hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
छाया आंटी सिर्फ़ मुस्कुरा रही थी, बैंगन को धकेलना तो रोक दिया था लेकिन वो मेरी चूत के दाने को ज़ोर ज़ोर से सहला रही थी, एक मिनिट रुकने के बाद जब मैं रिलॅक्स हुई तो उन्होने फिर से बैंगन अंदर डाला और ऐसे करते करते उन्होने पूरा बैंगन अंदर कर दिया. और वो अब धीरे धीरे बैंगन को मेरी गांद मे अंदर बाहर करने लगी, और कुछ ही मिनिट मे मैं भी अपनी गांद हिला हिला कर वो बैंगन अपनी गांद मे लेने लगी, अब मुझे भी मज़ा आने लगा था.
छाया आंटी ने करवट बदली और मेरे ऊपर आ गयी, और उन्होने मेरे मुँह पर चूत को रख दिया और मैं उनकी चूत चाटने लगी. मुझे बहुत मज़ा आरहा था, मेरे मुँह से अब दबी हुए आवाज़ें निकल रही थी, मैं अब झड़ने के बिल्कुल करीब थी पर झाड़ ही नही पा रही थी. अचानक छाया आंटी काँपने लगी और हम दोनो एक साथ झड़ने लगी.
मैने उनको थाम लिया, और वो बैंगन अब भी मेरी गांद मे ही था, आंटी ने वो बाहर निकाला मैं उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन मेरी गांद सूज गयी थी, मैं थोड़ी दूर तक चली और लड़खड़ा कर गिर गयी, ये बार बार झड़ने के कारण और दर्द जो अब मैं महसूस कर रही थी उसके कारण हुआ था.
पर अभी ये ख़तम नही हुआ था
थोड़ी देर के बाद छाया आंटी मेरी थाइ पर बैठी थी और उनकी गीली गरम चूत मेरी थाइ पर घिस रही थी. मैं भी तैयार थी उनको जो हुआ वापिस चुकाने को, मैने अपने रूम मे पड़ी हुए ईज़ी चेर पर उनको धकेल दिया और झुक कर उनकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया. उनकी छूट गुलाबी और बिल्कुल चिकनी थी, गरम और रसीली भी. मैने धीरे से ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ को घुमाया. वो तो एक मिनिट मे ही झाड़ गयी, काँपने लगी, लेकिन मैने उनको नही छ्चोड़ा.
मैने चूस चूस कर उनकी चूत के रस को मुँह मे भर लिया और उनके मुँह से मुँह लगा दिया और किस करते हुए बूँद बूँद करके सारा रस उनको पिलाने लगी,
और मैने ऐसा करते हुए वो बैंगन उठाया और उनकी चूत मे पेल दिया, एक ही झटके मे. और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी, वो क के बाद कई बार झड़ने लगी और उनका सारा बदन काँप रहा था.
और वो मूतने लगी, मेरा बदला पूरा हो गया था अब मैं बहुत खुश थी लेकिन गांद का बदला बाकी था…………
पर अब हम दोनो बहुत थक गये थे कब सो गये पता ही नही चला.
शूबह दरवाज़े की घंटी बजी तब हुमारी आँख खुली और मैने झट से कपड़े पहने और छाया आंटी कपड़े समेट कर टाय्लेट मे चली गयी, हमारी काम वाली थी. वो आई और काम करने लगी, इसके बाद जब वो चली गयी तब तक छाया आंटी भी चली गयी थी.
लेकिन दोपहर मे ही मेरी बेहन का लड़का आ गया और कंचन को आज का प्लान कॅन्सल करना पड़ा पर वो बोली, “लंड आया है कूद चल कर चुद्वा ले.”
उसकी ये बात मेरे दिमाग़ मे घूम रही थी पर मैं डरती थी कि ये सही नही है, लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया.
मैं जानती थी कि अगर मेरा ऐसा वैसा कुछ भी मेरे पति को पता चला तो वो मुझे मार डालेंगे.
लेकिन मैने ईक दिन महसूसू किया कि वो मुझे अजीब निगाहों से देखता है और ये बात मैने छाया आंटी को बताई तो वो बोली, “अरे ट्राइ कर और मज़ा ले.”
