओके, हो जायेगा, डार्लिंग, तुम्हारे लिए कुछ भी … पर अपना प्रामिस याद रखना…” अपना हाथ निकालते हुए मैंने कहा- “पर अभी तो नास्ते पर चलो, मीता और संजय इंतेजार कर रहे होंगे…”

नास्ते की टेबल पर मीता और संजय साथ-साथ बैठे थे। संजय का हाथ मीता के कंधे पर था। मेरे ढले पल्लू को देखकर मीता ने मजाक किया- “भाभी, मैं तो सोच रही थी कि आप भैया को कमरे में ही नाश्ता करा रही हैं…”
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]“अरे मैं इत्ते दिनों से तुम्हारे भैया को नाश्ता करा रही हूँ लेकिन अब आज से तुम उनको नाश्ता कराओ, उनका भी टेस्ट बदल हो जायेगा। पर ये बताओ कि तुमने मेरे भैया को कराया कि नहीं?” मैंने उसी तरह का जवाब दिया।
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कल की धुआंधार रति के बाद मीता आज एकदम बदल गयी थी। अपने भैया की प्लेट में हलवा परोसते हुए अपनी चूंचियाँ तानकर बड़ी शैतानी भरी मुस्कान के साथ बोली - “ठीक है, ली जिये भैया, ये मैंने अपने हाथ से बनाया है, सिर्फ़ भाभी क्यों, मैं भी करा सकती हूँ…”



यह नोंक झौंक सुनकर मैंने टेबल के नीचे से राजीव के लंड पर हाथ रखा तो वह पूरा तन्नाकर खड़ा हो गया था।



“और हाँ भाभी, ये मत कहियेगा कि मैं अपने भाई का खयाल नहीं रखती हूँ, जरा देखिये…” उस भरी प्लेट की ओर इशारा करते हुए वह आगे बोली ।



“ठीक है, खयाल तो रखना ही चाहिये… पर आपको भी मेरी ननद का खयाल रखना होगा, अरे जरा केला तो पास कीजिये मीता को…” एक प्लेट में रखे मोटे ताजे केलों की ओर इशारा करती हुई मैं अपने पति से बोली ।



उसने सबसे मोटा केला उठाकर मेरी किशोरी ननद को दे दिया जिसने उसे बड़े प्यार से पकड़कर धीरे-धीरे उसे छीला, बिलकुल इस अंदाज में जैसे वह सुपाड़े पर की चमड़ी उतार रही हो, और फिर उसे चाटते हुए अपने मादक होंठों के बीच ले लिया।



यह अब राजीव के सब्र की सीमा के बाहर था क्योंकी अब उसका लंड जिपर तोड़कर बाहर आने को आमादा हो गया था।



मैंने अब विषय बदला और संजय को पूछा- “हे, आज शाम को तो तुम फ्री हो?”



“हाँ, पर रात को दस बजे तक लौट जाऊँगा…”



“तो ठीक है, मीता तुम जानती हो ना, वेव्ज, जो नया वाला वाटर पार्क है, वहां आज शाम को रेन डांस है, शाम चार बजे से, और कपल्स के लिए है, उन्होने इन्विटेशन भेजा है, और ये देर से आते हैं तो हम लोग तो जा नहीं पाएँगे, तो संजय तुम मीता को लेकर चले जाना। थोड़ा दूर है इसलिए तुम लोग तीन बजे ही निकल लेना। और तुम्हें मालूम है, कुछ बड़े एक्साइटिन्ग खेल हैं। और डेयरिंग कपल्स के लिए प्राइज़ेज़ भी हैं। मुझे यकीन है कि तुम और मीता बहुत से प्राइज़ेज़ लेकर लौटोगे…”



संजय बोला कि ठीक है।



मीता भी खुशी से फूलकर कुप्पा हुई जा रही थी।



पर जब मैंने अपने पति की ओर देखा तो सबसे ज़्यादा खुशी उन्हें हुई थी। जब मैं उसे छोड़ने और गुडबाइ किस देने को दरवाजे तक गयी, तो मुझे कसकर आलिगन में लेकर वे बोले “सो मेनी थॅंक्स टु यू, मैं ठीक चार बजे तक आ जाऊँगा, पर वह शर्त क्या है?”



अपना हाथ उसकी पैंट पर फेरते हुए मैं बोली - “शर्त तो बहुत सिंपल है, आज रात आपको मेरी ननद की कुँवारी कोरी गान्ड मारनी होगी…”


[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]-----समाप्त----[/size][/size][/size][/size][/size][/size]
 
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