Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी - Page 7 - SexBaba
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Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी

मैं नीचे बैठ गया और जोर जोर से चाची की चूत में उंगली करने लगा.......जैसे ही मेरी उंगलिया पूरी अन्दर तक ऊतर जाती मेरा हाथ चाची के नितम्बो से टकरा जाता और वो ऐसे हिल जाते जैसे जेल्ली हो.....

चाची की पूरी चूत पनिया चुकी थी........

चाची अब भी कोमल भाभी की बातें सुनने की कोशिश कर रही थी.......

बेचारी चाची फंस गयी थी.....अगर मुझे कुछ बोलती तो कोमल भाभी को शक हो जाता और नहीं बोलती तो मैं तो मस्त मुनिया में दो दो उँगलियाँ फ़साये हुए था.

नीचे से कोमल भाभी फिर बोली, " अरे नीलू चाची......वो जिस्म २ आने वाली है......सुना हैं उसकी हिरोइन कोई सनी लियोनि है.....अमेरिका में गंदे गंदे रोल करती थी......

चाची ने कराहते आह भरकर पुछा, " गंदे मतलब........."

कोमल भाभी बोली, " अरे चाची.....वो गन्दी गन्दी फिल्मो में काम करती है वहां पर.... " 

मैंने जोर से अपनी उंगली मुनिया में डाली तो बेचारी चाची के मुंह से फिर हाय निकल गयी.......कोमल भाभी समझी की चाची को उनकी बातों से मज़ा आ रहा है.

कोमल भाभी बोली, "राम चाची.......आप को तो दिनभर यह ही सब सूझता रहता है........आप ना सच्ची में बहुत ही बेकार हो........"

चाची क्या बोलती............चाची ने फिर मुझे पीछे मुडकर देखा और ऑंखें तरेरी........

फिर धीरे से बोली " साले हरामी......मरवाएगा तू आज......."

यह बोलकर उस हरामन ने मेरे बाबुराव को, जो की अंडरवियर से आधा बाहर झांक रहा था, को पकड़ा और चड्डी से बाहर खिंच लिया......मेरी आह निकल गयी.

चाची ने मेरे बाबुराव को सुपाड़े के नीचे से पकड़ा जैसे कसाई मुर्गे को गर्दन से पकड़ता है. वो अभी भी झुकी तो मुंडेर पर ही थी मगर मुड़ कर मेरे बाबुराव की जान निकाले जा रही थी......ठंडी ठंडी हवा चाची के बालो को बिखरा रही थी और मेरे नंगे कुल्हो पर गुदगुदी कर रही थी.

सच ही है.....सावन का महीना ही मादक होता है......इंसान तो इंसान.....कुत्ते कुतिया भी इस मौसम में हर गली में चोदते चुदाते मिल जाते है.

मैंने कचकचा कर चाची की मुनिया में उंगली करने की स्पीड बड़ा दी.....तुरंत ही चाची ने भी मेरे बाबुराव पर अपनी पकड़ मजबूत की और कड़क कड़क हाथ से मेरी मुठ मारने लगी. चाची मुंडेर पर झुकी झुकी ही पीछे मुड़ कर मुझे देख रही थी....उनका मुंह उत्तेजना से खुला हुआ था . और ....मेरे दांत भींचे हुए थे और मेरी ऑंखें चाची की आँखों में लोक हो गयी थी.

अचानक नीचे से कोमल भाभी चिल्लाई, "अरे नीलू चाची.......क्या कर रही हो यार........."

चाची ने हडबडा कर नीचे देखा मगर मेरा लंड नहीं छोड़ा, " अरे यार......वो कपडे निचोड़ रही हूँ........बोल ना............."

चाची सच में मेरे बाबुराव को कपडे जैसे निचोड़ रही थी.....उनके छोटे छोटे नाज़ुक हाथों में बला की ताकत थी........उन्होंने मेरे बाबुराव को इस मजबूती से पकड़ रखा था की कोई मुझे छत से लटका देता तो भी उनकी पकड़ ढीली नहीं होती.

कोमल भाभी बोली, "चाची.......यह मौसम में......कितना अच्छा लगता है ना.........मैंने तो इनसे कहा था की आज ऑफिस मत जाओ........दिन भर.......घर में ही रहेंगे........मगर इनको तो एक साल में ही कंपनी का मालिक बनना है............मालूम है मुझसे ढंग से बाय बोले बिना ही चले गए......."

चाची बेचारी क्या बोलती, एक औरत जो अपनी चूत में दो दो उंगलिया फंस्वाए खुले आम अपनी छत पर नंगी खड़ी हो, उसके हाथ में एक लपलपाता हुआ लौड़ा हो तो क्या बोलेगी......

नीचे से बेचारी कोमल भाभी अपने दुखड़ा सुनाये जा रही थी.......

"अरे चाची......कल रात को हमने वो वाली DVD देखी थी............ये भी न इतने बेशरम है..........मैं तो समझी की मजाक कर रहे है......मगर इन्होने तो सच में DVD दिखा दी...........काले आदमी गोरी लड़कियों के साथ..........राम राम.......मुझे नहीं पता था की इतना बड़ा भी होता है.............पता है......आधे आधे घंटे तक कर रहे थे.......बिना रुके.........जरुर कुछ खाते होंगे.............वर्ना कोई इतनी देर तक थोड़ी कर सकता है............ये तो......दो तीन मिनट में ही............अरे चाची आपका ध्यान कहाँ है....???? "

चाची बेचारी अपनी मुनिया के हाल चाल समझने में लगी थी......मैंने अपना दूसरा हाथ बड़ा कर उनके मम्मो को भी ब्लाउस के ऊपर से ही दबोच लिया था........

चाची बोली, " हें......हाँ.......क्या बोली.........कोमल भाभी...........हाँ हाँ.......बहुत बड़े होते है इन मरे कालो के...........आह......."

कोमल भाभी ने शक की टोन से पूछा, " क्यों चाची......सच्ची सच्ची बताओ कौन है आपके साथ...........जरुर चाचा जी है........क्या कर रहे हो........दोनों...."

चाची घबरा गयी, " अरे नहीं.......क.....क.....कोई नहीं है......." 

यह बोलकर उन्होंने मेरा लौड़ा छोड़ा और थोडा और आगे झुक कर कोमल भाभी को सफाई देने लगी.....

"अरे वो तो मैं कपडे निचोड़ रही थी.....और मेरी कमर दुःख रही थी न.......इसीलिए.......... आआआआआआहहहहहहहहहहहहह"

चाची के झुकने से उनकी टपकती हुयी चूत खुल कर मेरे सामने आ गयी थी......मैंने आव देखा न ताव और अपने लौड़ा सीधा चाची के छेद पर निशाना मार के ठोक दिया, कामरस से भीगी चूत ने कोई विरोध नहीं किया और लपक कर बाबुराव को पूरा अपने अन्दर समां लिया.

चाची की कराह और आह सुनकर कोमल भाभी का शक यकीं में बदल गया...........

वो बोली, "हाय राम......चाची........आप तो बिन्दासों की रानी निकली.......चाचा के साथ खुल्ले आम........."

चाची क्या बोलती......मैं कचकचा कर इतने जोर जोर से ठोक रहा था की मेरे जांघ की चाची की जांघ से टकराने की ठाप कोमल भाभी को भी सुनाई दे रही होगी. और चाची बेचारी मुंडेर को सहारे के लिए पकडे हुए उसी पर अपने सर टिका कर बड़े प्रेम से ले रही थी.

कोमल भाभी की ऑंखें फ़ैल गयी थी, वो बोली, " च च चाची.......आप एन्जाय करो....मैं जाती हूँ........"

तभी मैंने चाची के मम्मो को मसल दिया.....चाची चिल्लाई, " न न न नहीं........."

कोमल भाभी पलटी और उनके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गए........वो बोली, "आ आ आप का मतलब है चाची की मैं रुकू.......????" 

मैंने अपने पूरा लंड चाची की भीगी भागी चूत से बहार खिंचा और धप्प से अन्दर पेल दिया......चाची बोली, " य य यस.........हाँ........"

कोमल भाभी समझी की चाची ने उनको रुकने के लिए बोल दिया है.......वो वही की वही अपनी गर्दन ऊँची किये अपनी सहेली को ठुकवाते हुए देखने लगी.

कोमल भाभी की ऑंखें फ़ैल गयी थी, वो बोली, " च च चाची.......आप एन्जाय करो....मैं जाती हूँ........"

