Hindi Sex Stories By raj sharma - Page 19 - SexBaba
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Hindi Sex Stories By raj sharma

छाया आंटी सिर्फ़ मुस्कुरा रही थी, बैंगन को धकेलना तो रोक दिया था लेकिन वो मेरी चूत के दाने को ज़ोर ज़ोर से सहला रही थी, एक मिनिट रुकने के बाद जब मैं रिलॅक्स हुई तो उन्होने फिर से बैंगन अंदर डाला और ऐसे करते करते उन्होने पूरा बैंगन अंदर कर दिया. और वो अब धीरे धीरे बैंगन को मेरी गांद मे अंदर बाहर करने लगी, और कुछ ही मिनिट मे मैं भी अपनी गांद हिला हिला कर वो बैंगन अपनी गांद मे लेने लगी, अब मुझे भी मज़ा आने लगा था.

छाया आंटी ने करवट बदली और मेरे ऊपर आ गयी, और उन्होने मेरे मुँह पर चूत को रख दिया और मैं उनकी चूत चाटने लगी. मुझे बहुत मज़ा आरहा था, मेरे मुँह से अब दबी हुए आवाज़ें निकल रही थी, मैं अब झड़ने के बिल्कुल करीब थी पर झाड़ ही नही पा रही थी. अचानक छाया आंटी काँपने लगी और हम दोनो एक साथ झड़ने लगी.

मैने उनको थाम लिया, और वो बैंगन अब भी मेरी गांद मे ही था, आंटी ने वो बाहर निकाला मैं उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन मेरी गांद सूज गयी थी, मैं थोड़ी दूर तक चली और लड़खड़ा कर गिर गयी, ये बार बार झड़ने के कारण और दर्द जो अब मैं महसूस कर रही थी उसके कारण हुआ था.

पर अभी ये ख़तम नही हुआ था

थोड़ी देर के बाद छाया आंटी मेरी थाइ पर बैठी थी और उनकी गीली गरम चूत मेरी थाइ पर घिस रही थी. मैं भी तैयार थी उनको जो हुआ वापिस चुकाने को, मैने अपने रूम मे पड़ी हुए ईज़ी चेर पर उनको धकेल दिया और झुक कर उनकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया. उनकी छूट गुलाबी और बिल्कुल चिकनी थी, गरम और रसीली भी. मैने धीरे से ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ को घुमाया. वो तो एक मिनिट मे ही झाड़ गयी, काँपने लगी, लेकिन मैने उनको नही छ्चोड़ा.

मैने चूस चूस कर उनकी चूत के रस को मुँह मे भर लिया और उनके मुँह से मुँह लगा दिया और किस करते हुए बूँद बूँद करके सारा रस उनको पिलाने लगी,

और मैने ऐसा करते हुए वो बैंगन उठाया और उनकी चूत मे पेल दिया, एक ही झटके मे. और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी, वो क के बाद कई बार झड़ने लगी और उनका सारा बदन काँप रहा था.

और वो मूतने लगी, मेरा बदला पूरा हो गया था अब मैं बहुत खुश थी लेकिन गांद का बदला बाकी था…………

पर अब हम दोनो बहुत थक गये थे कब सो गये पता ही नही चला.

शूबह दरवाज़े की घंटी बजी तब हुमारी आँख खुली और मैने झट से कपड़े पहने और छाया आंटी कपड़े समेट कर टाय्लेट मे चली गयी, हमारी काम वाली थी. वो आई और काम करने लगी, इसके बाद जब वो चली गयी तब तक छाया आंटी भी चली गयी थी.

लेकिन दोपहर मे ही मेरी बेहन का लड़का आ गया और कंचन को आज का प्लान कॅन्सल करना पड़ा पर वो बोली, “लंड आया है कूद चल कर चुद्वा ले.”

उसकी ये बात मेरे दिमाग़ मे घूम रही थी पर मैं डरती थी कि ये सही नही है, लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया.

मैं जानती थी कि अगर मेरा ऐसा वैसा कुछ भी मेरे पति को पता चला तो वो मुझे मार डालेंगे.

लेकिन मैने ईक दिन महसूसू किया कि वो मुझे अजीब निगाहों से देखता है और ये बात मैने छाया आंटी को बताई तो वो बोली, “अरे ट्राइ कर और मज़ा ले.”

अब मैं भी इस बात को सोचने के लिए मेजर हो गयी थी की कुछ करने तो पड़ेगा, और जब वो भी इंट्रेस्टेड है तो मौका क्यों छ्चोड़ना.

वो उस सुबह जब मैं उसके कमरे मे गयी तो नंगा लेटा हुआ था, और मूठ मार रहा था, और उसके भी शायद मुझे देख लिया था लेकिन वो रुका नही, वो अब कदम उठाने लगा था. लेकिन उसके झड़ने पर मैं हैरान रह गयी, वो झाड़ते हुए बोला, “आआअहह मौसी पी लो लंड के रस को!!!”

अब हुआ ये कि मैं उससे नज़रें चुरा रही थी, मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था.

सनडे की बात है उसको आए 2 दिन निकल गये थे, वो सुबह वही हरकत कर रहा था, की मैने उसका दरवाज़ा अचानक खोल दिया, मुझे अंदाज़ा ही नही था कि वो इस हालत मे होगा, वो खुद को ढक भी नही सकता था, और मैं दरवाज़े पर खड़ी हुए उसको लंड हिलाते हुए देख रही थी.

(आयेज की कहानी मेरे भतीजे से ही लिखवाते है)

मौसी मेरे सामने थी और मुझे समझ मे ही नही आ रहा था कि मैं क्या करू, वो आई और उन्होने मेरा लंड पकड़ लिया, ऐसा मैने सोचा ही नही था कि वो ऐसा कुछ करेंगी, और मेरे 7 इंच के लंड को हिलाने लगी.

वो झुकी और लंड के सूपदे की खाल को पीछे किया और गुलाबी सूपदे को मुँह मे भर लिया, मैने तकिये पर सिर टीकाया और आँखें बंद कर ली और मुझे लगा कि मैं एक मिनिट मे ही झाड़ जाउन्गा. वो लंड के अगले भाग पर जीभ की नोक चला रही थी और एक हाथ से आधे लंड को पकड़ा हुआ था ताकि मैं उनके काबू मे रहूं. अब वो नीचे को हुए और मेरे टेस्टिकल को मुँह मे भर का चूसने लगी, इससे मेरा लंड और भी ज़्यादा फूल गया.

वो मेरे ऊपर चढ़ गयी और खुद ही लंड को निशाने पर लगाया और नीचे होने लगी, उनकी गरम गीली और मुलायम चूत मेरे लंड पर फिसल रही थी, वो पूरा बैठ गयी. अब उन्होने वो रेड कलर की मॅक्सी को अपने सिर के ऊपर से निकाल फेंका, तने हुए निपल और गोरा बदन. मैने झट से उनके मम्मो को पकड़ लिया.

अब वो आँखें बंद किए हुए ऊपर नीचे हो रही थी और मैं मौसी के मम्मो के साथ खेल रहा था.

"आआअहह म्‍म्म्ममममममममम ऊऊहहमाआआआआआअ कितना बड़ा लंड है, अंदर तक टकरा रहा है!" मौसी बड़बड़ा रही थी

अब मैने भी नीचे से धक्के मारने शुरू किया और एक ताल मे हम धक्के मार रहे थे.


मैने एक हाथ नीचे किया और मौसी की चूत के दाने पर अपना अंगूठा लगा दिया और दाने को घिसने लगा, मौसी की चूत का रस मेरे लंड से होते हुए नीचे तक बह रहा था.

और अब मैं और वो दोनो झड़ने लगे, और आंटी ने आँख खोली और मेरे ऊपर से हटी तो उनकी चूत से मेरे और उनके रस की धार लग गयी. वो मेरे बगल मे लेट गयी और साँसें भरने लगी.

वो उठा और मुझे गोद मे उठा लिया मेरा 46 क्ग वेट उसको कुछ भी नही लगा, शवर के नीचे खड़ा करके उसने शवर ऑन कर दिया. और उसका लंड अब फिर से तन गया था. गरम पानी और उसका लंड मेरी चूत मे हलचल मच गयी, मैं वही झुक कर खड़ी हो गयी और उसने पीछे से मेरी चूत मे लंड डाल दिया, मैं पहले से ही बहुत गीली थी तो उसका लंड एक झटके मे चला गया, मेरी कमर पकड़ कर वो धक्के मारने लगा.

वो लंड को पूरा बाहर तक निकालता और एक झटके मे अंदर वापिस डाल रहा था, और उसका लंड अंदर कही टकरा जाता तो एक दर्द की मीठी लहर मेरे तन बदन मे दौड़ जाती.

मैं झड़ने लगी और तभी मैने महसूस किया कि उसने भी वीर्य की धार मैं अपने गर्भाशय पर महसूस कर रही थी, हम वही खड़े रहे, फिर हमने नाहया और बाहर आ गये. 
 
मेरी मौसी सास 

मेरी उम्र छब्बीस वर्ष है, मेरी शादी को दो साल हो गये हैं,मेरी बीबी बहुत सुन्दर और मुझे बहुत प्यार करने वाली है, अब से लगभग छः महीने पहले मेरी बीबी मुझे अपनी एक मौसी के पास लेकर गई थी, उसकी मौसी दिल्ली में रहती है, तथा उनका काफी अच्छा घर परिवार है,कहने को तो वो मेरी बीबी की मौसी है लेकिन देखने में वो मेरी बीबी की बहन जैसी ही लगती है, उन्हें देख कर कोई नहीं कह सकता की वो शादी शुदा होंगी, वैसे भी वो मेरी बीबी से दो साल ही बड़ी है,


उनके अभी कोई बच्चा नहीं था शायद फेमिली प्लानिंग अपना रखी थी, उनके पति एक सरकारी फर्म में मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर काम करते हैं, उनके पति हालांकि उम्र में मौसी से सीनियर हैं मगर बहुत ही आकर्षक और स्वस्थ ब्यक्ति हैं,

हमलोग फुर्सत निकाल कर मौसी के यहाँ गये थे, आराम से एक महिना गुजार कर आना था, मौसी हमें देख कर बहुत खुश हुवी, खास कर मेरी तो उन्होंने बहुत आव भगत की, हम पति पत्नी को उन्होंने उपर का बेडरूम दे रखा था,

उस दिन मैं सबरे उठा, तब मेरी बीबी गहरी नींद में सोई हुवी थी, मैनें काफी रात तक जो उसकी जम कर चुदाई की थी, अभी सूरज तो नहीं निकला था लेकिन उजाला चारों और फैल चुका था, मैनें ठंडी हवा लेने की गरज से खिड़की के पास जा कर पर्दा खिंच दिया, सुबह की धुंध चारों तरफ छाई थी, सीर निचा करके निचे देखा तो दिमाग को एक झटका सा लगा, नीचे लोन में मौसी केवल एक टाइट सी बिकनी पहने दौड़ कर चक्कर लगा रही थी,
उनके गोरे शरीर पर काली बिकनी ऐसे लग रही थी जैसे पूनम के चाँद पर काले रंग का बादल छा कर चाँद को और भी सुन्दर बना रहा हो,



बालों को उन्होंने पीछे कर के हेयर बेंड से बाँधा हुवा था, इसलिए उनका चौड़ा चमकीला माथा बहुत ही अच्छा दिख रहा था, बिकनी के बाहर उनकी चिकनी गोरी जांघें ऊपर कुल्हों तक दिख रही थी, भागने के कारण धीरे धीरे उछलती हुवी उनकी चूचियाँ तथा गोरी मखमली बाँहें और सुनहरी बगलें बहुत सुन्दर छटा बिखेर रही थीं, उन्हें देख कर मेरी नसों का खून उबाल खा गया, तभी वे मेरी खिड़की के निचे रुकी और झुकते और उठते हुवे कसरत करने लगी, वे जैसे ही झुक कर खड़ी होती उपर होने के कारण मुझे उनकी चूचियाँ काफी गहराई तक दिख जाती,

तभी जाने कैसे उन्होंने उपर नजर डाली और मुझे खिड़की पर खड़ा देख लिया, मैं हडबडा कर वहाँ से हटना चाहा, परन्तु उनके चेहरे पर मोहक मुस्कान देख कर मैं रुक गया, उन्हें मुस्कुराते देख कर मैं भी धीरे से मुस्कुरा दिया, तभी मैं चौंका वो मुझे इशारे से निचे बुला रही थी,

मेरा दिल जोर से धड़क गया, मैनें एक नजर अपनी सोती बीबी पर डाली, वो अभी भी बेखबर सो रही थी, फिर मैं निचे आ गया, मौसी जी लोन में ही जोगिंग कर रही थी,

"लोन में ही जोगिंग कर रही हैं मौसी जी " मैंने उनके पास जाकर कहा तो वे भी मुस्कुरा कर बोली,

" जो भी जगह जोगिंग के लिये उपयुक्त लगे वहीँ जोगिंग कर लो, तुम भी किया करो सेहत के लिये अच्छी होती है,"

" ठीक कह रही हैं आप " मैंने कहा,


वो फीर दौड़ पड़ी और मुझसे बोली " तो आओ मेरे साथ, कम ऑन "

मैं भी उनके साथ दौड़ने लगा, वे मुझसे जरा भी नहीं हिचक रही थी, मैं दौड़ते हुवे बहुत करीब से उनके महकते अंगों को देख रहा था,

" मौसा जी कहाँ हैं?" मैनें उनकी जाँघों पर नजर टीका कर पूछा,

" वे आज हैदराबाद गये हैं, कंपनी के काम से, सुबह जल्दी की फ्लाईट थी, शायद पांच छः दिन बाद लौटेंगे," उन्होंने जवाब दिया

ना जाने कयों मुझे तसल्ली के साथ साथ ख़ुशी भी हुई,

" आपका फिगर तो बहुत सुन्दर है मौसी जी " बहुत देर से दिमाग में घूमता ये सवाल आखिर मेरे मुंह से निकल ही गया,

मेरी आशा के विपरीत वे एकाएक रुक गई, मैं भी रुक गया, ये सोच कर की कहीं बुरा तो नहीं मान गई मेरा दिल धड़का, जबकि वे धीरे से मुस्कुरा कर मेरी आँखों में झाँक कर बोली,

" तुम्हारे शब्द लुभावनें हैं लेकिन अंदाज गलत है,"

" क्या मतलब," मैं चौंका,

" यदि मैं या मेरी हमउम्र लड़की तुमसे ये कहे की अंकल तुम्हारी पर्सनेल्टी बहुत अच्छी है तो तुम्हे कैसा लगेगा," मौसी जी ने मुझसे कहा,

" ओह...! " मेरे होंठ सिकुड़ गये, मैं उनकी बात का मतलब समझ गया था, क्योंकि वो मुझसे तो उम्र में छोटी थी, इसलिए उन्हें मेरा उनको मौसी जी कहना अच्छा नहीं लगा था, वैसे तो मुझे भी उनको मौसी जी कहना जरा अजीब सा लगता था लेकिन बीबी के रिश्ते के कारण मौसी नहीं तो और क्या कहता, यही बात उस वक्त मैनें उनसे कह दी,


" मैं भी आपको मौसी कहाँ कहना चाहता हूँ, मगर और क्या कहूँ,"

जवाब में वो शोखी से मुस्कुराई और मेरे बहुत करीब आकर मेरे सिने को अपने हांथों से थपथपा कर बोली

" वैसे तो मेरा नाम सुजाता है, मगर जो लोग मुझे पसन्द करते हैं वे सभी मुझे सूजी कहते हैं,"

" और जिन्हें आप पसन्द करती हैं उनसे आप खुद को सुजाता कहलवाना पसन्द करती हैं या सूजी," मैनें उनसे पूछा

वे मेरी बटन से छेड़छाड़ करती हुई मेरी आँखों में झाँक कर बोली " सूजी "

" यदि मैं आपको सूजी कहूँ तो?"

" नो प्रोब्लम, बल्कि मुझे ख़ुशी होगी " कह कर उन्होंने वापस दौड़ लगा दी,

मेरा दिल बुरी तरह धड़कने लगा, मौसी यानी सूजी मुझे अपने दिल की बात इशारों में समझा गई थी,उस समय मैनें खुद को किसी शहंशाह से कम नहीं समझा, सूजी थी ही इतनी सुन्दर की उसकी समीपता पाकर कोई भी अपने को शहंशाह समझ सकता था,



मैं मन में बड़ी अजीब सी अनुभूति लिये बेडरूम में आया, मेरी बीबी अभी अभी जागी थी,
वो बेड से उठ कर बड़े अचरज से मुझे देख कर बोली,

"कहाँ गये थे इतनी सुबह सुबह,"

" जोगिंग करने " मेरे मुंह से निकल गया

" जोगिंग " मेरी बीबी ने अचरज से अपनी आँखें फाड़ी,

" व ...वो मेरा मतलब है, मैं सुबह जल्दी उठ गया था ना इसलिये सोचा चलो जोगिंग की प्रेक्टिस की जाये, मगर सफल ना हो सका तो वापस चला आया," मैनें जल्दी से बात बनाई, मेरी बात सुन कर बीबी हंसी और बाथरूम में घुस गई,

फिर दो दिन निकल गये, मैं अपनी बीबी के सामने मौसी को मौसी जी कहता और अकेले में सूजी, इस बिच सूजी के ब्यवहार में आश्चर्य जनक परिवर्तन हुवा था, वो मेरे ज्यादा से ज्यादा करीब होने की कोशीश करती, बहुत गंभीर और परेशान सी दिखाई देती जैसे की मुझसे चुदवाने को तड़प रही हो, उसे चोदने के लिये तड़प तो मैं भी रहा था, मगर अपनी बीबी के कारण मैं उसे छिप कर बाहों में भर कर चूमने के सिवा कुछ ना कर सका, और आखिर परेशान होकर सूजी नें खुद ही एक दिन मौका निकाल लिया,


क्योंकि उनके पति को लौटनें में अब दो ही दिन रह गये थे, उनके पति के आने के बाद तो मौका निकालना लगभग नामुमकिन हो जाता, सूजी ने उस रात मेरी बीबी की कोफी में नींद की कुछ गोलियां मिला कर उसे पिला दी, थोडी देर में जब मेरी बीबी गहरी नींद में सो गई तो मैं फटाफट सूजी के बेडरूम में पहुँच गया,

वो तो मुझे मेरा इन्तजार करते हुवे मिली, मैनें झट उसे बांहों में भर कर भींच लिया और उसके चेहरे और शुर्ख होंठों पर ढेर सारे चुम्बन जड़ दिये, जवाब में उसने भी चुम्बनों का आदान प्रदान गर्मजोशी से दिया,

वो इस वक्त झीनी सी सफेद रंग की नाइटी में थी, जिसमें से उसका सारा शरीर नजर आ रहा था, मेरा खून कनपटीयों पर जमने लगा था, मैनें खिंच कर नाइटी को प्याज के छिलके की तरह उतार फेंका, पेंटी और ब्रा में कसे उसके दुधिया कटाव गजब ढा रहे थे, मैनें पहले ब्रा के उपर से ही उसकी कठोर चुचियों को पकड़ कर दबाया और काफी सख्ती दिखा दी,

" उफ ...सी...ई ...क्या कर रहे हो? सूजी के मुंह से निकला " ये नाजुक खिलौनें हैं इनके साथ प्यार से खेलो,"

मैनें हंस कर उन्हें छोड़ने के बाद पीछे हाँथ ले जा कर पेंटी में हाँथ घुसा दिया और उसके मोटे मुलायम चुतड के उभारों को मुट्ठी में भर लिया, इसी बिच सूजी ने मेरे पेंट के फूले हुवे स्थान पर हाँथ रख कर मेरे लंड को पकड़ा और जोर से भींच दिया,

" आह..." मैनें कराह कर अपना हाँथ उसकी पेंटी में से बाहर खिंच लिया, तब मुस्कुरा कर सूजी ने मेरा लंड छोड़ते हुवे कहा,

" क्यों जब तुम्हारे लंड पर सख्ती पड़ी तो मुंह से आह निकल गई और मेरे नाजुक अंगों पर सख्ती दिखा रहे थे,"

मैं भी उसकी बात सुन कर हंसने लगा, उसके बाद मैनें सूजी को और सूजी ने मुझे सारे कपड़े उतार कर नंगा कर दिया, और मैं उसके शरीर को दीवानगी से चूमने लगा,वो भी मेरे लंड को हाँथ में पकड़े आगे पीछे कर रही थी,

" वाह, काफी तगड़ा लंड है तुम्हारा तो,"



मैं उसकी एक चूची को मुंह में भर कर चूसने लगा तथा एक हाँथ से उसकी जांघ को सहलाते हुवे उसकी चिकनी चूत पर हाँथ फेरा, एकदम साफ़ चिकनी और फुली हुई चूत थी उसकी, एकदम डबलरोटी की तरह, उसके एक एक अंग का कटाव ऐसा था की फरिस्तों का ईमान भी डिगा देता, शायद नियमित जोगिंग के कारण ही उसका शरीर इतना सुन्दर था,

मैनें उसे बेड पर बिठा कर उसकी जांघें फैलाने के बाद उसकी खुबसूरत चूत को चूम लिया, और फीर जीभ निकाल कर चूत की दरार में फिराई तो उसने सिसकी भर कर अपनी जाँघों से मेरे सीर को अपनी चूत पर दबा दिया, मैनें उसकी चूत के छेद में जो की एकदम सिंदूर की तरह दहक कर लाल हो रहा था उसमें अपनी लम्बी नाक घुसा दी, उसकी दहकती चूत में से भीनी भीनी सुगन्ध आ रही थी


तभी सूजी ने मुझे उठाया, उत्तेजना के कारण उसका चेहरा बुरी तरह तमतमा रहा था
उसने मुझे उठाने के बाद कहा,

" अब मैं तुम्हारा लंड खाऊँगी,"

"खा लो,"
मैनें हंस कर कहा तो सचमुच जमीन पर घुटनों के बल बैठ गई और अपना मुंह फाड़ कर मेरा लंड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी, मेरी बीबी ने भी कभी इस तरह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर नहीं चूसा था, क्योंकि उसे तो घिन आती थी, इसी कारण जब आज सूजी नें मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसा तो एक अजीब से सुख के कारण मेरा शरीर अकड़ रहा था,

