desiaks
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इस आनंदमयी रात के बाद सुबह रणविजय कह रहा था- भाई, एक-दूसरे के पार्टनर को सिर्फ़ आधा नंगा देखा, उसी में ये हाल है कि मुझे कल सुहागरात से ज्यादा मजा आया। जब पूरा देखेंगे तो क्या होगा। प्रिया ने भी ऐसा ही कहा।
मैं- सच यार, कल की रात गजब थी। ये रूप की देवियाँ हमारे नसीबों में कहाँ से आ गईं। और अब हम इन दोनों का फायदा नहीं उठा पाए तो सबसे बड़े गधे हैं। जब इतना हो गया है तो आगे भी हो जाएगा। माना कि बहुत मुश्किल होगा दोनों को मनाना, पर होके रहेगा भाई, चाहे जबरदस्ती ही क्यों न करना पड़े।
रणविजय- मेरे तो कल तृप्ति के बूब्स के शेप और गोरी चमड़ी को देखकर हाल ही बिगड़ गए थे। मैंने तो ख्यालों में तृप्ति का ही चोदन किया। पूरी रात प्रिया बोलती रही कि इतने जंगली क्यों हो रहे हो?
ब्रेकफास्ट टेबल पर दोनों बीवियाँ आईं शर्माती हुईं... उनकी शर्मीली संजना देखकर दिल रीझ गया। मैंने और विजय ने इधर-उधर की बातें करके माहौल को नॉर्मल बनाए रखा कि कहाँ घूमेंगे, क्या करेंगे वगैरह। दिनभर साथ घूमने के दौरान भी हमने मजाक में कोई ऐसी बात नहीं कही कि वे संकुचित हो जाएँ। औरतें नाजुक जीव होती हैं ना! कल रात आधी नंगी देखने के बाद आज वे कपड़ों में कुछ और ही लग रही थीं, बहुत ही खूबसूरत और नई नई। हमें ऐसा महसूस हो रहा था कि आज की रात ही वह रात होगी जिसके लिए हम इतने दिनों से लगे हुए हैं। हम भगवान से प्रार्थना कर रहे थे और ठाने भी हुए थे कि आज हमें जैसे भी हो, बीवियाँ बदलकर भोग ही लेना है।
रात को डिनर के बाद दोनों कपल अपने-अपने कमरे में आ गये। योजना के मुताबिक अपनी बीवियों से कहा- यार, कल कितना मजा आ रहा था, आज बोर हो रहे हैं। कल सेक्स में भी कितना मजा आया गेम खेलने के बाद... है ना?
तृप्ति- सीधे बोलो ना आज भी गेम खेलने हैं। खूब समझती हूँ मैं तुम्हारे शैतान दिमाग को। तुम्हें प्रिया को फिर से वैसे ही देखना है।
मैंने प्यार से तृप्ति को समझाया- डार्लिंग, तो क्या हो गया। अब टीवी चलाकर टीवी में बिकनी में गर्ल्स देखूँ, ब्लू फिल्म देखूँ तो कोई बात नहीं, लाइव देखा तो क्या हो गया?
तृप्ति- यार ये ग़लत है, मुझे विजय ऐसे देख रहा है और तुम प्रिया को और प्रिया तुम्हें... एकदम गलत बात!
मैं- हाँ, वो बात ठीक है लेकिन जरा इसको साइड में रखकर सोचो। मजा आया था या नहीं? सच बताओ। और यहाँ हम मजे करने ही तो आए हैं यार!
तृप्ति- आए हैं लेकिन ऐसे नहीं यार!
मैं- ओह यार, शादी से पहले तुम्हारा अफेयर किसी से था जैसा कि तुमने बताया था। तुमने उससे ओरल सेक्स भी किया था, पूरा फक नहीं। मैंने भी कई लड़कियाँ तुमसे शादी के पहले चोदीं। तो क्या हो गया अब किसी के साथ थोड़ी सी मस्ती कर ली। केवल मस्ती ही तो कर रहे हैं। वो भी सबकी रजामंदी से... कोई चुदाई तो नहीं हो रही है यार... अब बताओ कल मजा आया कि नहीं?
तृप्ति- सीरियसली... आया तो था!
मैं- कल के सेक्स में इतना मजा भी रणविजय के ख्याल से आया था, है या नहीं? ईमानदारी से बताओ?
तृप्ति- हाँ यार... और प्रिया ने भी अकेले में मेरे से ये बात एक्सेप्ट की थी।
मैं- तो क्लियर है यार, जिससे मन खुश हो, वो करते हैं। वैसे भी किसको पता चलेगा। रणविजय और हम दोस्त हैं, एकदम पक्के विश्वास वाले। और ये तो बस गेम है, गेम खेलेंगे और भूल जाएँगे।
तृप्ति- ओके, लेकिन हम उनके रूम में नहीं जाएँगे, वो आते हैं तो ठीक है...
