Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति - Page 10 - SexBaba
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Incest परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति

जब बैल की आवाज से उनकी तंद्रा टूटती है तो वो फटाफट सिचर्यशन और जगह देखकर कंट्रोल करती हुई औरतें टायलेंट की तरफ तेजी से जाती या दौड़ती हैं। मैं जो उन्हें देख-देख अपने लण्ड मसल रहा था। बेल की आवाज और उनकी हड़बड़ाहट देखकर फट से अपने लण्ड को अंदर डालता है और ये भी समझ जाता है की वो कहां जाएगी।

तो मैं ये सोचकर की लाहा गर्म है हथौड़ा मार देना चाहिये, बरना फिर हाथ आए या ना आए। इसलिए मैं भी तेजी से उनकी पीछे जाता है. और मेंडम भी जल्दी से औरतों के टायलेट में घुसती हैं, जहां 5-6 टायलेट थे जो अभी सभी खाली थे। उनमें से मेडम एक में घुस जाती हैं, और मेरे गेस सही था। वो अब अपनी चूत को ठंडी करने और अपने आपको नार्मल करने के लिए टायलेट हो जाएगी। मैं भी उनके पीछे-पीछे वहां पहुँच जाता हूँ

और आजू-बाजू देखकर अंदर घुस जाता है, जहां मुझे एक टायलेट में से आई. सी. और किसी औरत की चूत की सिटी के साथ मूतने की आवाज आती है। जिससे मैं समझ जाता है की मैडम कहां और क्या कर रही है?

में दूसरे टायलेट में घुसकर उसकी दीवार पर चढ़ जाता है जहां से मुझे मेडम नीचे से पूरी नंगी होकर मततं हए साफ दिख रही थी, और मैं अपने फोन में काई कर रहा था। फिर मेडम टायलेट में किसी के आने की आवाज से कोई डरी नहीं थी। अब कोई भी मत सकता है इसमें बया?

मेडम- "आह्ह... आह... सीईई... सीईई... फर चिल्ल....

फिर कुछ देर बाद वो मेरे लण्ड के बारे में सोच कर चूत सहलाने लगती है, और बड़बड़ाती हुई सेक्सी आहे भरने लगती है।

मेडम- "ओह्ह... कितना बड़ा था उसका आह्ह... पर कितना कमीना और बेशर्म था की भरी क्लास में नंगा होकर अपने मोटें काले लण्ड को हिला रहा था, वो भी मेरी गाण्ड देखकर... हाये... सीयी... पर मेरी ये निगोडी चूत को कौन समझए? ये तो परी क्लास के होते हुए भी रस छोड़ रही थीं ओहह... आ:कैसे इसकी गर्मी शांत करण? जिससे करना चाहिये वो तो दूर कमा रहा है... वो भी वहां मजे लेता होगा, पर यहां मैं जल रही हैं इस चूत की गर्मी से आहह"

मैं तो रेकाई कर रहा था की उनकी बातें सुनकर लण्ड हड़कम्प मचाने लगा, तो मैंने अपने लण्ड को फिर से बाहर निकालकर उसे दूसरे हाथ में मठ मारने लगा। लास्ट में मेंडम की बातें सजकर तो मेरी मस्ती बढ़ गई और उसी चक्कर में मैं मत रही मैडम के टायलेट में गिर गया- "धम्म्म.."

मेडम जो अपनी ही मस्ती में थी। अचानक धम्म की आवाज से होश में आई और मुझे देखकर चकित हो गई और हड़बड़ा गई, और अपनी चूत छुपाने लगी। मैं भी खड़ा होकर मेडम के पास गया, तो वो थोड़ा डर भी गई थी। पर चिल्ला वो भी नहीं सकती थी।
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मेडम- "तूक ... तुम्म यहां कैंसी आयें और मुझसे दूर रहीं समझे.. हल्ला मचा दूंगी..."

मैं- "कमीनी, अब तेरी चूत इतनी मस्त है की मैं यहां भी चला आया और क्या बोल रही है हल्ला मचा देगी? तो मचा हल्ला। जब लोग मुझे ऐसे तेरे साथ अंदर से बंद टायलेट में देखेंगे तो तुझे ही गलत समुझेगे। ये लोग साले बड़े चतिए हैं। गलती कोई भी करें पर हमेशा औरत को ही गलत देखते और समझते हैं..."

