hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
ये कहकर चाची बाथरूम की ओर गयी और मेरा तो बी पी बढ़ गया. उस कसी पेंटी में चाची के कुल्हे ऐसे मटक रहे थे जैसे जेली हो. पेंटी ने चाची के कुलहो को छुपाया नहीं बल्की और उभार दिया था. मेरे जैसे गोल गांड के रसिया के लिए तो ये नज़ारा फ्रेम करा के रखने वाला था. उनके हर कदम पर उनके नितम्ब भी थाप दे रहे थे.
चाची ने मोमबत्ती जलाई और मेरे पास आई उन्होंने फिर से टॉवेल लपेट लिया था, मगर उस उफनती हुयी जवानी को वो बेचारा कहाँ छुपा पाता. चाची के मम्मे भी उछल उछल कर बाहर आ रहे थे. चाची मेरे पास आकर खड़ी हुयी और मोमबत्ती टेबल पर रख दी. मोमबत्ती की टिमटिमाती रौशनी चाची के बदन से खेलने लगी.
चाची ने कहा, "धीरे से उठना लल्ला.......देख कहीं कांच न चुभ जाए......"
मैं उठने लगा और जैसे ही खड़ा हुआ मेरे कुलहो में जोर से दर्द हुआ, मेरी आह निकल गयी और चाची ने पुछा, "हाय राम क्या हुआ लल्ला......हड्डी तो नहीं खिसक गयी"
चाची ने मुझे पलटाया और उनके मुंह से सिसकारी निकल गयी, "हाय राम लल्ला......तेरे पुठ्ठो पर तो कांच लग गया है......."
मेरी गांड पर कांच......? हे भगवान .......
मैं धीरे धीरे खड़ा हुआ और मेरी गांड का हालचाल देखने लगा, मगर कुछ नहीं दिख रहा था. चाची बोली, "लल्ला.....रुक जा......अरे राम......मुझे देखने दे...."
मैं बेबस लचर होकर चुपचाप खड़ा हो गया और चाची मेरी घायल गांड का मुआयना करने लगी. उन्होंने कुछ कांच के टुकड़े मेरी जींस के ऊपर से हटाये और बोली,
"लल्ला.......खून आ गया है रे.......और कांच के बारीक़ टुकड़े जींस के अन्दर तक घुस गए है. तू एक काम कर .......तू जींस उतार दे........"
मैंने जींस धीरे से उतारी. मेरे पुट्ठो में जलन मची हुयी थी. मैं जींस साइड में रख कर चाची की तरफ गांड करके खड़ा हो गया, चाची बेड पर बैठ गयी और मेरी गांड पर से कांच के टुकड़े हटाने लगी. वो बोली, "राम राम........बच गया रे......कोई बड़ा टुकड़ा नहीं घुसा नहीं तो न बैठने का रहता न लेटने का........" यह कहकर वो धीमे धीमे से हंसने लगी. मुझे गुस्सा आया कि साला यहाँ पर मेरी गांड का भुरता बन गया और चाची को हंसी आ रही है.......इस चाची को तो मैं बताऊंगा.
तभी मुझे कुछ चुभा. मैंने कहा, "च च चाची......अभी भी कांच लगा है क्या ? म म मुझे चुभ रहा है....."
चाची ने मेरी गांड को पास में से घुरा और बोली, "नहीं रे लल्ला......अब तो कुछ नहीं दीखता......मगर हो सके है की कुछ बारीक़ टुकड़े रह गए हो.....तू एक काम कर...
यह अंडरवियर भी उतार......एक तो यह मरी मोमबत्ती में यूँही नहीं दिख रहा....."
मेरी गांड फट रही थी की कहीं कांच वांच रह गया तो ........
मैंने तुरंत अंडरवियर उतारी और अपने प्रिय बाबुराव को अपने हाथों से छुपाकर खड़ा हो गया. अभी भी मेरी गांड चाची की तरफ थी मगर अब पासा बदल गया था.
कहाँ तो मैं चाची को नंगा देखना चाह रहा था और कहाँ मैं खुद नंगा खड़ा था.....किस्मत है.
चाची बोली, "शुक्र है राम जी का........खून तो छिलने से आया है......कांच तो नहीं घुसा और बस थोड़े से टुकड़े चिपके है.......हटाये देती हूँ "
चाची ने हलके हलके हाथों से मेरी गांड पर चिपके कांच के टुकड़े साफ़ किये. किसी भी मर्द के नितम्ब उसके गोटों जैसे ही संवेदनशील होते है. चाची के हलके हाथ और टुकड़े हटाने की हलकी हलकी थाप से मुझे अजीब से गुदगुदी हो रही थी. धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा और बाबुराव ने भी सर उठा लिया. मैंने उसको अपने हाथों में छुपाये रखा. मगर चाची इतने प्यार से हौले हौले सहला रही थी की कमीना बार बार सर उठा कर देख रहा था.
