hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
चाची बोली, " अरे इनसेक्सशन........."
अब मैं समझा......मैंने कहा, "अरे चाची वो इनफेक्शन होता है ना की इनसेक्सशन...........इन"सेक्स"शन का मतलब तो कुछ और ही हो गया ......."
चाची अपनी ऑंखें गोल गोल करके बोली, " हैन........ इनसेक्सशन का क्या मतलब है.......?"
मैंने कुलबुलाते हुए कीड़े को कंट्रोल किया और कहा, " च च च चाची इसका मतलब है..........सेक्स करना........."
चाची गंवार थी पागल नहीं.........उन्होंने हाय बोलकर अपने मुंह पर हाथ रख लिया और खी खी हंसने लगी.........
मैंने भी चूतिये जैसे हंसने लगा मगर मेरी नज़रे अब भी उनकी साड़ी के बीच झांकी उनकी मुनिया पर थी..........चाची ने मेरी नज़रो का पीछा किया और जैसे से निचे देखा उई माँ बोल कर साड़ी से अपनी मुनिया को ढक लीया......
पर्दा गिर चूका था.
किस्मत तो मेरी गधे के लंड से ही लिखी थी मगर उस मादरचोद गधे को जरुर शीघ्रपतन की बीमारी थी........लाइफ में जैसे ही मज़ा आने लगता माँ चुद जाती.
अच्छी खासी लौंडी पटी तो माँ चूदी...........
बस में पास में आकर मैडम बैठी तो माँ चूदी.......
अब चाची की मस्त चिकनी मुनिया दिखी तो फिर से .........माँ चूदी.
मैंने मन ही मन सोचा की बॉस.....अब किस्मत पर भरोसा नहीं......कुछ कोशिश खुद करनी पड़ेगी.
मैंने जोर से आह भरी. चाची घबरा कर बोली, "क्या हुआ लल्ला......? जोर से दुःख रहा है क्या.....हाय राम.....कहीं हड्डी तो नहीं टूट गयी......."
मैंने आह भरते भाते पूछा, "च च चाची.......माँ कहाँ है........"
चाची बोली, "राम.....भाभी जी तो दोपहर से ही मंदिर गए है...........शाम को ही आये शायद......कोई माता जी आई है दिल्ली से.........सत्संग है....."
मैंने फिर हाय कर दी.......चाची बोली, "अरे राम......कहाँ दुःख रहा है बताता क्यों नहीं..........."
मैंने ना में सर हिला दिया.........और उठ कर अपने रूम में जाने के कोशिश करने लगा......अब की बार तो भेन्चोद सच मुच गांड से लेकर पैर तक ऐसा दर्द हुआ की मैं लड़खड़ा गया. चाची ने झट उठ कर मुझे सहारा दिया.......मैंने भी बड़े आराम से उनके गले में हाथ डाल दिया. चाची धीरे धीरे से मुझे मेरे रूम में ले जाने लगी. मैं पूरी तरह अपने वज़न चाची पर डाल कर ही चल रहा था.......मेरा हाथ तो उनके कंधे पर था ही.....मैंने थोडा सा उसको निचे कर के उनके मम्मे के थोडा सा ऊपर टिका दिया.
चाची धीरे से मुझे चला कर रूम में ले जा रही थी और मैं हर कदम के साथ अपने हाथ को निचे लेकर आ रहा था........कुछ ही कदम में मेरा हाथ जन्नत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था. मेरा हाथ उनके मम्मे पर लैंड कर चूका था. अगले कदम पर मैं लड़खड़ा गया और मैंने सहारे के लिए चाची पर झुकते हुए उनके मम्मे को दबोच लिया. चाची एक दम चिंहुक गयी और बोली, "हाय राम.......हाथ थोडा ऊपर कंधे पर रख ना......."
मैंने अनसुना करके चलते चलते फिर उनके मम्मो को धीरे से मसल डाला.......एक दम तने हुए गुब्बारे थे........भेन्चोद.....मेरा बल्लू चाचा पूरा चुतिया है.......
