Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी समधन - Page 3 - SexBaba
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Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी समधन

अपडेट 19
समधन बेहोश हो गयी.
पिताजी-ये क्या हो गया
माँ-आपने समधन को बेहोश कर दिया
पिताजी-तुम ने ऐसा करने को कहा था. इस लिए किया.
माँ-क्यूँ समधन की गंद नही मारनी थी.
पिताजी-मारनी थी.
माँ-तो मार लीजिए ,
पिताजी-ये तो बेहोश है.
माँ-आपके लंड से डर के समधन जी गंद मारने नही देती. इसी लिए एक साथ डालने को कहा. जैसे मैं
पहली बार बेहोश हो गयी थी वैसे समधन हो गयी.
पिताजी-समधन को होश मे लाओ
माँ-ऐसा नही कर सकती. आप एक बार बेहोशी मे गंद मार लो फिर गंद खुलते ही जिंदगी भर मारते रहना
पिताजी-तुम ने सही कहा. होश मे आई तो गंद मारने नही देंगी. और चिलाएगी बहुत ,पर तुम ऐसा क्यूँ
कर रही हो
माँ-बाद मे बताउन्गी. मारो जल्दी, नही तो समधन की गंद से हाथ धो बैठोगे
पिताजी ने अपनी बेहोश समधन की गंद मे धक्के मारना शुरू किया.
पिताजी को मज़ा नही आ रहा था पर वो शुरू से जोरदार धक्के मार रहे थे
माँ ने पिताजी समधन की चुदाई करने दी और वो रशोई घर मे जाकर गरम पानी करने लगी.
घर मे सब थक कर सो रहे थे.
इधर पिताजी समधन की बड़ी गंद मे जोरदार धक्के मार रहे थे
माँ ने सच कहा था कि समधन पिताजी को गंद मारने नही देती.
पिताजी ने एक बार लंड बाहर निकाल कर देखा तो पूरा लाल हो गया था.
पिताजी को अपने लंड पे गर्व था.समधन की लाल गंद देख कर उनका जोश बढ़ रहा था .
पिताजी ने वापस लंड गंद मे डाला और धक्के मारने लगे.
समधन इन सब से बेख़बर बेहोश होकर बेड पर लेटी हुई थी .
पिताजी को आज शीष्कारियाँ सुनने लायक मज़ा नही आ रहा था पर कल गंद मारने मे मज़ा ज़रूर आएगा.
थोड़ी देर बाद माँ गरम पानी और एक पेस्ट लेकर आ गयी.
माँ-हो गया
पिताजी-अभी तो आधी चुदाई हुई है.
माँ-रूको, मुझे अपना काम करने दो
पिताजी ने माँ की बात मान ली और समधन की गंद से लंड निकाल लिया.
माँ ने गरम पानी से समधन की गंद को अच्छे से साफ किया.
फिर पेस्ट को अपनी उंगली पे ले कर गंद के अंदर डाल दिया.
कुछ देर तक माँ ने पेस्ट से समधन की गंद की मालिश की फिर. गरम पानी डाल कर पेस्ट साफ किया.और पानी
छुपा दिया.
माँ ने पिताजी को गंद मे लंड डालने को कहा. गंद मे लंड जाते ही माँ समधन को उठाने लगी.
माँ ने समधन के मूह पर ठंडा पानी डाल दिया.
माँ-समधनजी उठो
समधन हड़बड़ा कर उठ गयी
समधन-आअहह. लंड निकालो
माँ-क्या हुआ
समधन-दर्द हो रहा है.दर्द ?
माँ-क्या हो रहा है
समधन-अभी तो दर्द हुआ था. अब क्या हुआ
माँ- समधी ,समधन को दर्द नही होने देंगे .धक्के मारने को कहूँ
समधन-मुझे क्या हुआ था.
माँ-आप बेहोश हो गयी थी. मैं ने आपको उठाया. धक्के मारने को कहूँ
समधन-हाँ, पर वो दर्द तो बहुत हो रहा था और अब बहुत कम हो रहा है
और पिताजी धीरे धीरे धक्के मारने लगे
पिताजी को माजी का आइडिया पसंद आ गया.
