Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी - Page 9 - SexBaba
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Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी

30


चाची खिलखिला कर हँसने लगी......वो स्टूल पर उकडू बैठी थी. शर्ट उनकी जांघों पर ऊपर तक चढ़ आया था.....शर्ट सिमट कर उनकी चिकनी जांघें के जोड़ पर इकठ्ठा हो गया था. मुझे याद आया की चाची ने पेंटी नहीं पहनी है.


कीड़ा कुलबुलाने लगा.


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चाची थी की ठहाके मार मार कर हँसे ही जा रही थी.


शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले होने से उनके मम्मे भी उभर उभर के अपनी गोलाईयां बता रहे था.


बाबुराव के हुँकार के साथ अपने सर उठाना शुरू कर दिया.


मेरी नज़रे चाची के मम्मो और उनकी जांघों के बीच इकठठी शर्ट पर ही ऊपर निचे हो रही थी और उसके साथ की बाबुराव भी ऊँचा निचा हो रहा था.


चाची ने हँसना बंद किया और ऑंखें तरेर के बोली, "नहाता क्यों नहीं रे.....बेशरम....क्या देख रहा है....?"


भेन्चोद क्या औरत है......मुझे पक्का यकीन था की मेरी नंगी गांड पर ठंडा पानी चाची ने जानबूझकर डाला था.


साली मादरचोद की मुनिया भी कुलबुलाती है मगर चूहा बिल्ली खेले बिना इसकी खुजाल नहीं मिटती.


मन मसोस कर मैं फिर से मुडा और नहाने के लिए शावर चालू करने लगा.


तभी झपाक के साथ खूब सारा ठंडा ठंडा पानी मेरी नंगी गांड और मेरी जांघ के पिछवाड़े पर पड़ा. ठंडा ठंडा पानी रिस रिस कर मेरे गोटों तक चला गया और मेरे बदन के एक एक नस सनसना गयी.


ठन्डे पानी और बाबूराव का कुछ कनेक्शन तो है बॉस.....


बाबूराव ने गुस्सैल सांड कि तरह फनफना का अपना सर उठाया और मेरा सुपाड़ा एक दम भक्क लाल होकर चमड़ी की चुनर उतार कर खुल्ली हवा में सांस लेने लगा.


गोटों से चूता ठंडा पानी मेरे बाबूराव की जड़ तक को सनसना रहा था, बाबूराव सावन महीने के पतंग के तरह ठुनकी मारने लगा.


मेरी पीठ अभी तक चाची की और थी इस लिए चाची बाबूराव का विकराल रूप नहीं देख पायी थी.

चाची तो अपनी हरकत पर खुश होकर ठहाके पर ठहाके लगा लगा कर हंस रही थी.


तभी मेरी नज़र मेरे पैरों के पास पड़ी बाल्टी पर गयी, बाल्टी आधी भरी थी मैंने आव देखा न ताव बाल्टी उठाई और मुड़कर एक झटके में चाची के ऊपर खाली कर दी,


"हाय....राम.......", इसके आगे चाची की आवाज़ घुट के रह गयी.


चाची एक दम से खड़ी हो गयी. पानी उनके पुरे बदन से टिप टिप कर के गिर रहा था. जो शर्ट उन्होंने से पहना था वो पूरी तरह से उनके बदन से चिपक गया था.


चाची ने पहले ही शर्ट के ऊपर वाले दो बटन लगाये नहीं थे पानी के जोर से एक बटन और खुल गया.


शर्ट अब चाची की गोल गोल नाभि तक खुला था और उनका दांया मम्मा उसमे से बाहर झांक रहा था.


चाची कुछ बोलने को हुयी मगर मैं थोडा आगे बड़ा तो चुप हो गयी.


मैं चाची के ठीक सामने सिर्फ कुछ इंच की दुरी पर खड़ा था.


मेरे बदन पर एक भी कपडा नहीं था और मैं चाची से सिर्फ कुछ इंच दूर.


चाची बोलते बोलते रुक गयी और मेरी आँखों में देखने लगी.
 
समय एक दम रुक गया था.....उत्तेजना से मेरा दिल धपाक धपाक धड़क रहा था....मनो मेरे कानो में हथोड़े पड़ रहे हो. मेरी नज़र चाची के चेहरे से फिसल कर नीचे जाने लगी.....शर्ट से निकल आये मम्मे की घुंडी मतलब निप्पल एकदम कड़क हो चुकी थी. चाची की एकदम नींद टूटी और उन्होंने अपने मम्मे को शर्ट के अंदर करने के लिया अपना हाथ उठाया.


मैंने उनका हाथ पहले ही पकड़ लिया और नीचे कर दिया. चाची ने अपना हाथ छुड़ा कर फिर से अपने बदन को ढकना चाहा मगर मैंने फिर से उनका हाथ पकड़ कर नीचे कर दिया.


अबकी बार उन्होंने हाथ छुड़ाने की कोशिश नहीं की....चाची बस एक टक मेरी आँखों में देखे जा रही थी.


उनकी साँसें तेज़ होने लगी.....और मेरे नंगे सीने पर टकराने लगी......उनका मुंह उत्तेजना और आश्चर्य से

खुला था......मैंने चाची का हाथ जो अपने हाथ में पकड़ा हुआ था उसे अपने फनफनाते ठुनकी मारते बाबूराव पर रख दिया.


चाची ने एक तेज़ सांस अंदर खींची.


चाची की नज़रें अभी तक मेरी नज़रों से मिली हुयी थी......चाची का हाथ मेरे बाबूराव पर बस ऐसे ही रखा था......मैंने अपना हाथ उठाया और चाची की ऑंखें मेरे हाथ का पीछा करने लगी......मेरा हाथ उनके शर्ट से बाहर झांकते मम्मे की और जाने लगा.....


चाची एकटक मेरे हाथ का सफ़र देख रही थी और मैं उनकी आँखों की चाल को.