तृप्ति मान गई थी लेकिन विजय की तरफ से भी हरी झंडी आनी बाकी थी। मन में टेंशन थी कि प्रिया मानेगी या नहीं।
मैं- सच यार, कल की रात गजब थी। ये रूप की देवियाँ हमारे नसीबों में कहाँ से आ गईं। और अब हम इन दोनों का फायदा नहीं उठा पाए तो सबसे बड़े गधे हैं। जब इतना हो गया है तो आगे भी हो जाएगा। माना कि बहुत मुश्किल होगा दोनों को मनाना, पर होके रहेगा भाई, चाहे जबरदस्ती ही क्यों न करना पड़े।
रणविजय- मेरे तो कल तृप्ति के बूब्स के शेप और गोरी चमड़ी को देखकर हाल ही बिगड़ गए थे। मैंने तो ख्यालों में तृप्ति का ही चोदन किया। पूरी रात प्रिया बोलती रही कि इतने जंगली क्यों हो रहे हो?
ब्रेकफास्ट टेबल पर दोनों बीवियाँ आईं शर्माती हुईं... उनकी शर्मीली संजना देखकर दिल रीझ गया। मैंने और विजय ने इधर-उधर की बातें करके माहौल को नॉर्मल बनाए रखा कि कहाँ घूमेंगे, क्या करेंगे वगैरह। दिनभर साथ घूमने के दौरान भी हमने मजाक में कोई ऐसी बात नहीं कही कि वे संकुचित हो जाएँ। औरतें नाजुक जीव होती हैं ना! कल रात आधी नंगी देखने के बाद आज वे कपड़ों में कुछ और ही लग रही थीं, बहुत ही खूबसूरत और नई नई। हमें ऐसा महसूस हो रहा था कि आज की रात ही वह रात होगी जिसके लिए हम इतने दिनों से लगे हुए हैं। हम भगवान से प्रार्थना कर रहे थे और ठाने भी हुए थे कि आज हमें जैसे भी हो, बीवियाँ बदलकर भोग ही लेना है।
रात को डिनर के बाद दोनों कपल अपने-अपने कमरे में आ गये। योजना के मुताबिक अपनी बीवियों से कहा- यार, कल कितना मजा आ रहा था, आज बोर हो रहे हैं। कल सेक्स में भी कितना मजा आया गेम खेलने के बाद... है ना?
तृप्ति- सीधे बोलो ना आज भी गेम खेलने हैं। खूब समझती हूँ मैं तुम्हारे शैतान दिमाग को। तुम्हें प्रिया को फिर से वैसे ही देखना है।
मैंने प्यार से तृप्ति को समझाया- डार्लिंग, तो क्या हो गया। अब टीवी चलाकर टीवी में बिकनी में गर्ल्स देखूँ, ब्लू फिल्म देखूँ तो कोई बात नहीं, लाइव देखा तो क्या हो गया?
तृप्ति- यार ये ग़लत है, मुझे विजय ऐसे देख रहा है और तुम प्रिया को और प्रिया तुम्हें... एकदम गलत बात!
मैं- हाँ, वो बात ठीक है लेकिन जरा इसको साइड में रखकर सोचो। मजा आया था या नहीं? सच बताओ। और यहाँ हम मजे करने ही तो आए हैं यार!
तृप्ति- आए हैं लेकिन ऐसे नहीं यार!
मैं- ओह यार, शादी से पहले तुम्हारा अफेयर किसी से था जैसा कि तुमने बताया था। तुमने उससे ओरल सेक्स भी किया था, पूरा फक नहीं। मैंने भी कई लड़कियाँ तुमसे शादी के पहले चोदीं। तो क्या हो गया अब किसी के साथ थोड़ी सी मस्ती कर ली। केवल मस्ती ही तो कर रहे हैं। वो भी सबकी रजामंदी से... कोई चुदाई तो नहीं हो रही है यार... अब बताओ कल मजा आया कि नहीं?
तृप्ति- सीरियसली... आया तो था!
मैं- कल के सेक्स में इतना मजा भी रणविजय के ख्याल से आया था, है या नहीं? ईमानदारी से बताओ?
तृप्ति- हाँ यार... और प्रिया ने भी अकेले में मेरे से ये बात एक्सेप्ट की थी।
मैं- तो क्लियर है यार, जिससे मन खुश हो, वो करते हैं। वैसे भी किसको पता चलेगा। रणविजय और हम दोस्त हैं, एकदम पक्के विश्वास वाले। और ये तो बस गेम है, गेम खेलेंगे और भूल जाएँगे।
तृप्ति- ओके, लेकिन हम उनके रूम में नहीं जाएँगे, वो आते हैं तो ठीक है...
तृप्ति मान गई थी लेकिन विजय की तरफ से भी हरी झंडी आनी बाकी थी। मन में टेंशन थी कि प्रिया मानेगी या नहीं।