hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
फटफटी फिर से चल पड़ी
दोस्तो एक और कहानी पोस्ट कर रहा हूँ वैसे तो इस कहानी का नाम शुभारम्भ है लेकिन मुझे इसका नाम फटफटी फिर से चल पड़ी अच्छा लगता है ये कहानी भी नेट से ली है आशा करता हूँ ये भी आपको पसंद आएगी
दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ से मेरी नींद खुल गयी
अनीता चाची रूम साफ़ करने आई थी. मैं यूँही ऑंखें बंद कर के पड़ा रहा. रात को पोर्न देखते देखते दो बार मूठ मार चूका था इस लिए थक गया था.
चाची मेरे कंप्यूटर टेबल को साफ़ कर रही थी. तभी मुझे याद आया की मैंने जिस न्यूज़ पेपर मैं मूठ मारी थी उसको वही पर छोड़ दिया था.
चची ने वो कागज़ उठाया और नीचे फ़ेंक दिया. मेरी जान मैं जान आई तभी चची पीछे मुड़ी और उन्होंने कागज़ फिर से उठा लिया
सारा माल तो सुख चूका था मगर सूखे माल के दाग और उसमे से आती नमकीन खुशबू ये बताने के लिए काफी थे की वो क्या है. चची ने एक दम से उसे फ़ेंक दिया अचानक मुझे देखा और कमरे से बाहर निकल गयी. मेरी गांड भी फट रही थी और हंसी भी आ रही थी
मेरा नाम शील है, फर्स्ट इयर मैं हूँ और अपनी उम्र के सब लडको जैसे महा ठरकी हूँ. आज तक सिर्फ कंप्यूटर पर पोर्न देख देख कर मूठ ही मरी है और कुछ किया नहीं था. शुरू से ही थोडा गांड फट हूँ और स्कूल मैं भी चुप चाप ही रहा करता था क्योकि मैं हकलाता हूँ. कही किसी लड़की से बात ही नहीं कर पाया. स्कूल मैं रिया जो मेरी क्लास मैं थी, उसे पसंद करता था मगर कभी बात भी नहीं की.
अभी चची के जाने के बात मेरी गांड फटने लगी की कहीं चची मोम, पापा या चाचा को बोल न दे. रूम से बाहर आया तो कोई भी नहीं था. चाचा और पापा दुकान जा चुके थे.
मोम मंदिर गयी होगी और चची शायद नहा रही थी.
मैंने सोचा की बात दबा ही लेते है. तभी चची आ गयी
चची : अरे शील चाय पिएगा क्या ?
मैं : ह ह हा च च चची
चची : क्या हुआ तुझे ? ( मैं जब भी गुस्से में या नर्वस होता हूँ तो हकलाने लगता हूँ )
में : न न नहीं क क कुछ नहीं
में : वो च च चची .....म म मेरे रूम में ......व व वो कागज़ थ थ था ना .......व व वो स स सॉरी.
शायद वो कुछ समझी नहीं. तभी उनको क्लिक हुआ की में मूठ वाले कागज़ की बात कर रहा हूँ
चची : (माथे पर सल लाकर बोली ) देख शील यह गंदे गलत काम मत किया कर. पड़ने लिखने की उम्र है. पढ़ ले नहीं तो तेरे चाचा जैसे दुकान की गुलामी ही करता रह जायेगा
मैंने चैन की ठंडी सांस ली और सर झुका के बोला की अब नहीं करूँगा चची. चची ने स्वीट से स्माइल दी और कहा की चल में चाय बना देती हूँ .
तभी मोम आ गयी और बोली की चची भतीजे में सुबह सुबह क्या खिचड़ी पक रही है. चची ने कुछ नहीं कहा और मुझे चाय दे दी.
कॉलेज में मेरे ज्यादा दोस्त नहीं थे. सब भेन्चोद मेरे हकले पन का मजाक बनाते थे इस लिए में थोडा रिसेर्वे ही रहता था. आज कॉलेज के लिए निकला तो बस छुट गयी और मुझे पैदल जाना पड़ा. लेट तो हो ही गया था सोचा कैंटीन में कुछ खा लूँ. में घुसा और मुझे नवजोत और उसका गेंग दिख गया. में चुप चाप साइड में जाके बैठ गया और सर झुका के बुक देखने लगा. तभी
नवजोत : ए हकले .........अबे ओ हकले ........इधर आ
में ( नर्वस होके ) : क क क्या हुआ ?