जैसे ही मेरा हाथ उनके मम्मे को छूने वाला था उनकी आँखे बंद हो गयी और उन्होंने से अपने सर थोडा पीछे की और कर लिया और एक मदमाती आवाज़ गले से निकली....."म्म्म्म्म्म्म्म...."


मैंने उनके मम्मे को छुआ नहीं सिर्फ एक सेंटीमीटर पहले रुक गया....चाची के चेहरे पर हैरानी के भाव आये और उन्होंने ऑंखें खोल के मेरी आँखों में देखा और धीरे से अपने निचला होंट दांतो से काट कर आँखों आँखों में ही याचना की...मानो अपनी नशीली आँखों से कह रही हो की लल्ला मसल दे मेरे मम्मो को.......


मैंने कुछ नहीं किया बस चाची की आँखों में उमड़ते हवस और वासना के तूफान को देखता रहा.....


चाची का हाथ जो मेरे बाबूराव पर था......वो एकदम से मेरे बाबूराव पर कस गया और चाची ने बड़ी बेशर्मी से मेरी आँखों में देखते देखते ही मेरे पप्पू को उमेठना शुरू कर दिया......मेरे पप्पू की सारी नसे तो पहले ही ठन्डे पानी से सनसना रही थी....चाची की इस हरकत और अदा ने मेरे बाबूराव की टोपी उछाल दी....
 
मैंने चाची के मम्मे को अपनी हथेली में पूरा पकड़ कर मसल दिया.....चाची के गले से घुटी घुटी कराह निकली और उन्होंने अपना सर पीछे कर लिया और अपने बदन को मेरे बदन पर दबा दिया.


मेरा बाबूराव चाची की फौलादी पकड़ में था और मैं बेरहमी से उनके मम्मे को मसल रहा था.


मेरा दूसरा हाथ चाची के पीछे गया और उनकी गोल गोल गदराई गांड को सहलाने लगा......चाची अपनी गांड को मेरे हाथ पर दबा दिया.....ऊपर तो वो अपने मम्मे मेरी और दबा रही थी और निचे अपनी गांड मेरे हाथों पे घुमा रही थी.


चाची के होटों पर पानी की कुछ बुँदे बाथरूम की लाइट में ओस की बूंदों जैसी चमक रही थी.....मैंने अपने उत्तेजना से सूखे होंटों पर जुबान फेरी और चाची के लरजते होंटों पर झुक गया.


चाची ने तुरंत अपना मुंह खोल लिया और अपनी जीभ मेरे मुंह में डालने लगी.....मैंने चाची की गांड को कस कर मसल दिया......चाची किस करते करते ही सिसियाने लगी......उनका हाथ और ज़ोर से मेरे लंड को मुठियाने लगा.


मैंने चाची की शर्ट के बटन खोलने की कोशिश की ताकि दूसरा मम्मा भी आजाद हो सके.....भीग जाने से कपडा चिपक गया था ....बटन खुल ही नहीं पा रहे थे.....चाची ने मेरे होंटों पर से अपने होंट हटाये बिना अपने दोनों हाथों से शर्ट को को कॉलर के पास से पकड़ा और एक जोर से झटका दिया........


एक दो बटन तो टूट गए और बाकि शर्ट का नाज़ुक कपडा चाची की हवस के आगे क्या करता......

शर्ट चरररररर की आवाज़ के साथ फट गया. चाची ने दूसरे ही झटके में शर्ट को अपने बदन से अलग कर दिया....शर्ट का बचा हिस्सा निकलने के लिए वो थोडा अलग हुयी.....और मेरी ऑंखें अपने सामने का नज़ारा देख कर पपोटों में से बाहर आ गयी.....


चाची के भीगे बाल.....उनके कंधे और गर्दन पर चिपक गए थे.......दोनों मम्मे अपनी पूरी गोलाई के साथ अपना सर तान कर खड़े थे.....दोनों निप्पल ठन्डे पानी और उत्तेजना के मारे फूल कर अंगूर के दाने हो गए थे.......चाची की कमर तो और भी पतली थी....मगर उसे निचे आते आते कमर का कटाव खतरनाक अंधे मोड़ जैसे घुमाव खा रहा था.......कमर इतनी पतली और गांड इतनी बड़ी.........मेरा बाबूराव रूप के इस नज़ारे को ठुनकी मार कर सलामी देने लगा.


चाची की नाभि पर पानी की बूंदें चमक रही थी......चाची के पेट हल्का सा मांसल था......बस मोटा होने के पहले वाली हालत.......नाभि तो ऐसी नरम और गद्देदार लग रही थी की इसमें ही बाबूराव पेल दूँ.....


मेरी नज़ारे चाची की नज़रो से मिली....और न जाने क्यों मुझे शर्म सी आ गयी.....


चाची के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गयी और वो बोली,


"हाय राम......हरामी ......अब तुझे शर्म आ रही है.......मेरी ऐसी हालत कर दी कमीने....हट परे....और मेरा टॉवेल दे.....बेशरम........लल्ला.......तू बहुत बदमाश हो गया है रे........चल ला टॉवेल दे......"


मैं हक्का बक्का अपना खड़ा बाबूराव लिए अपने सामने खड़ी मादर जात नंगी चाची की बात सुन रहा था.


चाची फिर से मुस्कुराते हुए बोली, " राम....लल्ला.....दे...ना ....."


"क...क.....क्या दूँ चाची आपको ??????"


चाची ने निचे इशारा किया.....भेनचोद इशारा लंड की तरफ था की टॉवेल की तरफ ????


माँ की चूत.....हाथ तो आया पर मुंह को...मेरा मतलब है लंड को न लगा........


मैंने हिम्मत बटोरी, " च....च.....चाची......आप बाहर जा रहे हो क्या ?? "


चाची ने ऑंखें तरेरी, " और क्या राम......क्या यहीं पर ऐसे खड़ी रहू बेशरम......"


मेरे सामने इतनी कामुक और चुदैल औरत नंगी खड़ी और मैं उसे जाने दू........?


मैं टर्राया, " च....च.....च......वो.......म...म...मेरा मतलब......की......ये......अ...अ...मेरा.......

मेरा....यह दुखने लगा है......"