मेडम मेरी बात सुन एकदम डर जाती है और चुप हो जाती है। क्योंकी दुनियां की नजर में औरत कितना कुछ करने के बाद भी उसे ही आगे कुछ होने पर गलत समझते हैं, ये नहीं समझते की उन सभी कमीनों को भी जनम एक औरत ने ही दिया है।

मैं- "देखो मेरे लण्ड को भी चूत की जरूरत है, और तेरी चूत को लण्ड की जो मेरे पास एकदम मस्त है। अब ज्यादा नखरे ना चोद और देख कैसे तेरी गर्मी पाने के लिए ये फड़फड़ा रहा है.

ये बोलकर में उसका हाथ अपने लण्ड कर रख देता हैं। जिससे उसके गर्म जिम का एक झटका लगता है। पर मैं तो उसके हाथ के ऊपर अपने हाथ से मूठ मारना शुरू कर देता है, जिससे उसे भी मस्ती चढ़ने लगती है। तो ये देख मैं अपने हाथ से उसकी नंगी चूत पकड़ लेता हैं जिससे बो सिसक पड़ती है और में उसके होंठों पर टूट पड़ता हूँ।

मेंडम- "आश आहह... सीईईई.. उईईई.. ओहह... आहह... किस के वक्त- "सुर्रर सिईई लप्प्प हों उम्म्म्म

मैं अपने एक हाथ से लण्ड मसलवा रहे हाथ को हटाकर उसकी गर्दन के पीछे से लेकर जंगली होकर होंठों को चस, चाट और काट रहा था। जिससे उसकी आहे निकल रही थीं। फिर चूत में हाथ हटाकर उसकी मोटी-मोटी चूचियों को बेरहमी से मसलने लगता हैं, कभी-कभी उसके निपल को खींच भी लेता, जिसमें उसकी आहे तेज हो गई थी, और अब तो हक्स और चूत की गर्मी में अंधी होकर वो भी साथ दे रही थी।

मैडम- "ओह... हौं आइ: सीईई.. आह्ह... उईई हौं उम्म्म पी ले ओह्ह ... आह्ह.."

मैं उसे अब पूरे मस्ती में देखकर उसमें कुछ देर बाद अलग होकर उसको टायलेट के पास नीचे घुटने के बल बीठाता है और अपने लण्ड को चूसने का इशारा करता हूँ। तो वो भी लपक के लण्ड पकड़ लेती है और अपनी चूत जैसे गर्म मैंह में डालकर रंडी के जैसे चूसने लगती है। जिसमें मेरे लण्ड के मजे हो जाते हैं, और मेरी मस्ती की कराह निकलती जाती है।

में- "सीपी आह्ह... साली चंडी क्या चूस रही है... तेरी चूत के जैसे गर्म है तेरा मुँह तो आहह... ऐसे ही ले बहन की लौड़ी ओहह... आह्ह.."

मेंडम- "गुरं गुतट कुप्प शुरुउप्प लप्प्प गुपयी पईतपय चईई.."
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दस मिनट लण्ड चूसने के बाद में उसे उठाकर घुमाता है और उसकी गाण्ड को थोड़ा पीछे करके काटते हये पीछे
से ही गाण्ड और चूत चूसने लगता है।

वो भी पागलों की तरह जैसे उसे दर्द भी हो रहा हो और मजा भी आ रहा था और वैसे भी अब तो लण्ड लेने के लिए उसे पूरा चुदासी कर ही दिया था मैंने, तो अब बिना लिए वो नहीं रुकने वाली थी चाहे पूरे कालेज के सामने ही क्यों न चुदवाना पड़े।

मैडम- "आह्ह... आह्ह... आईई.. आअहह... आदर्द होता है आह्ह एसम्म उम्म्म..."

में दस मिनट बाद खड़े होकर अपने लण्ड पर थूक लगाकर पीछे से ही वो भी खड़े-खड़े ही उसकी चूत में लण्ड डाल देता हैं और वो फटी हुई चूत खन वहाँने लगती और वो चिल्लाती हैं। पहले ही मैंने उसके मुँह को अपने एक हाथ से बंद कर दिया था और फिर बिना रुके चूत का भोसड़ा बनाने लगता हैं।

मेइम- "हंउ ओह्ह... उम्म्म्म ... मर गई हाय आहह उईईई..

