Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 67 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

sexstories said:
भइया हमें पता है आप हमें खुश करने के लिए हमारी झूठी तारीफ कर रहे हो। अब अपना मूह दूसरी तरफ करो हम अपनी पेंटी उतारकर मूतने वाले हैं" शीला ने विजय को मुस्कराते हुए कहा ।
विजय को अपने कानों पर इतबार नहीं आ रहा था। शीला की बात सुनकर उत्तेजना के मारे उसका पूरा जिस्म काम्पने लगा। वह सोच रहा था की शीला बाथरूम का दरवाज़ा बंद क्यों नहीं कर रही है। इसका मतलब वह जानबूझकर उसपर लाइन मार रही है। मगर शीला की कुंवारी चूत देखने के ख़याल से ही विजय का पूरा जिस्म गुदगुदी करने लगा।

"ओहहहहह भैया आप नहीं मानेगे। चलो आपसे क्या शरमाना" शीला यह कहते हुए अपनी पेंटी को अपने चूतडों से नीचे करते हुए नीचे बैठकर मूतने लगी । विजय शीला के नंगे चूतडों और उसकी गुलाबी हलके बालों वाली चूत को देखकर बूत की तरह खडा होकर शीला को मूतते हुए देखने लगा ।
विजय का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था । उसका लंड उसकी पेंट में ही उत्तेजना के मारे वीर्य की बूँदे टपका रहा था, विजय की बर्दाशत जवाब देने लगी थी । उसे अपने लंड में बुहत दर्द महसूस हो रहा था। उसने अपने हाथ से अपनी पेण्ट की ज़िप खोल दी और अपनी आँखें शीला की नंगी चूत पर टिका दी । शीला की चूत से मूतते हुए मधुर आवज़ आ रही थी।

"भइया आप तो सच में बुहत बदमाश हैं सारी रात अपनी बहन से मजा लेने के बाद भी हमारी चूत को देख रहे हैं" शीला ने मूतने के बाद सीधा होते हुए कहा और अपनी चूत विजय को सही तरीके से दिखाने के बाद अपनी पेंटी को ऊपर खीँच लिया ।
विजय बिना बोले बस बूत की तरह खडा था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे । उसके अंडरवियर में बुहत बड़ा उभार बना हुआ था।
"भइया इसे आपने अपनी दीदी का रस नहीं पिलाया क्या। फिर यह क्यों प्यासा है" शीला ने बाथरूम से निकालते हुए विजय के लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही अपने हाथ से दबाकर हँसते हुए कहा और कमरे से निकलकर चलि गयी।

विजय की हालत बुहत बुरी थी । उसने शीला के जाते ही अंडरवियर को उतार दिया और बाथरूम में घुस गया, विजय ने उत्तेजना के मारे अपने लंड को अपने हाथों में लेकर ज़ोर से हिलाने लगा । विजय मुठ मारते हुए शीला की चूत को याद कर रहा था ।
विजय को अब भी शीला का हाथ अपने लंड पर पडा महसूस हो रहा था । विजय का जिस्म अचानक अकड़ने लगा और वह ज़ोर से काम्पने लगा।
"ओहहहह शीला दीदी" विजय के लंड से ज़ोर से पिचकारियां निकलकर बाथरूम में नीचे गिरने लगी और वह शीला को याद करते हुए झडने लगा ।
शीला को दोनोंभाई चोदेंगे तब सही मज़ा आयेगा
 
sexstories said:
विजय अपने लंड के ज़ोर से दबने से हड़बड़ा कर उठ गया और अपनी माँ को सामने देखकर जल्दी से चादर उठाकर अपना नंगा जिस्म छूपाने लगा । रेखा अपने बेटे के उठने से होश में आते हुए अपने बेटे से हँसते हुए कहा "विजय इतनी देर से तुम्हें उठा रही हूँ और तुम हो की सुन ही नहीं रहे हो किसका सपना देख रहे थे ?"
"किसी का भी नही " विजय ने हकलाते हुए कहा।
"रात को इतनी गर्मी थी क्या जो बिलकुल नंगे होकर सो गये?" रेखा ने वैसे ही मुस्कुराते हुए अपने बेटे को टोकते हुए कहा।

