Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन - Page 5 - SexBaba
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Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन

ससुरजी की आँखें गुस्से से लाल थी. उनका लंबा मोटा लंड और उसकेऊपर से उनका गुस्सा दोनो मिल के मेरी गान्ड का बुरा हाल कर रहें थे. ससुरजी मेरी गान्ड में अपना लंड बेरहमी से अंदर बाहर कर रहें थे. वो अपने लंड को हथियार के जैसे इस्तेमाल कर रहें थे.

हरेक धक्के पे वो ‘ये ले साली रांड़, येले’ कर के चिल्ला रहें थे. मेरी गान्ड में इतना दर्द तो मुझे पहली बार किचुदाई में भी नही हुआ था.

मैंपे पेट तले लेटी थी और ससुरजी ने अपने हाथो से मेरे दोनो हाथ पकड़लिए थे. वो मेरे दोनो हाथ पीठ पीछे करके खीच रहें थे. मेरे हाथके खीचने से मुझे हाथो में बहुत दर्द हो रहा था लेकिन गान्ड केदर्द के सामने कुछ भी नही था.

ससुरजी अब झरने के नज़दीक थे ‘सालिरंडी, तू फिर से मेरे लंड का पानी निकालने वाली हैं आआआहह’ ऐसा कह के ससुरजी ने मेरे हाथ और ज़ोर्से खीचे और पूरी ज़ोर से मेरी गान्ड मारने लगे.

‘नही पिताजी आाआऐययईईईईई प्लेआसेनिकालो आाआईयईईई’

‘चुप बैठ, आज से हर रोज़ तेरा यही हाल होने वाला हैं आआआआअहह….’ ससुरजी का झरना शुरू हो गया.

‘आआआआआअहह….. आआआआअहह…’ उनका मोटा लंड मेरी छोटी सी गान्ड में झटके खाते हुए वीर्य छोड़ने लगा. हमेशा की तरह इसबार भी ससुरजी के लंड मेंसे ढेर सारा वीर्य बह रहा था. पता नहिकितने मिनट तक ससुरजी ऐसे ही झरते रहें. में चिल्ला चिल्ला कर उनसे भीख मांगती रही. आख़िर उनका झरना बंद हुआ.

तभी अचानक मेरी नज़र दरवाज़े पेपड़ी. इतेफ़ाक से डिज़िल्वा उसी वक़्त मुझे मिलने आया था. वो घर के अंदर आयातो अंदर का नज़ारा देख दंग रह गया.

ससुरजी का झरना अब बंद हो गया था और वो अब मेरे उपर लेट गये थे, वो पीछे से मेरे गलेको अपनी जीब सेकुत्ते की तरह चाट रहें थे और अपना लॉडा मेरी गान्ड में धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहें थे.

में डिज़िल्वा को देख कभी इतनी खुश नही हुई थी. डिज़िल्वा तेज़ी से आया और बिना कुछ कहे साइड से ससुरजी को एक जोरदार लात लगा दी.

‘आआआआआ मर् गयाआआ’ ससुरजी उछल कर साइड में गिर पड़े और उसके साथ उनका लंड बाहर निकल गया.

‘साले मादर्चोद’ डिज़िल्वा ने ससुर्जीको तीन चार लाते और ज़ोर से लगा दी. ससुरजी दर्द से चिल्लाते रहें. डिज़िल्वा ने मुझे उठा लिया और मुझ पे चादर डाल के घर के बाहर जाने लगा.ससुरजी दर्द से ज़मीन पे चिल्ला रहें थे और गाली दे रहें थे. ‘सालेभेन्चोद तुझे क्या लगता हैं में तुम लोगों को चैन से बैठने दूँगा, तुम सब को में ख़तम करके रख दूँगा’

हम घर की ओर चल पड़े. रास्ते में डिसिल्वा ने गाड़ी रोक के मेरे लिए कपड़े और एक मरहम खरीद लिया. मैनेगाडी में ही कपड़े पहेन लिए. डिज़िल्वा मुझे दिलासा दे रहा था, पर मेरा दुख कम नही हो रहा था और में रोती रही. तभी मा ने डिज़िल्वा को फ़ोन किया.

‘जी सुनते हो, तुम घर मत आना, घर पेबहुत सारी पोलीस आ गयी हैं और वो लोग तुम्हे और मानसी को ढूंड रहे हैं, उनके पास तुम्हारी गिरफ्तारी का वॉरेंट हैं’

मेरे ससुरजी की पहुँच बहुत लंबी थी और उन्होने पोलीस को कह दिया था कि मैने और डिज़िल्वा ने उनके उपर हमला किया था.

‘हम घर नही जा सकते’ डिज़िल्वा नेकहा ‘में पोलीस कमिशनर से बात करके देखता हूँ’

डिसिल्वा पोलीस कमिशनर को अच्छी तरहसे जानता था.

उसने फोन लगा के बाते की.

कमिशनर ने कहा ‘देखो में इसमेकूछ नही कर सकती, ऑर्डर उपर से आया हैं, इस परबत सिंग की पहुँच दिल्ली तक हैं, तुम कुछ दिनो के लिए अंडरग्राउंड हो जाओ, बात ठंडी हो जाएगी तो उसके बाद में संभाल लूँगी’

डिज़िल्वा ने मुझे सारी बात बता दी. हम दोनो एक बड़े होटेल में चले गये और एक रूम बुक कर दिया. मुझे चलने में तकलीफ़ हो रही थी और डिज़िल्वा मुझे चलने में मदद कर रहा था. उसने मेरा हाथ अपने कंधे पे रख अपने दूसरे हाथ से मेरी कमर को पकड़ा हुआ था. मेरे बड़े बूब्स उसके कंधे पे घिस रहें थे. मेरे जवान बदन के अहसास से उसका लंड खड़ा हो गया था. पर उसने मेरे साथ कोई गंदी हरकत नही की.

हम आख़िर कमरे में पहुच गये और डिज़िल्वा ने मुझे बिस्तर पे लेटा दिया. मेरी गान्ड का दर्द कम होने का नाम नही लेरहा था और मे रोती रही.

‘अब रोना बंद भी कर्दे’ डिज़िल्वा ने मुझेकहा. उसने अपनी जेब से मरहम निकाला और कहा

‘चल घूम जा में तुझे मरहम लगादेता हूँ’

में घूम के अपने पेट तले घूम गयी. डिज़िल्वा ने मेरा स्कर्ट उपर कर दिया. मैने पैंटी नही पहनी थी. मेरी गोरी गान्ड को देख डिज़िल्वा के लंड में हलचल हो रही थी. लेकिन वो जानता था कि ऐसे दुख के समय पे मुझे कोई ग़लत चीज़ नही करनी थी. उसने अपनी दो उंगलियो में क्रीम लेके धीरे धीरे मेरी गान्ड के छेद के आस पास क्रीम लगाना शुरू कर दिया. क्रीम के ठंडे एहसास से मुझे थोड़ा बहुत अच्छा लगने लगा. लेकिन असली दर्द तो छेद के अंदर था. डिज़िल्वा भी ये जानता था. दो मिनिट बाद डिज़िल्वा ने थोडा और क्रीम अपनी एक उंगली पे लगाके आधी उंगली मेरी गान्ड में डाल दी. ठंडी क्रीम के एहसास से मुझे अब बहुत अच्छा लगने लगा था. डिज़िल्वा अपनी मोटी उंगली मेरी गान्ड में डाल उसको गोल गोलघुमा रहा था. फिर उसने धीरे से एक और उंगली मेरी गान्ड में घुसा डाली.काफ़ी देर तक डिज़िल्वा ऐसा ही करता रहा.