मैंने अपने बाबूराव की तरह इशारा किया जो इस परेशानी की घडी में भी अपने सर उठा कर खड़ा था.


चाची ने नज़रों से ही बाबूराव को सहलाते हुए कहा, " हाय......राम....इसका क्या......?...लल्ला....इसका ख्याल तो तेरी बीवी रखेगी......आज मैंने रख लिया तो मेरी बहु शिकायत न करेगी....की चाची अपने हमारी मलाई खा ली........"


"मलाई खा ली",........सुनते ही बाबूराव ने एक ठुनकी मार दी.
 
मलाई खाने के मतलब सोच सोच कर ही बाबूराव के आंसू निकल आये.....एक छोटी सी प्रीकम की बूंद बाबूराव के छेद से निकली और बाथरूम की लाइट में चमकने लगी.....


चमक तो चाची की आँखों में भी आ गयी थी........


किसी ने सच ही कहा है की औरत इमोशनल होती है आंसू नहीं देख सकती.....बाबूराव के आंसू देख कर चाची का मन या शायद उनका तन पिघल गया और वो बोली, "हाय......रामजी.......कहाँ फँस गयी....?"


"क....क.....क्या हुआ चाची...."


"कुछ नहीं से लल्ला.......तू कहता है न की ये ऐसी हालत में रहता तो तुझे दर्द होने लगता है.....? "


"हुंह....?......हाँ...हाँ.....अरे चाची......बहुत दुखता है........."


"तो तू एक कम कर.....हाथ से इसको हिला कर.........निकाल ले."


लो बहनचोद..........हाथ से हिला कर निकालना होता तो वो तो दिन में चार बार करता ही हूँ...मगर आज तो चाची की मुनिया चाहिए ...... अब क्या करू.....


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"च....चाची......हाथ से नहीं होता........."


"हाय राम.....कैसे नहीं होता........कर तो सही......"


बताओ....साली मादरचोद मेरे सामने नंगी खड़ी है........और मुझसे बोल रही है की मैं हाथ से हिला कर निकाल कर दिखाऊ.


हम लोंडे तो टीवी पर नाचती छोरियों को देख कर इतने टन्ना जाते है मत पूछो......अगर सामने चाची जैसे हवस की देवी नंगी खड़ी हो तो भाई....हिलाने की भी क्या जरुरत है........


मैंने ना में सर हिलाया तो चाची मस्कुराते हुए बोली, " हाय राम.....फिर दुखेगा तो......?"


मैंने सोचा चलो आखरी दांव मारते है......


"कोई बात नहीं चाची.......आप रहने दो...."


चाची को एक सेकण्ड कुछ समझ नहीं आया....." हैं.......?.......मतलब ........"


साली खुजाल तो उसकी मुनिया में भी थी. एक पल रुक के वो बोली


"राम...लल्ला.....तुझे दुखेगा रे..........."


लंड दुखेगा भेन की लोड़ी....


"न...न.....न...नहीं चाची....आ...हाँ....हाँ.....दुखेगा तो सही.....पर.....?


चाची ने ऐसे दिखाया मानो सोच रही हो....फिर बोली, " ला.....इधर आ मैं निकाल दूँ......."


फटफटी चल पड़ी


सचिन को २०० शतक लगा के भी इतनी ख़ुशी नहीं मिलेगी.....जितनी चाची की एक लाइन ने मुझे दे दी.


मैं चाची की और लपका, चाची ने हँसते हुए कहा,


" आराम से लल्ला जी.......हाथ से निकालने दो.....और कोई गलत हरकत मत करना.....और यह अपने दोनों हाथ पीछे कर लो ज़रा......"


मैंने अपने दोनों हाथ अपने सर के पीछे बांध लिए और खेल के मज़े लेने के लिए तैयार हो गया.


चाची ने अपनी ऊँगली बाबूराव के छेद पर फिराई ...मेरा पूरा बदन गनगना गया.
 
चाची ने अपनी ऊँगली को बाबूराव के आंसू, मतलब की प्रीकम से लथेड़ लिया......और अपनी ऊँगली बाबूराव के ऊपर चलाने लगी.......धीरे से उन्होंने बाबूराव के छेद पर अपने नाख़ून को गड़ा दिया.


मेरे मुंह से सिसकारी निकल गयी....चाची ने नकली शर्म भरी मुस्कान से मेरी और देखा और बाबूराव को अपने हाथ में जकड कर अपने हाथ को एक बार ऊपर निचे किया.......


इतने में ही मेरे गोटों में भरा वीर्य उबाल खाने लगा.


चाची ने अपनी ऊँगली को बाबूराव के प्रीकम में लपेटा,


मेरी ऑंखें फटी की फटी रह गयी......जब चाची ने वो ऊँगली अपने मुंह में डाल कर उसे चूस लिया और म्म्म्म्म्म्म कहा.


माँ का भोसड़ा........ ऐसा तो आज तक सनी लेओनी की नंगी पिक्चर में भी नहीं देखा था.


मैंने अपने दोनों हाथ से चाची के मम्मो को थामा और पागलों की तरह उन्हें मसलने लगा....


चाची कभी हंसती कभी खिलखिलाती कभी सिसकारी मारने लगती.


उनका हाथ फिर से मेरे बाबूराव पर था. और मैं तो पागल हो रहा था.


मैंने अपने हाथ उनकी चूत पर डाला. बिच वाली लम्बी ऊँगली जैसे उनकी मुनिया के मुंह पर टिकाई....

लबालब पानी छोड़ती मुनिया इतनी चिकनी हो गयी थी की मेरी ऊँगली सीधी उनकी मुनिया के अंदर चली गयी थी.


चाची ने दूसरे हाथ से मेरे बल पकडे और मेरे मुंह को निचे खिंच कर अपने मम्मो पर कर दिया.


मैंने अपने मुंह खोला और एक ही बार पुरे मम्मे को मुंह में ले लिया. एक पल मैं उनके मम्मे को जोर से चूसता दूसरे ही पल अपनी जीभ की नोक से उनके कड़क निप्पल को छेड देता.


