hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
दूसरे दिन कॉलेज जाने से कुच्छ देर पहले हॉस्टिल के पब्लिक बाथरूम मे मैं और सौरभ नहा रहे थे कि मुझे कुच्छ ज़रूरी काम याद आया, मैने सौरभ को आवाज़ दी...
"क्या हुआ..."
"अबे ,वो नवीन के बाइक वाले केस का मैने सेटल्मेंट कर दिया है,तुम लोगो को अब कुच्छ नही करना...बस ढाई-ढाई हज़ार देने है..."
"बोसे ड्के साबुन फेक उपर से, कब से लेकर बैठा है..."
"ये ले..."मैने साबुन उपर से उसकी तरफ फेक दी और बोला"बेटा ,लंड-वंड मे साबुन मत लगा लेना...वरना गान्ड लाल कर दूँगा..."
"ये बता पैसे कब देना है, मेरे अकाउंट मे तो अभी फिलहाल चवन्नि तक नही है..."
"तो बेटा, अंकल जी को फोन करो और बोलो कि किताबे ख़रीदनी है...."
"देखता हूँ ,शायद बात बन जाए..."
.
इसके बाद हम दोनो चुप-चाप शवर चालू करके नहाते रहे और जब मुझे साबुन की ज़रूरत हुई तो मैं चिल्लाया और सौरभ ने साबुन मेरी तरफ फेका.....
"अबे एक बात बता, ये साबुन मे जो तेरे बाल है ,वो सर के ही है ना या झाट के बाल है..."
"गान्ड मरा तू, मैं तो चला अब..."
"अबे रुक...एक बात बता ये कल्लू की बहन तुझे कैसी लगती है..."
"ठीक ही है, चोदेगा क्या उसको..."
"सोच रहा हूँ सेट कर लूँ...और मस्त बजाऊ..."
"फिर मेरे को भी चोदने के लिए देना ना...."
"अबे प्रसाद है क्या,जो सबमे बाँट दूँगा...."
"जब तू आराधना के पीछे पड़ेगा तो एश को छोड़ देगा...."
"चूतिया है क्या...एश से मैं दिल से प्यार करूँगा और आराधना के साथ लंड से प्यार करूँगा...वैसी उसके दूध मस्त है, एक बार दबाने को मिल जाए तो साला पूरा दूध ही निकाल लूँ...वैसे वो मुझे लाइन बहुत देती है, जब देखो सर-सर करते हुए सर खाने आ जाती है..."
मैने अपनी बात ख़त्म की और सौरभ के कॉमेंट्स का इंतज़ार करने लगा कि वो अब कुच्छ बोलेगा, अब कुच्छ बोलेगा...लेकिन जब वो कुच्छ नही बोला तो मेरा माथा ठनका और मैने बाथरूम की नल मे पैर रखकर उपर से उसकी तरफ देखा....
"बोसे ड्के ,मूठ मार रहा है तू, लवडे कितना अश्लील लौंडा है बे तू...ठर्की साले..."
"चुप रह बे भोसदचोड़, लास्ट स्टेज है.....आहह...याअहह मज़ा आ गया, ला बे साबुन फेक इधर कल के बदले आज ही नहा लेता हूँ...कौन लवडा हर रोज ठंडी मे नहाए..."
"लंड मेरा ,साबुन देगा...अब ऐसे ही नहा..."
"भर ले अपना साबुन और जितना तू लड़कियो के बूब्स के बारे मे सोचता है ना ,उतना यदि बुक्स के बारे मे सोचता तो हर साल आन्यूयल फंक्षन पर 15 हज़ार पता..."
"बात तो तेरी सही है बालक ,लेकिन आइ लव बूब्स मोर दॅन बुक्स "
.
एक दम बढ़िया से तैयार होकर हम लोग कॉलेज पहुँचे.अरुण , सौरभ तो क्लास मे चले गये और मैं बॅग रखकर ऑडिटोरियम की तरफ बढ़ा...