उसको अब बहुत सेक्स चढ़ गया था औरदूसरे हाथ से उसने अपनी ज़िप खोल के अपना मोटा लॉडा बाहर निकाल दिया.डिज़िल्वा ने अपना मोटा लॉडा बाहर निकाल दिया था और उसको धीरे धीरे हिला रहा था. मैं अपने दोनो हाथों से अपनी गान्ड फैलाने लगी. मेरी भी अब चूत गीली हो गयी थी पर इतना सब कुछ होने के बाद में सेक्स नही करना चाहती थी.

कुछ देर और क्रीम लगाने के बाद अचानक डिज़िल्वा ने एक उंगली मेरी गीली चूत मे भी डाल दी. अब वो अपनी उंगलियाँ मेरी चूत और गान्ड में डाल अंदर बाहर कर रहा था. दूसरे हाथ से उसने अपनी पतलून खोल दी थी और अपने लंबे लंड को सहला रहा था.

अब मेरी गान्ड पे जो क्रीम थी वो सुख गई थी. डिज़िल्वा ने मेरी गान्ड के अंदर से उंगलियाँ निकाल दी. चूत के अंदर उसने उंगली घुमाना जारी रखा.

‘प्लीज़ निकालो मत डॅडी मज़ा आ रहा हैं’

‘डॉन’ट वरी मानसी’ कह के डिज़िल्वा आगे झुक गया और अपनी मोटी जीब मेरी गान्ड के छेद पे घुमाने लगा.

उसकी नरम, मोटी और गीली जीब के अहसास से मेरे बदन में करेंट फैल गया.

‘आआआअहह’ में सिसकियाँ भरने लगी. डिज़िल्वा अपनी जीब मेरी गान्ड के छेद पे ज़ोर से घुमा रहा था. अबमेरी गान्ड का दर्द पूरा चला गया था और मेरी चूत में आग लग चुकी थी.

‘प्लीज़ दूसरी उंगली डालो डॅडी’ मुझे चूत में दो उंगलियो की ज़रूरत थी. पर डिज़िल्वा को अब अपने लंड की प्यासभुजानी थी.

डिज़िल्वा से रहा नही गया और उसने मुझे घुमा के पीठ तले लेटा के मेरे पैरों के बीच बैठ गया…
 
डिज़िल्वा से रहा नही गया और उसने मुझे घुमा के अपनी पीठ तले लेटा के मेरे पैरों के बीच बैठ गया.
‘ये क्या कर रहे हो’ मुझे सेक्स नही करना था.
‘प्लीज़ मानसी मुझसे रहा नही जाता, देखो मेरी हालत’ डिज़िल्वा ने अपने लौडे पे इशारा करते हुए कहा. ऐसा कह के उसने अपना लॉडा मेरी गीली चूत के छेद पे रख उसको उपर नीचे रगड़ने लगा. डिज़िल्वा का काला गरम लंड मेरी चूत पे रगड़ने से मेरी चूत और भी गीली हो रही थी. मेरे जिस्म में भी आग लग चुकी थी. फिर भी मुझे सेक्स नही करना था.
‘प्लीज़ डॅडी ऐसा मत करो’ मैने उससे विनती की.
‘आआआआअहह मानसी प्लीज़ तोड़ा करने दो’ डिज़िल्वा प्लीज़ कह रहा था लेकिन उसने मेरे पैर ज़बरदस्ती फैला के रखे थे और वो अब रुकने वाला नही था. वो अब अपना शरीर नीचे मेरे उपर ला रहा था.
मैने अपने दोनो हाथ डिज़िल्वा की छाती पे रख उसको दूर धकेल रही थी लेकिन उसका कोई फ़ायदा नही हुआ. डिज़िल्वा मेरी गीली चूत के एहसास से बहुत उत्तेजित हो गया था.
अब वो मेरे उपर पूरा लेट गया.
उसके शरीर के वजन से में अब हिल नही पा रही थी. उसने एक हाथ से मेरा सर पकड़ के अपने होंठ मेरे होंठो पे लगा दिए. उसने अपनी जीब बाहर निकाल मेरे होंठो के बीच घुसाने के कोशिश करने लगा. मेरे होंठ ना खोलने पे उसने अपनी जीब से मेरे होंठ और चेहरे को नीचे से उपर तक चाटने लगा.
‘आआअहह मेरी प्यारी बेटी अपने डॅडी का थोड़ा ख्याल रखो आआआआआहह’ बोल के डिज़िल्वा ने अपनी गान्ड पीछे ले कर अपना लंबा लॉडा मेरी चूत में घुसाना शुरू किया.
डिज़िल्वा का मोटा लंड मेरी चूत को फैला के अंदर जाने लगा. उसका तगड़ा गरम लंड मेरी चूत में जाते ही मेरा सारा सबर टूट गया. मेरे मूह से ‘आआआआहह’ करके आवाज़ निकल गयी. मैने अपने होंठो को खोल अपनी जीब बाहर निकालके डिज़िल्वा की जीब से मिला दी.
डिज़िल्वा अपनी गान्ड आगे धकेल अब अपना आधा लंड मुझे में घुसा चुका था.
‘आआहह मानसी तेरे जैसी तो कोई नही आआआहह’ डिज़िल्वा ने मुझे सिर्फ़ अपने आधे लंड से धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया. उसका मोटा लॉडा मेरी चूत को फेला रहा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. धीरे धीरे उसने अपने और मेरे कपड़े उतार दिए थे. अपनी सौतेली बेटी की टाइट चूत के एहसास से डिज़िल्वा को मज़ा आ रहा था.
पता नही कितनी देर तक डिज़िल्वा ने मुझे धीरे से चोद चोद के पूरा पागल कर दिया.
‘प्लीज़ डॅडी पूरा अंदर डालो’
ये बात सुनके डिज़िल्वा ने अपना लंबा लॉडा लगभग पूरा बाहर निकाल एक ज़ोरदार झटका लगाके अपना पूरा लॉडा अंदर घुसेड दिया. अचानल पूरा लॉडा अंदर जाने से में दर्द से चीख पड़ी. लेकिन ये दर्द बहुत मीठा था.
धक्के के ज़ोर से मेरा बदन बिस्तर पे सरक के आधा बाहर हो गया. अब मेरी कमर बिस्तर के धड़ पे थी, मेरा सर ज़मीन पे था. डिज़िल्वा ने मेरे पैर पकड़ मुझे और सरकने से रोक लिया और मुझे ज़ोरदार धक्के लगाना शुरू कर दिया. मेरा नंगा बदन अपने सामने देख डिज़िल्वा पागल हो रहा था. हरेक धक्के पे मेरा सारा बदन हिल रहा था, मेरे बूब्स उछल रहें थे और मेरे मूह से ‘आआआहह आआआअहह’ की आवाज़ निकल रही थी. मेरे बड़े बूब्स पे मेरे गुलाबी निपल, मेरी पतली कमर और सेक्सी कटरीना कैफ़ जैसा चेहरा को डिज़िल्वा अपनी नज़रो से पी रहा था. मेरी टाइट गीली चूत में उसने अब और तेज़ी से लॉडा अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था.
‘आआआहह आआआहह’ करके में एक तगड़े लंड की चुदाई का मज़ा ले रही थी. डिज़िल्वा के लंड ने मुझे अपना सारा दुख भुला दिया था.
मैने अपनी आखें बंद करके सिर्फ़ डिज़िल्वा के लंड का एहसास लेने लगी. ऐसा करने से दो ही मिनिट में मेरा झरना शुरू हो गया.
‘आआआआआहह दड्दयययययययययययी और ज़ोर से डॅडी आआअहह’ करके में झरने लगी. मेरी चूत डिज़िल्वा के मोटे लौडे पे सिकुड रही थी. मेरे चेहरे पे सेक्स देख डिज़िल्वा से भी रहा नही गया और वो ‘आआआअहह मंसस्स्स्स्स्स्स्सिईईईईईईईई’ करके झरने लगा.
डिज़िल्वा का झरना शुरू होते ही उसने मुझे पूरी ज़ोर से अपने पूरे लौडे से चोदना शुरू कर दिया. हरेक धक्के पे उसके लंड से पानी की पिचकारी मेरी चूत में निकल रही थी. इतना वीर्य निकला डिज़िल्वा ने की हरेक धक्के पे चप चप आवाज़ आने लगी. दो तीन मिनिट में डिज़िल्वा के मोटे बॉल्स में से सारा वीर्य मेरी चूत में निकल चुका था लेकिन हम दोनो का झरना बंद नही हुआ था. डिज़िल्वा धक्के लगाता गया और में अपनी गांद उछाल उछाल के उसके धक्के का जवाब देती गयी. कुछ और मिनिटो के बाद आख़िर हमारा झरना बंद हुआ.
इतनी तगड़ी चुदाई ले कर मेरा सारा बदन पसीने से लत पत हो गया था और में ज़ोर से साँसे ले रही थी. डिज़िल्वा के हाथो इतने दिनो बाद चुद के मुझे मज़ा आ गया था. ऐसे दुख के समय इतनी अच्छी चुदाई का मज़ा लेके मेरे दिल को थोड़ी राहत मिली थी. मैं और डिज़िल्वा बिस्तर पे सो गये.
कुछ देर सोने के बाद हम जागे. मैने अपने कपड़े पहेन लिए लेकिन देसील्वा नंगा ही रहा. उसका बैठा हुआ लॉडा भी बहुत मोटा और लंबा दिख रहा था. और उसके नीचे उसके बड़े बॉल्स देखके तो मेरे मूह में पानी आ गया. में सोच रही थी कि मा कितनी खुश नसीब थी कि उसको डिज़िल्वा जैसे मर्द से शादी करने का सौभाग्य मिला. हम ने मा को घर पे फोन लगाया
मा फोन पे बहुत फिकर कर रही थी ‘तुम ठीक तो हो ना बेटी ? यहाँ हमारे घर के आगे बहुत पोलीस खड़ी हैं. तुम दोनो घर मत आना. ऐसा करो तुम गोआ में शीला मौसी के यहाँ चली जाओ’
‘पर गोआ तक इतने दूर क्यूँ मा? क्यूँ ना हम दादाजी के पास जाए ?’
‘नहीं बेटी, तुझे पता हैं ना कि हम तुम्हारे दादाजी से रिश्ता तोड़ चुके हैं’
मा और मौसी अपने खुद के पिता कन्हैयालाल के साथ बचपन में ही रिश्ता तोड़ बैठी थी. मुझे उन्होने हमेशा कहा था कि हमारे लिए दादाजी मर चुके थे और घर पे कभी भी उनके बारे में बात नही की जाती थी. बचपन में दो तीन बार दादाजी घर आए थे मुझसे मिलने लेकिन उस वक़्त भी मा ने उनको बेइज़्ज़त करके घर से निकाल दिया था. मुझे मा ने कभी ये नही बताया था कि उसने और मौसी ने दादाजी के साथ रिस्ता क्यूँ तोड़ दिया था.
‘पर मा, ऐसे बुरे वक़्त पे अपने परिवार वाले ही मदद करते हैं, और तुम तो जानती हो मौसी की डॅडी से बनती नही हैं’
मौसी को डिज़िल्वा पसंद नही था. मौसी हमेशा रंग रूप और उन्च नीच को बहुत महत्व देती थी. उसने मा को कहा भी था कि वो डिज़िल्वा से शादी ना करे क्यूंकी वो काला था और उसकी हेसियत मा से बहुत कम थी. कई बार मौसी ने डिज़िल्वा की हेसियत को लेकर उसका अपमान किया था. डिज़िल्वा ने मा का लिहाज रख अपना मूह बंद रखा था.
 