तभी मैंने चाची के मम्मो को मसल दिया.....चाची चिल्लाई, " न न न नहीं........."
 
कोमल भाभी पलटी और उनके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गए........वो बोली, "आ आ आप का मतलब है चाची की मैं रुकू.......????" 

मैंने अपने पूरा लंड चाची की भीगी भागी चूत से बहार खिंचा और धप्प से अन्दर पेल दिया......चाची बोली, " य य यस.........हाँ........"

कोमल भाभी समझी की चाची ने उनको रुकने के लिए बोल दिया है.......वो वही की वही अपनी गर्दन ऊँची किये अपनी सहेली को ठुकवाते हुए देखने लगी.

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सावन की ठंडी ठंडी हवा चल रही थी.............हलकी हलकी रिम झिम बारिश भी होने लगी थी........ठंडी हवा मेरे नंगे नितम्बो से टकरा कर मेरी ठरक और बड़ा रही थी.
अब मैं अपना बाबुराव बाहर खिंच कर धप्प से चाची की लपलपाती मुनिया में पेल रहा था.....मेरे हर धक्के पर चाची इस कदर सिसिया रही थी मानो उनकी चूत में लंड नहीं मिर्ची फंसी हो.....

और बेचारी कोमल भाभी........अपने खुल्ले मुंह पर हाथ रखे अपनी सहेली नीलू चाची की तूफानी चुदाई देख रही थी......उनकी ऑंखें कंचो जैसी गोल गोल हो गयी थी.
चाची की ऑंखें तो आनंद के अतिरेक से बंद थी और उन्होंने कोमल भाभी की कोई बात सुनी ही नहीं थी.

यूँ भी अगर किसी औरत की खुले आम नीले गगन के तले हलकी हलकी बारिश में चुदाई हो रही हो तो वो ट्रेन का होर्न भी नहीं सुन पाए......और फिर कोमल भाभी की आवाज़ तो कोयल जैसी सुरीली थी. मैं जैसे ही अपना बाबुराव चाची की मुनिया से बाहर खींचता और धक्का मारता चाची भी अपनी गांड से मेरे लंड पर धक्का मार देती. जैसे ही हम दोनों की जांघें टकराती तो फटाक की आवाज़ पूरी छत पर गूंज जाती. 

चाची ने चुदते चुदते ही अपनी ऑंखें खोली और उनकी नज़रे सीधे पास वाली छत पर निचे मुंह फाड़े खड़ी कोमल भाभी से जा टकराई.....

"हाय राम.........क्या द द देख रही है..........क क कोमल..........आह........धीरे.......आह........ज ज जा यहाँ से........आह....." चाची ने कराहते हुए कहा. 

एक सेकण्ड तो बेचारी कोमल भाभी को कुछ समझ ही नहीं आया.....आखिर बेचारी पहली बार लाइव टेलीकास्ट देख रही थी. चाची ने फिर चिल्लाया तो अचानक कोमल भाभी की होश आया.....

" अरे चाची.....मैं तो जा रही थी.....आपने ही तो बोला की रुक......मैंने फिर से पूछा तो था आपसे की मैं रुकू क्या......आप बोली हाँ तो मैं रुक गयी...."

चाची ने अपनी मुनिया पर मेरे लौड़े की चोट खाते खाते ही फिर कहा, " न न नहीं......ऊह.,.........तू.......ज ज जा........"

कोमल भाभी के चेहरे पर शरारत के भाव तैर गए.....वो ऑंखें नचा कर बोली, " ओ नीलू चाची.........अब तो मैं पूरा मेच देख कर ही जाउंगी......ही ही ही.....
आप बहुत ही बेकार हो..........और चाचा जी तो और भी..........बेकार है."

चाची ने पीछे पलट कर मुझे देखा........उनके चेहरे पर बाल बिखर गए थे और उनके बालों की एक लट उनके चिकने गालों पर लटक रही थी......मेरे हर धक्के पर वो लट भी इठला कर हिल रही थी. चाची ने दांत पिंस कर कहा,

"साले हरामी...........आह........मरवाएगा तू..........आह....................जल्दी कर ले.....वो कोमल मरी निचे खड़ी खड़ी बेशरम जैसे देख रही है.....आअह..."

बोलो अब.......कोमल भाभी चाची को चुदते देखले तो बेशरम और चाची बिंदास अपनी छत पर साड़ी ऊँची कर ले चुदवा तो ठीक........

मैंने चाची की कमर पर इकठ्ठी हुयी साड़ी को घोड़े की लगाम जैसा पकड़ा और कुत्ते जैसी स्पीड में चाची को चोदना शुरू कर दिया......चाची कुछ और भी बोलना चाह रही थी मगर उनके शब्द उनके गले में ही रह गए और शब्दों के बदले उनके मुंह से वासनाभरी ऐसी आह निकली की मेरे रौंगटे खड़े हो गए और मैंने अपनी कमर को थोडा सा और झुका कर जोर जोर से अपने बाबुराव को उनकी रस टपकाती चूत में पेलना शुरू कर दिया.

चाची का मुंह आनंद से खुल गया था मगर शर्म लिहाज से उन्होंने अपनी आवाज़ रोक रखी थी ...मगर जैसे ही उनकी मुनिया की बेदर्द ठुकाई होने लगी उनसे रुकना मुश्किल हो गया.........उनके मुंह से कामुक सिस्कारियां निकलने लगी...

"आह......आह........म म म म मार डाला...रे........हाय अम्मा...........आह............हाँ......... हाँ ...........हाँ.............कूट दे इसको......आह......."

नीचे खड़ी कोमल भाभी मुंह खोले यह देसी चुदाई का नज़ारा देख रही थी......उसकी समझ में नहीं आ रहा था की रुके या चली जाये.........रात को अपनी पति के साथ ब्लू फिल्म में काले लोगों के लम्बे लौड़े देख कर वो पहले से ही मस्ताई हुयी थी ऊपर से नीलू चाची की यह चुदाई उसके भेजे को हिला रही थी.

चाची ने तो अब लाज शर्म सब छोड़ दी थी.......वो इस कदर चिल्ला चिल्ला कर मेरे बाबुराव पर पलट कर धक्के मार रही थी की मानो इस चुदाई की जंग में आज उसको ओलंपिक का गोल्ड मेडल चाहिए. मगर जीतना इतना आसान नहीं था. मुकाबला टक्कर का था...

मैंने आगे हाथ बड़ा कर चाची के झूलते हुए मम्मो को पकड़ा और उनके निप्पलों को अपनी उंगली के बीच में लाकर रेडियो के बटन जैसा घुमा दिया. चाची की सिसकारी चीखों में बदलने लगी.......साली ठरकी.......उनके निप्पल उनकी कमजोरी थे यह मुझे पता था और इसीलिए मैंने सीधा हमला उनके विक स्पोट पर किया था.

आखिर जंग और चुदाई में सब जायज़ है.

अचानक चाची के पाँव लड़खड़ाने लगे और उन्होंने धक्के मारना बंद कर दिया. बहुत धीमे से से उनके मुंह से एक आवाज़ निकली जो ट्रेन की सिटी जैसे धीरे धीरे बढती गयी....

"आ....आ......आ........आ........आ..........उई........म म म्माँ .आ आ आ ..............आ.......आह.........." 

जैसे ही चाची ढीली पड़ी मैंने उनकी चोटी पीछे से पकड़ी और धमाधम बाबुराव को उनकी झरने जैसे बहती चूत में ठोकना शुरू कर दिया. चाची ने आगे होकर बचने की कोशिश की मगर मैंने उनकी चोटी को लगाम जैसे पकड़ा हुआ था आखिर बच कर कहाँ जाती.......उन्होंने अपना हाथ मुंह पर ढँक लिया और अपने सिस्कारियों को दबाने की कोशिश करने लगी......

चाची की गांड मेरे हर धक्के पर इस तरह हिल रही थी मानो भूकंप आया हुआ हो......उनकी हिलती गांड देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने धीरे से एक चपत उनकी गांड पर मार दी.....चाची के मुंह से सिसकारी और आह दोनों निकल गयी....

वो सिसियते हुए बोली, " आआह......मार डालेगा क्या हरामी.........जल्दी कर ले.........क..क..कोई आ गया तो.....आह........जानवर...........आह......छोड़ मुझे........"

मैंने दांत पिंस कर अपने बाबुराव उनकी मुनिया में से बाहर निकाला.......सुपाडा इस कदर लाल होकर सूज गया था मानो गुस्से में पागल हो रहा हो.

