hotaks444
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थोड़ी कहानी पिताजी की ज़ुबानी
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जब बस टनल के अंदर आई तो मैं समधन के पास आ गया
और बस टनल मे रुकते ही मेरी तो लॉटरी लग गयी
और बस मे अंधेरा था और भीड़ भी ज़्यादा थी
मेरे सामने मेरी समधन थी
और मेरी समधन को पता नही था कि उनके पीछे मैं हूँ
इतना अच्छा मोका मैं हाथ से कैसे जाने दे सकता हूँ
बस मे भीड़ और अंधेरा उपर से हम टनल मे फसे हुए थे
मैं इस का फ़ायदा उठाने लगा
मैं समधन से चिपकने लगा
समधन को पता था कि भीड़ मे ये सब चलता है
इस का कुछ नही कर सकते
चुप छाप अपने स्टॉप का इंतज़ार करो
समधन चुप चप खड़ी थी तो मैं इसका फ़ायदा उठाने लगा
मैं अपने लंड को मसल कर जल्दी खड़ा करने लगा ताकि समधन के साथ मज़ा ले सकूँ
मैं लंड मसल कर समधन के बदन को छु रहा था
पर समधन वैसी ही खड़ी रही
मैं जहाँ खड़ा था वाहा एक कपल बैठा था , वो औरत अपने हज़्बेंड के साथ थी पर उसका हज़्बेंड सो
रहा था और खिड़ली की तरफ था
वो औरत आगे की तरफ झुकी थी और वो भी सो रही थी जिस से मुझे अब कोई प्राब्लम नही होगी
मेरा लंड तो खड़ा हो गया जिस से मैं समधन से चिपक गया
लंड सीधा जाकर मेरी समधन की गंद की दरार मे फस गया
मेरे लंड को अपनी गंद पर महसूस करते ही वो पीछे देखने वाली थी कि मैं ने आवज़ बदल कर बात की
पिताजी- ज़रा भी हिलने की कॉसिश की तो चाकू तुम्हारे पेट मे घुसा दूँगा
मेरी इस धमकी से समधन डर गयी
उनको कुछ समझ नही आ रहा था
पिताजी- चुप चाप खड़ी रहो वरना
समधन तो बहुत डर गयी
इस डर का फ़ायदा उठाते हुए मैं और समधन के पास गया और उनकी कमर पर अपना हाथ डाल दिया
मेरे ऐसा करते ही समधन थरथर काँपने लगी
पर उनमे हिम्मत ही नही हो रही थी कि देखे कि कौन है
मैं ने इसका फ़ायदा उठाते हुए ,मैं ने समधन को कस के पीछे खीच लिया तो मेरा लंड और उनकी गंद के
अंदर गया
और समधन के मूह से आह निकल गयी
समधन को कुछ समझ नही आ रहा था और मैं समधन की नाभि मे उंगली घुमा रहा था
तो समधन मस्ती मे आ गयी
मैं धीरे धीरे अपनी कमर हिला रहा था ताकि उनको नशा चढ़ने लगे साथ ही उनकी कमर को मसल्ने
लगा
मुझे लगा नही था ये इतने आसानी से होगा
काम बनता हुआ देख कर मैं ने अपना एक हाथ ले जाकर उनकी चूत पर रख दिया
और साड़ी के उपर से उनकी चूत मसल्ने लगा
मेरे हाथो का जादू समधन पर चलने लगा
समधन इतने दिन से चुदाई से दूर थी तो उनकी चूत को मसल्ते ही उनकी आँखे बंद हो गयी
समधन तो मस्ती मे आ गयी
उनके मस्ती मे आते ही मैं आगे बढ़ने लगा
उनकी चूत से पानी निकालने लगा इधर मेरा लंड गंद मे घुसता जा रहा था
पर इतना फ़ायदा उठा रहा था तो और एक स्टेप आगे बढ़ जाता हूँ
और मैने चूत मसल्ते हुए उनकी साड़ी घुटने तक उपर की और उनकी कमर मे फसा दी ताकि नीचे ना हो
ये तो समधन को पता ही नही चला
साड़ी आधी उपर होते ही मैं ने उनके साड़ी के अंदर हाथ डाल कर उनकी पैंटी नीचे की
इसकी उनको उम्मीद नही थी
पर वो तो मज़ा ले रही थी
उनको इतना मज़ा आ रहा था और डर की वजह से चुप ही रही
पैंटी नीचे होते ही मैं ने अपने लंड को बाहर निकाल लिया
मैं चुदाई नही करने वाला था
मुझे आराम से समधन की चुदाई करनी थी
