hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
जलन से मेरा बुरा हाल था. नुची खसोटी गांड की म्यान उस मूत से ऐसे जलने लगी जैसे आग लगी हो. मैं रोया और तड़पने लगा पर वे मजा लेते रहे. "देख कितना ख्याल है अपनी रानी का मुझे." मूतना खतम होने पर उन्होंने लंड बाहर निकाला पर मुझे सख्त हिदायत दी कि एक बूंद भी बाहर न निकले. "गांड सिकोड़ के पड़ी रह जब तक मैं न कहूं, नहीं तो पीट पीट कर कचूमर निकाल दूंगा तेरा."
आधा घंटा मैं वह मूत गांड में लिये रहा. किसी तरह गुदा का छल्ला सिकोड़े रहा. उन्होंने मुझे और तकलीफ़ देने को कमरे में इधर उधर चलने को कहा जिससे मूत अंदर छलक कर और पूरे तरह मेरी गांड जलाये. आखिर आधे घंटे बाद मुझे बाथरूम जाकर गांड खाली करने को और धोने की इजाजत उन्होंने दी.
मैं जब वापस आया तो इतना थका हारा था कि लड़खड़ा कर वहीं जमीन पर गिर पड़ा. "अब हुई तेरी चुदाई पूरी. चल सो जा. वैसे सुबह एक बार और मारूंगा." कहकर मुझे उठाकर वे बिस्तर पर ले गये और मुझे बाहों में लेकर चूमते हुए मेरे ऊपर लेट गये. थका कुचला मैं कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला.
सुबह गांड में अचानक हुए दर्द से जब मैं उठा तो देखा कि चाचाजी मुझ पर चढ़े गांड मार रहे थे. तीन चार घंटों की नींद ने उन्हें फ़िर ताजा कर दिया था. मुझे जगा देखकर प्यार से मुझे चूमकर बोले. "सारी मेरी रानी, आंख लग गयी इसलिये तीन चार घंटे तेरी नहीं मार सका. जब कि मैंने वादा किया था कि रात भर मारूगा." आधे घंटे मेरी भरपूर चुदाई करके ही वे झड़े. मेरी गांड तो चुद चुद कर ऐसी कसमसा रही थी कि मुझे पक्का हो गया था कि फ़ट गयी होगी और सिलवाने के लिये डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा. मैं पड़ा पड़ा सिसकता हुआ मरवाता रहा.
पर जब चाची कुछ देर बाद दरवाजा खोल कर अंदर आईं तो उन्होंने मेरा ढाढस बंधाया. "अरे बिलकुल ठीक है, फ़टी नहीं है, बस खुल गई है. बहुत सुंदर दिख रही है, जैसे किसी लड़की की चूत. देख दो पपौटे भी बन गये हैं बिलकुल भगोष्ठों की तरह."
मेरे शरीर और गांड का मुआयना करके उन्होंने अपने पति को चुम कर उन्हें मुबारकबाद दी. "बहुत मस्त मारी है। तुमने दुल्हन की. उसके शरीर को भी खूब मसला है. बिलकुल जैसा मैं चाहती थी. और इसकी गांड में मूते यह अच्छा किया. जलन तो हुई पर नमक के पानी से सिक कर ठीक रहेगी. आज इसे भी पता चल गया होगा कि सुहागरात में कच्ची कलियों की क्या हालत होती है."
उन दोनों का ध्यान अब मेरे लंड पर गया. अब भी वह तन कर खड़ा था और उसका उभार मेरी पैंटी में से साफ़ दिख रहा था. चाचीने पैंटी खींच कर उतारी और फ़िर पट्टी खोल दी. रात भर बंधा लंड उछल कर थरथराने लगा. सूज कर लाल लाल हो गया था और खड़ा तो ऐसे था कि जैसे लोहे का राॉड हो. उसे देखकर चाचीने उसपर हाथ फेरते हुए कहा. "फ़ालतू रो रहा है तू अनिल, तेरा लंड तो सिर तान कर कह रहा है कि उसे बड़ा मजा आया."
आधा घंटा मैं वह मूत गांड में लिये रहा. किसी तरह गुदा का छल्ला सिकोड़े रहा. उन्होंने मुझे और तकलीफ़ देने को कमरे में इधर उधर चलने को कहा जिससे मूत अंदर छलक कर और पूरे तरह मेरी गांड जलाये. आखिर आधे घंटे बाद मुझे बाथरूम जाकर गांड खाली करने को और धोने की इजाजत उन्होंने दी.
मैं जब वापस आया तो इतना थका हारा था कि लड़खड़ा कर वहीं जमीन पर गिर पड़ा. "अब हुई तेरी चुदाई पूरी. चल सो जा. वैसे सुबह एक बार और मारूंगा." कहकर मुझे उठाकर वे बिस्तर पर ले गये और मुझे बाहों में लेकर चूमते हुए मेरे ऊपर लेट गये. थका कुचला मैं कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला.
सुबह गांड में अचानक हुए दर्द से जब मैं उठा तो देखा कि चाचाजी मुझ पर चढ़े गांड मार रहे थे. तीन चार घंटों की नींद ने उन्हें फ़िर ताजा कर दिया था. मुझे जगा देखकर प्यार से मुझे चूमकर बोले. "सारी मेरी रानी, आंख लग गयी इसलिये तीन चार घंटे तेरी नहीं मार सका. जब कि मैंने वादा किया था कि रात भर मारूगा." आधे घंटे मेरी भरपूर चुदाई करके ही वे झड़े. मेरी गांड तो चुद चुद कर ऐसी कसमसा रही थी कि मुझे पक्का हो गया था कि फ़ट गयी होगी और सिलवाने के लिये डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा. मैं पड़ा पड़ा सिसकता हुआ मरवाता रहा.
पर जब चाची कुछ देर बाद दरवाजा खोल कर अंदर आईं तो उन्होंने मेरा ढाढस बंधाया. "अरे बिलकुल ठीक है, फ़टी नहीं है, बस खुल गई है. बहुत सुंदर दिख रही है, जैसे किसी लड़की की चूत. देख दो पपौटे भी बन गये हैं बिलकुल भगोष्ठों की तरह."
मेरे शरीर और गांड का मुआयना करके उन्होंने अपने पति को चुम कर उन्हें मुबारकबाद दी. "बहुत मस्त मारी है। तुमने दुल्हन की. उसके शरीर को भी खूब मसला है. बिलकुल जैसा मैं चाहती थी. और इसकी गांड में मूते यह अच्छा किया. जलन तो हुई पर नमक के पानी से सिक कर ठीक रहेगी. आज इसे भी पता चल गया होगा कि सुहागरात में कच्ची कलियों की क्या हालत होती है."
उन दोनों का ध्यान अब मेरे लंड पर गया. अब भी वह तन कर खड़ा था और उसका उभार मेरी पैंटी में से साफ़ दिख रहा था. चाचीने पैंटी खींच कर उतारी और फ़िर पट्टी खोल दी. रात भर बंधा लंड उछल कर थरथराने लगा. सूज कर लाल लाल हो गया था और खड़ा तो ऐसे था कि जैसे लोहे का राॉड हो. उसे देखकर चाचीने उसपर हाथ फेरते हुए कहा. "फ़ालतू रो रहा है तू अनिल, तेरा लंड तो सिर तान कर कह रहा है कि उसे बड़ा मजा आया."