hotaks444
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[size=large]तभी उसने मुझे पकड़कर कहा- “एक गुड नाइट किस तो दो पहले…” और मेरे दहकते होंठों पर अपने होंठ रख दिये। बिना उसकी ओर देखे अपने आपको अलग करके मैं अपने कमरे में चली गयी पर अपना दरवाजा मैंने खुला रखा।
“फिर क्या हुआ…” उत्सुकता से मैंने पूछा।
मीता आगे बोलने लगी- भाभी आप तो जानती हैं कि कल मौसम कितना सेक्सी था। मेरे कमरे में खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी और पानी तेजी से बरस रहा था। ऊपर के कमरे से आप लोगों की मादक आहो की आवाज भी आ रही थी। जैसा आपने और भाभी ने झूले पर मुझे वहां छुआ था, मेरा हाथ अपने आप वहां चला गया, और यू नो मैं एकदम गीली थी। मैं संजय के बारे में और आज शाम हुई सब घटनाओं के बारे में सोच रही थी और मेरी उंगलियां धीरे-धीरे वहां चल रही थीं। मैं सोने की कोशिस कर रही थी तभी जोर से बिजली कौंधी।
आप तो जानती हैं कि मुझे बिजली से कितना डर लगता है और मैं चीख पड़ी और यह सुनकर वह अंदर आ गये। मैंने उससे प्रार्थना की कि थोड़ी देर मेरे पास लेट जाओ और वह मान कर मेरे पास सो गया। मेरा दिल धड़क रहा था और इसलिए मैंने उसका हाथ फ्रोक के अंदर मेरे दिल पर रख दिया। तभी बिजली फिर चमकी, इस बार वह इतनी प्रखर थी कि मैंने उसे पकड़ लिया और कहा- “प्लीज़, मुझे कस के पकड़ लो…” और उसका हाथ मेरे स्तनों पर दबा दिया।
उसके बाद वह मुझे धीरे-धीरे सहलाने लगा। मेरे सारे बटन उन्होने खोल दिये और ब्रा का हुक भी निकाल दिया।
जब तक मैं समझती, मेरे दोनों उरोज उनके हाथ में थे और वे बड़े प्यार से धीरे-धीरे उन्हें सहला रहे थे। मैं थोड़ा अपराधीपन महसूस कर रही थी और अच्छा भी लग रहा था। मुँह से मैं कह रही थी कि नहीं नहीं पर… यह उसको भी समझ में आ गया।
उन्होने मेरा फ्रोक उतारने की कोशिस की तो मैंने मना कर दिया- “नहीं, प्लीज़ नहीं…”
उसने गिड़गिड़ा कर कहा- “मीता, प्लीज़, मेरा बहुत दिनों से मन है। मैं बस तुम्हें कस के बाहों में लेना चाहता हूँ। लगता है कि मैं तुम्हें भींच लूं और हमारे बीच में कुछ भी न हो…”
मैंने बेमन से इजाजत दे दी - “ठीक है, पर प्लीज़, थोड़ी देर के लिए, मुझे बहुत शर्म लग रही है…” तभी बिजली गुल हो गयी।
“तो मैं फ्रोक उतार दूँ? ” वह बोला।
मैंने धीरे से कहा- “हाँ…”
उसने खींचकर उतार दिया। हम शीट के नीचे थे इसलिए मुझे यकीन था कि वह मेरा नग्न शरीर नहीं देख पायेगा। उसने भी बनियान उतार दिया था और उसकी चौड़ी छाती मेरी छाती से भिड़ी हुई थी। मेरी झिझक भी अब जाती रही थी और मैं अपनी कमसिन जवान चूंचियाँ उसकी छाती पर दबा रही थी। हम आपस में पागल1 जैसी चूमाचाटी कर रहे थे।
बाहर हवा का झोंका अब एक तूफान में तब्दील हो रहा था और सांय-सांय की आवाज आ रही थी। उसके पाजामे से मेरी पैंटी पर पड़ता दबाव मुझे महसूस हो रहा था। उसका एक हाथ, जो अबतक मेरे मम्मे दबा रहा था, नीचे आकर मुझे वहां सहलाने लगा। अचानक बिना मुझसे पूछे, उसने खींचकर मेरी पैंटी उतार दी । मैं अपनी जांघ. बंद करती, उसके पहले ही उसका हाथ वहां था, मेरी जाँघो को अलग करता हुआ और उन्हें अंदर से सहलाता हुआ…
मीता अब कांप रही थी।
मैंने उसे पकड़कर कहा- “बोलो ना फिर क्या हुआ?”