चाची ने चैन की सांस ली ही थी की मैंने तुरंत अपने लपलपाता हुआ बाबुराव उनकी मुनिया में पेल दिया. चाची की तो आवाज़ ही गले में घुट गयी........ 

अब मैंने ट्रेन फुल स्पीड में छोड़ दी थी......पकापक पकापक बाबुराव चाची की मुनिया में पेले जा रहा था और चाची फिर से अपनी गांड से धक्के मारने लगी थी. 
इरादा तो मेरा कुछ और था मगर चाची ने नीचे हाथ डाले और मेरे गोटों पर अपने नाख़ून रगड़ने लगी.....भेन्चोद आखिर साली को मेरी कमजोरी भी पता थी. 

मेरे गोटों में तुरंत सुरसुरी होने लगी, मैंने अपनी स्पीड स्लो करने की कोशिश की ताकि पानी न निकले मगर चाची पुरानी खिलाडी थी, उन्होंने मेरे बाबुराव पर पलट के अपने गांड से वो धक्के मारने शुरू कर दिए की मेरा दी एंड मुझे दिख गया. 

चाची ने अपना हाथ और आगे बड़ा कर मेरे गोटों के पीछे वाली नाज़ुक जगह पर लगाया ही था की मेरे दिमाग में पानी छुटने की अनाऊँस्मेन्ट हो गयी. 

मैंने अपने नितम्बो को सिकोडा और जोरदार धक्के के साथ अपना लौदा चाची की मुनिया में जड़ तक फंसा दिया. और तभी एक के बाद एक मेरे बाबुराव से पिचकारी की तरह पानी निकल कर चाची की मुनिया में उतरने लगा......मेरे होश ही गुम हो गए थे........एक सेकंड के लिया पूरा शारीर कमान जैसा तन गया और अचानक ही मेरे पैर जवाब दे गए और मैं चाची के ऊपर ही झुक गया और जोर जोर से साँसें लेने लगा. मेरा पूरा बदन पसीने और बारिश के पानी से भीग चूका था. चाची के मुंह से भी मम्म मम्म मम्म करके संतोष भरी आवाज़े निकल रही थी. 

अचानक..........छत के दरवाज़े के खुलने की आवाज़ आई. मैं और चाची दोनों चौंक गए, हम कुछ बोलते इसके पहले बल्लू चाचा की आवाज़ छत पर गूंज गयी.........

"नीलू.............अरे.....नीलू.......कहाँ हो तुम........आधे घंटे से नीचे भाभी तुम्हे आवाज़ लगा रही है........नीलू......"

गांड की फटफटी सेल्फ स्टार्ट हो गयी.
 
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मैं और चाची दरवाजे की पीछे की और थे इसीलिए बल्लू चाचा को दिखे नहीं मगर वो लौडू कभी भी आ सकता था. चाची ने फटाफट अपनी साड़ी नीचे कर ली और अपना पल्लू सर पर ले लिया मगर मेरी तो जींस नीचे थी और मस्ती के माहोल में न जाने कब टी शर्ट भी मैंने खोल कर फ़ेंक दिया था. मेरी गांड की फटफटी फुल स्पीड पकड़ चुकी थी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की मैं क्या करू.........


इस हालत में मुझे चाची के साथ देखकर बल्लू चाचा एक सेकंड में सब समझ जायेगा. और उसके बाद ............हे भगवान....


मैंने इधर उधर देखा. कोमल भाभी की छत वैसे तो काफी नीचे थी मगर दिवार में गेप होंने से वहां पैर रखने की जगह थी. मैंने आव देखा न ताव अपने पैर मुंडेर पर दाल कर कोमल भाभी छत की तरफ उतरने लगा. मैंने दोनों हाथों से मुंडेर को पकड़ा और धीरे धीरे दिवार में पैर टिकने की जगह देख कर उतरने लगा. थोड़ी ही देर में मैं कोमल भाभी की छत से थोडा ही ऊपर था.....मैंने अपने हाथ छोड़े और कोमल भाभी की छत पर कूद गया.


बिलकुल सेफ लैंडिंग थी. जरा भी नहीं लगी. मैंने बड़ी शान से मुस्कुराते हुए अपने हाथ मलते हुए ताली मारी और नीचे जाने के लिया मुडा.


कोमल भाभी मेरे ठीक सामने खड़ी थी.....उनके मुंह पूरा गोल खुला हुआ था और उनके चेहरे पर घनघोर आश्चर्य के भाव थे. वो ऑंखें सिकोड़े मुझे घुर रही थी.


मैं जहाँ था जैसा था वैसा ही फ्रिज हो गया.


कोमल भाभी ने कांपती हुयी आवाज़ में कहा , " च च चाची के स स साथ त त तुम थे...........??????"


फटफटी गेयर में हो तो स्टार्ट नहीं होती.


इसकी माँ का........


आसमान से गिरे और खजूर में अटके.


मुझे तो अपने आप पर ही दया आने लगी. टी-शर्ट जल्दी में पहना नहीं था बस कमर पर बांध लिया था.....सलमान स्टायल......और जींस बस ऊपर खिंच ली थी. बटन लगाने का समय कहाँ था. भोसड़ी की जींस भी मानो समझ गयी की मेरी गांड फट रही है......और धीरे धीरे से थोड़ी नीचे सरकने लगी.


बाबुराव अभी अभी मैदान-ऐ-जंग से जीत हासिल कर के आया था इसीलिए अभी भी अकड़ के साथ खड़ा था. जैसे ही जींस ने जगह दी भाईसाहब ने तुरंत अपनी मुंडी जींस से बाहर निकाल कर कोमल भाभी को सलाम कर दिया.


कोमल भाभी की पहले से ही फटी हुयी ऑंखें अब तो बस बाहर ही निकाल आई. उनका पूरा मुंह लाल सुर्ख हो गया........एक भरपूर नज़र उन्होंने बाबुराव पर डाली और अचानक सकपका कर इधर उधर देखने लगी.


मुझे समझ नहीं आया की यह क्या कर रही है.........


उधर वो बेचारी अपनी गर्दन दूसरी और मोड़े हुए भी कनखियों से मेरे लाल को अपनी नज़रो से दुलार रही थी. मैंने उनकी नज़रो का टार्गेट देखने के लिए अपनी गर्दन निचे की तो अपने सिपाही ने अपुन को ही सलाम ठोक दिया.


भेन्चोद.........शर्म के मारे मेरे कान गरम हो गए. मैंने तुरंत जींस को ऊपर खिंचा और बटन लगा लिया. कोमल भाभी ने देखा की मेरा खतरनाक जानवर पिंजरे में कैद हो चूका है तो वो भी सीधी हो गयी.


बड़ा अजीब केस हो गया था. हम दोनों शरमा रहे थे और चूतियों जैसे इधर उधर देख रहे थे. मेरा शरमाना तो समझ आता है मगर वो बेचारी क्यों शर्म से लाल हुयी जा रही थी, यह मेरे समझ से बाहर था.


मैंने सोचा की बोस अब यहाँ से निकल लो.......मैं आगे बड़ा तो वो बेचारी एक दम घबरा के पीछे हो गयी. इसकी माँ का........साली का रेप थोड़ी करने जा रहा था जो इतना डर गयी. मैं सर झटकते हुए उसकी छत ने निचे जाने के लिए सीड़ियों की तरफ गया. वहां पर गेट था जो की बंद था. मैंने गेट को खिंचा......वो हिला भी नहीं.

मेरा दिमाग गरम हो रहा था......साली ये कोमल भाभी मुझे समझती क्या है.........मैंने गेट को जोर से खिंचा तो भी नहीं खुला....भेन्चोद.....इसकी तो मैं......


तभी मेरे कानों में कोमल भाभी की जल तरंग जैसी आवाज़ आई.....


"शील भैया........वो गेट बाहर की तरफ नहीं अन्दर की तरफ खुलता है........धक्का दो......"


लंड.....इतनी देर से धक्के ही तो दे रहा था. मगर गेट में नहीं......चाची में.......


मेरा गुस्सा एकदम उड़नछु हो गया. मैं मुस्कुरा दिया.......गेट को धक्का देकर खोला और निचे जाने लगा......देखा तो कोमल भाभी भी हौले हौले मुस्कुरा रही थी.


हाय.......जालिम की एक मुस्कान ने फिर से मूड बना दिया. मैंने निचे उतरते उतरते टी शर्ट पहना और सीधा अपने घर की तरफ निकल लिया.


