Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 65 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

रत्ना;अपने आँसू पोंछ कर देवा के पास आती है।

देवा;अपनी माँ के तरफ देखता है।

रत्ना;जा देवा अपने बापू को आग दे।
मगर एक बात की कसम खा ले अभी की जिस किसी ने भी तेरे बापू के साथ ये किया है तू उसे भी एक दिन इसी तरह अर्थी पर लिटा के दम लेगा।

रत्ना की आवाज़ में दर्द था। गुस्सा था।
एक जूनून था और इन्साफ की गुहार थी अपने बेटे से की अगर तूने अपने बाप के कातिल को सजा नहीं दिया तो तू मेरी औलाद नही।

देवा;अपनी माँ के सर पर हाथ रख देता है।
मै कसम खाता हूँ माँ तेरे सर की।
आज मै अपने पिता को आग दे रहा हूँ।
बहुत जल्द उनका कातिल भी यहाँ इसी तरह अर्थी पर लेटा होगा।

एक बेटे ने अपने माँ के सर पर
अपने बाप की लाश के सामने कसम खाया था।

जैसे जैसे आग उस चिता से लिपटी चलि जाती है वैसे वैसे देवा के अंदर की आग भी सुलगती चली जाती है।
गुस्सा और जूनून अपने चरम पर पहुँच जाता है।
रुक्मणी देवा और रत्ना तीनो जानते थी की इस के पीछे कौन है।

सभी गांव वाले चिता को आग देकर धीरे-धीरे लौट जाते हैं लेकिन देवा वहीं से बैठा रहता है। तब उसकी मां रत्ना बाद में उसे घर चलने के लिए बोलती है।

रत्ना: कब तक बैठा रहेगा बेटा चल हम लोग घर चलते हैं।
देवा: तुम घर जाओ मैं थोड़ी देर रुक के आता हूं कुछ देर मै अकेले रहना चाहता हूं।

यह सुनकर रत्ना अपने घर लौट आती है ।

तभी देवा को फिर से वो तीनों लोग दिखने लगते है अब देवा को समझ में आने लगा कि वो तीनों कौन है।चूँकि पहली बार सिर्फ एक अधेड़ आदमी मिला था उसने भी अपना चेहरा ढक रखा था और उस दिन वे तीनो एक साथ रात में ही मिले थे और देवा उनका चेहरा ठीक से नहीं देख पाया था। आज भी रात हो चुकी है इसलिए देवा को साफ़ नही दिख रहे है और पिछली बार की तरह तीनों ने अपना चेहरा भी ढका हुआ है।
 
देवा:आप लोग अपना चेहरा क्यों हमेशा मुझसे छुपाये रहते है और सिर्फ मुझे दिखाई देते है क्यों।
देवा का बाप:बेटे हमारे पास अब इंसानो की तरह शरीर
नही है इसलिए हम सभी को दिखाई नहीं देते है । हमारा चेहरा भी सड़ गल चूका है तुम देख नहीं पाओगे।

तुम्हारे साथ हमारा गहरा रिश्ता है इसलिए तुम सिर्फ हमारी परछाई देख रहे हो।

एक देवा का बाप था और बाकि दोनों रुक्मिणी के माता पिता थे।
देवा के पिता बोलते हैं बेटे हमारी आत्मा बहुत दिन से भटक रही थी। आज हमें इस योनि से मुक्ति मिल गई है।
अब हमें ईश्वर के पास जाना ही होगा क्योंकि हमारा बुलावा आ चुका है बड़ी मुश्किल से हमने इतनी देर तक सिर्फ इसलिए इंतजार किया ताकि हम तुमसे अकेले में मिल सके।

देवा: बापू मैं जानना चाहता हूं कि आप लोगों का यह हाल किसने और कैसे किया था क्या हमें बता सकते हैं
आप लोग।

देवा का बाप: बेटे हम ज्यादा कुछ तो नहीं बता सकते लेकिन हमको जिस आदमी ने मारा उसका नाम है हिम्मत राव क्योंकि इससे ज्यादा हम नहीं बता सकते हमें यहाँ ज्यादा देर रुकने का इजाजत नहीं है। हमें जल्द से जल्द जाना होगा।

