Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की - SexBaba
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Hindi Sex Kahaniya अनौखी दुनियाँ चूत लंड की

hotaks444

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अनौखी दुनियाँ चूत लंड की



राहुल खुद जितना अजीब था उसकी कहानी उससे भी कहीं ज्यादा अजीब । सन 2000 में जब वो केवल कुछ महीने का था उसे राकेश और उसकी बीवी रमा के घर के बाहर रख के चला गया था । राकेश की चंडीगढ़ के 21 सेक्टर में किरियाने की दुकान थी जो खूब चलती थी और 21 में ही 3 मंजिला कोठी पर शादी के 3 साल के बाद भी उसे कोई संतान नहीं थी तो दोनों ने राहुल को गोद ले लिया ।राहुल खुद कुछ कम अलग नहीं जब रमा और राकेश ने उसे अपने दरवाजे पर देखा तो वो कुछ महीने का एक तंदुरस्त बच्चा था ,गोरा रंग और गुल-गुले से गाल उसे एक आकर्षक बच्चा बनाते थे पर रमा का ध्यान उसके असामान्य लिंग के आकार पर गया जो उस समय ही 3 इंच का था पर रमा ने एक बाबा जी को दिखाया तो उन्होंने कहा की इस बच्चे पर कामदेव की कृपा है डरने की कोई बात नहीं । एक साल वो राहुल को किसी राजकुमार की तरह पालते रहे पर जब उनकी पहली संतान गरिमा हुई तो उनका व्यवहार राहुल के प्रति बदल गया और दूसरी बेटी तनु के जन्म के बाद तो राहुल घर का नोकर बन के रह गया , सात साल की उम्र से ही उसे सीढ़ियों के नीचे बने तह खाने में सोना पड़ता जहां उसका तंदुरस्त बदन ठीक से समाता भी नही था ।पर जब राहुल बारवीं क्लास में पहुंचा तो एक बार फिर उसकी जिंदगी बदल गयी ।बारवीं क्लास पहुँचते- पहुँचते राहुल की लंबाई 6 फुट 4 इंच हो चुकी थी , वो कसरत तो करता नही था पर बदन किसी बॉडीबिल्डर की तरह था ,रंग गोरा और चेहरा बेहद आकर्षक था ।उसके बुटोक बेहद उभरे हुए और सुडौल थे और किसी भी औरत को यह सोचने के लिए मजबूर कर देते की इस लड़के के धक्के कितने ज़बरदस्त होंगे ,बाबा जी ने शायद सही ही कहा था कि इस बच्चे पर काम देव की कृपा है उसका लिंग 12इंच लंबा और 3 इंच मोटा था (रेडियस) पर उसके लन्ड की तरह उसके अंडे की थैली भी बेहद बड़ी थी ऐसे लगता था जैसे किसी ने उसके अंडों की जगह संतरे रख दिए हों। गरिमा 11वी में थी उसकी ऊंचाई 5 फुट 6इंच थी इतनी कम उम्र में ही उसका बदन पूर्ण विकसित हो चुका था देखने में वो श्रद्धा कपूर जैसी थी मासूम और कामुक एक साथ पर 34d-25-35 की काया पर नज़र पड़ते ही मर्द बस आहें भरके रह जाते थे , तनु दसवीं क्लास में थी और भरे -2 बदन की एक खूबसूरत लड़की थी ,देखने में आयेशा टाकिया सी लगती थी बदन भी वैसा ही था बस तनु के स्तनों का आकार कुछ अधिक बड़ा था ।इतनी छोटी उम्र में ही तीनो भाई बहन पूरे विकसित नोजवान लगते थे ,अक्सर लोग रमा से पूछते थे कि आखिर वो अपने बच्चों को क्या खिलाती है जो इतने जल्दी बड़े हो गए हैं ।राहुल का बदन चाहे विकसित हो चुका था पर दिमाग से वो 7-8 क्लास के बच्चे जैसा था , इस उम्र के लड़के जहां चुदाई तक का मज़ा ले चुके होते हैं वंही राहुल ने अभी तक मुठ भी न मारी थी और लन्ड अभी तक उसके लिए नुन्नू ही था, अपनी बहनों के आकर्षक बदन भी उसके लौड़े में हरकत पैदा न कर पाते , मम्मे अभी भी उसके लिए दद्दू ही थे ..क्योंकि तनु और गरिमा हमेंशा उस पर हुक्म चलाती रहती थी इसलिए वो उन्हें अपना दुश्मन समझता और दुआ करता कि उसे उनका सामना न करना पड़े । दिमाग का विकास रुक जाने के कारण वो बड़ी मुश्किल से ही पास हो पता उसके कम मानसिक विकास को बहाना बना उसे सरकारी स्कूल भेजा जाता जहाँ के बच्चे उसका मजाक उड़ाते। तनु और गरिमा एक मेंहगे इंग्लिश स्कूल में जाती ,ट्यूशन टीचर घर पढ़ाने आते और राहुल ट्यूशन के लिए पास की ही एक ठरकी दीदी के पास लगा दिया गया । दीदी का नाम था बबिता 21-22 साल की रही होगी ,सांवला रंग ,गोल चेहरा और सुडौल बदन उसे कोई बहुत सुन्दर न माने पर किसी के भी लण्ड को आग लगा सकती थी , वो पहले ही दिन से वो राहुल पर रीझ गयी थी ।राहुल बेचारा बचपने में कच्छा नहीं पहनता था बस निकर पहनता था और बबिता निकर में से लटकते मोटे लंबे लण्ड को घूरती रहती और आये दिन जब भी मौका पाते ही छूती रहती तो राहुल का सारा बदन कांप जाता । ऐसा कोई महीना भर चलता रहा ,फिर उसने राहुल अकेले बुलाना शुरू कर दिया पहले ही दिन वो उससे सट कर बैठ गयी और निक्कर के ऊपर से राहुल का लण्ड पकड़के सहलाने लगी ।
"दीदी आप ये क्या कर रही हो" राहुल ने परेशान होते हुए पूछा
"कुछ नहीं बस तुम्हारे नुनु की मालिश कर रही हूँ...जैसे तुम नहाते हुए बाकी बदन की करते हो...जैसे मालिश से हमारा शरीर मजबूत होता है वैसे ही मालिश से तुम्हारा नुनु भी ताकतवर बन जायेगा"
"सच्ची दीदी? मेरा नुनु तो बिकुल ताकतवर नहीं है बस नरम नरम है"
"हाँ हाँ तभी तो मैं मालिश कर रही थी ...अगर तुम किसी को नहीं बताओगे तो मैं तेल लगा कर तुम्हारे नुन्नु की मालिश कर दूंगी"
"मम्मी कसम नहीं बताऊंगा"
"ठीक है तो रुको मैं तेल ले कर आती हूँ इतनी देर तुम अपने सारे कपडे खोल दो तेल से गंदे हो जायेंगे न " ये कहकर बबिता दूसरे कमरे में चली गयी और आँवले के तेल की शीशी ले के आ गयी .राहुल कमरे में नंगा बैठा था ।
"हे राम इतना बड़ा लण्ड" उसके 6इंच लंबे 2 इंच मोटे लण्ड को देखते ही बबिता चीख पड़ी उसे पता था की उसकी तो लॉटरी लग गयी क्योंकि वो जानती थी की अगर लण्ड सोया हुआ 6इंच का है तो खड़ा होने के बाद तो अजगर बनने वाला है ।
"दीदी यह लण्ड क्या होता है ?" राहुल ने हैरानी से पूछा
"सुसु छोटा हो तो उसे नुनु कहते हैं और अगर बड़ा हो तो लण्ड" बबिता ने दरवाजे को कुण्डी लगाते हुए कहा ।
"और अगर उससे भी बड़ा हो तो?"
"कितने सवाल करते हो बाबा उससे भी बड़ा हो तो उसे लौड़ा कहते हैं..."
 
राहुल ने हाँ में सर हिला दिया वो कुछ उदास हो गया था की उसका नुन्नु लौड़ा नहीं है । बबिता उसकी बगल में आके बैठ गयी ,उसने अपने हाथ में तेल ले लिया और राहुल के नुन्नु पर लगाने लगी ।
"रोनी सूरत क्यों बना ली ? अच्छा नहीं लग रहा है?"
"नहीं दीदी अच्छा तो लग रहा है पर मैं सोच रहा था की मेरा नुन्नु लौड़ा नहीं है"
"हा हा हा ड्रफ्फर तेरा तो लौड़े से भी बड़ा हो जायेगा ,मेरे भोन्दु तेरा पूरा तम्बूरा है तम्बूरा ...देखना तू मालिश के बाद कितना बड़ा हो जायेगा" बबिता राहुल के लौड़े की मालिश करते हुए बोली । राहुल के बदन पुरे बदन में अजीब सी सिहरन हो रही थी पर उसे मज़ा भी आ रहा था ।
"आह दीदी ...बड़ा मज़ा आ रहा है...दीदी सच में ये तो बड़ा हो रहा है" राहुल ने अपने फूलते हुए लौड़े को घूरते हुए कहा ।
4-5 मिनट में ही राहुल का लण्ड 10 इंच का तम्बूरा बन चूका था और बड़ी मुश्किल से ही बबिता मुट्ठी में आ पा रहा था
"देखा मैंने कहा था न ? अब तू ज्यादा आवाज़ें मत करना क्योंकि मैं ज़ोर से मालिश करुँगी...ठीक है?"