मैं जब कोमल भाभी के घर से बाहर निकल कर आया और उनका गेट बंद करने लगा तब तक वो भी नीचे आ गयी थी, मेरी उनकी नज़र मिली और वो फिर से शरमाते हुए मुस्कुराने लगी. मैंने वहीँ रुक कर उनके इस लाजवंती ड्रामे को देखने लगा. तभी किसी ने मेरे कंधे पर हाथ मारा.


मैं झटके से पलटा, देखा तो मेरी सांस ही रुक गयी.


कोमल भाभी के पतिदेव रिषभ भैया मेरे कंधे पर हाथ रखे मुस्कुरा रहे थे.


"और भाई शील, क्या हाल है...? आजकल तो तुम दीखते ही नहीं.......कैसे आना हुआ........", रिषभ भैया ने पूछा.


मैं क्या लंड बोलता की कैसे आना हुआ.......वो रिषभ भैया आपकी बीवी मेरी और चाची की चुदाई का सीधा प्रसारण देख रही थी....तभी चाचा आ गया इसीलिए मैं अधनंगा आपके घर की छत पर कूद गया......बस इसीलिए आना हुआ.


मैंने कहा, "न न न नहीं भैया.......म म म मैं तो अ ऐसे ही.......व.व.व.वो............म.म म म. मैं........."
 
तभी कोमल भाभी ने बात संभाली, "अरे आप भी........आते ही सवालों में लग गए..... .शील भैया नीलू चाची का पूछने आये थे.........चाची काफी देर से गायब थी इसीलिए....."


ये बोलकर उसने वो तिरछी मुस्कान मारी की मेरे दिल और लंड दोनों पर एक साथ चोट लग गयी. साली......यह भी कम हरामन नहीं है.


रिषभ भैया और कोमल भाभी तो अन्दर चले गए, मैंने भी अपनी किस्मत की खैर मनाई और घर की तरफ चल पड़ा.


फिर से वो फोन की घंटी.........इच्छा हुयी की इस भेन्चोद फोन को गधे की गांड में घुसा दू......साला बजे ही जा रहा था.


मैंने उठाया, "हेल्लो........"


"अरे तुम कभी लाइफ में कुछ सीखोगे की नहीं........? १२ बजे ही सो जाते हो क्या ? अभी तो १२ भी नहीं बजे. तुम हो कहाँ ? न तुम्हारा कोई फोन आता है न मेसेज करते हो........बातें तो बड़ी बड़ी करते हो बस.......आज तो मैंने सोच लिया था की जब तक तुम्हारा फोन या मेसेज नहीं आएगा मैं भी तुम्हसे बात नहीं करुँगी....मगर तुम्हे तो कोई फरक पढता ही नहीं है......u just dont care ......कहाँ थे दिन भर......?"


भेन्चोद शायद सांस लेने के लिए ही रुकी थी......वर्ना आधा घंटा और बोल लेती........


मैं उठा कर बैठ गया, " हाय पिया.........अरे सोरी यार......मेरे घर मेहमान आये थे.......मैंने तुम्हे फोन लगाया था मगर आउट ऑफ़ कवरेज था........फिर क्या हुआ

.....वो सांड को.........अ अ अ आई मीन तुम्हारे भाई को शक तो नहीं हुआ ???? "


"नहीं......भैया को मैंने कंफ्युस कर दिया......की मैं तो वहां थी ही नहीं......और हेल्लो......तुमने अभी मेरे भाई को क्या कहा ???? ", उसने पूछा.


मैंने बात संभाली...." अरे न न नहीं....व.व...व.वो........क.क.कुछ नहीं........अच्छा तुम क्या कर रही हो......? "


"मूवी देख रही हूँ......."


मैंने पूछा, " कोनसी मूवी......"


वो बोली, "अरे......वो..... XXX ......... "


इसकी माँ की..........साली ये तो ब्लू फिल्म देख रही है........बोस......क्या बिंदास लौंडिया है..........


मैंने पूछा, "क क क क्या बात है..........सची में......?"


वो बोली, "हाँ......तो क्या हुआ......मैं तो दूसरी बार देख रही हूँ.......अभी थोड़ी देर पहले तो मम्मा भी देख रही थी......फिर उनको नींद आई तो वो सोने चली गयी.....मस्त मूवी है......"


भेन्चोद.....ये लौंडिया तो अपनी माँ के साथ xxx मतलब ब्लू फिल्म देखती है.......गज़ब.......


मैंने कहा, "तुम्हारा मतलब तुम्हारी मोम को भी पसंद है क्या........??"


वो बोली, "हाँ......पसंद तो क्या.....मगर देख तो रही थी......."


मैंने फुसफुसा कर पूछा, "वैसे मूवी का नाम क्या है........?"


वो बोली, "अरे बताया तो सही........xxx .........."


मैंने फिर कहा, "अरे......मेरा मतलब है की टाइटल क्या है......"


वो बोली, "शील.....क्यों पका रहे हो......मूवी का नाम है xxx ....अरे हालीवुड मूवी है न.....विन डीज़ल की..... एक मिनट तुम क्या समझे......की मैं.......xxx मतलब वो गन्दी वाली मूवीज की बात कर रही थी ?????..................हेल्लो.......हेल्लो........शील जवाब दो. "


शील अब क्या लंड जवाब देगा.........



मेरी तो सांस रुक गयी........सची यार आखिर अब क्या बोलता..........उधर से पिया फिर चिल्लाई, " अरे बोलो न........शील तुमसे यह उम्मीद नहीं थी...............बाय"


फ़ोन कट गया. भेन्चोद.......किस्मत से इतनी ज़ोरदार लौंडियाँ से दोस्ती हो गयी थी........सीन भी जमने लगा था और यह माँ चुदाई हो गयी. मैं तो वैसे ही गांडफट हूँ.....जिंदगी में कभी ऐसी हरकत नहीं कर पाता.......साला मूवी के नाम से चुतिया बन गया और जमी जमाई सेटिंग की माँ भेन हो गयी.


मैंने हिम्मत करके पिया को फिर से फोन लगाया...........२ घंटी गयी और उसने फोन काट दिया. बोस......पूरी माँ चुद चुकी थी. मैंने उसको मेसेज किया


"आय एम् सोरी" और सेंड करके फोन स्विच आफ करके सो गया.
 
सुबह जल्दी नींद खुल गयी. ढीले ढाले मन से तैयार हुआ, नाश्ता करके के लिए बैठा था. चाची ने घी में डुबो डुबो कर पराठे बनाये थे.........बेमन से खाए. चाची आई और ऑंखें नचा कर बोली, "हाय राम......लल्ला.......अरे २ पराठे तो खा........बड़ा हो गया है.......इतनी मेहनत करता है..........घी नहीं खायेगा तो क्या करेगा......"


तभी बल्लू चाचा भी आकर बैठ गया, "अरे मेहनत तो हम भी करते है.....हमें कोई घी के पराठे नहीं खिलाता........"


चाची ने तुरंत जड़ा, "आप तो ना रहने ही दो जी.............अब तो आप घी क्या अमृत भी पी लोगे तो भी आपसे कुछ नहीं होगा "


बेचारे बल्लू चाचा का मुंह गधे के लंड जैसा लटक गया. वो मुंह निचे किये धीरे धीरे खाने लगा. मेरी हंसी नहीं रुक रही थी. मैंने फटाफट पानी पिया और वहां से भागा.


बस में इतनी भीड़ थी की चूहा भी नहीं घुस पाता. कॉलेज पहुंचना था जैसे तैसे घुसा और इधर उधर कभी गांड कभी कंधे टेड़े मेडे कर के बस के बीच में पहुंचा. इतनी से जगह में इतने लोग खड़े थे की ढंग से सांस भी ना ले पाओ. एक सीट को पकड़ के खड़ा हो गया और खिड़की की तरफ झुक गया......थोड़ी तो हवा आई.


अचानक भीड़ और बढ़ी. मुझे बिलकुल सीधा खड़ा होना पड़ा. मैं ऊपर हाथ से पकड़ने की जगह ढूंढ़ ही रहा था की मेरे पिछवाड़े कोई आकर टिका. मैंने चिड कर पीछे देखा तो मेरी आवाज़ मेरे मुंह में ही रह गयी. जो मुजस्सिमा मेरे सामने था उसका तो बयां करना भी मुश्किल था. उस औरत का कद मेरे से भी एक दो इंच ज्यादा था. उम्र शायद 30 के आस पास होगी. वो करीब 5 फीट 11 इंच की हाईट की थी. और इतनी लम्बी होने के बाद भी उसका जिस्म इतना भरा पूरा था की उसको लिटा लो तो गद्दे की जरुरत ना पड़े. ऐसा गदराया बदन होने के बावजूद कहीं पर भी मोटापे की झलक नहीं थी. पूरा सोलिड बदन था. भरा पूरा.