में तो मैडम की चूत मारने में बिजी था और मेरा लण्ड चूत का खून पीने में। और एक खास बात, हम यहां चुदाई कर रहे थे तो कुछ लड़कियां टायलेंट के लिए आई थीं, जो अंदर हो रही चुदाई की आवाजों से मजे और एक दूसरे को देखकर धीरे-धीरे हँस रही थी। पर अब तो लाइव चुदाई की वजह से मस्ती में आने लगी थी।

में 15 मिनट चोदने के बाद, जब मेडम भी दर्द के बाद मस्ती में आने लगी तो मैं चूत की वजह गीले लण्ड को निकाला और मैडम की गाण्ड पर टिकाकर उनके कुछ बोलने से पहले ही तीन-चार लगातार धक्के में लण्ड गाण्ड की गहराई में उतार दिया और बड़े-बड़े धक्कों के साथ गाण्ड मारने लगा। और लण्ड गाण्ड में आने वाले खून को गाण्ड मारले हए पी रहा था। जिससे मैं और ज्यादा चुदाई कर सकू। पं रुकने की ताकत दे रहा था। पर मैडम की तो बेहोश होने की हालत हो गई थी। पर मेरे लण्ड की वजह से हो नहीं पा रही थी। पर मैं इन सबको पूरा अनदेखा करते हए गाण्ड मार रहा था, और 20 मिनट बाद वो भी अब बाबर झेलने के काबिल हो गई थी, और अब मस्ती में गाण्ड हिलाकर लण्ड ले रही थी। पर दर्द ज्यादा था।

मेडम- "आह्ह... मादरचोद, साले कुत्ते मेरी गाण्ड को क्या किसी रंडी की गाण्ड समझा है जो इतनी बेरहमी से फाड़ दी... आहह ... मादरचोद दर्द हो रहा है ओहह.."
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मैं- "साली तू मेरी रन्डी ही तो है आह्ह.. क्या कसीई हुई गाण्ड है तेरी छिनाल..."

मैडम- "माले रंडी के... वो तो होगी ही ना.. कुंवारी गाण्ड ही तो थी, और चूत भी तो दो साल में नहीं चुदी है.."

हमारी इस चुदाई से पता नहीं कितनी लड़कियों ने आकर अंदर पानी छोड़ा और अपनी दोस्तों को लाकर इस चुदाई को दिखाई, और मैं बिना कीसी की परवा किये उसे चोद रहा था और 8 मिनट बाद दोनों ने साथ ही पानी छोड़ दिया। फा इस चुदाई में मेडम में पता नहीं कितनी बार पानी निकाला था, और लास्ट में मेरे साथ झड़ने के बाद 20 मिनट आराम के बाद वो टायलेट करने के लिए खड़ी हई। और अब चूत और गाण्ड इतनी बुरी तरह मरवाने के बाद वो बैंठकर तो मत नहीं सकती थी। वो थोड़ा गाण्ड को कुसी करके मूतने लगी- "मुर्गर मुर्रर सुर्रर... सुरूल टम्म..."

म सीन देखकर मेरी चुदाई का मह फिर बन गया, और मैं उसके पास आकर चुदाई करने लगा। वो बार-बार मना कर रही थी। पर मैं कहां रुकने वाला था और अलग-अलग पोज में चोदने लगा और 40 मिनट चोदने के बाद साथ में दोनों पानी छोड़ दिए।

***** *****
 
कड़ी_28

मैं मैडम को दोबारा चोदने के बाद बिना कुछ बोले अपने कपड़े पहनकर दरवाजा खोलकर बाहर आ गया। लेकिन अभी वहां कोई नहीं था। शायद दरवाजा खुलने की आवाज से सब चले गये थे, तो मैं भी चल दिया घर।