वो मेरे चूतडों को हांथों से जकडे हुवे अपना मुंह आगे पीछे करते हुवे मेरा लंड चूस रही थी, उसके सुर्ख होंठों के बिच फंसा मेरा लंड सटासट उसके मुंह में अन्दर बाहर हो रहा था, सूजी मुस्कुराती आँखों से मुझे ही देख रही थी, फिर एकाएक वो अपनी गर्दन जोर जोर से आगे पीछे चलाने लगी तो मुझे लगा की मैं उसके मुंह में ही झड़ जाउंगा, इसलिए मैनें उसका सीर पकड़ कर लंड को मुंह से निकालने की कोशिश की और बोला,


" छ ...छोड़ दो सूजी डार्लिंग नहीं तो मैं तुम्हारे मुंह में ही पिचकारी छोड़ दूंगा,"

परन्तु इतना सुनने के बाद भी उसने मेरा लंड अपने मुंह से बाहर नहीं निकाला बल्कि ना के इशारे में सीर हिला दिया, तो मैं समझ गया की वो मुझे अपने मुंह में ही झडवा कर मानेगी, उसने मेरे चूतडों को और जोर से जकड़ लिया और तेज तेज गर्दन हिलाने लगी, तो मैं चाह कर भी अपना लंड उसके मुंह से बाहर नहीं निकाल सका,
आखिर मैं उसके मुंह में झड़ गया और उसके उपर लद गया, मेरे वीर्य की पिचकारी उसके मुंह में छुट गई तो उसने गर्दन उपर निचे करना रोक दिया और मेरे लंड के सुपाड़े को किसी बच्चे की तरह निप्पल के जैसे चूसने लगी, सारा वीर्य अच्छी तरह चाट कर ही वो उठी और चटकारा लेकर मुझ से बोली,


" मजा आ गया जानेमन, बड़ा स्वादिष्ट रस है तुम्हारा,"

परन्तु अब तो मैं बेकार हो चूका था, मेरा लंड सिकुड़ कर आठ इंच से दो इंच का हो गया था,
मैनें उसे देख कर शिकायती लहजे में कहा,

" ये बात अच्छी नहीं है सूजी, तुमने मेरे साथ धोखा किया है,"

" अरे नहीं डार्लिंग धोखा कैसा, मैं अभी तुम्हारे लंड को दोबारा जगाती हूँ,"

कहने के बाद सूजी मेरा सिकुड़ा हुवा लंड हांथों में पकड़ कर उठाने की कोशिश करने लगी, भला वो अब इतनी जल्दी कहाँ उठने वाला था, मगर सूजी तो पूरी उस्ताद निकली,

उसने मुझे धकेल कर फर्श पर चित लिटाया और मेरी जाँघों पर चढ़ कर बैठ गई, तथा मेरे सिकुड़े हुवे लंड को पकड़ कर अपनी दहकती हुई चूत के छेद पर रगड़ने लगी, मैं भी उसकी चुचियों को दबाने लगा, उसकी चूचियां बड़ी सुन्दर और कठोर थी, जल्दी ही मेरे लंड में थोड़ा कड़ापन आ गया,


उसी समय सूजी ने मेरे थोड़ा कठोर हो चुके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और अंगूठे की सहायता से जबरदस्ती अपनी चूत में ठूंस लिया, चूत के अन्दर की गर्मी पाकर तो मेरा लंड एकदम से खडा होने लगा और चूत में पड़े पड़े ही सीर उठाने लगा,

सूजी ने लंड को बाहर नहीं निकाला बल्कि वो संभल कर लंड के उपर ही बैठ गई, मेरा लंड जितना तनता जा रहा था उतना सूजी की चूत की दीवारों को फैलाता हुवा अन्दर घुसता जा रहा था, एक समय ऐसा आया की सूजी को अपने घुटनों की सहायता से उपर उठाना पड़ा, क्योंकि मेरा लंड अब तो पहले से भी ज्यादा लम्बा और कड़ा होकर करीब आधा तक उसकी चूत की गहराई में पहुँच कर चूत के छेद को चौड़ा करके कस चूका था, लंड अभी भी धीरे धीरे उठ रहा था, उसे इस तरह बढ़ता देख कर सूजी सिसिया कर उठ गई और लंड का सुपाड़ा सट से बाहर आ गया, वो बोली,


" बा....बाप रे....ये तो बढ़ता ही जा रहा है,"

" इस पर बैठो ना सूजी," मैनें उसे दोबारा लंड पर बैठने के लिये कहा, मगर वो नकली हैरानी दिखाते हुवे बोली,

" ना....ना बाबा ना, इतने लम्बे और मोटे लंड को मेरी कोमल चूत कैसे सहन कर पाएगी, इसे तुम्हारा ये बम्बू जैसा लंड फाड़ देगा,"

अब मैं उठा और सूजी से बोला,

" लो कम ऑन सूजी, तुम कोई बच्ची नहीं हो जो मेरे लंड से इतना डर दिखा रही हो,"

सूजी तो फालतु में नाटक कर रही थी, मैं तो एक बार झड़ चूका था, इसलिए मुझे कोई जल्दीबाजी नहीं थी, मगर सूजी की चूत में आग तब से अब तक उसी तरह लगी हुई थी, वो चुदवाने के लिये बुरी तरह उतावली हो रही थी, ये उसके चेहरे से ही झलक रहा था,
सो इस बार वो कोई भी नखरा किये बिना चुपचाप अपने घुटनें और हथेलियाँ फर्श पर टिका कर जानवरों वाली कंडीसन में हो गई, यानि वो जानवरों वाली पोजीसन में वो पीछे से लंड चूत में डलवा कर चुदवाना चाहती थी,


मुझे भला क्या ऐतराज होता, मैं उसके पीछे आ गया, लेकिन उसके कुल्हे मेरे धड़ से बहुत निचे थे, इसलिये मैनें उसे पंजो पर खडा करके उसकी पोजीसन को ठीक किया, अब उसके कूल्हों का सेंटर ठीक मेरे लंड से मेल खा रहा था, मैनें उसकी टांगों को आगे बढ़ा कर उसके पेट से सटा दिया,

अब उसकी चूत काफी हद तक उभर कर पीछे की ओर निकल आई थी, सब कुछ जांच परख कर मैनें उसकी चूत के छेद पर अपने लंड का सुपाड़ा टिकाया और उसके कुल्हे पकड़ कर मैं लंड अभी ठेलना ही चाहता था की उधर सूजी नें लंड अन्दर लेने के लिये अपने कूल्हों को पीछे की ओर ठेला और इधर मैनें धक्का मारा, दोनों तरफ के धक्कों के कारण लंड थोड़ा सा कसता हुवा सरसरा कर करीब आधा चूत के अन्दर चला गया,


सूजी के मुंह से सी...सी...ई...की आवाज निकली, उसने दोहरी होकर बदन ऐंठ दिया, मैं रुका नहीं और अपना पूरा लंड अन्दर ठेलता ही चला गया, हालांकि सूजी की चूत काफी कसी हुई थी और मैं जानता था की इस तरह सूजी को मेरे मोटे और लम्बे लंड से थोडी बहुत परेशानी हो रही होगी, मगर उतनी नहीं जितना की सूजी दिखा रही थी,

वो " ऊं ....आ ...आह.. करते हुवे अपना धड़ आगे बढाने लगी, जबकि मैंने उसकी कोई परवाह नहीं की और बहुत जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये, मुझे इम्प्रेस ना होते देख कर सूजी ने भी कराहना बंद कर दिया और मेरे लंड का स्वाद अपनी चूत से लेने में मगन हो गई,

मेरे लगभग हर धक्के पर सूजी जरा सा आगे सरक जाती, मेरा आठ नौ इंची लम्बा लंड जरूर उसकी अंतड़ियों में जाकर अड़ जाता होगा, मैं लंड को सट से बाहर खींचता और सड़ाक से अन्दर घुसेड़ देता, मेरे जोर के धक्कों के कारण ही सूजी अपनी जगह से तीन चार फीट आगे सरक गई थी, साथ में मैं भी आगे बढ़ता चला गया,


अब वो मस्ती में सिसकियाँ भर रही थी और मैं उसके कुल्हे पकड़ कर धका धक लंड से पेलम पेल मचाये हुवे था, सूजी मेरे तेज धक्कों के कारण खुद को रोक ना सकी और जल्दी ही उसकी चूत नें पानी छोड़ दिया, मस्ती में वो अपने कुल्हे मटकाते हुवे मेरे लंड पर अपनी चूत से निकले रस की फुहार फेंकने लगी,

पूरी तरह मस्ती से निबट कर उसके मुंह से " ब.....बस...बस करो," की आवाज निकली, मगर मैं अभी कहाँ बस करने वाला था, मैं तो एक बार उसके मुंह में पहले ही अपना पानी गिरा चुका था, इसलिये अब दोबारा झड़ने में मुझे काफी देर लगनी थी, अभी तो मेरे झड़ने का आसार दुर दुर तक नहीं था,

यूँ भी मैं एक बार झड़ने के बाद दोबारा जब भी चुदाई करता तो मेरी बीबी भी मुझसे पनाह मांगती थी, इसीलिए वो मुझसे दोबारा चुदवाने के लिये कभी जल्दी से हाँ नहीं भरती थी, यदि चुदवाती भी तो पहले अपने हाँथ के जरिये या बाहर ही बाहर मेरे लंड को अपनी चूत पर काफी देर तक रगड़ती, जब तक मैं और मेरा लंड चोदने के लिये पूरी तरह तैयार ना हो जाते, इतनी देर के बाद चुदाई करने पर भी मैं अपनी बीबी से हाँथ जुड़वा कर ही दम लेता,

पर यहाँ तो मामला ही उल्टा था, सूजी ने तो मेरा लंड दोबारा खड़ा करके तुंरत ही अपनी चूत में डलवा लिया था, इसलिये अभी तो मैं जल्दी से झड़ने वाला नहीं था, सो मुस्कुरा कर उसी ताकत से उसके कूल्हों पर चोट करते हुवे बोला,

" मेरी जान, मुझे अपने मुंह में पहले झडवा कर के गलती तुमने की है, अब भुगतो मैं क्या करूँ?"

वो बुरी तरह कराह कर बोली, " हा....हाँ...गलती हो गई...मगर फिलहाल मुझे छोड़ दो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है,"

" मैं अब नहीं छोड़ने वाला " मैं धड़ा धड़ धक्के लगाता हुवा बोला,

" प्लीज थोडी देर के लिये अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लो," वो लगभग गिडगिडा कर बोली, " बस थोडी देर के लिये शान्त हो जाओ प्लीज "

मुझे उसपर दया आ गई, मैनें धक्के लगाने तो बंद कर दिये मगर लंड बाहर नहीं निकाला, उसके कूल्हों से सट कर हांफता हुवा बोला, " बस तुम औरतों में यही बात गलत है पहले तो मनमानी कर लेती हो फिर खुशामद करने लगती हो, तुम्हारा काम तो हो गया, अब मैं क्या करूँ?"

जवाब में वो कुछ देर सोचने के बाद बोली " अच्छा एक काम करो, मेरी गांड मार लो, अपना मुसल मेरी गांड में डाल लो "

" क्या...." मैं बुरी तरह चौंका, " क्या पागल हो गई हो, तुम्हारी गांड में लंड डालने से तो तुम्हें चूत से भी भयंकर दर्द होगा,"

" इसकी फ़िक्र तुम मत करो, अपने इस शैतान के बाप को मेरी चूत से निकाल कर मेरी गांड में डाल दो,"

वो खुद गांड मरवाने राजी थी तो मुझे भला क्या ऐतराज होता, मुझे तो मतलब मेरा काम पूरा होने से था, अब वो चाहे चूत हो गांड हो या मुंह, मुझे उससे क्या मतलब, तब मैनें सटाक से अपना लंड चूत से बाहर खिंचा, मेरा लंड चूत के पानी से भीगा हुवा था और चूत में पड़े रहने के कारण बहुत ही भयंकर नजर आ रहा था,

मैनें चूत के छेद से एक इंच उपर यानी गांड के गोल छेद पर अपने लंड का सुपाड़ा टिकाया और सूजी के कुल्हे पकड़ कर जोर लगाया, चूत के रस से चिकना सुपाड़ा गांड के छेद को फैला कर थोड़ा सा अन्दर घुस गया, मैं मन में सोच रहा था की सूजी के मुंह से चीख निकल जायेगी, परन्तु ऐसा नहीं हुवा, उसने सिर्फ सिसकी भर कर अपना सीर ताना, तब मैनें अपना पुरा लंड उसकी गांड में सरका दिया,

इस पर भी जब सूजी ने तकलीफ जाहिर नहीं की तो मैं समझ गया सूजी गांड मरवाने की आदि है, उसने सिर्फ कस कर अपने होंठ भींचे हुवे थे, फिर भी मैनें पूछा,

" तकलीफ तो नहीं हो रही है ना सूजी,"

" नहीं तुम धीरे धीरे चोदते रहो," उसने कहा तो मैं उसके गोल मटोल कुल्हे थपथपा कर धीरे से झुका और दोनों हाँथ निचे लाकर दोनों चुचियों को पकड़ कर उसकी गांड मारने लगा, थोडी देर बाद मैनें धक्के तेज कर दिये, मुझे तो उसकी चूत से अधिक उसकी गांड में अपना लंड कसा होने के कारण ज्यादा मजा आ रहा था, और जब मेरे धक्कों ने प्रचंड रूप धारण कर लिया तो सूजी एकदम से बोली,




" ...बस...अब अपना लंड मेरी गांड में से निकाल कर मेरी चूत में डाल दो,"

" क्यों " मैनें रुक कर पूछा,

" क्योंकि मैं तुम्हारा वीर्य अपनी चूत में गिरवाना चाहती हूँ,"

सुन कर मैं मुस्कुराया और अपना लंड गांड में से खिंच कर वापस उसकी चूत में घुसेड़ दिया, मैनें फीर जोर जोर से धक्के लगाने शुरु कर दिये थे, मगर इस बार सूजी को कोई परेशानी या दर्द नहीं हुवा था, बल्कि अब तो वो दुबारा मस्ती में भर कर अपने कुल्हे आगे पीछे ठेल कर मेरा पुरा साथ देने लगी थी, इतनी देर बाद भी मैं सूजी को मंजिल पर पहुंचा देने के बाद ही मैं झडा, सूजी भी कह उठी,

" मर्द हो तो तुम जैसा, एकदम कड़ियल जवान,"

" और औरत हो तो तुम जैसी एकदम कसी हुई," जवाब में मैनें भी कहा, फिर हम दोनों एक दुसरे की बाहों में समां गये,

मौसा जी को जहां दो दिन बाद आना था, दो दिन तो दूर की बात वो पुरे पांच दिन बाद आये,और उन पांच रातों का मैनें और सूजी नें भरपूर लाभ उठाया, सूजी हर रोज मेरी बीबी को नींद की गोलियां देकर सुला देती और हम दोनों अपनी रात रंगीन करते, मौसा जी के आने के बाद ही हमारा ये चुदाई का खेल रुका, इस बिच मौसी यानि सूजी बहुत उतावली रहती थी, वो मेरे एकांत में होने का जरा जरा सा बहाना ढुंढती थी,

मैं इस बात को उस वक्त ठीक से नहीं समझ सका की सूजी मेरी इतनी दीवानी क्यों है, क्या मौसा जी में कोई कमी है या वे इसे ठीक से चोद नहीं पाते? जबकि देखने भालने में वे ठीक ठाक थे,



सूजी मेरी इतनी दीवानी क्यों है? इसका जवाब मेरे दिमाग ने एक ही दिया की या तो वो मेरे लंड की ताकत से दीवानी हुई है या फिर मौसा जी उसे ढंग से चोद नहीं पाते होंगे, हम महिना भर वहाँ रहे, इस बिच हमने यदा कदा मौका देख कर चुदाई के कई राउंड मारे,

जब हम वहाँ से आने लगे तो सूजी ने मुझे अकेले में ले जाकर कहा,

" जल्दी जल्दी राउंड मारते रहना मुझे और मेरी चूत को तुम्हारे लंड का बेसब्री से इंतजार रहेगा,

मैनें इतनी चाहत का कारण पूछा तो उसने यही बताया की " वे " यानी की उसके पति उसे ठीक से चोद नहीं पाते, मेरा शक सही निकला, मौसा जी की कमी के कारन ही वो मेरी तरफ झुकी,

मेरा दिल भी उसे छोड़ कर जाने का नहीं कर रहा था, मगर मज़बूरी वश मुझे वापस आना पड़ा, आने के एक हफ्ता बाद ही मैं बीबी को बिना बत्ताये दुबारा सूजी के यहाँ पहुँच गया, वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई,

मैं इस बार चार दिन वहाँ रहा और चारों दिन सूजी को खूब चोदा, क्योंकि मौसा जी के ऑफिस जाने के बाद मैं और सूजी ही घर में रह जाते और खूब रंगरेलियां मनाते, अब तो मेरी बीबी का भी खतरा नहीं था, मौसा जी को भी हम पर कोई शक होने वाला नहीं था, क्योंकि रिश्ते के हिसाब से मैं सूजी का दामाद हूँ, मौसा जी भी मुझे दामाद जैसी इज्जत देते,



इसी का फायदा उठा कर मैं हर महीने सूजी के यहाँ जाकर पूरी मौज मस्ती करके आता था, हमारा ये क्रम पांच महिने तक चला, उसके बाद जब एक महिने पहले सूजी के यहाँ पहुंचा तो उसका ब्यवहार देख कर मैं बुरी तरह चौंका, वो मुझे देख कर जरा भी खुश नहीं हुई और ना ही मुझसे एकांत में मिलने की कोई कोशिश की, और जब मुझे बहुत ज्यादा परेशान देख कर मुझसे मिली तो उसके चेहरे पर सदाबहार मुस्कान की जगह रूखापन था, मैनें इसका कारण पूछा, और उसने जो कुछ मुझे बताया उसे सुन कर तो मेरे पैरों के निचे से जमीन ही निकल गई, उसने बताया की...

उसने मेरे से इस लिये नहीं चुदवाया की मौसा जी उसे ठीक से नहीं चोद पाते थे, सूजी मौसा जी से चुदवा कर पूरी खुश थी और वो मौसा जी से बहुत प्यार करती थी, उसने मुझसे सिर्फ इसलिए चुदवाया था की वो समझ गई थी की मौसा जी बच्चा पैदा करने में असमर्थ थे, उनके वीर्य में शुक्राणु या तो हैं नहीं या हैं तो बहुत कमजोर हैं, ये बात उसने अपना चेकअप करा कर जानी, क्योंकि जब उसमें कोई कमी नहीं थी तो जाहिर था की कमी मौसा जी में ही हो सकती थी, जबकि उसे और मौसा जी को बच्चे की बहुत चाहत थी, इससे पहले की मौसा जी ये बात जानें, गर्भवती होने के लिये मुझसे संबंध बना लिये, ताकि मौसा जी अपने बारे में जान कर हीन भावना से ग्रस्त ना हो जाएँ, अब वो गर्भवती हो चुकी है इसलिए वो उसके पास ना आया करे, अंत में उसने कहा मुझे तुमसे कोई लगाव नहीं है, अब इधर दुबारा फटकना भी मत,

मुझे दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया,


आपका दोस्त
राज शर्मा
 
ससुरजी ने गंद फाड़ डाली

हाई आइ एम आशिका पटेल फ्रॉम गुजरात.मैं एक शादी सुदा औरत हूँ..मैं वैसे हिन्दी सेक्शी कहानियो की रेग्युलर व्यूवर नही हूँ..बस अभी 2 दिन पहले ही किसी के कहने पर मैने साइट देखो ओर मैने स्टोरी पढ़ी..तो मुझे लगा क्यों ना मैं अपने बारे मे कुछ लिखू..मेरी फर्स्ट स्टोरी है तो हो सकता है शायद आप बोर हो या आपको पसंद ना आए..मैं आशिका शादी सुदा हूँ 37 यियर्ज़ की एज है आंड मेरे पति के साथ मैं सूरत मे रहती हूँ.हमारे फॅमिली मे मेरा 4 साल का बच्चा आंड मेरे ससुरजी और हम दोनो है..आज से करीब 10 साल पहले मैं शादी करके आई मेरे हब्बी के घर पर..मैं बहुत खुस थी..मेरे पति मुझे बहोत खुस रखते थे..सास ससुर भी मेरा काफ़ी ख़याल रखते थे मुझे अपनी बेटी की तरह रखते थे..लेकिन बात तब बिगड़ी जब मेरी सास का देहांत हो गया 2 साल पहले.तबसे मेरे ससुरजी की नज़र मुझ पर बिगड़ी है..वो रिटर्मेंट लाइफ जी रहे है इसलिए पूरा दिन घरपर ही रहते है..और बार बार मुझे वासना की नज़र से देखते रहते है..कई बार अगाशी पर सुखाने रखे कपड़ो मे से वो मेरी ब्रा और पॅंटी से खेलते है वो मेने चोरी छुपे देखा है..मेने कई बार सोचा कि अपने पति को सब बता दू कि ससुर क्या कर रहे है..पर मेरा मन नही माना कि क्यों बाप बेटो मे झगड़ा करवाना...कुछ दिन वैसे ही निकल गये..और दिन निकलने के साथ साथ मेरे ससुर की हिम्मत भी बढ़ने लगी..वो मेरे पास चाइ बनाने को कहते और जब मैं चाइ बनाती होती किचिन मे तो वो आजाते मुझे हेल्प करने के बहाने..मुझे कोई ना कोई बहाना बना कर छू ने लगे..एक दिन की बात है मेरे हब्बी सुभह जॉब पर चले गये आंड मेरे लड़के को भी स्कूल पर उतारने को लेके गये..सुबह के 7 बजे थे मैं बाथ के लिए जा ही रही थी मैं ने मेरी ब्रा और पॅंटी ,,टवल बाथरूम मे टाँग दिए थे और अंदर जा कर अपने एक एक करके कपड़े उतारने लगी और पूरी नंगी हो कर जस्ट बाथ लेने ही वाली थी तब मेरे ससुर ने ज़ोर से आवाज़ लगाई अशीईईईईई. .....घर मे मुझे प्यार से सब आशिका की बजाय आशि कहते है..आषीईईईईईईईई जल्दी आओ..उनकी ज़ोर की आवाज़ से मैं डर गयी..और डर के मारे हड़बड़ाती हुई सोचेते हुवे के कुछ असुभ ना हुवा हो तो अच्छा है..मेने फटाफट अंदर रखी हुई मेरी नाइटी पहनी और बाहर आई सिर्फ़ नाइटी पहने..नही मेने अंदर ब्रा पहनी थी या पॅंटी पूरे बदन पर सिर्फ़ एक नाइटी थी वो भी काफ़ी पतली थी कि उसके आरपार आसानी से देखा जा सकता था..

