Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 71 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

अपने खेतो के पास जाते हुए उसे एक झोपडी दिखाई दी, वो पदमा की थी, और देवा को याद आया की पदमा से मिले हुए कितने दिन हो चुके है और पदमा तो उसके बच्चे की माँ भी बनने वाली है।
यह सोचते हुए देवा ने पदमा के घर का दरवाजा खटखटाया।
कुछ पल बाद पदमा ने ही दरवाजा खोला।
अरे देवा बेटा…
देवा पदमा के मुँह से बेटा सुनकर थोड़ा आश्चर्य में आया पर जब उसकी नजर थोड़े पास बैठे पदमा के पति पर पड़ी तो वह समझ गया।
नमस्ते पदमा काकी, वो मै अपने खेतो की तरफ जा रहा था तो सोचा आपका हाल चल पता करते चलुँ।
और बिशन काका(पदमा का पति) सब बढ़िया??
बिशन: हाँ बिटवा सब ठीक है…तू बता आज कल कहाँ रहता है…दिखता नही।
अरे काका हम तो यहीं रहते है पर आप नहीं दीखते…
बिशन: बिटुआ तुम तो जानत हो हम गाड़ी चलावत है तो बहुत दिंनो तक नही आवत घर पर…अब कुछ दिनों छुट्टी लेवत…हमरी लुगाई पेट से जो होवत…
देवा: अच्छा काका। मुझे पता है की काकी माँ बनने वाली है। वैसे कौन सा महीना चल रहा है।
देवा ने मुस्कुराते हुए पदमा को आँख मारी और पदमा शर्म में अपना चेहरा दूसरी तरफ करके बोलती है।
पाँचवा चल रहा है देवा बेटा।
देव: अच्छा काकी…ख्याल रख्ना अपना।
और काका तुम बताओ तबियत ठीक है?
बिशन: कहाँ बिटवा आज काल,,उमर खत्म होवत कहाँ ठीक रहत,,,अब अपने नए बिटवा की शकल देखत हम तीर्थ हो आवत।
अरे काका ऐसा न बोलो अभी तो आप काफी जवान हो…
ये बात बोलते हुए उसने पदमा की तरफ देखा जो देवा को एक थप्पड़ दिखा रही थी…
कुछ देर देवा पदमा और बिशन से बाते करता रहा, पदमा को अच्छा लगा की देवा उसका हाल चाल जानने तो आया।

फिर देवा पदमा के घर से निकल कर अपने खेतो की तरफ बिना रुके चल दिया और वहां पहुच कर उसने कुछ नए मजदुर बुलवाये और खेतो में हल चलवाना शुरू करवाया…अब देवा को इस साल की फसल के लिए बीज बोने थे तो हल चलवाना ही था…
1 हफ्ता तो हल चलने में ही लगने वाला था यह सोचते हुए देवा अपने खेतो का मुआयाना कर रहा था।
दोपहर से शाम होने लगी थी देवा आज खेतो में बहुत काम कर रहा था।
कुछ पल बाद शाम के 6 बज चुके थे, देवा दोपहर से मजदूरो से अपने खेतो में काम करवा रहा था, पर अब समय आ चुका था घर जाने का।
तो देवा ने मजदूरो को उसकी देहाड़ी दी और उन्हें रवाना करके सारा सामान खेतो के अस्तबल में रखवाया।
अस्तबल को ताला लगा कर देवा अपने घर की तरफ जा ही रहा था की उसे रुक्मणी और रानी की याद आई, और वो अपना रास्ता बदलकर हवेली की तरफ बढ़ने लगा।
 