ऐसी लम्बाई और ऐसे बदन का कॉम्बिनेशन मैंने पहली बार देखा था.


उसने हलके नीले रंग की साड़ी पहनी थी. जैसा की नीले रंग की खासियत है.......अन्दर का सब कुछ बाहर दिखा देता है. उसके आंचल से अन्दर गौर से देखने पर जन्नत का गलियारा साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था. किसी भी औरत के मम्मो को ही घूरते रहना तो गलत है .....आखिर चेहरा मोहरा भी देखने की बनती है.......


मैंने नज़रे उठाई........सावला रंग....हल्का गोल चेहरा.......छोटी सी नाक......मगर ऑंखें ऐसी थी मानो "नैन कटीले तेरे नैन कटीले" गाना उसकी आँखों पर ही लिखा गया था. उसने आँखों पर हल्का सा मस्कारा लगा रखा था. कसम से....इतनी नशीली ऑंखें थी की इंसान उनकी आँखों में देखते देखते ही मूठ मार ले.......शायद वो बंगालन थी......आखिर बंगाल की फसल ही अलग आती है......सावला रंग और नशीले नैनो का कोम्बिनेशन तो सिर्फ बंगाल में ही मिलता है.


मैं उसकी आँखों में ऐसा खो गया की मुझे ध्यान ही नहीं रहा की वो भी मुझे देखे जा रही थी. जैसे ही मुझे होश आया मैं सकपका कर इधर उधर देखने लगा. वो बहुत ही हलके से मुस्कुरा दी......मैंने भी सोचा की उपरवाला क्या मुजस्सिमे बनाता है......जाने किसकी किस्मत में यह डनलप का गद्दा लिखा है.


मैंने बाहर झाँका........अभी कॉलेज आने में देर थी. मैंने फिर पलट के उस सेक्स की देवी को देखा. अभी तक तो वो सीट को पकड़ के खड़ी थी मगर उसने अब बस की छत पर लगा हुआ डंडा पकड़ लिया था. उसके बोबे इस कदर तन कर ब्लाउस में से झांक रहे थे मानो बस अब निकले........ मेरी साँसे गरम हो गयी......मैं न चाहते हुए भी उसे घूरे जा रहा था. मेरी नज़रे फिर उससे मिली......मैं फिर से सकपका कर इधर उधर देखने लगा.


थोड़ी देर बाद मैंने पलट कर फिर देखा तो सीन चेंज हो चूका था. एक मादरचोद ठरकी बुड्ढा उस औरत के ठीक पीछे चिपक कर खड़ा था. और बेशरम जैसे अपने लंड उस हसीना की फूटबाल जैसी गोल गांड पर रगड़ रहा था. पेंट में से उसका खड़ा लंड साफ़ दिख रहा था. साला बुड्ढा अनजान बन कर इधर उधर देख रहा था मगर

बुढऊ हरामी अपने लंड उस हसीना की गांड पर रगड़ने का कोई मौका नहीं छोड रहा था.


साला ताऊ.........60 साल की उम्र में भी लंड खड़ा कर लिया था. जरुर भेन्चोद झंडू का चवनप्राश खाता होगा. अचानक वो पीछे पलटी और उसने बुड्ढ़े को घूरने लगी.

बुड्ढ़े ने ऐसा जताया मानो वो कुछ नहीं कर रहा है और वो मज़े से इधर उधर देखता रहा.


बेचारी......क्या करती.......थोडा सा आगे होकर खड़ी हो गयी.....बुड्ढा भी भेन्चोद तुरंत आगे आ गया..........और मज़े में अपने थके लंड को बेचारी की गोल गोल गांड पर रगड़ने लगा. न जाने क्यों........मुझे बहुत जोर से गुस्सा आया.......वैसे तो मैं गांडफट हूँ........मगर मुझसे से सहन नही हुआ.....


मैं थोडा आगे बड़ा और उस बुड्ढ़े को बोला, "अंकल....थोडा आगे होना....."


बुड्ढा मादरचोद था.......मुंह में पान दबाये हुए बोला, " बेटा.......बहुत जगह है.....जहाँ खड़े हो हो वहीँ खड़े रहो......"


मैंने हिम्मत जुटाई और दबी जुबान में कहा , " अंकल....इज्ज़त से आगे हो जाओ......की सबको बताऊ की आप क्या कर रहे हो......"


बुड्ढा था तो ठरकी मगर समझदार.......उसको समझ आ गया की अब उसकी दाल नहीं गलेगी......भेन्चोद ने धीरे से अपने लंड को एक बार और उस हसीना की गांड पर रगडा और भीड़ में आगे जाकर खड़ा हो गया और अपने लंड रगड़ने के लिए नयी गांड ढूंढने लगा.


तभी एक सीट खाली हुयी और वो भाभी उस सीट पर बैठ गयी. मैंने वहीँ पर खड़ा होकर बाहर देखने लगा. मुझे ऐसा लगा की कोई मुझे देख रहा है.....मैंने सर झुका कर देखा तो वो भाभी मुझे देख रही थी. जैसे ही मेरी नज़रे उस से मिली एक करंट सा मेरे शरीर में दौड़ गया. यह औरत सच में काम की देवी रति थी.


तभी उस के पास बैठ आंटी उठी और उसके पास वाली सीट खाली हो गयी......एक लौंडा बैठने लगा तो भाभी ने उस लौंडे को बैठने से मना कर दिया. मुझे हंसी आ गयी.....बेचारे का मुंह गधे के लंड जैसा लटक गया था. तभी वो भाभी मेरी और मुड़ी और बोली, "आप बैठ जाइये ना यहाँ पर......"


कहते है की सेक्स के भगवन श्री कामदेव फुल के बाण मार कर लोगों के दिल में सेक्स जगाते थे........शायद वो ही बाण उन्होंने मेरी गांड पर मार दिया था. मैं हक्का बक्का रह गया........वो अपनी सीट के पास वाली जगह थपथपा कर फिर से बोली, "बैठ जाइये......"


मुझे ऐसा लगा मानो करीना कपूर बिस्तर पर लेटे लेटे मुझे बोल रही हो की आइये मेरे साथ लेट जाइये....मैं तुरंत उसके पास जाकर बैठ गया......मेरा बैठना हुआ और कामदेव की मेहरबानी से सड़क पर एक गड्डे में बस जोर से हिली......मेरा पूरा बदन उसके बदन के साथ चिपक गया. हाय.......
 
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मुझे ऐसा लगा मानो करीना कपूर बिस्तर पर लेटे लेटे मुझे बोल रही हो की आइये मेरे साथ लेट जाइये....मैं तुरंत उसके पास जाकर बैठ गया......मेरा बैठना हुआ और कामदेव की मेहरबानी से सड़क पर एक गड्डे में बस जोर से हिली......मेरा पूरा बदन उसके बदन के साथ चिपक गया. हाय.......

उसकी हाईट ज्यादा होने से मैं उसके गर्दन तक ही आ रहा था. चूँकि मैं बैठ ही रहा था मेरा हाथ सीट पर था और बस के झटका खाने से मेरा हाथ उसकी कमर जो की साडी हटने से पूरी बेपर्दा थी.....पर जा टकराया......ओये होए......कुत्तों की ना किस्मत कुत्तों जैसी ही होती है......बरसात में कोई ना कोई कुतिया मिल ही जाती है.

मैंने सकपकाते हुए कहा, " आ आ आई एम् सॉरी......" ( भेन्चोद यह हकलाना कब मेरा पीछा छोड़ेगा......)

वो मुस्कुरायी, छोटे छोटे मोती जैसे दांत चमक उठे..........और बोली, " नहीं.....आई एम् सॉरी.....एंड थेंक यु.........आप ना होते तो वो आदमी......थेंक यु सो मच...."

अब मैं क्या बोलता......की मेडम जी मेरे भी अरमान कुछ उस बुढाऊ के जैसे ही है.........

मैंने कहा, "हाँ तो.......अरे कितना बेशरम था........नहीं हटता तो मैं........" वो बीचे में बोली, "अरे नहीं नहीं........झगडा करना अच्छी बात नहीं है......"