और मेरा लंड लेते ही वो दर्द से चिल्लाएगी जो अच्छा नही था मेरे लिए
इस लिए मैं बस उनका और मेरा पानी रगड़ कर निकालने वाला था
पैंटी नीचे होते ही मैं ने अपना नगा लंड उनकी गंद मे रगड़ना शुरू किया ,
साड़ी पीछे से पूरी उपर थी जिस से मैं समधन की नंगी गंद को दबा रहा था
क्या सॉफ्ट गंद थी
जब समधन मुझे मिलेंगी तो इस गंद को फाड़ ही डालूँगा
नगा टच मिलते ही समधन मस्ती मे झूलने लगी
मेरा लंड उनकी गंद और चूत दोनो से रगड़ रहा था
साथ ही मैं उनकी चूत को हाथो से मसल भी रहा था
बड़ा मज़ा आ रहा था
अब इतना मज़ा आ रहा था जब सच मे आराम ने चुदाई करूँगा तो कितना मज़ा आएगा
मैं लंड को अच्छे से उनकी चूत और गंद से रगड़ने लगा
धीरे धीरे कमर आगे पीछे भी कर रहा था
समधन के बदन को मसल्ने मे मज़ा आ रहा था
उनकी चूत पर बाल थे फिर भी कोई बात नही जल्दी काटने को बोलूँगा
पिताजी- अपने बाल काट लिया करो
समधन ने हाँ मे गर्दन घुमाई और लंड का मज़ा लेने लगी
मैं भी उनकी चूत और गंद को मसल्ने का मज़ा ले रहा था
सब चुप चाप अंधेरे मे हो रहा था
इतना मज़ा मिल रहा था कि क्या बताऊ
बस लग रहा था कि चूत मे लंड डाल दूं
पर मैं ने कंट्रोल बनाए रखा
और हम दोनो एक साथ झड गये
समधन ने तो बहुत पानी निकाला
तो मैं ने उनकी गंद की दरार मे अपना वीर्य निकाला
समधन दोनो तरह के पानी को एंजाय करने लगी
पानी निकलते ही वो ठंडी पड़ गयी
उनका बदन ढीला पड़ गया
मेरा तो काम बन गया
समधन का मज़ा ले लिया
ये मेरे लिए सपने जैसा था
पर मेरे लंड ने भी सम्धन की चूत को किस कर ही लिया
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थोड़ी कहानी पिताजी की ज़ुबानी
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जब बस टनल के अंदर आई तो मैं समधन के पास आ गया
और बस टनल मे रुकते ही मेरी तो लॉटरी लग गयी
और बस मे अंधेरा था और भीड़ भी ज़्यादा थी
मेरे सामने मेरी समधन थी
और मेरी समधन को पता नही था कि उनके पीछे मैं हूँ
इतना अच्छा मोका मैं हाथ से कैसे जाने दे सकता हूँ
बस मे भीड़ और अंधेरा उपर से हम टनल मे फसे हुए थे
मैं इस का फ़ायदा उठाने लगा
मैं समधन से चिपकने लगा
समधन को पता था कि भीड़ मे ये सब चलता है
इस का कुछ नही कर सकते
चुप छाप अपने स्टॉप का इंतज़ार करो
समधन चुप चप खड़ी थी तो मैं इसका फ़ायदा उठाने लगा
मैं अपने लंड को मसल कर जल्दी खड़ा करने लगा ताकि समधन के साथ मज़ा ले सकूँ
मैं लंड मसल कर समधन के बदन को छु रहा था
पर समधन वैसी ही खड़ी रही
मैं जहाँ खड़ा था वाहा एक कपल बैठा था , वो औरत अपने हज़्बेंड के साथ थी पर उसका हज़्बेंड सो
रहा था और खिड़ली की तरफ था
वो औरत आगे की तरफ झुकी थी और वो भी सो रही थी जिस से मुझे अब कोई प्राब्लम नही होगी
मेरा लंड तो खड़ा हो गया जिस से मैं समधन से चिपक गया
लंड सीधा जाकर मेरी समधन की गंद की दरार मे फस गया
मेरे लंड को अपनी गंद पर महसूस करते ही वो पीछे देखने वाली थी कि मैं ने आवज़ बदल कर बात की
पिताजी- ज़रा भी हिलने की कॉसिश की तो चाकू तुम्हारे पेट मे घुसा दूँगा
मेरी इस धमकी से समधन डर गयी
उनको कुछ समझ नही आ रहा था
पिताजी- चुप चाप खड़ी रहो वरना
समधन तो बहुत डर गयी