मैने बाहर निकल कर देखा तो वो कही दिखाई नही दिए तो मैने बाहर जाके देखा तो वो गार्डेन मे गिरे पड़े थे..मैं दौड़ती गयी उनके पास और उनको उठाने की कोसिस करने लगी तभी मैने महसूस किया कि वो मेरे नाइटी से दिखाई देने वाले मेरे बूब्स के निपल को देख रहे है ..मैं शर्मा गयी और जैसे बना वैसे उन्हे जल्दी से उठाया..उठते समय उन्होने अपना एक हाथ मेरी गंद पर रख दिया और उन्हे महसूस हो गया कि मैने अंदर पॅंटी भी नही पहनी है...मैं ने पूछा बाबूजी क्या हुवा कैसे गिर गये वो बोले बहू पैर फिसल गया..और गिर गया..माफ़ करना बहू मुझे तुम्हे इस हालत मे बुलाना पड़ा..मैने कहा पिताजी कोई बात नही..आप आराम कीजिए..मैं बाथ लेके आती हूँ..वो बोले बहू मैं कीचड़ मे हो गया हूँ तुम बाद मे नहा लेना मुझे पहले स्नान करलेने दो..उनकी बात सुनकार पहले तो मैं सोच मे पड़ गयी पर मुझे लगा वो मेरे पिताजी जैसे ही है मैने कहा ठीक है पिताजी आप स्नान कर लो...उनके बाथरूम मे घुसने के बाद थोड़ी देर मे वो बाहर निकल गये..और उनके निकलने के बाद मैं नाइटी मे अपने गुप्तँग जो छुप नही रहे थे वो छुपाने की कोसिस करते हुवे अंदर चली गयी बाथ करने के लिए..और मैं मेरी धुन मे और सोच मे ही बाथ करती रही..जब स्नान ख़तम कर कर मैं ने टवल लेने के लिए हाथ बढ़ाया तो मुझे जोरो का झटका लगा वाहा मेरा रखा हुवा टवल नही था..तभी मेरे मन मे शक हुवा कि यह ससुरजी की कोई नयी चाल है फिर मैं ने सोचा कि नही वो जल्दी मे स्नान करने आए थे तो ग़लती से मेरा टवल लेगाए होगे..मैने जैसे तेसे कर के अपने आपको पोछा और अपनी पॅंटी हाथ मे ले कर पहनने जा रही थी कि मुझे कुछ गीला सा लगा मैं ने वापस पॅंटी उतार कर देखा तो अंदर पॅंटी के भाग पर चिप चिपा था कुछ मैं समझ गयी कि मेरे ससुर ने मेरी पॅंटी पर मूठ मारकर अपना वीर्य निकाला है और वो मेरी चूत पर भी थोड़ा थोड़ा लग गया था मुझे बहुत गुस्सा आया..आंड मैने पॅंटी निकाल कर कचरे के डिब्बे मे फेकदी..मैने ब्रा देखा तो उन्होने उसमे भी अपने वीर्य का पानी छ्चोड़ा हुवा था..मुझे इतना गुस्सा आ रहा था कि मन कर रहा था उनका खून कार डालु..मैं ने गुस्से मे आकर अपनी ब्रा भी कचरे के डिब्बे मे फेक दी..और वापस उनके वीर्य वाली चूत को मैने सॉफ किया आंड दूसरी बार भी बाथ लिया..अब मैं सोच रही थी बाहर जाउ तो केसे जाउ क्यों की नही अब मेरे पास टवल था या नही ब्रा पॅंटी..मूज़े गुस्सा आ रहा था और अब पछतावा भी हो रहा था कि मैने क्यों जल्दबाज़ी मैने ब्रा और पॅंटी निकाल कर फेक दी कचरे मे..तभी मुझे ना चाहते हुवे भी ससूजी को आवाज़ लगा नी पड़ी..मैं ने कहा "पिताजी आप मेरा टवल ग़लती से लेके गये है ज़रा मुझे दे दीजिए" उन्होने जवाब दिया"ओह्ह बहू माफ़ करना जल्दबाज़ी मे अपना टवल लेजाना भूल गया था तो तुम्हारा लेलिया""ठहरो मैं तुम्हे दूसरा टवल दे रहा हूँ"मुझे उनपर इतना गुस्सा आ रहा था पर मैं भला कर भी क्या सकती थी..उन्होने मुझे आवाज़ लगा कर कहा ये लो बहू..मैं ने बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा खोलकर हाथ बाहर निकाला और उन्होने मेरे हाथ को टच करते हुवे मुझे टवल दे दिया...मैं ने टवल देखा तो मुझे और भी ज़्यादा गुस्सा आया क्यों कि उन्होने जो टवल दिया था वो एकदम छ्होटी साइज़ का था और उस पर 2 जगह से छोटे छोटे होल भी थे..मैं समझ गयी की आज यह बूढ़ा मुझे छ्चोड़ने वाला नही है..मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी..मैने वो टवल से अपना शरीर पोछा अओर अपने बूब्स से टवल को लपेटा तो देखा कि टवल छ्होटा होने की बजाह से वो मेरी चूत को ठीक तरह से नही ढक पा रहा था..तो मैने ना चाहते हुवे टवल को थोड़ा उप्पर से नीचे किया जिसकी बजाह से अब टवल मेरी निपल से नीचे था यानी की मेरे हाफ बूब्स दिख रहे थे..और वो 2 छोटे छोटे होल वो मेरी गंद की साइड पर थे जिससे मेरी गंद का गोरा रंग दिख रहा था...मैं जल्दी से बाहर आई और अपने कमरे मे चली गयी और अंदर से दरवाज़ा बंद कर लिया..बाथरूम से निकलने और रूम मे जाने के टाइम मेरे ससुर ने साले बुढहे ने मेरे जिस्म के भरपूर दर्शन कर लिए थे और मेरा ध्यान उसके पयज़ामे पर गया था उसका लंड तन गया था जोकि उसके पयज़ामे से पता चलता था..

रात को जब मेरे पति घर आए तब मैने उन्हे बताने का काफ़ी सोचा पर कह नही पाई और मुझे रोना आ गया..उन्होने पूछा भी क्या हुवा मैने कुछ नही बताया..और सुबह हम जब उठे तो मेने देखा कि मेरे पति तैयार हो रहे थे मैं ने पूछा कहा जा रहे हो तो वो बोले कि ऑफीस के काम से 3 दिन के लिए देल्ही जा रहा हूँ..मेरे उप्पर जैसे आसमान गिरगया..मैं ने गुस्से से कहा अभी बता रहे हो.तो उन्हो ने कहा डार्लिंग काल रात को तुम रोने लगी थी आंड मुझे तुम्हे और परेशान नही करना तह इसलिए मैं ने नही बताया...मैं ज़िद करने लगी की मुझे भी आना है मुझे साथ ले चलो..वो मेरे उप्पर गुस्सा हो गये और बोले क्या बच्चो जेसे कर रही हो..और उन्होने मुझे सुबह सुबह एक बार अपनी बाँहो मे लेलिया और मुझे नंगा करके किस करने लगे..पर मेरा नसीब ही फूटा हुवा था..जैसे ही उन्होने मेरी पॅंटी निकाली तो तो वो बोले की अपनी चूत तो सॉफ रखा करो तुम्हे पता है मुझे बालो वाली चूत चोदनी अछी नही लगती..मैं ने कहा आज की बार कर लो मैं अगले टाइम से सॉफ रखूँगी..उन्होने कहा नही..और उन्होने लंड मेरे मूह मे देदिया और और मेरे मूह को चोदने लगे और और उनका सारा वीर्य मेरे मूह मे भर गया..फिर मैने फटाफट कपड़े पहन लिए आंड उन्हे छ्चोड़ने के लिए बस स्टॉप चली गयी...अब मैं और ससुरजी घर मे अकेले थे..मुझे उनसे डर लग रहा था..मैं आज वापस नहाने चली गयी..मैं ने पहले से ही आज चेक किया था कि ब्रा पॅंटी टवल बराबर है या नही है...नहा ने के बाद मैं ने खाना पकाया और दुपहर मे ने और ससुरजी ने खाना खाया साथ मे..और मेने कहा पिताजी मैं सोने जा रही हूँ..तो उन्होने कहा ठीक है..बहू..रात को ज़्यादा रोने की बजाह से मुझे नीद ठीक से नही आई थी रात को तो दुपहर को कुछ ज़्यादा टाइम के लिए आँख लग गयी थी मेरी मेरा लड़का स्कूल से आकर बाहर खेलने चला गया था...थोड़ी देर के बाद मे मेरे रूम के दरवाज़े पार किसी के खिटकिता ने की आवाज़ आई..मैं उठी और मैं ने अपने आपको देखा तो नीद मे मेरी सारी कमर तक आ गई थी..पॅंटी दिख रही थी..सारी का पल्लू फिसल गया था..मैं ने जल्दी से कपड़े ठीक किए और अपना दरवाज़ा खोला..तो देखा कि ससुरजी थे..मैं ने कहा आप..तो उन्होने मुझे चाई देते हुवे कहा बहू तुम आज कुछ ज़्यादा ही सोई हुई थी तो मैं ने सोचा मैं ही चाइ अपने आप बना लू तो मैं ने बना के पीली और यह तुम्हारे लिए है आंड चितू को भी दूध पीला दिया है...मैं मन ही मन सोचने लगी कि क्या ये वही ससुर है जो पिछले दिन अपने लंड का पानी मेरी पॅंटी पर डाल गये थे आंड आज मेरे लिए चाइ बना के लाए..मैं ने सोचा आदमी कितना जल्दी रंग बदल लेता है..मैं ने चाइ पीली और अपने काम मे लग गयी..पर अचानक तकरीबान 7 बजे चाइ पीने के 1 घंटे बाद मुझे बेचेनी सी लगने लगी...पूरे बॉडी मे हल्का सा पेन होने लगा सरीर टूटने लगा..और नींद सी आने लगी..मैं ने सोचा ससुर ने ज़रूर चाइ मे कुछ मिलाया होगा..और मैं अपने आपेसे बाहर होने लगी..और किचन मे गिर गयी..पिताजी आए और मेरे सामने देख कर हसणे लगे..मैं थोड़ी बेहोसी की हालत मे थी मुझसे उठा भी नही जराहा था और मेरे हाथ पैर भी नही हिल रहे थे..पर मैं कोसिस कर रही थी उठने के लिए..वो मुझे देख कर हँसने लगे और बोले कुछ भी कर लो 10 घंटे तक तुम अपने आपको नही संभाल पओगि चाइ मे मेने ड्रग मिला दिया था...मैं उन्हे देखती ही रही...बाद मे वो मुझे उठा कर रूम मे ले गये आंड बिस्तेर पर पटक दिया..मैं सब समझ सकती थी लेकिन कोई हरकत नही कर पा रही थी..सिर्फ़ महसूस कर पा रही थी..ससुरजी मेरे पास आकर मुझे चूमने लगे..मेरे गले पर किस करने लगे..उन्होने मेरे लिप्स पर किस किया और काटने लगे..मुझे घिन आ रही थी...उन्होने अब मेरी सारी उतार दी..अब मैं सिर्फ़ उनके सामने पेटिकोट और ब्लाउस मे थी..मैं सारी नाभि के नीचे से पहनती हूँ तो अब मेरी नाभि उनके सामने नंगी पड़ी थी उन्होने मुझे किस करने लगे...मैं अपना मूह हिलाके और मूह से आवाज़ निकाल कर प्रतिक्रिया करने लगी..पर मानो मेरे हाथ पैर पर लकवा मार गया हो वैसा हो गया था..धीरे धीरे ससुरजी बोलने लगे आज तुझे जी भर के चोदुन्गा..2 साल से भूखा हूँ..मैं ने कहा पिताजी यह क्या कर रहे हो यह ग़लत है..वो बोले कुछ ग़लत नही है..मैं ने कहा मैं प्रशांत(मेरे हब्बी) को सब बतादूँगी..उन्हो ने कहा मैं तुझे उस लायक रहने ही नही दूँगा...और कहते ही उन्होने मेरे ब्लाउस के हुक खोलने सुरू कर दिए आंड पेटिकोट भी उतार दिया..


अब मैं सिर्फ़ ब्रा पॅंटी मे थी उनके सामने..उन्होने मेरी रोती हुई आँखे थी पर ज़रा भी दया नही की और मेरे सरीर से मेरी ब्रा को और पॅंटी को निकाल दिया...अब मैं बिल्कुल नेकेड उनके सामने पड़ी थी बिस्तर पर मुझे रोना आ रहा था लेकिन उन्होने मुझ पर कोई दया नही दिखाई..मेरी झांतो वाली चूत देखकार वो बोले" साली रंडी तुझे मेरे बेटे ने कितनी बार कहा है की चूत पार से बाल सॉफ करके रख तू समझती नही है"चल ठीक है रांड़ आज तेरी चूत की शेविंग मैं करता हूँ..इतना कहने के बाद वो मर्दो वाला रॅज़र और क्रीम लेकर आए..आज तक कभी मैने रॅज़र यूज़ नही किया था मैं हमेशा हेर रिमूवर यूज़ करती थी...मुझे रॅज़र देख कर डर लग ने लगा था..तभी वो मेरी चूत पर क्रीम लगाने लगे..मेरी चूत पर क्रीम लगाते समय उन्होने काफ़ी बार उंगली मेरी चूत मे डाल दी..ऐसा करते करते ना चाहते हुवे भी मैं गरम होने लगी...और मेरी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया..वो हसणे लगे और कहा कमीनी नखरे कर रही है..फिर उनको क्या सूझा उन्होने ने मेरी चूत पर लगा क्रीम निकल दिया और कहा तुझे बिना क्रीम के शेव करता हूँ साली तूने मुझे बहोत तडपाया है आज मैं तुझे तडपाउँगा..कह कर वो अकेला रॅज़र मेरी चूत पर घुमाने लगे..मुझे छीलने का काफ़ी डर था..कि कही कट ना जाए और काफ़ी दर्द भी हो रहा था...थोड़ी देर बाद उन्होने मेरी चूत से सब बॉल निकाल दिए...बाद मे वो रूम से चले गये मुझे यूही नंगी छ्चोड़ कर चले गये..थोड़ी देर मे मेरा लड़का चिंटू रूम मे आगेया...मुझे देख कर बोलने लगा"मम्मी मम्मी आपने कपड़े क्यों नही पहने है"बताओ मम्मी आपने कपड़े क्यों नही पहने है.."मैं इतनी ज़्यादा पहले कभी बेबस नही थी"मुझे अपने आप पर घिन आ रही थी के मैं अपने 4 साल के बच्चे के सामने पूरी तरह नंगी पड़ी हुई थी...उतने मे ससुरजी आए और चिंटू को ले जाकर सुला दिया बगल वाले कमरे मे...और जब वो वापस आए तो देखा की वो सिर्फ़ अंडरवेर मे आए थे..65 साल की एज मे भी उनका सरीर चुस्त था वो सिर्फ़ 45 5० साल के लग रहे थे...और मेरे सामने आक़ार वापस हसणे लगे..और उन्होने एक केमरा निकाला और मेरी तस्वीर खिचने लगे..मेरी चूत का क्लोज़ अप लिया मेरे बूब्स के फोटोस मेरी पूरी तस्वीर खिचने लगे..बाद मे बोले अगर तूने किसी को कुछ बताया तो मैं तो जैल जाउन्गा ही पर तेरी इज़्ज़त के छितरे उड़ाकर जाउन्गा..बाद मे वो आयिल लेके आए और मेरे पूरे बदन पर मसल ने लगे..आयिल की बजाह से मैं काफ़ी चिकनी हो गयी थी..मेरे बूब्स को बुरी तरह मसल ने लगे...ना चाहते हुवे भी मैं एक औरत हूँ और मेरा सरीर गरम होने लगा मेरे निपल टाइट होने लगे..वो समझ गये कि मैं गरम हो रही हूँ.उन्होने अपना लंड निकल कार मेरी चूत के उप्पर घिसने लगे..बजाय चोद ने के वो सिर्फ़ मुझे ललचा रहे थे..अपनी उंगली से मेरी चूत मे उंगली कर रहे थे...मेरा सरीर भी उनको साथ देने लगा था...मेरे मुहसे आवाज़ निकल ने लगी..ह. उहह...और मेरी चूत ने वापस एक बार पानी छ्चोड़ दिया...वो हसणे लगे और मैं शरम के मारे मरी जा रही थी...उनका लंड अभी भी ठीक तरह से तना नही था..फिर भी उनके लंड की साइज़ 7"इंच जितनी होगी...उन्होने मुझसे कहा ले मूह मे ले ले..मैने ना कहते हुवे अपना मूह फेर लिया तो वो बोले" क्यों सुबह तो ज़ोर ज़ोर से मेरे बेटे का लंड मूह मे ले रही थी अभी क्या हुवा..उन्होने ज़ोर से मेरा मूह खोलने के लिए ट्राइ की पर मैं ने मूह नही खोला..तो उन्हो ने एक हाथ से ज़ोर से मेरा नाक पकड़लिया और दबा दिया...मैं साँस नही ले पा रही थी घुटन होने लगी इसके लिए मुझे मजबूरन मेरा मूह खोलना पड़ा..जैसे मेने हवा लेने के लिए मूह खोला उन्होने अपना बड़ा लंड मेरे मूह मे पूरा घुसा दिया..उनका बड़ा लंड मेरे गले मे लग रहा था और उप्पर से मेरा नाक भी बंद था तो मुझे घुटन भी हो रही थी..लेकिन वो मुझे अनदेखा कर के मेरे मूह को चोदने मे मस्त थे..तभी मेने सोचा क्यों ना उनके लंड को काट लिया जाए..मेने ज़ोर से उनके लंड को काट लिया..वो चिल्ला उठे..और उनके लंड से थोड़ा खून भी निकल ने लगा..उन्हे मुझ पर गुस्सा आया और ज़ोर से मुझे चाते मारने लगे और खा रुक रंडी काट ती है कुतिया देख मैं तुझे दिखा ता हूँ..और वो बाहर चले गये..मैं डर गयी थी की ना जाने अब वो क्या करेंगे..वो वापस आए और उनका हाथ देख कर मैं डर गयी..उनके हाथ मे एक बड़ा सा डंडा था जो 15 इंच जितना बड़ा और 3 इंच जितना चोडा था..उन्होने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गंद पर आयिल लगाने लगे..मैं डर गयी अओर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी पर वो काफ़ी गुस्से मे थे..और उन्होने मेरी गंद के होल मे भी तेल डाला..और ज़ोर से लकड़ी को मेरी गंद के छेद पर रख कर धक्का दिया..मेरे मूह से चीख निकल गयी..पर वो हंसते हुवे बोले अभी तुझे पता चले गा कि दर्द क्या होता है...और ज़ोर से दूसरा धक्का लगाया और मेरी जान निकली जा रही थी..शायद उन्होने मेरी गंद फाड़ डाली थी..डर के मारे मुझे पिसाब हो गया बिस्तेर मे मेरे पिसाब(मूत) से पूरा बेड गीला हो गया था..और उन्होने मेरी गंद मे से वो डंडा निकाला तो मैने देखा कि उस पर काफ़ी खून लगा हुवा था..ससुरजी ने कहा के देख रांड़ मुझे काटने का नतीजा..अभी पहले मैं तुझे चोदुन्गा बाद मे तेरी चूत को भी भोसड़ा बनाऊंगा..यही डंडे से...

बाद मे उन्होने वापस मुझे लंड मूह मे दे दिया..अब मैं ने हार मान ली थी मैं उनके लंड को चूस रही थी थोड़ी देर चूसने के बाद उन्होने अपने वीर्य की पिचकारी मेरे मूह पर मार दी..और उनका लंड ढीला पड़ गया...मेरे बूब्स पर भी उनके वीर्य की बूँद थी...वापस उन्हो ने कहा चल अब इसे चूस चूस कर वापस खड़ा कर दे..थोड़ी देर चूस ने के बाद वो वापस खड़ा हो गया मुझे विस्वास नही आ रहा था कि इतने बुड्ढे आदमी का इतना जल्दी वापस तन कर खड़ा हो गया..अबकी बार उन्होने उप्पर आकर मेरी छूट पर उनका लंड रखा और दोनो हाथो से मेरे बूब्स को दबाने लगे मेरे निपल को मसल्ने लगे...और एक धक्का दिया मेरे मूह से ह...निकल गयी उन्होने अपना लंड मेरी चूत मे डाल दिया था..और वो धक्के लगा ते रहे..मैं भी वापस गरम होने लगी थी पर गंद मे दर्द भी बहोत हो रहा था..और खून अभी भी रुक ने का नाम नही ले रहा था..ससुरजी के चोद्ते छोटे और करारे धक्को के साथ मेरी चूत भी उन्हे साथ देने लगी और मैं शरम के मारे मरी जा रही थी.....मेरी चूत ने पूरी चुदाई के टाइम पर 3 बार पानी छ्चोड़ दिया था..मैं वो बुड्ढे का स्टेमीना देख कर हैरान हो गयी थी..और थोड़ी देर की चुदाई के बाद उसके लंड ने मेरी चूत मे पानी छ्चोड़ दिया...उन्होने लंड बाहर निकाला तो उनके लंड पर खून था..मैं हेरान हो गयी कि चूत मे तो दर्द हुवा नही तो चूत से खून कैसे निकला..पर तभी मुझे ख्याल आ गया कि मैं म्सी(प्रिद) मे हो गयी हूँ...तभी भी मेरे ससुर ने मुझे कपड़े नही पहनने दिए..ऐसे दिनो मे भी मुझे नंगा रखा अओर लगातार मेरी चूत से प्रियड्स का खून निकले जा रहा था..मुझे दर्द हो रहा था..आंड पूरा बिस्तेर भी गंदा हो गया था फिर भी वो बुड्ढ़ा लगातार दूसरे दिन दोपहर तक मुझे ज़ोर ज़ोर से अलग अलग स्टाइल मे चोदता रहा..जब उसने मिरर मे मुझे अपनी गंद का होल दिखाया तो मैं हेरान हो गयी कि मेरी गंद का छेद मानो किसी फटी हुई चूत के जैसा था कई जगह से फॅट गया था...अब मुझ मे थोड़ी जान आने लगी थी मैं उठ पा रही थी पर अभी भी बुड्ढे का जी नही भरा था पूरी रात और दिन मुझे चोदने के बाद भी वो कुछ नया नया करता था..
तो दोस्तो कैसी लगी ये मस्त कहानी फिर मिलेंगे एक नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्‍त
 
नरगिस--1


मेरा नाम नरगिस है .. मैं एक मुस्लिम परिवार की बेटी हूँ मेरे घर मे मेरी एक छोटी बहेन है और अम्मी है .. मेरे अब्बू का एन्तेकाल कुच्छ सालों पहले हो गया था.. उनके जाने के बाद मेरी अम्मी के भाइयों ने भी हम से हाथ खीच लिया अब सारे परिवार की ज़िम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई थी ..