अरे डार्लिंग तेरे लिए तो मैं मर्डर कर दूँ झगडा क्या चीज़ है......... मैंने कहा, " हाँ जी.....इस उम्र में भी....." 

यह सुनकर वो मुस्कुराने लगी........हाय......क्या मुस्कान थी..........भइया इस की तो मुझे चाहिए भले कुछ भी हो जाए......

उसने पुचा, "स्टुडेंट हो ?"

मैंने कहा "हांजी......"

वो बोली, " अरे वाह .....आई एम् अ टीचर......."

साली....जरुर सेक्सोलोजी बोले तो कामशास्त्र की टीचर ही होगी. 

उसने अपने दोनों हाथ आगे वाली सीट पर रखे हुए थे, जिससे उसके साइड का पूरा बदन जो पल्लू से ढका था उस पर से साड़ी हट गयी थी. 
उसकी गोल गांड बैठने से और चौड़ी हो गयी थी. भेन्चोद इतनी पतली कमर और इतनी चौड़ी गांड का कातिल रिमिक्स मैंने पहली बाद देखा था. 

माँ कसम इसको तो डोगी बनाकर............

बैठने के बाद भी वो मुझसे लम्बी थी और मैं इसी का फायदा उठाकर बाहर देखने के बहाने से उसके बदन को निहार रहा था. उस ने सच मुच बहुत ही टाईट ब्लाउस पहना था, पल्ला इस तरह सरका था की उसके ब्लाउस में से मचल मचल कर बाहर निकल रहे मम्मे बड़ी आसानी से दिख रहे थे. साला एक एक मम्मा ढाई किलो का था. ढाई किलो का हाथ तो सुना था (अरे सनी देओल का...) मगर ऐसे बदन पर ढाई किलो का मम्मा खुशनसीब ही देख पाते है 

मैं उपरवाले के इस मुज्जसिमे को देखने में इतना मगन था की मेरा ध्यान ही नहीं गया की वो कुछ कह रही है...........

मैंने बड़ी मुश्किल से उसके बदन से नजर हटा कर उस की सेक्सी आँखों में झाँका और पूछा, " ज ज ज जी.....क्या ?"

वो मुस्कुराई और बोली , "अरे मैं पूछ रही थी की इस शहर में क्या क्या देखने लायक है.........मुझे यहाँ आये ज्यादा वक़्त नहीं हुआ है ना... "

मैंने कहा, "अरे यहाँ तो स स स सब कुछ देखने लायक है....... प प प पुराना किला है.........तालाब म म मेरा मतलब झील है........."

भेन्चोद हकलाना......बंद ही नहीं हो रहा था.......
 
वो बोली, "हम्म्म.......मेरे हसबेंड तो अभी कोलकाता में ही है..........उनका ट्रान्सफर यहाँ हो गया है ना.........वो आने वाले थे मगर वो वहा से रिलीव नहीं हो पाए.......वो आ जायेगे तो फिर मैं जरुर ये शहर देखूंगी........."

मेरे मन तो आया की मैं ही दिखा दूँ इसको ............शहर.

बस में भीड़ बढ गयी थी.........लोग बीच में खड़े थे........और उनके दबाव से में इस भाभी की तरफ दबा जा रहा था. एक मन तो हुआ की बाबा मजे ले लूँ.....मगर फिर लगा की साली सोचेगी की मैं भी बुढाऊ की तरह फायदा उठा रहा हूँ...............आखिर अपने भी उसूल है......सामने वाली लाइन दे तो अपुन उसकी वही मार ले......मगर किसी की मज़बूरी का फायदा उठाना तो गलत है........

मैं भीड़ का दबाव अपने ऊपर लेता रहा मगर साले मादरचोद पुरे के पुरे मुझ पर ही पिले जा रहे थे. दो तीन झटके लगे.......मैंने अपने एक हाथ सामने वाली सीट पर रख कर दबाव झेला.....मगर भीड़ तो भीड़ थी......भेन्चोद साले मुझ पर ही टिक गए......मैंने अपना दूसरा हाथ उस भाभी के सामने से ले जाकर खिड़की की फ्रेम पर रख दिया और दबाव झेलने लगा मगर दबाव बढ़ता ही जा रहा था....आखिर सुबह का समय था.....किसी को स्कुल जाना था किसी को कोलेज.....किसी को ऑफिस....

वो मुझे देख रही की मैं कैसे अपने ऊपर लोड ले रहा हूँ मगर उस से नहीं चिपक रहा.......उसने कहा, "आप थोडा इधर सरक जाइये ना......."

किसी की मर्ज़ी के बिना मजे लेना गलत है......मगर अब कोई खुद बोल दे.....और वो भी इस के जैसी आइटम तो फिर गए उसूल गधे की गांड में......

मैं उसकी तरफ थोडा सा सरका और बाकि काम भीड़ ने कर दिया.......मुझे उस से ऐसा चिपकाया की जगह तो छोड़ो हवा भी नहीं घुस पाती......मेरी जांघें उसकी मोटी मोटी जांघों से सट गयी और मेरा वो हाथ जो उसके सामने से ले जाकर मैंने खिड़की पर रखा था वो सीधा उसके मम्मो की लाइन में आ गया......भीड़ ने एक धक्का और मारा और मैं उसके नंगे पेट की गर्मी अपनी शर्ट के अन्दर ही महसूस करने लगा.............वो जगह करने के लिए सीट पर आगे सरकी और लो......उसके मम्मे मेरे कोहनी से आ टकराए.........

बाबुराव अभी तक तो नन्हा मुन्ना बन के बैठा था.....जैसे ही मम्मे टकराए.......उसने लौड़े जैसे हरकत की और फटाफट खड़ा हो गया. 

साला मादरचोद.......इधर भीड़ भोसड़ी की मेरे उपर गिरे जा रही.....इधर इस गरमा गरम आइटम से मैं चिपक कर बैठा.....उधर उसके मम्मे मेरी कोहनी पर टिके हुए और इधर यह लंड खड़ा होकर अपनी औकात दिखा रहा.....

अब क्या करू......

मेरा हाथ थोडा सा मुडा और उसके मम्मे इतनी नरमाई से दब गए.......

बॉस इस खेत में बहुत हल चला हुआ था......मगर ज्यादा जुटे हुए खेत फसल भी तो अच्छी देते है .
 
मैंने सोचा की अपने उसूल के मुताबिक मैंने आगे बढ़ कर कोई हरकत तो की नहीं.....अब इसने खुद बोला है की आप थोडा सा सरक लो....तो मैं थोडा सा ज्यादा सरक लेता हूँ..........मैंने अपनी कोहनी से उसके मम्मे को फिर दबाया........वाह.......ढाई ढाई किलो के तने हुए मम्मे और फिर भी इतने नर्म........

यह तो ऐसा ही हुआ की दारू पियो तो नशा तो हो मगर स्मेल नहीं आये.

मैंने कनखियों से उसकी तरफ देखा.....वो खिड़की के बाहर नज़ारे देखने में व्यस्त थी. मैंने फिर से उसके मम्मे को कोहनी से दबा मारा......आह......भेन्चोद क्या माल था यार........उसने या तो ध्यान नहीं दिया या उसे लगा की भीड़ के कारण ऐसा हो रहा है.

भीड़ भी पक्की मादरचोद थी, इतने जोर से मुझ पर पिले जा रही थी मानो मैं सलमान खान हूँ..........इधर बढ़ते दबाव से भाभी का नरम नरम शरीर मेरे गरम गरम शरीर से चिपका जा रहा था. मैंने अपने हाथ बड़े सावधानी से उसके मम्मो से थोडा सा आगे कर रखा था......सुबह सुबह का ट्राफिक था.....बस ड्रायवर बेचारा बार बार ब्रेक मारे जा रहा था और भाभी के मम्मे बड़े प्यार से मेरे हाथ पर चिपके जा रहे थे. 

उसने कुछ कहा ......मैं तो हवस की दुनिया का वर्ल्ड टूर कर रहा था.......लंड कुछ सुनाई नहीं देता........उसने फिर कुछ कहा......

मैंने हडबडा कर पूछा, " ज ज ज जी.....क क क क्या......"

उसने फिर कहा, "आप कहाँ पर उतरेंगे......."

मन में तो आया की मैडम जी जहाँ तक आप पास में बैठी हो.......भले ही बस नॉनस्टाप कश्मीर से कन्याकुमारी जा रही हो.