"ठीक है ...दीदी"
बबिता ने दोनों हाथों से राहुल के तम्बूरे को पकड़ लिया और तेज़ी से हस्तमैथुन करने लगी ।
"आह ..दीदी.....इतने ज़ोर से नहीं"
"मेरे भोंदू अभी और मज़ा आएगा तुझे " उसने पूरी रफ़्तार से राहुल की मुठ मारते हुए कहा"
"दीदी....आह...मु...जे कुछ हो...." पर इससे पहले की वो अपनी बात पूरी करता बबिता का सारा हाथ एक सफ़ेद चिपचिपी चीज़ से गन्दा हो चूका था।
"तुझे कुछ नहीं होगा पर तेरा ये तम्बूरा जरूर मेरी चूत का ज़रूर बुरा हाल कर देगा"बबिता ने अपने हाथों से टपकते लेस को देखकर कहा
"दीदी ये चूत क्या होता है?"
"जैसे तेरे पास ये तम्बूरा है न वैसे ही मेरे पास चूत है छोटी सी प्यारी सी"
"मैं क्यों बुरा करूँगा ?आप तो इतनी अच्छी हो"
"क्योंकि इससे मेरी चूत ताकतवर हो जायेगी"
"अभी करूँ दीदी ?"
"हा हा हा बड़ी जल्दी है तुझे?"
"हाँ दीदी जैसे आपने मेरा तमफुरा ताकतवर बनाया है वैसे ही मैं भी आपकी चूत ताकतवर बनाऊगा"
"तमफुरा .....नहीं तम्बूरा कहते हैं अच्छा अच्छा बना लेना मैं भी तो यही चाहती हूँ ...पर अब तू घर जा पहले ही लेट हो चुका है"
बबिता ने उस दिन जब उसे खाने को कैडबरी चॉकलेट दी तो राहुल सोचने लगा की दीदी कितनी अच्छी है एक तो उसके नुन्नु की कसरत करती है ऊपर से चॉकलेट देती 'दीदी के बारे में मैं ज़रूर पिंकी दीदी को बताऊंगा' उसने मन में सोचा । राहुल को उसके घर वाले किसी से खेलने देते ही नहीं थे टयूशन से घर जाते ही उसे दिन भर के बर्तन मांझने होते उसे अपनी बहनों से भी मिलने नहीं दिया जाता और बचा खुचा खाना उसे मिलता , न उसका कोई लड़का ही दोस्त बनता ,पर पिंकी चाहे उससे 2 साल बड़ी थी और कालेज में पड़ती थी ,सिख थी गोरी चिट्टी इतनी की छूने पर मैली होने का डर ,तरबूजों जितने बड़े बड़े मम्मे थे उसके पर वो मोटी बिल्कुल नही थी कमर बेहद पतली थी वो दिल की बेहद अच्छी थी और इसी वजह से वो राहुल पर रीझ गयी थी , जब वो राहुल के जवान बदन को देखती तो उसके पूरे बदन में आग लग जाती लेकिन उसने कभी राहुल का फायदा उठाने की कोशिश नही की प ।रात में जब सब खाना खाने के बाद टीवी देख रहे होते तो वो अपनी छत पर चला जाता और तीन बार खांसता पिंकी जो उनके किरायेदारों की बेटी थी चुपके से ऊपर आ जाती और दोनों बैठ के बातें करते कभी 2 वो उसके लिए कुछ खाने को भी ले आती अपने घर वालों से छुपा कर । टयूशन से घर जाते हुए सारा रास्तावो यही सोचता रहा की कब रात होगी और वो कब पिकिं को दीदी के बारे में बता पायेगा ।
 
"आ गए लाट साहब ...आज इतनी देर कंहाँ लगा दी" घर घुसते ही रमा उस पर बरस पड़ी ! डर के मारे एक बार तो वो सच बोलने वाला ही था पर फिर उसे लगा की उसने दीदी के बारे बताया तो उसकी टयूशन बंद करवा दी जायेगी तो वो चुप ही रहा ।
"सांड जैसा शरीर होगा गया है पर दिमाग नहीं बढ़ा , पता है घर का सारा काम पड़ा है और जनाब घूम रहे थे ...अब बुत बनके खड़ा मत रह और रसोई में जा देख कितना काम पड़ा है और मटरगश्ती कर रहा था"
राहुल की जान में जान आई उसे उसे विश्वास नहीं हो रहा था की आज बिना पिटाई के ही काम चल गया ।रसोई में बर्तनों का ढेर देख उसे लगा जैसे खिलोने हों उसने बर्तन धोने के बाद सब्जी काटी फिर कपडे प्रेस किये आज किस्मत अच्छी थी उसे खाना भी पूरा मिल गया जब सब टीवी वाले कमरे में गए तो वो चुपचाप घर के बाहर खिसक गया ।पर सीढ़ियों पर उसे ख्याल आया की अगर पिंकी ने भी उसके नुन्नु की मालिश करनी चाही तो ? उसने तेल लिया ही नहीं उसे फिर अंदर आना पड़ा सभी टीवी देखने में मस्त थे वो चुपचाप रसोई में गया और एक कोली में सरसों का थोडा सा तेल डाल लिया बस इतना सा की मम्मी को शक न हो । और फटाफट भाग के छत पर पहुँच गया और तीन बार खांसी की ,कुछ देर बाद पिंकी आ गयी ।
"आज तो बड़ा खुश लग रहा है ?" पिंकी ने आते ही पूछा
"हाँ आज एक बात बतानी है तुमको "
"तो चल अपने अड्डे पर चलते हैं " पिंकी ने पानी की टंकियों की तरफ इशारा करते हुए कहा ।
"पिंकी तुझे पता है मेरी टयूशन वाली दीदी कितनी अच्छी है ? मेरी मदद भी करती है और चॉकलेट भी दी खाने को"
"क्या मदद की?"
"दीदी ने मेरे तम्बूरे को ताकतवर बनाया"
"ओ ये तम्बूरा क्या होता है?" पिंकी ने हैरान होते हुए पूछा
"अरे भाई तुम भी न बिल्कुल डफर हो जो नुन्नु बड़ा हो उसे लण्ड कहते हैं जो बहुत बड़ा हो उसे लौड़ा कहते हैं और जो नुन्नु सबसे बड़ा और ताकतवर हो उसे तम्बूरा कहते हैं" राहुल ने शेखी मारते हुए कहा ।
पिंकी ने अपनी सहेलियों के मुंह के मुंह से लण्ड और लौड़ा शब्द तो सुने थे पर राहुल के मुंह से ऐसे लफ्ज सुनके वो सिहर उठी ,ल।उसने एक बार अपनी दो सहेलियों के मुंह से यह शब्द सुने थे एक बोली मेरे बॉयफ्रेंड का लण्ड तो 5इंच का है तो दूसरी बोली बस मेरे वाले का तो 6इंच का है । पर अब उसकी उत्सुकता बड़ गयी थी वो भी राहुल का लण्ड देखना चाहती थी ।
"राहुल तू मुझसे मालिश नहीं करवाएगा ?" उसने राहुल जैसी मासूमियत दिखाते हुए कहा
"मुझे पता था तुम भी मेरी मदद करोगी इसीलिए मैं पहले ही तेल ले आया"
"बड़ा सयाना हो गया है तू ...चल जल्दी से दिखा मुझे अपना नन्नु?"
राहुल ने फटाफट अपनी निकर उतार दी और उसका 6इंच का लण्ड बाहर लटकने लगा ।
"अरे वाह ये तो बहुत बड़ा है ..." पिंकी ने ताली बजाते हुए कहा । पर अंदर ही अंदर वो सिहर उठी क्योंकि वो जानती थी कि अगर ये सांप सोया हुआ 6 इंच का है तो जागने पर तो ये पक्का अजगर बन जायेगा ।
"अभी कंहाँ बड़ा है तुम इसकी मालिश करोगी न तो यह और बड़ा हो जायेगा और इसके डोले शोले भी बन जायेंगे"
"अच्छा...चल झूटे" पिंकी ने अपनी हंसी रोकते हुए कहा
"सच्ची ....लगी शर्त? अगर मैं जीता तो कल तुम मुझे चॉकलेट दोगी"
पिंकी ने एक हाथ में तेल लगा लिया और धीरे धीरे से राहुल के लौड़े पर लगाने लगी । राहुल ने उसे बताया की ऐसे नहीं मरे लण्ड को मुठ्ठी में ले लो मालिश करो , पिंकी बबिता के जैसे अनुभवी तो नहीं वो बड़े प्यार से और धीरे-2 मालिश कर रही थी जिसके कारण राहुल को और भी मज़ा आ रहा था । जल्द ही राहुल का लण्ड पूरा तन गया और पत्थर के सम्मान सख्त हो गया अब तो उसका लण्ड पिंकी की मुठ्ठी में नहीं आ रहा था ।
"अरे राहुल तेरा लण्ड तो कितना बड़ा है...इतना बड़ा लण्ड दुनिया में किसी का नहीं होगा तू तो चैंपियन है यार" वो मन ही मन खुश हो गयी कि अब वो सहेलियों को बताएगी कि पता है मेरे बॉयफ्रेंड का लौड़ा तो मेरी बाजू जितना बड़ा है । पर फिर राहुल की दिमागी हालत का ख्याल आते ही वो उदास हो गयी
"देखा दीदी ने ही इसे इतना स्ट्रांग बनाया है ...अह...बड़ा मज़ा आ रहा है दोनों हाथों से तेज़ तेज़ करो न" राहुल ने कहा जो अब बस झड़ने ही वाला था पर उसे पता नहीं था की हो क्या रहा है । पिंकी ने दोनों हाथों से राहुल के तम्बूरे को पकड़ लिया और तेजी से हाथ ऊपर नीचे करने लगी । पिंकी को एक सेकंड के लिए लगा की राहुल का लौड़ा कुछ अकड़ रहा है और बड़ा हो रहा है और दूसरे ही सेकंड उसका सारा चेहरा और हाथ एक सफ़ेद तरल पदार्थ लथ-पथ हो गए।
"छी तुमने सुसु कर दिया" पिंकी बोली
"डफर ये सुसु तोड़े है ये तो मेरा लण्ड तुम्हें थैंक यू बोल रहा है देखो ये तो सफ़ेद है .."