पिताजी ने समधन को घोड़ी बना दिया .और गंद पर थप्पड़ मार कर धक्के मारने लगे
माजी-कैसा लग रहा है
समधन-मुझे पता होता गंद मारने मे इतना मज़ा आता है तो पहले गंद मरवा लेती
पिताजी को अपनी समधन की बात सुनकर अच्छा लगा.
पिताजी खुश होकर समधन की कमर पकड़ कर धक्के मारने लगे
माँ के आइडिया से पिताजी को समधन की गंद रोज मारने को मिलेगी
पिताजी 10 12 धक्के के बाद समधन की गंद पर एक थप्पड़ मार देते .
पिताजी के ऐसा करते ही समधन शीष्कारी लेने लग जाती
समधन-आआआहह और्र्र्र्र्ररर जोर्र्र्र्र्र्ररर सीईई ाओसीईईईई हीोीओिओ मरूऊऊऊऊ
मेरिइईईईईईइगंद्द्द्द्द्द्दद्ड मरूऊऊऊऊओ
सामड़िीईईईऊजीीइईईईईईईई आप्प्प्प्प्प्प्प्प्प जादूगर्र्र्र्र्र्ररर हूऊऊऊओ मैंन्ननणणन् आअप्प्प्प्प्प के लुंद्द्द्द्द्दद्ड
कीईईईई गुलाआाँ हूऊऊओ गाइिईईईईई
पिताजी समधन की शीष्कारी सुनकर जोश मे आकर चुदाई करने लगे.
माँ पिताजी का जोश देख कर खुश हो गयी
पिताजी अपनी समधन की एक एक हड्डी तोड़ते चले गये
समधन धक्के खा कर अपनी चर्बी को सही तरीके से अड्जस्ट करने लग गयी.
यहाँ से जाने के बाद समधन का बदन खिल जाएगा.
पिताजी और समधन दोनो मस्ती मे डूब गये थे.
पहले तो पिताजी ने समधन की चूत मे वीर्य डाला था.
अब समधन की गंद मे वीर्य डालने की तैयारी मे थे
माँ ने पिताजी को खुश कर दिया.इसी लिए पिताजी माँ से इतना प्यार करते है.हर एक बात मानते है
पिताजी दना दन धक्के मार कर समधन को पूरी तरह से खुश करने लगे.
पिताजी के धक्को से पता चल रहा था कि उनका वीर्य निकलने वाला है.
और आख़िरी धक्को से साथ पिताजी ने समधन की गंद मे वीर्य डाल दिया.
वीर्य डालते ही पिताजी बुरी तरह से थक गये थे.
और समधन भी थक कर बेड पर गिर गयी.
पिताजी भी वही पर गिर गये
दोनो हान्फते हुए अपनी लंबी जोरदार चुदाई का सबूत दे रहे थे.
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अपडेट 20
नॉर्मल होते ही पिताजी पेशाब करने चले गये.
माजी-कहिए समधन जी कैसे लगी अपने बेटे की ससुराल की खातिरदारी
समधन-मेरे पास आओ
माजी समधन के पास चली गयी. और समधन ने माँ को गले लगा लिया
समधन-आपने मेरे लिए जो किया उसको मैं कभी नही भूलूंगी
माजी-ये अहसान नही. खातिरदारी थी. बताइए कैसे लगी
समधन-मैं चाहूँगी कि अगले जनम मे भी आप मेरी समधन रहे
माजी-फिर से मेरे पति का लंड लेना चाहती है
समधन-हाँ, आप किस्मत वाली है जो इनके जैसा पति मिला है
माजी-आप भी तो किस्मत वाली बन गयी
समधन-मैं तो कुछ दिन मे चली जाउन्गी.
माजी-ऐसे जाने नही दूँगी. 1 महीना आपको यहाँ रुकना होगा.
समधन-1 महीना, नही नही इतने दिन यहाँ कैसे रुक सकती हूँ
माजी-मतलब आपको मेरे पति का लंड पसंद नही आया
समधन-क्या बात करती हो. ऐसा लंड किसे पसंद ना आएगा.
