desiaks
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जब हम वहां पहुँचे तो मैं चौंक गया। क्योंकी जो दिन में रेस्टोरेंट होता है । पर रात में से एक पब बन जाता है, जो नीचे बेसमेंट में बहुत पचिक पब है। यहां आते ही सभी का लण्ड खड़ा ही रहता है। यहां सभी औरतों के ऐसे कपड़े थे की उनको पहनने का कोई मतलब नहीं, क्योंकी उसमें उनका सब माल दिख रहा था और कोई भी किसी के साथ चिपक के डान्स कर रहा था, तो कोई उनके जिम से खेल रहा था, और कोई अपने खजाने को देख रहा था डान्स करते हुए।
वहाँ पास्स के लिए कार्ड भी रवि के पास थे, और मुझे लग रहा था की ये महँगे भी बहुत होंगे, तो फिर रबि के पास इतने पैसे कहां से आए? पर ऐसी मस्ती भरी जगह ये सब सोचने में अपने दिमाग की माँ नहीं चोदना चाहता था, तो ये सब दिमाग से दूर कर दिया।
हम दोनों ये सब देखते हुए खड़े लण्ड के साथ बाहर खड़े थे की मुझे एक मस्त माल नजर आया, जो कली भी थी और उसकी ड्रेस तो और भी कमाल की थी। उसके पीछे नीचे एक कट था, और वैसे भी उसकी गाण्ड इतनी निकली हए थी की वैसे ही कोई भी पानी छोड़ दें, और उसने कुछ नहीं पहना था। यदि थोड़ा झुककर देखें तो उसकी चूत साफ दिख जाए अब मुझसे और सका नहीं जा रहा था, तो एक तकीला धक्का लेकर उसके पास जाने लगा।
में कुछ नशे में चलते हुए उसके पास गया और फिर में उससे चिपक के डान्स करने लगा- "क्या चीज है यार सब मोटे-मोटे और मस्त हैं। इसकी ता ये बड़ी मोटी गाण्ड बजाने को मिल जाए बस, मजा आ जाए। कोई बात नहीं, पर चान्स तो मार हो सकता है। क्या पता मिल ही जाए?"
मैं उससे चिपके हए डान्स कम और जिष्म के मजे ज्यादा ले रहा था और उसे भी इस बात का बता चल गया था, और मेरे चिपकने से उसका मेरे लण्ड का भी पता चल गया। जिसके कारण उसकी हवस अब और बढ़ गई थी। अब वो भी मुझसे चुदे बिना नहीं रह सकती थी।
मैं तो कभी उसकी गाण्ड दबाता तो कभी उसकी जांघों पर हाथ फेरते हुए मसलता। जिससे वो बहुत गर्म हो रही थी और मेरी हिम्मत भी बढ़ रही थी, तो मैंने अपना हाथ उसकी गाण्ड की दरार में रखकर रगड़ने लगा। फिर हाथ नीचे लेजाकर गाण्ड के छेद में उंगली डाल दी और फिर निकालकर उंगली को सामने से उसकी चूत पर रख दिया। साली ने चूत में कोई छाला पहना हुआ था। मुझे तो और मजा आने लगा था, पर शायद अब उससे बर्दास्त नहीं हो रहा था।
औरत- चलो टायलेट में चलते हैं, बाकी का पूरा खेल उधर ही कंपलीट करेंगे।
मैं भी बिना कुछ बोले उसके पीछे-पीछे चल दिया और टायलेट में घुस गये दोनों फटाफट, और घुसने के बाद वो मुझे देखकर बोली।
औरत- अरे तुम तो अभी बच्चे ही हो और तूने मुझे गर्म भी कर दिया, क्या मुझको ठंडा कर सकोगे?
मैं- "ज्यादा नाटक मत करो। तुम मुझे देखकर नहीं मेरे औजार को अच्छे से चैक करके आई हो, और फिकर मत कर। मैं तुझे ठंडा ही नहीं बल्कि निचोड़ ही लूँगा। अब आ जा टाइम खराब ना कर, क्योंकी अब टाइम नहीं है मेरे पास...'
बोलकर मैं उसे खींचकर जंगली किस करना शुरू कर देता हूँ साथ ही उसकी मोटी चूचियों को भी खूब जोर-जोर से निचोड़ने लगता हूँ, जिससे उसकी तेज आहे भी निकल रही थी। पर अपने को कोई मतलब ही नहीं था। साला क्या माल थी जैसे चुदने के लिए ही बनी हो या चोद के ही ऐसा बनाया गया हो।
औरत- "आइ. आइआह्ह... दर्द हो रहा है.. क्या इनको मसल-मसलकर मुरब्बा ही बना दोगे क्या? ऑईई माँ.."