नवजोत : इधर आ लोडू
में गया और उनकी टेबल के पास खड़ा हो गया:
नवजोत : चल गाना सुना
हुआ यूँ था की कॉलेज में मेरे फर्स्ट डे को जब हम सब की रेगिंग ली गयी थी तो मुझे कहा गया की "सलामे इश्क मेरी जान" गाना गाऊ. उस दिन नर्वस होने की वजह से में बहुत हकलाया था और नवजोत जो की मेरे से २ साल सीनियर था उन सब का लीडर था . उस ने मेरी इज्ज़त धुल में मिला दी थी और सब जान गए थे की में हकला हूँ
में : सॉरी मेरा गला ख़राब है
नवजोत : साले लोडू गाता है या दू गांड पे लात.
और उस ने मेरे छोटे मगज पर हाथ मार दिया, चटाक की आवाज़ आई. दिल तो ऐसा किया की साले का खून कर दूँ. उस ने दुबारा हाथ उठाया ही था.
तभी कैंटीन में कुछ लड़किया आई. उनमे से एक लड़की जो पिंक कलर के सुट में थी, खुले हुए सुनहरे बाल, सोने और दूध की मिलावट का रंग. एक हाथ में चूड़िया और गांड में बला की लचक. वो सीधी हमारी टेबल के पास आई और नवजोत से बोली
भैया, मेरी गाड़ी पंक्चर हो गयी है. क्या आप मुझे साथ में घर ले चलेंगे
नवजोत : अरे पिया कहां हुई पंक्चर ? गाड़ी कहां है ?
(ओ तो इसका नाम पिया है और ये अप्सरा इस मादरचोद की बहन है )
पिया : कॉलेज में ही है भैया. ये लो चाबी
नवजोत : अरे विक्की , ये ले चाबी और घर छोड़ देना
दोस्तो एक और कहानी पोस्ट कर रहा हूँ वैसे तो इस कहानी का नाम शुभारम्भ है लेकिन मुझे इसका नाम फटफटी फिर से चल पड़ी अच्छा लगता है ये कहानी भी नेट से ली है आशा करता हूँ ये भी आपको पसंद आएगी
दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ से मेरी नींद खुल गयी
अनीता चाची रूम साफ़ करने आई थी. मैं यूँही ऑंखें बंद कर के पड़ा रहा. रात को पोर्न देखते देखते दो बार मूठ मार चूका था इस लिए थक गया था.
चाची मेरे कंप्यूटर टेबल को साफ़ कर रही थी. तभी मुझे याद आया की मैंने जिस न्यूज़ पेपर मैं मूठ मारी थी उसको वही पर छोड़ दिया था.
चची ने वो कागज़ उठाया और नीचे फ़ेंक दिया. मेरी जान मैं जान आई तभी चची पीछे मुड़ी और उन्होंने कागज़ फिर से उठा लिया
सारा माल तो सुख चूका था मगर सूखे माल के दाग और उसमे से आती नमकीन खुशबू ये बताने के लिए काफी थे की वो क्या है. चची ने एक दम से उसे फ़ेंक दिया अचानक मुझे देखा और कमरे से बाहर निकल गयी. मेरी गांड भी फट रही थी और हंसी भी आ रही थी
मेरा नाम शील है, फर्स्ट इयर मैं हूँ और अपनी उम्र के सब लडको जैसे महा ठरकी हूँ. आज तक सिर्फ कंप्यूटर पर पोर्न देख देख कर मूठ ही मरी है और कुछ किया नहीं था. शुरू से ही थोडा गांड फट हूँ और स्कूल मैं भी चुप चाप ही रहा करता था क्योकि मैं हकलाता हूँ. कही किसी लड़की से बात ही नहीं कर पाया. स्कूल मैं रिया जो मेरी क्लास मैं थी, उसे पसंद करता था मगर कभी बात भी नहीं की.