माजी-फिर आपको 1 महीना यहाँ रुकना होगा..मेरी एक बात तो मान.ही.सकती है आप
समधन-आपकी बात मना कर भी नही सकती.पर 1 महीने बाद मुझे आदत लग गयी तो
माजी-ये अपना ही घर है महीने मे एक बार आया कीजिए पोते से मिलने के लिए
समधन-आप बहुत अच्छी है. अपने पति को मेरे साथ
माजी-आप अकेली कैसी रहती होगी इसका दर्द मैं जानती हूँ. आप अपना दर्द यहाँ हल्का कर लीजिए.
समधन-आप बहुत अच्छी है.
माजी-अब सो जाइए
समधन-मैं ऐसे नंगी सो जाउ,आप संभाल लेंगी ना
माजी-हाँ.
समधन सो गयी और पिताजी जो बाथरूम गये थे फ्रेश होने वो कमरे मे आ गये और माजी के साथ अपने
बेड पर लेट गये
पिताजी-तुम ने ये मेरे लिए किया.
माजी-हाँ,
पिताजी-पर पहले तो तुम मना कर रही थी.
माजी-हाँ, पर बाद मे आपको करवट बदलते हुए देखा तो मेरी नींद उड़ गयी. आपको ऐसे बेचैन कैसे
देखती
पिताजी-फिर पहले तुम ने अपने साथ करने को क्यूँ कहा
माजी-क्यूँ कि मेरी खुजली मिट गयी. और हमारी चुदाई दिखा कर समधन को तैयार किया
पिताजी-अगर समधन उठ ती नही तो
माजी-तुम्हारा हाथ पकड़ने से पहले समधन को चुटकी काटी थी. फिर अपनी शीष्कारियो से समधन को
आपके लंड की ताक़त दिखाई
पिताजी-तुम मेरा कितना ख़याल रखती हो.
माजी-आपको ख़याल ना रखूं तो किस का रखूँगी
पिताजी-समधन की गंद मारने मे ज़्यादा मज़ा नही आया.
माजी-पहली बार था ,कल से 1 महीना रोज समधन की गंद मारना
पिताजी-समधन 1 महीना रुकेंगी.
माजी-मैं ने रुकने को कहा है
पिताजी-मेरे लिए
माजी-हाँ, 1 महीना मुझे कामिनी के साथ सोना होगा. फिर आपका क्या होता ,इसीलिए रोक लिया
पिताजी-ये अच्छा किया पर मैं समधन के साथ अकेले कैसे सो सकता हूँ. किसी को शक हुआ तो
माजी-1 हफ़्ता मैं रहूंगी. फिर मेरे जाते ही आप छोटू के साथ हॉल मे सोना .और समधन यहाँ सोएंगी. और
रात मे
पिताजी-समधन की चुदाई करके हॉल मे चला जाउन्गा
माजी-पर ध्यान रखना वरना गड़बड़ हो जाएगी.
पिताजी-मैं पूरा ध्यान रखता हूँ. पर तुम ने ये सब पहले क्यूँ नही बताया
माजी-पहले बताती तो आपको इतना मज़ा आता
पिताजी-नही.
माजी-इस लिए नही बताया और हाँ दिन मे समधन से दूर रहना वरना बेटियाँ बड़ी हो गयी है सब समझती है
पिताजी-अब तो सिर्फ़ रात मे समधन के पास जाउन्गा.
माजी-समधन के चक्कर मे मुझे भूल मत जाना
पिताजी-तुम तो मेरे दिल मे रहती हो.
माजी-मैं वही रहना पसंद करती हूँ
पिताजी-काफ़ी रात हो गयी है मैं थक भी गया हूँ.
माजी-हाँ, अपने दोस्तो को मत बताना
पिताजी-इतना अनाडा नही हूँ
माजी-मेरे हीरो ,अब सो जाओ,कल से रोज मेहनत करनी होगी
पिताजी माँ के गले लग कर सो गये.