तभी नीचे से पिंकी की मम्मी की आवाज़ आई "पिंकी ...पिंकी ...कंहाँ है तू?"
"आई माँ " पिंकी ने झट से रुमाल से हाथ और मुंह साफ़ किया
"कल भी इसी टाइम आजाना कल मैं तुम्हारी चूत को ताकतवर बनाऊंगा दीदी सिखाने वाली है की चूत को कैसे स्ट्रांग बनाते हैं"
"ये चूत क्या होती है ?" उसने भोले होने का नाटक करते हुए कहा
 
"कल भी इसी टाइम आजाना कल मैं तुम्हारी चूत को ताकतवर बनाऊंगा दीदी सिखाने वाली है की चूत को कैसे स्ट्रांग बनाते हैं"
"ये चूत क्या होती है ?" उसने भोले होने का नाटक करते हुए कहा
"पता नहीं पर दीदी बोली की लण्ड की दोस्त होती है"
"पिंकी कंहाँ रह गयी तू नीचे आ रही है या मैं ऊपर आऊँ?" पिंकी की मम्मी ने चीखते हुए कहा।
डर के मारे पिंकी बिना कुछ बोले ही नीचे चली गयी । राहुल का तम्बूरा अभी भी पूरी तरह सालमी दे रहा था । पर राहुल को तो इसमे कुछ गलत लगा नहीं इसलिए उसने निक्कर पहनी और वो भी घर आ गया । घर में अभी सभी टीवी देख रहे थे वो चुप चाप सीढ़ियों के नीचे बने अपने तहखाने में घुस गया । दो बच्चों के हो जाने पर रमा और राकेश ने सीढ़ियों के नीचे लकड़ी के फट्टे लगवा के एक केबिन सा बनवा दिया था । राहुल को इसी तह खाने में छोटी सी मंजी पर सोना पड़ता था । वो अपनी मंजी पर लेट गया और लेटते ही सो गया । पर उसका लण्ड अभी अभी भी तना हुआ था और छत को सलामी दे रहा था ।


टीवी प्रोग्राम खत्म होने के बाद रमा को याद आया की रात के बर्तन तो अभी गंदे ही पड़े हैं और राहुल कहीं नज़र नहीं आ रहा ।
"देखो जी यह राहुल दिन ब दिन बिगड़ता जा रहा है , आज ट्यूशन से पूरा आधा घंटा लेट आया और अब बर्तन न धोने पड़े इसलिए सो गया,क्या ज़रुरत है इस पर इतना खर्चा करने की मैं तो कहती हूँ ट्यूशन और स्कूल से हटवा के दूकान ले जाया करो" रमा अपने पति से बोली ।
"रमा सभी को पता है हमने उसे गोद लिया अब तोडा भी पैसा न खर्च किया तो लोग ताने मारेगें और अक्षर पढ़ जायेगा तो हमारे ही काम आएगा " राकेश ने रमा को समझाते हुए कहा ।
"बड़ी दूर की सोचते हो "
"सोचना पड़ता है ...बनिया हूँ कभी घाटे का सौदा नहीं करूँगा...जाके उठा लो"
"हाँ यही करुँगी और क्या"
रमा जब राहुल को उठाने गयी तो उसकी पहली ही नजर राहुल के तने हुए लण्ड पर पड़ी ,उसे लगा की राहुल ने पक्का कोई बोतल निक्कर में छुपा ली होगी उसे गुस्सा आ गया और उसने निक्कर को नीचे खींचा उसके मुँह से चीख निकलते निकलते रह गयी । एक सातवीं क्लास के लड़के का इतना बड़ा लण्ड । ऐसे मतवाले लण्ड को देख वो भी खुद को रोक न सकी और हाथ आगे बड़ा उसने लण्ड को पकड़ लिया । गरम-२ और सुडोल लण्ड को छूते ही उसके पुरे बदन में आग लगा दी ,वैसे भी उसे रोज राकेश की लुल्ली लेनी पड़ती थी ,राकेश तो 4-5 मिनट में झड़ जाता और संतुष्ट होके सो जाता पर रमा की जवानी तड़पती रहती उसका एक मन तो हुआ की कपडे खोले और चढ़ जाए इस 10 इंच के लौड़े पर और भुजा ले अपनी आग । पर घर में सभी थे तो उसने खुद को रोक लिया उसके मन में एक तरकीब आई उसने इस राज़ को राज़ ही रखने की सोची ताकि मौका मिलते ही वो अपनी आग भुझा सके । उसे लग रहा जैसे आज तक वो इस खजाने को जानभूझ कर लुटा रही थी । पर इस खजाने को पाने के लिए राहुल को वश में करना जरूरी था .उसने राहुल को नहीं जगाया और रसोई में जाकर सारा काम खुद कर लिया ।पर उसके पूरे बदन में आग लगी हुई थी उसकी चूत एक दम दार लण्ड के तड़प रही थी ।काम करके रमा बेडरूम में पहुंची तो मोटे थुलथुले राकेश को देख के उसका मन बैठ गया पर वो बेचारी करती क्या उसकी फ़ुद्दी इस टाइम जल रही थी उसे एक लण्ड चाहिए था ,रमा को पता था राकेश तो चुदाई करेगा नहीं बोलेगा थका हुआ हूँ , इसलिए उसने दिमाग से काम लिया उसने जल्दी से नाइटी अलमारी के पीछे फ़ेंक दी और कपडे उतार के नगी घूमने लगी कमरे में वैसे रमा थी पूरी चुदकड़ 36डी के ये बड़े बड़े मोमे और 37इंच की गाँड किसी भी मर्द को उत्तेजित करने के लिए काफी थे ऊपर आज की टीवी एक्ट्रेस स्वेता तिवारी जैसी शकल परन्तु राकेश पर तो जैसे इनका कोई असर ही नहीं हो रहा था ।
"क्या हुआ नंगी क्यों घूम रही हो"
"अजी नाइटी नहीं मिल रही...आप मदद कर दो न" रमा ने अपने होंठो को काटते हुए कहा
"भाई नहीं मिल रही तो नंगी ही सो जाओ वैसे भी यंहां कौन आने वाला है ? मुझे तो ज़ोरों की नींद आ रही है मुझे मत तंग करो"
'कैसा चक्का है ये' रमा ने मन में सोचा । और नंगी ही राकेश के पास लेट गयी उसने पीठ राकेश की तरफ मोड़ ली और जान बूझकर अपनी गांड उसके लण्ड पर रगड़ने लगी इस आस में की शायद पत्थर पिघल जाये पर पत्थर तो पत्थर होता है राकेश ने उसे एक तरफ झटक दिया और बेड के कोने में होके सो गया । रमा बेचारी आग में तड़पती रही , रमा को "गुरूजी" की याद आ गयी एक गुरु जी थे जो दिन में दसियों औरतों को संतान प्राप्ति करवाते थे और एक राकेश था जिससे अपनी बीवी की भी चुदाई नहीं होती थी । गुरु जी पर राकेश की माँ की असीम आस्था थी ,मरते मरते भी बोल गयी थी की चाहे कुछ भी हो जाये गुरु जी की बात मत टालना जैसा वो कहें वैसा ही करना और रमा को गुरु जी के पास जरूर ले जाना दर्शनों के लिए तब राहुल कोई एक साल का था ,माँ के मरने के कोई 3 महीने बाद गुरु जी चंडीगड़ आये और पास की पहाड़ियों पर अपने आश्रम में टहरे तो संतान प्राप्ति के लिए राकेश रमा को गुरूजी के आश्रम में ले गया था ।रमा को अच्छे से वो दिन याद था उसने नीले रंग की शिफॉन की साडी पहन रखी थी ।किसी परी जैसी लग रही थी । पर गुरु जी के आश्रम पर जब उसने उनकी सेविकाएं देखी थी तो उसे लगा की जैसे वो अप्सराएं हो एक से एक सुन्दर । राकेश उसे सुबह के 5 बजे ही आश्रम ले आया था ताकि भीड़ न हो पर इतनी सुबह भी उनका नंबर बीसवां था । रमा डर रही थी की कहीं गुरु जी ये न कह दें कि वो कभी माँ नहीं बन सकती । कोई 7 बजे उनका नंबर लगा ,सेविका उन्हें गुरु जी के कमरे तक ले गयी और दरवाजे से अंदर जाने का इशारा किया तथा उनके अंदर जाते ही उसने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया । गुरु जी 50 वर्ष के रहे होंगे पर चेहरे पर ऐसा तेज था की 40 से अधिक नहीं लगते थे , गोरा अंग्रेजों जैसा रंग बेहद कसरती बंदन ,पहलवानों सी मजबूत बाहें रमा ने अंदाजा लगाया की कम से कम गुरु जी का कद साढ़े 6 फुट तो होगा । न जाने क्यों उसके मन में एक विचार कौंध गया 6.5 फुट और मैं 5 फुट और वी सिहर उठी ।।। गुरु जी एक ऊँचे आसन पर विराजमान थे रमा को देखते ही बोले बेटी रमा अहिल्या से भी सुन्दर हो , रमा का तो जैसे शर्म से गढ़ ही गयी । फिर बिना कुछ पूछे राकेश से तुम्हारी माता जी गुज़र गयीं "अहह बड़ी भक्त थीं वो मेरी " गुरूजी ने एक आह भरते हुए कहा ।
 
"गुरु जी आपको कैसे पता चला की माँ गुज़र गयी" राकेश ने हैरानी से पूछा
"बेटा हमारी दिव्य आँख से कुछ छिपा नहीं रहता जैसे हमें ये भी पता है की ये नन्हा बालक जो तुम्हारी पत्नी की गोद में हैं इसे तुमने गोद लिया है" गुरु जी ने मुस्कुराते हुए कहा
"गुरु जी आप तो बगवान है सब जानते हैं , बताइये न क्या संतान सुख हमारे दापंत्य जीवन में है या नहीं?" राकेश कहते कहते रो पड़ा था ।
"भगवान केवल एक है ,हम तो बस उपासक हैं उनके ,बच्चा दोष तुम्हारी बीवी में है इसने पिछले जन्म में अपनी खूबसूरती के घमंड में एक ब्राह्मण का न्योता ठुकरा दिया था ,तो उसे ब्राह्मण पुत्र ने इसे श्राप दे दिया था"
"गुरूजी ये दोष दूर तो हो जायेगा न" राकेश ने पूछा
"बच्चा ऐसा कोई कार्य नहीं जो हम न कर सकें ...बस दो दिन की कामदेव की पूजा करनी होगी" बाबा जी रमा को ऊपर से नीचे तक निहारते हुए बोले ।
"गुरु जी पूजा कब शुरू करनी होगी" राकेश ने पूछा ।