‘देख तू मेरी बात गौर से सुन ले, तू सीधी गोआ, मौसी के पास चली जा और दादाजी का ख्याल भी अपने दिमाग़ में मत लाना तुझे मेरी कसम’
‘ठीक हैं मा ’
‘में कुछ दिन बाद गोआ आ जाउन्गि, तुम फोन अपने डॅडी को दो’
मैने डिज़िल्वा को फोन दिया.
‘हेलो अमित तुम प्लीज़ अपना और मानसी का ख्याल रखना’
‘डॉन’ट वरी डार्लिंग में उसका ठीक से ख्याल रख रहा हूँ’ डिज़िल्वा ने मुझे देखते हुए कहा.
‘जी मुझे आपसे कुछ प्राइवेट बात करनी हैं, आप प्लीज़ मानसी को वहाँ से दूर भेजिए’ मा को सेक्स की बात करनी थी डिज़िल्वा के साथ.
‘मानसी यहाँ नही हैं वो बाथरूम में गयी हैं, तुम बोलो’ डिज़िल्वा ने झूट बोला, उसने मेरा हाथ पकड़ मुझे वहाँ से जाने से रोक लिया और फोन का स्पीकर चालू कर दिया.
‘अमित अगर आप यहाँ नही होगे तो मेरे बदन की आग कौन बुझाएगा, तुम्हारे तगड़े लंड के बिना तो में पागल हो जाउन्गि डार्लिंग’
डिज़िल्वा मुझे देख मुस्कुरा रहा था. मुझे मेरी मा के मूह से गंदी बातें नही सुननी थी लेकिन ऐसी शरारती चीज़ करते हुए मुझे मज़ा भी आ रहा था.
‘क्या कुछ दिनो के लिए भी तुम से मेरे लंड के बिना रहा नही जाएगा क्या ? तुम क्या कोई रांड़ हो’
‘हां में रांड़ हूँ, लेकिन मुझे रांड़ तुम्ही ने बनाया हैं.तुम तो जानते हो अमित अगर मुझे तुम्हारा लंड रात को नही मिलता हैं तो मुझे नींद नही आती, में तो तुम्हारे लंड की दीवानी हूँ’
में डिज़िल्वा से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन साथ साथ मा के मूह से ये बातें सुन के मुस्कुरा रही थी.
‘बात तो ठीक हैं मेरी जान, पता नही इस पोलीस के चक्कर के कारण हमे कितने दिन दूर रहना पड़ेगा. ऐसा करते हैं में तेरे लिए दो आदमियों का इंतज़ाम करता हूँ, में दो तगड़े आदमियों को जानता हूँ, दोनो चुदाई में एक्सपर्ट हैं’
‘ये आप क्या कह रहें हो’
‘अरे इसमे ग़लत क्या हैं, में जानता हूँ तू एक नंबर की रांड़ हैं, ऐसा करते हैं कि जब तक हम एक दूसरे से दूर हैं तू उनसे मज़ा ले और में कही और से मज़ा लेने की कोशिश करता हूँ.’
ये बात कह के डिज़िल्वा ने मेरा हाथ खीच के अपने लंड पे घिसने लगा. उसका लंड अब फिर से खड़ा हो रहा था.
‘जी ठीक हैं जैसा तुम कहो’ असल में दो तगड़े लंड की बात सुनके मा के मन में लड्डू फुट रहें थे.
‘ठीक हैं. उन दोनो के नाम फ़ैसल और तनवीर हैं. में उनसे अभी बात करलेता हूँ, वो कुछ देर के बाद तेरे पास आजाएँगे. चल अब में चलता हूँ बाइ’
फोन रखने के बाद डिज़िल्वा ने फ़ैसल और तनवीर को फोन लगा के मा के पास तुरंत जाने को कह डाला. हम फिर खाना खाने चले गये.
खाना खाने के बाद हम दोनो उपर अपने कमरे में वापस आए. डिज़िल्वा मुझे गंदी नज़र से देख रहा था. मुझे पता था कि वो फिर से सेक्स करना चाहता था, लेकिन मुझे सेक्स नही करना था.
‘चलो तुम्हारी मा से बात करते हैं देखते हैं कि वो दोनो पहुँचे की नही’ डिज़िल्वा ने मा को फोन लगा दिया. उसने फोन का स्पीकर फिर से ऑन रखा.
‘हेलो’
‘हेलो सावित्री, क्या वो दोनो आगये ?’
‘जी हां वो अभी अभी आए, क्या मानसी हैं वहाँ पे?’
‘नही वो खाना खाने गयी हैं, क्या कर रही हो तुम’
‘मैं यहाँ बेडरूम में हूँ दोनो के साथ’
डिज़िल्वा समझ गया कि सावित्री देवी को थोड़ा भी इंतेज़ार नही हुआ था और वो उन दोनो से चुदाई का मज़ा ले रही थी.
‘क्या कर रहें हैं वो तुझे’
‘जी तनवीर मुझे बिस्तर पे लेटा के चोद रहा हैं आआआहह, और ज़ोर से तनवीर आआआअहह’
मुझे वहाँ से चला जाना चाहिए था लेकिन मा की सेक्स की बातें मुझे सुननी थी.
‘फ़ैसल कहाँ हैं’
‘जी में उसका लंड चूस रही थी पर में अब फोन पे हूँ इसलिए वो इंतेज़ार करते हुए मेरे गालों पे अपना लॉडा रगड़ रहा हैं’
‘उन दोनो से इतनी जल्दी चुदाई शुरू कर दी तूने. थोड़ा भी इंतेज़ार नही किया साली बेशरम रांड़’
‘आआआहह हाया दोनो मस्त तगड़े मर्द हैं आआआअह्ह्ह्ह्ह, और ज़ोर से तनवीर आआआआहह’
अपनी मा के मूह से गंदी बातें सुन कर मुझे सेक्स चढ़ रहा था. डिज़िल्वा से भी मा की चुदाई सुन रहा नही गया और वो खड़ा हो गया और अपनी पतलून खोल अपना मोटा लंड बाहर निकाल दिया. अपनी बीवी की चुदाई सुनके उसका लंड टाइट हो कर खड़ा हो चुका था. फोन पे चुदाई सुनते हुए उसने अपना लॉडा दूसरे हाथ मे लेकर हिलाना शुरू कर दिया.
डिज़िल्वा के हाथ में उसका मोटा लॉडा देख मेरी चूत में हलचल होने लगी. मेरे मूह में पानी आ रहा था. वो अपने हाथ से अपने लंड की चमड़ी को आगे पीछे कर रहा था. मुझे उसका मोटा लॉडा और उसके नीचे उसके बड़े बॉल्स देख मज़ा आ रहा था. मुझसे अब रहा नही गया. में उसके सामने जाकर ज़मीन पे बैठ गयी और उसका हाथ उसके लंड से हटा दिया.
अपनी जीब बाहर निकालके मैं उसके लंड के उपर के हिस्से को प्यार से चाटने लगी.
फिर उसकी आँखों में देखते हुए मैने उसका लंड दोनो हाथों में ले लिया और अपना मूह पूरा खोलके उसके लंड के उपर के हिस्से को अपने मूह में ले लिया और चूसने लगी.