अब जब मेरी पार्ट्नर एश थी और आज कल उससे मेरी बढ़िया बनती भी थी तो इसमे अब कोई शक़ नही कि मैं सबसे पहले उसी के पास जाउन्गा, एक दो बार छत्रू का दिया हुआ मन्नुअल पढ़ुंगा...एश से दो चार मज़ाक करूँगा और फिर एक घंटे तक स्टेज मे कभी वो बोलेगी और कभी मैं बोलूँगा...कभी वो मुझसे छेडखानी करेगी(ऐज आ पार्ट ऑफ और फन्षन) और कभी मैं उसकी लूँगा (दिल से ).... कल हमारे बीच क्या था और कल हमारे बीच क्या होगा,उन सबकी परवाह किए बिना मैं एक दम बिंदास होकर एश के साथ पूरा एक घंटा बिताता था...इस उम्मीद मे कि कल जब वो पीछे मूड कर अपने बीते दिनो को याद करेगी तो कही ना कही, किसी ना किसी वजह से याद तो ज़रूर करेगी और जब वो मुझे याद करेगी तो ये ज़रूर सोचेगी कि......मालूम नही क्या सोचेगी , लेकिन कुच्छ ज़रूर सोचेगी इतना मालूम है
.
"गुड मॉर्निंग, बैठिए..."मेरे एश के पास जाते ही एश ने बड़े आदर के साथ कहा...
"ये इतना रेस्पेक्ट क्यूँ दे रही है, कही ये मुझे मन ही मन अपना हज़्बेंड तो नही मान रही "मन ही मन मे इमॅजिनेशन ठोकते हुए मैने एश से कहा"क्या बात है, आज इतना रेस्पेक्ट दे रही है..."
"रेस्पेक्ट तो आज छत्रपाल सर देंगे...वो भी बड़े रेस्पेक्ट से..."
"ये सुन...ये छत्रु पटृू का डर किसी और को दिखाया कर..."आगे वाली सीट पर दोनो पैर रख कर मैने कहा"एक अंदर की बात बताता हूँ, ये जो चवन्नि छाप छत्रु है ना, ये कॉलेज के बाद मुझसे ही आंकरिंग के टिप्स लेता है और यहाँ आकर सबको बताता है...और तो और ये मेरा बहुत बड़ा फॅन भी है ,यदि यकीन ना हो तो उसका मोबाइल देखना कभी...मेरी फोटो लगा कर रखा हुआ है. "
"सच..."एश हँसते हुए बोली...
"मैं कभी झूठ भी बोलता हूँ क्या , अब जब बात शुरू हो ही गयी है तो अंदर की एक और बात बताता हूँ...यहाँ छत्रपाल को सब सर कहते है ,लेकिन बाहर छत्रपाल मुझे सर कहता है...तुझे यकीन ना हो तो मेरे क्लास वालो से पुछ लेना..."
इसी के साथ मैने जो फेकाई चालू की ,वो बढ़ते समय के साथ बढ़ती ही गयी और एश हँसते ही जा रही थी...
"अरे इतना ही नही ,लास्ट एअर के आन्यूयल फंक्षन के टाइम तो इस छत्रु ने मुझे रात के 2 बजे कॉल किया और बोला कि 'अरमान सर, मुझे एक स्पीच तैयार करनी है..आप थोड़ी मदद कर दो ना' .लेकिन मैने सॉफ मना कर दिया और इसने दूसरे दिन भी रात के 2 बजे कॉल किया और बोला कि 'अरमान सर...आपसे ज़्यादा होशियार,टॅलेंटेड और स्मार्ट बंदा तो पूरे कॉलेज मे क्या,पूरे इंडिया मे नही है...मैं तो कहता हूँ कि पूरे यूनिवर्स मे नही है...प्लीज़ मेरी हेल्प कीजिए...' उसके बाद जानती है ,क्या हुआ..."
"क्या हुआ.."एक पल के लिए अपनी हँसी रोक कर एश बोली और फिर हँसने लगी...
"उसके बाद मैने सोचा कि इसकी हेल्प कर ही देनी चाहिए,बेचारा कितना परेशान है और उसके बाद मैने ऐसी स्पीच तैयार की..कि लोग आज तक उसकी तारीफ करते है...लेकिन किसी को मालूम नही कि उस स्पीच मे केवल आवाज़ छत्रपाल की थी, कलम,स्याही,प्रतिभा मेरी थी..."बोलते हुए मैं रुका और एश को हँसते हुए देखने लगा....