"बेटा इस पूजा का योग 1 साल में एक ही बार आता है अगर 1 घंटे में न शुरू की तो 1 साल इंतज़ार करना पड़ेगा"
"तो गुरु जी हम आश्रम में ही ठहर जाते हैं" राकेश ने कहा।
"नहीं बच्चा इस पूजा में तुम शामिल नहीं हो सकते,हमें पता है तुम अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते हो और इतनी सुदंर पत्नी से कौन प्यार नहीं करेगा...परंतु यदि तुम साथ रहे तो श्राप नहीं टूटेगा..तुम घर चले जाओ हम रमा को पूजा के बाद भिजवा देंगे " गुरु जी ने राकेश के सर पर हाथ फेरा और उसे जाने के लिए कहा और राकेश किसी बुद्धू की तरह बाहर चला गया । रमा अकेली रह गयी । राकेश के चले जाने के बाद गुरूजी सेविका को फ़ोन करने के उठे तो उनका 7 फुट का विशाल काय शरीर देखके रमा सिहर उठी । गुरु जी ने सेविका को फ़ोन किया और कहा की रमा को कामदेव की पूजा के लिए तयार करो । एक सेविका आई आई और रमा को बाहर ले गयी उसने रमा को चन्दन और दूध से ने नहलाया और एक पिले रंग की साड़ी बिना बालुज़ और पेटीकोट के उसके तन पर लपेट दी । फिर वो उसे आश्रम के दूसरे कोने में ले गयी जंहाँ केवल एक ही कमरा था और काफी बड़ा लग रहा रहा था ।सेविका ने उसे अंदर जाने को कहा रमा उलझन से उसे देखने लगी तो वह बोली "डरो मत बेटी गुरु जी पर पूर्ण विशवास रखो और इस पवित्र कमरे में तुम्हें अकेले ही जाना होगा"
रमा ने उतेजना और डर से भरे मन को लेकर कमरे में प्रवेश किया गुरु जी इस समय शिव की उपासना कर रहे थे और रमा को पास ही पड़े एक बड़े से टेबल पर बैठने का इशारा किया ,रमा जो इस समय बेहद डर रही रही थी चुपचाप टेबल पर बैठ गयी टेबल के पास ही एक स्टूल रखा था जिसपर एक कमंडल में जैतून का तेल रखा हुआ रमा ने तेल को खूशबू से पहचान लिया ,कोई 15 मिनट और उपासना करने के बाद गुरूजी रमा के पास आ गए और बोले
"बेटी इस आसान पर उल्टा लेट जाओ हम पूजा शुरू करने से पहले तुम्हें सब बुरी आत्माओं से शुद्ध करेंगें "
"रमा टेबल पर अपनी मोटी मोटी छातियों के बल पर लेट गयी" उसका दिल इस समय इतनी ज़ोर से धड़क रहा था की वो सांस भी ढंग से नहीं ले पा रही थी ।
"बेटी हम तुम्हारी शुद्धि करने जा रहे हैं इस पवित्र जैतून के तेल को तुम्हारे बदन पर लगा कर तोड़ी ऊपर उठो ताकि इस अपवित्र वस्त्र को हम हटा सकें" गुरु जी ने नरम आवाज़ में कहा
रमा का एक दिल कह रहा था कुछ अन्होनी होने वाली है भाग जा पर संतान प्राप्ति की लालच ने उसे गुरु जी की बात मानने को मजबूर कर दिया । वो ऊपर उठी और गुरु जी ने एक झटके में ही साड़ी को उसके बदन से अलग कर दिया । रमा तो जैसे शर्म के समुन्द्र में डूब गयी ।
"अति सुन्दर, बेटी तुम्हें तो कामदेव ने रचा है डरो मत शुद्धि में ज्यादा समय नहीं लगेगा ,तुछ दुनिया के सब विचारों को मन बाहर निकाल दो बस उसका उत्तर दो जो हम पूछते हैं" गुरूजी ने थोड़े से तेल को रमा के कन्धों पर उड़ेलते हुए कहा ।
"जी गुरु जी" रमा बस यह ही कह पाई
गुरु जी ने उसके कन्धों पर अपने बड़े और गर्म हाथ रखे तो वो बुरी तरह से कांप गयी ।
" बेटी क्या तुम्हारे इन गोरे और सुन्दर कन्धों को शादी से पहले किसी ने छुआ था" गुरु जी ने कन्धों की हलके हाथों से मालिश करते हुए पूछा
रमा अपनी तारीफ से खुश भी हुई और डरी भी एक संशय उसके मन में आया की ये कोई पूजा है भी के नहीं , पर वो एक बच्चा चाहती थी ताकि कोई उसे बाँझ न कह सके तो उसने अच्छा बुरा सोचना बंद कर दिया "नहीं गुरु जी" उसने जवाब दिया ।
"तुम्हारा पति तुम्हारे कन्धों की मालिश करता है या नहीं"
"नहीं गुरु जी" रमा ने झट से जवाब दिया
"हम्म गधा है वो जो ऐसी रूप वती स्त्री की सेवा नहीं करता"
गुरु जी के हाथ अब रमा की पीठ की मालिश कर रहे थे ,गुरु जी मालिश में बेहद निपुण थे रमा को लग रहा था जैसे उसकी जन्मों की थकान मिट रही हो ।
"तुम्हारा वो पति तुम्हारी इस गोरी और मुलायम पीठ को तो चूमता होगा"
"नहीं गुरु जी" बेचारी रमा और क्या कहती
"बड़ा नाकारा मर्द है...तुम्हारी माँ ने तो तुम्हारी सारी जवानी बेकार कर दी" गुरु जी अब रमा की पीठ के कोनों की तरफ मालिश कर रहे थे उनके हाथ रमा के अगल बगल से उभरे हुए स्तनों से बस कुछ ही इंच दूर रह गए थे । गुरु जी ने अपनी हथेली में तेल उड़ेला और रमा की पीठ के दाहिनी तरफ मालिश करते हुए बोले "रमा सच कहता हूँ अगर मैं तुम्हारी माँ होता तो किसी जानदार मर्द से तुम्हारी शादी करवाता ...औरत जितनी खूबसूरत हो उसे उतना जानदार मर्द चाहिए होता है...तुझे अपने माँ बाप पर गुस्सा नहीं आता ?" गुरूजी ने रमा की बगल से बाहर उभरे हुए स्तन को हल्के से छूते हुए पूछा ।
गुरु जी के हाथ के हलके से स्पर्श से रमा उतेजित हो उठी थी ।कुछ बोल नहीं पाई ।रमा को लग रहा था की गुरु जी ने अब मोम्मे दबाये की अब दबाये पर वो तो उसके ऊपरी हिस्से को छोड़ पावँ की तरफ चले गए और टांगों की मालिश करने लगे ।
रमा कुछ शांत हुई तो बोली"गुरु जी मेरे माँ बाप को लगा लड़का अमीर है ठीक होगा बाकी सब कौन सोचता है"
गुरूजी के हाथ अब रमा के घुटनों के ऊपर आ चुके थे और रमा के सुडोल पटों की मालिश कर रहे थे , रमा फिर उतेजित होने लगी और उसकी साँस फिर तेज़ होने लगी पर गुरूजी पूरी तल्लीनता से मालिश करने में लगे थे ...रमा उतेजित थी पर उसका पूरा बदन एक नई ताकत का एहसास कर रहा था ।
 
"रमा तू देखने में तो अप्सराओं से भी सुन्दर और कामुक है शादी से पहले तेरा कोई प्रेमी तो ज़रूर रहा होगा" गुरूजी ने रमा के मांसल मोटे पुट्ठों को सहलाते हुए पूछा ।
"था गुरु जी..अः अः"
गुरु जी का हाथ कुछ गहराई में उतरा पर तभी तभी बाहर आ गया ,रमा का सारा बदन गर्म हो रहा था वो समझ नहीं पा रही थी की वो इतनी कामोतेजना क्यों महसूस कर रही है ,अब बस वो यही चाहती थी की गुरूजी मालिश करते रहें और उसके हर एक अंग की करें ।
"उसके साथ तुमने कभी सम्भोग नहीं किया ??" गुरु जी ने उसकी गांड को ज़ोर से दबाते हुए पूछा
"उउउ माँ....नहीं गुरु जी"
"तुम्हें तो सब मर्द ही नपुंसक मिले हैं" गुरु जी ने अपना पूरा हाथ रमा की गांड की दरार में डालते हुए कहा । फिर आगे बोले "रमा अब सीधी हो जाओ और पीठ के बल लेट जाओ ।
पर रमा शर्म के मारे कुछ न कर सकी वो वैसे ही पड़ी रही ,गुरु जी उसकी दुविधा समझ रहे थे उन्होंने बड़ी नाजुकता से रमा को पकड़ा और पलट दिया अब रमा की गोल गोल और बड़ी बड़ी छातियाँ गुरु जी के सामने एक दम नंगी थीं और रमा शर्म से मरी जा रही थी ।
"अति सुंदर ...अति सुन्दर मैंने तुम्हें सही ही अहिल्या कहा था"
रमा को अहिल्या की कहानी नहीं पता थी इसलिए उत्सुकता वश उसने पूछा "गुरूजी ये अहिल्या कौन थीं"
गुरु जी ने रमा के कंधों की मालिश करना शुरू की बोले "अहिल्या कई हज़ार साल पहले हुई और उस युग की सबसे सुन्दर स्त्री थी ,गोरा रंग ,सुडोल और बेल के फल जैसे बड़े स्तन पतली एक ही हाथ में समा जाय ऐसी कमर बड़े उभरे हुए कुहले उसका रूप देख माह ऋषि वशिस्ठ उस आक्सत्त हो गए हालांकि वो उस समय काफी बूढे हो चुके थे पर उन्होंने अहिल्या के पिता से उसका हाथ मांग लिया और क्योंकि वशिष्ठ काफी गुस्से वाले थे अहिल्या के पिता ने उसकी शादी बूढे ऋषि से करवा दी , बूढे ऋषि सुबह ही तपस्या के लिए निकल जाते और रात को लौटते बेचारी अहिल्या काम वासना में तड़पती रहती इंद्र जो यह सब सवर्ग से देख रहा था वो सुंदरी अहिल्या का दर्द न बर्दाश्त कर सका एक दिन जब सुबह सुबह ऋषि चले गए तो उसने ऋषि का वेश धारण किया और उनकी कुटिया में घुस गया और शिश्न दिखा के अहिल्या को सम्भोग के लिए कहने लगा पहले तो अहिल्या को लगा की उसके पति ने तपस्या से अपना शिश्न इतना बड़ा कर लिया है "
रमा जिसे लग रहा था की ये कहानी तो उसकी है और कहानी में पूरी तरह से डूब चुकी थी बोली" गुरु जी ये शिश्न क्या होता है?"