अपडेट 110



दूसरी तरफ..... देवा का घर।

रत्ना अभी भी सिर्फ ब्रा और पेंटी पहने हुए ही घर में घुम रही थी, वो सुबह से इसी हाल में घुम रही थी।
पहले उसने ब्रा पेंटी पहनी अपने बेटे देवा के लिए रसोई मै खाना बनाया और फिर घर के बाकी काम भी, झाड़ू लगाना, बर्तन धोना, पोछा लगाना, कपडे धोना। सारा काम सिर्फ ब्रा और पेंटी पहने ही किया था…और उसके गले में मंगलसुत्र भी था देवा के नाम का।
रत्ना अपने बेटे की आदर्श पत्नी बन चुकी थी।
देवा ने उससे जाने से पहले कहा था की वो एक नाईट गाउन में उसका शाम को इन्तजार करे।
रत्ना की नजर घडी पर गयी उसमे ६:३० बज चुके थे।
देवा किसी भी पल आता होगा, मै जल्दी से तैयार हो जाती हूँ।
ये सोचते हुए रत्न ब्रा पेंटी पहने अपने कमरे में जाती है और अपनी अलमारी से एक बहुत ही सुन्दर सा नाईट गाउन निकाल कर पहन लेती है जो थोड़ा पारदर्शी भी था।
और दरवाजे के पास ही खटिया पर बैठ कर देवा के आने का इन्तजार करने लगती है।
दूसरी तरफ.....देवा
देवा हवेली की तरफ जाता है और अंदर पहुच कर देखता है की हवेली के मुख्य दरवाजे पर ताला लगा हुआ है…
ये यहाँ ताला कैसे? ये दोनों कहाँ चलि गयी…
ये सोचते हुए देवा बाहर से गुजर रहे एक व्यक्ति से पूछता है की सब कहाँ गए?
वह व्यक्ति उसे बताता है की रुक्मणी की माँ चल बसी कुछ दिनों पहले, तबसे वो लोग उनके मायके गए हुए है इसलिए यहाँ ताला लगा हुआ है…
देवा यह जानकार सोचने लगा की अब नही लगता की रुक्मणी और रानी काफी दिनो तक वापस गाँव आयेंगे।
दूसरी ओर पदमा पेट से है, तो देवा उससे भी नहीं चोद सकता, शालु और नूतन घर पर है तो वहाँ पर नीलम भी है घर पर इसलिए वो उन्हें भी नहीं चोद सकता और रुक्मणी रानी भी गाँव से बाहर गयी हुई है…
देवा का दिमाग मचल गया यह सोचकर की कोई औरत नहीं है इस वक़्त…
पर तभी उसे याद आया की उसकी जिंदगी की सबसे हसीन औरत तो है अभी चोदने के लिए…
और वो है उसकी अपनी माँ…उसकी रत्ना।
ये सोचते ही देवा के चेहरे पर मुसकान आ गयी।
वह मन ही मन सोचने लगा अब कुछ दिन सिर्फ और सिर्फ उसकी माँ ही है उसकी प्यास बुझाने के लिये और कोई भी औरत नहीं है।
ये बात देवा के बदन में एक बिजली की तरह दौड़ती हुई उसके रोम रोम में एक ऊर्जा पैदा कर देती है।
और वो ज्यादा देर न करते हुए हवेली से दुर अपने घर की तरफ बढ़ने लगता है…वो जानता है कोई उसका घर पर बेसब्री से इन्तजार कर रहा है…
 
दूसरी तरफ,, देवा का घर।
रत्ना अपने देवा के लिए पूरी शिदत से तैयार हो रही थी, आज वो देवा को अपनी जवानी से और दीवाना बनाना चाहती थी…
इसलिये उसने अपने अलमारी से सारे सेक्सी कपडे बाहर निकाल लिए और बारी बारी उन्हें पहनने लगी…
उसके पास सिर्फ एक या दो ट्रांसपेरेंट नाइट कवर्स थे जो नाइटी के ऊपर पहने जाते थे, पर रत्ना ने फैसला किया की वो सिर्फ उन कवर्स को पहनेगी आज और नाइटी नही, साथ ही।
उसने सबसे सेक्सी पेंटी पहनी और ऊपर एक थोड़ी पारदर्शी सी ब्रा भी पहन ली।
फिर आखिर में उसने उस नाइटी को भी पहन लिया और अपने देवा का दिया हुआ मंगलसुत्र भी अपने गले में डाल कर मेकअप करने लगी की तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
माँ दरवाजा खोलों मै आ गया…
देवा की आवाज सुनके रत्न को बेहत ख़ुशी हुई और वो भागते हुए दरवाजे पर गयी और दरवाजा खोला।
दरवजा खोलते ही देवा अंदर आ गया, रत्ना दरवाजे के पीछे थी इसलिए देवा को वो दिख नहीं रही थी।
अरे माँ आप कहाँ हो।
की तभी देवा की आँखों पर किसी के कोमल हाथ आ गए और उन्हें ढ़क लिया।
रत्ना:यही हूँ मेरे बेटे देवा। तुम्हारे साथ ही है तुम्हारी रत्ना,,,
देवा:क्या माँ आँखे क्यों ढ़क दी मेरी??
रत्ना: आज मै अपने देवा के लिए बहुत सजी हूँ और चाहती हूँ की मेरा बेटा थोड़ा और इन्तजार करे मेरे लिये....अभी थोड़ा सजना और बाकी है, मैंने खाना खा लिया है और तुम्हारे लिये खाना लगा दिया है.....खा लो जल्दी से तब तक मै तैयार होती हूँ और…
रत्ना यह कहते हुए अपने हाथ देवा की आँखों पर रखी हुई थी और अपने कमरे की तरफ बढ़ रही थी जैसे ही वो अपने कमरे में पहुची उसने देवा के आँखों पर से अपने हाथ हटाये और एक ही झटके में अपने कमरे में घुस कर कमरा बंद कर लिया…
देवा को अपनी माँ की यह शरारत से और उत्सुक्ता बढ़ने लगी और बोला…
रत्ना मेरी जान जल्दी से पूरा कर लेना अपना शृंगार। तुम्हारा पति तुम्हारे साथ वक़्त बिताना चाहता है…
रत्ना यह सुनकर थोड़ा शर्मायी और मेकअप में फिर से जुट गयी…
और देवा ने अपने हाथ मुँह धोये और खटिये पर खाना खाने बैठ गया, आज उसकी माँ ने सारा खाना उसके मनपसन्द का बनाया था, जिसे देख कर देवा को बहुत खुशी हुई और वो खाना खाने में जुट गया…
 