"आइ लव यू, एश..."जोश ही जोश मे होश खोते हुए मैने कहा
मेरे आइ लव यू बोलने के साथ ही दो जबर्जस्त धमाके हुए...पहला ये कि एक ओर जहाँ मेरा चपड-चपड करता हुआ मुँह बंद हुआ ,वही एश का हँसता खिलखिलाता हुआ चेहरा ऐसे लाल हुआ ,जैसे उसे किसी ने एक झापड़ रसीद दिया हो...इन गोरी लड़कियो की यही प्राब्लम है ,ज़रा सी फीलिंग दिया नही कि चेहरा लाल कर लेती है...
एश का लाल चेहरा देखकर ख़याल आया कि यहाँ से भाग लूँ ,लेकिन फिर मैने सोचा कि उससे क्या होगा क्यूंकी कल तो मिलना ही पड़ेगा...
इसके बाद मेरे सामने दो रास्ते और आए ,पहला ये कि मैं एश को ये बोल दूं कि 'ये तो ऐसे ही मज़ाक-मज़ाक मे ,जोश-जोश मे बोल गया...मेरे सभी शब्द काल्पनिक है और इन शब्दो का हक़ीक़त और वास्तविकता से कोई लेना-देना नही है ' लेकिन ये कोई गाली नही थी ,जो ऐसे ही मुँह से निकल जाए...मैने एश को आइ लव यू बोला था और यदि उसने अपना ज़रा सा भी ब्रेन यूज़ किया और फ्लॅशबॅक मे जाकर उसके प्रति मेरी हरकतों को उसने रिमाइंड किया तो फिर वो जान जाती कि मेरे दिल मे कहीं ना कहीं ,किसी ना किसी कोने उसके लिए वैसा कुच्छ है, जैसा कुच्छ मैने अभी कहा है...
दूसरा रास्ता मेरे पास जो था वो ये कि मैं तुरंत एश से हँसते हुए कहूँ कि' जस्ट जोकिंग रे...दिल पे मत ले'
"क्या हुआ..."
"अबे ,वो नवीन के बाइक वाले केस का मैने सेटल्मेंट कर दिया है,तुम लोगो को अब कुच्छ नही करना...बस ढाई-ढाई हज़ार देने है..."
"बोसे ड्के साबुन फेक उपर से, कब से लेकर बैठा है..."
"ये ले..."मैने साबुन उपर से उसकी तरफ फेक दी और बोला"बेटा ,लंड-वंड मे साबुन मत लगा लेना...वरना गान्ड लाल कर दूँगा..."
"ये बता पैसे कब देना है, मेरे अकाउंट मे तो अभी फिलहाल चवन्नि तक नही है..."
"तो बेटा, अंकल जी को फोन करो और बोलो कि किताबे ख़रीदनी है...."
"देखता हूँ ,शायद बात बन जाए..."
.
इसके बाद हम दोनो चुप-चाप शवर चालू करके नहाते रहे और जब मुझे साबुन की ज़रूरत हुई तो मैं चिल्लाया और सौरभ ने साबुन मेरी तरफ फेका.....
"अबे एक बात बता, ये साबुन मे जो तेरे बाल है ,वो सर के ही है ना या झाट के बाल है..."
"गान्ड मरा तू, मैं तो चला अब..."
"अबे रुक...एक बात बता ये कल्लू की बहन तुझे कैसी लगती है..."
"ठीक ही है, चोदेगा क्या उसको..."
"सोच रहा हूँ सेट कर लूँ...और मस्त बजाऊ..."
"फिर मेरे को भी चोदने के लिए देना ना...."
"अबे प्रसाद है क्या,जो सबमे बाँट दूँगा...."
"जब तू आराधना के पीछे पड़ेगा तो एश को छोड़ देगा...."