गुरु जो इस समय रमा के सत्तनो के बीच मालिश कर रहे थे रुक गए और मुस्कुरा कर बोले " रमा शिश्न लण्ड को कहते हैं"
गुरूजी के मुंह से लण्ड शब्द सुन रमा के पुरे बदन में गुदगुदी सी होने लगी , ऊपर से गुरु जी ने अपने दोनों हाथ उसके दोनों स्तनों पर रख दिए और उसके स्तनों की मालिश करने लगे
"तो कंहाँ था मैं रमा" गुरु जी मुस्कुरा के रमा को देखा और पूछा
"जी जी....अहिल्या को लगा की...उसके पति ने........शिश्न बड़ा" रमा रुक रुक के बोली
"हाँ याद आया तो पहले तो अहिल्या को लगा की उसके पति ने तपस्या से अपने लिंग का आकार बड़ा लिया पर क्योंकि वो एक दिव्य स्त्री थी इसलिये वो जान गयी की ये कोई और नहीं बल्कि देवों का राजा इंद्र है ...पर इंद्र का बड़े और दैवी लिंग ने उसको समोहित कर लिया था वो ज्यादा खुद पर काबू नहीं रख पाई और खुद को इंद्र के हवाले कर दिया ..इंद्र ने सुबह से दोपहर और फिर दोपहर से शाम तक अहिल्या का चोदन किया पर तभी इंद्र को ऋषि के आने का आभास हुआ वो वैसे ही नंगा भागा पर ऋषि ने उसे दरवाजे पर ही पकड़ लिया और बिस्तर पर नंगी पड़ी अहिल्या को भी देख लिया गुस्से में ऋषि ने इंद्र को श्राप दिया की उसके तेजस्वी लिंग की जगह बकरे का लिंग लग जाए और अपने श्राप से अहिल्या को पत्थर का बना दिया" गुरु जी ने कहानी ख़त्म की
कहानी ख़त्म तो उसका ध्यान गुरूजी के हाथों पर गया जो इस समय उसकी कड़ी हो चुकी चूचियों पर गया । गुरु जी ने उसकी चूचियाँ छोड़ दी और कहा की शुद्धि कार्य पूरा हो चुका अब रमा का प्रसाद ग्रहण करने का समय है । पर ये प्रसाद केवल आँखें बंद करके ही लिया जा सकता है । गुरु जी रमा की आँखों पर पट्टी बांध दी और उसे घुटनों के बल बैठने को कहा |किसी लकड़ी की चीज़ के सरकाने की आवाज़ हुई और कुछ देर बाद गुरूजी ने रमा को अपने हाथ आगे करने को कहा, रमा को लगा गुरूजी उसके बिलकुल पास बैठे हैं आँखों में पट्टी बंधी होने के कारण रमा इधर उधर हाथ मारने लगी
"रमा प्रसाद खोज कर तुम्हें खुद ही प्राप्त करना होगा तभी ये पूजा सफल हो पायेगी" रमा को लगा जैसे गुरूजी की आवाज़ में दबी हुई हँसी मिली हुई है कुछ देर इधर उधर हाथ मारने के बाद उसका हाथ एक गर्म और नरम चीज़ से टकराया रमा ने उस चीज़ को टटोलने की कोशिश की ताकि उसका कोई सिरा उसके हाथ लग सके आखिर काफी मशक्कत के बाद रमा उस लंबी मोटी और गर्म चीज़ को पकड़ने में कामयाब हुई और दर के मारे लगभग चीख ही पड़ी
" सांप ...सांप " और झटक कर उसने हाथ पीछे कर लिया
"डर गयी रमा ...हमें तो लगा था तुम बहादुर हो ...इस सांप को अपने वश में कर लोगी"
"गुरूजी सांप है काट लेगा तो?" रमा ने कांपती आवाज़ में कहा ।
"अरे रमा तुम बेहद भोली हो ये हमारा पाला हुआ सांप है ,नहीं काटेगा ...पूजा के लिए सांप का आशीर्वाद बेहद ज़रूरी है इसके लिए तुम्हें इससे खुश करना बेहद ज़रूरी है तभी संतान प्राप्ति हो सकेगी .....कर सकोगी इसे खुश"
"जी गुरूजी" रमा ने डरते डरते कहा और आगे बढ़के दोबारा सांप को पकड़ लिया
"अब इसे चूमो ,हम इसका मुंड तुम तक लेके आते हैं तुम चूम लेना..अपने होंठ आगे करो और चुमों" गुरूजी ने आदेश देते हुए कहा ।
रमा जिसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था ,आगे झुकी और सांप के मुख को चूम लिया उसके चूमते ही सांप में हलकी सी हरकत हुई
"उई माँ काटता है" रमा चिल्ला उठी
"हाहा...रमा तुम बेवजह डरती हो ये तो हमारे साँप का आशीर्वाद था...तुमने आशीर्वाद पा लिया है अब तुम अपनी ज़ुबान निकालो और इसे चाटो "
रमा के तो होश उड़ गए और वो जैसे पत्थर की बन गयी बिल्कुल हिल डुल नहीं पा रही थी , गुरूजी ने उसके हाथों को पकड़ा और सांप को रमा के हाथों में दे दिया
"रमा तुम संतान चाहती हो या नहीं?"
"चाहती हूँ गुरूजी"
"फिर वैसा ही करो जैसा हम कहते हैं महूरत का समय निकला जा रहा है ...चलो चाटो इसे"
 
रमा जिसे अब शक होने लगा था की जो चीज़ उसके हाथों में है वो सांप है भी है या नहीं चीज़ को अपने हाथ ऊपर नीचे कर टटोलने लगी निचले हिस्से पर पहुंची तो उसे सांप के मुंह जैसा कुछ नहीं महसूस हुआ बल्कि उसे लगा की वो एक संतरे जितने बड़े लण्ड मुंड को सहला रहा रही है अचानक उसके मन में पिछली सारी बातें घूम गयी "हाय राम इतना बड़ा लौड़ा" उसने मन में सोचा और उसका दिल फिर रेलगाड़ी की तरह धड़कने लगा । उसकी चूत में जैसे एक टीस सी उठी ,आज पहली बार वो एक असली मर्द का लौड़ा छू रही थी । रमा एक अजीब सी उत्सुकता में बह गयी उसके मन में अजीब सी बातें आने लगी 'हाय कैसे लूँगी इस लण्ड को चूत में, जब 7 फुट के बाबा जी मेरे ऊपर चढ़ेंगे तो क्या होगा' वो लण्ड को पकडे पकडे ही विचारों में खो गयी ,
"रमा ....रमा क्या हुआ किन विचारों में खो गयी" बाबा जी अपने शिथिल लेकिन भारी और बड़े लण्ड से रमा के चेहरे पर एक चपत मारते हुए पूछा"
"गुरु जी जिस चीज़ का मैंने अभी चुमभन लिया है वो सांप नहीं है न?"
"ह्म्म्म आखिर तुम जान ही गयी तो तुम ही बताओ ये क्या है?"
"गुरूजी ये आपका लिंग है"
"तुम्हें अच्छा लगा ? तुम्हारे पति से अच्छा है या बुरा?"
"गुरूजी उनका तो किसी छोटे बच्चे की लुल्ली जैसा है"
"अच्छा और हमारा लिंग कैसा है"
"आपका का तो बहुत बड़ा है"
"तुम देखना चाहोगी"
"हाँ गुरु जी"
"हम तुम्हे अपने लिंग के दर्शन करवाएंगे पर उससे पहले तुम्हें इससे प्यार करना होगा ....करोगी न रमा?"
