hotaks444
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चाची खिलखिला कर हँसने लगी......वो स्टूल पर उकडू बैठी थी. शर्ट उनकी जांघों पर ऊपर तक चढ़ आया था.....शर्ट सिमट कर उनकी चिकनी जांघें के जोड़ पर इकठ्ठा हो गया था. मुझे याद आया की चाची ने पेंटी नहीं पहनी है.
कीड़ा कुलबुलाने लगा.
==============================================================
चाची थी की ठहाके मार मार कर हँसे ही जा रही थी.
शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले होने से उनके मम्मे भी उभर उभर के अपनी गोलाईयां बता रहे था.
बाबुराव के हुँकार के साथ अपने सर उठाना शुरू कर दिया.
मेरी नज़रे चाची के मम्मो और उनकी जांघों के बीच इकठठी शर्ट पर ही ऊपर निचे हो रही थी और उसके साथ की बाबुराव भी ऊँचा निचा हो रहा था.
चाची ने हँसना बंद किया और ऑंखें तरेर के बोली, "नहाता क्यों नहीं रे.....बेशरम....क्या देख रहा है....?"
भेन्चोद क्या औरत है......मुझे पक्का यकीन था की मेरी नंगी गांड पर ठंडा पानी चाची ने जानबूझकर डाला था.
साली मादरचोद की मुनिया भी कुलबुलाती है मगर चूहा बिल्ली खेले बिना इसकी खुजाल नहीं मिटती.
मन मसोस कर मैं फिर से मुडा और नहाने के लिए शावर चालू करने लगा.
तभी झपाक के साथ खूब सारा ठंडा ठंडा पानी मेरी नंगी गांड और मेरी जांघ के पिछवाड़े पर पड़ा. ठंडा ठंडा पानी रिस रिस कर मेरे गोटों तक चला गया और मेरे बदन के एक एक नस सनसना गयी.
ठन्डे पानी और बाबूराव का कुछ कनेक्शन तो है बॉस.....
बाबूराव ने गुस्सैल सांड कि तरह फनफना का अपना सर उठाया और मेरा सुपाड़ा एक दम भक्क लाल होकर चमड़ी की चुनर उतार कर खुल्ली हवा में सांस लेने लगा.
गोटों से चूता ठंडा पानी मेरे बाबूराव की जड़ तक को सनसना रहा था, बाबूराव सावन महीने के पतंग के तरह ठुनकी मारने लगा.
मेरी पीठ अभी तक चाची की और थी इस लिए चाची बाबूराव का विकराल रूप नहीं देख पायी थी.
चाची तो अपनी हरकत पर खुश होकर ठहाके पर ठहाके लगा लगा कर हंस रही थी.
तभी मेरी नज़र मेरे पैरों के पास पड़ी बाल्टी पर गयी, बाल्टी आधी भरी थी मैंने आव देखा न ताव बाल्टी उठाई और मुड़कर एक झटके में चाची के ऊपर खाली कर दी,
"हाय....राम.......", इसके आगे चाची की आवाज़ घुट के रह गयी.
चाची एक दम से खड़ी हो गयी. पानी उनके पुरे बदन से टिप टिप कर के गिर रहा था. जो शर्ट उन्होंने से पहना था वो पूरी तरह से उनके बदन से चिपक गया था.
चाची ने पहले ही शर्ट के ऊपर वाले दो बटन लगाये नहीं थे पानी के जोर से एक बटन और खुल गया.
शर्ट अब चाची की गोल गोल नाभि तक खुला था और उनका दांया मम्मा उसमे से बाहर झांक रहा था.
चाची कुछ बोलने को हुयी मगर मैं थोडा आगे बड़ा तो चुप हो गयी.
मैं चाची के ठीक सामने सिर्फ कुछ इंच की दुरी पर खड़ा था.
मेरे बदन पर एक भी कपडा नहीं था और मैं चाची से सिर्फ कुछ इंच दूर.
चाची बोलते बोलते रुक गयी और मेरी आँखों में देखने लगी.