"चूतिया है क्या...एश से मैं दिल से प्यार करूँगा और आराधना के साथ लंड से प्यार करूँगा...वैसी उसके दूध मस्त है, एक बार दबाने को मिल जाए तो साला पूरा दूध ही निकाल लूँ...वैसे वो मुझे लाइन बहुत देती है, जब देखो सर-सर करते हुए सर खाने आ जाती है..."
मैने अपनी बात ख़त्म की और सौरभ के कॉमेंट्स का इंतज़ार करने लगा कि वो अब कुच्छ बोलेगा, अब कुच्छ बोलेगा...लेकिन जब वो कुच्छ नही बोला तो मेरा माथा ठनका और मैने बाथरूम की नल मे पैर रखकर उपर से उसकी तरफ देखा....
"बोसे ड्के ,मूठ मार रहा है तू, लवडे कितना अश्लील लौंडा है बे तू...ठर्की साले..."
"चुप रह बे भोसदचोड़, लास्ट स्टेज है.....आहह...याअहह मज़ा आ गया, ला बे साबुन फेक इधर कल के बदले आज ही नहा लेता हूँ...कौन लवडा हर रोज ठंडी मे नहाए..."
"लंड मेरा ,साबुन देगा...अब ऐसे ही नहा..."
"भर ले अपना साबुन और जितना तू लड़कियो के बूब्स के बारे मे सोचता है ना ,उतना यदि बुक्स के बारे मे सोचता तो हर साल आन्यूयल फंक्षन पर 15 हज़ार पता..."
"बात तो तेरी सही है बालक ,लेकिन आइ लव बूब्स मोर दॅन बुक्स "
.
एक दम बढ़िया से तैयार होकर हम लोग कॉलेज पहुँचे.अरुण , सौरभ तो क्लास मे चले गये और मैं बॅग रखकर ऑडिटोरियम की तरफ बढ़ा...
अब जब मेरी पार्ट्नर एश थी और आज कल उससे मेरी बढ़िया बनती भी थी तो इसमे अब कोई शक़ नही कि मैं सबसे पहले उसी के पास जाउन्गा, एक दो बार छत्रू का दिया हुआ मन्नुअल पढ़ुंगा...एश से दो चार मज़ाक करूँगा और फिर एक घंटे तक स्टेज मे कभी वो बोलेगी और कभी मैं बोलूँगा...कभी वो मुझसे छेडखानी करेगी(ऐज आ पार्ट ऑफ और फन्षन) और कभी मैं उसकी लूँगा (दिल से ).... कल हमारे बीच क्या था और कल हमारे बीच क्या होगा,उन सबकी परवाह किए बिना मैं एक दम बिंदास होकर एश के साथ पूरा एक घंटा बिताता था...इस उम्मीद मे कि कल जब वो पीछे मूड कर अपने बीते दिनो को याद करेगी तो कही ना कही, किसी ना किसी वजह से याद तो ज़रूर करेगी और जब वो मुझे याद करेगी तो ये ज़रूर सोचेगी कि......मालूम नही क्या सोचेगी , लेकिन कुच्छ ज़रूर सोचेगी इतना मालूम है
.
"गुड मॉर्निंग, बैठिए..."मेरे एश के पास जाते ही एश ने बड़े आदर के साथ कहा...
"ये इतना रेस्पेक्ट क्यूँ दे रही है, कही ये मुझे मन ही मन अपना हज़्बेंड तो नही मान रही "मन ही मन मे इमॅजिनेशन ठोकते हुए मैने एश से कहा"क्या बात है, आज इतना रेस्पेक्ट दे रही है..."
"रेस्पेक्ट तो आज छत्रपाल सर देंगे...वो भी बड़े रेस्पेक्ट से..."
"ये सुन...ये छत्रु पटृू का डर किसी और को दिखाया कर..."आगे वाली सीट पर दोनो पैर रख कर मैने कहा"एक अंदर की बात बताता हूँ, ये जो चवन्नि छाप छत्रु है ना, ये कॉलेज के बाद मुझसे ही आंकरिंग के टिप्स लेता है और यहाँ आकर सबको बताता है...और तो और ये मेरा बहुत बड़ा फॅन भी है ,यदि यकीन ना हो तो उसका मोबाइल देखना कभी...मेरी फोटो लगा कर रखा हुआ है. "
"सच..."एश हँसते हुए बोली...