चाची ने मेरे लंड को छोड़ा और मेरे बालों में हाथ फेरने लगी. उन्होंने अपने मुंह से एक मादक गुर्राहट निकली और मेरे बालों को खिंच कर मेरे मुंह को अपने होंटों पर रख लिया.


हमारे मुंह एकदूसरे से चिपक से गए......कभी जीभ लड़ाते कभी होंटों को चूसते.....कभी दोनों जीभ बाहर निकाल कर नोक से नोक टकराते......और फिर ज़ोर ज़ोर से होंटों को चूसने लगते...


वासना का चुम्बन इतना गरम था की उत्तेजना से चाची का पूरा बदन कांपने लगा था.


अब तो मुझ से रुकते ही नहीं बन रहा था. मैंने चाची की गांड के दोनों गोलों को पकड़ा और चाची को ऊपर उठाने लगा.....पहले तो चाची को समझ नहीं आया फिर वो समझ गयी.....और ऊपर उठ गयी और अपने पैरों को मोड़ लिया.


मैंने चाची की टांगों के नीच से हाथ डाल कर उन्हें पूरा हवा में उठा लिया. चाची ने अपनी बांहे मेरे गले माँ डाल दी....और अपनी टंगे चौड़ी कर के अपने बदन को मेरे बदन से चिपका लिया.....अब उनकी वासना के रस से सरोबोर मुनिया ठीक मेरे ठुनकी मारते बाबूराव के ऊपर थी....चाची ने अपने हाथ को निचे डाल कर बाबूराव को पकड़ा और सीधे बाबूराव के सुपाड़े तो अपनी तमतमाती मुनिया के मुंह पर रख दिया......और धीरे से निचे हो गयी....बाकि का काम मैंने एक जबर्दस्त धक्का मारकर कर दिया.


बाबूराव और मुनिया का मिलन हो चूका था.


चाची ने अपने दोनों हाथों को मेरी गर्दन पर डाल रखा था....और जब भी उछाल कर मेरे लंड पर अपनी चूत गिराती मुझे तारे चाँद सूरज ग्रह उपग्रह सब दिख जाते...


चाची हुंकार मार मार कर अपनी मुनिया से बाबूराव को पीस रही थी मानो चटनी बना रही हो......चाची की मुनिया का अमृत बाबूराव की रगड़ाई से मलाई बन बन कर मेरी जांघों पर गिर रहा था और मुझे महसूस हो रहा था की मेरी पूरी जांघ उससे सन गई है.


चाची ने मुझे ज़ोर से जकड दिया और अपने मम्मे मेरी छाती पर दबा दी दिए ....और सिसकारी मारते मारते अपने पूरा बदन को कड़क कर लिया और सिर्फ अपनी गांड को गोल गोल घुमाने लगी.


क्या नज़ारा था.....बाथरूम की दीवार पर लगा शीशा मुझे लाइव शो दिखा रहा था.......चोदने का मज़ा लंड को और देखने का मज़ा आँखों को.....और क्या चाहिए बॉस ??


चाची कि सांसों कि रफ़्तार बढ़ती जा रही थी....और मेरे भी गोटें सनसनाने लगे थे.


चाची ने अपनी गांड को और ज़ोर ज़ोर से हिलना शुरू कर दिया.....अब तो कभी तो अपनी कमर को पूरा ऊपर तक उठा कर धपाक से साथ मेरे लंड पर गिरती और कभी गांड को सिकोड़ कर मेरे लंड का मख्खन निकलने लगती.....तभी चाची से ज़ोर से आह भरी और सिककते हुए बोली.


" हाय......हाय......हरामी........हाँ......हाँ.......और ज़ोर से.........आह......लल्ला......रे.........आह.......

हाँ रे.......लगा......लगा.......आह.......चोद दे....रे..........आआह.......चोद ....मादरचोद.........आआअ


चाची का पूरा बदन कड़क हो गया.......और वो पागलों कि तरह मेरे लंड पर उछलने लगी.......मम्मे को मेर छाती पर दबा दिया......और मेरे होंटों को अपने मुंह में ले लिया......


मैंने भी अपने गोटों कि सुरसुरी महसूस कि और चाची कि गांड पर अपनी पकड़ मज़बूत करते धपाधप धक्के देना शुरू कर दिए....


चाची तो चिल्ला चिल्ला कर उछलने लगी......"हाय......हाँ मेरे लल्ला......निकाल.....निकाल दे रे......"


और मेरे अरमानों का दरिया बह निकला.........मेरे गोटों एक दम कड़क हो गए और मेरा तो बैलेंस ही बिगड़ गया मगर मैंने चाची कि पीठ को दिवार पर टिका दिया और उनकी गांड को सामान रखने वाले आले पर टिका दिया.


मैं कुत्ते जैसा हांफ रहा था और बेचारी चाची तो अभी भी मेरी कमर पर अपने टंगे लपेटे बस ऑंखें बंद किये मिमिया रही थी...


चाची ने अपनी आँखे खोली और बोली, "लल्ला.......तू बहुत कमीना हो गया रे......."
 
31

तभी बाहर से कुछ आवाज़ आयी.

चाची ने मुझे धक्का देकर दूर किया और तुरंत धोने के कपड़ों में से एक गाउन उठाया 
और बाथरूम से बाहर भागी.

"हाय राम तेरे चाचा आ गए लगता है.....तू अंदर से बंद कर ले........"

हम मेरे कमरे के बाथरूम में थे....मेरी तो गांड फटी की चाचा ने चाची से कुछ पूछ ताछ करली तो ??

गांड की फटफटी में गेयर लगने लगे.......

बाहर से कुछ आवाज़ नहीं आ रही थी....मैंने कुछ देर तो सब्र किया फिर फटफटी के मरे धीरे से दरवाजा खोला और सुनने की कोशिशि करने लगा....कुछ बात करने की आवाज़ तो आ रही थी मगर समझ नहीं आ रहा था. मैंने टॉवल लपेटा और पंजो के बल बगैर आवाज़ किये रूम के डोर की आड़ में से सुनने की कोशिश करने लगा.