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अपडेट 21
माँ ने अपनी समधन अपने पति और सब का ध्यान रखते हुए सोचा था.
कामिनी के साथ माँ को सोना ज़रूरी था कामिनी की नींद पूरी हो और रात मे राज उठ कर कामिनी को परेशान ना
करे इस लिए माँ को कामिनी के साथ रहना था.
रमेश तो 2 दिन बाद चला जाएगा पर मैं और एक महीना रुकने वाली थी
माँ रात मे कितने बजे भी सो जाए फिर भी अपने समय पर उठ जाती थी.
पिताजी कैसी भी चुदाई करे माँ की नींद सुबह खुल जाती. उनको आदत हो गयी थी.
सुबह उठ कर माँ ने पिताजी के उपर चद्दर डाली ,और उनको सोने दिया.
फिर माँ ने अपनी समधन को देखा ,वो नंगी सो रही थी.
उसकी गंद और चूत पे अपने पति का वीर्य जो सुख चुका था जिस से चूत और गंद के छेद चिपक गये
थे.
माँ ने समधन के उपर चद्दर डाली और उन्हे भी सोने दिया. और कमरेको अच्छे सेबंद किया.
माँ अपने काम मे लग गयी.
थोड़ी देर बाद समधन की नींद खुल गयी.
और अंगड़ाई लेते समर समधन को अपने बदन मे दर्द हुआ
समधन की रात मे जो चुदाई हुई उसके बाद आज उनको बदन मे जो दर्द हुआ उसकी वजह से वो बिस्तर से उठ भी
नही पाई
समधन की दर्द के मारे एक चीख निकल गयी.
चीख सुनकर पिता जी उठ गये .और समधन को देख कर उनको रात की चुदाई याद आ गयी.
समधन की हालत जो पिताजी के लंड ने की थी उससे पिताजी को अपने लंड पर गर्व था.
पिताजी उठ कर समधन के पास गये जो दर्द की वजह से उठ नही पा रही थी.
पिताजी-क्या हुआ समधन जी
समधन-सब आपने किया और मुझे पूछ रहे है. पूरा बदन दुख रहा है
पिताजी-मैं मालिश कर देता हूँ
समधन-नही ,रहने दीजिए
अब पिताजी कहाँ सुन ने वाले थे .पिताजी ने चद्दर हटा दी.
समधन का नंगा बदन पिताजी के सामने आ गया.
रात मे पिताजी ने ठीक से देखा नही था पर अब समधन को देख कर देखते ही रह गये
समधन ने शरमा कर अपने बदन को मोड़ कर हाथो से बदन छुपा दिया.
समधन-ऐसे मत देखिए ,मुझे शरम आ रही है
पिताजी-रात मे नही आई.
समधन-आप जाइए यहाँ से
पिताजी-नही जाउन्गा. 1 महीना आप मेरी है
समधन-अभी जाइए ,और समधन को भेजिए. बदन दुख रहा है.
पिताजी-मैं मालिश कर दूं
समधन-आपको आती है
पिताजी-हाँ
समधन-तो कर दीजिए
और पिताजी ने लंड बाहर निकाला. जो सुबह की वजह से खड़ा हो गया था
समधन-ये क्या है
पिताजी-इसको चूसने से दर्द गायब हो जाएगा.
समधन-आप फिर शुरू हो गये. जाइए यहाँ से
पिताजी-एक बार मूह मे लेकर इसका शुक्रिया तो अदा कीजिए
समधन ने पिताजीका लंड मूह मे लिया था कि कमरे का गेट खुल गया
पिताजी और समधन डर गये थे पर माँ को देख कर नॉर्मल हो गये
माँ-क्या समधन जी सुबह सुबह शुरू हो गयी
समधन-इन्हो ने कहा ,
पिताजी-मैं ने कब कहा
समधन-आप ने ही तो कहा था.
माँ-जाने दीजिए. आपकी हालत कैसी है
पिताजी कमरे से बाहर चले गये
समधन-दर्द हो रहा है.
माँ-आप आराम कीजिए मैं मालिश कर दूँगी
माँ ने समधन की ऐसी मालिश की ,कि सारा दर्द गायब हो गया .