दूसरी तरफ.....पप्पू का घर।
सभी लोग साथ रसोई घर में जमीन पर बैठे रात्रि भोजन ग्रहण कर रहे थे, की तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
शालु:इस समय कौन आ गया, देख जरा जाकर नीलम बेटी।
नीलाम उठी और दरवाजा खोला, सामने वीना खड़ी थी
बीना: माँ कह रही थी कि तुम घर आयी थी और कुछ देर इन्तजार भी करा था…
नीलम,,, हाँ कुछ बाते करनी थी तेरे से...आ जा अंदर मै खाना खा लूँ फिर बाहर जाकर आराम से बात करते है।
वीना नीलम के पीछे पीछे घर के आंदर आ गयी।
शालु:अरे वीना बेटी आओ आओ कैसी हो... आओ ..कैसे आना हुआ,, तेजा कैसी है।
बीना: नमस्ते काकी... । माँ ठीक है।बस ऐसे ही नीलम से मिलने आयी थी।
वीना खटाई पर बैठ जाती है बाकि सब अपना खाना खाते रहते है
नुतन: अरे वीना आजा तू ही खाना खा ले हमारे साथ।
वीना: नहीं भाभी मै खाके ही आयी हूँ।…
नीलम ने अपना खाना जल्दी ख़तम कर लिया....चल वीना बाहर चलते है, माँ मै वीणा के साथ यहीं गली में ही टहलने जा रही हूँ।
शालु: ठीक है पर ज्यादा देर मत रहना बाहर।
और नीलम वीना के साथ बाहर चली जाती है…
बीना: क्या बात है नीलम तू इतनी परेशान क्यों दिख रही है, सब ठीक तो है न?
नीलम: नहीं मै कहाँ परेशान हूँ। फिकर मत कर सब कुछ ठीक है। वो तो मै बहुत दिन से तुझसे मिली नही थी न और बाते भी नहीं करी तो तेरे घर आ गयी थी…
ऐसे ही कुछ देर नीलम इधर उधर की बाते करने में लग जाती है…


दूसरी तरफ.....
देवा का घर
देवा ने अपना खाना ख़तम कर लिया था इसलिए वो खटिये से उठा और अपने जूठे हाथ पानी से धोये और रत्ना का इन्तजार करने लगा।
रत्ना मेरी जान और कितनी देर सताओगी अपने पति को…देवा चीख़ के बोला।
हल्के बोलो बेटा बाहर कोई सुन न ले अभी सिर्फ 7 ही बजा है, और थोड़ा सबर करो,, फल मीठा ही मिलेगा… रत्ना बोली।
पर मुझे तो खट्टा और मीठा दोनों चाहिए मेरी जान…
देवा के मुँह से यह बात सुन कर रत्ना की हँसी छूट गयी और साथ ही साथ उसे शर्म भी आ गयी, की उसका अपना सगा बेटा उसे क्या क्या कहने लगा है अब।
रत्ना ने फिर अपने तैयार होने की गती को बढा दिया और अपना काम जल्दी जल्दी करने लगी।
 