अब मैं भी इस बात को सोचने के लिए मेजर हो गयी थी की कुछ करने तो पड़ेगा, और जब वो भी इंट्रेस्टेड है तो मौका क्यों छ्चोड़ना.
वो उस सुबह जब मैं उसके कमरे मे गयी तो नंगा लेटा हुआ था, और मूठ मार रहा था, और उसके भी शायद मुझे देख लिया था लेकिन वो रुका नही, वो अब कदम उठाने लगा था. लेकिन उसके झड़ने पर मैं हैरान रह गयी, वो झाड़ते हुए बोला, “आआअहह मौसी पी लो लंड के रस को!!!”
अब हुआ ये कि मैं उससे नज़रें चुरा रही थी, मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था.
सनडे की बात है उसको आए 2 दिन निकल गये थे, वो सुबह वही हरकत कर रहा था, की मैने उसका दरवाज़ा अचानक खोल दिया, मुझे अंदाज़ा ही नही था कि वो इस हालत मे होगा, वो खुद को ढक भी नही सकता था, और मैं दरवाज़े पर खड़ी हुए उसको लंड हिलाते हुए देख रही थी.
(आयेज की कहानी मेरे भतीजे से ही लिखवाते है)
मौसी मेरे सामने थी और मुझे समझ मे ही नही आ रहा था कि मैं क्या करू, वो आई और उन्होने मेरा लंड पकड़ लिया, ऐसा मैने सोचा ही नही था कि वो ऐसा कुछ करेंगी, और मेरे 7 इंच के लंड को हिलाने लगी.
वो झुकी और लंड के सूपदे की खाल को पीछे किया और गुलाबी सूपदे को मुँह मे भर लिया, मैने तकिये पर सिर टीकाया और आँखें बंद कर ली और मुझे लगा कि मैं एक मिनिट मे ही झाड़ जाउन्गा. वो लंड के अगले भाग पर जीभ की नोक चला रही थी और एक हाथ से आधे लंड को पकड़ा हुआ था ताकि मैं उनके काबू मे रहूं. अब वो नीचे को हुए और मेरे टेस्टिकल को मुँह मे भर का चूसने लगी, इससे मेरा लंड और भी ज़्यादा फूल गया.
वो मेरे ऊपर चढ़ गयी और खुद ही लंड को निशाने पर लगाया और नीचे होने लगी, उनकी गरम गीली और मुलायम चूत मेरे लंड पर फिसल रही थी, वो पूरा बैठ गयी. अब उन्होने वो रेड कलर की मॅक्सी को अपने सिर के ऊपर से निकाल फेंका, तने हुए निपल और गोरा बदन. मैने झट से उनके मम्मो को पकड़ लिया.
अब वो आँखें बंद किए हुए ऊपर नीचे हो रही थी और मैं मौसी के मम्मो के साथ खेल रहा था.
"आआअहह म्म्म्ममममममममम ऊऊहहमाआआआआआअ कितना बड़ा लंड है, अंदर तक टकरा रहा है!" मौसी बड़बड़ा रही थी
अब मैने भी नीचे से धक्के मारने शुरू किया और एक ताल मे हम धक्के मार रहे थे.
मैने एक हाथ नीचे किया और मौसी की चूत के दाने पर अपना अंगूठा लगा दिया और दाने को घिसने लगा, मौसी की चूत का रस मेरे लंड से होते हुए नीचे तक बह रहा था.
और अब मैं और वो दोनो झड़ने लगे, और आंटी ने आँख खोली और मेरे ऊपर से हटी तो उनकी चूत से मेरे और उनके रस की धार लग गयी. वो मेरे बगल मे लेट गयी और साँसें भरने लगी.
वो उठा और मुझे गोद मे उठा लिया मेरा 46 क्ग वेट उसको कुछ भी नही लगा, शवर के नीचे खड़ा करके उसने शवर ऑन कर दिया. और उसका लंड अब फिर से तन गया था. गरम पानी और उसका लंड मेरी चूत मे हलचल मच गयी, मैं वही झुक कर खड़ी हो गयी और उसने पीछे से मेरी चूत मे लंड डाल दिया, मैं पहले से ही बहुत गीली थी तो उसका लंड एक झटके मे चला गया, मेरी कमर पकड़ कर वो धक्के मारने लगा.