देवा: मैं आप तीनों से ये वादा करता हूँ की हिम्मत राव की उसके किये की सजा जरूर मिलेगी।

फिर तीनों देवा से आंसू भरी बिदाई लेते हैं और धीरे-धीरे आकाश की तरफ जाकर अदृश्य हो जाते है।

थोड़ी देर के बाद देवा उदास मन से घर लौट आता है।
रत्ना उसका इंतज़ार कर रही थी।
 
हिम्मत राव को भी यी बात पता लग गई थी की देवा ने अपने बाप की लाश ढूंढ़ लिया है और साथ में रुक्मणी को भी अपने माँ बाप की बारे में पता चल गया है।
वो जिस बिल में छुप कर बैठा था अब उसका वहां छुपना खतरे से खाली नहीं था क्यूंकि बहुत जल्द देवा उसे ढूँढ़ते हुए वहां पहुंचने वाला था।

इससे पहले की देवा उस तक पहुंचे हिम्मत वहां से निकल जाता है।

हिम्मत भी देवा का सामना करना चाहता था मगर इस बार आर पार की लड़ाई के लिये।

एक तरफ बाप के कातिल की तलाश थी तो दूसरी तरफ बेटे को भी बाप के पास भेजने की सोच।

सुबह तक अस्थियाँ भी ठण्डी हो जाती है मगर जो आग अंदर जल रही थी वो इतनी आसानी से नहीं बुझने वाली थी।
 
तीन महीनें बाद-
......
..........
.........

अपडेट 99






वक्त किसके लिए रुका है जो यहाँ रुकता
एक एक दिन गुज़रता चला जाता है और दिन महीनो में बदल जाते है।
देवा को अपने बापू को आग दिए हुए तीन महिने बीत चुके थे। मगर अब तक हिम्मत का कोई अता पता नहीं चला था।

देवा ने हर तरफ उसे ढूंढा।
मगर वो ऐसी जगह था जहाँ देवा का पहुंचना मुश्किल था मगर नामुमकिन नही।

रत्ना भी पहले से बेहतर थी।
ममता अपने ससुराल जा चुकी थी।
साथ में प्रिया भी अपनी चूत पर देवा का निशान साथ लिए जा चुकी थी।

गांव वाले भी धीरे धीरे करके वो बात जैसे भूल गए थे। मगर देवा के लिए एक एक दिन किसी चुनौती से कम नहीं था।

देवा;जब से अपने बाप की चिता के पास से आया था।
तब से वो खोया खोया सा रहने लगा था।
सुबह उठता खेतों में चला जाता।
रात में आता और सो जाता।
ना उसे किसी से बात करना अच्छा लगता था न किसी के साथ वक़्त गुजारना।
उसकी ये हालत देख शालु नीलम और खास कर रत्ना बहुत परेशान हो गई थी।

दिन ब दिन देवा का व्यवहार और संजीदा होने लगा था
वो रत्ना की तरफ भी नहीं देखता था।
ये सोच कर की वो अपनी माँ से कैसे नज़रें मिलाए
क्यूंकि अब तक वो अपने बाप के कातिल तक नहीं पहुँच पाया था।

शालु और नीलम रत्ना के पास बैठी थी।

शालु;रत्न मुझे बहुत डर लग रहा है।
जीस तरह देवा बदल गया है मुझे उसे देख घबड़ाहट होने लगी है। तू उसकी माँ है उसे समझा।
उसे सांसरिक बना दे रत्ना वरना मुझे डर है कहीं हम देवा को खो ना दे।

रत्ना;हाँ मुझे भी उसे देख चिंता सताने लगी है
ठीक से बात भी नहीं करता।
जब देखो अपने ख्यालों में खोया रहता है।
नीलम तू उससे बात करके देख।

नीलम;माँ मैंने एक नहीं कई बार कोशिश की मगर वो मेरी एक नहीं सुनता।
कहते है जब तक अपनी माँ को दिए वचन नहीं पूरा कर लेते तब तक ऐसे ही रहेंगे।