अभी चची के जाने के बात मेरी गांड फटने लगी की कहीं चची मोम, पापा या चाचा को बोल न दे. रूम से बाहर आया तो कोई भी नहीं था. चाचा और पापा दुकान जा चुके थे.
मोम मंदिर गयी होगी और चची शायद नहा रही थी.
मैंने सोचा की बात दबा ही लेते है. तभी चची आ गयी
चची : अरे शील चाय पिएगा क्या ?
मैं : ह ह हा च च चची
चची : क्या हुआ तुझे ? ( मैं जब भी गुस्से में या नर्वस होता हूँ तो हकलाने लगता हूँ )
में : न न नहीं क क कुछ नहीं
में : वो च च चची .....म म मेरे रूम में ......व व वो कागज़ थ थ था ना .......व व वो स स सॉरी.
शायद वो कुछ समझी नहीं. तभी उनको क्लिक हुआ की में मूठ वाले कागज़ की बात कर रहा हूँ
चची : (माथे पर सल लाकर बोली ) देख शील यह गंदे गलत काम मत किया कर. पड़ने लिखने की उम्र है. पढ़ ले नहीं तो तेरे चाचा जैसे दुकान की गुलामी ही करता रह जायेगा
मैंने चैन की ठंडी सांस ली और सर झुका के बोला की अब नहीं करूँगा चची. चची ने स्वीट से स्माइल दी और कहा की चल में चाय बना देती हूँ .
तभी मोम आ गयी और बोली की चची भतीजे में सुबह सुबह क्या खिचड़ी पक रही है. चची ने कुछ नहीं कहा और मुझे चाय दे दी.
कॉलेज में मेरे ज्यादा दोस्त नहीं थे. सब भेन्चोद मेरे हकले पन का मजाक बनाते थे इस लिए में थोडा रिसेर्वे ही रहता था. आज कॉलेज के लिए निकला तो बस छुट गयी और मुझे पैदल जाना पड़ा. लेट तो हो ही गया था सोचा कैंटीन में कुछ खा लूँ. में घुसा और मुझे नवजोत और उसका गेंग दिख गया. में चुप चाप साइड में जाके बैठ गया और सर झुका के बुक देखने लगा. तभी
नवजोत : ए हकले .........अबे ओ हकले ........इधर आ
में ( नर्वस होके ) : क क क्या हुआ ?
नवजोत : इधर आ लोडू
में गया और उनकी टेबल के पास खड़ा हो गया:
नवजोत : चल गाना सुना
हुआ यूँ था की कॉलेज में मेरे फर्स्ट डे को जब हम सब की रेगिंग ली गयी थी तो मुझे कहा गया की "सलामे इश्क मेरी जान" गाना गाऊ. उस दिन नर्वस होने की वजह से में बहुत हकलाया था और नवजोत जो की मेरे से २ साल सीनियर था उन सब का लीडर था . उस ने मेरी इज्ज़त धुल में मिला दी थी और सब जान गए थे की में हकला हूँ
में : सॉरी मेरा गला ख़राब है
नवजोत : साले लोडू गाता है या दू गांड पे लात.
और उस ने मेरे छोटे मगज पर हाथ मार दिया, चटाक की आवाज़ आई. दिल तो ऐसा किया की साले का खून कर दूँ. उस ने दुबारा हाथ उठाया ही था.
तभी कैंटीन में कुछ लड़किया आई. उनमे से एक लड़की जो पिंक कलर के सुट में थी, खुले हुए सुनहरे बाल, सोने और दूध की मिलावट का रंग. एक हाथ में चूड़िया और गांड में बला की लचक. वो सीधी हमारी टेबल के पास आई और नवजोत से बोली
भैया, मेरी गाड़ी पंक्चर हो गयी है. क्या आप मुझे साथ में घर ले चलेंगे
नवजोत : अरे पिया कहां हुई पंक्चर ? गाड़ी कहां है ?
(ओ तो इसका नाम पिया है और ये अप्सरा इस मादरचोद की बहन है )
पिया : कॉलेज में ही है भैया. ये लो चाबी
नवजोत : अरे विक्की , ये ले चाबी और घर छोड़ देना