इस डर का फ़ायदा उठाते हुए मैं और समधन के पास गया और उनकी कमर पर अपना हाथ डाल दिया
मेरे ऐसा करते ही समधन थरथर काँपने लगी
पर उनमे हिम्मत ही नही हो रही थी कि देखे कि कौन है
मैं ने इसका फ़ायदा उठाते हुए ,मैं ने समधन को कस के पीछे खीच लिया तो मेरा लंड और उनकी गंद के
अंदर गया
और समधन के मूह से आह निकल गयी
समधन को कुछ समझ नही आ रहा था और मैं समधन की नाभि मे उंगली घुमा रहा था
तो समधन मस्ती मे आ गयी
मैं धीरे धीरे अपनी कमर हिला रहा था ताकि उनको नशा चढ़ने लगे साथ ही उनकी कमर को मसल्ने
लगा
मुझे लगा नही था ये इतने आसानी से होगा
काम बनता हुआ देख कर मैं ने अपना एक हाथ ले जाकर उनकी चूत पर रख दिया
और साड़ी के उपर से उनकी चूत मसल्ने लगा
मेरे हाथो का जादू समधन पर चलने लगा
समधन इतने दिन से चुदाई से दूर थी तो उनकी चूत को मसल्ते ही उनकी आँखे बंद हो गयी
समधन तो मस्ती मे आ गयी
उनके मस्ती मे आते ही मैं आगे बढ़ने लगा
उनकी चूत से पानी निकालने लगा इधर मेरा लंड गंद मे घुसता जा रहा था
पर इतना फ़ायदा उठा रहा था तो और एक स्टेप आगे बढ़ जाता हूँ
और मैने चूत मसल्ते हुए उनकी साड़ी घुटने तक उपर की और उनकी कमर मे फसा दी ताकि नीचे ना हो
ये तो समधन को पता ही नही चला
साड़ी आधी उपर होते ही मैं ने उनके साड़ी के अंदर हाथ डाल कर उनकी पैंटी नीचे की
इसकी उनको उम्मीद नही थी
पर वो तो मज़ा ले रही थी
उनको इतना मज़ा आ रहा था और डर की वजह से चुप ही रही
पैंटी नीचे होते ही मैं ने अपने लंड को बाहर निकाल लिया
मैं चुदाई नही करने वाला था
मुझे आराम से समधन की चुदाई करनी थी
और मेरा लंड लेते ही वो दर्द से चिल्लाएगी जो अच्छा नही था मेरे लिए
इस लिए मैं बस उनका और मेरा पानी रगड़ कर निकालने वाला था
पैंटी नीचे होते ही मैं ने अपना नगा लंड उनकी गंद मे रगड़ना शुरू किया ,
साड़ी पीछे से पूरी उपर थी जिस से मैं समधन की नंगी गंद को दबा रहा था
क्या सॉफ्ट गंद थी
जब समधन मुझे मिलेंगी तो इस गंद को फाड़ ही डालूँगा
नगा टच मिलते ही समधन मस्ती मे झूलने लगी
मेरा लंड उनकी गंद और चूत दोनो से रगड़ रहा था
साथ ही मैं उनकी चूत को हाथो से मसल भी रहा था
बड़ा मज़ा आ रहा था
अब इतना मज़ा आ रहा था जब सच मे आराम ने चुदाई करूँगा तो कितना मज़ा आएगा
मैं लंड को अच्छे से उनकी चूत और गंद से रगड़ने लगा
धीरे धीरे कमर आगे पीछे भी कर रहा था
समधन के बदन को मसल्ने मे मज़ा आ रहा था
उनकी चूत पर बाल थे फिर भी कोई बात नही जल्दी काटने को बोलूँगा
पिताजी- अपने बाल काट लिया करो
समधन ने हाँ मे गर्दन घुमाई और लंड का मज़ा लेने लगी
मैं भी उनकी चूत और गंद को मसल्ने का मज़ा ले रहा था
सब चुप चाप अंधेरे मे हो रहा था
इतना मज़ा मिल रहा था कि क्या बताऊ
बस लग रहा था कि चूत मे लंड डाल दूं
पर मैं ने कंट्रोल बनाए रखा
और हम दोनो एक साथ झड गये
समधन ने तो बहुत पानी निकाला
तो मैं ने उनकी गंद की दरार मे अपना वीर्य निकाला
समधन दोनो तरह के पानी को एंजाय करने लगी
पानी निकलते ही वो ठंडी पड़ गयी
उनका बदन ढीला पड़ गया
मेरा तो काम बन गया
समधन का मज़ा ले लिया
ये मेरे लिए सपने जैसा था
पर मेरे लंड ने भी सम्धन की चूत को किस कर ही लिया
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