चाची बोली, "लल्ला......कांच तो अब नहीं है.....मगर ये मरी मोमबत्ती में कुछ दिख नहीं रहा......तू बिस्तर पर लेट जा........एक बार ढंग से देख लूँ....हें......?
मैं चुप चाप बिस्तर पर पेट के बल लेट गया. चाची ने मोम्बाती बेड के कोर्नर पर रखी और मेरे बिलकुल पास पालथी मार कर बैठ गयी. उनके इस तरह से बैठने से उनका बंधा हुआ टोवल थोडा सा खुल गया और उनकी चिकनी जांघें दिखाई देने लगी......उनका पूरा ध्यान मेरी घायल गांड पर था और मेरा पूरा ध्यान उनके जांघ पर लिखे "बलमा" पर था. न जाने क्यों मैं जब भी चाची की जांघ का टेटू देखता मेरा बाबुराव सनक जाता.....पहले से ही कंट्रोल में नहीं था मगर अब तो उसने बगावत ही कर दी. मैं पेट के बल लेटा था इस तरह मैंने बाबुराव को अपने पेट से चिपका कर फंसा लिया था ताकि वो सर न उठा सके. मगर अब वो कुलबुलाने लगा और मेरी हालत ख़राब होने लगी.
इधर चाची मेरी गांड का मुआयना ऐसे कर रही थी जैसे रोड के उद्घाटन से पहले इंजिनियर साहब करते है. वो मेरी गांड पर मस्ती से हाथ फेर रही थी और उनके एक एक स्पर्श से मेरी नसे सनसना रही थी. उन्होंने उनके हाथ से मेरी टांगो को खोलने की कोशिश की. मैंने नहीं खोली क्यूँ की मुझे डर था की कहीं उन्हें मेरी गुस्से में फुफकारता शेषनाग दिख गया तो. चाची बोली, "लल्ला......जरा इधर भी देखने दे बेटा........कहीं इधर उधर कांच चुभ गया तो बाद में दिक्कत ना हो,,,"
भेनचोद....दिक्कत तो अभी हो रही थी.......मेरा बाबुराव अब दुखने लगा था. मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी टंगे चौड़ी की.......और बाबुराव को और जोर से दबा लिया.
चाची ने धीरे से मेरे गोटों को सहलाया मानो सच में चेक कर रही हो की कांच तो नहीं चुभा. मेरी सांसें बंद होने लगी........तभी चाची ने नाखुनो से मेरे गोटों को रगड़ दिया. मेरे मुंह से आह निकल गयी. चाची बोली, "हाय राम......दुःख रहा है क्या लल्ला.......
अब मैं चाची को क्या बोलता की चाची ऐसे ही करो मज़ा आ रहा है. इधर साला बाबुराव कहना नहीं मान रहा था और उधर चाची की उंगलिया जाने कहाँ कहाँ जादू चला रही थी. मेरी हालत टाईट हो रही थी. टालने के लिए मैंने कहाँ, "न न नहीं च च चाची.......ल ल ल लगता है की कांच के कुछ टुकड़े आगे की तरफ भी आ गए......मुझे आगे भी दुःख रहा है...."
चाची बोली, "हाय राम.........देखने दे बेटा .....घूम जा......" मैं कुछ बोलता या कर पता इतनी देर में तो चाची ने मुझे धक्का देकर घुमा दिया. बाबुराव जो अब तक लीबिया की जनता जैसा दबा हुआ था एक दम उछल के चाची के हाथों से जा टकराया....
चाची जोर से चिल्लाई, "हाय राम........"
मेरी भी गांड फटी की ये क्या हो गया.........मैंने झट से बाबुराव को छुपा लिया मगर अब तो वो फन उठा चूका था........घंटा छुपने वाला था ???
मेरे बाबुराव का चमकदार सुपाडा मोमबत्ती की टिमटिमाती रौशनी में ठुनक ठुनक कर चाची को सलाम कर रहा था.
चाची बोली, "बेशरम........चोट लगी है मगर.......अभी भी.........लल्ला.........तू तो बहुत ही बदमाश है रे.........हाय राम........" यह कह कर चाची ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया मानो मैं अपने लंड उनके मुंह में घुसेड़ने वाला हूँ.