दोस्तो कहानी अपने समापन की तरफ चल पड़ी है
 
‘आआआआआहह’ डिज़िल्वा के मूह से आवाज़ निकल गयी. मेरे नरम लाल होंठो को अपने लंड पे महसूस करके डिज़िल्वा को मज़ा आ गया था.
‘आआआहह मानसी ज़ोर से चूसो’ मेने पूरे ज़ोर से अपने गीले होंठो से चूसना जारी रखा, और साथ ही अपनी जीब को उसके लंड पे घिसने लगी. दोनो हाथों से उसके मोटे लंड को धीरे धीरे हिलाती रही.
डिज़िल्वा नीचे देख खुश हो रहा था. अपनी कटरीना कैफ़ जैसी सेक्सी सौतेली बेटी के मूह में उसका लंड देख वो बहुत उत्तेजित हो गया था.
‘और मूह में लो मानसी’. मैने अपना एक हाथ लंड पे से हटा दिया और पूरा ज़ोर लगाके 6 इंच तक डिज़िल्वा के लौडे को मूह में ले के चूसना शुरू कर दिया. इससे ज़्यादा में अपने मूह में समा नही सकती थी.
डिज़िल्वा ने फोन साइड पे रख अपने दोनो हाथ मेरे सर पे रख दिए और मुझे उसके लंड की ओर खीचने लगा. में जानती थी उसको क्या चाहिए था. उसको अपना पूरा लंड मेरे मूह में डालना था. मुझे पता था कि पूरा लंड मूह में जाने से मेरा क्या हाल होगा लेकिन में डिज़िल्वा का ठीक से शुक्रिया अदा करना चाहती थी. मैने हिम्मत करके डिज़िल्वा के लंड पे से अपना दूसरा हाथ निकाल दिया. अगले ही पल डिज़िल्वा ने अपनी गान्ड आगे धकेल के और मेरे सर को अपनी और खीच लिया और उसने पूरा लॉडा मेरे मूह में ठूंस दिया.