चाची जैसे मेरी बीवी होती तो दबा दबा कर अभी तक रुई के गोले जैसे नरम कर देता......मगर उस गंडमरे को तो दुकान पर गांड मराने से ही फुर्सत नहीं थी.
भोसड़ी का.....शादी के इतने साल बाद एक बच्चा पैदा नहीं कर पाया.
चाची ने अपने कंधे को ऊँचा करके मेरा हाथ अपने मम्मे पर से हटाने की कोशिश की.......मगर मैं तो पूरा फार्म में था........जैसे चुम्बक लोहे कर चिपक जाता है....वैसे ही मेरा हाथ उनके मम्मे पर चिपक गया था......उन्होंने फिर से हटाने की कोशिश की तो मैंने उनके निप्पल जो इतनी सी देर में कड़क हो गए थे......को अणि हथेली से धीरे से रगड़ दिया......चाची के मुंह से तुरंत एक सिसकारी निकल गयी
मैंने भी अनजान बनकर पूछा, "क्या हुआ चाची......."
चाची बोली, " हैन.......कुछ नहीं......व.,....व.....वो.......पैर में बिछिया चुभ गयी...."
हाय रे.......बिछिया......
अब तो मेरा पूरा मुड सेट था......बाबुराव घंटाघर के घंटे जैसा टनटना रहा था.....घर में कोई नहीं था.......आज तो चाची की कह के लूँगा.
अफ़सोस की सफ़र छोटा सा था......रूम में आने के बाद चाची ने मुझे बेड पर बिठा दिया.....हालाँकि मैंने बैठते बैठते भी एक बार चाची के मम्मे को अच्छे से मसल लिया मगर अब मुझे मज़बूरी में बेड पर बैठना पड़ा.
चाची मुझे बेड पर बिठा कर बोली, "ला.....बता कहाँ दर्द है......."
मैंने ना में सर हिलाया और फिर जोर से हाय हाय करने लगा.
चाची बोली, " राम राम.....दर्द से मारा जा रहा है......मगर बता नहीं रहा........बताता है की नहीं......बुलाऊ डाक्टर साहब को......."
अब मैं समझा......मैंने कहा, "अरे चाची वो इनफेक्शन होता है ना की इनसेक्सशन...........इन"सेक्स"शन का मतलब तो कुछ और ही हो गया ......."
चाची अपनी ऑंखें गोल गोल करके बोली, " हैन........ इनसेक्सशन का क्या मतलब है.......?"
मैंने कुलबुलाते हुए कीड़े को कंट्रोल किया और कहा, " च च च चाची इसका मतलब है..........सेक्स करना........."
चाची गंवार थी पागल नहीं.........उन्होंने हाय बोलकर अपने मुंह पर हाथ रख लिया और खी खी हंसने लगी.........
मैंने भी चूतिये जैसे हंसने लगा मगर मेरी नज़रे अब भी उनकी साड़ी के बीच झांकी उनकी मुनिया पर थी..........चाची ने मेरी नज़रो का पीछा किया और जैसे से निचे देखा उई माँ बोल कर साड़ी से अपनी मुनिया को ढक लीया......
पर्दा गिर चूका था.
किस्मत तो मेरी गधे के लंड से ही लिखी थी मगर उस मादरचोद गधे को जरुर शीघ्रपतन की बीमारी थी........लाइफ में जैसे ही मज़ा आने लगता माँ चुद जाती.
अच्छी खासी लौंडी पटी तो माँ चूदी...........
बस में पास में आकर मैडम बैठी तो माँ चूदी.......
अब चाची की मस्त चिकनी मुनिया दिखी तो फिर से .........माँ चूदी.
मैंने मन ही मन सोचा की बॉस.....अब किस्मत पर भरोसा नहीं......कुछ कोशिश खुद करनी पड़ेगी.
मैंने जोर से आह भरी. चाची घबरा कर बोली, "क्या हुआ लल्ला......? जोर से दुःख रहा है क्या.....हाय राम.....कहीं हड्डी तो नहीं टूट गयी......."
मैंने आह भरते भाते पूछा, "च च चाची.......माँ कहाँ है........"