मैंने कहा, "न न न नहीं च च चाची........म म म मैंने नहीं क क क किया अपने आ आ आ आप हो गया......."
चाची ने मोमबत्ती जलाई और मेरे पास आई उन्होंने फिर से टॉवेल लपेट लिया था, मगर उस उफनती हुयी जवानी को वो बेचारा कहाँ छुपा पाता. चाची के मम्मे भी उछल उछल कर बाहर आ रहे थे. चाची मेरे पास आकर खड़ी हुयी और मोमबत्ती टेबल पर रख दी. मोमबत्ती की टिमटिमाती रौशनी चाची के बदन से खेलने लगी.
चाची ने कहा, "धीरे से उठना लल्ला.......देख कहीं कांच न चुभ जाए......"
मैं उठने लगा और जैसे ही खड़ा हुआ मेरे कुलहो में जोर से दर्द हुआ, मेरी आह निकल गयी और चाची ने पुछा, "हाय राम क्या हुआ लल्ला......हड्डी तो नहीं खिसक गयी"
चाची ने मुझे पलटाया और उनके मुंह से सिसकारी निकल गयी, "हाय राम लल्ला......तेरे पुठ्ठो पर तो कांच लग गया है......."
मेरी गांड पर कांच......? हे भगवान .......
मैं धीरे धीरे खड़ा हुआ और मेरी गांड का हालचाल देखने लगा, मगर कुछ नहीं दिख रहा था. चाची बोली, "लल्ला.....रुक जा......अरे राम......मुझे देखने दे...."
मैं बेबस लचर होकर चुपचाप खड़ा हो गया और चाची मेरी घायल गांड का मुआयना करने लगी. उन्होंने कुछ कांच के टुकड़े मेरी जींस के ऊपर से हटाये और बोली,
"लल्ला.......खून आ गया है रे.......और कांच के बारीक़ टुकड़े जींस के अन्दर तक घुस गए है. तू एक काम कर .......तू जींस उतार दे........"
मैंने जींस धीरे से उतारी. मेरे पुट्ठो में जलन मची हुयी थी. मैं जींस साइड में रख कर चाची की तरफ गांड करके खड़ा हो गया, चाची बेड पर बैठ गयी और मेरी गांड पर से कांच के टुकड़े हटाने लगी. वो बोली, "राम राम........बच गया रे......कोई बड़ा टुकड़ा नहीं घुसा नहीं तो न बैठने का रहता न लेटने का........" यह कहकर वो धीमे धीमे से हंसने लगी. मुझे गुस्सा आया कि साला यहाँ पर मेरी गांड का भुरता बन गया और चाची को हंसी आ रही है.......इस चाची को तो मैं बताऊंगा.
तभी मुझे कुछ चुभा. मैंने कहा, "च च चाची......अभी भी कांच लगा है क्या ? म म मुझे चुभ रहा है....."
चाची ने मेरी गांड को पास में से घुरा और बोली, "नहीं रे लल्ला......अब तो कुछ नहीं दीखता......मगर हो सके है की कुछ बारीक़ टुकड़े रह गए हो.....तू एक काम कर...
यह अंडरवियर भी उतार......एक तो यह मरी मोमबत्ती में यूँही नहीं दिख रहा....."
मेरी गांड फट रही थी की कहीं कांच वांच रह गया तो ........
मैंने तुरंत अंडरवियर उतारी और अपने प्रिय बाबुराव को अपने हाथों से छुपाकर खड़ा हो गया. अभी भी मेरी गांड चाची की तरफ थी मगर अब पासा बदल गया था.
कहाँ तो मैं चाची को नंगा देखना चाह रहा था और कहाँ मैं खुद नंगा खड़ा था.....किस्मत है.
चाची बोली, "शुक्र है राम जी का........खून तो छिलने से आया है......कांच तो नहीं घुसा और बस थोड़े से टुकड़े चिपके है.......हटाये देती हूँ "
चाची ने हलके हलके हाथों से मेरी गांड पर चिपके कांच के टुकड़े साफ़ किये. किसी भी मर्द के नितम्ब उसके गोटों जैसे ही संवेदनशील होते है. चाची के हलके हाथ और टुकड़े हटाने की हलकी हलकी थाप से मुझे अजीब से गुदगुदी हो रही थी. धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा और बाबुराव ने भी सर उठा लिया. मैंने उसको अपने हाथों में छुपाये रखा. मगर चाची इतने प्यार से हौले हौले सहला रही थी की कमीना बार बार सर उठा कर देख रहा था.