शालु नीलम दोनों रत्ना के पास कितनी देर बैठ कर अपने घर चले जाते है और रत्ना खुद को उस वक़्त के लिए धीरे धीरे तैयार करने लगती है।
जिस बात से वो भाग रही थी।
 
शालु की बात रत्ना के दिल में घर कर जाती है।
उसे सबसे ज़्यादा प्यार देवा से था।
उसे ठीक करने के लिए रत्ना कुछ भी कर सकती थी
कुछ भी.......
वो खुद से पूछती है।
क्या मै सच में देवा के लिए कुछ भी कर सकती हूँ।
सब कुछ।
हर वो चीज़ जो देवा चाहता है।
जब ये ख्याल उसके दिल से टकराता है तो एक चमकदार बिजली सी लहर उसके पूरे बदन में दौड जाती है।

रत्ना अपनी आँखें बंद कर लेती है।
और अब तक जो जो देवा उसके साथ करता आया है और जो वो करना चाहता है। सब बाते उसकी आँखों के सामने से गुज़रने लगता है।

उसके हाथ अपने आप गर्दन से होते हुए उसकी चुचियों तक पहुँच जाते है।
एक मदमस्त गठीली औरत जो पिछले कई सालों से लंड के लिए तड़प रही थी।

आज रत्ना खुद को बहुत हल्का महसूस कर रही थी।
शालु की बातें उसे अंदर ही अंदर तोड मरोड़ रही थी।
शालु कुछ देर पहले उसे कहके गई थी की देवा को सांसरिक बना दे।

रत्ना;इसका मतलब अच्छी तरह जानती थी।
वो जानती थी देवा क्या देख कर वापस इस दुनिया में आ जायेगा।
वो क्या चीज़ है जिसकी महक जब उसके नाक में जाएँगी तो उसका दिमाग सारी बातें भूल कर
बस रत्ना का दिवाना हो जायेगा।

रत्ना;अपनी आँखें खोल लेती है।
और अपने रूम में कुछ सोच कर चली जाती है।
आज उसका दिल उस दिन की तरह धड़क रहा था जिस दिन देवा के बापू ने पहली बार रत्ना को सुहागरात के वक़्त नंगा किये थे।
रत्ना खुद को आईने में देखते हुए अपनी साड़ी
अपना पेटिकट अपना ब्लाउज और पेंटी उतार कर बिस्तर पर फ़ेंक देती है।
आज उसका दिल ये सब पहनने के लिए नहीं कह रहा था।

वो एक छोटा सा बाक्स खोलती है
उस बक्से में वही मंगलसूत्र था जो कुछ महिने पहले देवा ने उसे दिया था।

रत्ना;उस मंगलसुत्र को अपने हाथ में लेती है
फिर अचानक से उसे क्या होता है की वो उसे अपनी चूत पर रख कर धीरे धीरे दबाने लगती है।
उउन्ह उन्हह आह्ह्ह्ह।
यही वो चूत थी जिसे कई बार देवा चाट चूका था मगर अब तक इसकी गहराई नाप नहीं पाया था।
आज रत्ना भी चाहती थी की देवा हर उस जगह पहुँच जाये जहाँ वो हमेशा से जाना चाहता था।
 
उधर शालु और नीलम घर पहुँच जाते है।
पिछले दो महिने से शालु और नूतन का बुरा हाल था।
देवा ने उन की तरफ एक बार भी नहीं देखा था
और पप्पू का चप्पु कभी कभार ही चलता था।
वो भी कुछ वक़्त के लिये।
उसके लूल्ली में वो ताकत नहीं था जो औरत को चीखने पर मजबूर कर दे।

दोनो औरतें अपनी चूत की आग आपस में बुझा रही थी।

नुतन को पहले ममता की चूत चाटने में मजा आता था और अब ये आदत उसने अपनी सास को भी लगा दी थी।
नीलम और पप्पू के सो जाने के बाद दोनों सास बहु
शालु के रूम में रात भर नंगी रहती और अपनी चूत में बैगन डाल डाल कर उसे ठण्डा करने की कोशिश करती। मगर लंड जैसा मज़ा किसी में नहीं आता।