ये तो पड़ोस वाली कोमल भाभी थी......वो बोल रही थी....

"क्या सच्ची चाची........??" 

चाची की आवाज़ आयी, "हाँ रे......सच्ची कोमल...,,,"

कोमल भाभी आश्चर्य से बोली, "अरे,.....बाथरूम में इतनी जगह कहाँ होती है........की वो सब....कर सके.....मतलब.....की....."

चाची की आवाज़ में खनक थी, " हाय राम....कोमल.....उसने तो मुझे गोदी में उठा कर.........खड़े खड़े ही.."

मैं देख तो नहीं पा रहा था मगर कोमल भाभी की आवाज़ एकदम से कामुक और गहरी हो गयी

" खड़े खड़े.....?.......गोदी में......लेकर.......ही......कर.......दिया.........हाय ऐसा तो सिर्फ फिल्मो में......
मेरा मतलब.......हाय राम चाची......." 

और ये बोल कर कोमल भाभी बेशर्मी वाली हंसी में हंसने लगी. चाची भी उनकी हंसी में उनका साथ देने लगी. 

कोमल भाभी बोली, " उस दिन छत पार मुझे लगा की चाची और चाचा का मौसम बना हुआ है........सच्ची बोलू तो आपको देखकर मुझे भी इनकी इतनी याद आयी की काश वो भी यहाँ होते तो हम भी.....मस्ती कर लेते.....मगर आप तो लल्ला जी के साथ......हाय राम चाची आप तो बहुत ख़राब हो सच्ची.........'

चाची हँसते हुए बोली, "हाँ...हाँ....मैं ख़राब हूँ और तू तो दूध की धुली है......? जब घर में पति है तो फिर प्लास्टिक का खिलौना क्या लाई.......हैं ?? ""

कोमल भाभी की कोई आवाज़ नहीं आयी....

भेनचोद......प्लास्टिक का खिलौना... ????


तभी कोमल भाभी कि लरजती हुयी आवाज़ आयी, " अरे चची प्लास्टिक नहीं,,,,रबर का खिलौना.....और उसे खिलौना नहीं डिल्डो कहते है......आप को तो कोई बात बतानी ही नहीं चाहिए सच्ची.........."

चाची बोली, " वाह बेटा....तो उसका नाम भी रख दिया......डिडो....."

"डिडो नहीं चाची.....डिल्डो......उसका नाम ही डिल्डो है......"

चाची बोली, "हाय राम...कोमल.....बिलकुल मर्द के उसके जैसा है.....नसे तक बनी हुयी है....सच बता मज़ा आ जाता होगा....... ..हैं.?

कोमल भाभी ठंडी सांस लेकर बोली, "अरे चाची.....नकली कितना भी अच्छा हो....होता तो नकली है है ना ?
उनके टूर पे जाने के बाद अकेले रातें नहीं कटती......और कभी जब वो मेरा साथ नहीं दे पाते तो नकली से काम चला लेते है...."

चाची आश्चर्य से बोली, " हाय.....रिषभ जी को पता है इस डिडो ...के बारे में.....????"

"हाँ तो......उन्होंने ही तो लाके दिया है....."

चाची बोली, "वाह रे कलयुग.....पति अपनी बीवियों के लिए नकली लौड़े भी लाने लगे."

और फिर अपने मुंह से लौड़ा शब्द निकल जाने पर बेशर्मों कि तरह हंसने लगी. 
 
कोमल भाभी बोली, "तो क्या.....अरे चाची आजकल तो सब चलता है......हम तो साथ में वो फिल्मे भी देखते है....सची मूड बन जाता है........उन फिल्मों में तो काले हब्शी होते हैं ना उनके......वो तो बहुत भी बड़े और मोटे होते हैं........बेचारी वो कमसिन लड़किया कैसे लेती है......भगवान जाने.....मैं तो यह डिल्डो डालती हूँ तो भी ऐसा लगता है कि मेरी अब फटी....अब फटी..."

दो चुदासी औरतों कि बातें सुन सुन कर मेरी तो हालत उस कुत्ते जैसे हो गयी जो सुखी हड्डी ढूंढ रहा हो और उसे मलाई मिल जाये....

बाबूराव लपेटे हुए टॉवल में तम्बू बना रहा था....मैंने निचे देखा और सोचा कि पैसा और चूत कितनी भी मिल जाये साली कम ही लगती है.....अभी अभी गेम खेल और महाराज फिर से तैयार....

कीड़ा कुलबुलाने लगा.......

तभी मेरे मोबाइल कि घंटी बजी....मैं डर के मारे उछल गया....चाची बहार से चिल्लाई,

"अरे....लल्ला.....??......नहा लिया क्या.....??"

मैंने बिस्तर पर पड़ी अपनी जींस कि जेब में से मोबाइल निकला...

पिया का फ़ोन था.......

लल्ला की फटफटी चल पड़ी...

मैं अंदर से गांड फटी में चिल्लाया, " न...न...नहीं.....म..म..म...मेरा मतलब हैं हाँ चाची....नहा लिया..."

मैंने रूम का दरवाजा बंद किया और फोन उठाया..

".....हेलो......."

"तुम अपने आप को समझते क्या हो........अरे जब मैंने कहा था कि कैंटीन के 
बाहर मिलना तो आये क्यों नहीं.,....पता है मैं २ घंटे बेवकूफ की तरह वहीँ पर खड़ी रही.......अरे कुछ बोलो तो सही.....हेलो.....ऐ क्या हुआ तुमको.......??"

भेनचोद.....लंड बोलू.....मादरचोद राजधानी एक्सप्रेस की तरह चले जा रही है......रुके तो मुझे बोलने का मोका मिले...

मैंने मुंह खोला, " अरे पिया......वो....मैं......हाँ.....अरे मैं बस से गिर गया था......इसीलिए घर आ गया."

"क्या.?....गिर गए थे..?.....बस से....?......तुम्हारा ध्यान कहाँ रहता हैं यार....??"