रमा जो घुटनों के बल बैठी थी कुछ आगे खिसकी ,गुरु जी न उसके चेहरे को पकड़ अपने लिंग के बिलकुल पास सेट कर दिया ताकि रमा उसे चाट सके ,रमा ने अपनी जीभ निलकाली और लिंग को आइसक्रीम की तरह चाटने लगी ,नीचे से से ऊपर और ऊपर से नीचे ,एक गर्म ,डंडे जितने बड़े लण्ड को वो चाटती जा रही थी ।
"ओह....रमा तुम तो कमाल चाटती हो आह"गुरु जी सिसकियाँ लेने लगे
गुरु जी का शिथिल लण्ड अब अकड़ने लगा था क्योंकि रमा ने लिंग को दोनों हाथों से पकड़ रखा था उसे लगा की लिंग के उठान से वो भी कहीं ऊपर न उठ जाए कुछ सेकण्ड में गुरु जी लण्ड पूरा तन चूका था ।
"रमा लिंग दर्शनों के लिए तयार है खोलो अपनी आँखों की पट्टी " गुरूजी ने मुस्कुराते हुए कहा
रमा ने लिंग को छोड़ दिया और उसने अपनी आँखों की पट्टी खोली ,120 डिग्री पर तने हुए 4किलो की लौकी जितने मोटे लण्ड को देख रमा का मुंह खुला का खुला रह गया ।
"रमा तुम हमारे लिंग का माप नहीं लोगी ?.....ये लो इंचीटेप और मापो इसे आखिर तुम्हे पता होना चाहिए की जो लिंग तुम्हारी योनी में जाने वाला है उसका आकार क्या है " ये कहते हुए गुरु जी ने रमा को इंचीटेप थमा दिया ।
नापने का मन तो रमा का भी कर ही रहा था उसने झट से इंचीटेप उठाया और लिंग के सिरे पर रख इंचीटेप को लण्डमुण्ड के आखरी सिरे तक खोला ...उसे 12इंच पढ़कर विश्वास नहीं हुआ उसने दोबारा माप लिया इसबार भी 12इंच '12 इंच मतलब पूरा एक फुट' रमा ने मन में सोचा
"रमा तो कितनी लंबाई है हमारे लण्ड की?"
"गुरु जी 12 इंच"
"ठीक अब मोटाई का नाप लो"
"हाय यह भी 12इंच ....इनती तो मेरी बाजु भी मोटी नहीं है"
"हा हा हा रमा ये असली मर्द का लण्ड है ....पर आज तुम्हें देख ये कुछ अधिक ही तन गया है अब मुझसे और सब्र नहीं होता अब तुम्हारा चोदन करना ही होगा...तुम तयार हो न "
"जी गुरूजी आप जो करेंगे वही ईश्वर की कृपा होगी"
गुरूजी ने रमा को गोद में उ ठा लिया और उसे लेजाकर फिर से टेबल पर लिटा दिया ,और रमा की बाहें खोली और टेबल के कोनों से एक रस्सी की मदद से बांध दीं ।
"गुरूजी ये आप क्या कर रहे हैं ...मुझे डर लग रहा है" रमा बोली
"डरो नहीं रमा अभी तो आखिरी प्रसाद ग्रहण करना है " गुरु जी ने रमा की टांगे खोली और खुद उसकी टांगो के बीच आते हुए बोले "रमा मेरी तो बड़ी इच्छा थी तुम्हारी इस चूत का रसपान करूँ पर ये लिंग में लगी आग पहले शांत करनी होगी"
रमा कुछ नहीं बोली बस लेटी रही ...उसके हाथ बंधे थे और वो कुछ कर भी नहीं सकती थी गुरुजी के लौड़े को देख उसे डर लग रहा था लेकिन उसके अंदर की प्यास उसके डर से कहीं ज्यादा थी गुरु जी थे की अपने मूसल लिंग को उसकी चूत के होंठों पर रगड़े जा रहे थे ...रमा का पूरा बदन मस्ती से काँपने लगा
"रमा क्या हुआ तुम काँप क्यों रही हो" गुरूजी ने भोले बनते हुए कहा
"आह ...गुरूजी और सहन नहीं होता" रमा ने आहें भरते हुए कहा
गुरूजी इसीके तो इंतज़ार में थे की रमा कोई इशारा करे यंहां तो रमा ने न्योता ही दे दिया था उन्होंने आव देखा न ताव झट से रम की पतली कमर पकड़ी और ज़ोर का गस्सा मारा उनके लण्ड का मुंड सरसराता रमा की योनि में घुस गया ।रमा दर्द से बिलबिला उठी
"आई मर गयी ...गुरूजी क्या कर दिया इस दर्द से मर जाउंगी मैं"
 
"रमा तुम भी कमाल करती हो चोदन से कोई मरता है क्या ...फिर तुम जैसी अप्सरा तो इससे भी बड़ा लौड़ा संभाल सकती " गुरूजी ने मुस्कुराते हुए कहा और अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और फिर रमा की योनि पर सेट कर दिया ...रमा के लिए पहला वार ही जानलेवा था गुरूजी को आगे की तयारी करते देख वो ज़ोर से रोने लगी
"गुरूजी भगवान के लिए मुझे छोड़ दो मैं नहीं ले पाऊँगी इतना बड़ा....उई माँ मर गयी गुरूजी प्लीज निकालिये न बाहर" रमा ने छटपटाते हुए कहा
"रमा तुम तो बिलकुल बच्ची हो ...देखो तो तुम्हारी इस छुइमुई योनी तो बिलकुल भीगी पड़ी है ...और अपनी चूचियों को तो देख कैसी अकड़ गयी हैं " बाबाजी ने झुक के रमा की दायीं चूची को मुंह में ले लिया और चूसने लगे और दूसरे मम्में को हलके हलके दबाने लगे । रमा ने ऐसा आनंद का अनुभव कभी नहीं किया था , रमा ने आँखें बंद कर ली और खुद को पूरी तरह से बाबा जी के हवाले कर दिया । बाबा जी मोका देख के रमा के स्तनों को मजबूती से पकड़ा और ज़ोर से धक्का लगाया और उनका लिंग फचक की आवाज़ करता हुआ रमा की बच्चे दानी से जा टकराया ...रमा दर्द से निढाल सी ही हो गयी उसमें इतनी भी ताकत न रह गयी थी की चीख ही पाती ...और बाबा जी ने तो जैसे धक्कों की सुपरफास्ट ट्रेन ही चला दी । रमा उस दिन नाजाने कितनी ही बार झड़ी ....पर बाबा जी को तो जैसे न झड़ने का वरदान था वो तो उसे पेले जा रहे थे ...थकने का और रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे आखिर रमा बेहोश ही हो गयी । उसे एक नरम बिस्तर पर होश आया तो रात हो रही थी , उसे कपडे पहना दिए गए थे और एक सेविका उसके पाँव दबा रही थी । कुछ देर बाद बाबा जी कमरे में आ गए और रमा के सिरहाने बैठ उसके सर को हलके हलके सहलाने लगे ।
"रमा तुमने प्रसाद ग्रहण कर लिया है ..तुम्हें संतान प्राप्ति अवश्य होगी " वो रमा के सर को सहलाते हुए बोले ।
रमा कुछ कह न सकी उसकी आँखों में ख़ुशी और संतुष्टि के आंसू थे । बाबा जी उसकी भावनाओं को समझ गए और उसके कान में धीरे से बोले "पगली हम तीन महीने बाद फिर आएंगे...पर तुम यंहां से जाते ही अपने पति के साथ एक बार ज़रूर सम्बन्ध बना लेना ..वरना उसे शक हो जायेगा"
रमा कुछ बोली नहीं बस उसने हाँ में सिर हिला दिया । बाबा जी तीन साल लगातार आते रहे रमा को तीन संतानो की प्राप्ति हुई पर फिर वो किसी बाहर देश चले गए और रमा बेचारी फिर अकेली रह गयी । और आगे के इन सालों में तो जैसे रमा ने खुद को औरत मानना ही छोड़ दिया था ,पर आज राहुल के मर्दाना लिंग को देख उसकी भावनाएं फिर जाग गयी थी रमा को सारी रात नींद नहीं आई ।रात भर बस करवटें बदलती रही ।
 
दूसरी तरफ राहुल आने वाली घटनाओं से बेखबर सो रहा था , सुबह कोई 6 बजे उसकी नींद खुली तो उसे हैरानी हुई की आज माँ ने उसे जगाया नहीं पर उसे लगा की माँ। पक्का उसे जगाने आईं होगी और वो जागा नहीं होगा 'आज तो पिटाई पक्का उसने मन में सोचा' और भाग के सीधा रसोई में गया ,इस बात से बिल्कुल अनजान की उसका तम्बूरा अभी भी तना हुआ है और उसकी निक्कर से साफ़ पता चल रहा है वैसे उसे पता भी होता तो भी वो यही सोचता की मालिश से उसका लण्ड कितना ताकतवर हो गया है उसे इसमें शर्म की कोई बात नज़र नहीं आती । रसोई में रमा बर्तन धो रही थी , और रमा की पीठ उसकी तरफ थी नाइटी में से उसके सुडोल गांड साफ़ नज़र आ रही थी रमा की मांसल गांड देखते ही राहुल का मन आया की वो गांड को ज़ोर से दबाये इस उभरी हुई चीज़ को वो अभी अपने सपनों में ही खोया हुआ था जब रमा को लगा की उसके पीछे कोई खड़ा है वो पीछे घुमी तो राहुल की उभरी हुई निक्कर को देख उसकी हँसी छूट गयी
"उठ गया ...सो लेता कुछ देर और" वो मुस्कुराते हुए बोली ।
"सॉरी माँ आज मैं उठ नहीं पाया ,मैं अभी सारा काम कर देता हूँ" वो डरते हुए बोला ।
"हम्म काम तो तू कर ही लेगा ये तो मैं देख ही रही हूँ...और डर मत आज मैंने खुद नहीं उठाया तुझे " रमा ने राहुल के उठे हुए लण्ड को घूरते हुए कहा । और फिर कुछ देर रुक कर बोली "राहुल तू निक्कर के अंदर कच्छा क्यों नहीं पहनता?"