मैं करती भी क्या पड़ाई ख़तम करके एक अच्छी से नौकरी करना चाहती थी.. मैं दूसरी लड़कियों की तरह कभी अपनी लाइफ जी ही नही पाई हर कदम पे समझौता ही करती रही … शायद ये ही मेरा नसीब बन गया था.. अब तो आदत से हो गई थी..

मेरा रुटीन बिल्कुल बना हुआ था.. सुबह उठना और पहले तय्यार हो के ट्यूशन पढ़ने जाती और वही से ऑफीस निकल जाती … फिर शाम को जब थक हार के घर आती तो मेरी छोटी बहन को पढ़ाती .. फिर अम्मा के साथ बैठ के बातें करती और फिर अगले दिन की तय्यारी रात मे कर के सो जाती .. मुझे लेट होने का शौक नही था सो मैं अपने कपड़े रात मे ही तय्यार कर के रख लेती थी..

मगर मुझे वो दिन आज भी याद रहे गा.. .. वो मेरी ज़िंदगी का सबसे मनहूस दिन था.. वो दिन था.. सॅटर्डे का दिन अगले दिन छुट्टी थी मैं रोज़ी को पढ़ा के लेट गई थी.. काफ़ी थकि हुई थी मगर जाग रही थी कि कल तो सनडे है आराम से उठना था.. तो कोई टेशन नही थी ..

मैं और मेरी बहेन रोज़ी हम एक कमरे मे लेट ते है .. और अम्मी दूसरे कमरे मे लेट ती है. वो कमरा मेरे कमरे से थोड़ी दूरी पे है.. उसके साथ ही किचन लगा हुआ है.. और बीच मे आँगन है .. मुझे थोड़ी प्यास लगी थी मैं उठी कि चलो पानी पी लू फिर आ के लेटुंगी ..

मैं जैसे ही अम्मी के कमरे के पास से गुज़री मुझे कुच्छ बातें करने की आवाज़ आई .. मेरे पैर रुक गये मैं चौंक गई कि ये अम्मी किससे बातें कर रही है.. मुझे लगा कि कहीं कोई भाई तो वापिस नही आ गया .. जिससे दिल के हाल बयान हो रहे हूँ ये सोच के मैं अम्मी के कमरे की तरफ बढ़ी ही थी कि मेरे पैर रुक गये .. मुझे आवाज़ जानी पहेचानी लगी ..

अरे.. मेरे खुदा.. ये तो .. नजीब अंकल की थी नेजीब अंकल मेरे अब्बू के दोस्त है.. और अक्सर घर आते रहेते थे .. अम्मी को वो बहेन मानते थे.. मगर ये आवाज़ें मुझे परेशान कर गई थी .. मैने धीरे से अम्मी के कमरे की खिड़की से झाँक के देखा ..तो अंदर का नज़ारा ही कुच्छ और था… मेरी .. अम्मी …. (मैं कहना नही चाहती मगर कह रही हूँ ) ..

पूरी नंगी लेटी थी .. और मेरे नजीब अंकल उनके ऊपर ही लदे हुए थे ये देख के मैं शरम से पानी पानी हो गई.. मैं करूँ क्या.. मैं उल्टे पावं वापिस आ गई.. और अपने पलंग पे लेट गई.. तभी मुझे फिर से प्यास महसूस हुई क्यो कि पानी तो मैं पीना ही भूल गई थी.. मैं वापिस किचन मे गई और बिना आवाज़ किय मैने पानी पिया और ..

वापिस जाने लगी .. तो मेरा दिल बोला .. यार नरगिस अम्मी कर क्या रही हैं ये तो देख ले .. हो सकता है कि तूने जो देखा और जो समझा वो अलग अलग हो .. .. मैने भी ये ही सोचा .. तभी मुझे एक बात सूझी .. मैं फ़ौरन किचन के रौशन्दान पे चढ़ गई और अंदर देखने लगी ..

अंदर अम्मी बिल्कुल नंगी बेड पे लेटी थी और नेजीब अंकल उनके ऊपर लदे हुए थे उनका .. .. मोटा सा सामान .. काला काला .. मेरी अम्मी की… पेशाब की जगह पे था.. मुझे आज ये मालूम है कि उनको क्या कहते है.. .. मेरा कहने का मतलब है.. कि अंकल का लंड मेरी अम्मी की चूत मे धसा हुआ था… और अम्मी अपनी टाँगों को फैलाए ..

अंकल से लिपटी पड़ी हुई थी .. और अंकल उनकी चुदाई कर रहे थे.. यह खुदा ये मैं क्या देख रही हूँ … अम्मी तो इनको अपना भाई कहती थी .. फिर ..ये सब क्या है.. मगर अब मुझे देखने मे मज़ा आ रहा था.. नजीब अंकल कस कस के धक्के मार रहे थे और अम्मी उच्छल उच्छल के उनके धक्के अपनी कमर और चूत पे रोक रही थी ..

फ़चा फॅक की आवाज़ें पूरे कमरे मे गूँज रही थी .. अम्मी बड़े मज़े के साथ अपनी चूत को चुद्वा रही थी.. मैं देख के हैरान थी.. मैं उतरने को हुई तो देखा मेरे पीछे मेरी छोटी बहन रोज़ी खड़ी थी.. वो मुझे देख के मुस्कुरा दी.. मैं गुस्सा हुई .और चुप चाप उतर के .. कमरे मे आ गई .. पीछे पीछे वो भी कमरे मे आ गई .. ..

“ क्या हुआ बाजी .. ?? “

कुच्छ नही .. तू क्या कर रही थी वहाँ पे

..अरे बाजी ये सीन तो मैं कई बार देख चुकी हूँ तुमको ही खबर नही है .. अम्मी तो कई लोगो के साथ ये करवाती है.

.क्या .. तू पागल तो नही हो गई है

नही बाजी मैं सच कह रही हूँ जब तुम घर पे नही होती तो अम्मी अपने यारों को बुला के ये सब ही तो करती है ..वरना इस घर का खर्चा कैसे चले.. “

मैने एक ज़ोरदार थप्पड़ उसके गाल पे रसीद कर दिया वो चुप चाप जा के बेड पे लेट गई .. मुझे खुद पे और सबसे ज़्यादा अपनी अम्मी पे गुस्सा आ रहा था.. कि वो ऐसा क्यो कर रही थी . मैं तो अम्मी को बहुत नेक औरत का दर्जा देती थी मगर मेरा विश्वास आज छलनी हो गया था..

मेरी आँखों से ना जाने कब आँसू निकल आए और मेरे चेहरे पे बहने लगे थी .. मैने आज तक अपनी असमात (जवानी या इज़्ज़त ) का सौदा किसी के साथ नही किया.. मेरी कितनी ही सहेलियाँ अपनी चूत को दिखा कर मुझसे उँची जॉब पा चुकी थी मगर मेरे लिए मेरी इज़्ज़त ही सबसे बड़ी थी ..

मगर आज मेरी इज़्ज़त धूल गई थी क्या थी मेरी इज़्ज़त … आज मैं एक धंधे वाली की बेटी बन गई थी . उस रात मैं सो नही सकी .. सुबह को मेरी आँखें सूजी हुई थी .. और रोज़ी भी मुझसे नाराज़ थी ..

मैं जल्दी ही उठी और अपने लिए कॉफी बनाके कमरे मे आ गई .. शायद अम्मी को रोज़ी ने बता दिया था तभी अम्मी मेरे कमरे मे दाखिल हुई और मुझे देख के बोली “ नरगिस .. “

जी अम्मी .. ?? “ मैने उनकी तरफ़ देख के बोला .. मेरा मन नही कर रहा था कि मैं उनसे बात भी करूँ .. मगर मैं उन्हे दिखाना नही चाहती थी कि मैं नाराज़ हूँ .

रोज़ी बता रही थी की … तुमने कल रात कुच्छ देखा .. और उससे बहुत परेशान हू .. “ मैं खामोश रही .. अम्मी ने फिर बोलना शुरू किया .. “ देखो बेटी .. जब तुम्हारे अब्बू का इंतेकाल हो गया और .. बच्चों की ज़िम्मेदारी मेरे ऊपर आई तो मैं ..बहुत परेशन हो गई .और कई लोगो से मैने सहारे की कोशिश करी मगर अकेली औरत पे सिर्फ़ लोग बुरी नज़र डालते है .. हेल्प कोई नही करता .. मेरे साथ भी ये ही हुआ.. मैं ज़माने की मार को सह ना सकी और तुम्हारी परवरिश के आगे मुझे अपनी इज़्ज़त का सौदा करना पड़ा फिर जब एक बार मैने सौदा किया तो .. फिर तो ..

मेरी हिम्मत भी बढ़ गई और आमदनी का एक ज़रिया भी खुल गया.. मैं तुमको क्या बताऊ .. मैं कैसे कैसे लोगों के साथ सोती आई हूँ मगर आपने बच्चों पे ये साया मैं पड़ने नही देना चाहती थी.. तभी मैने आज तक शादी नही की और तुमको आज तक पता नही चला कि मैं क्या कर के पैसे कमाती हूँ.. तुम लोग कभी जान ही नही पाई .. ..

मैं हर कदम पे अपने जिस्म को बेचती रही … और तुम लोगों के लिए रोज़ी रोटी का इंतेज़ाम करती रही .. मगर तुमने कभी कुच्छ नही पूछा मगर आज तुम्हारी मा की हक़ीक़त तुम्हारे सामने आ गई है तो तुम मुझसे परेशान हो रही हो.. “ मैने कोई ग़लत काम नही किया है.. अब तुम मुझे बताओ.. क्या मेरी जगह तुम होती तो तुम क्या करती .. बच्चो का गला दबा देती या उनको कुएँ मे फैंक देती “

ये सब बातें आज मैने पहेली बार सुनी थी.. मेरी आँखों मे आँसू आ गये और मैं अम्मी से लिपट के खूब रोई .. फिर मैने उनको माफ़ कर दिया.. .. और हम दोनो .. आराम से बैठ गये और . बातें करने लगे .. तब अम्मी ने मुझे बताया कि वो किस किस के साथ सो चुकी हैं.. मैं अब जान गई थी कि अब कोई अच्छी फॅमिली का लड़का तो मुझसे शादी करेगा नही सो .. मुझे ऐसे ही मनी कमानी चाहिए.. ये ईज़ी मनी है ..

मैं इसे आसानी से कमा भी सकती हूँ और ज़्यादा मगज मारी करने की भी ज़रूरत नही है.. ये सोच के मैं आराम से थी .. तभी रोज़ी आ गई और अम्मी ने मुझे और रोज़ी को मिलवाया और .. हम दोनो बहने .. गले लग गयी .. मैं काफ़ी खुश थी .. फिर हम सबने खाना खाया और रात को अम्मी दुबारा.. नजीब अंकल के साथ चुदि .

उस दिन हम दोनो बहेनो ने देखा आज मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. मैं सोचने लगी कि आम्मि की तो उमर भी हो रही है फिर भी कैसे मज़े ले लेती है और हमारी तो उमर है मज़े लेने की तो हम नही ले पा रहे है .. मैने रोज़ी से कहा “ रोज़ी मेरी बहेन .. ये अम्मी कितने मज़े लेती है.. क्या हमे ऐसा नही करना चाहिए.. “

बाजी .. आप ने ही मज़े नही लिए होंगे .. मैं तो ये काम बहुत पहले कर चुकी हूँ “ क्या.. “ ( मैं सबसे पीछे रहे गई थी . चुदाई के मामले मे .. “ ) मैं उसे हैरत से देख रही थी.. तब उसने मुझे उसके और युसुफ के बारे मे बताया … उसकी सहेली का भाई था.. जो उसे कई बार चोद चुका था.. मेरा ये सुन के बुरा हाल हो गया था ..

अब मुझे भी चुद जाना चाहिए था.. ये सोच के मैं मन ही मन मुस्कुराने लगी .. मगर मुझे शरम बहुत आ रही थी .. मैने अम्मी से कहा कि मैं भी अपना अकाउंट ( चूत मरवाने का ) खुलवाना चाहती हूँ तो अम्मी ज़ोर से हँसी और बोली ..

अगर तू कहे तो मैं तेरे लिए किसी रईस आदमी का इंतेज़ाम कर दूं जो खूब सारे पैसे देगा और मज़ा भी देगा.. मैने हां कर दी .. तब अम्मी ने एक शहेर के व्यापारी से बात की और मेरी चुदाई का दिन तय हो गया .. अगला सॅटर्डे मेरी चुदाई का दिन तय हो गया था..

मैं आप लोगों को बता दूं मैं एक नॉर्मल लड़की हूँ मेरी हाइट 5’5” है और मेरा फिग साइज़ .. 34”27”32” है.. मेरी चुचियाँ कुच्छ ज़्यादा ही बड़ी है.. जिनको देख के मुझे खुद शरम आती है.. मुझसे ज़्यादा रोज़ी मुझे ले के खुश थी उसने मुझे तय्यार किया और पूरे हफ्ते वो मुझे ब्लू फिल्म की सीडी दिखाती रही .. मैने कई तरह से चुद्ना देख लिया था.. और ये ही मुझे उस व्यापारी के साथ करना था.. ..

मैं अपनी तरंग मे डूबी शाम को सोई अगले दिन सॅटर्डे था.. मैं तय्यार होके बताई गई जगह पे पहुँच गई .. वो एक फार्म हाउस था.. वहाँ मुझे एक गार्ड अंदर ले गया .. मैं वहाँ एक लोन मे पड़ी कुर्सी पे बैठ गई . बहुत बड़ा बंगला अंदर बना था.. नौकर चाकर दिखाई नही पड़ रहे थे शायड छुट्टी पे होंगे..

थोड़ी देर मे एक आदमी के आने का एहसास मुझे हुआ मैने मूड के देखा तो एक बड़ी सी उमर का एक आदमी मेरे सामने खड़ा था.. उसकी उमर .. लगभग 52-53 साल की रही होगी .. मोटा सेठ था.. उसने मुझे भूके भेड़िए की नज़र से देखा मैं अंदर तक काँप गई .. ये .. क्या.. अम्मी ने मेरे साथ बहुत ग़लत किया . ऐसा आदमी.. ये तो मेरे बाप से भी बड़ी उमर का है.. ये सोच के मैं गुस्सा सी हो रही थी . तभी वो मेरे पास आ गया और बोला . “

हेलो.. मिस नरगिस .. मैं .. राज .. सॅंको इंडस्ट्रीस का मलिक हूँ .. आप को देख के मुझे बहुत खुशी हुई है… “ “ जी. .. म्‍म्म मुझे भी.. “ … “ आप घबराईय नही. .. मैं लड़कियों का कदरदान हूँ आप को यहाँ किसी किसम की दिक्कत नही होगी .. “ आप मेरे साथ आइए.. “ मैं उनके साथ चल दी ..

अंदर बहुत बड़ा हॉल कमरा था.. उसने कमरे के छोर पे सोफे पे बैठने को कहा मैं बैठ गई फिर उसने मुझे एक पेग बना के दिया.. मैने कसमसा के पीलिया. .. बड़ा आजीब सा स्वाद था… फिर वो मेरे सामने मुझसे आजीब आजीब सी बातें करते हुए पीता रहा फिर उसने मुझे कमरे मे चलने को कहा मैं उसके साथ साथ चल दी..

मैं उस दिन ब्लॅक ड्रेस पहेने हुए थी .. ब्लॅक जम्पर और सलवार .. उसने मुझे अपनी बीवी का कबाड़ दिखाया और बोला .. इसमे से कुच्छ पहेन लो.. ये सब टाइट फिट है .. मैने वैसे ही किया उसका दिया हुआ ड्रेस मैने पहेन लिया क्यो कि सेक्सी ड्रेस मेरे पास तो थे ही नही सो ..

उसे मैं अच्छी नही लग रही हूँगी जो उसने ड्रेस दिए उसने मेरे शरीर का एक एक भाग देखाई पड़ने लगा..वो ऑफ वाइट ड्रेस थी .. मेरी चुचियाँ उसने खूब उभर के आई थी.. और मेरे चूतड़ कस गये थे ये एक मिडी विथ ऊपर थी .. .. उसके नीचे स्लॅक्स पहेना जाता होगा..

मगर उसने मुझे स्लॅक्स नही दिया था.. मेरी गोरी गोरी टाँगे .. नीचे नज़र आने लगी थी .. मिडी .. मेरी घुटनो के उपर ही ख़तम हो गया था… और मेरी नरम नरम टाँगे दिखने लगी थी.. तभी .. वो मेरी चुचियों को देख के बोला.. .. “ आरे नरगिस तुम्हारी संतरे तो बहुत रसीले है .. मुझे चूसने दोगि .. “

मैं ऐसी बातें करने की आदि नही थी मुझे शरम आ रही थी .. लेकिन मैं उसे सेक्स भी करना चाह रही थी .. मैने मुस्कुरा के उसको देखा वो मुस्कुराता हुआ ..मेरे करीब आया और मेरी दाईं चुचि को पकड़ के ऊपर से ही दबाने लगा.. मेरा सारा शरीर मचलने लगा.. मैं तड़प सी गई थी क्यो कि आज मेरी चुचियों को किसी मर्द का पहेली बार हाथ लगा था..

मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा था.. तभी उसने मेरी कमर मे हाथ डालके मुझे अपनी ओर खींच लिया.. मैं उसे चिपक गई.. मेरा मेरा चेहरा उसके चेहरे के पास आ गया था.. उसकी गरम सांसो को मैं अपने चेहरे पे महसूस कर सकती थी.. तभी उसने अपने एक हाथ को मेरे चुतड़ों पे ले जा के मेरे एक तरफ के चूतड़ को दबाने लगा.. और मिडी उठा के मेरी पैंटी मे अपना हाथ पीछे से डाल दिया.

मैं उसे चिपक गई .. वो मेरी बाप की उमर का ज़रूर था मगर उसका शरीर खूब गाथा हुआ था.. मैं उसे किस करने लगी मैं मचल रही थी .. वो मुझे अपनी आगोश मे लिए चूम रहा था.. मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी.. लेकिन तभी मुझे दर्द महसूस हुआ .. उसने अपनी एक उंगली मारी गान्ड मे घुसेड दी थी.. ईईईईईईई आआआआआः

ये क्या कर रहे हू.. मैं उसे चिल्ला के बोली.. “ अरे रानी ..ये तुम्हारी गांद तो बड़ी मस्त नज़र आ रही है.. मैने उसे कहा .. ये मुझे अच्छा नही लग रहा है.. मैं ये सब तो पहले ही पॉर्न मूवी मे देख चुकी थी.. मगर मुझे उसको ये दिखाना था. कि मैं एक कुवारि शर्मीली लड़की हूँ उसने मेरे साथ सेक्स करने के मेरी अम्मी को 100000रुपये दिए थे और मुझे उसके साथ अब पूरे 3दिन गुज़ारने थे ..

यानी सारी रातें और सारे दिन मुझे सिर्फ़ उसके साथ चुद्ना था.. और कुच्छ नही .. अब वो मेरी ऊपर बढ़ा और मेरी ड्रेस को खोलने लगा.. मैने बिना .. विरोध के अपने कपड़े उतार लेने दिए.. और मैं अब बिल्कुल नंगी हो गई थी .. नंगी होने की कला मुझे रोज़ी ने खूब सिखा दी थी.. .

मैं नंगी होने के बाद उसके कपड़े खोलने लगी और थोड़ी देर मे ही मैने उसको भी नंगा कर दिया.. और हम दोनो.. अब मज़े से एक दूसरे के जिस्मो से खेलने लगे .. उसके सीने पे लगभग सारे बाल सफेद हो गये थे .. मगर .. उसका सीना बहुत चौड़ा था.. मैं उसके सीने पे हाथ फेर के उसे किस करने लगी उसने मुझे रोका और मेरी चुचियों को अपने हाथो मे ले के दबाने लगा..

क्रमशः……………………..
 
नरगिस--2


गतान्क से आगे……………..

मुझे पूरी पॉर्न मूवी ध्यान आने लगी, मुझे लगा मेरी ही पॉर्न मूवी बन रही हो.. राज अब तो एक दम ऐसे मुझे चूम रहा था.. कि उसको देख के मुझे मूवी के कई कॅरक्टर ध्यान आने लगे थे.. मैं उसका पूरा सहयोग कर रही थी तभी पास पड़े बेड पे उसने मुझे लिटाया और मेरे ऊपर टूट पड़ा .. मेरी चुचियों का बुरा हाल कर दिया था ..

वो उनको चूस रहा था. और दबा दबा के वह कुच्छ पीने की कोशिश कर रहा था.. मगर मेरी चुचियो से कुच्छ निकल नही रहा था.. .. वो उनको दबा दबा के चूस्ता ही जा रहा था फिर राज मेरे पेट को चूमते हुए मेरी टाँगो के बीच पहुँच गया .. वो एक शातिर आदमी था.. वो मेरी भावनाओ को भड़काने का पूरा तरीका जानता था..

उसने अपनी जीभ मेरी .. चूत पे रख दी.. मैने आँखे बंद कर ली . मेरा पूरा बदन एक तरंग मे मस्त हो रहा था.. पूरा बदन लहरा ने लगा था.. तभी मुझे लगा कि उसकी जीभ मेरी चूत मे अंदर जाने लगी थी .. वो उसको भी चूसने लगा.. मैं बुरी तरह से पागल हो गई ..

मुझे लग रहा था. कि मेरी चूत आग मे फँस गई हो मैं बुरी तरह से निढाल हो रही थी .. उसका एक हाथ मेरी चुचि पे था.. मैं अपनी चुचियों को खुद दबाने लगी थी उसे मुझे कुच्छ आराम मिल रहा था.. मैं बल खा रही थी और वो मेरी चूत को मज़े से चूस रहा था.. थोड़ी ही देर मे मेरी चूत पानी छ्चोड़ गई…

फिर उसने मुझे उठाया और मेरे मुँह मे अपना लंड दे दिया.. या खुदा कितना मोटा लंड था.. बड़ा भी मगर उसे देख के मुझे जाने क्या हुआ मैने उसे साथ से मुँह मे ले लिया और चूसने लगी .. थोड़ी ही देर मे वो खूब चिकना और मोटा तगड़ा सा तय्यार हो गया .. अब मैं समझ गई कि अब मेरी चुदाई की इच्छा पूरी हो जायगी .. तब

राज ने मुझे .. चित लिटाया और .. मेरी चूत को खोल के अपने लंड को मेरी चूत के मूँह पे रख दिया मैने अपनी कमर को कुच्छ उठा दिया जिससे लंड जाने मे कुच्छ परेशानी ना हो तभी वो मेरे ऊपर कुच्छ झुका और मैं कुच्छ समझ पाती तभी उसने मेरे कंधों को पकड़ के एक कस के धक्का मारा मेरी टाँगे पूरी फैली थी .. इस लिए लंड को जगह बनाने मे कोई दिक्कत नही हुई मगर मेरी मा चुद गई.. मैं पूरी कस के चिल्ला दी.. मेरा पूरा बदन .. तड़प गया मुझे लगा कि मेरी चूत पूरी फट गई हो.