दूसरी तरफ,, नीलम और बीना।
बीना: और बता देवा कैसा है…
नीलम देवा का नाम सुनते ही शर्मा गयी और साथ ही साथ उसके दिमाग में सुबह वाली और कल रात वाली घटना भी सामने आ गयी, और उसे याद आया की उसे वीना से उस बारे में भी तो बात करनी है, पर आखिर कैसे स्टार्ट करे यह बात??
नीलम: वो अच्छा है वीना, अच्छा सुन एक बात पुछनी थी तुझसे बस मेरी बात को गलत मत लेना।
वीना: अरे पगली दोस्त हूँ। गलत क्यों लुंगी, तू बेझिझक पूछ क्या मैंटर है?
नीलम को समझ नहीं आ रहा था की वो कैसे बोले की उसका अपना भाई उसकी माँ को चोदता है और देवा भी अपनी माँ को चोदता है,, क्या यह सही हो रहा है?
नीलम: वीणा मुझे समझ नहीं आ रहा की मै यह बात तुझसे कैसे कहूँ। शर्म आ रही है।
बीना: ऐसी क्या बात है क्या देवा ने तेरे साथ कुछ…?
नीलम: नहीं वीना यह नही पर कुछ इसी से रिलेटेड है।
वीना: मतलब देवा ने किसी के साथ करा?
नीलम: नहीं देवा के बारे में नहीं है।
बीना: तो कौन है, क्या किसी और ने तेरे साथ कुछ करा?
वीना अपना दिमाग लगाते हुए तुक्के भिड़ा रही थी।
नीलम: नहीं नहीं यह नहीं मेरे बारे में है नहीं देवा के बारे में...
नीलम ने झूठ बोला, वो देवा को शायद बदनाम नहीं करना चाहता थी।
बीना: तो बता फिर की आखिर क्या बात है।
नीलम: क्या घर वालों में सम्भोग होना आम बात है?
नीलम के मुँह से यह शब्द सुन के वीना को एक झटका सा लगा।
बीना: यह…यह तू क्या पूछ रही है…मतलब ऐसा क्या हुआ…तूने ऐसा क्यों पुछा।
नीलम को अहसास हुआ की वीना के पसीने छूट गए है…

दूसरी तरफ.... देवा का घर
७:१५ हो गए है रत्ना और कितना सताओगी अपने बेटे को अपने सुहाग को.... देवा रत्ना के दरवाजे को खटखटाते हुए बोला…
उसने ऐसा बोला ही था की तभी दरवाजा खुला जिसे देवा बहुत खुश हो गया।
वह जैसे ही अंदर घुसा उसने पाया की कमरे की बत्ती बंद है और बिलकुल अँधेरा है....
इसलिये उसने सबसे पहले बत्ती चालु करी और सामने का नजारा देख कर उसका लंड खड़ा होने लगा…
 
अपडेट 111




दूसरी तरफ.....नीलम का घर।

नीलम: देख मैंने कहा था न की बात अलग सी है।
बीना: पर तूने ऐसा पूछा क्यों? क्या कुछ हुआ है ऐसा कही।
वीना यह बोलति हुई थोड़ी हकला सी रही थी।
इस बात को नीलम ने भाँप लिया और उसे थोड़ा शक होने लगा और दोपहर वाली बात याद आ गयी जब वो वीना के घर में थी और रसोई से सिसकी की अवाजें आ रही थी।
नीलम: ऐसा ही मान ले वीना की मैंने कुछ ऐसा देखा है…तू बस बता क्या ऐसा होने आम है…
वीना यह सुनके और पसीना पसीना हो गयी थी और कुछ बोली नही।
नीलम ने कई बार उसका नाम लिया पर वीना अपनी ही दुनिया में खो गयी थी, यह साफ़ हो गया था नीलम के दिमाग में की वीना के घर में भी वही चल रहा है जो उसके घर और देवा के घर चल रहा है…पर अब वो यह बात नहीं बोल सकती थी।