बंगाली मैडम की गदराई गांड में......

"अरे नहीं....मेरा बैलेंस बिगड़ गया था....यार....."

"पर .....तुम्हे कहीं लगी तो नहीं......? ओ गॉड शील.....तुम ध्यान रखो प्लीज"

पहले तो पिया की पकर पकर से मेरा सर दुःख गया था मगर उसकी मीठी डांट से मन खुश हो गया.

मैंने कहा, "चलो कोई नी...... अब तो ठीक हूँ...कुछ खास नहीं लगी......तुम बताओ कहाँ हो....?"

पिया इतरा कर बोली, " मैं कहाँ हूँ.....इससे तुमको क्या मिस्टर......? तुम आराम करो.

उधर उसका इतराना और इधर मेरा कीड़ा कुलबुलाया....

"ऐसी कोनसी जगह हो.....जो बता नहीं सकती......", मैंने पूछा.

"है एक जगह.......बता तो नहीं सकती मगर काश तुम यहाँ मेरे साथ होते.......हम्म्म्म", और उसने एक ठंडी सांस ली.

उसने तो ठंडी सांस ली मगर मेरी नसे गरम होने लगी.....

मैंने पूछा, "ऐसी कोनसी जगह हो यार................ब.....ब.....ब.....बता दो......."

"हाय.....क्या बताऊ तुम्हे......", पिया से फिर से ठंडी सांस भरी.

भेनचोद अभी चाची कि चिड़िया मारे एक घंटा भी नहीं हुआ था और मेरा घंटा फिर से टन टन बजने लगा.

मैंने बात खिंची "अच्छा.... त...त......तुम कर क्या रही हो......?"

पिया ने इठलाते हुए कहा, " तुम बताओ मैं क्या कर रही हूँ....."

मैं सोचने लगा.......तभी......पिया की चोंकने की आवाज़ आयी,,,

"आउ.....गॉड.......यह तो बहुत गरम और थिक (मोटा) है........"

मेरे भेजे में गियर लगने लगे की ये भेन की लोड़ी है कहाँ..........और इसे क्या गरम और थिक (मोटा) लगा........

तभी मेरा दिमाग का लट्टू जला......ये साली बाथरूम में बैठी है और डिल्डो से अपनी पारो की खुजाल मिटा रही है......यह सोचते ही मेरे दिमाग में बाथरूम में बैठी पिया की नंगी तस्वीर आ गयी और वो कमोड पर टांगे चौड़ी कर के अपनी गुलाबी अनछुई मुनिया में डिल्डो डालती दिखने लगी.

मेरे कानों में हथोड़े से पड़ने लगी और एक दम से मुझे नशा सा छा गया.

मैंने थरथराती आवाज़ में कहा, "हाँ ....हाँ.....म....म....मुझे पता है तुम कहा हो और क्या क़र रही हो.."

पिया ने इठलाते हुए पूछा, "अच्छा जी.....तो बताओ......"

मैंने मस्ती में आकर कह ही दिया, "तुम ब...ब.....ब....बाथरूम में बैठी हो और ड...ड....ड...डिल्डो से खेल रही हो...."

मैं मन ही मन मुस्कुराने लगा की बॉस.....आज तो छोरी को रंगे हाथों पकड़ लिया है और इसके बाद क्या होगा यह सोच सोच कर मेरे पुरे बदन में सुरसुरी होने लगी.....

"व्हाट..........क्या कहा तुमने.........हाउ....डेयर........यु...........ओ....गॉड......यु बास्टर्ड......मैं पार्लर में हूँ और वेक्सिंग करा रही हूँ......यु.... .चीप .......शिट........और वो वेक्सिंग क्रीम थी जो गरम और थिक थी न की.........ड.......छोड़ो यार......डोंट.....एवर.....कॉल.....मी......अगेन.......यु बास्टर्ड", पिया ने चीखते हुए फोन काट दिया.

भेन चुद गयी फटफटी की....
मुझे अपने आप पर इतना गुस्सा आ रहा था की बता नही सकता.....

इसकी मा की आँख.....साला लोंडो को लोंड़िया मिलती नही और अपने को मिली तो अपनी डेढ़ अकल के चक्कर मे काम लग गये. भेन्चोद इंसान कभी कभी चुप रह ले तो जाने कितने बिगड़े कम यूँही बन जाए.

मेरा मुँह और बाबूराव दोनो लटक गये. मैं बिस्तर पर पड़ा पड़ा सोचने लगा की अबकी बार तो पिया को मनाना मुश्किल है. जाने कब मुझे नींद लग गयी.
 
मेरे हाथ पिया के कंधों पर थे और धीरे धीरे मैं उनको नीचे सरकता हुया उसके जोबन के उभारों के पास लाता जा रहा था.....उसकी आँखें मारे ठरक के बंद हुई जा रही थी......मेरे हाथ उसके यौवन के उभारों को संभालने लगे उसके मुँह से एक मदमाती कराह निकली.....मेरे हाथ उसके नरम नरम मम्मो को पूरी तरह से अपने आगोश मे ले चुके थे. मैने उसके कबूतरों को मसकाना शुरू कर दिया 

तभी पिया चीखी, "छोड़ हरामी क्या कर रहा है......." 

मुझे समझ नही आया की ये क्या हुआ ? पिया चाची की आवाज़ मैं क्यो बोल रही है ? 

पिया फिर से चिल्ला पड़ी, "हाय राम हरामी छोड़ कोई देख लेगा......"

आवाज़ चाची की चेहरा पिया का ......भेन्चोद यह हो क्या रहा है ?

किसी ने मुझे ज़ोर से हिलाया.....हड़बड़ा कर मेरी आँख खुली तो देखा की मैं तो बिस्तर पर लेता हूँ और चाची मेरे उपर झुकी हुई है और मेरे हाथ उनके स्तनो के उपर है साला मैं जिन्हे पिया के बोबे समझ के मसले जा रहा था वो तो चाची के पप्लू थे. 