उसका पूरा लंड एक बार मे मेरी चूत की दीवारों पे दबाव डालता हुआ … मेरी चूत मे जा के धँस गया था.. वो हिल भी नही पा रह आ था .. मैं तड़प के उसे लिपट गई .. तब उसने मेरी चिन को अपने मुँह मे लिया और चूसने लगा .. और दोनो हाथो से मेरी चुचियों को दबाने लगा.. फिर तभी मुझे एहसास हुआ कि उसका लंड अब आगे पीछे होने लगा है ..

उसका लंड मेरी चूत की दीवारों पे रगड़ डालता हुआ मेरी चूत मे अंदर बाहर जाने आने लगा था.. तब मुझे धीमे धीमे मज़ा आने लगा.. और मैं उसका साथ देने लगी तब उसकी रफ़्तार तेज़ होने लगी .. और मैं कमर उचका उचका के उसका साथ देने लगी अब मैं मस्त हो गई थी .. मुझे चुदने मे बहुत मज़ा आ रहा था…

वो काफ़ी देर मेरी चुदाई करता रहा.. उसकी टक्कारें मेरे हौसले को और बढ़ा रही थी.. कभी वो मेरी गर्दन चूमता कभी मेरे होंठो पे अपने होंठो को रख के चूमता और धक्के पे धक्के दिए जा रहा था.. अब उसके धक्के मेरी चूत की जड़ पे लग रहे थे.. और मैं मस्ती मे चुदने लगी थी… उसका लंड मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था..

मैं पूरी टाँगो को फैला चुकी थी .. वो खूब मज़े से चुदाई करने लगा.. जब उसका लंड मेरी चूत मे अंदर जाता मैं उचक जाती और जब बाहर निकलता तो अपने स्थान पे वापिस आजाती .. ये करते करते उसके धक्के मेरी चूत पे तेज़ हो गये और थोड़ी देर मे एक घायल शेर की तरह कुच्छ कस के धक्के मार मार के वो मेरे ऊपर ही गिर गया उसके लंड ने शायद मेरी चूत के अंदर कुच्छ छ्चोड़ दिया था..

और वो गरम गरम द्रव मेरी चूत से बह कर बाहर आने लगा था.. उसका लंड आभी भी मेरी चूत मे ही घुसा हुआ था.. मैं वैसी ही पड़ी रही वो भी मेरी चुचियों पे अपना सिर रख के लेटा रहा और थोड़ी देर मे उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया.. उसका लंड अब लंड नही रह गया था.. वो मुरझा के लोलो बन गया था..

मुझे अपने पहली चुदाई मे बहुत मज़ा आया था .. मैने उठ के देखा .. बेड पे कुछ खून के दाग मौजूद थे मैं समझ गई कि मेरी झिल्ली फट गई थी .. आज मैं एक कुँवारी कली से फूल बन गई थी .. राज थोड़ी देर वैसे ही लेटा रहा फिर मुझे प्यार करने लगा मैं उसके बालों मे उंगलिया डाल के सहलाती रही और .. प्यार करती रही .. थोड़ी ही देर मे वो फिर गरम हो गया और बोला .. “ जान और कुच्छ करना चाहोगी .. “

मैने शर्मा के हां कर दी .. वो खुश हो गया और .. मेरी चुचियों को फिर से चूमने लगा .. अब मेरी चुचिया दर्द कर रही थी .. पूरी लाल हो रही थी क्यो कि राज ने उनको खूब कस कस के चूसा था.. और दबाया भी था.. तभी वो मेरे सीने पे आके बोला लो मेरे इस शेर को जगा लो उसने अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दिया मैने अपने हाथो से उसके लंड को पकड़ा उस पे उसका माल लगा हुआ था.. यानी वीर्य ..

मैने उसे मुँह मे लिया आजीब सा स्वाद था वो .. मगर मुझे अच्छा लगा था.. और मैं मज़े से उसे चूसने लगी थोड़ी ही देर मे उसका लंड पूरी तरह खड़ा हो गया.. और मेरी लार से चिकना और मोटा लगने लगा था.. उसने मेरे सिर पे हाथ रख के मेरे मुँह को अपने लंड पे दबाया उसका लंड मेरी गर्दन तक चला गया था.. मेरी साँस सी रुकने लगी मैने खों खों करते हुए झटके से उसके लंड को मुँह से निकाला ..

मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे थे.. उसका लंड बहुत मोटा था जो मेरी गर्दन मे अटक गया था.. .. थोड़ी देर के लिए.. मेरी पूरी लार उसके लंड को भिगो गई थी.. मैं काफ़ी संतुष्ट थी वो भी मज़े से मेरे साथ सेक्स का मज़ा लूट रहा था.. तब उसने मुझे पलट के कुतिया की तरह खड़े होने को कहा मैं अपनी कोहनी और घुटनो के बल खड़ी हो गई .. मैं चौपाए की तरह खड़ी थी.. वो मेरे पीछे पहुँच गया

और मेरे चुतड़ों को अपने हाथो से फैला के मेरी गांद देखने लगा.. मैं समझ गई कि आब ये मेरी गांद मारेगा.. .. मैं खुश हो रही थी.. कि .. आज मैं सारे तरीके सीख जाउन्गि .. तभी उसने बेड के पास से एक तेल की शीशी उठाई और मेरी गांद पे कुच्छ बूंदे डाली .. और अपनी एक उंगली से उसने वो तेल मेरी गांद के द्वार पे फैला दिया और उंगली मेरी गांद मे घुसा के उसकी दीवारो को भी चिकना कर दिया ..

फिर शायद उसने अपने लंड पे भी तेल लगाया और फिर मेरी गांद को अपने हाथो से दौनो चुतड़ों की सहयता से खोला और अपना लंड मेरी गांद पे रख के अंदर पुश करने लगा .. मुझे लगा कि मेरी गांद फट के छितरे छितरे हो जायगी .. बहुत कस के पेन हो रहा था.. मगर मैं उससे गांद मरवाने मे इतनी मस्त हो रही थी कि मुझे आज फटने चिरने का कोई गम नही था .. आहह..हाइईईईईईईईईईई कस के एक धक्का मेरी गांद पे पड़ा अओर मेरी साँस ही रुक गई ..

पूरा लंड मेरी गांद मे धंसता चला गया आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मुझसे सहेन नही हो रहा था वो दर्द .. तभी उसने अपने दोनो हाथो से मेरी कमर पकड़ के अपने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया मैं कुतिया की तरह ही झुकी रही और उसका लंड मेरी गांद मे आगे पीछे जाने आने लगा.. अब मेरा दर्द कम होने लगा. .

और थोड़ा .. मज़ा भी आने लगा.. राज मेरी कमर को कस के पकड़ के मेरी गांद मारने लगा था.. और कस कस के उसके धाक्के मेरी गांद पे पड़ रहे थे .. मैं मस्ती के साथ अपनी गांद मरवा रही थी.. और थोड़ी ही देर मे वो .. मेरी गांद मे ही झाड़ गया ..

और ..फिर पास मे ही कटे पेड़ की तरह ढह गया.. … हम दोनो को बहुत मज़ा आया था.. मैं काफ़ी खुश थी और अम्मी को दुआएँ दे रही थी .. . उन 3 दिनो मे ना जाने राज ने मुझे कितनी बार चोदा.. मगर ये ज़रूर जानती हूँ कि पहली चुदाई मुझे बहुत मज़ा दे गई थी .. अब मेरी चूत पूरे शहेर के लिए खुल गई थी .. .. उस रात राज ने मुझे 6-7 बार चोदा और 4 बार गांद मारी थी..

फिर अगले दिनो तो उसने मुझे बेड चोदने नही दिया.. मैं 3दिन और 4रातें उसके पास थी.. वो मेरी चूत का खूब मज़ा उठाता रहा.. ऐसी चुदाई मैने आज तक दुबारा नही करवाई … और उस दिन के बाद से राज ने मुझे कभी नही बुलाया.. उसे कुँवारी लड़कियों का ही शौक है.. और मैं अब पुरानी हो चुकी थी.. .. लेकिन राज मेरा पहला चोद्ने वाला है .. मैं उसे कभी नही भूल सकती

समाप्त
 
दो कामुक सहेलियाँ-2

गतान्क से आगे………………

विनोद ने अपने आपको कोसते हुए नज़र घुमा ली और अपने खड़े होते लंड को बिठाने की कोशिश करने लगा. “भैया आज नीता आई थी, बहुत तारीफ कर रही थी आपकी. क्या बात है? कोई चक्कर वक्कर तो नहीं चल रहा आप के साथ उसका” शिल्पा ने चुटकी ली.” नहीं तो! क्या कुच्छ कह रही थी? मुझे तो मिली नहीं कयि दिनो से” विनोद ने झूठ बोला. शिल्पा शरारत से बोली,” भैया झूठ मत बोलो. उसने तो एक चिट्ठी भी दी है आपके लिए. अगर नहीं चाहिए तो मैं नहीं देती उसकी चिट्ठी. अगर उसको भाभी बनाने का इरादा है तो बता दो, मेरी सहेली बहुत प्यारी और सेक्सी है”

विनोद झट से बोला,” कहाँ है चिट्ठी, शिल्पा मेरी प्यारी बहना, मुझे दो ना” लेकिन शिल्पा इठला कर बोली,” इस मे मुझे क्या मिलेगा, मेरे प्यारे भैया? चिट्ठी तो मेरी जेब मे है” वो अपने सीने की जेब की तरफ इशारा करती हुई बोली जहाँ उसका सीना उठान लिए हुए था. मल मल की कुरती मे से उसके काले निपल सॉफ नज़र आ रहे थे. विनोद अपनी बेहन के पास जा कर बोला” तुझे क्या चाहिए अपने लिए, शिल्पा? जो माँगो गी दे दूँगा अपनी प्यारी बहना को” शिल्पा तुनक कर बोली,” सभी कुच्छ तो नीता को दे दोगे, मुझे तो कुच्छ ना मिलेगा. लो मैं ये चिट्ठि नहीं दूँगी” उसने अपनी चुचि पर हाथ रख कर चिट्ठि दिखाते हुए कहा.

विनोद अपनी बेहन से चिट्ठी छीन लेने के लिए बढ़ा तो वो भागने लगी और विनोद ने उसको पीच्छे से जाकड़ लिया और उसके हाथ अपनी बेहन के वक्ष स्थल पर चले गये. इसी हाथा पाई मे उसके हाथ अपनी बेहन की चुचि को दबा गये. उसकी कोमल चुचि अपने भाई के स्पर्श से कड़ी हो उठी और विनोद का लंड उसकी गांद मे घुसने लगा. विनोद ने हाथ डाल कर अपनी बेहन की जेब से चिट्ठी निकाल ली लेकिन उसका लंड अब बैठने का नाम नहीं ले रहा था.” माफ़ करना शिल्पा मेरी बहना.” शिल्पा भी कामुकता की वजह से उत्तेजित हो चुकी थी लेकिन लाज के कारण बोली,” कोई बात नहीं भैया, आप के हाथ तो नीता के जिस्म को स्पर्श करने के लिए तड़प रहे होंगे. सच मानो आज तो मुझे अपनी सहेली से ईर्ष्या हो रही है और आप पर प्यार आ रहा है”

विनोद शर्मिंदा हो कर चिट्ठि ले कर अपने रूम मे चला गया. अपनी माशूक का लव लेटर पढ़ कर उसने मूठ मारी और दूसरे दिन के सुहाने ख्वाब आँखों मे ले कर सो गया. उस रात शिल्पा को चुदाई के सपने आ रहे थे जिस मे विनोद भैया नीता को नंगा कर के चोद रहे थे. विनोद भैया का लंड कितना मोटा और विशाल था! नींद मे शिल्पा अपनी चूत को हाथ से रगड़ने लगी और सवेरे जब उठी तो उसका पाजामा चूत वाले भाग से गीला हो चुका था. शिल्पा एक रोमांचित मूड मे थी. ठीक वक्त पर नीता आ गयी और दोनो सहेलियाँ फिल्म देखने चली गयी. फिल्म अभी शुरू ही हुई थी कि नीता का सेल फोन बजा और वो कुच्छ देर बात करने के बाद बोली,”शिल्पा मेरी जान, मुझे घर जाना होगा, मम्मी की तबीयत ठीक नही है और मुझे बुलाया है. ऐसा करो, तुम फिल्म देखो, अब टिकेट वेस्ट करने का कोई फ़ायदा ना होगा, मैं फिर कभी फिल्म देख लूँगी” शिल्पा बोली,”ठीक है”

” नीता मेरी जान, तू चल विनोद भैया के पास. साली तुम दोनो को रंगे हाथ ना पकड़ा तो मेरा नाम शिल्पा नहीं. साली अपनी सहेली को बेवकूफ़ बनाती है!” उसने मन ही मन कहा और नीता की मटकती हुई गांद को जाते हुए देखती रही. 10 मिनिट के बाद वो भी बाहर निकली और रिक्शा ले कर घर चल दी. घर एक दम सूना था. दोपहर की धूप ने सभी को अपने घरों मे रहने को मज़बूर किया हुआ था, दबे पैर शिल्पा घर मे दाखिल हुई और विनोद के कमरे की तरफ बढ़ी. कोई आवाज़ नही आ रही थी. तभी उसको अपने खुद के रूम से आवाज़ सुनाई पड़ी,” नहीं विनोद भैया, यहाँ नहीं, ये तो शिल्पा का बेड है. मुझे अपने बेड पर ले चलो और अपनी दुल्हन बना लो” विनोद हंस कर बोला”जब मुझे अपना भैया बोल रही हो तो मैं भी तुझे अपनी बेहन के बिस्तर पर ही चोदुन्गा, मेरी प्यारी नीता बेहन! ओह भगवान, कितनी मस्त है तू! सारी रात मूठ मारता रहा हूँ मे तेरी याद मे!!”

शिल्पा दोनो की बातें सुन कर शरम से लाल हो गयी. उसने अपने कमरे के डोर के छेद मे से झाँकना शुरू कर दिया. अंदर विनोद भैया बिल्कुल नंगे खड़े थे और नीता मादरजात नंगी हो कर शिल्पा के बिस्तर पर लेटी हुई थी. विनोद भैया का लंड किसी काले नाग की तरह फूँकार रहा था और वो झुक कर नीता के जिस्म का एक एक भाग चूम रहे थे. नीता का गोरा बदन चमक रहा था और विनोद भैया ने उसको पैरों से चूमना शुरू किया. ज्यों ही उनके होंठ टाँगों के ऊपर जाने लगे तो नीता एक कामुक सिसकारी ले उठी”आआआआआआआआआआआआआआआआआआ….भैया..बस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स करूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ….मत तडपाओ….ऊऊऊ….भैयाआआ….मेरी चूत मे आग लगा दी है आपने भैया….उूुउउफफफ्फ़…..हैईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मैं मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई..आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!” लेकिन विनोद ने उसके जिस्म को चाटना नहीं छोड़ा और उसके होंठ अब नीता के घुटनो से ऊपर उसकी चिकनी जांघों तक जा पहुँचे थे.

शिल्पा का बदन भी एक अनोखी आग से भर गया और उसका हाथ अपनी चूत को सहलाने लगा.”काश विनोद भैया के होंठ मुझे चूम रहे होते!!!!” उधर नीता बिस्तर पर छत पटा रही थी. वो अपने चुतडो ऊपर उठा रही थी और विनोद उसके मादक जिस्म का एक एक इंच चूम रहा था. ” ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह….भैया…बस करो…आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…बेह्न्चोद अब चोद्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द्द दो मुझे…मेरी आग बुझा दो मेरे विनोद..बस करो अब..प्लीज़!!” लेकिन विनोद तो अब नीता की चूत पर जा पहुँचा था. नीता ज़ोर ज़ोर से अपनी चुचि मसल्ने लगी.” नाआआआआआआआआआआआआआआआअ….भैया..मेरी चूत नहीं…नाआआआआआआआआअ…हाआँ…हाआआन्न्‍नननननननननननननननननननननणणन्..चूसो..भैया…चूसो मेरी चूत….हाआआअन्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न!” विनोद ने अपनी ज़ुबान नीता की चूत मे घुसा डाली. नीता की चूत पर एक भी बाल नहीं था, शायद आज चुदाई की तैयारी कर के आई थी.

विनोद का मुँह अब नीता की चूत से चिपका हुआ था और उसकी ज़ुबान चूत का अमृत चाट रही थी. इधर शिल्पा ने अपनी सलवार का नाडा ढीला कर के अपना हाथ अपनी पैंटी के अंदर डाल लिया और चूत को रगड़ने लगी. उसकी चूत बुरी तरह मचल रही थी. अगर विनोद उसका भाई ना होता तो अभी जा कर अपनी सहेली के साथ चुदाई मे शामिल हो जाती. शिल्पा को अपने भैया का लंड किसी भयंकर हथियार जैसा लग रहा था. भैया का लंड बहुत विशाल था, कितना भयंकर और कितना प्यारा. विनोद अब नीता की चूत को फैला कर चाटने लगा. नीता अपनी चुचि मसल्ने लगी.

इधर शिल्पा अपनी चूत मे उंगली करने लगी. नीता ने अपनी टाँगों को विनोद के कंधों पर रख दिया था और वो मज़े से अपनी बेहन की सहेली की चूत चाट रहा था. कुच्छ देर तक चूत की चटाई चलती रही और फिर शिल्पा ने देखा कि उसका भाई खड़ा हो गया. उसका लंड सीधा तन कर आकड़ा हुआ था. विनोद ने नीता के सिर को पीच्छे से पकड़ कर उसके मुँह को अपने लंड की तरफ बढ़ा दिया. नीता को जैसे कुच्छ समझ ना आया हो. वो कामुक नज़र से विनोद को देखने लगी तो विनोद बोला”रानी अब अपने विनोद के लंड को नहीं चुसोगी? इसको चूस कर मुझे मस्त कर दो. मुझ से तेरा प्यार तभी पूरा होगा जब तुम मेरा लंड चुसोगी.”

नीता ने बिना कुच्छ बोले लंड को जड़ से पकड़ कर सुपाडे को चाटना शुरू कर दिया. विनोद ने उसके बालों मे हाथ फेरना शुरू कर दिया और एक हाथ से नीता की चुचि मसलनी शुरू कर दी. नीता विनोद के लंड पर ज़ुबना फेरती हुई लंड को चाट रही थी. उसके हाथ अपने यार के चुतडो पर थे और विनोद अपनी गांद आगे पीच्छे कर रहा था और नीता के मुँह का चोदन कर रहा था.

शिल्पा का उत्तेजना से बुरा हाल हो रहा था और उसकी चूत से रस की बरसात हो रही थी. वो अपनी उंगलिओ से चूत रगड़ रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चुचि मसल रही थी. उसकी उंगलियाँ चूत रस से भीग चुकी थी और वो बे तहाशा उंगली चोदन कर रही थी.”विनोद, मेरे यार अब नहीं रहा जाता. अब जल्दी से पेल डालो मुझे. पता नहीं कब शिल्पा भी यहाँ पहुँच जाए. फिल्म के ख़तम होने से पहले मुझे यहाँ से निकल जाना चाहिए वेर्ना उसको शक हो जाएगा. मेरा ये पहला अवसर है चुदाई का, प्लीज़ ज़रा धीरे से करना. तेरा तो लंड भी बहुत ज़ालिम दिख रहा है. अपनी नीता की चूत को प्यार से चोद्ना, मेरे यार!”

विनोद ने फिर से नीता को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके जिस्म को खींच कर बिस्तर के किनारे तक ले गया जिस से उसकी गांद बिस्तर के किनारे तक आ गयी. नीता ने अपनी मांसल जांघों को खोल दिया और विनोद ने उसके चुतडो के नीचे एक तकिया रख कर उसकी चूत को और ऊपर उठा दिया और फिर अपने सुपाडे को चूत पर टिका कर रगड़ने लगा. नीता ने अपनी टाँगें उसकी कमर पर बाँध रही थी और वो जल्दी से लंड अंदर डालने की गुज़ारिश कर रही थी,” विनोद, मेरे यार डाल भी दो ना,,, क्यो तड़पा रहे हो अपनी नीता को….पेल दो मुझे प्लीज़…ठोक दो अपना लंड मेरी चूत मे मेरे भाई….चोद डालो मुझे!!!”आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मजाआाआआआआआआआआआअ

विनोद ने देखा कि लोहा गरम है. उसने अपना लंड चूत के मुँह पर रख कर धक्का मारा. बे शक लंड भी चाटने से चिकना हो चुका और चूत भी पानी छोड़ रही थी, फिर भी नीता पीड़ा से चीख उठी,” आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…मरीईईईईईईईईई…मेरी माआआआआआआआआआआआआआआआ…मैं मरीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई….बस करूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ….निकाल लो…प्यार से डालो…ऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह….धीरे से विनोद!!!” लेकिन विनोद ने अपना मूह नीता के निपल पर रख दिया और चुदाई करते हुए चूसने लगा. उसके धक्के धीरे से लग रहे थे और वो मस्ती से चोद रहा था अपनी कुँवारी माशूका को. नीता को भी कुच्छ देर मे मज़ा आने लगा और वो भी चुतडो उच्छालने लगी.

विनोद की गति बढ़ रही थी जैसे जैसे उसकी वासना बढ़ रही थी. चूत चिकनी होने की वजह से लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था.” बहुत मस्त है तेरी चूत, नीता, आज मेरा सपना पूरा हुआ….ऐसी लड़की का सपना देखा था मैने जो मुझे बहुत प्यार करती हो और जो तेरे जैसी सेक्सी हो…तुझे अपनी बना कर रखूँगा और ऐसे ही चोदुन्गा…तेरी चूत तो बस मक्खन जैसी चिकनी है रानी!!!” विनोद बोले जा रहा था और ताबड तोड़ धक्के मारते हुए चोद रहा था. शिल्पा की चूत मे उसकी तीन उंगलियाँ जा चुकी थी और वो बुरी तरह हाँफ रही थी और अपनी चुचि को मसल रही थी. शिल्पा अपनी सहेली और भैया की चुदाई देख कर पागल हो रही थी.