नीलम ने उसे एक दो बार हिलाया तो वो असल दुनिया में वापस आयी।।
नीलम: बता न वीना…तू कहाँ खो गयी है।
बीना: तूने कहा देखा यह सब सच सच बता…
नीलम: क्या मतलब?
बीना: अरे तूने परिवार के ही लोगो को सम्भोग करते हुए कहाँ देखा बता....
नीलम को लगने लगा की पक्का वीना के घर में कुछ चल रहा है और वीना भी उसमे शामिल है…पर नीलम यह जानती थी की अगर उसने तेजा और वरुण वाली बात बोली तो वीणा का मुँह नहीं खूलेगा और वो बात को बदल देगी, पर अगर उसने अपने घर की बात उससे कही तो शायद वीना अपना मुँह खोल दे अपनी मरजी से, पर अगर नीलम ने वीना को शालु और पप्पू की चुदाई के बारे में वीना को बताया तो उसी के घर वाले बदनाम होंगे अगर वीना ने यह किसी और को बता दिया तो…
कुछ देर नीलम ऐसे ही सोचती रही और उसने यह फैसला किया की उसके पास अपने घर की बात बोलने के अलावा कोई और चारा नहीं है…
नीलम: वीना पहले तू मुझसे वायदा कर की यह बात हम दोनों के बीच में ही रहेगी और किसी तीसरे को कभी नहीं पता चलेगी।
वीना: मै वादा करती हूँ।
नीलम: यार मेरा भाई और मेरी माँ के बीच यह सब चल रहा है।
नीलम के मुँह से यह बात सुनकर की शालु और पप्पू चुदाई करते है वीना को एक झटका मिलता है, पर मन ही मन उसे राहत भी मिलती है।
बीना: क्या।
नीलम: हाँ वीना मुझे कल पता चला, और भाभी भी इसमें मिली हुई है, पप्पू भैया माँ और भाभी को एक साथ…
बीना: हाय सच्ची।
वीना अब थोड़ी राहत महसूस करती है।
 
नीलम: सिर्फ मेरा भाई ही नहीं देवा भी अपनी माँ के साथ करता है…
बीना: क्या?

वीना देवा के बारे में सुनकर और राहत पाती है।
नीलम: हाँ वीरा मुझे उसके बारे में भी आज ही पता चला सुबह जब मै देवा के घर गयी थी तो मैंने देखा की…।
ये कहते हुई नीलम ने वीरा को सुबह की घटना बतायी जिसमे देवा अपनी माँ की गांड मार रहा था।
बीना: नीलम यह तो बहुत आश्चर्य की बात है की पप्पू और देवा अपनी-अपनी माँ के साथ सम्भोग करते है।
नीलम(शर्माते हुए): मुझे भी बहुत झटका लगा था, पर सुन। पता है आज सुबह जब मैंने देवा और रत्ना काकी को देखा था तो नीचे थोड़ी खुजली भी हुई थी…
नीलम की यह बात सुनकर वीना मंद मंद मुस्करायी।

नीलम माँ बेटे की चुदाई देख कर गरम हो गयी…मतलब यह भी कश्ती में सवार हो सकती है।
नीलम: वीरा मुझे बता क्या यह सब बहुत आम हो चुका है आज कल? परिवार वालो के बीच सम्भोग होना इतना आम हो चुका है क्या? मेरी दुविधा को मिटा बीना।
बीना: नीलम पहले तू बता की तुझे यह चीज बुरी लगी या नहीं?
वीना के सवाल पूछने पर नीलम ने सोचा की वीरा यह क्या पूछ रही है, भला कोई माँ बेटा चुदाई करेगा तो क्या बेटी को अच्छा लगेगा? भला यह कैसा सवाल हुआ।


नीलम: वीना यह तू क्या कह रही है।।यह कैसा सवाल है।।मैने अपनी माँ और भाई को जो करते देखा है वो सही कैसे हो सकता है।
बीना: यह तो तेरा दिमाग कह रहा है नीलम पर तेरा दिल भी क्या यही कहता है की यह गलत है?
नीलम: तू कहना क्या चाहती है वीना? खुल कर बता।
बीना: मै इतना कहना चाहती हु की जब तूने शालु काकी को पप्पू भैया से करवाते देखा था तो तेरे शरीर में क्या एहसास हुआ था?
नीलम: सच कहु तो पहले मुझे बहुत झटका लगा था और फिर मुझे नीचे अजीब सा लगा।
बीना: मतलब तेरा पानी निकला अपनी माँ और भाई को देख कर?
नीलम: यह कैसी बात कर रही है वीना। मै ऐसा सपने में भी नहीं सोच सकती की मै उन दोनों के बीच जो हो रहा है उसे देख कर अपने को शांत रख सकूँ।
बीना: देख नीलम यह जो सब हो रहा है आज कल थोड़ा आम हो गया है।
नीलम: तुझे कैसे पता।
बीना: पहले तू मुझसे वायदा कर की मै जो भी तुझे बताऊँ वो हमारे बीच ही रहे।
वीना के मुँह से यह शब्द सुनकर नीलम समझ गयी की अब वीना क्या कह सकती है…तेजा और वरुण के बारे में।
नीलम: मैं वादा करती हूँ।
 