"मुझे गर्मी लगती है और मेरा नुन्नु दुखता है कच्छे में " राहुल ने मासूमियत से जवाब दिया । उसे समझ नहीं आ रहा था की माँ उसे कच्छा पहने को क्यों कह रही है
"अच्छा पर अब तू बड़ा हो गया है न इसलिए ...कच्छा न पहना गन्दी बात होती है " रमा बोली ।
रमा ने उसे वंही खड़ा रहने को कहा और अपने कमरे से अपने पति का एक कच्छा ले आई और राहुल को देते हुए बोली "ले पहन ले इसे । राहुल ने भी बिना किसी शर्म के निक्कर रमा के सामने ही उतार दी और उसका तनतनाता लण्ड रमा को सलामी देने लगा राहुल ने कच्छा पहन लिया पर उसका लिंग था ही इतना बड़ा और ऊपर से तना हुआ झट से कच्छे के छेद(जो पेशाब करने के लिये बना होता है) से बाहर आ गया
"माँ मेरा नुन्नु तो कच्छे में आ ही नहीं रहा क्या करूँ?" राहुल परेशान होते हुए पूछा
"रुक मैं सिखाती हूँ कैसे पहनते हैं...... नुन्नु को ऐसे पकड़ के कच्छे की टांग वाली तरफ कर देते हैं " रमा ने इशारे से समझाते हुए कहा ।
राहुल ने दो तीन बारी कोशिश की पर बेकार ऊपर से लण्ड दुखने लगा वो अलग "माँ मुझे नहीं आता " उसने आखिर थककर कहा । रमा समझ गयी उसे ही अब इस अजगर को संभालना होगा ये सोचते ही उसके पुरे बदन में सिहरन दौड़ गयी । रमा राहुल के पास गयी और उसने राहुल के लण्ड को पकड़ लिया 'हे राम कितना मोटा है' रमा ने मन में सोचा और ये सच ही था लण्ड उसकी मुठी में आ ही नहीं रहा था 2 ऊँगली जितनी जगह खाली थी । रमा का मन तो कर रहा था की अभी इसी वक़्त ये मूसल उसकी फ़ुद्दी में घुस जाये पर वो जानती थी की सभी घर पे हैं इसलिए उसने जल्दी से राहुल को बताया की नुन्नु को कंहाँ रखते है कच्छे में । और उसे जल्दी से निक्कर पहने को कहा
"माँ देखो नुन्नु अभी भी नंगा है"
"बेटा ये ऐसे ही होता है तू निक्कर पहन ले तो नंगा नहीं रहेगा" रमा ने राहुल से कहा जो कच्छे की टांग से बाहर झांक रहे अपने लिंग की तरफ इशारा कर रहा था । "चल जाके नहा ले ज्यादा बातें मत बना वरना स्कूल के लिए लेट हो जायेगा"
सब बच्चों को स्कूल और फिर पति को दुकान भेजने के बाद रमा घर की साफ़ सफाई में लग गयी ,कोई 11 बजे वो घर के सब काम करके फ्री हुई तो उसने अपनी पिंकी की माँ को आवाज़ लगाईं "अरे पिंकी की मम्मी अगर काम निपट गया हो तो आओ चाये पीते हैं ...'शांति' भी बस शूरु होने वाला है"
"आई रमा " तरनजीत ने जवाब दिया । तरनजीत 35 साल की भरे बदन की महिला थी उसका रंग पंजाबियों की तरह साफ़ और कद काठी काफी मजबूत थी । तरनजीत काफी रंगीन मिज़ाज की औरत थी शादी के बाद भी उसके कई मर्दों के साथ सम्बन्ध थे । तरन अपने मोटे कुहलों को मटकाती हुई रमा के कमरे में दाखिल हुई उसने रमा के चेहरे को देखते की जान लिया की रमा के साथ रात को क्या हुआ होगा ।
"क्या रमा आज फिर भाई साहब फुस हो गए क्या?" उसने रमा को आँख मारते हुए पूछा
"क्या बताऊँ दीदी इस आदमी से तो तंग आ गयी हूँ मैं आज तो पुरे 93 दिन हो गए " रमा ने तरन की तरफ चाय का कप बढ़ाते हुए कहा ।
"रमा तू क्यों इस आदमी के साथ क्यों बरबाद हो रही है , जैसे लहसुन बिना सब्जी नहीं जचती वैसे ही लौड़े बिना औरत की ज़िन्दगी ही क्या ?" तरन ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा
"दीदी तुम कह तो सही रही हो पर मैं कर ही क्या सकती हूँ ?"
"रमा तुम भाईसाहब को किसी अच्छे डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाती आज हर बिमारी का इलाज है ....मैं एक दिन भी चुदाई के बिना नहीं रह सकती...तू पता नहीं कैसी जीती है"
"दीदी अब क्या कहुँ तुमसे, ये किसी डॉक्टर के पास जाते नहीं ...पर मैंने सोचा शरमाते होंगे तो इन्हें बिना बताये ही कई डॉक्टरों की दवाई ले आती थी और इनके खाने में मिला देती थी पर कोई लाभ नहीं हुआ मैं तो पूरी तरह से टूट चुकी हूँ तुम ही बताओ क्या करूँ मैं" रमा ने सिसकते हुए कहा ।
"ओह रमा हिम्मत मत हारो..तुम बुरा न मानो तो एक तरकीब है मेरे पास कहो तो बताऊँ?" तरन ने रमा को सहलाते हुए कहा
"दीदी तुम्हारी किसी बात का बुरा माना है आज तक जो अब बुरा मानु गी" रमा ने आस की नज़रों से तरन की और देखते हुए कहा ।
"रमा तू मेरे देवर रवि को तो जानती हैं न ? बहुत पूछता है तेरे बारे में मेरी मिन्नतें कर रहा है साल भर से की तेरी उससे बात करवा दूँ , तू बोले तो करूँ बात" तरन ने रमा को आँख मारते हुए कहा ।
"नहीं नहीं दीदी रहने दो" रमा ने घबराते हुए कहा
"क्यों तुझे अच्छा नहीं लगता क्या?" तरन सवालिया नज़रों से रमा को घूरते हुए कहा
" नहीं दीदी वो बात नहीं रवि जैसा सुन्दर और जवान लड़का जिस लड़की को मिलेगा उसकी तो ज़िन्दगी बन जायेगी...पर वो अभी लड़का है कालेज पड़ता है ...उसकी जिंदगी खराब हो जायेगी " रमा ने उतेज़ित होते हुए कहा
"हा हा रमा मैं तो तुझे चालाक समझती थी तू तो बिलकुल भोली है बच्चों की तरह...जिसे तू लड़का कह रही है न वो लड़का तेरी मेरी जैसी चार की चुदाई एक साथ कर सकता" तरन ने हँसते हुए कहा
"क्या दीदी तुम तो कुछ भी कहती हो" रमा तरन को हलका धक्का देते हुए कहा पर तभी वो सारा मामला समझ गयी और हँसते हुए "तो इसका मतलब तुम और रवि करते हो?"