"मैं कभी झूठ भी बोलता हूँ क्या , अब जब बात शुरू हो ही गयी है तो अंदर की एक और बात बताता हूँ...यहाँ छत्रपाल को सब सर कहते है ,लेकिन बाहर छत्रपाल मुझे सर कहता है...तुझे यकीन ना हो तो मेरे क्लास वालो से पुछ लेना..."
इसी के साथ मैने जो फेकाई चालू की ,वो बढ़ते समय के साथ बढ़ती ही गयी और एश हँसते ही जा रही थी...
"अरे इतना ही नही ,लास्ट एअर के आन्यूयल फंक्षन के टाइम तो इस छत्रु ने मुझे रात के 2 बजे कॉल किया और बोला कि 'अरमान सर, मुझे एक स्पीच तैयार करनी है..आप थोड़ी मदद कर दो ना' .लेकिन मैने सॉफ मना कर दिया और इसने दूसरे दिन भी रात के 2 बजे कॉल किया और बोला कि 'अरमान सर...आपसे ज़्यादा होशियार,टॅलेंटेड और स्मार्ट बंदा तो पूरे कॉलेज मे क्या,पूरे इंडिया मे नही है...मैं तो कहता हूँ कि पूरे यूनिवर्स मे नही है...प्लीज़ मेरी हेल्प कीजिए...' उसके बाद जानती है ,क्या हुआ..."
"क्या हुआ.."एक पल के लिए अपनी हँसी रोक कर एश बोली और फिर हँसने लगी...
"उसके बाद मैने सोचा कि इसकी हेल्प कर ही देनी चाहिए,बेचारा कितना परेशान है और उसके बाद मैने ऐसी स्पीच तैयार की..कि लोग आज तक उसकी तारीफ करते है...लेकिन किसी को मालूम नही कि उस स्पीच मे केवल आवाज़ छत्रपाल की थी, कलम,स्याही,प्रतिभा मेरी थी..."बोलते हुए मैं रुका और एश को हँसते हुए देखने लगा....
"आइ लव यू, एश..."जोश ही जोश मे होश खोते हुए मैने कहा
मेरे आइ लव यू बोलने के साथ ही दो जबर्जस्त धमाके हुए...पहला ये कि एक ओर जहाँ मेरा चपड-चपड करता हुआ मुँह बंद हुआ ,वही एश का हँसता खिलखिलाता हुआ चेहरा ऐसे लाल हुआ ,जैसे उसे किसी ने एक झापड़ रसीद दिया हो...इन गोरी लड़कियो की यही प्राब्लम है ,ज़रा सी फीलिंग दिया नही कि चेहरा लाल कर लेती है...
एश का लाल चेहरा देखकर ख़याल आया कि यहाँ से भाग लूँ ,लेकिन फिर मैने सोचा कि उससे क्या होगा क्यूंकी कल तो मिलना ही पड़ेगा...
इसके बाद मेरे सामने दो रास्ते और आए ,पहला ये कि मैं एश को ये बोल दूं कि 'ये तो ऐसे ही मज़ाक-मज़ाक मे ,जोश-जोश मे बोल गया...मेरे सभी शब्द काल्पनिक है और इन शब्दो का हक़ीक़त और वास्तविकता से कोई लेना-देना नही है ' लेकिन ये कोई गाली नही थी ,जो ऐसे ही मुँह से निकल जाए...मैने एश को आइ लव यू बोला था और यदि उसने अपना ज़रा सा भी ब्रेन यूज़ किया और फ्लॅशबॅक मे जाकर उसके प्रति मेरी हरकतों को उसने रिमाइंड किया तो फिर वो जान जाती कि मेरे दिल मे कहीं ना कहीं ,किसी ना किसी कोने उसके लिए वैसा कुच्छ है, जैसा कुच्छ मैने अभी कहा है...
दूसरा रास्ता मेरे पास जो था वो ये कि मैं तुरंत एश से हँसते हुए कहूँ कि' जस्ट जोकिंग रे...दिल पे मत ले'