वो लंड को पूरा बाहर तक निकालता और एक झटके मे अंदर वापिस डाल रहा था, और उसका लंड अंदर कही टकरा जाता तो एक दर्द की मीठी लहर मेरे तन बदन मे दौड़ जाती.
मैं झड़ने लगी और तभी मैने महसूस किया कि उसने भी वीर्य की धार मैं अपने गर्भाशय पर महसूस कर रही थी, हम वही खड़े रहे, फिर हमने नाहया और बाहर आ गये.
छाया आंटी ने करवट बदली और मेरे ऊपर आ गयी, और उन्होने मेरे मुँह पर चूत को रख दिया और मैं उनकी चूत चाटने लगी. मुझे बहुत मज़ा आरहा था, मेरे मुँह से अब दबी हुए आवाज़ें निकल रही थी, मैं अब झड़ने के बिल्कुल करीब थी पर झाड़ ही नही पा रही थी. अचानक छाया आंटी काँपने लगी और हम दोनो एक साथ झड़ने लगी.
मैने उनको थाम लिया, और वो बैंगन अब भी मेरी गांद मे ही था, आंटी ने वो बाहर निकाला मैं उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन मेरी गांद सूज गयी थी, मैं थोड़ी दूर तक चली और लड़खड़ा कर गिर गयी, ये बार बार झड़ने के कारण और दर्द जो अब मैं महसूस कर रही थी उसके कारण हुआ था.
पर अभी ये ख़तम नही हुआ था
थोड़ी देर के बाद छाया आंटी मेरी थाइ पर बैठी थी और उनकी गीली गरम चूत मेरी थाइ पर घिस रही थी. मैं भी तैयार थी उनको जो हुआ वापिस चुकाने को, मैने अपने रूम मे पड़ी हुए ईज़ी चेर पर उनको धकेल दिया और झुक कर उनकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया. उनकी छूट गुलाबी और बिल्कुल चिकनी थी, गरम और रसीली भी. मैने धीरे से ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ को घुमाया. वो तो एक मिनिट मे ही झाड़ गयी, काँपने लगी, लेकिन मैने उनको नही छ्चोड़ा.
मैने चूस चूस कर उनकी चूत के रस को मुँह मे भर लिया और उनके मुँह से मुँह लगा दिया और किस करते हुए बूँद बूँद करके सारा रस उनको पिलाने लगी,
और मैने ऐसा करते हुए वो बैंगन उठाया और उनकी चूत मे पेल दिया, एक ही झटके मे. और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी, वो क के बाद कई बार झड़ने लगी और उनका सारा बदन काँप रहा था.
और वो मूतने लगी, मेरा बदला पूरा हो गया था अब मैं बहुत खुश थी लेकिन गांद का बदला बाकी था…………
पर अब हम दोनो बहुत थक गये थे कब सो गये पता ही नही चला.
शूबह दरवाज़े की घंटी बजी तब हुमारी आँख खुली और मैने झट से कपड़े पहने और छाया आंटी कपड़े समेट कर टाय्लेट मे चली गयी, हमारी काम वाली थी. वो आई और काम करने लगी, इसके बाद जब वो चली गयी तब तक छाया आंटी भी चली गयी थी.
लेकिन दोपहर मे ही मेरी बेहन का लड़का आ गया और कंचन को आज का प्लान कॅन्सल करना पड़ा पर वो बोली, “लंड आया है कूद चल कर चुद्वा ले.”
उसकी ये बात मेरे दिमाग़ मे घूम रही थी पर मैं डरती थी कि ये सही नही है, लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया.
मैं जानती थी कि अगर मेरा ऐसा वैसा कुछ भी मेरे पति को पता चला तो वो मुझे मार डालेंगे.
लेकिन मैने ईक दिन महसूसू किया कि वो मुझे अजीब निगाहों से देखता है और ये बात मैने छाया आंटी को बताई तो वो बोली, “अरे ट्राइ कर और मज़ा ले.”
अब मैं भी इस बात को सोचने के लिए मेजर हो गयी थी की कुछ करने तो पड़ेगा, और जब वो भी इंट्रेस्टेड है तो मौका क्यों छ्चोड़ना.
वो उस सुबह जब मैं उसके कमरे मे गयी तो नंगा लेटा हुआ था, और मूठ मार रहा था, और उसके भी शायद मुझे देख लिया था लेकिन वो रुका नही, वो अब कदम उठाने लगा था. लेकिन उसके झड़ने पर मैं हैरान रह गयी, वो झाड़ते हुए बोला, “आआअहह मौसी पी लो लंड के रस को!!!”