आज फिर मुझे अपनी शक्ति और बढ़ती हुई महसूस हुई थी। में बढ़ती ताकत मेरे लिए एक नशा बनती जा रही थी, जैसे अब मेरे आगे कोई नहीं टिक सकता है। मैं यहां पर इन सभी से शक्तिशाली हैं और किसी की भी गाण्ड मार सकता है। ये सब मुझे मस्त किए जा रहा था, और ये सब मेरी एक बड़ी ख्वाहिश को जन्म देने की शुरुआत थी पर कुछ भी हो मुझे बड़ा मजा आता, चाहे वो लोगों का खून हो या फिर फटी चूत का खून। ये सब मुझे मदहोश करता था और मैंने कभी इसे रोकने या कंट्रोल करने कोशिश नहीं की।

उस गुरुकाल के कहने पर भी सिर्फ कुछ पल सोचा फिर झटक दिया उसकी बात, और अपने इस नशे में मस्त होता हुआ आगे चला गया। और कभी इस बात की और सोचा तक नहीं और इसकी जरूरत भी क्या थी मुझको? रोज कोई ना काई नई चूत मिल ही जाती थी, और अपने घर में भी चता की क्या कमी थी? पर इतना चुदाई करने के बाद भी मुझे कभी ये महसूस नहीं हुआ की मैं अब संतुष्ट हैं। मेरी तो प्यास बढ़ती ही जा रही थी। बस एक ये ही चीज थी जो मुझे इतना करने पर भी नहीं मिल रही श्री, वरना बिना चाहे ही मुझे बहुत कुछ मिल चुका था और बहुत कुछ अभी और हाशिल करना था।

शायद मेरे जाने के बाद मैडम ने देखा की कोई नहीं है और मैं उन्हें ऐसे ही चोदकर चला आया तो कई गालिया देकर वो भी निकल ली। और मन में बाली- "कमीने को चूत और गाण्ड मिल गई अब क्या तो निकाल लिया कमीना। दुबारा साले को हाथ भी न लगाने दं..."

में टायलेट से निकलकर सीधा घर की तरफ चल देता हैं। अब मुझे तो चूत मारनी थी जो मैंने मार ली। अब माली जिए या मरे मुझे क्या? पर मन में सोचने लगा की अब उस हरामी रवि की बहन की बारी है। वो साली भी क्या चीज़ है यार.. जल्द ही कोई गेम चलाकर उसकी भी लेनी है मुझे। मैं किसी को नहीं छोड़ता हाहाहा.."

जब मैंने घर आकर बैल बजाई तो दरवाजा झुमरी में खोला, और आज वो अपने पुराने कपड़ों में थी। पर उसका अंदाज आज बहत हाट था। ये क्या साली तो अब मुझे सिइयूस करने पर आ गई थी। अवे मैं खुद गेम करके चोदने के लिए चूत ट्रॅटता रहता हूँ, और ये मुझे। लगता है चूत कुलबुलने लगी है इसकी। आज ये तो मेरे लिए
और भी मस्त है। अब इसकी फाड़ने में और मजा आएगा।

साली दरवाजा खोलने के बाद मुझे ऐमें कामुक इशारें दे रही थी की अभी पटक के चोद दूं। पर मैं कुछ देर रुका रहा और उसके जलवे देखना चाहता था। इसलिए जल्दी से ऊपर आकर फ्रेश होकर नीचे आ गया खाना खाने और वो तो तभी भी अपनी मोटी-मोटी चूचियां दिखाने के लिए ज्यादा झुक कर सर्व करने लगी और मैं मजे लेते हए खाने लगा।

में उसके सर्व करने के बाद खा रहा था। वो चली गई, पर कुछ देर में वापस आ गई। इस बार उसके हाथ में पोंछा था और वो अपना पल्लू गिराकर ज्यादा झुकते हए पोंछा लगाती है कामुक तरह से। यहां में इसके जलवे देखना मुश्किल हो रहा था, साली को फदवाने की कितनी जल्दी पड़ी थी।

शायद आज हमारे अलावा घर में कोई नहीं है। इसीलिए तो ये सब बेखोफ कर रही हैं। फिर उधर ही बैठकर अपने घाघरे को धीरे-धीरे ऊपर चढ़ाने लगी और अपनी मोटी जांघों तक चढ़ा ली। यहां ये हाट सीन देखकर लण्ड बेकाबू हो गया था।