बीना: नीलम मुझे गलत मत समझना पर मेरे घर में भी यही सब हो रहा है।
नीलम(चौंक कर): हे भगवान।
बीना: मेरा भाई और मेरी माँ साथ ही सोते है रात को।
नीलम चौंक जाती है और उसका शक सच हो जाता है।
नीलम: मुझे तो यकीन नहीं हो रहा तेजा काकी और वरुण भी यह सब करते है।
बीना: हाँ और नीलम एक बात कहूँ।
नीलम: हाँ।
बीना: इसमें कुछ गलत नहीं है।
नीलम: वह कैसे?
बीना: तू तो जानती ही है की बापू को मरे कितना समय हो गया है।शुरुआत मै मैंने माँ को बहुत दुखी देखा था शायद उनकी शारीरिक जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही थी इसलिए वो बहुत दुखि थी…
पर 2 साल पहले माँ काफी खुश रहने लगी थी जो उनके चेहरे पर भी साफ़ दिखती थी और जब मैंने थोड़ी ताक झांक की तो उन दोनों को रंगे हाथ पकड़ा पहले तो मै बहुत चिल्लायी दोनों पर, पर मुझे फिर एहसास हुआ की माँ की भी शारीरिक जरूरतें है, और वो दूसरी शादी तो कर नहीं सकती, तो अगर घर की बात घर में रहे और माँ भी खुश रहे तो मुझे कोई दिक्कत नही।


इसलिये मैंने उनके रिश्ते को अपना लिया और वो दोनों अब घर में पति पत्नी की तरह रहते है,,,
मै अब उन्हें कुछ नहीं कहती…बस माँ खुश है तो मै भी। आखिर उनकी जरूरतें पूरी होनी भी जरुरी है।
नीलम यह सब सुनके थोड़ी हैरान हुई की वीना ने यह रिश्ता अपना लिया है,,,वह कुछ बोलने ही वाली थी की तभी वीना बोली।
बीना: और एक बात और नीलम तू किसी को मत बताना कुछ महीनो पहले मुझे लगा की जब माँ भी कर सकती है भाई के साथ तो क्यों न मै भी बहती गंगा में हाथ धो लूँ।
ये कहते हुए वीना ने एक शरारती मुस्कान ले आई।
नीलम(चौंक कर) क्या, मतलब तू भी वरुण के साथ?
बीना: इसमें क्या हर्ज है जब बेटा माँ को चोद सकता है तो बहन भाई से नहीं करवा सकती?
वीना के मुँह से चोदना शब्द सुनकर नीलम और चौक गयी उससे यकीन नहीं हो रहा था की उसकी अपनी सहेली अपने भाई से चुदवाती है…
नीलम: वीना यह तू क्या कह रही है तेरा भाई है वो और तू उससे? छी....
बीना: भाई के साथ साथ मरद भी है…और इसमें कुछ गलत नही है नीलम मेरी बात मान…जिंदगी मजे लेने के लिए है उसे बर्बाद करने का क्या फायदा। जब बिना बदनामी के अपने ही घर में तगड़ा लंड मिल जाए तो बाहर मुँह मारने की क्या जरुरत।
 
नीलम: छी: वीना यह कैसे शब्द इस्तेमाल कर रही है…।
बीना: अब लंड को लंड ही तो कहूँगी…
नीलम: वीना मुझे यकीन नहीं हो रहा है की तू यह सब करती है अपने भाई के साथ। क्या काकी को पता है तुम्हारे और वरुण के बारे में.....
बीना: पता है…बल्कि हम तीनो यह साथ ही करते है रोज अब तो…आज रात को भी मेरा भाई अपने मस्त मस्त लौडे से मेरी और माँ की चुत को चोदेगा एक साथ…
बहुत कमाल का लौडा है मेरे भाई का नीलम सच…मैं दीवानी हो चुकी हूँ…बस पूरे दिन चुदाई का ही मन करता रहता है मेरा और माँ का।