अब हुआ ये कि मैं उससे नज़रें चुरा रही थी, मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था.
सनडे की बात है उसको आए 2 दिन निकल गये थे, वो सुबह वही हरकत कर रहा था, की मैने उसका दरवाज़ा अचानक खोल दिया, मुझे अंदाज़ा ही नही था कि वो इस हालत मे होगा, वो खुद को ढक भी नही सकता था, और मैं दरवाज़े पर खड़ी हुए उसको लंड हिलाते हुए देख रही थी.
(आयेज की कहानी मेरे भतीजे से ही लिखवाते है)
मौसी मेरे सामने थी और मुझे समझ मे ही नही आ रहा था कि मैं क्या करू, वो आई और उन्होने मेरा लंड पकड़ लिया, ऐसा मैने सोचा ही नही था कि वो ऐसा कुछ करेंगी, और मेरे 7 इंच के लंड को हिलाने लगी.
वो झुकी और लंड के सूपदे की खाल को पीछे किया और गुलाबी सूपदे को मुँह मे भर लिया, मैने तकिये पर सिर टीकाया और आँखें बंद कर ली और मुझे लगा कि मैं एक मिनिट मे ही झाड़ जाउन्गा. वो लंड के अगले भाग पर जीभ की नोक चला रही थी और एक हाथ से आधे लंड को पकड़ा हुआ था ताकि मैं उनके काबू मे रहूं. अब वो नीचे को हुए और मेरे टेस्टिकल को मुँह मे भर का चूसने लगी, इससे मेरा लंड और भी ज़्यादा फूल गया.
वो मेरे ऊपर चढ़ गयी और खुद ही लंड को निशाने पर लगाया और नीचे होने लगी, उनकी गरम गीली और मुलायम चूत मेरे लंड पर फिसल रही थी, वो पूरा बैठ गयी. अब उन्होने वो रेड कलर की मॅक्सी को अपने सिर के ऊपर से निकाल फेंका, तने हुए निपल और गोरा बदन. मैने झट से उनके मम्मो को पकड़ लिया.
अब वो आँखें बंद किए हुए ऊपर नीचे हो रही थी और मैं मौसी के मम्मो के साथ खेल रहा था.
"आआअहह म्म्म्ममममममममम ऊऊहहमाआआआआआअ कितना बड़ा लंड है, अंदर तक टकरा रहा है!" मौसी बड़बड़ा रही थी
अब मैने भी नीचे से धक्के मारने शुरू किया और एक ताल मे हम धक्के मार रहे थे.
मैने एक हाथ नीचे किया और मौसी की चूत के दाने पर अपना अंगूठा लगा दिया और दाने को घिसने लगा, मौसी की चूत का रस मेरे लंड से होते हुए नीचे तक बह रहा था.
और अब मैं और वो दोनो झड़ने लगे, और आंटी ने आँख खोली और मेरे ऊपर से हटी तो उनकी चूत से मेरे और उनके रस की धार लग गयी. वो मेरे बगल मे लेट गयी और साँसें भरने लगी.
वो उठा और मुझे गोद मे उठा लिया मेरा 46 क्ग वेट उसको कुछ भी नही लगा, शवर के नीचे खड़ा करके उसने शवर ऑन कर दिया. और उसका लंड अब फिर से तन गया था. गरम पानी और उसका लंड मेरी चूत मे हलचल मच गयी, मैं वही झुक कर खड़ी हो गयी और उसने पीछे से मेरी चूत मे लंड डाल दिया, मैं पहले से ही बहुत गीली थी तो उसका लंड एक झटके मे चला गया, मेरी कमर पकड़ कर वो धक्के मारने लगा.
वो लंड को पूरा बाहर तक निकालता और एक झटके मे अंदर वापिस डाल रहा था, और उसका लंड अंदर कही टकरा जाता तो एक दर्द की मीठी लहर मेरे तन बदन मे दौड़ जाती.
मैं झड़ने लगी और तभी मैने महसूस किया कि उसने भी वीर्य की धार मैं अपने गर्भाशय पर महसूस कर रही थी, हम वही खड़े रहे, फिर हमने नाहया और बाहर आ गये.