ये सब देखकर अब मुझसे रहा नहीं गया। मैं उसके पीछे जाकर उसकी गर्दन पर किस करने लग गया, और अपने दोनों हाथों को आगे ले जाकर उसकी माटी-मोटी चूचियों को कपड़ों के ऊपर से ही मसलने लगा। और वो साली तो जैसे इसी का इंतजार कर रही थी। मेरे करतं ही पूरा साथ देने लगी, मस्ती की आहे निकालने लगी। जिससे मैं और मस्ती के साथ जोर-जोर से मसलने और किस करते हए काटने भी लगा। पर झुमरी तो जैसे जिशम की गर्मी में सब भूल ही गई थी। उसे तो बस ठंडा होना था, जो मेरे मोटे लण्ड से ही हो सकता था।

झुमरी- "आश आह्ह... ही ऐसे ही मेरे रज्जा... बड़ा कज्जा आ रहा है... आहह मसल्ल इन चूचियों को और जोर में... बहुत तंग करती हैं... आइआहह सीईईई अहह... ही ओह्ह.."

अब तो मस्ती चद चुकी थी दोनों पर, तो फटाफट अलग होकर कुछ ही देर में दोनों नंगे हो गये। साली नंगी होने के बाद की माल लग रही थी। इसकी ये मोटी-मोटी चूचियां और माटी चूत और साली की गाण्ड का भी अनुमान लगा सकते हो। अब इतने पास नंगी होगी तो पता चल ही जाएगा ना।

मैं नंगा होकर अपनी सोच से बाहर आकर झुमरी की मोटी मोटी चूचियों पर टूट पड़ा। उसको जोरों से मसलते हए चूसने लगा बुरी तरह से। जिसमें उसकी दर्द भरी आवाजें भी निकलने लगती हैं। पर में बिना कुछ सुने चूसे जा रहा था।

झुमरी- "आह्ह ... आह्ह ... जरा धीरे करो मेरै रज्जा... दर्द होता है आह्ह... उईई... आह्ह... धीरे करो आह्ह.."

कुछ देर बाद मैं उसके चूचियां छोड़ता हूँ और उसे नीचे घुटने के बल बैठने को बोलता हूँ। वो भी समझ जाती है की उसका क्या करने के लिये कह रहा है। जिसके लिए उसकी चूत पानी छोड़ रही थी, यानी मेरा लण्ड... मैं उसे चूसने के लिए कह रहा था। वो भी बिना टाइम वेस्ट किए अपना काम शुरू कर देती है।

मैं- "आह्ह.. साली रंडी... क्या मुँह है तेरा... मजा आ रहा है... ऐसी ही चूस मेरी रंडी आह .. उईई"

ऐसे 10 मिनट चूसने के बाद उसे उठाकर कुतिया बनने को कहता है और वो फट से अपनी पोजीशन बना लेती है। फिर उसकी बालों से भरी चूत में पीछे से लण्ड डालता है। उसकी चूत टाइट थी। कितने सालों नहीं चुदी थी, इसलिए टाइट हो गई थी। अभी तो मेरा लण्ड आधा भी नहीं घुसा था और उसके दर्द की आवाज आनी शुरू हो गई। मैं भी बिना उसके दर्द को देखे दो और पो तेज धक्के दिये थे की पूरा लण्ड उसकी चूत को फड़ते हुए अंदर चला गया, और वो चिल्लाने लगी दर्द से। रुकने को भी बोल रही थी।
 
ऐसे 10 मिनट चूसने के बाद उसे उठाकर कुतिया बनने को कहता है और वो फट से अपनी पोजीशन बना लेती है। फिर उसकी बालों से भरी चूत में पीछे से लण्ड डालता है। उसकी चूत टाइट थी। कितने सालों नहीं चुदी थी, इसलिए टाइट हो गई थी। अभी तो मेरा लण्ड आधा भी नहीं घुसा था और उसके दर्द की आवाज आनी शुरू हो गई। मैं भी बिना उसके दर्द को देखे दो और पो तेज धक्के दिये थे की पूरा लण्ड उसकी चूत को फड़ते हुए अंदर चला गया, और वो चिल्लाने लगी दर्द से। रुकने को भी बोल रही थी।

तेज आवाज ठप्प-ठप्प की गूंजने लगी। पर चूत फटने से उसकी चूत से खून भी निकल रहा था, जिसे लण्ड चूस रहा था। मैं तो मजे से धक्के लगाकर चोद रहा था। फिर 10 मिनट बाद वो भी मजे लेती हुई अपनी गाण्ड पीछे धकेल रही थी, तो मैं अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। वो मुझे खा जाने वाली नजरों से देखने लगी।

पर फिर मैं बोला- "मैं लेटता हूँ, तू ऊपर आ जा.."