"रमा तू करने की बात करती है मैं तो लगभग रोज़ उससे चुदती हों अब ऐसी आदत पड़ गयी है की अगर एक दिन भी उसका लौड़ा न लूँ तो मेरी चूत की हालत बुरी हो जाती है"
"ओह दीदी तो कल जब दिन में रवि आया था तो तब भी तुमने .......अब समझी तभी कल तुम मेरे पास नहीं आई...पर अगर पिंकी के पापा को पता चल गया तो?...तुम्हें डर नहीं लगता " रमा हैरान होते हुए पूछा ..रमा मन ही मन सोच रही थी कि ऐसा देवर काश उसे मिला होता
"रमा तू विशवास नहीं करेगी कल तो पिंकी के पापा ने सारा खेल देख ही लिया होता पर रवि के ही तेज़ दिमाग ने बालबाल बचा लिया"
 
"क्यों क्या हुआ बताओ न" रमा बोली उसे अब मज़ा आने लगा था जैसे हमें पोर्न देखते हुए आता है ।
"हम्म हम्म मज़ा ले रही है ?" तरन ने रमा को छेड़ते हुए कहा फिर वो पालथी मार के बैठ गयी और सुनाने लगी
"रमा क्या बताऊँ तुझे कल तो एक पल के लिए मेरी सांसे ही रुक गयीं थी हुआ ये की रवि आम तौर से 10 बजे के आसपास आता है और 1 बजे तक चला जाता है ,उसे घंटी न बजानी पड़े इसलिए मैं दरवाजे पर कुण्डी नहीं लगाती ...पर कल वो 11 बजे तक नहीं आया मुझे लगा की अब नहीं आएगा तो मैं रसोई में खाना बनाने चली मैं आटा गूंध रही थी की उसने मुझे पीछे आके दबोच लिया कस के और मेरे कबूतरों को मसलने लगा । मैं कहा भी की क्या कर रहे हो पिंकी के पापा आ जाएंगे पर उस पे तो ठरक हावी थी उसने झट से मेरी नाइटी ऊपर की और घुसा दिया अपना बड़ा मोटा लौड़ा मेरी चूत में गुसेड़ दिया ,कमीने का इतना मोटा है की हर बार लेते हुए मेरी हालत पतली हो जाती है । मैंने कहा भी रवि से की तेल-वेल लगा ले पर उसने तो तब तक रेल चलानी शुरू कर भी दी थी ,मैं शेल्फ पे झुकी हुई थी और वो मेरे कबूतरों को पकड़ के पूरी ताकत से धक्के दे रहा था । पर तभी घंटी बजी पर मैं करती क्या मेरी तो सिटी-पिटी गुम हो गयी , 'रवि पक्का तुम्हारे भैया होंगे' पर उसे तो जैसे पहले ही सब पता था बोला 'पूछो की कौन है और भाग कर बाथरूम में चलो' मैंने आवाज लगाई "कौन है". और भाग कर बाथरूम में पहुँच गए हम दोनों । बाहर से ये बोले 'मैं हूँ तरन दवाजा खोल' । मैं जो पहले डरी हुई थी और डर गयी मेरे पूरा बदन कांप रहा था कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या जवाब दूँ । पर रवि ने धीरे से मेरे कान में कहा कि कहो मैं नहा रही हूँ ..आती हूँ, मैंने ऐसा ही किया । रवि मुझ से ज्यादा चालाक था उसने इतनी सी देर में सब सोच लिया था उसने झट से मेरी नाइटी उतारी और पानी से मुझे भिगो दिया और तौलिया मुझे देते हुए बोला इसे लपेट लो और जाके दरवाजा खोलो । मैंने तोलिया लपेटा और जाके दरवाजा खोला । मैं अभी भी डर रही थी कि पिंकी के पापा गुस्सा होंगे पर भगवान कि दया से ऐसा कुछ नहीं हुआ । मुझे तौलिए में देख कहने लगे की तुझे इतनी भी क्या जल्दी थी दरवाजा खोलने की आराम से कपडे पहन के खोलती । उनकी ये बात सुन के मेरी जान में आई मख्खन लगाने के लिए मैंने उनसे कहा आपको इंतज़ार करना पड़ता इसिलए ऐसे आ गयी । उनको बस कुछ कागज़ लेने थे दफ्तर के ,उन्होंने वो लिए और चले गए । उनके जाने के बाद हमने अपना अधूरा काम बड़े आराम से पूरा किया । " तरन ने अपनी बात खत्म की ।
"ओह दीदी तुम्हारे तो मज़े हैं पर देवर से चुदते हुए तुम्हें बुरा नहीं लगता ?" रमा बोली
"रमा तू किस जमाने में रह रही है ,आज के जमाने में कोई रिश्ता नहीं होता बस चूत और लण्ड होते हैं ....वैसे लण्ड तो अपने राहुल का भी बड़ा मस्त है" तरन ने चटकारा लेते हुए कहा
"हाय राम तुम कैसी बातें करती हो ...राहुल तो अभी बच्चा है उसे तो छोड़ दो यार" रमा ने कहा वो सोच रही थी की तरन कितनी बड़ी चुदकड़ है उसके बेटे पर भी नज़र है उसकी । 'नहीं राहुल सिर्फ और सिर्फ मेरा है' उसने खुद से कहा ।
"मैं कैसे बातें कर रही हूँ ? सारी मोहल्ले की औरतों की नज़र है राहुल पे , तू उसे कच्छा तो पहनाती नहीं और राहुल सारा दिन अपना हथौड़े जैसा लण्ड लिए इधर उधर घूमता रहता है ...कसम खा के कहती हूँ अच्छा मौका है तेरे पास इससे पहले की कोई पराई औरत तेरे कुंवारे लड़के को मर्द बनाये तू खुद ही ऐसा कर ले" तरन ने रमा को आँख मारते हुए कहा ।
" क्या दीदी कुछ भी बोलती हो राहुल बेटे जैसा है" रमा बोली
" बेटा तो नहीं है न ? और इतना ही बेटा मानती हो तो उसे नोकरों की तरह क्यों रखती हो? फिर बेटा नहीं माँ के दुख दूर करेगा तो क्या दुश्मन करेंगे?"तरन ने प्यार भरी आवाज़ में रमा से कहा ।
"बोल तो तुम सही रही हो ...मैंने उसके साथ बड़ा बुरा बरताव किया है पर दीदी मेरा दिल नहीं मानता ..उसका लण्ड देख लेती हूँ तो सारे बदन में आग लग जाती है पर .."
"पर वर छोड़ रमा कसम खा के कहती हूँ कुंवारे लौड़े का मज़ा अलग ही होता है" तरन ने रमा के दिल को टटोलते हुए कहा । वो जानना चाहती थी की आखिर रमा के दिमाग में चल क्या रहा है । वो तो रमा के जरिये राहुल तक पहुँचने की बात सोच रही थी पर वो बेहद चालाक थी उसे पता था की वो सीधे कभी राहुल को नहीं पा सकती इसिलए वो रमा को गर्म कर रही थी ।
"दीदी ये क्या कह रही हो रिश्तों में यह सब ठीक नहीं होता" रमा ने संभलते हुए कहा ।
'साली कितना नाटक करती है' तरन ने मन में सोचा । वो जानती थी की रमा कई महीने से सम्भोग नहीं कर पाई है और बस थोडा और उकसाने की देर है फिर यह रवि से भी चुदेगी और अपने बेटे से भी ।"रमा रिश्ते तो होते ही हैं हमें सुख देने के लिए और सोच तू कहीं बाहर चक्कर चलाये तो बदनामी का डर है ऊपर से अगर राहुल को भी बाहर चुदाई की लत पड़ गयी तो बेचारा कहीं का नहीं रहेगा तू मोहल्ले की औरतों को नहीं जानती बड़ी बुरी नीयत है उनकी" तरन ने तरूप का इक्का चला । और उसका वार सही जगह जाके लगा । रमा सोचने लगी की बात तो ये सही कह रही है अगर वो राहुल के साथ अपनी प्यास भुजाती है तो घर की बात घर में ही रह जायेगी ।
" ठीक है दीदी देखती हूँ ...पर तुम बताओ क्या तुम कभी घर में चुदी हो ?" उसने अपना बचा-खुचा शक मिटाने के लिए तरन से पूछा ।
"मेरी तो पहली ही चुदाई अपने ही घर में हुई थी और देखो किसी को कुछ पता नहीं चला" तरन ने उसे कहा ।
"दीदी बताओ न कैसे किया तुमने ये सब और किसके साथ"
"रमा तेरी यह हालत मुझसे देखी नहीं जाती इसिलए सिर्फ तुझे बता रही हूँ आज तक ये बात मेरे सिवा किसी को नहीं पता ....बात तब की है जब मैं कुंवारी थी , हमारा गांव बेहद पिछड़ा हुआ है बापू को शराब की लत थी कोई काम नहीं करता था ।माँ ही खेतीबाड़ी करती ,घर संभालती पर जमीन कम होने के कारण माँ को गलत काम करना पड़ता ।मुखिया के यहाँ जब भी कोई अफसर आता तो मुखिया माँ को बुला लेता बदले में काफी पैसे मिलते जिससे घर आराम से चल जाता ऊपर से कुछ बचत भी हो जाती । एक दिन की बात है रात के 8 बजे थे बापू अभी आये नहीं थे ,मुखिया का एक नोकर आया उसने माँ से कुछ बात की और चला गया । माँ ने मुझे कहा की कोई बड़ा अफसर आया है हमारी ज़मीन की बात करने के लिए जो तुम्हारे चाचा ने हथिया ली है । मैं तब कुछ भी जानती थी दुनियादारी के बारे में मैं माँ की बातों में आ गयी । फिर माँ बोली ,भोली आज तू जाके मेरे बिस्तर पर लेट जा ऊपर रजाई ओढ़ लेना क्योंकि अगर तेरे बापू को पता चल गया की मैं घर से बाहर हूँ तो वो मार पिटाई करेंगे मेरी अच्छी बेटी अपने परिवार के लिए इतना तो करेगी न । पर रमा मैं डर रही थी कि अगर बापू को पता चल गया तो मेरी खैर नहीं तो यही बात मैंने माँ को बताई पर माँ ने कहा तेरे बापू तो दारू में टुन होके आते हैं और आते ही सो जाते हैं उन्हें नहीं पता चलेगा । माँ ने मुझे मिन्नते करके मना लिया । मैं चुपचाप माँ के बिस्तर पर जाके लेट गयी और रजाई ओढ़ के चुपचाप लेट गयी और दिया भी भुजा दिया पुरे कमरे में बस अँधेरा ही अँधेरा था कुछ नज़र नहीं आ रहा था । कोई 1 घंटे बाद बापू गाना गाते हुए अंदर आये डर के मारे मेरी तो घिग्गी बंध गयी दिल ज़ोरों से धड़कने लगा बापू थे भी 6फुट लम्बे चौड़े और पिटाई तो ऐसी करते थे की रूह कांप जाए । आते ही वो मेरे बिस्तर पर चढ़ गए और मेरी रजाई खींचते हुए बोले रज्जो साली तेरा पति बाहर है और तू सो गयी । मैंने दोनों हाथों से कस के रजाई को पकड़ रखा था पर बापू ने उसे ऐसे हटा लिया जैसे किसी 2 साल के बच्चे के हाथ से कोई खिलौना ले रहे हों डर के मारे मैं चुपचाप लेटी रही ।'साली रांड तेरा पति भूखा है और तू सो रही है' बापू ने शराब की गंध वाली गरम सांसे छोड़ते हुए कहा , मैं कुछ न कह पाई न कह सकती थी । 'साली नाटक करती है ...बोल रोटी निकाल रही है या नहीं' बापू चीख रहे थे पर मैं सोने का नाटक करती रही ।मुझे क्या पता था की क्या होने वाला है बापू किसी भूखे शेर की तरह मुझ पर चढ़ गए और मेरे होंठ चूसने लगे , पहली बार किसी मर्द ने मेरे साथ ऐसा किया किया था मुझे डर तो लग रहा था पर मज़ा भी आने लगा मैं भी बापू का साथ देने लगी ।
 
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