मैंने कहा, "बस ही.....ए ए एक....द...द.....दो.......स्टाप आगे......"

"अच्छा......मुझे लल्लूभाई कॉलेज में जाना है......कोनसा स्टाप है.....?", "उसने अपनी खनखनाती आवाज़ में पूछा. 

मैंने कहा, " लल्लूभाई कॉलेज........म.म.म.मैं भी तो वहीँ जा रहा हूँ.........अगला स्टाप है....."

मैंने सोचा बाबा अब यह तो निकल लेगी.....अभी अभी तो मज़ा आना शुरू हुआ था.........चलो कुछ इन्क्वायरी कर लेते है.

"आ आ आप........कोनसे स्कुल में पढ़ाती है......वहां तो कोई स्कुल नहीं है.....", मैंने दाना डाला. 

वो हँसते हुए बोली. "अरे नहीं नहीं.......मैं स्कुल टीचर नहीं हूँ......मैं तो कोल्कता में कॉलेज में लेक्चरार थी......यहाँ भी कॉलेज में ही पढ़ाने आई हूँ......"

मेरे दिमाग में कीड़ा कुलबुल कुलबुल करने लगा.... ...अगर यह कॉलेज में पढ़ाने आई है........और मेरे कॉलेज मतलब लल्लूभाई कॉलेज वाले स्टाप पर उतर रही है........ तो......तो.......तो........इसका........मतलब.........है........की......


मेरे दिमाग में कीड़ा कुलबुल कुलबुल करने लगा.... ...अगर यह कॉलेज में पढ़ाने आई है........और मेरे कॉलेज मतलब लल्लूभाई कॉलेज वाले स्टाप पर उतर रही है........ तो......तो.......तो........इसका........मतलब.........है........की........

यह मुजस्सिमा मेरे ही कॉलेज का नूर बढाने वाला है.........

वो बोली, "आज मेरा पहला दिन है.........लल्लूभाई कॉलेज कैसा कॉलेज है वैसे....?"

लो......मेरे लंड के तो ख़ुशी के मारे आंसू निकल गए.......लल्लूभाई कॉलेज तो बहुत खुशनसीब कॉलेज है मैडम जो आप वह पर पढ़ाने आ रही है. 

मैंने कहा, "अरे.....व....व.....वाह.......म....म.....मैं भी व....व...वहीँ पढता हूँ......."

उसने मुझे ध्यान से देखा और बोली, " सच्ची.......लगता नहीं है.....तुम तो स्कुल गोइंग लगते हो......."

ओ मैडम.....अभी लंड दिखा दिया तो समझ में आएगा की स्कुल गोइंग हूँ या कॉलेज गोइंग.

मैंने कहा, "हांजी.....वो......म...म...मेरी उम्र थोड़ी कम ही दिखती है......."

मैं फिर दाना डाला, "वैसे मैडम....आ...आ....आप....कोनसा सब्जेक्ट पढ़ाती है.....?"

वो बोली, " इकोनोमिक्स..........तुम्हे पसंद है ???? "

अब सेक्सोलोजी बोलती तो और बात थी......चलो इकोनोमिक्स से ही काम चला लेते है.

मैंने हाँ में इतनी जोर से सर हिलाया मानो मुझसे ज्यादा इकोनोमिक्स में किसी को इंटरेस्ट हैं ही नहीं.........

वो मुस्कुरा कर बोली." ओके......गुड...."

तभी बस रुकी.....भाभी......मेरा मतलब है की मैडम के मम्मो ने एक बार फिर मेरे हाथ पर लोट पलोट कर ली. इसकी माँ की.......क्या माल है......यार.

मैंने कहा, "लल्लूभाई कॉलेज आ गया है........"

वो बोली. "अरे तो चलो उतरो......" और जल्दी से खड़ी हो गयी 

मैंने मौका ताड़ा और उसको बोला, " पहले आप निकल जाइये.....भीड़ बहुत है ना.....कहीं बस ना चल दे......."

वो हाँ बोली और टेडी होकर सीट से बहर निकलने लगी.........बस एक बात भूल गयी.....की उसके और बस के पैसेज के बिच में लल्ला बैठा है.......

उसने अपनी पीठ मेरी तरफ करके निकलने की कोशिश की.....चूँकि वो खड़ी हो चुकी थी और मैं बैठा था......

इसीलिए मेरी निगाहों के ठीक सामने थी...............मैडम की रसभरी गांड.......उनकी पतली कमर से जो मोड़ शुरू हो रहा था तो बस मुड़े ही जा रहा था.........इतनी जबरदस्त गोल गोल भरी भरी गांड देखकर मेरे मन में आ रहा था की बस इसी में डूब जाऊ. मर्द क्यों गोल गांड वाली औरतों पर मरते है यह आज समझ आया.
 
वो बेचारी तो भीड़ में से बाहर निकलने का तरीका ढूंढ़ रही थी और मैं सोच रहा था की भगवान इसकी कैसे भी मिल जाए......

उसने देखा की ऐसे वो भीड़ में जगह नहीं बना पाएगी तो वो वहीँ पर खड़े खड़े मुड गयी.......

और अब मेरे सामने था उसकी कमर........बेचारी ने बस की छत पर लगा डंडा पकड़ रखा था......जिस के कारन उस के पेट पर से साड़ी हट गयी थी.....उसका नंगा पेट मेरे चेहरे से कुछ इंच की दुरी पर था.....और आखिरकार वो बंगालन थी.....तो नाभि दर्शना साडी पहनना तो उसका कर्त्तव्य था..........उसकी नाभि इतनी सेक्सी थी......की एक ही पल में मुझे तब्बू की याद आ गयी.

बिलकुल तब्बू के जैसा हल्का सा मांसल पेट था....और उसके बीचोबीच बिलकुल गोल और सुडोल.......किसी अंधे कुंए के जैसी उसकी नाभि......अभी तक तो मेरे अन्दर का जानवर अंगड़ाई ले रहा था मगर अब तो वो पापा रंजीत की तरह " एएह....." करने लगा. 

मैं मज़े से उसकी नाभि की गहराई अपनी आँखों से नापे जा रहा था की उसने छत पर डंडा छोड़ कर मेरी सीट के पीछे लगी रेलिंग पकड़ ली.. 

.........भेन्चोद.......साला.....क्या नाभि थी.....उसके मम्मे मेरे सर पर हलके हलके टकरा रहे थे.

आज घर से निकलते हुए शायद उपरवाले का नाम लिया था.....इसीलिए आज वो भी मुझे पुरे मज़े करा रहा था.......

उपरवाला भी मूड में था........बस वाले ने स्टाप पर बस रोकने के लिए ऐसा ब्रेक मारा की मेरा चेहरे सीधा मैडम के पेट से जा टकराया और अनजाने में ही उनकी नाभि पर मेरे होटों से एक चुम्मा पढ गया. उसके ढाई ढाई किलो की मम्मे मेरे सर पर आ गए. मैंने मौका ताड़ा और अपने हाथ आगे बड़ा कर उनकी गांड पर जमा दिए और ऐसा दिखाया मानो मैंने ऐसा बैलेंस बनाने के लिए किया.

बस रुकी......लोग उतरने लगे.....मगर मेरे लिए समय रुक गया था........मैडम के मम्मे मेरे सर पर टिके हुए ..........मेरे होंट उनकी नाभि पर लगे हुए......और मेरे हाथ उनकी विशाल गुन्दाज़ गांड को पकडे हुए........

स्वर्ग तो यहीं जमीं पर है प्यारे.......

स्वर्ग तो यहीं जमीं पर है प्यारे.......और अप्सरा मेरे पास है प्यारे.....

मैडम इतनी हट्टी कट्टी थी की मेरे हाथ जो उनकी विशाल गांड पर जमे थे पूरी तरह से खुल चुके थे............मेरा बाँहों का घेरा पूरा खुलने के बाद ही मैडम का कटी क्षेत्र यानि कमर मेरी बाँहों में आ पाई थी. सही में ऊपर वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ के ही देता है और आज के दिन तो शायद सेक्स के भगवन कामदेव का मूड हो गया था की लल्ला की लुल्ली को मज़े कराना है इसीलिए स्वर्ग से इस मुजस्सिमे को मेरी बाँहों में भेज दिया.