नेता ने कस के अपनी टाँगें विनोद की कमर पर बाँधी हुई थी और तेज़ साँस लेते हुए बोल रही थी,” भैया ज़ोर से चोदो…बहुत मज़ा मिल रहा है मुझे….पेलो भैया…आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…..ज़ोर से…..ऊओह…आअररररगगगगगगगगगगगगगगगगगग…चोद मुझे!!” विनोद ने भी चुदाई की रफ़्तार तूफ़ानी कर दी थी. उसकी कमर पिस्टन की तरह आगे पीच्छे हो रही थी. वो अपना लंड जड़ तक नीता की चूत मे घुसा देता और उसके अंडकोष नीता की गांद से टकरा जाते.” नीता मेरी रानी….अब मैं झड्ने वाला हूँ….रुक नहीं सकता….एयाया….ह्हाआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह….मेरा लंड पानी छोड़ने वाला है…..ऊहह…रानी मैं झाराआा…आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!!” लंड मशीन की तरह चुदाई कर रहा था और नीता आँखें बंद कर के धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी.

“राजा, ज़ोर से चोदो…मैं भी झड रही हूँ..उउउहह….ऊऊ….अर्र्र्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…मैं गयी…चोद लो राजा…मैं तेरी हो गयी…भैया चोद लो मुझे” नीता भी कराह रही थी. बाहर शिल्पा की चूत पानी छोड़ रही थी. एक ही वक्त पर तीनो झाड़ रहे थे. विनोद का लंड जब अपना रस का फोव्वारा छोड़ रहा था तो नीता की चूत उसके लंड पर रस की बरसात कर रही थी और शिल्पा की चूत अपनी उंगली से ही चुदाई का मस्त मज़ा ले रही थी.

क्रमशः……………………….
 
दो कामुक सहेलियाँ-3

गतान्क से आगे………………

विनोद औंधे मुँह नीता के नंगे जिस्म पर गिर पड़ा और नीता चुप चाप उसके नीचे पड़ी रही. शिल्पा ने अपनी सलवार का नाडा बाँधा और अपने आप को संभालते हुए चुप चाप घर से बाहर चली गयी. वो अब सीधा नीता के घर की तरफ गयी.

शिल्पा के कदम नीता के घर की तरफ बढ़ने लगे और उसके मन मे बस एक ही बात आ रही थी. “अगर नीता मेरे भाई के लंड से मज़े ले सकती है तो क्या मैं सुरेश से नहीं चुदवा सकती?” नीता का भाई सुरेश बेशक अभी 16 साल का था, लेकिन काफ़ी ताकतवर था. कभी कभी तो शिल्पा को शक होता था कि सुरेश शिल्पा और नीता की कंपनी मे रहने का बहाना ढूढ़ता रहता है लेकिन कभी उसने कोई ऐसी वैसी हरकत ना की थी. औरत अगर मर्द को पटाने की सोच ले तो मर्द की क्या हिम्मत है कि वो ना कर दे.

जब शिल्पा अपनी सहेली के घर के नज़दीक पहुचि तो एक बार फिर उसने अपने मन को मज़बूत किया कि आज जो भी हो जाए अगर सुरेश घर पर हुआ तो उसको अपनी चूत का स्वाद चखा कर ही जाएगी. चाहे कुच्छ भी हो जाए! शिल्पा की किस्मत अच्छी थी कि सुरेश घर पर ही था. घर दोपहर के वक्त खाली ही होता है. नीता की मम्मी स्कूल मे टीचर है और शाम को 6 बजे वापिस आती है और पापा तो हफ्ते मे दो दिन ही घर आते हैं. सुरेश का रूम बंद था लेकिन कुच्छ दबी दबी आवाज़ आ रही थी. अंदर से सेक्सी आवाज़ें आ रही थी. शिल्पा को पूरा यकीन था कि अंदर ब्लू फिल्म चल रही है. तो सुरेश अकेले मे ब्लू फिल्म देख रहा है?शिल्पा ने धीरे से डोर खोला. डोर कीतरफ पीठ कर के सुरेश खड़ा था, बिल्कुल नंगा. उसके गोरे चुतड आगे पीच्छे हो रहे थे. सामने ब्लू फिल्म चल रही थी. सुरेश साला बेह्न्चोद ब्लू फिल्म देखते हुए मूठ मार रहा था.

“ये क्या हो रहा है, सुरेश? टीवी पर क्या चल रहा है?” शिल्पा ने सख़्त आवाज़ मे कहा तो सुरेश बेचारा घबरा कर मुड़ा. उसके हाथ मे उसका 7 इंच का लंड एकदम टाइट हो कर पकड़ा हुआ था.” कुच्छ नहीं शिल्पा दीदी. नीता दीदी घर पर नहीं है….आप यहाँ? सॉरी दीदी…घर पर कोई नहीं था तो मैने सोचा कि……नीता दीदी को मत बताना…प्लीज़” सुरेश के मुँह पर पसीना आ चुका था. शिल्पा मुस्कुराइ और आगे बढ़ कर सुरेश के कंधे पर हाथ रख कर बोली,” बहनचोड़ मुझे दीदी कहता है और मेरे सामने लंड निकाल कर मूठ मारते हुए शरम नहीं आती? अब सच बता किस को याद कर के ये सब कर रहा था?” कहते हुए शिल्पा आगे की तरफ झुकी जिस कारण उसकी चुचि का काफ़ी बड़ा भाग नंगा हो गया. सुरेश की नज़र उसकी गोरी चुचि से हट नहीं रही थी.

” नहीं दीदी, ऐसी बात नहीं है….ये तो मैं पहले से ही कर रहा था…आप एक दम सामने आ गयी..मैं अभी कपड़े पहन लेता हूँ” वो हड़बड़ा कर बोल रहा था. शिल्पा ने उसकी नंगी छाती पर हाथ फेरते हुए उसके लंड पर हाथ रख दिया. लंड किसी व्याकुल जानवर की तरह फड़फड़ा उठा.” सुरेश मैं किसी को नहीं कहूँगी कि तुम यहाँ क्या कर रहे थे. तुम मुझे बताओ कि मूठ मारते हुए मुझे याद कर रहे थे या नहीं? तुमको मैं कैसी लगती हूँ. सपने मे मुझे कभी चोदा है या नहीं?” शिल्पा ने महसूस किया कि उसका लंड और भी टाइट हो गया है.

“नहीं दीदी….ऐसा तो नहीं है…..मैने कभी….” शिल्पा ने उसके लंड को मसल्ते हुए कहा” बहन्चोद तेरी ज़ुबान कुच्छ कह रही है और ये लंड कुच्छ और. तेरा लंड तो मेरे हाथ मे और भी कड़ा हो गया है, साले ये तो मुझे चोद्ने को तड़प रहा है और तू कहता है कि तुमने कभी अपनी शिल्पा दीदी को चोद्ने के बारे नहीं सोचा? सच बता, मैं तुझे कैसी लगती हूँ? अगर तेरा जवाब ठीक हुआ तो तुझे चूत मिल सकती है” सुरेश की समझ मे कुच्छ नहीं आ रहा था.” दीदी, आप तो बस पटाखा हो! आप बहुत सेक्सी हो…सच मे मैं आपको नंगा देखने के सपने देखता रहता हूँ…अभी भी मैं आपकी कल्पना मे मूठ मार रहा था. आप तो नीता दीदी से भी सेक्सी हो!” शिल्पा सारी बात समझ कर मुस्कुराइ,” तो साले नीता को भी कल्पना मे नंगा देखता है तू? उसको कभी नंगा देखा है क्या?” सुरेश ने गर्दन झुका कर कहा” हाँ दीदी. नीता दीदी को नहाते हुए देखा करता हूँ मैं बाथरूम मे. मैं क्या करूँ? औरत का जिस्म मुझे बेकाबू कर देता है वो चाहे मेरी दीदी का ही क्यो ना हो. मैं उसको चोद्ने के लिया पागल हो जाता हूँ”

“अच्छा बेटा, तो तू चोद्ने के लिए पागल हो जाता है? कितनी को चोद चुके हो, बेह्न्चोद?”शिल्पा को यकीन हो गया था कि आज सुरेश से चुदवा लेगी.”दीदी अभी तक किसी को असलियत मे नहीं चोदा. बस कल्पना मे ही.” सुरेश ने कहा. शिल्पा ने अपना हाथ उसके मस्त लंड के ऊपर नीचे करते हुए कहा” मुझे चोदोगे? अपनी शिल्पा दीदी की चूत चोदोगे? मुझे स्पर्श तो करो, मेरे भाई!” सुरेश का हाथ काँप रहा था जब उसने शिल्पा के सीने के उभार पर हाथ रखा. हाथ रखते ही उसकी चुचि मे आग लग गयी और उसने सुरेश के लंड को ज़ोर से थाम लिया और उसके निपल को चूसने लगी. सुरेश का तो सपना सच हो गया था.

सुरेश के हाथ शिल्पा की चुचि को मसल्ने लगे और दोनो वासना की दुनिया मे उतरते चले गये.”दीदी अपनी कमीज़ उतार दो और मुझे अपने उरोज़ देख लेने दो” वो बोल उठा तो शिल्पा ने उसको कहा”बहन्चोद, अपनी शिल्पा दीदी को चोद्ने वाले हो तो कमीज़ भी उतार लो ना, रोका किसने है?मुझे अपनी तरह नंगा कर दो सुरेश. अगर शिल्पा दीदी को खुश कर दिया तो नीता दीदी की चूत भी दिलवा दूँगी तुझे. मुझे नंगी कर दो भाई”

सुरेश ने आव देखा ना ताव और उसके कपड़े उतारने लगा. कमीज़ उतरते ही उसके सामने शिल्पा दीदी का तराशा हुआ जिस्म नंगा हो गया. उसके सीने का उठान ब्रा मे ग़ज़ब ढा रहा था, गोरी चुचि पर ब्राउन चुचक, सपाट पेट और पतली कमर देख कर उसका लंड उठक बैठक करने लगा. सुरेश ने पहले ब्रा के हुक खोले और फिर सलवार का नाडा खोला. वाह! पैंटी मे धकि हुई चूत किसी को पागल बना सकती थी. उसके चुतडो का उभार देखने लायक था. सुरेश ने उसके चुतडो पर हाथ फेरा और पैंटी को नीचे सरका दिया. शिल्पा ने मदहोशी मे सुरेश को गले लगा लिया और उसके होंठों पर अपने तपते हुए होंठ रख दिए. दोनो मादरजात नंगे हो कर एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे मे समा जाने की कोशिश करने लगे.

सुरेश का लंड अपनी शिल्पा दीदी की चूत के मुँह पर ठोकर मार रहा था और शिल्पा के निपल उसके सीने मे धँस रहे थे. वासना का तूफान उठ चुका था. सुरेश ने उसकी चुचि को दबा कर अपने होंठ चुचक पर रख दिए और चूमने लगा. सुरेश के होंठ और ज़ुबान को अपने निपल पर महसूस करते ही शिल्पा भड़क उठी और अपने हाथ को चूत पर ले जा कर मसल्ने लगी. चूत से रस की जो बरसात थोड़ी देर पहले बंद हुई थी, फिर से बरसने लगी.” सुरेश, जल्दी करो….मुझे बिस्तर पर ले चलो…मेरी प्यासी चूत को ठंडी कर दो…मैं जल रही हूँ..वासना मुझे जला रही है….अपना लंड मेरी प्यासी चूत मे डाल कर मुझे तृप्त कर दो मेरे भाई” सुरेश ने अपनी बालिश्ट बाज़ू मे अपनी प्यारी शिल्पा दीदी को उठाया और अपने मम्मी डॅडी के डबल बेड पर लिटा दिया.

दोनो गुथम गुत्था हो कर एक दूसरे के जिस्म को चूमने और चाटने लगे. साँसों का तूफान मचल रहा था और फिर अचानक शिल्पा के ऊपर चढ़ कर अपना लंड उसकी चूत पर रख कर सुरेश ने धक्का मार दिया, “उ…सुरेश, बेह्न्चोद बता तो देता कि पेलने लगे हो…मुझे बहुत दर्द हुआ है…आराम सेमेरे भाई..तेरी दीदी भी पहली बार चुद रही है…बेह्न्चोद कोई रंडी नहीं हूँ जो पेलते ही जा रहा है…कितना मोटा है तेरा…!” शिल्पा चीख ही पड़ी, लेकिन सुरेश रुका नहीं. सुरेश के कुंवारे लंड को शिल्पा दीदी की टाइट चूत नसीब हो गयी थी अब रुकने का काम ही क्या था. उसने शिल्पा दीदी के निपल को हाथों से मसलना शुरू कर दिया और उसकी गर्दन को चूमने शुरू कर दिया. चूत चाहे चिकनी थी फिर भी टाइट इतनी थी कि लंड का अंदर जाना मुश्किल हो रहा था.” चुप साली, चुप हो जा…चोद्ने दे मुहे अपनी प्यारी शिल्पा दीदी की चूत..कब से सपने मे चोद रहा हूँ…आज असल मे चोद लेने दो और अपने सुरेश भैया का लंड ले ले अपनी चूत मे” सुरेश फुन्कार उठा.

“बहन्चोद, अपनी दीदी का दूध पी ले….मेरी चुचि चूस मदेर्चोद…अपनी मम्मी के बेड पर अपनी बेहन को चोद रहे हो साले इसी बेड पर तेरे डॅडी तेरी मम्मी को चोद्ते हैं, साले चोद अपनी दीदी को!!” शिल्पा ने भी उसको उत्तेजित करने के लिए बोलना शुरू कर दिया. असल मे चूत रस के कारण अब लंड आसानी से चूत मे परविष्ट होने लगा था और दोनो को खूब मज़ा आ रहा था.” मम्मी को भी तो मज़ा आता ही होगा डॅडी के लंड से…तू भी ले ले मज़े मेरी प्यारी शिल्पा दीदी. ला मैं तेरा दूध पी लेता हूँ अगर मेरी दीदी को ये ही पसंद है…मम्मी का दूध तो पी चुका हूँ अब दीदी का भी पी लेता हूँ!!”

शिल्पा की नज़र के सामने अपने विनोद भाई का लंड घूम रहा था और अपनी सहेली की चुदाई का सीन एक बार फिर से उभर आया. उसने अपनी चुचि उठा कर सुरेश के मूह मे दे दी और वो प्यार से उसको चूसने लगा. शिल्पा मस्ती से भर गयी और चुतड उठा कर चुदने लगी.” वाह मेरे भाई..खूब चूस मेरी चुचि…चाट ले मेरी चुचि….चोद ले मेरी चूत..आआ…ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ…बहुत मस्त है तेरा लोड्‍ा…..अपनी नीता दीदी को भी चोदेगा क्या?” सुरेश मस्ती मे चुचि चूस्ता रहा और फिर चुदाई की स्पीड बढ़ाता हुआ बोला”हां दीदी…नीता को भी चोदुन्गा..अगर उसने चुदवाया तो….अपनी मम्मी को भी….चुदाई मे इतना मज़ा मिलता है…पता नही था”

शिल्पा भी आनंद की चर्म सीमा पर थी. वो अपनी चूत सुरेश के लौडे पर ज़ोर ज़ोर से मार रही थी. फिर उसने एक हाथ नीचे ले जा कर उसके अंडकोष पकड़ लिया.” साले मम्मी को भी चोदेगा? पहले अपनी शिल्पा दीदी को तो चोद, मदेर्चोद! ज़ोर से चोद…..मिटा दे खुजली इस निगोडी चूत की…वाह मेरे भाई…हम तो घर मे लंड ना देख कर कितना तड़पे हैं….अब तो खुल चुके हैं…खूब पेलो मुझे…चोद लो अपनी बेहन को!” सुरेश तूफ्फानी स्पीड से चूत को चोद्ने लगा,” चोद तो रहा हूँ….और क्या मैं पूजा कर रहा हूँ..इस से पहले की मैं झाड़ जाऊ, दीदी तुम मेरे लंड पर चढ़ कर मुझे चोद लो….मेरे लंड की सवारी कर लो..मुझे नीचे लिटा कर चोदो मेरी प्यारी दीदी!”

शिल्पा की चूत से उसने लंड निकाल लिया और खुद बिस्तर पर लेट गया. शिल्पा दीदी का गदराया जिस्म देख कर उसकी वासना और भी बढ़ गयी. शिल्पा ने टाँगें चौड़ी कर के अपनी चूत को सुरेश के सुपाडे पर रख दिया और धीरे से दबाव डाला. इस बारी लंड आसानी से घुस गया. नाग देवता अपनी बिल का रास्ता पहचान चुके थे. शिल्पा ने अपना जिस्म लंड के ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया. उसकी भारी चुचि मस्ती मे नाचने लगी. सुरेश ने उसके चुतडो को थाम कर नीचे से चोद्ना शुरू कर दिया और सिर उठा कर चुचि को मूह मे ले लिया और चूसने लगा. चुदाई अपनी चर्म सीमा पर थी. शिल्पा एक कुतिया की तरह हाँफ रही थी. तभी सुरेश का लंड छूट पड़ा. अंडकोषों से रस लंड की तरफ उठने लगा. उसने धक्के नीचे से और भी तेज़ कर दिए,” उफफफ्फ़..दीदी मैं झाड़ रहा हूँ…मेरा लंड अपनी दीदी की चूत मे झाड़ रहा है…दीदी मुझे माफ़ कर दो मैं झाड़ा”

गरम लावे की धारा शिल्पा की चूत मे जा गिरी और वो और भी ज़ोर से उठक बैठक करने लगी. उसकी चूत से रस बहने लगा था लेकिन उसको कुच्छ और देर चाहिए थी झड़ने के लिए, कुच्छ और लंड की पिटाई होनी थी उसकी चूत की तब जा कर उसकी चूत की संतुष्टि होनी थी. लेकिन चर्म-सीमा से पहुँचने से पहले ही सुरेश का लंड ढीला पड़ गया. सुरेश का लंड अभी शिल्पा की चूत मे ही था और वो दोनो एक दूसरे से लिपटे हुए थे. सुरेश ने शिल्पा के नंगे जिस्म को चूमते हुए पूछा” दीदी, कैसा लगा, मेरा लंड? मुझे तो तेरी चूत बहुत पसंद आई” शिल्पा का मन हुआ कि कह दे कि तेरे लंड मे दम नहीं है, लेकिन फिर सोचा कि बेचारे का पहला टाइम है. कोई बात नहीं धीरे धीरे तज़ुर्बे से एक्सपर्ट बन जाएगा. शिल्पा ने उसके मुँह को चूमते हुए कहा,” अपनी दीदी की चूत की धज़ियाँ उड़ा कर पूछ रहे हो कि लंड कैसा था. बहुत दम है तेरे लंड मे, मेरे छ्होटे भाई. ऐसे ही चुदाई करेगा तो चॅंपियन बनेगा एक दिन. अब बस करो, नीता आती ही होगी और मुझे खिसक लेना चाहिए”

शिल्पा ने कपड़े पहने और जाने लगी,” शिल्पा दीदी अब कब?” शिल्पा हंस पड़ी,” जल्दी ही, सुरेश. अगर लंड को आराम ना मिले तो नीता पर हाथ साफ कर लेना”

क्रमशः……………………….
 
दो कामुक सहेलियाँ-4


गतान्क से आगे………………

शिल्पा तेज़ी से घर की तरफ चल पड़ी. आसमान मे काले बदल आ चुके थे. किसी भी वक्त बारिश आ सकती थी. अभी वो घर से कुच्छ दूर थी कि बारिश ने आ घेरा और वो भीगने लगी, उसके कपड़े जिस्म से चिपक गये. वो तेज़ी से घर पहुँची. सोच रही थी कि नीता वहाँ होगी या नहीं. घर पर सिर्फ़ विनोद भैया थे. वो बाथरूम मे नहा रहे थे और बाथरूम मे पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी. शिल्पा अपने रूम मे गयी और अपने गीले कपड़े उतारने लगी. उसने सलवार और फिर कमीज़ उतारी और टवल से अपने जिस्म को सुखाने लगी, उसके बालों से पानी टपक रहा था और वो उस वक्त ब्रा और पैंटी मे खड़ी थी जब बाथरूम का दरवाज़ा खुला और विनोद कमर पर टवल लपेटे बाहर निकला. शिल्पा की मांसल चुचि ब्रा ढकने मे कामयाब नहीं हो रही थी. उसकी टाइट पैंटी के बाहर शिल्पा के गोरे चुतड भीग कर चमक रहे थे.

भाई और बेहन की नज़रें मिली. नीता को चोद्ने के बाद विनोद का लंड शांत नहीं हुआ. उसके लंड की आग और भड़की हुई थी. अपनी सग़ी बेहन के लगभग नंगे जिस्म को देख कर विनोद के शरीर मे एक करेंट सा लगा. एक बार तो शिल्पा ने आँखें झुका ली. लेकिन उसको सॉफ दिखाई दिया कि विनोदा भैया के कमर पर लिपटे टवल मे कुच्छ हरकत हुई. जो नाग देवता दोपहर को नीता की बिल मे घुसे थे, फिर से सिर उठा रहे थे. झेम्प्ते हुए शिल्पा बोली,” भैया क्या देख रहे हो, मुझे शरम आ रही है. आप ने मुझे पहले कभी देखा नहीं है क्या?” विनोद भी झेंप गया और कमरे से बाहर चला गया.

अपने कमरे मे जा कर भी उसके मन से अपनी बेहन का भीगा बदन नहीं हट रहा था. शिल्पा का दूधिया बदन उसकी वासना को भड़का रहा था.विनोद की अंतरात्मा ने उसको कोसा,” साले विनोद, बेह्न्चोद, अपनी सग़ी बेहन की सहेली को चोद चुके हो और अब अपनी ही बेहन को वासना भरी नज़र से देख रहे हो! शरम आनी चाहिए तुझे! कई सोचती होगी शिल्पा?” विनोद ने लाख चाहा लेकिन शिल्पा के नंगे जिस्म की तस्वीर उसकी आँखों से नहीं हट रही थी. उसने रात के लिए निक्केर और टीशर्ट पहन ली और कमरे से बाहर निकला. तभी आकाश मे बिजली चमकी और बदल गरजे. उसी वक्त विनोद के मन मे शैतानी योजना ने जनम लिया.

