hotaks444
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रत्ना: “पप्पू को रखवाली के लिए रखा? कहीं हमारा कार्यक्रम तो नहीं देख लिया उसने…”
देवा: “पता नहीं…देख लिया तो क्या हुआ…पप्पू से भी चुदवा लियो…”
रत्ना देवा के गाल पर एक थप्पड़ मारती है प्यार से…
रत्ना: “मुझे तो एक ही लंड की आदत हो गयी है अब दूसरे की जरुरत नहीं…”
देवा:“उसके लंड का होना या न होना वैसे बराबर ही है साला चुतिया है”
रत्ना:“अच्छा नूतन कैसे काम चला रही है फिर?”
देवा: “पता नहीं उसे ही लेती होगी बेचारी।”
रत्ना: “बुला लियो अपनी बहन नूतन को घर किसी दिन, मै तो रोज ही लेती हुँ एक दिन उसे सवारी करा दियो बहुत दिन हो गए है वैसे भी…”
देवा: “अच्छा…ठीक है…और हाँ माँ मै कल पप्पू के साथ जा रहा हु रश्मि को छोड़ने… ममता के ससुराल भी हो आऊंगा…और सोच रहा हुँ उसे ले ही आऊँ यहाँ 2 हफ्ते ही बचे है शादी में…”
रत्ना “हाँ सही कह रहा है तू। अब काम बढ़ने वाला है बुला ले उसे और खुशखबरी भी दे दियो।”
देवा: “हाँ कल ही निकलता हुँ मै सुबह उसके गाँव के लिये।”
और देवा घर पर थोड़ी देर आराम करता है और फिर अपने खेतो पर दोबारा चला जाता है।
वहाँ पहुँच कर देवा को नीलम खड़ी दिखती है।
देवा और नीलम एक दूसरे को देख कर खुश होते है।
देवा: “यहाँ कैसे”
नीलम:“तुम्हे देखने का दिल कर रहा था बस…”
देवा: “सच मे? या कुछ और बात है?”
नीलम मुस्करायी, “कितना अच्छा मौसम है न आज खेतो में बडा अच्छा लगता है खुले खुले खेतो में…है न…”
नीलम की बात देवा सही सही समझ गया…
देवा: “हाँ…और बिलकुल सही मौसम है अपनी होने वाली साली को पीटने का भी।”
देवा की बात सुनकर नीलम खील खिला कर हँसने लगती है…
नीलम: “मेरी बहन को हाथ तक मत लगाना… समझे तुम… गंदे लड़के…”
देवा:“अच्छा मै तो हर जगह उसे पहले से ही हाथ लगा चुका हुँ…वो भी उसकी मरजी से…”
देवा की बात सुनकर नीलम का चेहरा लाल पड गया…।
नीलम:“बेशर्म हो तुम ऐसे खुले में कैसे कर सकते हो…। कोई देख लेता तो क्या बाते होती…”
देवा(हँसते हुए): “तभी तो तेरे भाई को चौकिदारी करने के लिए लगाया था…”
नीलम: “तब भी कोई तुम लोगो की अवाजे सुन लेता तो क्या सोचता”
देवा:“माँ ही कह रही थी की उधर कोई आता नहीं सिर्फ तुम्हारे या मेरे घर को छोड के तो कोई कैसे देखेगा…”
नीलम शांत हो जाती है।
देवा: “पता नहीं…देख लिया तो क्या हुआ…पप्पू से भी चुदवा लियो…”
रत्ना देवा के गाल पर एक थप्पड़ मारती है प्यार से…
रत्ना: “मुझे तो एक ही लंड की आदत हो गयी है अब दूसरे की जरुरत नहीं…”
देवा:“उसके लंड का होना या न होना वैसे बराबर ही है साला चुतिया है”
रत्ना:“अच्छा नूतन कैसे काम चला रही है फिर?”
देवा: “पता नहीं उसे ही लेती होगी बेचारी।”
रत्ना: “बुला लियो अपनी बहन नूतन को घर किसी दिन, मै तो रोज ही लेती हुँ एक दिन उसे सवारी करा दियो बहुत दिन हो गए है वैसे भी…”
देवा: “अच्छा…ठीक है…और हाँ माँ मै कल पप्पू के साथ जा रहा हु रश्मि को छोड़ने… ममता के ससुराल भी हो आऊंगा…और सोच रहा हुँ उसे ले ही आऊँ यहाँ 2 हफ्ते ही बचे है शादी में…”
रत्ना “हाँ सही कह रहा है तू। अब काम बढ़ने वाला है बुला ले उसे और खुशखबरी भी दे दियो।”
देवा: “हाँ कल ही निकलता हुँ मै सुबह उसके गाँव के लिये।”
और देवा घर पर थोड़ी देर आराम करता है और फिर अपने खेतो पर दोबारा चला जाता है।
वहाँ पहुँच कर देवा को नीलम खड़ी दिखती है।
देवा और नीलम एक दूसरे को देख कर खुश होते है।
देवा: “यहाँ कैसे”
नीलम:“तुम्हे देखने का दिल कर रहा था बस…”
देवा: “सच मे? या कुछ और बात है?”
नीलम मुस्करायी, “कितना अच्छा मौसम है न आज खेतो में बडा अच्छा लगता है खुले खुले खेतो में…है न…”
नीलम की बात देवा सही सही समझ गया…
देवा: “हाँ…और बिलकुल सही मौसम है अपनी होने वाली साली को पीटने का भी।”
देवा की बात सुनकर नीलम खील खिला कर हँसने लगती है…
नीलम: “मेरी बहन को हाथ तक मत लगाना… समझे तुम… गंदे लड़के…”
देवा:“अच्छा मै तो हर जगह उसे पहले से ही हाथ लगा चुका हुँ…वो भी उसकी मरजी से…”
देवा की बात सुनकर नीलम का चेहरा लाल पड गया…।
नीलम:“बेशर्म हो तुम ऐसे खुले में कैसे कर सकते हो…। कोई देख लेता तो क्या बाते होती…”
देवा(हँसते हुए): “तभी तो तेरे भाई को चौकिदारी करने के लिए लगाया था…”
नीलम: “तब भी कोई तुम लोगो की अवाजे सुन लेता तो क्या सोचता”
देवा:“माँ ही कह रही थी की उधर कोई आता नहीं सिर्फ तुम्हारे या मेरे घर को छोड के तो कोई कैसे देखेगा…”
नीलम शांत हो जाती है।