उसने वैसा ही किया। मेरे लेटते ही वो अपनी चूत के साथ मेरे खड़े लण्ड पर बैठ गई। और फच्छ की आवाज के साथ पूरा लण्ड उसकी चूत में था। आहह... क्या गर्म चूत है साली की, मजा आ रहा है।

फिर मैंने उसे खड़ी करके थोड़ा आगे झुकाकर उसकी चूत के रस से गीले लण्ड को उसकी गाण्ड में 3 लगातार धक्कों में फाड़ दिया और वो बुरी तरह चिल्लाने लगी। उसकी हालत खराब हो चुकी थी। पर मैं कहां रूकने वाला था, ठोकता रहा और फाइता गया। आज मेरा लण्ड बहत खश था आज एक दिन में उसे दो-दो चूत और गाण्ड फाइने को जो मिली थी।

ऐसे ही कुछ देर चोदने के बाद उसे आगे लेजाकर उसे फर्श पर लिटाकर उसका एक पैर उठकर गाण्ड चोदने लगा। इतनी चुदाई में झुमरी कितनी बार झड़ी ये तो मुझे नहीं पता, पर उसकी हालत पतली जरूर हो गई थी।

फिर उसे सीधा लिटाकर उसकी दोनों टांगों को उठाकर फैला देता है और उसकी गाण्ड से लण्ड निकालकर चूत चोदने लगता हैं। अब मुझे भी लग रहा था की मेरा भी निकलने वाला है तो धक्के तेज-तेंज और लंबे मारने लगा और मेरी एक तेज आह... के साथ उसकी चूत में पानी छोड़ने लगा। फिर बाहर निकालकर लण्ड हिलाते हुए कुछ पानी उसकी चूत पर छोड़ दिया। पर में क्या साली की चूत तो सजकर पकौड़ा हो गई थी, जिसे देखकर मेरे चेहरे पर शैतानी स्माइल आ गई।

फिर जब मैं खड़ा हुआ तो चकित हो गया क्योंकी में झुमरी को चोदते हुए कब हम किचेन में आ गये पता ही नहीं चला। अब जब चूत सामने हो और उसे चोद रहे हो तभी क्या पता चलता है की हम कहा है यही हमारे साथ हुआ।

मैं उसे वहीं पड़ा छोड़कर अपने रूम में फ्रेश होने चला गया। कोई 15 मिनट बाद झुमरी भी किसी तरह उठकर अपने कपड़ों के साथ रूम में चली गई। पर बड़ी मुश्किल से फ्रेश होकर बेड पर पड़ गई। अब उसमें बिल्कुल ताकत नहीं बची थी और में भी दो-दो चूत और गाण्ड मारकर थोड़ा थक गया था तो फ्रेश होकर सो गया। फिर कब कौन आया? कब आया? क्या किया? मुझे कुछ नहीं पता। मैं तो मजे से सो रहा था।
 
* कड़ी_29

करीब आधा घंटा के बाद सबसे पहले स्कूल से चंदा घर आती है और डोरबेल बजाती है। पर कोई दरवाजा नहीं खोलता, तो वो दरवाजा खोलकर अंदर आ जाती है। अब दरवाजा तो लाक था ही नहीं, तो खुल जाता है। फिर अंदर आकर किचन से पानी पीने के लिए जाती है, तो उसे बीच में खून और चूत का रस फर्श पर दिखता है, तो वो उसे छकर और सँघकर देखती है तो उसे सब समझ में आ जाता है की ये क्या है? पर किसका? उसे नहीं पता था तो फिर से वही जासूस बनने का कीड़ा उसकी गाण्ड में कलबुलाने लगता है और घर में मेरे और उसकी मोम के अलावा दूसरा कोई न होने पर सब समझ में आ जाता है की आज मैंने उसकी मोम की फाड़ दी है। और ये जानकर उसे मस्ती चढ़ने लगती है।

जब मोम आई तो मोम ने चंदा में झुमरी के बारे में पूछा तो चंदा में थोड़ी तबीयत ठीक न होने का कहा, तो मोम ने भी आराम करने को बोल दिया।

ऐसे ही शाम को जब मैं सोकर उठता है और फ्रेश होकर नीचे आता है तो देखता है की अब सब आ चुके थे, पर झुमरी नहीं, और मैं जानता था की वो क्यों नहीं है यहां?
मैं- मोम आप सभी कहां गये थे?