नुतन पप्पू नीलम और शालु को खाना देने के बाद उनके साथ खाना खाने बैठ जाती है।

नीलम और पप्पू अपनी धुन में खाना खा रहे थे मगर शालु की नज़रें बार बार नूतन के ब्रैस्ट की तरफ जा रही थी और नूतन बार बार अपने होठो को दाँतो के नीचे दबा कर शालु से कुछ कहना चाहती थी।

पप्पू और नीलम खाना खा कर रूम में सोने चले जाते है
नुतन सारे बर्तन उठा कर उन्हें धोने चलि जाती है।

शालु भी उसका हाथ बटाने उसके साथ घर के पीछे चलि जाती है।
वो लोग वहीँ अपने कपडे और बर्तन धोया करते थे।

नुतन सलवार कमीज में थी और शालु साडी में।
दोनो आस पास बैठ कर बर्तन साफ़ कर रही थी।
दोनो चुप थी मगर आँखें सब कुछ कह रही थी।

शालु;क्यूँ री छिनाल क्या देखे जा रही है कब से मुझे।

नुतन ;तेरी चूत की महक आ रही थी मुझे
वो सूँघ रही थी।

शालु; रंडी है तू नूतन मुझे पता होता तो कभी मेरे बेटे से तेरी शादी नहीं करती।

नुतन ;तुम भी कहाँ कम हो सासु माँ। देवा से भी चुदवाती हो अपने बेटे से भी और अब अपनी बहु की चूत के पीछे पड़ी हो।

शालु;चल जल्दी जल्दी साफ़ कर छिनाल कहीं की फिर तुझे बताती हूँ ।
 
कुछ महिनो में ये दोनों एक दूसरे के इतनी क़रीब आ गयी थी जितनी कभी सोची भी नहीं होंगी दोनों ने।

जहां नूतन अपनी सास से गाली से तो कभी प्यार से बात करती थी अकेले में । वही शालु भी नूतन की चूत में ऊँगली डाल कर उससे खूब अपनी गाण्ड और चूत चटवाती थी।

दोनो जल्दी जल्दी अपने काम निपटाकर घर में चली आती है।
पप्पू और नीलम उस वक़्त तक सो चुके थी।

दोनो जल्दी से शालु के रूम में चली जाती है और शालू झट से नूतन का हाथ पकड़ कर उसे अपने बिस्तर पर गिरा देती है।

शालु; छिनाल रंडी अब बता तेरी चूत।
बहुत बातें कर रही थी न । कल रात भी तुने मेरी चूत को इतने ज़ोर से काटी की अब तक दुःख रही है।

नुतन ;अपनी सलवार कमीज उतार कर नंगी हो जाती है
ओर शालु की साडी के अंदर अपने हाथ डाल कर अपने हाथ को उसकी फुली हुई चूत पर रख देती है।

शालु;अंदर कुछ नहीं पहनती थी।
जब से दोनों सास बहु एक दूसरे की चूत की दिवानी हुई थी तब से दोनों अंदर कुछ नहीं पहनती थी।
जब मौका मिलता शालु अपनी साडी उठा लेती और नूतन कुतिया की तरह उसकी चूत सूँघते हुए वहां चली आती और अपनी ज़ुबान से शालु की चूत चाटने लगती।

दोनो सास बहु पूरी तरह नंगी हो चुकी थी और बिस्तर पर एक दूसरे से चिपक कर चूत से चूत और चूचि से चूचि रगड रही थी।

नुतन ;अपनी दो उँगलियाँ शालु की चूत में घुस्सा देती है।
छिनाल सासु है तू मेरी
देवा से चुदवा नहीं सकती तो मेरे पीछे पड़ी है।
आह्ह्ह।

शालु;हरामज़ादी उन्हह इतनी अंदर मत घुस्सा आह्ह्ह
दरद होता है ना।
तेरी माँ ने यही सीखा कर भेजी थी तुझे की अपनी सास की चूत और गाण्ड चाटना आह्ह्ह्ह।

नुतन;हाँ मेरी माँ ने यही सीखा कर भेजी थी
वो अपने होठो को शालु के होठो पर रख देती है।
 