‘आआआआअहह’ डिज़िल्वा अब अपनी बेटी के मूह को अपने 10 इंच के लौडे से चोद रहा था. मुझे बहुत तकलीफ़ हो रही थी और मेरे आखों से आँसू निकलने लगी. मेरे जबड़े में दर्द होने लगा. डिज़िल्वा बहुत ही धीरे धीरे मेरे मूह की चुदाई कर रहा था. वो जल्दी झरना नही चाहता था. में जानती थी कि में और मूह की चुदाई बर्दाश्त नही कर पाउन्गि और मैने अपना हाथ डिज़िल्वा की गान्ड पे रख अपनी एक उंगली उसकी गान्ड में डाल दी. अचानक गान्ड में उंगली जाने से डिज़िल्वा चोंक गया और उसका झरना शुरू हो गया. वो अब तेज़ी से मेरे मूह में अपना लॉडा अंदर बाहर करने लगा. डिज़िल्वा का गाढ़ा वीर्य सीधा मेरे हलक में उतर रहा था. दो तीन मिनिट तक ढेर सारा वीर्य निकाल आख़िर उसका झरना बंद हुआ. झरने के बाद उसने धक्के लगाना बंद करके अपना लंड निकाला और मुझे थोड़ी राहत मिली. मैने अपना हाथ उसके लंड पे रख उसके लंड की चमड़ी पीछे ले कर उसके लौडे पे से बाकी का सारा वीर्य चाट चाट के सॉफ कर दिया.
देसील्वा को इस तरह से खुश करके मुझे बहुत अछा लगा.
कुछ देर बाद हम मौसी के घर के लिए निकल पड़े.
 
मा की तरह मौसी भी बहुत ही सुंदर थी. सब कहते थे कि वो बिल्कुल श्रीदेवी जैसी लगती हैं. उनकी उमर कुछ 35 साल की थी लेकिन मेरी मा की तरह वो भी अपनी उमर से बहुत छोटी दिखती थी. उनकी शादी हुई थी कई साल पहले लेकिन कुछ ही दिन में उनका डाइवोर्स हो गया था. अब वो गोआ में रहती थी उनका बीच के नज़दीक एक बड़ा सा घर था. घर में कुछ नौकरों के सिवा वो अकेली ही रहती थी. मेरी और मौसी की खूब बनती थी.
डिज़िल्वा मुझे मौसी के घर छोड़ कही और चला गया. उसकी और मौसी की बनती नही थी इसलिए उसने फ़ैसला किया कि वो कही और अपना इंतज़ाम कर लेगा.
यहाँ वहाँ की बातें करके आख़िर मैने मौसी से नानाजी के बारे में बात की.
‘हम पहले नानाजी के यहाँ जाने वाले थे लेकिन मा नें मना कर दिया’
‘तुझे पता हैं ना नानाजी के साथ हम रिस्ता तोड़ चुके हैं’ मौसी ने कहा.
‘पर मुझे ये नही समझ में आता कि आप दोनो ने नानाजी के साथ बिल्कुल रिश्ता क्यूँ तोड़ दिया, अगर उनसे नही बनती तो कम्से कम थोड़ी बहुत तो बातचीत कर सकते हो, मेरी शादी पे भी आपने उनको नही बुलाया था’
‘तुझे पता नहीं वो कितने गिरे हुए आदमी हैं’
‘ये आप क्या कह रही हो मौसी’
‘तू अब बड़ी हो गयी हैं तो में तुझे तेरे नानाजी के बारे में बता सकती हूँ…’
ये कह कर मौसी ने मुझे मेरे नानाजी कन्हैयालाल की असलियत के बारे में बताना शुरू किया.
 
मौसी ने कहा:,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तू तो जानती हैं तेरे नानाजी कन्हैयालाल बहुत बड़े ज़मींदार हैं. हमारी मा यानी तेरी नानी ने बचपन से हमेशा अपनी बेटियों को नानाजी से दूर रखा. हम जब पूछते तो वो कहती कि नानाजी बहुत गुस्से वाले हैं इसीलिए. बचपन से ही हमे बड़ी सी बोरडिंग स्कूल में भेज दिया था. छुट्टियों पे घर आते तो नानी हमेशा हमारे आस पास रहती और कभी भी हमे नानाजी के साथ अकेले नही रहने देती.
फिर जब मा की उमर *****साल की थी और में ****साल की थी तब अचानक नानी की तबीयत बिगड़ गयी. उसी वक़्त मा की दसवीं की एग्ज़ॅम चल रही थी. नानी की तबीयत के कारण मा एग्ज़ॅम में फैल हो गयी. हम दोनो बोरडिंग स्कूल से घर वापस आ गये. घर वापस आते ही कुछ दिनो में नानी का स्वरगवास हो गया.
नानी के गुज़रने के कुछ ही वक़्त बाद में एक दिन अपनी गुड़िया से खेल रही थी. हमारे घर पे एक कमरा था जहाँ पिताजी का सब ज़मींदारी का हिसाब किताब होता था. वहाँ पर आम तोर पे मुनीम जी काम किया करते थे. मुनीम जी लगभग 60 साल के थे, बचपन से ही हम उनको प्यार से मुनीम अंकल कहते थे. उस कमरे में कोई नही था. में साइड के एक टेबल के नीचे जा कर अपनी गुड़िया से खेल रही थी. तभी वहाँ नानाजी और मुनीम जी आए.
नानाजी मुनीम जी से बात कर रहें थे ‘तो इसका मतलब आज से ये सारी जायदाद जो मेरी बीवी के नाम थी उसका मालिक सिर्फ़ में हूँ?’
‘जी हुकुम’
‘और मेरी बेटियाँ के नाम कुछ भी नही ?’
‘जी हुकुम सारी कारवाही भी पूरी हो गयी हैं’
‘बहुत खूब हहहे अब तो जश्न मनाने का वक़्त हैं, सावित्री को बुला के यहाँ लाओ’
‘जी हुकुम, में अभी सावित्री बेबी को लेकर आता हूँ’
में टेबल के नीचे छुपी रही.
‘जी पिताजी आपने मुझे बुलाया ?’ मुनीम जी मा को लेकर आए.
नानाजी के हाथ में मा की दसवीं का रिज़ल्ट था.
‘ये क्या हैं’
‘जी वो मा की तबीयत ठीक नही थी इसलिए मुझसे ठीक तरह से पढ़ाई नही हुई’
‘हमारे घर में आज तक कोई फैल नही हुआ, साली कुत्ति’ ऐसा कह के नानाजी ने मा को एक कस के चाँटा लगा दिया.
मा का गाल लाल हो गया और उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे. आज तक उसको ज़िंदगी में किसी ने डांटा भी नही था. उसको अपने गाल के दर्द से ज़्यादा नानाजी की गाली और मुनीम जी के सामने अपमानित होने का दुख ज़्यादा हुआ.
‘तुम्हारी मा ने दोनो बेटियो को बिगाड़ के रख दिया हैं. तुझे सज़ा देनी होगी’
‘मेरी छड़ी लाओ मुनीम जी’ मुनीम जी ने कही से एक छड़ी लादी.
‘चल अब टेबल पर झुक जा’
‘जी ये क्या कह रहें हो पिताजी’
‘सुनाई नही देता ? लगाऊ एक और चाँटा’ नानाजी ने अपना हाथ उपर किया
डर के मारे मा टेबल पे झुक गयी. उसके टेबल पे झुकते ही नानाजी ने रस्सी निकालके उसके हाथ टेबल के साथ बाँध दिए.
‘ये क्या कर रहें हो पिताजी, जाने दो मुझे’
‘अगर हाथ नही बाँधा तो ठीक से सज़ा कैसे दूँगा तुझे’
ऐसा कह के नानाजी ने मा का स्कर्ट एक झटके में उपर कर दिया.
‘आए ये क्या कर रहें हो पिताजी, मुझे जाने दो, में अब बच्ची नही हूँ’ मा अपने हाथ रस्सी से निकालने की कोशिश करने लगी.
‘चुप बैठ सावित्री, अगर बचपन में छड़ी से सज़ा दी होती तो अपने बाप के सामने ऐसे ज़बान नही चलाती’
 
