hotaks444
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अपने खेतो के पास जाते हुए उसे एक झोपडी दिखाई दी, वो पदमा की थी, और देवा को याद आया की पदमा से मिले हुए कितने दिन हो चुके है और पदमा तो उसके बच्चे की माँ भी बनने वाली है।
यह सोचते हुए देवा ने पदमा के घर का दरवाजा खटखटाया।
कुछ पल बाद पदमा ने ही दरवाजा खोला।
अरे देवा बेटा…
देवा पदमा के मुँह से बेटा सुनकर थोड़ा आश्चर्य में आया पर जब उसकी नजर थोड़े पास बैठे पदमा के पति पर पड़ी तो वह समझ गया।
नमस्ते पदमा काकी, वो मै अपने खेतो की तरफ जा रहा था तो सोचा आपका हाल चल पता करते चलुँ।
और बिशन काका(पदमा का पति) सब बढ़िया??
बिशन: हाँ बिटवा सब ठीक है…तू बता आज कल कहाँ रहता है…दिखता नही।
अरे काका हम तो यहीं रहते है पर आप नहीं दीखते…
बिशन: बिटुआ तुम तो जानत हो हम गाड़ी चलावत है तो बहुत दिंनो तक नही आवत घर पर…अब कुछ दिनों छुट्टी लेवत…हमरी लुगाई पेट से जो होवत…
देवा: अच्छा काका। मुझे पता है की काकी माँ बनने वाली है। वैसे कौन सा महीना चल रहा है।
देवा ने मुस्कुराते हुए पदमा को आँख मारी और पदमा शर्म में अपना चेहरा दूसरी तरफ करके बोलती है।
पाँचवा चल रहा है देवा बेटा।
देव: अच्छा काकी…ख्याल रख्ना अपना।
और काका तुम बताओ तबियत ठीक है?
बिशन: कहाँ बिटवा आज काल,,उमर खत्म होवत कहाँ ठीक रहत,,,अब अपने नए बिटवा की शकल देखत हम तीर्थ हो आवत।
अरे काका ऐसा न बोलो अभी तो आप काफी जवान हो…
ये बात बोलते हुए उसने पदमा की तरफ देखा जो देवा को एक थप्पड़ दिखा रही थी…
कुछ देर देवा पदमा और बिशन से बाते करता रहा, पदमा को अच्छा लगा की देवा उसका हाल चाल जानने तो आया।
फिर देवा पदमा के घर से निकल कर अपने खेतो की तरफ बिना रुके चल दिया और वहां पहुच कर उसने कुछ नए मजदुर बुलवाये और खेतो में हल चलवाना शुरू करवाया…अब देवा को इस साल की फसल के लिए बीज बोने थे तो हल चलवाना ही था…
1 हफ्ता तो हल चलने में ही लगने वाला था यह सोचते हुए देवा अपने खेतो का मुआयाना कर रहा था।
दोपहर से शाम होने लगी थी देवा आज खेतो में बहुत काम कर रहा था।
कुछ पल बाद शाम के 6 बज चुके थे, देवा दोपहर से मजदूरो से अपने खेतो में काम करवा रहा था, पर अब समय आ चुका था घर जाने का।
तो देवा ने मजदूरो को उसकी देहाड़ी दी और उन्हें रवाना करके सारा सामान खेतो के अस्तबल में रखवाया।
अस्तबल को ताला लगा कर देवा अपने घर की तरफ जा ही रहा था की उसे रुक्मणी और रानी की याद आई, और वो अपना रास्ता बदलकर हवेली की तरफ बढ़ने लगा।
यह सोचते हुए देवा ने पदमा के घर का दरवाजा खटखटाया।
कुछ पल बाद पदमा ने ही दरवाजा खोला।
अरे देवा बेटा…
देवा पदमा के मुँह से बेटा सुनकर थोड़ा आश्चर्य में आया पर जब उसकी नजर थोड़े पास बैठे पदमा के पति पर पड़ी तो वह समझ गया।
नमस्ते पदमा काकी, वो मै अपने खेतो की तरफ जा रहा था तो सोचा आपका हाल चल पता करते चलुँ।
और बिशन काका(पदमा का पति) सब बढ़िया??
बिशन: हाँ बिटवा सब ठीक है…तू बता आज कल कहाँ रहता है…दिखता नही।
अरे काका हम तो यहीं रहते है पर आप नहीं दीखते…
बिशन: बिटुआ तुम तो जानत हो हम गाड़ी चलावत है तो बहुत दिंनो तक नही आवत घर पर…अब कुछ दिनों छुट्टी लेवत…हमरी लुगाई पेट से जो होवत…
देवा: अच्छा काका। मुझे पता है की काकी माँ बनने वाली है। वैसे कौन सा महीना चल रहा है।
देवा ने मुस्कुराते हुए पदमा को आँख मारी और पदमा शर्म में अपना चेहरा दूसरी तरफ करके बोलती है।
पाँचवा चल रहा है देवा बेटा।
देव: अच्छा काकी…ख्याल रख्ना अपना।
और काका तुम बताओ तबियत ठीक है?
बिशन: कहाँ बिटवा आज काल,,उमर खत्म होवत कहाँ ठीक रहत,,,अब अपने नए बिटवा की शकल देखत हम तीर्थ हो आवत।
अरे काका ऐसा न बोलो अभी तो आप काफी जवान हो…
ये बात बोलते हुए उसने पदमा की तरफ देखा जो देवा को एक थप्पड़ दिखा रही थी…
कुछ देर देवा पदमा और बिशन से बाते करता रहा, पदमा को अच्छा लगा की देवा उसका हाल चाल जानने तो आया।
फिर देवा पदमा के घर से निकल कर अपने खेतो की तरफ बिना रुके चल दिया और वहां पहुच कर उसने कुछ नए मजदुर बुलवाये और खेतो में हल चलवाना शुरू करवाया…अब देवा को इस साल की फसल के लिए बीज बोने थे तो हल चलवाना ही था…
1 हफ्ता तो हल चलने में ही लगने वाला था यह सोचते हुए देवा अपने खेतो का मुआयाना कर रहा था।
दोपहर से शाम होने लगी थी देवा आज खेतो में बहुत काम कर रहा था।
कुछ पल बाद शाम के 6 बज चुके थे, देवा दोपहर से मजदूरो से अपने खेतो में काम करवा रहा था, पर अब समय आ चुका था घर जाने का।
तो देवा ने मजदूरो को उसकी देहाड़ी दी और उन्हें रवाना करके सारा सामान खेतो के अस्तबल में रखवाया।
अस्तबल को ताला लगा कर देवा अपने घर की तरफ जा ही रहा था की उसे रुक्मणी और रानी की याद आई, और वो अपना रास्ता बदलकर हवेली की तरफ बढ़ने लगा।