और दोनों सास बहु एक दूसरे की चूत को सहलाते हुए होठो को खोल कर मुँह में ज़ुबान डाल कर एक दूसरे का थूक चाटने लगती है।गालपप गलप्प।

शालु;आहह बिटिया आहह गलप्प गलप्प

नुतन;मेरी चूचि का दूध पियो न सासु माँ....
मुझे बहुत अच्छा लगता है जब तुम खीच खीच कर उसे पीटी हो आह्ह्ह्ह्ह्ह।

शालु;उठ कर बैठ जाती है।
दोनो हाथों में नूतन के बड़े बड़े संतरो को पकड़ कर पहले उन्हें ज़ोर ज़ोर से मसलने लगती है और
जब वो हाथों में नहीं समाते तब अपने मुँह उन दोनों पर बारी बारी लगा कर नूतन के निप्पल्स को अपने मुँह में लेकर उसे चुसने लगती है।



नुतन; अपना एक हाथ नीचे डाल कर शालु के ब्रैस्ट को मसलने लगती है।
दोनो औरतें लंड की आस में इतनी गरम हो चुकी थी की उन्हें पता भी नहीं था की उन्हें पप्पू देख रहा है।

शालु;बिस्तर पर लेट जाती है और अपने दोनों पैर खोल देती है।
आजा मेरी छिनाल अपनी माँ की चूत में घुस जा।

नुतन ;मुस्कुराते हुए अपनी ज़ुबान से पहले ढेर सारा थूक शालु की चूत पर गिराती है और फिर उसी थूक को शालु की चूत के पानी के साथ चाटने लगती है गलप्प गलप्प गलप्प।

शालु;आहह मेरी गाण्ड में भी ज़ुबान डालल आह्ह्ह्ह।
बिटिया धीरे ना।


नुतन;बहुत मीठी चूत है सासु माँ तेरी गलप्प गलप्प आअह्हह्हह्हह।
वह हलके से शालु की चूत के दाने को काट लेती है जिसकी वजह से शालु की कमर ऊपर की तरफ उठती चलि जाती है
पुरा बदन ऐठने लगता है और शालु की आँखों के सामने देवा का लहराता हुआ लंड घुमने लगता है।

शालु;मुझे चोद मेरी बिटिया आह्ह्ह्ह।
आह देवा को बुला ला ना।
आह माँ आआआआआ।

नुतन ;अपनी ज़ुबान को नीचे लाते हुए शालु की गाण्ड भी चाटने लगती है।

शालु;इशारे से नूतन को अपनी कमर उसके मुँह की तरफ करने के लिए कहती है और जैसे ही दोनों ६९ की पोजीशन में आ जाते है।
शालु भी नूतन की चूत पर टूट पडती है और पूरे रूम में सिसकारियों की आवाज़ें गूँजने लगती है।
दरवाज़े पर खड़ा पप्पू ये देख अपनी लूल्ली को सहलाने लगता है।
आज पहली बार उसका लंड भी इतना बड़ा हो गया था जैसा कभी नहीं हुआ था।
शायद अपनी माँ और पत्नी को इस हालत में देख उसके लंड ने भी जवानी की करवट मारी थी।

पप्पू;बिना आवाज़ किये रूम में चला आता है।
 
उधर देवा खेत से घर आ चुका था।
वो रत्ना को आवाज़ देता है।

देवा;माँ कहाँ हो खाना दे दो बहुत भूख लगी है।

अचानक दरवाज़ा खुलता है।
और हुस्न की मल्लिका
अपने पूरे शबाब में बाहर निकालती है।
हाथों में हरी हरी चूडियाँ।
बदन पर सिर्फ ब्लाउज और लहंगा पहने हुए।
गले में देवा का दिया हुआ मंगलसुत्र।
होंठो पर मुस्कान लिए वो देवा की तरफ बढ़ती है।

देवा ने इससे पहले उसे कभी इस हाल में नहीं देखा था।
आज वो स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी।
रत्ना;अपनी जवानी के दिनों में जितनी खूबसूरत लगती थी आज वो वैसे ही लग रही थी।