नानाजी ने ऐसा बोलके मा की पैंटी भी निकाल दी. अब मा की गोरी गान्ड और उसके नीचे उसकी गुलाबी कुँवारी चूत नानाजी और मुनीम जी के सामने थी. मा को अब समझ में आया कि नानाजी किस तरह की सज़ा की बात कर रहें थे. मा टेबल पे झुकी हुई बिल्कुल लाचार थी. नानाजी अब जो चाहे उसके साथ कर सकते थे.
फिर नानाजी ने अपने हाथ की छड़ी को उठा की मा की गान्ड पे कस के मार दिया.
मुझे आज भी याद हैं छड़ी के पहले वार पे मा ज़ोर से चीख पड़ी और उसकी गोरी गान्ड पे एक लाल लकीर लग गयी. नानाजी का चेहरा देख मुझे सॉफ दिख रहा था कि उनको मा को छड़ी से मारने में मज़ा आ रहा था. वो अब लगातार मा को छड़ी से मारने लगे.
‘हहहे’ करके नानाजी अपनी बेटी को छड़ी से मारते हुए हंस रहें थे. मा की गान्ड अब पूरी लाल हो गयी थी. उसकी आँखों से दर्द और शरम के आँसू निकल रहें थे.
मुनीम जी साइड पे खड़े हो कर नज़ारा देख रहे थे. उनके होंठो पे हल्की मुस्कान थी और वो अपना हाथ अपनी पतलून के उपर से अपने लंड पे रगड़ रहें थे. सावित्री बेबी की गोरी चिकनी गान्ड और उसके नीचे उसकी चिकनी चूत को देख उनके लौडे में हलचल हो रही थी. उनका लॉडा टाइट हो कर खड़ा हो गया था. बचपन में जिस सावित्री बेबी के साथ वो खेला करते थे वो अब एक खूबसूरत जवान लड़की बन चुकी थी और उसके गोरे जवान जिस्म के बारे में सोच सोच के कई बार मुनींजी अपना लंड हिला चुके थे.
आख़िर नानाजी ने मा को मारना बंद किया.
नानाजी ने मुनीम जी को देख के कहा ‘मज़ा आ रहा हैं मुनीम जी हहहे’
‘जी हुकुम ? ये आप क्या कह रहे हो.’
‘तुझे क्या लगता हैं में बेवकूफ़ हूँ ? मैने देखा है तू सावित्री को किस नज़र से देखा करता हैं साले हरामी’
‘जी ऐसा कुछ नही हैं हुकुम’
‘तो क्या तेरा लंड मुझे देख के खड़ा हुआ हैं ?’
‘जी हुकुम वो बीवी को मरे कई साल हो गये हैं इसलिए…’
‘तूने मुझे जायदाद अपने नाम करने में अच्छी मदद की हैं मुनीम, ये ले तेरी वफ़ादारी का इनाम’ नानाजी ने मा की ओर इशारा करते हुए कहा.
‘ये आप क्या कह रहें हो हुकुम ? भला हम नौकर की इतनी मज़ाल कैसे हो सकती हैं’
‘क्यूँ तुझे इसको देख के कुछ करने का मन नही होता हैं क्या ?’
‘जी होता तो हैं हुकुम लेकिन ….’
‘चल, जल्दी पतलून उतार वरना में इसका स्कर्ट नीचे करता हूँ’
मुनीम जी ने झट से अपनी पतलून निकाल दी. पतलून ज़मीन पर जा गिरी. उनका 8 इंच का काला लॉडा पूरा खड़ा हो चुका था. मा ने घूम के पीछे देखा. मुनीम जी अपना मोटा लॉडा धीरे धीरे सहलाते हुए मा की तरफ़ जा रहे थे.
‘मुनीम अंकल ये आप क्या कर रहे हो’ मा ने ज़िंदगी में कभी किसी मर्द का लंड नही देखा था. मुनीम जी का मोटा 8 इंच का लॉडा देख वो घबरा गयी थी.
मुनीम जी ने आगे बढ़ के अपने दोनो हाथ मा की गान्ड पे रख दिए. 16 साल के मखमल जैसे गोरे बदन पे अपना हाथ पा कर मुनीम जी पागल हो रहें थे. उन्होने दोनो हाथो से मा की गान्ड को ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया.
मा ने हमेशा मुनीम अंकल को अपने पिता का दर्जा दिया था और अब उनके हाथो इस तरह इस्तेमाल हो कर उसको घिन आ रही थी.
‘प्लीज़ मुनीम अंकल में आप की बेटी जैसी हूँ’
मुनीम जी को अब कुछ सुनाई नही दे रहा था, जबसे मा की जवानी उभरने लगी थी तबसे हर रोज़ मुनीम जी उसके बारे में सोच सोच के मूठ मार रहें थे. अब मा की सोलाह साल की जवान चूत को चोदने का मौका वो किसी भी हाल में गवाना नही चाहते थे. उनसे अब रहा नही जा रहा था. उन्होने गान्ड मसल्ते हुए अपने लंड के उपर का हिस्सा मा की चूत के छेद के आस पास घिसना शुरू कर दिया. में कोने के टेबल के नीचे बैठ के सब कुछ देख रही थी.
‘नही प्लीज़ मुनीम अंकल, में कुँवारी हूँ’
ये बात सुन के मुनीम जी ने झिझकति नज़र से नानाजी को देखा.
‘रुक मत साले मुनीम, अपना काम कर’
सावित्री बेबी की कुँवारी चूत को चोदने का नसीब पा कर तो मुनीम बिल्कुल पागल हो गया.
‘हहहे हुकुम आप बहुत दयावान हो हहहे’ मुनींजी की साँसें अब बहुत तेज़ हो गयी थी. उनसे रहा नही जा रहा था.
मा रोते हुए उनसे भीक मांगती रही
‘प्लीज़ मुनीम अंकल जाने दो मुझे’
‘हहहे सावित्री बेबी, फिकर मत करो, में बहुत धीरे से डालूँगा…’

लेकिन उन्होने किया बिल्कुल उल्टा और अपना पूरा ज़ोर लगा के लंड मा की चूत में धकेला. लंड के उपर का हिस्सा मा की चूत में घुस गया.
मा ज़ोर से चीख पड़ी. ‘आाआऐययईईईईईईईईईईईई नहियीईईईई’
मुनीम जी तो इतना उत्तेजित हो गये थे कि अपना लंड अंदर डालते ही उनका झरना शुरू हो गया. झरना शुरू हो जाने के कारण उन्होने अपना लंड और ज़ोर से मा की कुँवारी चूत मे आगे घुसेड़ा.
इतनी टाइट चूत में अपना लंड डालने के लिए बहुत ज़ोर लगाना पड़ रहा था उनको. उनके लंड से अब वीर्य निकलना शुरू हो गया था, मा की टाइट चूत ने उनके लंड को एकदम कस के जाकड़ लिया था. आख़िर पूरा लंड अंदर घुस ही गया.
‘नहियीईईईई आाआआईयईईईईईईईई’ मा चिल्लाति रही
पूरा लंड मा की चूत में डालने के बाद उन्होने झरते झरते बहुत ही ज़ोरदार धक्के लगाना जारी रखा.
‘आआहह सावित्री बेबी आआआअहह ये लो बेबी आआआआआआअहह ये लो’
 