चाची बोली, "लल्ला......कांच तो अब नहीं है.....मगर ये मरी मोमबत्ती में कुछ दिख नहीं रहा......तू बिस्तर पर लेट जा........एक बार ढंग से देख लूँ....हें......?
मैं चुप चाप बिस्तर पर पेट के बल लेट गया. चाची ने मोम्बाती बेड के कोर्नर पर रखी और मेरे बिलकुल पास पालथी मार कर बैठ गयी. उनके इस तरह से बैठने से उनका बंधा हुआ टोवल थोडा सा खुल गया और उनकी चिकनी जांघें दिखाई देने लगी......उनका पूरा ध्यान मेरी घायल गांड पर था और मेरा पूरा ध्यान उनके जांघ पर लिखे "बलमा" पर था. न जाने क्यों मैं जब भी चाची की जांघ का टेटू देखता मेरा बाबुराव सनक जाता.....पहले से ही कंट्रोल में नहीं था मगर अब तो उसने बगावत ही कर दी. मैं पेट के बल लेटा था इस तरह मैंने बाबुराव को अपने पेट से चिपका कर फंसा लिया था ताकि वो सर न उठा सके. मगर अब वो कुलबुलाने लगा और मेरी हालत ख़राब होने लगी.
इधर चाची मेरी गांड का मुआयना ऐसे कर रही थी जैसे रोड के उद्घाटन से पहले इंजिनियर साहब करते है. वो मेरी गांड पर मस्ती से हाथ फेर रही थी और उनके एक एक स्पर्श से मेरी नसे सनसना रही थी. उन्होंने उनके हाथ से मेरी टांगो को खोलने की कोशिश की. मैंने नहीं खोली क्यूँ की मुझे डर था की कहीं उन्हें मेरी गुस्से में फुफकारता शेषनाग दिख गया तो. चाची बोली, "लल्ला......जरा इधर भी देखने दे बेटा........कहीं इधर उधर कांच चुभ गया तो बाद में दिक्कत ना हो,,,"
भेनचोद....दिक्कत तो अभी हो रही थी.......मेरा बाबुराव अब दुखने लगा था. मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी टंगे चौड़ी की.......और बाबुराव को और जोर से दबा लिया.
चाची ने धीरे से मेरे गोटों को सहलाया मानो सच में चेक कर रही हो की कांच तो नहीं चुभा. मेरी सांसें बंद होने लगी........तभी चाची ने नाखुनो से मेरे गोटों को रगड़ दिया. मेरे मुंह से आह निकल गयी. चाची बोली, "हाय राम......दुःख रहा है क्या लल्ला.......
अब मैं चाची को क्या बोलता की चाची ऐसे ही करो मज़ा आ रहा है. इधर साला बाबुराव कहना नहीं मान रहा था और उधर चाची की उंगलिया जाने कहाँ कहाँ जादू चला रही थी. मेरी हालत टाईट हो रही थी. टालने के लिए मैंने कहाँ, "न न नहीं च च चाची.......ल ल ल लगता है की कांच के कुछ टुकड़े आगे की तरफ भी आ गए......मुझे आगे भी दुःख रहा है...."
चाची बोली, "हाय राम.........देखने दे बेटा .....घूम जा......" मैं कुछ बोलता या कर पता इतनी देर में तो चाची ने मुझे धक्का देकर घुमा दिया. बाबुराव जो अब तक लीबिया की जनता जैसा दबा हुआ था एक दम उछल के चाची के हाथों से जा टकराया....
चाची जोर से चिल्लाई, "हाय राम........"
मेरी भी गांड फटी की ये क्या हो गया.........मैंने झट से बाबुराव को छुपा लिया मगर अब तो वो फन उठा चूका था........घंटा छुपने वाला था ???
मेरे बाबुराव का चमकदार सुपाडा मोमबत्ती की टिमटिमाती रौशनी में ठुनक ठुनक कर चाची को सलाम कर रहा था.
चाची बोली, "बेशरम........चोट लगी है मगर.......अभी भी.........लल्ला.........तू तो बहुत ही बदमाश है रे.........हाय राम........" यह कह कर चाची ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया मानो मैं अपने लंड उनके मुंह में घुसेड़ने वाला हूँ.
मैंने कहा, "न न न नहीं च च चाची........म म म मैंने नहीं क क क किया अपने आ आ आ आप हो गया......."