देवा का मुँह खुला का खुला रह जाता है।
उसके माथे पर पसीना आने लगता है।
सबसे ज़्यादा हैरत उसे इस बात की थी की आज रत्ना ने मंगलसुत्र पहनी थी।

रत्ना;देवा के क़रीब आती है।
भूख लगी है ना।
बोल क्या लेगा।
वो अपने दोनों ब्रैस्ट को हलके से हिलाते हुए देवा की तरफ देखते हुए कहती है।

देवा;सब कुछ भूल जाता है।

रत्ना के बदन से आती हुई महक उसे दिवाना बना रही थी।
उसे पहले तो यक़ीन नहीं हो रहा था की वो रत्ना ही है और जब यक़ीन हुआ तो पैरों तले की ज़मीन खिसक गई थी।

देवा;खाना खाने बैठ जाता है।
और रत्ना उसे खाना परोस कर उसके सामने बैठ जाती है।

देवा;बार बार रत्ना की तरफ देख रहा था।

रत्ना;आज बहुत गर्मी है ना देवा।
ये कहते हुए रत्ना अपने ब्लाउज के ऊपर के तीन बूटनों में से दो खोल देती है।
बाहर आने को बेताब ब्रैस्ट आधे से ज़्यादा बाहर की तरफ आ जाते है।
ब्रा नहीं होने की वजह से रात के अँधेरे में भी रत्ना के दोनों ब्रैस्ट जुगनू की तरह चमक रहे थे।

देवा;आज तुम बहुत सुन्दर लग रही हो।
माँ आआआआ.....

रत्ना;हलके से मुस्कुरा देती है।
और देवा की बात अनसुनी करके इधर उधर देखने लगती है।

देवा;तुमने मेरा मंगलसूत्र पहना है रत्ना।

रत्ना;हाँ ये पड़े पड़े ख़राब न हो जाये इसलिए मैंने सोची इसे पहन लेती हूँ।
अब जब इसे देने वाला तैयार है तो मै इसे क्यों न लूँ।
अपने गले में।
इसलिए पहन ली अच्छा लग रहा है न।
 
देवा;बहुत सुन्दर लग रहा है तेरे गले में।

रत्ना;देवा के सामने झुकती है।
और कुछ लेगा इतना कम क्यों खा रहा है।
ऐसे खाएगा तो जल्दी थक जायेगा।
बहुत मेंहनत करनी है तुझे देवा।
वो देवा की आँखों में झाँकते हुए कहती है।

देवा;अगर ऐसी बात है तो मुझे दूध दे दे माँ।
दूध से मुझे बहुत शक्ति मिलती है और काम में भी मन लगा रहता है।

रत्ना;दूध तो अभी कच्चा है मैंने तपाया नही।

देवा;मुझे कच्चा दूध सबसे अच्छा लगता है माँ।

रत्ना;देवा के पास आकर अपना हाथ सीधा उसके लंड पर रख कर ज़ोर से दबा देती है।
क्या बच्चे जैसा माँ माँ लगा रखा है।
बड़ा हो गया है अब तु।
तेरी रत्ना तेरे नाम का मंगलसुत्र पहन सकती है और तू अब भी बच्चा बना हुआ है।
जा मै तुझसे बात नहीं करती।
ये कहकर रत्ना बनावटी ग़ुस्सा दिखाते हुए अपने रूम में चली जाती है।

देवा;खाना ख़तम करके नहाने चला जाता है।
जब वो नहा कर अपने रूम में आता है तो उसे खुद में बहुत बदलाव नज़र आता है।
उसका जिस्म एकदम पत्थर की तरह सख्त हो चूका था और लंड था की बैठने का नाम नहीं ले रहा था।


वो कपडे पहनने लगता है मगर फिर न जाने क्यों अपने बदन पर सिर्फ टॉवल लपेट कर रत्ना के रूम में चला जाता है।


जब वो रत्ना के रूम में पहुँचता है तो रत्ना
बिस्तर पर पड़ी नज़र आती है।
वो उसके पास जाकर बैठ जाता है।
और धीरे से उसे आवाज़ देता है।
रत्ना..........
 
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