इतनी बहरहमी से अपनी बेटी का बलात्कार देख नानाजी खुश हो रहें थे, वो आगे झुक के मा के चेहरे को देख रहें थे. मा के चेहरे पे दर्द देख उनको मज़ा आ रहा था. उनकी पतलून में उनका लॉडा खड़ा हो चुका था.
मा इतनी बुरी तरह से चुद कर दर्द के मारे मुनीम जी के नीचे छटपटा रही थी. दो तीन मिनिट की चुदाई के बाद ही मुनीम जी का झरना बंद हो गया और उन्होने अपना लॉडा बाहर निकाला. लंड निकालने के साथ मा की चूत से काफ़ी वीर्य भी निकलने लगा. मा की जाँघो पे काफ़ी खून भी बह चुका था. मा ने सोचा कि कम से कम अब तो उसकी तकलीफ़ कम होगी, पर उसको आगे जो होने वाला था उसका अंदेशा नही था.
नानाजी अब मा के पीछे आ गये थे और उसकी गोरी चिकनी गान्ड को देख रहे थे ‘साले हरामी मुनीम, 2 मिनिट में ही ख़तम ? में तुझे दिखाता हूँ ठीक से सज़ा कैसे दी जाती हैं’ ये बात सुनकर मा की आँखे फैल गयी. नानाजी ने अपनी पतलून खोलके अपना लॉडा बाहर निकाल दिया. इतना ख़तरनाक द्रिश्य मा ने ज़िंदगी में नही देखा था. नानाजी का लॉडा कोई इंसान नही पर कोई गधे के लंड के जैसा था. पूरा 10 इंच लंबा और बहुत ही मोटा.
‘इस बार छड़ी से नही में इससे तुझे सज़ा दूँगा हहहे’ करके नानाजी मा के पीछे आ कर खड़े हो गये.
मा को यकीन नही हो रहा था कि उसके पिता ऐसी गंदी हरकत कर सकते हैं. मैं कोने की टेबल के नीचे बैठ के सब कुछ देख रही थी.
‘ये आप क्या कह रहे हो पिताजी’
‘सुनाई नही दिया तुझे हहहे’ बोलके नानाजी ने दोनो हाथो से मा की गोरी गान्ड को मसलना शुरू कर दिया. गान्ड मसल्ते मसल्ते नानाजी गान्ड को फैला के उसके छोटे से गुलाबी छेद को देख रहें थे. उन्होने अब फ़ैसला कर लिया था कि इस छोटी सी गान्ड को वो अब अपने 10 इंच के लंड से फाड़ के रख देंगे.
नानाजी ने गान्ड को हाथो से मसलना जारी रखा और अपना लंड गान्ड के छेद पे टिका कर उसको उपर नीचे घिसना शुरू कर दिया. इसके एहसास से उनके शरीर में एक करेंट फैल गया. अपने खुद के पिता का लंबा लंड अपनी गान्ड पे रगड़ते महसूस करके मा को घिन आ रही थी. वो रोते हुए उनको रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
‘आआआअहह बरसो की तमन्ना आज पूरी होगी हहहे बहुत मज़ा आएगा’
‘ये आप क्या कर रहें हो पिताजी, ये बहुत बड़ा पाप हैं’ माँ ने रोते हुए कहा
‘चुप बैठ साली, इतने साल तेरी मा ने तुम दो बहनों को बचा के रखा, लेकिन आज में बरसो की प्यास भुजा के ही रहूँगा’
दोनो हाथो से मा की छोटी सी गान्ड फैलाते हुए नानाजी ने अपने लौडे का उपर का हिस्सा मा की गान्ड के छोटे से छेद पे रखके ज़ोर से आगे धकेला
‘आाआऐययईईईईई’ मा ज़ोर से चिल्ला बैठी
‘अरे चिल्लाति क्यूँ हैं, अभी तो लंड अंदर गया भी नही’ ज़ोर लगाने के बावजूद नानाजी का लॉडा अंदर नही गया था. गान्ड का छेद बहुत ही छोटा था.
नानाजी ने नीचे देखते हुए मा की गान्ड के छेद पे दो तीन बार थूक दिया. फिर उन्होने अपने दोनो हाथ पे थूक दिया और थूक को दोनो हाथों से अपने मोटे लौडे पे फैला दिया.
‘अब देखते हैं अंदर कैसे नही जाता’
इस बार नानाजी ने लंड से और एक तगड़ा धक्का लगाया. उनका मोटा लॉडा मा की गान्ड को चीरते हुए दो इंच तक अंदर घुस गया.
‘आआअहह साली राआआंणनद आआहह कितनी छोटी गान्ड हैं तेरी’ नानाजी पागल की तरह चिल्ला रहें थे. अपनी ही बेटी की टाइट गान्ड में अपना लंड डाल उनको मज़ा आ गया था.
पूरे शरीर का वज़न नीचे की ओर धकेल नानाजी धीरे धीरे अपना लॉडा मा की छोटी से गान्ड में घुसेड रहें थे.
मा दर्द सहेन नही कर पा रही थी. जैसे जैसे नानाजी का लंड अंदर जा रहा था मा अपने होश खो रही थी.
आख़िर कुछ मिनिट ज़ोर लगाने के बाद नानाजी का पूरा लंड मा की छोटी सी गान्ड में घुस गया. कन्हैयालाल ने ज़िंदगी में कई लड़कियों की कुँवारी गान्ड का बलात्कार किया था, घर की नौकरानियाँ, अपने खेतों में काम करने वाले किसानो की बीवियाँ, कर्ज़दारों की बीवियाँ और यहाँ तक कि सुहाग रात पे भी उन्होने सबसे पहले अपनी पत्नी की कुँवारी गान्ड का ही बलात्कार किया था. लेकिन आज तक इतनी छोटी गान्ड मारना नसीब नही हुआ था.
‘आआआअहह क्या गान्ड हैं तेरी सावित्री, आज तक इतनी टाइट गान्ड की चुदाई नही की आआआहह अब हर रोज़ तेरी गान्ड मारूँगा आआआहह…’
पर मा बेहोश हो गयी थी.
 