चाची बोली, "राम.....भाभी जी तो दोपहर से ही मंदिर गए है...........शाम को ही आये शायद......कोई माता जी आई है दिल्ली से.........सत्संग है....."
मैंने फिर हाय कर दी.......चाची बोली, "अरे राम......कहाँ दुःख रहा है बताता क्यों नहीं..........."
मैंने ना में सर हिला दिया.........और उठ कर अपने रूम में जाने के कोशिश करने लगा......अब की बार तो भेन्चोद सच मुच गांड से लेकर पैर तक ऐसा दर्द हुआ की मैं लड़खड़ा गया. चाची ने झट उठ कर मुझे सहारा दिया.......मैंने भी बड़े आराम से उनके गले में हाथ डाल दिया. चाची धीरे धीरे से मुझे मेरे रूम में ले जाने लगी. मैं पूरी तरह अपने वज़न चाची पर डाल कर ही चल रहा था.......मेरा हाथ तो उनके कंधे पर था ही.....मैंने थोडा सा उसको निचे कर के उनके मम्मे के थोडा सा ऊपर टिका दिया.
चाची धीरे से मुझे चला कर रूम में ले जा रही थी और मैं हर कदम के साथ अपने हाथ को निचे लेकर आ रहा था........कुछ ही कदम में मेरा हाथ जन्नत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था. मेरा हाथ उनके मम्मे पर लैंड कर चूका था. अगले कदम पर मैं लड़खड़ा गया और मैंने सहारे के लिए चाची पर झुकते हुए उनके मम्मे को दबोच लिया. चाची एक दम चिंहुक गयी और बोली, "हाय राम.......हाथ थोडा ऊपर कंधे पर रख ना......."
मैंने अनसुना करके चलते चलते फिर उनके मम्मो को धीरे से मसल डाला.......एक दम तने हुए गुब्बारे थे........भेन्चोद.....मेरा बल्लू चाचा पूरा चुतिया है.......
चाची जैसे मेरी बीवी होती तो दबा दबा कर अभी तक रुई के गोले जैसे नरम कर देता......मगर उस गंडमरे को तो दुकान पर गांड मराने से ही फुर्सत नहीं थी.
भोसड़ी का.....शादी के इतने साल बाद एक बच्चा पैदा नहीं कर पाया.
चाची ने अपने कंधे को ऊँचा करके मेरा हाथ अपने मम्मे पर से हटाने की कोशिश की.......मगर मैं तो पूरा फार्म में था........जैसे चुम्बक लोहे कर चिपक जाता है....वैसे ही मेरा हाथ उनके मम्मे पर चिपक गया था......उन्होंने फिर से हटाने की कोशिश की तो मैंने उनके निप्पल जो इतनी सी देर में कड़क हो गए थे......को अणि हथेली से धीरे से रगड़ दिया......चाची के मुंह से तुरंत एक सिसकारी निकल गयी
मैंने भी अनजान बनकर पूछा, "क्या हुआ चाची......."
चाची बोली, " हैन.......कुछ नहीं......व.,....व.....वो.......पैर में बिछिया चुभ गयी...."
हाय रे.......बिछिया......
अब तो मेरा पूरा मुड सेट था......बाबुराव घंटाघर के घंटे जैसा टनटना रहा था.....घर में कोई नहीं था.......आज तो चाची की कह के लूँगा.
अफ़सोस की सफ़र छोटा सा था......रूम में आने के बाद चाची ने मुझे बेड पर बिठा दिया.....हालाँकि मैंने बैठते बैठते भी एक बार चाची के मम्मे को अच्छे से मसल लिया मगर अब मुझे मज़बूरी में बेड पर बैठना पड़ा.
चाची मुझे बेड पर बिठा कर बोली, "ला.....बता कहाँ दर्द है......."
मैंने ना में सर हिलाया और फिर जोर से हाय हाय करने लगा.
चाची बोली, " राम राम.....दर्द से मारा जा रहा है......मगर बता नहीं रहा........बताता है की नहीं......बुलाऊ डाक्टर साहब को......."