"हा माँ रात को बुहत गर्मी थी" विजय ने थूक गटकते हुए कहा।
"लगता है तुम्हारी शादी जल्दी करनी पड़ेगी इतनी गर्मी जो है तुम में" रेखा यह कहते हुए वहां से चलि गयी । विजय सुबह सुबह अपनी माँ की ऐसी बातें सुनकर बुहत गरम हो गया ।
विजय ने बाथरूम में जाकर अपने लंड को हिलाकर झाड़ दिया और फ्रेश होकर अपने कमरे से बाहर आ गया । विजय नाशता करने के बाद अपनी बहनों के साथ कॉलेज के लिए निकल गया, कॉलेज जाने के लिए आज भी वह एक रिक्शा में बैठ गए ।

आज रिक्शा में बैठने के बाद विजय बार बार अपनी बहन के जिस्म से अपने जिस्म को टच करने की कोशिश कर रहा था । कंचन समझ गयी की उसका भाई उसके लिए तड़प रहा था, इसीलिए उसने अपने बाज़ू को ऊपर करते हुए अपने भाई के दूसरी तरफ वाले काँधे पर रख दिया ।
विजय ने जैसे ही अपनी बड़ी बहन की तरफ अपना मूह किया उसको अपनी बहन की चूचि अपनी आँखों के बिलकुल सामने दिखाई दी । विजय का दिल तो कर रहा था की अपनी बड़ी बहन की चूचि को अपने हाथ से मसल दे मगर वह ऐसा नहीं कर सकत था।

विजय को अपनी बहन के जिस्म की ख़ुश्बू पागल बना रही थी, कंचन ने अपने जिस्म पर बुहत खुसबू वाला बॉडी स्प्रे लगाया हुआ था । विजय की तम्मना भगवान ने सुन ली और रिक्शा एक खड्डे में से गुज़रने लगा ।
कंचन ने अपने भाई को ज़ोर से पकड लिया और विजय ने मौका देखकर अपना मूह अपनी बड़ी बहन की चूचि पर रगडने लगा । ऐसे ही कब उनका कॉलेज आया उन्हें पता ही नहीं चला और वह तीनों रिक्शा से उतरकर अपने कॉलेज में जाने लगे ।

Ahh mast Kahani hai lekin itna hone ke baad herochoda kyu nahi apni maa ko aur Rekha bhi Kyu nahi baith gayi Lund par
 
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif](अनिल का लंड सिकुड़ कर रेखा की चूत से निकल गया । रेखा की चूत से लंड के निकलते ही उसके ससुर का वीर्य और उसकी अपनी चूत का पानी मिलकर बेड की चादर पर गिरने लगा, अनिल अपनी बहु के ऊपर से उठकर उसकी साइड में लेट गया)[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]Ahh Kash Mai naukari hota us Ghar me to Sara chut aur Lund ka Pani chus kar saf kar deta wah Maja aa gaya mast kahani hai [/font]
 
:heart: :heart: [font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]नरेश के ऊपर से उठते ही रेखा की चूत से अपने भांजे और उसका मिला जुला रस ज़मीन पर गिरने लगा। :heart: :heart: [/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]Ahh Mai hota to dono ke mile hike raso ko chus chat kar pi jata ek bund bhi jamin par nahi girme deta us Amrit ko ohh bahut hi lajabab kahani hai Maja aa gaya[/font]
 
:heart: [font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"दीदी कैसा लगा मेरे लंड के वीर्य का स्वाद" विजय ने हँसते हुए अपनी बहन की तरफ देखते हुए कहा।[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]"भाई मुझे तो बुहत अच्छा लगा। मगर आपको भी अपने वीर्य का स्वाद चखना चाहिये"[/font]