शिल्पा का रूम बंद था. विनोद ने कीहोल से झाँका. शिल्पा कमरे के बीच बिल्कुल नंगी खड़ी हुई बिस्तर की तरफ झुकी हुई थी और उसकी मस्त गांद दरवाजे की तरफ थी. शिल्पा चादर पर हाथ फेर रही थी. उसके मस्त चुतडो के बीच उसकी गांद का छेद दिख रहा था. विनोद का लंड एक बार फिर मस्ती से खड़ा हो गया. तभी शिल्पा अलमारी की तरफ बढ़ी और एक पारदर्शी कुरती और ढीला सा पाजामा पहनने लगी. विनोद का दिल धक धक करने लगा जब उसने अपनी बेहन की फूली हुई चूत देखी. विनोद झट से दरवाज़े से हट गया और फ्रिड्ज से ठंडे कोक की बॉटल निकाल कर डाइनिंग रूम मे चला गया.

शैतानी प्लान जो उसके मन मे चल रहा था वो ये था कि कोक की बोत्तल मे उसने वोडका मिक्स कर डाली और दो ग्लास भर लिए. वो बिना अपनी बेहन को बताए वोड्का उसको पिला देगा. कोक की वजह से मीठा होने से शिल्पा को कुच्छ फरक नहीं पता चले गा और वोड्का के असर से शिल्पा पर मस्ती चढ़ जाएगी. इतनी सेक्सी बेहन को चोदे बिना आज की रात नहीं कटेगी. आज शैतानी भाई किसी भी कीमत पर अपनी बेहन को नहीं चोदेगा. आज की रात भाई बेहन के मिलन की रात होगी जिसको देख कर शैतान भी खुश हो जाएगा. बस अगर विनोद को नहीं पता था तो ये कि उसकी बेहन भी अपने भैया से चुदवाने की प्लान बना रही थी.

बारिश तेज़ हो चुकी थी. “भैया, देखो ना बारिश कितनी तेज़ है? मुझे तो डर लग रहा है. उफ्फ मुझे तो प्यास लगी हुई है” शिल्पा ने अंदर आते हुए कहा. “मैने तेरे लिए ये ड्रिंक बनाई है, शिल्पा” विनोद ने कहा और तभी उसकी नज़र अपनी बेहन के सीने पर चली गयी. शिल्पा के वक्ष-स्थल का उठान देख कर विनोद की साँस ऊपर की ऊपर रह गयी. शिल्पा की चुचि बहुत मस्त थी और चुचक बहुत नोकिले थे.” आओ बहना, मेरे पास बैठ जाओ” विनोद ने सोफे पर इशारा करते हुए कहा. शिल्पा चुतडो मटकती हुई भैया की बगल मे बैठ गयी.

“विनोद भैया, आज नीता आई थी क्या? उसकी मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है शायद” शिल्पा ने ग्लास से घूँट भर कर पूछा. कोक के स्वाद मे कुच्छ कड़वापन था. वो समझ गयी कि कुच्छ गड़बड़ है. कहीं ऐसा तो नहीं की भैया मुझे पटाने की कोशिश मे हैं? चलो देखते हैं.” नीता, नहीं तो. तुझे नहीं मिली?” शिल्पा अपने भाई के झूठ से खुश हुई. यही झूठ आज उसको अपने भाई के लंड से चुदवाने मे हेल्प करेगा. एक ही घूँट मे उसने ग्लास खाली कर दिया और तभी उसके सिर मे कुच्छ होने लगा.” भैया मुझ से झूठ क्यो बोल रहे हो? मेरे बिस्तर पर मेरी सहेली को हम बिस्तर बनाया है आपने, मुझे पता है, मैने आपको देखा है अपनी इन आँखों से. बोलो सच है या नहीं?” शिल्पा ने अपना हाथ अपने भाई की नंगी जांघों पर रख कर पुछा.

विनोद ने अपना हाथ अपनी बेहन की मस्त चुचि पर रखा और बोला” शिल्पा, अगर सब देख ही चुकी हो तो पूछ क्यो रही हो? नीता मुझ से चुदने को मचल रही थी और मैं भी तो जवान मर्द हूँ. जवानी मे मर्द का लंड कुच्छ नहीं देखता, शिल्पा” कहते ही उसने अपनी बेहन की भारी भारी चुचि को मसल दिया,” औरत बेशक मर्द की बेहन की सहेली हो या उसकी बेहन ही क्यो ना हो” शिल्पा के मुँह से एक कामुक सिसकारी निकल गयी और उसका हाथ भी अपने आप विनोद के उठाते हुए लंड पर चला गया.” तो फिर बेहन को इतनी देर से क्यो नहीं चोदा, भैया? आपको अपनी बेहन की जवानी पर तरस क्यो नहीं आया? उस छिनाल नीता को मेरे ही बिस्तर पर क्यो चोदा आपने? भैया बताओ ना? तुम जानते हो कि आपके लंड पर मेरा अधिकार है, फिर नीता को क्यो चोदा आपने?”

विनोद को ये उम्मीद ना थी कि उसकी बेहन खुद ही चुदवाने के लिए तैयार हो जाएगी. वो सम्भल कर बोला,” इसी लिए तो मैं उसे तेरे बिस्तर पर ले कर गया था क्यो कि मैं अपनी बेहन को चोद्ना चाहता था, शिल्पा, मुझे डर था कि तू नाराज़ ना हो जाए. खैर अब मुझे पता चल गया है कि मेरी बेहन भी मेरे लंड से प्यार करती है तो तुझे ही चोदुन्गा, और किसी को नहीं” विनोद अपनी बेहन को चूमने लगा, उसकी चुचि को मसल्ने लगा और वासना भरी हरकत करने लगा. शराब और वासना का संगम अब शिल्पा के बदन मे आग लगा रहा था. उसने अपने भैया की निक्केर की ज़िप खोल डाली और लंड बाहर निकाल लिया.

“भैया, मुझे प्यार करते रहो….मेरी चूत को वैसे ही चोद्ना जैसे मेरी सहेली को चोदा था….इस बरसात की रात को कभी ना भुला देने वाली रात बना दो मेरे भाई…अपनी बेहन को चोद कर उसको अपना लो भैया!” शिल्पा बोल रही थी और विनोद अपनी किस्मत पर खुश हो रहा था. उसने एक ही झटके मे उसकी कुरती उतार डाली और शिल्पा की गोरी चुचि नंगी हो गयी. उसकी बेहन तो नीता से भी अधिक सेक्सी थी. आज तो उसकी लॉटरी निकल पड़ी थी, पहले नीता और अब उसकी सेक्सी बेहन शिल्पा चुदने के लिए मिन्नत कर रही थी. विनोद के हाथ अब शिल्पा का पाजामा खोलने लगे. वाह! शिल्पा ने नीचे पैंटी भी नहीं पहनी थी. शेव की हुई फूली हुई चूत देख कर विनोद मस्ती मे भर गया. उसका लंड निक्केर से बाहर आने के लिए तड़प रहा था.

“मेरी प्यारी बहना, अपने भाई का हथियार तो बाहर निकालो! मेरा लंड तेरे कोमल हाथों का स्पर्श महसूस करना चाहता है, मेरी निक्केर खोल कर मेरा लंड अपने हाथ मे ले लो मेरी बहना!” विनोद अब खुले शब्दों मे बोल रहा था और दोनो भाई बेहन लाज शरम छोड़ कर सेक्स की दुनिया मे उतर चुके थे. शिल्पा ने हाथ बढ़ा कर अपने भैया की निक्केर नीचे सरका डाली और भैया के काले लंड को हाथ मे ले कर उसको आगे पीच्छे करने लगी. उसके भैया का लंड सुरेश के लंड से काफ़ी मोटा और लंबा था. लंड एक गरम लोहे की रोड की तरह आकड़ा हुआ था और उसको स्पर्श करते ही शिल्पा उत्तेजना से काँप उठी.

शिल्पा की उंगलियाँ भैया के सुपाडे को स्पर्श करने लगी और उसने महसूस किया कि कुच्छ लंड रस का पानी उसके हाथ मे लग चुका था. एक हाथ से भैया के अंडकोष स्पर्श करते हुए शिल्पा ने अपने होंठ भैया के मस्त लंड पर रख दिए. विनोद ने अपने हाथ अपनी बहन के सिर के पीछे रखते हुए उसके बाल खोल दिए और अपनी कमर उचका कर मुँह चोदन करने लगा. शिल्पा की कोमल उंगलियाँ उसके अंडकोष से खेल रही थी और उसका रेशमी मुँह उसके लंड को चूसने लगा. शिल्पा ने ऐसा स्वाद कभी ना चखा था. वो उत्तेजित होती हुई अधिक से अधिक लंड को मूह मे लेने लगी और फिर सूपड़ा उसके कंठ से टकराने लगा. जब वो लंड को मुँह से बाहर निकलती तो “पच” की आवाज़ कमरे मे गूँज जाती.

विनोद का लंड अब मस्त से उच्छल रहा था लेकिन वो भी अपनी बेहन के ख़ज़ाने को स्पर्श करना चाहता था, चूमना चाहता था. विनोद ने शिल्पा की चुचि को मसल्ते हुए कहा” मेरी प्यारी बहना, अब मुझे भी अपनी चूत पर हाथ लगाने का मौका दो, इसका स्वाद चखने दो, चलो हम बिस्तर पर चलते हैं जहाँ हम जिस्मानी मिलन मे बँध जाएँ और हम भाई बेहन मे कोई फासला ना रहे” शिल्पा ने अपनी भैया का लंड चूसना बंद कर दिया और अपनी गुलाबी आँखों से अपने भैया को प्यार से निहारती हुई मुस्कुरा कर बोली,”भैया जब तुमको सब कुच्छ सौंपने का फ़ैसला कर लिया है तो मुझे जहाँ चाहो ले चलो. अब से तेरी बहना सिर्फ़ तेरी है. जो चाहो कर लो और जो चाहो करवा लो अपनी बेहन से”

नग्न अवस्था मे दोनो भाई और बेहन बिस्तर की तरफ बढ़ गये. विनोद पीछे था और अपनी बेहन की मस्त गांद को ठुमक ठुमक करते हुए देख कर मस्ती से भर गया.”एक दिन शिल्पा की गांद ज़रूर चोदुन्गा” उसने मन ही मन अपने आप से कहा. पलंग पर जा कर शिल्पा बैठ गयी और विनोद उसके साथ चिपक कर उसको चूमने लगा. विनोद को अपनी बेहन के होंठों से अपने लंड का स्वाद आ रहा था. भाई ने बहना को बिस्तर पर लिटाया और उसकी टाँगों को फैलाते हुए अपनी सग़ी बेहन की चूत पर अपने होंठ जमा दिए.

शिल्पा की चूत मक्खन जैसी मुलायम थी लेकिन उसमे से एक आग की गरमी निकल रही थी. विनोद के तपते होंठ अपनी बेहन की की चूत के आस पास घूमने लगे और उसकी ज़ुबान चूत के होंठों को चूमने लगी. भाई की गरम साँसें बेहन की चूत को भड़का रही थी और प्यासी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया.” ओह..भैयाआ…तुम ने कैसी आग लगा दी है मेरे जिस्म मे…मेरी चूत फड़ फाडा रही है…ऊओह मेरे भाई…सम्भालो मुझे….मेरी आग शांत कर दो मेरे भैया…मैं मर जाऊगी मेरे भैया…आअहह….भगवाआअँ…मत तड्पाओ भैयाआआ!!!” विनोद अपनी ज़ुबान को शिल्पा की चूत मे घुस चुका था और शिल्पा अपने चुतडो ऊपर उठा रही थी ता कि अपने भाई की ज़ुबान को आसानी से अपनी चूत मे समा ले.

क्रमशः……………………….
 
मेरी तन्हाई का साथी--1


मेरा नाम शबनम है. मेरे परिवार मे सिर्फ़ मम्मी, पापा, मेरे बड़े भैया और मैं हैं. हां, और हमारा अल्सेशन कुत्ता भालू. जब मैं 11 साल की थी हम एक छ्होटे से घर में रहते थे. एक किचन, बाथरूम और दो कमरे. भैया एक कमरे में सोते थे और मैं मम्मी पापा के साथ एक कमरे में. घर छ्होटा होने के कारण मैने कई बार पापा और मम्मी को प्यार करते देखा था.

पापा मेरी मम्मी के उपर चढ़ जाते थे और मम्मी अपनी लातें फैला देती थीं और फिर पापा अपना लंड उनके अंदर डाल देते थे. फिर पापा उपना लंड मम्मी की चूत में अंदर बाहर करते थे और कुछ देर बाद मम्मी सिसकारियाँ लेने लगती थी. मुझे लगता था के उन दोनो को खूब मज़ा आ रहा है. उन दिनो में मुझे यह बातें अजीब नहीं लगी. मैं नादान थी और मुझ पे अभी जवानी का जोश नही चढ़ा था.

जब मैं 12 साल की हुई तो मेरा बदन बदलने लगा. मेरी छाती पे मेरे बूब्स आने लगे, मेरी चूत पर हल्के हल्के बाल उगने लगे.मैं जवान होने लगी. मैने आजमाया कि अपने बूब्स को सहलाने से मुझे अजीब सा मज़ा आता है.

जब मैं अपनी चूत पर हाथ फेरती तो बहुत ही अछा लगता. जब मैं मम्मी पापा को चुदाई करते देखती तो जी करता के मैं भी उनके साथ यह प्यार का खेल खेलूँ: पापा मेरे भी बूब्स को दबाएँ और अपना लंड मेरे अंडर डालें और में उनका लंड मुँह में लूँ और चूसू, जैसे मम्मी करती थी. फिर स्कूल में मेरी सहेलियों ने मुझे बताया के यह चुदाई का क्या मतलब है. मेरी सहेली लता ने तो अपने परोसी लड़के के साथ ट्राइ भी किया था.

उसने बताया के लड़के के लंड को हाथ मे लेके सहलाने से वो बड़ा हो जाता है और वो लोहे जैसे सख़्त अकड़ जाता है और उसको फिर मुँह में लेके चूसने में बहुत मज़ा आता है. उसने अपने फ्रेंड का लंड अपनी चूत पे भी उपर नीचे रगड़ा था.

उसको बहुत अछा लगा था. उसने बताया के लंड चूसने के बाद वो झाड़ जाता है और उसमे से खूब सारा मलाई जैसा पानी निकलता है जिसको पीने में बहुत मज़ा है. उसने बताया के वो अब अपने फ्रेंड का लंड अंदर भी लेना चाहती है. सिर्फ़ मौका मिलने की बात है. यह बातें सुनती तो मेरे अंदर अक्सर एक अजीब सी गरमाइश उठती थी और मेरा दिल करता था के मैं भी यह बातें आज़माऊ. तब तक मैं 18 साल की हो गयी थी.

एक दिन मैं स्कूल से आकर होमवर्क करने को बैठी. मम्मी, पापा दोनो ऑफीस गये हुए थे और मैं घर में अकेली थी. गर्मी थी इस लिए मैने सिर्फ़ टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने थे. हमारा कुत्ता भालू कमरे में आकर मेरे पास बैठा था. मेरा मन होमवर्क पर नहीं था. मेरे सर में तो सेक्स के ख्याल आ रहे थे जैसे लता ने सुनाए थे. मैं बेड पे पीछे लेट गयी और अपने बूब्स को, जो अब साइज़ 34 के हो गये थे, अपने हाथों के साथ मसल्ने लगी. फिर मैने अपनी

टी-शर्ट उतार दी ताके मेरे हाथ अछी तरह सब जगह पहुँच सकें. फिर मैने एक हाथ शॉर्ट्स के अंदर डाला और में अपनी चूत को सहलाने लगी. मेरी चूत हल्की सी गीली होने लगी और मेरी उंगलियाँ आसानी से मेरी चूत पे घूमने लगी. मेरा एक हाथ मेरे बूब्स पे और दूसरा हाथ चूत पे घूम रहा था. फिर अचानक मुझे महसूस हुआ के भालू की गरम गरम गीली ज़बान मेरी जाँघो को चाट रही है.

मैने भालू को पीछे धकेला और गुस्से से बोली “ नो भालू, बॅड बॉय”. मगर सच बताऊ तो वो भालू का चाटना मुझे बहुत अछा लगा था. कुछ देर बाद भालू फिर आकर मेरी जाँघो को चाटने लगा. मैं कुछ नहीं बोली और उसको चाटने दिया. आहिस्ता आहिस्ता वो उपर की तरफ, मेरी चूत के पास चाटने लगा. उसकी ज़बान बहुत गरम थी और उसका मुलायम फर मेरी चमड़ी पर रगड़ रहा था. मुझे बहुत अछा लग रहा था.

मेरी चूत भी खूब गीली हो चुकी थी और मेरे अंदर खूब गरमाइश चढ़ चुकी थी. मैने अपनी शॉर्ट्स नीचे खिस्काई और उतार दी. अब मैं बेड पर नंगी पड़ी थी. मैने भालू का सर अपने हाथ में लिया और उसको उपर अपनी चूत की तरफ खींचा. वो चाटने लगा. में तो बहाल होने लगी. मैने अपनी टाँगें फैलाईं और भालू को अपनी चूत का पूरा प्रवेश दिया.

अब उसकी ज़बान मेरे दाने पर भी घिस रही थी और कभी कभी मेरी कुँवारी चूत में भी प्रवेश करती थी. मैं बेड के किनारे तक खिसक गयी ताके भालू की ज़बान सब जगह तक पहुँच सके. उसकी लंबी, गरम और खर खरी ज़बान मेरी गांद से उपर मेरे दाने तक चाट रही थी. मेरी टांगे काँपने लगी. मैं अपने चुतड उपेर करके भालू से और जोश से चटवाने लगी. उसकी ज़बान मेरी चूत में घुस गई और मेरी गरमाइश बढ़ गई. मेरे अंदर में से यह गरमाइश मेरे पूरे बदन में फैल गई.

मेरी चूत अचानक झटके देने लगी और में मज़े में खो गई. मैं तब पहली बार झाड़ गई. मेरी चूत से और पानी बहने लगा जिसको भालू ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा. मेरा बदन पूरा थर थारा उठा. जब मुझे थोड़ा होश आया तो मैने भालू को उपर बेड पर खींच लिया. वो दो पैर के साथ मेरे उपर खड़ा था और मेरे बूब्स को चाटने लगा. मैने फिर अपना हाथ नीचे उसके पैट को खिसकाया और मैं उसके लंड को सहलाने लगी, जोकि अभी उसके कवर में था.

आहिस्ता आहिस्ता उसका लंड बाहर आने लगा. वो बहुत गरम और गीला चिकना था. थोड़ी ही देर में वो लंबा मोटा और सख़्त हो गया और भालू हांफता हुआ हवा में, मेरे उपर धक्के लगाने लगा. मैने नीचे देखा तो उसका लंड अब कम से कम 9 इंच लंबा हो चुका था. मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके लंड को अपनी चूत पर फेरने लगी. जन्नत का मज़ा मिल रहा था. मेरी साँस फूल गयी और मैं फिर से काँपति, झटके खाती हुई झर गई.

अब मेरा कुत्ता पूरे जोश में था. उसका लंबा सख़्त लंड मेरी चूत के फांको के बीच था. कभी कभी वो मेरी चूत के छेद पर भी आता था और थोड़ा अंदर भी जाता था. वो झटके मारने लगा और अचानक उसका लंड मेरे अंदर कोई 3-4 इंच तक समा गया. मेरी चूत तो पूरी तरह से गीली थी और उसका लंड आगे से तीखा और चिकना था. पहले तो मुझे डर सा लगा. मेरे दिमाग़ मे आया कि अभी तो आधे से ज़्यादा लंड बाहर है, बाकी कैसे अंदर लूँगी? मगर भालू को इन सब बातों का क्या पता था. वो तो चोद्ने में मगन था.

वो अपनी कुत्ते की रफ़्तार से मेरे अंदर बाहर जा रहा था. हर झटके के बाद उसका लंड थोड़ा और मेरे अंदर समा जाता. उसके लंड में से थोड़ा थोड़ा गरम गरम पानी सा मेरी चूत को और भी गीला और चिकना कर रहा था. मेरी चूत भरी जा रही थी और में मज़े से अपने कुत्ते से चुद रही थी. मैने जोश में आ कर भालू को पीछे से पकड़ा और ज़ोर से अपनी तरफ खींचा. मुझे नही पता था कि क्या होगा.

उसका मोटा लंड मेरी चूत के अंदर पूरा समा गया. मुझे महसूस हुआ कि मेरे अंदर कुछ फटा है और में दर्द से चीख पड़ी. भालू ने मेरी सील तोड़ दी थी. मैने उसे धकेल कर उसको मेरे अंदर से निकालने की कोशिश करी मगर मैं उसको पीछे नही हटा पाई. उसने अपने अगले पैर मेरे बदन के पीछे अटकाए हुए थे और वो मेरे उपर चिप्टा हुआ था. उसका धड़ मेरे बूब्स और पेट पर सरक रहा था. उसकी ज़बान मेरी गर्दन और मुँह को चाट रही थी. मैं अपनी दर्द बिल्कुल भूल गयी और उसकी चुदाई का मज़ा लेने लगी.

अब भालू का पूरा 10 इंच लंबा गरम गरम मोटा लंड मेरे अंदर बाहर जाने लगा. में भी अपनी लातें फैला कर अपने चुतड उठा उठा उसके धक्कों का मुक़ाबला कर रही थी. जन्नत का मज़ा आ रहा था मुझे. उसका लंड हर धक्के के साथ मेरी पूरी गहराई तक पहुँच रहा था. मैं तब बहुत ही ज़ोर से झर गयी. मेरा पूरा बदन फिर से काँप उठा और मेरी चूत झटके खाने लगी. भालू नही रुका और मुझे चोद्ता रहा.

उसकी रफ़्तार बढ़ती गयी और मुझे ऐसे लगा जैसे उसका लंड और भी मोटा होता जा रहा है. मैने अपने हाथ से उसका लंड पकड़ा तो मैने महसूस किया कि उसका लंड जड़ के पास बहुत ज़्यादा मोटा था. मोटा ही नहीं वो तो एक टेन्निस बॉल जैसे गोल था. हर धक्के से यह गोला मेरी चूत के अंदर जाने की कोशिश कर रहा था. फिर वही हुआ. वो गोला मेरी चूत के अंदर चला गया.

मुझे लगा जैसे मेरी चूत फॅट जाएगी. भालू फिर मेरी चूत में झरने लगा और उसने अपना गरम गरम वीर्य मेरे अंदर एक पिचकारी जैसे छोड़ दिया. अब वो अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर नहीं कर पा रहा था. हम दोनो चूत और लंड से जुड़े हुए थे. फँसे हुए थे जैसे कुत्ता और कुतिया जुड़े हुए दिखते हैं.