चाची ने मेरे हाथों को झटका और चिल्ला पड़ी, "हाय राम बेशरम दिन भर इसके सिवा कुछ सूझता भी है की नही.....और यह पिया कौन है रे लल्ला......??"

मेरी गान्ड के सारे टाँके एक झटके मे खुल गये......पहले तो मेरी आवाज़ ही नही निकली फिर जैसे तेसे मैं बड़बड़ाया,
"क..क...क...कोई भी तो नही....च...च..चाची......."

चाची ने आँखें सिकोड कर मुझे देखा और बोली, "वाह बेटा चाची को नापते हुए तो बड़े प्यार से नाम लिए जा रहा था"

"न...न....नही चाची.....ऐसा कुछ भी नही......"

"देख लल्ला....दिन भर फालतू बातों मे दिमाग़ लगाएगा तो अपने चाचा जैसा दुकान पर ही बैठा रह जाएगा......"

चाची इसके बाद भी जाने क्या लेक्चर दिए जा रही थी मगर मेरी नज़र तो उनके छोटे से ब्लाउस मे कसमसा रहे मम्मो पर ही थी......

चाची ने मेरी नज़रे देखी और नीचे अपने गिरे हुए पल्लू को देखा. अदा से पल्लू संभालते हुए बोली, "हाय राम.....इस छोरे को तो समझना ही मुश्किल है"

अब इसमे क्या मुश्किल है ......लल्ला के बाबूराव को मुनिया चाहिए और क्या ?

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मुझे चाची का पल पल रूप बदलना समझ नही आता था. कभी बात बात मे ज्ञान देना और कभी बाबूराव को चूस चूस के चुस्की बना देना.......

पिया के नाराज़ होने के बाद मेरा मन नही लग रहा था....मैं छत पर चला गया.....शाम होने लगी थी....ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और मैं सोच रहा था की कोमल भाभी जैसी कड़क जवानी को प्लास्टिक के लॅंड की ज़रूरत क्यो पढ़ती होगी भला....उनके पति ऋषभ भैया तो अच्छे हट्टे कट्टे दीखते थे. तभी मेरी नज़र कोमल भाभी कि छत पर गयी...
उनकी छत हमारी छत ने एक मंज़िल निचे थी. इसलिए उनकी छत का पूरा नज़ारा दीखता था. 

वो छत पर सुख रहे कपडे उठाने आयी थी. धीरे धीरे वो कपडे रस्सी से उतारने लगी.....
मैं उनको देखते देखते दूसरी सोच में पड़ गया तभी उन्होंने इधर उधर देखा और मेरे दिमाग का कीड़ा कुलबुलाया....मैं ध्यान से देखने लगा कि वो क्या कर रही है......उन्होंने एक काली साड़ी सूखने के लिए रस्सी पर डाली थी....कोमल भाभी ने धीरे से उस साड़ी को खिंचा और उसके निचे से एक पिंक रंग कि पारदर्शी नाईटी निकल आयी......उस नाईटी के साथ वेसे ही पारदर्शी कपडे के ब्रा और पेंटी भी थे.....जो कि इतने छोटे छोटे थे कि उनसे क्या ढकता और क्या उभरता ? 

भाभी ने नाईटी को उतारा और उसके ऊपर हाथ फेर कर उस नरम कपडे से स्पर्श का आनंद लेने लगी. ....तभी उन्होंने झटके से ऊपर देखा और मुझे निचे झांकता देख वो एक दम से सकपका गयी 
 
"ओ...गॉड.....क्या शील भैया डरा ही दिया अपने.......क्या कर रहे हो.....इस वक़्त छत पर.....?"

मैं क्या बोलता.....मेरी आवाज़ गले में ही रह गयी. 

तभी कोमल भाभी मुस्कुराते हुए बोली, "चाची के साथ हो क्या.....?"

मेरे तो कान तो गरम हो गए....भेनचोद साली मज़े ले रही थी.

मैंने कहा, " न ...न....न...नहीं मैं तो अकेला ही खड़ा हूँ......"

फिर मैंने थोड़ी हिम्मत कि और कहा, " अ....अ....अकेला ही हूँ भाभी.......चाहो तो आप आ जाओ......"

मैंने आज तक कोमल भाभी से कभी डबल मीनिंग तो क्या......सीधा साधा मज़ाक भी नहीं किया था......मेरी गांड तो फट रही थी मगर खड़े बाबूराव का दिमाग अलग ही चलता है....

भाभी ने मेरी बात पर चोंक कर मुझे देखा और फिर शरारत भरी आवाज़ में बोली, " ओ...हो.....तो लल्ला जी बड़े हो गए है......हुम्म्म......क्या इरादे है......भाभी को छत पर बुला रहे हो......सुबह से कोई मिली नहीं क्या "

मैंने मन ही मन कहा, "हाँ भाभी मिली तो सही मगर उसकी ली नहीं...."

"न....न.....नहीं भाभी......वो....वो...म..म...मैं तो मज़ाक कर रहा था."

भाभी ने मुझे एक नज़र देखा तो कपडे समेटते हुए बोली, "क्यों आपको बिजली का काम आता है क्या "

"हाँ.....भाभी.....क्या हुआ.....कुछ बिजली का काम हे क्या ?"

"हाँ भैया.....वो प्रेस का प्लग जल गया है......बदलना था......आप कर दोगे क्या.....?"

लंड अपने को यह तक पता नहीं कि WATT और वोल्ट में क्या फर्क है मगर खड़े लंड का सवाल था. काला तार, हरा तार, पीला तार...सब एक जेसे दीखते थे...मगर भाभी को मना केसे करता.

"आप सामने वाली दुकान से प्लग ले आओ और लगा दो न प्लीज"

मैंने सोचा, "आ रहा हूँ आपकी लगाने ......मेरा मतलब है प्लग लगाने"

नीचे आया और मैंने सामने वाली दुकान से प्लग लिया और तुरंत भाभी के दरवाजे पर.....

भाभी ने दरवाजा खोला और पल्लू से चेहरा पोंछते हुए बोली, "आ गए.....आओ...."