‘अरे तू तो बेहोश हो गयी, मुनीम साली के चेहरे पे पानी डाल, ये अगर चिल्लाएगी नही तो मज़ा नही आएगा’
मुनीम ने टेबल पे पड़े पानी का ग्लास हाथ में लेकर मा के चेहरे पे पानी डाल दिया. मा को अब होश वापस आ गया. होश के साथ उसका गान्ड का दर्द का एहसास भी वापस आ गया.
‘आाऐययईईईईईई जाने दो पिताजी ये क्या कर रहें हो’ रोते रोते मा ने आधे बेहोशी की हालत में पिताजी से भीक माँगी.
नानाजी अब झड़ने वाले थे. ‘जाने देता हूँ बेटी, बस दो मिनिट और हहहे’ नानाजी ने गान्ड की और तेज़ी से चुदाई शुरू कर दी.
‘आाऐययईईईईईई आआआआआआऐययईईईईईईईई ज़ाआाआआआआनए दो आआआआआऐययईईईईईईईईईईईई’ मा अब ज़ोर से चिल्ला रही थी. उसके चिल्लाने से और छटपटाने से नानाजी को मज़ा आ रहा था और उनका झरना शुरू हो गया.
पूरे ज़ोर से अपनी बेटी की गान्ड मारके नानाजी अपना पानी उसकी गान्ड में निकालने लगे. आगे झुक के उन्होने अपनी उंगली मा के मूह में घुसा दी और मा के होंठो को साइड से खीचने लगे. ‘आआआहह ये ले साली आआआआहह’
नानाजी झरते वक़्त बहुत ही बहरहमी से मा की गान्ड में अपना लॉडा अंदर बाहर कर रहें थे. वो अपना पूरा 10 इंच का लॉडा बाहर निकालते और फिर ज़ोरदार धक्का लगा के उसको पूरा अंदर घुसेड देते. हरेक बार उनका लॉडा अंदर जाता मा के मूह से चीख निकल जाती और लौडे मे से ढेर सारा वीर्य गान्ड में निकल जाता. आख़िर कुछ मिनिट झरने के बाद नानाजी ने धक्के लगाना बंद किया.
नानाजी ने मा के बँधे हाथ खोलते हुए कहा ‘हहहे अब में थोडा थक गया हूँ, कुछ देर बाद जाके तेरी बहेन को भी तमीज़ सिखानी हैं’. अपनी 12 साल की बहेन के बारे में नानाजी के मूह से ऐसी बात सुन मा बहुत ही डर गयी. हम उसी वक़्त अपना सामान इकट्ठा करके बंबई हमारे मामाजी के घर भाग आए. उस दिन के बाद हम ने नानाजी के साथ रिश्ता तोड़ दिया.
 
मौसी के मूह अपनी प्यारी मा के बलात्कार की कहानी सुन के मेरे आँखों से आँसू निकलने लगे. मैने भी फ़ैसला कर दिया कि में कभी नानाजी का जिकर नही करूँगी.
वहाँ बंबई में सारी पोलीस को मेरे और डिज़िल्वा के पीछे लगा के ससुरजी आराम से नही बैठे थे. उन्होने अपने आदमियों को भी मुझे और डिज़िल्वा को ढूँढने भेज दिया था. उनके पास जंगल में एक बंगला था जहा कई साल पहले वो जवान लड़कियों का अपहरण करवा के उनका रेप किया करते थे. जैसे उनका बेटा बड़ा होता गया उन्होने लड़कियों को अगवा करवाना धीरे धीरे बंद कर दिया.
लेकिन अब अपने बेटे के मरने के बाद उन्होने फिर से अपनी पुरानी हरकते शुरू करने का फ़ैसला कर दिया था. उन्होने अपने दो ख़ास आदमियों को बुलाया. घनशु और भीकू ने परबतसिंघ के लिए नज़ाने कितनी लड़कियो का इंतज़ाम किया था.
‘सलाम साब, कहिए आप, किस को उठाना हैं’
‘मेरे लिए तुम लोगों के लिए बहुत काम हैं. लेकिन सबसे पहले इसको उठाना हैं’
ससुरजी ने जेब से एक फोटो निकाली.
‘ये हैं ट्विंकल चोपड़ा. चोपड़ा इंडस्ट्रीस के मालिक की एकलौती बेटी, 18 साल की हैं’
‘वाह साब टॉप का माल हैं. बिल्कुल रिया सेन जैसी देखती हैं’
‘वो तो हैं, लेकिन एक बात समझ लो लड़की को मेरे पास लाने से पहले एक बार भी हाथ मत लगाना ठीक हैं? में जानता हूँ कैसे थर्कि हो तुम दोनो. और लड़की मिल जाय फिर उसको मेरे जंगल वाले बंगले में लेके आना’
‘जी ठीक हैं साब’
घन्शु और भीकू के पास एक काली वॅन थी. उन्होने इस वॅन को लड़कियों का अपहरण करने में कई बार इस्तेमाल किया था. वो वॅन में जा के ट्विंकल चोपड़ा के घर के सामने उसका इंतेज़ार करने लगे. कुछ देर बाद ट्विंकल बाहर आई. वो रास्ते के साइड पे आकर खड़ी हो गयी. वो अपने बाय्फ्रेंड का इंतेज़ार कर रही थी.
घन्शु और भीकू ने अपनी वॅन ट्विंकल के नज़दीक ला दी. दोनो ने अपने चेहरे पे काला नक़ाब पहेन लिया. वॅन ट्विंकल के पास आ कर रुक गयी और पीछे का दरवाजा खुल गया. अंदर घन्शु को नक़ाब मे देख ट्विंकल डर गयी.
घन्शु अपने हाथों से ट्विंकल को पकड़ वॅन में खीचने लगा. भीकू भी साइड से आकर ट्विंकल को वॅन के अंदर धकेलने लगा.
‘आाआईयईईईईईईई कौन हो तुम लोग, जाने दो मुझे’. दो ही सेकेंड में ट्विंकल वॅन के अंदर थी. दो नक़ाब वाले आदमियो को देख वो डर गयी थी और गुस्से में गाली भी दे रही थी.
‘आआईयईईई ये क्या कर रहें हो, यू अशोल, फक्किंग बस्टर्ड लेट मी गो, तुम जानते हो में किसकी बेटी हूँ ?’. दो ही सेकेंड में ट्विंकल वॅन के अंदर थी और दरवाज़ा बंद था.
‘अरे ज़रा इसको देख भीकू, क्या चीनी हैं, बिल्कुल रिया सेन जैसी दिखती हैं’ ऐसा बोल के घन्शु ने ट्विंकल को जाकड़ लिया और उसके कपड़ो के उपर से ही उसके बूब्स को ज़ोर से दबाने लगा.
‘अरे घन्शु तुझे पता हैं ना माल को हाथ नही लगाना हैं’
‘हाथ नही तो थोड़ा चख ही लेता हूँ’ ऐसा बोलके घन्शु ने अपना नक़ाब थोड़ा उपर कर के मूह खोल अपनी जीब बाहर निकाल दी. ट्विंकल ने अपना सर उसके बदबूदार मूह से दूर लेने की नाकाम कोशिश की. घन्शु अपनी जीब से ट्विंकल के चिकने चेहरे को चाटने लगा. कुत्ते की तरह वो उसके गालों, नाक और बंद होंठ पे अपनी जीब चलाता गया.
‘स्टॉप इट यू बस्टर्ड, जाने दो मुझे’
‘हाई क्या माल हैं’ कह कर घन्शु उसको चाटता रहा.
‘हेल्प बचाओ’ ट्विंकल चिल्लाने लगी.
‘बंद कर इसका मूह’
भीकू ने एक कपड़ा ला कर ट्विंकल के मूह पे बाँध दिया और घन्शु को और कुछ करने से मना किया.
‘बस कर अब साले हरामी, हमे अब निकलना हैं, गाड़ी चालू कर’ भीकू ने कहा.
‘करता हूँ यार दो मिनिट थोड़ा माल को तराश तो लू’. ऐसा बोले के उसने ट्विंकल की टी-शर्ट को उपर कर दिया. उसने ब्रा नही पहनी थी. उसके जवान बूब्स देख घन्शु और भीकू के लौडे खड़े हो गये. ट्विंकल अपने पेट तले ज़मीन पे लेटी हुई थी. वो ‘म्म्म्मूममम म्म्म्म मम’ करके चिल्लाने की कोशिेः करती रही.
 
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