फिर भी समधन ने कमरे मे आराम करने का फ़ैसला किया.
माँ ने रमेश और कामिनी को बुला कर बता दिया कि समधन कल की वजह से थक गयी है उनको आराम की
ज़रूरत है.
रमेश और कामिनी को चिंता होने लगी.
पर माँ ने रमेश और कामिनी को कहा कि समधन 1 महीना रुकने वाली है. उनको गाँव पसंद आया है
कुछ दिन गाँव की हर्याली मे रहना चाहती है
समधन को गाँव मे रहने से अच्छा लग रहा है ये रमेश और कामिनी को दिख रहा था.
रमेश अपनी माँ के लिए खुश था .और कामिनी अपनी सास को अपने मायके मे खुश देख कर रिलॅक्स हो
गयी.पर उसको तो अपनी समधन की चाल देख कर शक हो गया
कामिनी समझ गयी कि पिताजी ने मैदान मार लिया
पर कामिनी ये देख नही पाई
पर कामिनी इस बात का पता लगाना चाहती थी कि वो जो सोच रही है क्या वो सच है
जैसा सोचा था वैसा हो रहा था
सब खुश थे ,समधन सब से ज़्यादा खुश, थी उनको दमदार लंड जो मिला था.
पिताजी ने 1 महीने मे समधन की ऐसी चुदाई की कि ,समधन का बदन ऐसा खिल गया. कि हर कोई उसकी खुश्बू
सूंघना चाहे
समधन मे आए बदलाव से रमेश तो खुश था उसको लगा कि गाँव की हवा पानी का असर है पर कामिनी को
पता था कि ये किस बात का असर है
पर ये असर था पिताजी के पानी का जिसे अपने अंदर ले कर समधन का बदन फिट हो गया.
माँ मेरा ध्यान रखते हुए बता रही थी कि क्या करना है कैसे करना है.
मुझे इन सब की आदत नही थी. पर मेरी बात कोई सुनता नही था
मेरी सास मेरी काफ़ी तारीफ करती थी जिसे सुनकर माँ को अच्छा लगता था.
इसी बीच वो दिन भी आ गया जिसका मुझको इंतजार था.
पर मेरी सास को लग रहा था कि ये दिन कभी नही आए
कल हमे वापस अपने घर जाना होगा , मुझे मेरे ससुराल जाना होगा
मेरी सास का ये लास्ट रात होने से पिता जी ने पूरी रात चुदाई की
इधर मैं माँ के साथ सोने की तैयारी कर रही थी
अब लस्ट दिन होने से मैं ने माँ से डायरेक्ट पूछ लिया कि पिताजी और मेरी सास मे क्या चल रहा है
मेरी बात से माँ पहले डर गयी पर बाद मे बात बदल दी
लेकिन मैं ने माँ को बताया कि मुझे सब पता है
मेरी बात सुनते ही माँ ने मुझे समझना शुरू किया
मुझे सच जाना था
मेरे ज़ोर डालने पे माँ ने सच बताना शुरू कर दिया
पहले दिन से अब तक क्या क्या हुआ वो सब बताया
कैसे माँ ने मेरी सास को मनाया गंद मरवाने से लेकर छत पर खुले आसमान के नीचे की चुदाई तक
सब कुछ बता दिया
फिर मेरी माँ ने कहा कि ये बात अपने तक रखना
मेरी सास को थोड़ी खुशी मिल रही थी , जिस से मेरे पति भी खुश थे तो मैं ने अपना मूह बंद रखा
लेकिन मेरे पेट मे दर्द होता था
एक औरत जो हूँ
ये बात किसी को बताए बिना चैन नही आएगा
ये बात मुझे हजम करने के लिए किसी को तो बतानी थी
अगर किसी को बता दी तो हमारे घर की इज़्ज़त लूट जाएगी
तो मैं ने लिखना स्टार्ट किया
मेरे पिताजी और मेरी सास की कहानी
मेरे पिताजी और उनके समधन की कहानी जो कभी ख़तम ही नही हुई


दा एंड
 
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