[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]यह कहते हुए कंचन अपने भाई को बेड पर गिराते हुए उसके ऊपर चढते हुए अपने होठ अपने भाई के होंठो पर रखते हुए अपनी जीभ जो उसके भाई के वीर्य से गीली थी अपने भाई के मूह में डाल दी । कंचन कुछ देर तक अपने भाई को उसके ही लंड के वीर्य का स्वाद चखाने लगी और फिर अपने भाई के होंठो से अपने होंठ अलग कर दिए। :heart: [/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]Ahh Bahan ho to aisi Kash Meri bhi aisi Bahan hoti Jo roj bed tea ke badale apni chut mere muh par rakh kar apna garam garam pesab pilati[/font]
 
sexstories said:
आपको गरम करने में मेरा ही तो दोष हुया", अनिल अपनी बहु की बातें सुनकर फिर से गरम होने लगा । उसने रेखा से कहा "तुम बुहत अच्छी हो, मेरी इतनी बड़ी गलती को तुमने इतनी जल्दी माफ़ कर दिया" ।
रेखा ने अपने ससुर के सामने से अपनी गांड को मटकाते हुए सोफ़े की तरफ जाते हुए कहा "बापु जी मैंने कहा न आपकी गलती नहीं है, अब आप सुबह सुबह अपनी बहु के बड़े बड़े ताज़े आम देख लोगे तो गरम तो होंगे ही" ।।।। अनिल मन ही मन में सोचने लगा साली दिखने में बुहत सीधी है मगर लगता है बुहत बड़ी छिनाल है।

रेखा ने अपने ससुर को चुप देखकर कहा "बाबूजी एक बात पूछुं?", अनिल ने जल्दी से कहा "हा पूछो" । "आपको मैं केसी लगती हुँ?" रेखा ने सोफ़े पर बैठते हुए कहा ।
अनिल अपनी बहु का सवाल सुनकर हड़बड़ा गया और हकलाते हुए कहा "कैसी मतलब क्या, तुम बुहत ख़ूबसूरत हो तो हमें भी ख़ूबसूरत लगती हो" । रेखा ने अपने ससुर की बात सुनकर कहा "वो तो हमें भी पता है की हम ख़ूबसूरत हैं, मेरा मतलब है हमारा जिस्म कैसा लगता है"।

अनिल अपनी बहु के सीधे सवाल पर हैरान रह गया, उसने रेखा से कहा "बेटी तुम कैसी बातें कर रही हो, तुम मेरी बहु हो" । रेखा ने मुसकुराकर कहा "बाबूजी हमें पता है आप हमारे ससुर है, मगर क्या हम दोनों आपस में दोस्त नहीं बन सकते ?"
अनिल ने कहा "हा क्यों नही", रेखा ने खुश होते हुए कहा "जब हम आपस में दोस्त बन चुके हैं तो फिर एक दुसरे से क्या शरमाना, हम एक दुसरे से कोई भी बात नहीं छुपायेंगे । अब आप बताओ हमारा जिस्म आपको कैसा लगता है ?"

अनिल ने अपनी बहु की बात सुनकर कहा "बेटी सच में तुम्हारा जिस्म बहुत अच्छा है", रेखा अपने ने ससुर की बात सुनकर खुश होते हुए कहा " बाबूजी सच बताओ आप को मेरे जिस्म में सब से ज़्यादा क्या अच्छा लगता है?" । अनिल ने रेखा की चुचियों की तरफ देखते हुए कहा "बेटी तुम्हारे वह बड़े बड़े आम के फल हमें बुहत अच्छे लगते हैं" ।
रेखा ने हँसते हुए अपनी चूचियों को अपने हाथों से पकडते हुए कहा "इसलिए तो आप हमें झाडू लगाते हुए हमारे इन आम के फ़लों को देखकर गरम हो गये थे"।

अनिल ने कहा "हाँ तुम्हारे यह आम झाडू लगाते हुए आधे से ज़्यादा नंगे नज़र आ रहे थे।

"ह्म्मम इसीलिए आप इतने उतावले हो रहे थे की अपने बाथरूम का दरवाज़ा भी बंद नहीं किया" रेखा ने हँसते हुए कहा।

हम खाना बनाने जारहे हैं आप बताओ आज क्या खाओगे आज आपकी पसंद की डिश बनाते हैं ।
"बहु मुझे तो खीर बुहत पसंद है" अनिल ने अपनी बहु की चुचियों की तरफ देखते हुए कहा।
"बाबू जी पहले क्यों नहीं बताया आपने ।
अच्छा मैं अभी आपके लिए खीर बनाती हूँ", रेखा ने अपने चुचियों को हिलाते हुए कहा और किचन में जाकर अपने ससुर के लिए खीर बनाने लगी।
 
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