नीलम वीना के मुँह से यह बाते सुंनकर भौचंकी रह जाती है।।उसका मुँह खुला का खुला रह जाता है जब वीना उससे यह सब कहती है और उसके मुँह से कुछ नहीं निकलता…वो बहुत हैरत में आ गयी थी…उसे यकीन नहीं हो रहा था की वीरा और उसकी माँ तेजा साथ मिलकर उसके भाई वरुण से चुदवाती है।

नीलम: वीना तुझे पता तो है न की तू क्या कह रही है ?मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा तेरी बातो पर…
बीना; ठीक है तो फिर कल मै साबित करके दिखाउंगी तुझे, कल मै आउंगी तेरे घर पर फिर अपने साथ ही अपने घर ले जाऊंगी और अपने भाई और माँ की करामात साफ़ साफ़ दिखाउंगी…। तैयार रहना…और हाँ यह बाते हमारे बीच ही रहनी चाहिए…
इतना कह के वीरा अपने घर की तरफ निकल गयी पर नीलम वही मूरत जैसी खड़ी मुँह खोले खड़ी थी…उसे यकीन नहीं हो रहा था जो कुछ भी वीरा अभी उससे कह कर गयी थी…और कल वो अपनी बात साबित भी करेगी…
 
अपडेट 112



दूसरी तरफ....देवा का घर।

देवा ने अंदर जाकर कमरे की बत्ती जलायी और अपने सामने का नजारा देख कर अपने लंड को खड़ा होने से नहीं रोक सका…सामने उसकी माँ एक ट्रांसपेरेंट नाइटी में खड़ी थी, उसने अंदर ब्रा पेंटी पहनी हुई थी।
और काफी मेकअप भी किया हुआ था।
रत्ना देवा को अपनी तरफ देखते हुए पाकर थोड़ा मुस्कराते हुए अपनी अदा को और निखारती है।
तो कैसा लगा आज का माल?? रत्ना ने बड़ी आशा भरी नज़रो से देवा की तरफ देख कर पुछा
पर देवा ने कोई जवाब नहीं दिया क्युकी वो तो अपनी माँ की सुंदरता देख कर ही अलग ही दुनिया में पहुच गया था…
रत्ना ने अपना सवाल दोबारा पूछा तब देवा ने जवाब दिया…
“एक दम झक्कास और मननमोहक मेरी जान रत्ना”
देवा के मुँह से अपनी बडाई सुनकर रत्ना थोड़ा शरमाती है पर देवा उसकी तरफ बढ़ता है और उसे अपनी बाहों में लेकर चूमने लगता है, रत्ना भी उसके होंठो को अपने होठो में जकड लेती है और चूसने लगती है।
कुछ देर तक रत्ना और देवा एक दूसरे के होठो को ऐसे ही प्यार से चूसते हुए प्यार करते रहते है,,,
फिर रत्ना देवा से अलग होती है और पीछे हटती हुई कहती है…।
“मेरी जान अभी तो पूरी रात बाकी है बल्कि अभी तो रात भी नहीं हुई है सिर्फ ७:३० हुआ है…।
इतनी भी क्या जल्दी है यह जिस्म आपका ही है…पूरा हक़ है आपका इस पे…” रत्ना बोली।
“रत्ना मेरी जान…क्या करुं तू आज लग ही आइटम रही है…
मेरे से रहा नहीं जा रहा…
अपनी माँ को जान लगाकर चोदुँगा मै आज अपने मोटे तगडे लौडे से…
आज तेरी गांड और चूत दोनों फाड़ के रख दूंगा माँ…
बच नहीं पाओगी अब तुम मेरे लंड से…”
देवा ने अपने लंड को अपनी धोती पर से पकड़ कर कहा…
रत्ना यह सुनकर एक शैतानी हँसी हँस देती है और आगे बढ़कर देवा के हाथ को उसके लंड के ऊपर रख देती है।
“तो मै कौन सा अपने बेटे को रोकने वाली हूँ अपनी गांड और चूत को फाडने से…”
रत्ना देवा का लंड जोर से दबा कर बोली, और फिर अपना हाथ नीचे कर कर पीछे को हटने लगी…
और जैसे जैसे वो पीछे हटती जा रही थी वो अपने नाइटी के बटन को भी एक एक करके खोलती जा रही थी…
 
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