मैं- साली ये इसीलिए बनी है, मजा आ रहा है।
फिर हम कपड़े निकाल देते हैं। फिर क्या था क्या फाइट चल रही थी मजा तो पूछो ही मत... पर मुझे इसमें भी
मोम दिख रही थी, इसलिए तो इतना मजा आ रहा था।
वहाँ पास्स के लिए कार्ड भी रवि के पास थे, और मुझे लग रहा था की ये महँगे भी बहुत होंगे, तो फिर रबि के पास इतने पैसे कहां से आए? पर ऐसी मस्ती भरी जगह ये सब सोचने में अपने दिमाग की माँ नहीं चोदना चाहता था, तो ये सब दिमाग से दूर कर दिया।
हम दोनों ये सब देखते हुए खड़े लण्ड के साथ बाहर खड़े थे की मुझे एक मस्त माल नजर आया, जो कली भी थी और उसकी ड्रेस तो और भी कमाल की थी। उसके पीछे नीचे एक कट था, और वैसे भी उसकी गाण्ड इतनी निकली हए थी की वैसे ही कोई भी पानी छोड़ दें, और उसने कुछ नहीं पहना था। यदि थोड़ा झुककर देखें तो उसकी चूत साफ दिख जाए अब मुझसे और सका नहीं जा रहा था, तो एक तकीला धक्का लेकर उसके पास जाने लगा।
में कुछ नशे में चलते हुए उसके पास गया और फिर में उससे चिपक के डान्स करने लगा- "क्या चीज है यार सब मोटे-मोटे और मस्त हैं। इसकी ता ये बड़ी मोटी गाण्ड बजाने को मिल जाए बस, मजा आ जाए। कोई बात नहीं, पर चान्स तो मार हो सकता है। क्या पता मिल ही जाए?"
मैं उससे चिपके हए डान्स कम और जिष्म के मजे ज्यादा ले रहा था और उसे भी इस बात का बता चल गया था, और मेरे चिपकने से उसका मेरे लण्ड का भी पता चल गया। जिसके कारण उसकी हवस अब और बढ़ गई थी। अब वो भी मुझसे चुदे बिना नहीं रह सकती थी।
मैं तो कभी उसकी गाण्ड दबाता तो कभी उसकी जांघों पर हाथ फेरते हुए मसलता। जिससे वो बहुत गर्म हो रही थी और मेरी हिम्मत भी बढ़ रही थी, तो मैंने अपना हाथ उसकी गाण्ड की दरार में रखकर रगड़ने लगा। फिर हाथ नीचे लेजाकर गाण्ड के छेद में उंगली डाल दी और फिर निकालकर उंगली को सामने से उसकी चूत पर रख दिया। साली ने चूत में कोई छाला पहना हुआ था। मुझे तो और मजा आने लगा था, पर शायद अब उससे बर्दास्त नहीं हो रहा था।
औरत- चलो टायलेट में चलते हैं, बाकी का पूरा खेल उधर ही कंपलीट करेंगे।
मैं भी बिना कुछ बोले उसके पीछे-पीछे चल दिया और टायलेट में घुस गये दोनों फटाफट, और घुसने के बाद वो मुझे देखकर बोली।
औरत- अरे तुम तो अभी बच्चे ही हो और तूने मुझे गर्म भी कर दिया, क्या मुझको ठंडा कर सकोगे?
मैं- "ज्यादा नाटक मत करो। तुम मुझे देखकर नहीं मेरे औजार को अच्छे से चैक करके आई हो, और फिकर मत कर। मैं तुझे ठंडा ही नहीं बल्कि निचोड़ ही लूँगा। अब आ जा टाइम खराब ना कर, क्योंकी अब टाइम नहीं है मेरे पास...'
बोलकर मैं उसे खींचकर जंगली किस करना शुरू कर देता हूँ साथ ही उसकी मोटी चूचियों को भी खूब जोर-जोर से निचोड़ने लगता हूँ, जिससे उसकी तेज आहे भी निकल रही थी। पर अपने को कोई मतलब ही नहीं था। साला क्या माल थी जैसे चुदने के लिए ही बनी हो या चोद के ही ऐसा बनाया गया हो।
औरत- "आइ. आइआह्ह... दर्द हो रहा है.. क्या इनको मसल-मसलकर मुरब्बा ही बना दोगे क्या? ऑईई माँ.."
मैं- साली ये इसीलिए बनी है, मजा आ रहा है।
फिर हम कपड़े निकाल देते हैं। फिर क्या था क्या फाइट चल रही थी मजा तो पूछो ही मत... पर मुझे इसमें भी
मोम दिख रही थी, इसलिए तो इतना मजा आ रहा था।