वह हथेलियों में मुँह छिपाते हुए बोली - “भाभी मुझे शरम आती है…”
मैंने कस के उसकी चूची मसली और झल्ला कर बोली - “आगे बोल…”
वह आगे बोली - “फिर भाभी उन्होने मुझे अपना वो पकड़ा दिया…”
मैं अपनी हँसी न दबा सकी। खिलखिलाते हुए बोली - “खुल के बोल ना क्या पकड़ा दिया…”
वह बोली - “वही अपना वो मैनहुड…”
इस बार मैंने मीता की बुर उसके ड्रेस के ऊपर से ही कसकर भींची और कहा- “अरी बन्नो, रात में दो तीन बार पूरा घोंट गयी, और इस समय नाम बोलने में शरमा रही हो। खुल के बोलो और बताओ कितना बड़ा था? तुम्हें कैसा लगा? वरना यह पूरा का पूरा बेलन तुम्हारी …”[/size]
“फिर क्या हुआ…” उत्सुकता से मैंने पूछा।
मीता आगे बोलने लगी- भाभी आप तो जानती हैं कि कल मौसम कितना सेक्सी था। मेरे कमरे में खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी और पानी तेजी से बरस रहा था। ऊपर के कमरे से आप लोगों की मादक आहो की आवाज भी आ रही थी। जैसा आपने और भाभी ने झूले पर मुझे वहां छुआ था, मेरा हाथ अपने आप वहां चला गया, और यू नो मैं एकदम गीली थी। मैं संजय के बारे में और आज शाम हुई सब घटनाओं के बारे में सोच रही थी और मेरी उंगलियां धीरे-धीरे वहां चल रही थीं। मैं सोने की कोशिस कर रही थी तभी जोर से बिजली कौंधी।
आप तो जानती हैं कि मुझे बिजली से कितना डर लगता है और मैं चीख पड़ी और यह सुनकर वह अंदर आ गये। मैंने उससे प्रार्थना की कि थोड़ी देर मेरे पास लेट जाओ और वह मान कर मेरे पास सो गया। मेरा दिल धड़क रहा था और इसलिए मैंने उसका हाथ फ्रोक के अंदर मेरे दिल पर रख दिया। तभी बिजली फिर चमकी, इस बार वह इतनी प्रखर थी कि मैंने उसे पकड़ लिया और कहा- “प्लीज़, मुझे कस के पकड़ लो…” और उसका हाथ मेरे स्तनों पर दबा दिया।
उसके बाद वह मुझे धीरे-धीरे सहलाने लगा। मेरे सारे बटन उन्होने खोल दिये और ब्रा का हुक भी निकाल दिया।
जब तक मैं समझती, मेरे दोनों उरोज उनके हाथ में थे और वे बड़े प्यार से धीरे-धीरे उन्हें सहला रहे थे। मैं थोड़ा अपराधीपन महसूस कर रही थी और अच्छा भी लग रहा था। मुँह से मैं कह रही थी कि नहीं नहीं पर… यह उसको भी समझ में आ गया।
उन्होने मेरा फ्रोक उतारने की कोशिस की तो मैंने मना कर दिया- “नहीं, प्लीज़ नहीं…”
उसने गिड़गिड़ा कर कहा- “मीता, प्लीज़, मेरा बहुत दिनों से मन है। मैं बस तुम्हें कस के बाहों में लेना चाहता हूँ। लगता है कि मैं तुम्हें भींच लूं और हमारे बीच में कुछ भी न हो…”
मैंने बेमन से इजाजत दे दी - “ठीक है, पर प्लीज़, थोड़ी देर के लिए, मुझे बहुत शर्म लग रही है…” तभी बिजली गुल हो गयी।
“तो मैं फ्रोक उतार दूँ? ” वह बोला।
मैंने धीरे से कहा- “हाँ…”
उसने खींचकर उतार दिया। हम शीट के नीचे थे इसलिए मुझे यकीन था कि वह मेरा नग्न शरीर नहीं देख पायेगा। उसने भी बनियान उतार दिया था और उसकी चौड़ी छाती मेरी छाती से भिड़ी हुई थी। मेरी झिझक भी अब जाती रही थी और मैं अपनी कमसिन जवान चूंचियाँ उसकी छाती पर दबा रही थी। हम आपस में पागल1 जैसी चूमाचाटी कर रहे थे।
बाहर हवा का झोंका अब एक तूफान में तब्दील हो रहा था और सांय-सांय की आवाज आ रही थी। उसके पाजामे से मेरी पैंटी पर पड़ता दबाव मुझे महसूस हो रहा था। उसका एक हाथ, जो अबतक मेरे मम्मे दबा रहा था, नीचे आकर मुझे वहां सहलाने लगा। अचानक बिना मुझसे पूछे, उसने खींचकर मेरी पैंटी उतार दी । मैं अपनी जांघ. बंद करती, उसके पहले ही उसका हाथ वहां था, मेरी जाँघो को अलग करता हुआ और उन्हें अंदर से सहलाता हुआ…
मीता अब कांप रही थी।
मैंने उसे पकड़कर कहा- “बोलो ना फिर क्या हुआ?”
वह हथेलियों में मुँह छिपाते हुए बोली - “भाभी मुझे शरम आती है…”
मैंने कस के उसकी चूची मसली और झल्ला कर बोली - “आगे बोल…”
वह आगे बोली - “फिर भाभी उन्होने मुझे अपना वो पकड़ा दिया…”
मैं अपनी हँसी न दबा सकी। खिलखिलाते हुए बोली - “खुल के बोल ना क्या पकड़ा दिया…”
वह बोली - “वही अपना वो मैनहुड…”
इस बार मैंने मीता की बुर उसके ड्रेस के ऊपर से ही कसकर भींची और कहा- “अरी बन्नो, रात में दो तीन बार पूरा घोंट गयी, और इस समय नाम बोलने में शरमा रही हो। खुल के बोलो और बताओ कितना बड़ा था? तुम्हें कैसा लगा? वरना यह पूरा का पूरा बेलन तुम्हारी …”[/size]