मेरी नज़ारे तो पल्लू के निचे छुपे मम्मो पर पड़ी जा रही थी. भाभी घूमी और मेरे आगे चलने लगी.

कसम उड़न छल्ले की.........इन गुजरातनो की बात ही कुछ और होती है.......भाभी के सुडोल बदन की सुडौलता उनके फुटबाल नितम्बो पर आ कर फ़िदा हो गयी थी.......सच्ची में ऐसा लग रहा था की उनकी साड़ी के नीच नितम्ब नहीं दो फुटबाल है. हर कदम पर एक ऊपर एक निचे.

अचानक कोमल भाभी रुक गयी और अपन तो झोंक में थे.....मैं ऐसा का ऐसा उनसे जा टकराया.......भाभी इतनी जोर चिहुंकी की मैं भी डर गया. 

"क्या भैया आप भी......ध्यान कहा है आपका....?"

आपकी गांड में ......

"अरे सो...सो.....सॉरी भाभी..."

"यह रही प्रेस........और ये रहा पेंचकस....."

मैं चूतिये जेसे अपने हाथ में प्लग लेकर खड़ा था......घंटा नही पता था की करना क्या है मगर ......

भाभी मुझे देखते हुए बोली, "तो......"

मैंने देखा की प्रेस का प्लग जल कर काला हो चूका था.......मैंने पूछा, " भाभी ये जला कैसे.....?"

भाभी ने ऑंखें नचाई और कहा, "अरे होना क्या था.......यह प्लग मुआ ढीला है......यह बिजली का खांचा है न.....इसमें टाइट नहीं जाता.....इतना पतला प्लग है और बिजली का खांचा इतना बड़ा.....दोनों में से एक तो जलना ही था.......आखिर प्लग ही जलेगा खांचा तो हाई पॉवर है......"

इसकी माँ की आँख .....

क्या आप भी वोही समझ रहे जो मैं समझ रहा हूँ..... ??? 
 
32


साला जब भी मुझे ठरक चढ़ती है मेरे कान गरम होने लगते है.....


कोमल भाभी क्या समझा रही थी मेरे समझ में तो आ रहा था मगर हमेशा कि तरह गांड की फटफटी चल निकली........और मैं चुप चाप प्लग बदलने की कोशिश करने लगा.....क्या पता भाई......यह गुजरातन सच्ची में प्लग और खांचे के बारे में बोल रही हो और अपुन अपने चोदु दिमाग में १ और १ ग्यारह कर रहे हो.


मैंने जला हुआ प्लग तो पेंचकस से खोल कर उससे तार अलग कर दिए.....अब मेरे एक हाथ में तीन टार थे और एक हाथ में नया प्लग.....मादरचोद घंटा समझ नहीं आ रहा था की कोनसा तार कोनसे पिन में कसना है.


मैंने सकपका कर कोमल भाभी को देखा, वो बड़े ही गौर से मेरी हरकते देख रही थी,.....मुझे अपनी और देखते हुए बोली, " अरे भैया......लगाओ न......" ( क्या लगाउ भेनचोद ???? )


मैं हकलाया, " हैं.....हा....मैं.......वो.......यह तार छीलना है....कुछ है क्या....? "


जवाब में कोमल भाभी ने मेरे पास आकर मेरे हाथो से तार लिया और दांतों में दबा कर खिंच दिया.......


तार छिल गया था और इधर मेरे बाबूराव के तार भी खींचने लगे.....क्या अदा थी......अपना बाबूराव तो पहले से ही पारखी नज़र वाला था.....मैं दिवार की और मुंह कर के अपने बाबूराव की चूल छुपाने में लगा था.......साला मादरचोद यह कॉटन के शॉर्ट्स भोसड़ी के, लंड और हंडवे के दर्शन ऊपर से ही करा देते है और अपना बाबूराव तो कुत्ते का पिल्ला.....खड़ा होकर ठरकी कुत्ते के जैसे हांफ रहा था .


कोमल भाभी मेरे पीछे खड़े होकर मेरी कारगुजारिश देखने लगी......भाभी की साँसे मेरे कंधे पर और मेरे कान के पिछले हिस्से पर पड़ रही थी........लोग औरत को गरम करने के लिए उसके कानो को छेड़ते है और यहां भेनचोद मेरे पहले से ही खड़े बाबूराव पर यह सितम और हो रहा था.


साला बिजली के प्लग में तीन तार होते ही क्यों है मादरचोद........लंड समझ नहीं आ रहा था की क्या करू......फिर सोचा की चलो......ट्राय करते है.......मैंने लाल तार बिच में .....काला और हरा निचे लगा दिया.....प्लग तो खांचे में लगाया.......यह वाला प्लग खांचे में आसानी से नहीं जा रहा था ......मैंने ज़ोर लगाया और धीरे धीरे खांचे में प्लग को पूरा फसा दिया.


भाभी मेरे पीछे खड़े खड़े ही धीरे से बोली, " हुम्म्म.......अब इस खांचे को सही प्लग मिला है.....इतना मोटा है तो कस कस के जायेगा अंदर और अब जलेगा भी नहीं,,,,,"


भाभी क्या बोल रही थी और क्या बोलना चाह रही थी अपने भेजे में समझ आ नहीं रहा था.....अब स्थिति ये थी की मेरा बाबूराव फुल अटेंशन में मेरे शॉर्ट्स में तम्बू बना चूका था और मैं ऐसी हालत में पलट नहीं सकता था......मैंने एक ठंडी सांस ली और प्लग को अंदर दबाते हुए बिजली का स्विच ऑन कर दिया.....


मुझे ऐसा लगा मानो मेरे हाथ पर हजारो मधुमखियों से एक साथ डंक मार दिया....जैसे मेरा पूरा हाथ सेकण्ड के सौवे हिस्से में हज़ार बार हिल गया....मैंने चिल्लाने की कोशिश की मगर मेरे मुंह से आवाज़ ही नहीं निकली......मेरी आँखों पर अँधेरा सा छा गया.



लल्ला की फटफटी में शॉर्ट सर्किट हो गया था.
 
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