desiaks
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ठाकुर ने अपने फौलादी पंजे से मेरी गर्दन दबानी शुरू कर दी थी और मुझे अपना दम घुटता प्रतीत हो रहा था। मैंने जोर से उसकी कलाई काट दी। उसने झटके से एक हाथ हटाया तो दूसरे पर मैंने पूरी शक्ति लगा दी और गर्दन को उसकी पकड़ से मुक्त कर लिया। इस चक्कर में मेरे पांव के बंधन कुछ ढीले पड़ गए। ठाकुर ने अपने को झटके के साथ मुझसे अलग किया और मेरे सिर पर ज़ोरदार ठोकर मारी।
मेरा दिमाग झनझना गया। आंखों के आगे लाल-पीले सितारे नाचने लगे। वह लगातार मुझ पर ठोकर मारता चला गया। एक बार मैंने उसकी टांग पकड़ी और उसे झटका दिया अन्यथा मैं बेसुध हुआ जा रहा था। ठाकुर लहराता हुआ गिरा, परंतु यह मेरा दुर्भाग्य था जो उसने गिरते-गिरते एक बक्सा लुढका दिया और वह मेरी टांगों पर आ गिरा। मेरे मुंह से एक कराह निकली। ऐसा लगा जैसे टांगो की हड्डियां टूट गई है।
मैं दोनों हाथों से बक्सा हटाने का प्रयास करने लगा।
ठाकुर के लिये इतना ही अवसर काफी था।
उसने रिवाल्वर दबोच ली।
उसी क्षण गोली चलने की गूंज से मीनार थरथरा उठा। मैंने घबराकर नेत्र मूंद लिये परंतु यह गोली मुझ पर नहीं चली थी।
मैंने सर्प के फन के चीथड़े उड़ते देखें। सर्प उस वक्त बक्सों पर बैठा था। अब उसका आधा भाग तड़प रहा था और उसमें ऐठन पड़ती जा रही थी। मैंने ठाकुर के चेहरे पर खूनी उतार चढ़ाव देखे।
वह रिवाल्वर ताने मेरे सामने खड़ा हो गया।
थोड़ी देर तक मुझे घूरता रहा।
“बाजी पलट चुकी है रोहताश।” वह खूंखार स्वर में बोला - “अब मैं तुझे कुत्ते की मौत मारूंगा। इस गोली से तो तुझे पल भर में छुटकारा मिल जाएगा… कमीने मैं तुझे तड़पा-तड़पा कर खत्म करूंगा।”
बड़ी मुश्किल से मैंने बक्सा हटाया।
पर मैं उठ नहीं पा रहा था... मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी टांगें बेकार हो चुकी है। उसने मेरे बाल पकड़े और घसीटना शुरू कर दिया। मैं कराह रहा था। जब उसने मुझे उठकर खड़े होने को कहा तो मैं चुपचाप फर्श पर पड़ा रहा।
“उठ कमीने… वरना मार-मारकर खाल में भूस भर दूंगा।”
“म...मेरी टांगे टूट चुकी है।” मैंने कराह कर कहा - “म… मैं उठ नहीं सकता।”
“हा...हा….हा…।” वह ठहाका बुलंद करता हुआ बोला - “तो तू अपाहिज हो गया... कोई बात नहीं, तुझे इसी हालत में अपने घोड़े से बांधकर सैर कराऊंगा…. देखना है तू कब तक अपने प्राण रोक सकता है।”
मैं कांप उठा।
सचमुच वह मुझे बेदर्दी से मारना चाहता था। सावधानी के लिये उसने मेरे हाथ पीठ की तरफ बांध दिये। मैं बेजान सा मुर्दे की तरह पड़ा था। अब वह मुझ पर थूककर ठोकरें मारने लगा। वह तब तक मारता रहा जब तक मेरी चेतना लुप्त नहीं हो गई।
मेरा दिमाग झनझना गया। आंखों के आगे लाल-पीले सितारे नाचने लगे। वह लगातार मुझ पर ठोकर मारता चला गया। एक बार मैंने उसकी टांग पकड़ी और उसे झटका दिया अन्यथा मैं बेसुध हुआ जा रहा था। ठाकुर लहराता हुआ गिरा, परंतु यह मेरा दुर्भाग्य था जो उसने गिरते-गिरते एक बक्सा लुढका दिया और वह मेरी टांगों पर आ गिरा। मेरे मुंह से एक कराह निकली। ऐसा लगा जैसे टांगो की हड्डियां टूट गई है।
मैं दोनों हाथों से बक्सा हटाने का प्रयास करने लगा।
ठाकुर के लिये इतना ही अवसर काफी था।
उसने रिवाल्वर दबोच ली।
उसी क्षण गोली चलने की गूंज से मीनार थरथरा उठा। मैंने घबराकर नेत्र मूंद लिये परंतु यह गोली मुझ पर नहीं चली थी।
मैंने सर्प के फन के चीथड़े उड़ते देखें। सर्प उस वक्त बक्सों पर बैठा था। अब उसका आधा भाग तड़प रहा था और उसमें ऐठन पड़ती जा रही थी। मैंने ठाकुर के चेहरे पर खूनी उतार चढ़ाव देखे।
वह रिवाल्वर ताने मेरे सामने खड़ा हो गया।
थोड़ी देर तक मुझे घूरता रहा।
“बाजी पलट चुकी है रोहताश।” वह खूंखार स्वर में बोला - “अब मैं तुझे कुत्ते की मौत मारूंगा। इस गोली से तो तुझे पल भर में छुटकारा मिल जाएगा… कमीने मैं तुझे तड़पा-तड़पा कर खत्म करूंगा।”
बड़ी मुश्किल से मैंने बक्सा हटाया।
पर मैं उठ नहीं पा रहा था... मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी टांगें बेकार हो चुकी है। उसने मेरे बाल पकड़े और घसीटना शुरू कर दिया। मैं कराह रहा था। जब उसने मुझे उठकर खड़े होने को कहा तो मैं चुपचाप फर्श पर पड़ा रहा।
“उठ कमीने… वरना मार-मारकर खाल में भूस भर दूंगा।”
“म...मेरी टांगे टूट चुकी है।” मैंने कराह कर कहा - “म… मैं उठ नहीं सकता।”
“हा...हा….हा…।” वह ठहाका बुलंद करता हुआ बोला - “तो तू अपाहिज हो गया... कोई बात नहीं, तुझे इसी हालत में अपने घोड़े से बांधकर सैर कराऊंगा…. देखना है तू कब तक अपने प्राण रोक सकता है।”
मैं कांप उठा।
सचमुच वह मुझे बेदर्दी से मारना चाहता था। सावधानी के लिये उसने मेरे हाथ पीठ की तरफ बांध दिये। मैं बेजान सा मुर्दे की तरह पड़ा था। अब वह मुझ पर थूककर ठोकरें मारने लगा। वह तब तक मारता रहा जब तक मेरी चेतना लुप्त नहीं हो गई।