बस पूरी तरह से रुक चुकी थी, और सटासट भीड़ उतरे जा रहा थी और मेरा पापी मन बार बार येही कह रहा था की मादरचोदो धीरे धीरे उतरो, थोड़ी देर इस हसीना का स्पर्श सुख और लेने दो मगर यह तो होना ही नहीं था........मैडम मेरी बाँहों में कसमसाई और मैं तुरंत उनकी गांड पर से हाथ हटाकर पीछे हो गया और इधर उधर देखने लगा मानो कुछ भी नहीं हुआ......

मैडम धीरे से बस के पैसेज में सरकती हुयी गयी और मैं उनके जांघों के रगड़ मेरे कन्धों पर लेता रहा......काश की उनकी जांघों और मेरे कन्धों के बिच ये कपडे न होते तो उनकी गदराई मोटी मोटी जांघें मेरे कन्धों पर होती और उनकी ..............च......च........च........चूत.........मेरे होटों के ठीक सामने खिले हुए फूल की तरह होती.........जाने क्यों मुझे यकीं था की मैडम की मुनिया बिलकुल खिले हुए कमल के फूल जैसी होगी.............इतना सोचने में तो मेरे बाबुराव ने जंग का ऐलान कर दिया और सटाक से खड़ा हो गया....... इतना कड़क हो गया की जींस में उसका दम घुटने लगा.........मैंने इधर उधर करके अडजस्ट किया तो बाबुराव के सुपाड़े पर रगड़ लग गयी, मेरे मुंह से आह निकल गयी और मैडम को बस की चिल्ल पो में भी मेरी आह सुने दे गयी.......मैंने जींस के अन्दर हाथ डाल कर बाबुराव को अडजस्ट किया और उनका निचे देखना हुआ........ हैरानी से उनकी ऑंखें फ़ैल गयी.......मैंने फटाफट अपने हाथ बाहर निकाला मगर जींस में से भी खड़ा हुआ हमारा सिपाही नहीं चूका और उसने जींस में दबे दबे ही ठुनकी मार कर मैडम को सलाम ठोक दिया.......ओह shit .......

मैडम का चेहरा एक सेकंड के लिया तो बिलकुल लाल हो गया...मैंने गोरे रंग की लड़कियों को गुस्से और शर्म में लाल होते तो देखा था मगर किसी सावली बंगालन को लाल होते पहली बार देख रहा था........हे कामदेव भगवान.......मैं आपको 11 रूपये का प्रसाद चड़ाउंगा.....बस इसकी एक बार दिलवा दो......... 

मैडम ने अपनी नज़रे बस के गेट की और कर ली और पासेज में आगे बढ़ गयी.........उनके हर कदम पर उनकी गांड के गोले ऊँचे और निचे हो रहे थे और उसी के साथ मेरा लंड भी ऊँचा निचा हो रहा था. 

मेरी गांड की फटफटी धीरे धीरे चलने लगी थी........मैडम मेरे ही कॉलेज में पढ़ने वाली है और उन्होंने मुझे मेरी जींस में हाथ डाले हुए देख लिया और वहां तक भी ठीक था मगर इस कमीने बाबुराव ने भी उनको ठुनकी सलाम दे दिया..........अब मैडम क्या सोचेगी..

यह सब सोचते सोचे भी मैं उनकी गांड से नज़रे नहीं हटा पा रहा था.....ऐसा लग रहा था मानो उनकी गांड में एक चुम्बक है जो मुझे खिंच रहा है........फटती हुयी गांड की फटफटी पर मेने क्लच दबा रखा था.........मैडम बस से निचे उतरने लगी

मगर अचानक वो पलटी और उन्होंने सीधा मेरी आँखों में देखा और धीरे से मुस्कुरा दी.......

क्लच छूट गया और लंड की डुगडुगी दौड़ पड़ी......

कामदेव भगवान.........तुस्सी ग्रेट हो.
 
28

मैडम तो लंड पे सितम करके उतर गयी और मैं चूतिये जैसे उनकी गांड देखने के चक्कर में उतरना ही भूल गया और बस अपने बाप की तो थी नहीं की अपुन जब तक नहीं उतरे बस रुकी रहे..........बस चल पड़ी......मैं खड़ा होकर आगे भागा तो कंडक्टर बोला, "ओ भाई साहब बैठ जाओ गिर जाओगे....."

अब लंड....... गिरना हीबाकि था......कॉलेज निकल गया था और यह भेन्चोद अगले स्टाप तक किसी VIP के लिए भी नहीं रुकने वाला था. मैंने दरवाजे पर खड़े खड़े बाहर देखा, बस इतनी तेज़ भी नहीं चल रही थी की कूद न पाओ..........यूँभी आजकल अपने सितारे तेज़ चल रहे थे....मैं कूद गया.

मेरे पैर ज़मीन पर टिके और अगले ही पल मैं गुलाटी खाता हुआ सड़क पर आ गिरा..........घुटने छील गए.....कोहनी पर रगड़ लग गयी.....इसकी माँ की चूत.....

भेन्चोद बस का कंडक्टर बस के दरवाजे से लटका हुआ मुझे गाली दे रहा था और आज पास खड़े लोग खी खी हँस रहे थे....इनकी माँ का भोसड़ा......गांड के बल गिरने से गांड भी दुखने लगी थी......कोहनी पर छील जाने से हल्का सा खून आ गया था......अपनी चुतियापने पर अपने आप को गाली देते देते मैंने समझ लिया की अब कोलेज को मारो गोली घर ही जाना पड़ेगा.........

ऑटो किया और सीधा घर आया.........घर में लंगड़ाते लंगड़ाते घुसा और माँ को आवाज़ लगाई तो चाची किचन से बाहर आई और मेरी हालत देखकर चिल्ला पड़ी, 

"हाय राम लल्ला.......क्या हुआ.........????"

मैंने कराहते हुए कहा, "क क क कुछ नहीं च च चाची........."

"हाय राम.....कुछ नहीं........देखो तो......कितनी लगी है.......कोहनी छील गयी........लंगड़ा भी रहा है.......क्या हुआ रे......बताता क्यों नहीं.....?"

मैंने थोडा और कराहते हुए कहा, " क क कुछ नहीं.....एक्सिडेंट हो गया था......."

चाची बोली, " झूट मत बोल......जरुर किसी से झगडा कर के आया है.........बता....."

अब लंड.......सच बोलो तो इनको झूठ लगता है......मैंने कुछ नहीं कहा......और चेयर पर बैठ कर अपना पैर दूसरी चेयर पर रख दिया......

चाची मेरे पास आई और बोली...."राम.......मुझे दिखा......खून ज्यादा तो नहीं आया........"

एक तो भेन्चोद पूरा अंग अंग दुःख रहा था उसके ऊपर से चाची की पटर पटर बंद ही नहीं हो रही थी.......मैंने कुछ जवाब ही नहीं दिया. चाची निचे फर्श पर उकडू बैठ कर मेरी जींस ऊपर करने लगी........जींस से मेरे छिले हुए घुटने पर रगड़ लगी और मेरे मुंह से चाची के लिए डांट निकलने वाली ही थी की मेरी आवाज़ मेरे गले में ही घुट गयी.

चाची के उकडू बैठने से उनकी साड़ी उनके घुटनों से ऊपर तक उठ कर उनकी दोनों टांगो के बिच इकट्ठी हो गयी थी और रूम की छत पर लगी लाइट का फोकस सीधा चाची की चिकनी जांघों के बिच चुप कर बैठी उनकी चिकनी चमेली पर पड़ रहा था.

भेन्चोद यह औरत चड्डी पहनना कब सीखेगी.

एक झटके में मेरा सारा दर्द गायब हो गया.
जैसे कुत्ता हड्डी देखकर लार टपकाने लगता है वैसे ही मेरा बाबुराव लार टपकाने लगा.........चाची की मुनिया अभी भी चिकनी चपक थी........चाची मेरी जींस ऊपर करने की कोशिश कर रही थी और मैं चाची की मुनिया का दीदार करने की.........

कीड़ा कुलबुलाने लगा था.........

मैंने धीरे से सिसकारी भरी और एक दम जोर से आह कहकर अपने पैर को झटका दिया......

चाची बोली, "हाय राम......दुख क्या लल्ला........मरी तेरी यह पेंट भी तो इतनी टाईट है.........घाव पर बार बार रगड़ मार रही है........राम राम......घुटने पर से तो पेंट भी घिस गयी है......खून आ रहा है और घाव पर मिटटी भी लगी है........इसको धो ले........नहीं तो इनसेक्सशन हो जायेगा......."

दर्द से हाय हाय करते हुए मैंने पूछा, " क्या क्या.......क्या हो जायेगा........"
 
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