चाची खिलखिला कर हँसने लगी......वो स्टूल पर उकडू बैठी थी. शर्ट उनकी जांघों पर ऊपर तक चढ़ आया था.....शर्ट सिमट कर उनकी चिकनी जांघें के जोड़ पर इकठ्ठा हो गया था. मुझे याद आया की चाची ने पेंटी नहीं पहनी है.
कीड़ा कुलबुलाने लगा.
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चाची थी की ठहाके मार मार कर हँसे ही जा रही थी.
शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले होने से उनके मम्मे भी उभर उभर के अपनी गोलाईयां बता रहे था.
बाबुराव के हुँकार के साथ अपने सर उठाना शुरू कर दिया.
मेरी नज़रे चाची के मम्मो और उनकी जांघों के बीच इकठठी शर्ट पर ही ऊपर निचे हो रही थी और उसके साथ की बाबुराव भी ऊँचा निचा हो रहा था.
चाची ने हँसना बंद किया और ऑंखें तरेर के बोली, "नहाता क्यों नहीं रे.....बेशरम....क्या देख रहा है....?"
भेन्चोद क्या औरत है......मुझे पक्का यकीन था की मेरी नंगी गांड पर ठंडा पानी चाची ने जानबूझकर डाला था.
साली मादरचोद की मुनिया भी कुलबुलाती है मगर चूहा बिल्ली खेले बिना इसकी खुजाल नहीं मिटती.
मन मसोस कर मैं फिर से मुडा और नहाने के लिए शावर चालू करने लगा.
तभी झपाक के साथ खूब सारा ठंडा ठंडा पानी मेरी नंगी गांड और मेरी जांघ के पिछवाड़े पर पड़ा. ठंडा ठंडा पानी रिस रिस कर मेरे गोटों तक चला गया और मेरे बदन के एक एक नस सनसना गयी.
ठन्डे पानी और बाबूराव का कुछ कनेक्शन तो है बॉस.....
बाबूराव ने गुस्सैल सांड कि तरह फनफना का अपना सर उठाया और मेरा सुपाड़ा एक दम भक्क लाल होकर चमड़ी की चुनर उतार कर खुल्ली हवा में सांस लेने लगा.
गोटों से चूता ठंडा पानी मेरे बाबूराव की जड़ तक को सनसना रहा था, बाबूराव सावन महीने के पतंग के तरह ठुनकी मारने लगा.
मेरी पीठ अभी तक चाची की और थी इस लिए चाची बाबूराव का विकराल रूप नहीं देख पायी थी.
चाची तो अपनी हरकत पर खुश होकर ठहाके पर ठहाके लगा लगा कर हंस रही थी.
तभी मेरी नज़र मेरे पैरों के पास पड़ी बाल्टी पर गयी, बाल्टी आधी भरी थी मैंने आव देखा न ताव बाल्टी उठाई और मुड़कर एक झटके में चाची के ऊपर खाली कर दी,
"हाय....राम.......", इसके आगे चाची की आवाज़ घुट के रह गयी.
चाची एक दम से खड़ी हो गयी. पानी उनके पुरे बदन से टिप टिप कर के गिर रहा था. जो शर्ट उन्होंने से पहना था वो पूरी तरह से उनके बदन से चिपक गया था.
चाची ने पहले ही शर्ट के ऊपर वाले दो बटन लगाये नहीं थे पानी के जोर से एक बटन और खुल गया.
शर्ट अब चाची की गोल गोल नाभि तक खुला था और उनका दांया मम्मा उसमे से बाहर झांक रहा था.
चाची कुछ बोलने को हुयी मगर मैं थोडा आगे बड़ा तो चुप हो गयी.
मैं चाची के ठीक सामने सिर्फ कुछ इंच की दुरी पर खड़ा था.
मेरे बदन पर एक भी कपडा नहीं था और मैं चाची से सिर्फ कुछ इंच दूर.
चाची बोलते बोलते रुक गयी और मेरी आँखों में देखने लगी.