मेरा कुत्ता और में पूरे 15 मिनिट ऐसे ही पड़े रहे. उतने में मैं एक बार फिर झाड़ गयी.

फिर उसका लंड ढीला हुआ और वो मेरी चूत में से निकला. साथ ही उसका ढेर सारा पानी निकला. भालू मेरे उपर से उठा और कमरे के एक कोने में बैठके अपना लंड चाटने लगा. में बेड पर लेटी रही और अपनी पहली चुदाई का मज़ा लेती रही.

एक तरफ मेरा दिमाग़ कह रहा था कि भालू एक जानवर है, इंसान नहीं. मगर मन कह रहा था कि यह मज़ा फिर से ले लो. काफ़ी कन्फ्यूज़्ड थी मैं. अगले दिन दोपहर को जब मैं पलंग पे लेटी हुई थी, भालू खुद ही आकर मेरी जांघे चाटने लगा. मैने कुछ देर सोचा कि मैं क्या करूँ. फिर मेरे से रहा नहीं गया और मैने अपने टी-शर्ट और शॉर्ट्स उतार दिए. बेड पे सरक कर में किनारे पर आ गयी और मैने भालू को पूरा रास्ता दे दिया मुझे चाटने को. वो तुरंत मेरी चूत को चाटने लगा.

आहिस्ता आहिस्ता उसका चाटने में और जोश आया. उसकी लंबी खर खरी ज़बान मेरी गांद के छेद पे शुरू होकर मेरी चूत और मेरे दाने तक चाट रही थी. कभी कभी उसकी ज़बान मेरी चूत के अंदर भी पहुँच रही थी. मेरा बदन अकड़ने लगा और कुछ ही मिनिट में मैं झटके खा खा कर झाड़ गयी. कुछ देर तक में ऐसे लेटी रही. जब मुझे थोड़ा आराम आया मैं उठी और फर्श पर आ गयी. भालू का लंड उसके कवर में से निकला हुआ था और उसके पेट के नीचे लटक रहा था.

उसको मैने अपने हाथ में लिया और उसको हल्के हल्के सहलाने लगी. वो अकड़ने लगा और थोड़ा थोडा पानी छोड़ने लगा. मैने आगे झुक कर उसके लंड के छेद पर ज़बान लगाई. उसका पानी गरम था और टेस्टी. नमकीन सा और थोड़ा मीठा. फिर मैं भालू का लंड चूसने लगी. वो इतना लंबा था कि मैं उसको पूरा मुँह में नहीं ले पा रही थी. फिर भालू आगे को धक्के मारने लगा और अपने लंड को मेरे मुँह में पेलने लगा. साथ ही वो अपना सर मोड़ के मेरी गांद को चाटने लगा.

में फिर झाड़ गयी में अपने हाथों और घुटनों के सहारे में बैठी थी कुतिया जैसे. भालू ने अपना लंड मेरे मुँह से खींचा और वो घूम के मेरे पीछे आ गया, और मेरे ऊपर चढ़ गया. उसका बदन मेरी पीठ पर था और उसने मुझे अपने अगले पैरों से ज़ोर से चिपका लिया था. उसका लंड मेरे पीछे धक्के मार रहा था. कभी गांद के पास और कभी चूत के पास. अचानक उसका निशाना ठीक हुआ और उसका लंड मेरी चूत में समा गया.

दो तीन धक्कों में उसका पूरा 10 इंच का लंड मेरे अंदर आ गया, और वो तेज़ रफ़्तार से मेरी चुदाई करने लगा. उसका मोटा लंबा और गरम लंड मुझे पेलते पेलते मेरी पूरी गहराई तक प्रवेश कर रहा था. मैं परमानंद में थी स्वर्ग का मज़ा ले रही थी. कुच्छ 15 तो 20 मिनिट के बाद में फिरसे झाड़ गयी. मेरा पानी छूट गया और मेरा पूरा बदन थर थराने लगा. मेरी चूत झटकने लगी. भालू उसी रफ़्तार से चोद्ता रहा. उसका लंड मेरे अंदर भरा हुआ था.

मेरा क्लाइमॅक्स जारी रहा. बहुत देर के बाद भालू ने अपना पानी मेरी चूत में छोड़ दिया. उसका लंड इतना मोटा हो गया था के वो मेरे अंदर फँसा ही रहा. निकल नहीं पा रहा था. जैसे कुत्ता और कुतिया फँसते हैं वैसे हम दोनो फँसे हुए थे. में लगातार झाड़ रही थी. सोच रही थी के यह कब ख़तम होगा. फिर 15 मिनिट के बाद उसका लंड मुरझाया और वो मेरे अंदर से निकला. साथ साथ उसका ढेर सा पानी मेरी चूत में से निकला. में थकावट के मारे वहीं फर्श पर लुढ़क गयी.

भालू मेरे सामने लेट गया और मेरे मुँह और बूब्स को चाटने लगा. मैने उसको अपनी बाहों में ले लिया और मैं वैसे ही सो गयी. मैने अपनी सहेली लता को इस बारे में कुछ नहीं बताया. हम उस वक़्त दोनो 13 साल की उमर के थे. लता अपने पड़ोस के लड़के रवि, के साथ एक्सपेरिमेंट कर रही थी. उसने रवि का लंड चूसा था और अपनी चूत पर भी रगड़ा था. फिर उसने मुझे बताया कि उस रात उसके परिवार वाले बाहर जा रहें हैं और उसने रवि को घर बुलाने का प्रोग्राम बनाया है.

उसने पूछा शबनम, तू भी आएगी? मैं बोली लता, तू पागल है ? मैं वहाँ क्या करूँगी ?लता बोली अरे यार मैं बहुत नर्वस हूँ. तू साथ होगी तो मुझे सहारा मिलेगा. तो मैं मान गयी. शाम को मैं पढ़ाई के बहाने मम्मी से इजाज़त लेकर लता के घर गई. लता बेडरूम में बैठी थी. बहुत सेक्सी कपड़े पहने थे उसने. एक पीले रंग का टाइट टॉप जिसके अंदर उसके छ्होटे छ्होटे बूब्स तने हुए थे और उसके उभरे हुए निपल्स सॉफ सॉफ दिख रहे थे. नीचे उसने हॉट-पॅंट्स पहनी थी.

उसका फिगर बहुत ही सुन्दर लग रहा था. हॉट पॅंट्स के अंदर उसके चूतड बहुत सेक्सी लग रहे थे. मैं बोली लता तू तो बहुत प्यारी लग रही हो. जी करता है के तुझे चूम लूँ. तो लता ने जवाब दिया “अर्रे शबनम, मैं भी तो कब से ये ही चाहती हूँ. आ मेरे पास. मैं हैरान हो गई और लता के पास गयी. उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और हम ने अपना पहला किस किया. शुरू में तो कुछ संकोच और शरम के साथ था. हम दोनो को शायद अच्छा लगने लगा.

तो लता ने अपना मुँह खोल लिया और मैने उसको चूमते हुए अपनी ज़बान उसके मुँह में डाली. मुझे एक बिजली का शॉक सा लगा उसकी ज़बान के मिलन से. मीठा मीठा टेस्ट आया उसके मुँह का. हम एक दूसरे की बाहों में लिपटे ऐसे किस करते रहे. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. मैने एक हाथ से लता के बूब्स को दबाया और सहलाने लगी. लता सिसकारियाँ लेने लगी और उसके हाथ भी मेरे बदन पर फिरने लगे.

लता मेरी सलवार के उपेर से ही मेरी जाँघो पे अपना हाथ फेरने लगी. मैने अपनी लातें थोड़ी फैला दी और उसका हाथ उपर आया और मेरी चूत को सहलाने लगा. मैं पागलों जैसे सिसकारियाँ लेने लगी. लता ने मेरा नाडा खोला और मेरी सलवार नीचे गिर गई. उसका हाथ मेरी चड्डी के अंदर गया और वो मेरी नंगी चूत पर फिरने लगा. मैं गीली होने लगी. उतने में मैं लता को किस कर रही थी मैं उसकी गर्दन और कंधों को चाटने लगी. फिर मैने लता के टॉप को नीचे खिसकाया.

उसके प्यारे गोल बूब्स जिनके उपर गुलाबी निपल्स को देख कर मैं बहाल हो गई. मैं झुकी और उसके बूब्स को चूसने लगी. उसकी एक उंगली मेरी चूत के फांकों के बीच थी और मेरी गीली चिकनी चूत उसकी उंगली को प्रेशर देने लगी. अचानक उसकी उंगली मेरी चूत के अंदर समा गई. कुच्छ देर बाद हम दोनो अलग हुए. हमारी आँखें मिली और तब हम दोनो को अहसास हुआ के हम एक दूसरे को बहुत चाहते हैं. हमारा दोनो का प्यार कुच्छ ही देर पहले पैदा हुआ था.

लता कुच्छ महीनो से अपने दोस्त रवि के साथ एक्सपेरिमेंट कर रही थी. उसने रवि का लंड चूसा था और उसका पानी भी पिया था. मगर अभी तक उसने रवि के साथ चुदाई नही की थी. आज उसने रवि को अपने घर इसी लिए बुलाया था.

जब बेल बजी तो मैने लता से पूछा ‘अब क्या करें ?’

तो लता बोली ‘अर्रे यार शबनम, तू तो मेरी बेस्ट फ्रेंड है. तू तो सब कुच्छ जानती है. तू कपबोर्ड में छुप जा और सब कुच्छ देख ले. मुझे अच्छा लगेगा अगर तू मेरे साथ होगी.’

लता के कमरे में उसके कपड़ों के लिए एक बड़ी कपबोर्ड थी. उसने मुझे उस में छुपा दिया और दरवाज़ा थोड़ा खुला छोड़ दिया ताके मैं सब कुच्छ देख सकूँ. फिर उसने घर का दरवाज़ा खोला और रवि को अंदर बुलाया.

लता की चेहरा, हमारी कुच्छ ही मिनिट पहले की कारिस्तानी से,बिल्कुल खिला हुआ था. उसके निपल अभी आकड़े हुए थे और उसके सेक्सी टॉप के अंदर से सॉफ दिख रहे थे, और उसकी हॉट-पॅंट का उपर का बटन खुला था, जिस से उसकी पैंटी का एलास्टिक दिख रहा था. रवि थोड़ा शरमाता हुआ अंदर आया और बोला ‘हाई लता, तू बहुत सुंदर लग रही है.’

क्रमशः......................................
 
मेरी तन्हाई का साथी--2


गतान्क से आगे............

लता कुच्छ नही बोली. उसने दरवाज़ा बंद किया और रवि को अपने कमरे में ले आई. अंदर आते ही लता, रवि से लिपट गयी. अब रवि ने उसको अपनी बाहों में ले लिया और उसको मुँह पे किस करने लगा. लता ने अपना मुँह खोल दिया और रवि की ज़बान उसके मुँह में चली गयी. रवि ने अपने हाथ लता के टॉप के अंदर खिसकाये और वो लता की पीठ पर फेरने लगा. लता हल्के हल्के ‘उन्ह उन्ह उन्ह’ की आवाज़ें निकालने लगी. उसने रवि के शर्ट के बटन एका एक खोलने शुरू किए और उसके पॅंट की ज़िप भी नीचे खींच दी. रवि की चड्डी की उभार सॉफ दिखने लगी. लता बाहर से ही रवि के लंड को सहलाने लगी. उनका किस अभी जारी था. रवि ने फिर लता का टॉप उपर खींचा. लता ने अपनी बाहें उपर करी और रवि ने उसका टॉप उतार दिया और वो लता के 32 साइज़ के उभरे हुए गोल बूब्स को उसके ब्लॅक ब्रा के उपर से ही दबाने लगा.

फिर लता झुकी और घुटनों बल बैठ गयी … उसने रवि की पॅंट और चड्डी एक झटके से नीचे खींच दी. रवि का तना सख़्त लंड बाहर निकला. मैं देख के अचेत हो गयी … इतना सुंदर लग रहा था उसका 6 इंच लंबा लंड . मैं तो पहली बार किसी लड़के का साधन देख रही थी …. ब्लू मूवीस में तो देखे थे मगर असलियत में नहीं. लता ने उसको हाथ में लिया और ज़बान निकाल कर उसके टोपे को चाटने लगी. फिर लता ने रवि के लंड को मुँह में ले लिया और वो हल्के हल्के उसको अंदर बाहर करने लगी. रवि ने उसके सर पे हाथ रखा और वो लता को अपनी ओर खींचने लगा. अब उसका लंड आहिस्ता आहिस्ता और गहराई तक लता के मुँह में समाने लगा.

थोरही देर बाद रवि ने लता के मुँह में तेज़ी से झटके मारना शुरू किया. उसकी साँस फूली हुई थी और वो हर झटके के साथ ‘हुंग…. हुंग…. हुंग ‘ की आवाज़ कर रहा था. उसने लता का सर ज़ोर से पकड़ा और अपनी तरफ खींचा. उसका लंड अब जड़ तक लता के मुँह में पूरा गले तक चला गया. लता पीछे खींच रही थी मगर रवि ने नही छोड़ा. लता का मुँह अब रवि की झांतों पे दबा हुआ था. अचानक रवि अकड़ सा गया और उसका बदन थर थराने लगा. मुझे पता लग गया के वो लता के मुँह के अंदर ही झाड़ रहा है … पूरी गहराई तक. फिर रवि ने लता को कुच्छ ढील दी और लता ने अपना सर पीछे किया. उसके मुँह में से रवि का लंड बाहर निकला. उसके गाढ़े पानी की तारें लता के लबो से लटकी हुई थीं. रवि का पानी लता के गले में छूटा था तो उसको सब निगलना ही पड़ा था.

अलमारी में से यह सब देख कर मेरी चूत पानी पानी हो गयी थी. मैने दो उंगलियाँ चूत में डाली हुई थी और मैं लातें चौड़ी कर के अपनी चूत को रगड़ रही थी.

अब रवि और लता बेड पे लेट गये और एक दूसरे को सहलाने लगे. रवि के हाथ लता के बदन पर फिर रहे थे, कभी उसके बूब्स को दबाते, कभी उसकी चिकनी जाँघो को मसल्ते और कभी उसकी चूत को प्यार करते. लता पीठ पे लेटी इस सब का मज़ा ले रही थी. उसके एक हाथ में रवि का लंड था और वो उसको हल्का हल्का मसल रही थी. कुच्छ ही देर में रवि का लंड फिर अकड़ने लगा और वो जल्दी ही अपनी पूरी लंबाई पे आ गया. रवि लता के निपल को, जो बिल्कुल खड़े हो गये, ज़ोर से चूस रहा था और उसके बूब्स ज़ोर से दबा रहा था.

लता भी अब पूरी गरम हो गयी थी. उसने रवि को अपने उपर खींच लिया और वो दोनो जोश से टंग किस्सिंग कर रहे थे. रवि का लंड पूरी तन्नाव में था और लता की चूत के ऊपर लटका हुआ था. लता ने खुद ही उसका लंड हाथ में लिया और अपनी चूत के मुँह पर लगाया. दूसरे हाथ से उसने रवि के कूल्हो को दबाया. रवि का अकड़ा लंड लता की चिकनी गीली चूत में समाने लगा. आधा लंड तो आराम से लता की चूत में खिसकता गया.

तब लता की हल्की सी चीख निकली, ‘हाइ म्मूऊउम्म्म्मय्ी मै मर गयी. बड़ी दर्द हो रही है. है रवि निकालो इसको’.

रवि तो अब पूरे जोश में था. वो अपने कूल्हे दबाता गया और अचानक उसका लंड एक ही झटके में लता की गीली चूत में पूरा समा गया. फिर रवि रुक गया. लता उसके नीचे दर्द से हल्के से रो रही थी. मैने देखा के उनके नीचे चादर लाल होने लगी थी …. लता के खून से. रवि ने लता के कुँवारापन का फूल लूट लिया था.

कुच्छ देर वो दोनो ऐसे ही पड़े रहे. फिर रवि आहिस्ता आहिस्ता लता के ऊपर हिलने लगा. वो अपना लंड धीरे से निकालता और फिर धीरे से फिर लता की चूत में पेलता. शुरू में लता ने दर्द की आहें ली मगर जल्दी ही वो अपनी लातें फैला कर रवि के लंड को मज़े से अंदर लेने लगी. अब वो अपने कूल्हे उठा उठा कर रवि के झटकों का साथ देने लगी. ऐसे ही वो चुदाई में मगन हो गये. उनकी रफ़्तार तेज़ होने लगी और अब उनकी चुदाई की आवाज़ें कमरे में गूंजने लगी. एक तो लंड और चूत के मिलन की आवाज़ और दूसरे रवि के ‘उन्ह.. उन्ह.. उन्ह’ और फिर लता का ‘आ.. आ.. आ’, यह सब आवाज़ें एक साथ मुझे भी पागल कर रही थी.

मैं तेज़ी से अपनी उंगलियाँ अपनी चूत पर फेर रही थी …. मेरा दाना उभर कर बड़ा हो गया था, मेरी चूत पानी छोड़ रही थी. मुझ में मौज की लहरें दौड़ रहीं थी. और फिर मैं इन दोनो की चुदाई देखते देखते झड़ने लगी.

उधर लता और रवि भी जोश की हद पे पहुँच गये थे. लता मस्ती में चिल्ला रही थी ‘रवि, मेरी जान …. और चोदो … और चोदो…. पेल दो मेरे अंदर …. ऊओह आअहह एम्म्म ‘ और रवि की रफ़्तार और भी तेज़ हो गे थी. उसका लंड लता की पूरी गहराई तक जाता था और फिर उसकी झांतों पर रगड़ता था. लता का बदन अकड़ने लगा, और वो झटके खाती खाती झड़ने लगी. वो रवि से चिपेट गयी. उसकी लातें उसकी पीठ पर टाइट हो कर लिपटी हुई थीं और उसका बदन ज़ोर से काँप रहा था. फिर रवि भी झटकने लगा. मैं समझ गयी के वो मेरी सहेली लता की चूत में झाड़ रहा है. मुझसे भी रहा नही गया और मैं भी तब बहुत ही ज़ोर से झाड़ गयी.

कुच्छ देर बाद रवि उठा और अपने कपड़े पहन ने लगा. लता बेड पे ही पड़ी रही. फिर रवि, मेरी नंगी लता को किस करके चला गया. मैं बाहर आई और अपनी चुदि हुई सहेली के साथ लेट गयी. मैने उसकी चूत में उंगली डाली. उसकी चुदाई का जूस उसकी चूत में से टपक रहा था … लता का पानी और रवि की वीर्य का मिक्स्चर. मैने उंगली को मुँह मे डाला और उस मिक्स्चर को चाट गयी. लता गहरी नींद में सो गयी और मैं भी कपड़े पहन कर घर चली गयी.

अगले दिन हम ने स्कूल में तय किया के हम दो दिन बाद लता के घर में ही ट्राइ करेंगे अपने नये जगे हुए प्रेम को आज़माने के लिए. क्या था के लता को अभी चुदाई से काफ़ी तकलीफ़ हो रही थी. दो दिन के बाद मैं लता के घर, स्कूल के बाद पहुँची. लता अपने कमरे में बिल्कुल नंगी बैठी पॉर्न मूवी देख रही थी. जैसे मैं अंदर आई तो लता ने उठ कर पहले दरवाज़ा लॉक किया और मुझे अपनी बाहों में ले लिया. वो मुझे लिप्स पे किस करने लगी. मैं भी गरम थी और में साथ देने लगी. मैने लता के खुले मुँह में अपनी ज़बान डाल दी. फिर से खूब ज़ोर से बिजली जैसा शॉक लगा और मैने लता की मिठास को टेस्ट किया.

हम ऐसे किस करते रहे. लता ने मेरे बूब्स पर हाथ फेरना शुरू किया. मैं सिसकारियाँ लेने लगी और मैने लता की चूत पर हाथ फेरा. उसने तुरंत अपनी लातें चौड़ी कर दी ताके मैं अच्छी तरह से पहुँच जाउ. उसकी चूत चिकनी और गरम थी और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था उसको सहलाते हुए. मैने अपनी एक उंगली लता की गीली चूत में खिसका दी. उसने अपनी चूत आगे करके मेरे हाथ पर दबाई. कुच्छ देर बाद हम दोनो बहुत गरम हो गये थे तो हम बेड पर बैठ गये. लता ने मेरी टी-शर्ट और पॅंट उतारनी शुरू करी. साथ साथ लता मुझे चाट रही थी. कभी गाल पर, कभी नेक, और कभी बाहों पर. मैने कपड़े उतरवाने में खूब साथ दिया और जल्दी से मैं भी बिल्कुल नंगी हो गयी.

अब हम बेड पर लेटे एक दूसरे को खूब किस और लीक करने लगे. हमारे बूब्स, जिन में जवानी की मज़बूती थी, एक दूसरे से दब रहे थे … निपल्स हम दोनो के स्टिफ हो गये थे. फिर लता ने भी अपनी उंगली मेरी चूत में खिसका दी और हम एक दूसरे को फिंगर फक्किंग करने लगे. लता की उंगलियाँ कभी मेरे दाने पर फिरती और कभी मेरी चूत में सरक्तीं. मैं भी लता को ऐसे ही कर रही थी. कुच्छ ही देर में हम दोनो झड़ने लगे. हमारा पानी छूटने लगा.

में बोली ‘ लता जल्दी 69 में आजा. मैने तेरा जूस पीना है.’

उसने मुझे पीठ पे लिटाया और वो मेरे उपर आई और उसकी चूत मेरे मुँह के सामने आ गयी. उसकी चूत में से थोड़ा थोड़ा पानी टपक रहा था. मैने अपनी ज़बान से उसको टेस्ट किया. बहुत टेस्टी था … कुच्छ मीठा और कुच्छ नमकीन. मैं जल्दी से उसका स्वीट जूस पीने लगी और उसे चाटने लगी, कभी मैं अपनी ज़बान उसकी चूत में डालती तो लता का पूरा बदन झटके खाने लगता.

उतने में लता भी बिज़ी थी. मैने अपनी लातें पूरी चौड़ी कर दी थीं और लता का सर मेरी चूत को दबा रहा था. वो भी मुझे चाट रही थी और मेरा माल पी रही थी. 10 मिनिट्स के बाद मैं फिर झाड़ गयी और मेरे बाद लता भी झड़ने लगी. हम दोनो एक दूसरे का जूस पीते रहे. कुच्छ देर बाद हम अलग हुए और बेड पर लूड़क पड़े. उसके बाद मैं अपने घर आ गई .

मैने अपने कुत्ते भोलू के साथ कई बार सेक्स किया और मज़ा लिया दोस्तो भोलू मेरी तन्हाई का साथी था

समाप्त
 
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