माम- हम सभी आज शापिंग पर गये थे, और मैंने ये इस ली है। बता कैसी लग रही हैं।

मैंने भी ध्यान से देखा मोम को, क्या मस्त माल लग रही थी। मैंने कहा- "हाट और सेक्सी लग रही हो.."

मोम- थैक्स।

फिर मैंने बाकी सभी को भी देखा। वो सभी भी मस्त माल लग रही थी। वो सभी भी पूछने लगी तो मैंने भी उनको मोम की तरह हाट और सेक्सी बोल दिया।

फिर सभी अपनी बाकी शापिंग भी दिखाने लगी की उन्होंने और क्या-क्या खरीदा है? मैं उन सेक्सी ड्रेसेस को देखकर उनमें कल्पना करने लगा की कौन किस ड्रेस में अपना जिश्म ज्यादा दिखा सकता है? उनमें कुछ इस झुमरी और चंदा के भी थे, जो मोम ने लिए थे। और उन्हें चंदा को दे दिया। सभी ऐसे ही मस्ती करने लगते हैं।

ऐसे ही डिनर का टाइम हो जाता है मोम और झुमरी डिनर बनाने लग जाते हैं की तभी डैड का काल आता है तो मोम पिक करती है और डैड ने कहा की वो आज नहीं आएंगे। किसी काम से उन्हें बाहर जाना पड़ रहा है, ये बोलते हैं। तो मोम ओके बोलकर काल कट कर देती हैं। फिर काम में लग जाती हैं।

हम सभी टीवी औन करते हैं, जिसमें न्यूज चैनेल लगा दिया जाता है और सभी देखने लगते हैं। न्यूज देखकर सभी आश्चर्य करते हैं। क्योंकी ये न्यूज दिन भर से बार-बार दिखाई जा रही थी। आखीरकार, दिखाई भी क्यों न जाती? ये शहर के एम.एल.ए. से रिलेटेड न्यूज थी। छोटे बेटे की आग अभी टंडी भी नहीं हुई थी की बड़े बेटे की मौत की खबर मिल रही थी। पूरा शहर सदमें में था कि कोई एम.एल.ए. के बेटे को मार दिया और क्रिमिनल का कोई पता ही नहीं।

न्यूज- "आज मुंबई शहर के एम.एल.ए. के बड़े बेटे अजीत की लाश मुंबई के एक सूनसान इलाके में एम.एल.ए. के कुछ आदमियों के साथ बुरी हालत में मिली। में हमारे शहर की पोलिस के लिए बहुत शर्म की बात है। अभी कुछ दिन पहले ही शहर के बड़े-बड़े लोगों के बच्चों की मौत हुई, फिर एम.एल.ए. के छोटे बेटे अमित की आक्सिडेंट में मौत हई थी, और अब एम.एल.ए. के बड़े बेटे के साथ इतने लोगों की मौत। पर पोलिस अभी तक किसी केश को साल्व करना तो दूर अभी किसी तक नतीजे पर भी नहीं पहची है। ये सब पोलिस की नाकामयाबी का नतीजा है की वो उस क्रिमिनल को न पकड़ पाई, और उसको और काइम करने को बढ़ावा दे रही है। पोस्टमार्टम से में पता चला है की इन सभी की मौत कल ही मौके पर ही हो गई थी। पर किसी को इस बात तक नहीं लगी। ये सब आने वाले समय में एक बड़ी परेशानी का कारण बनने वाली है। क्रिमिनल है। उसने कोई सुराग नहीं छोड़ा है। पर पोलिस का मानना है की मुजरिम चाहे कितना भी चालाक हो पर सुराग तो छोड़ ही देता है। अब हम इन सभी मुद्दों की तहकीकात शुरू से करेंगे..."

इस न्यूज को देखकर मैं तो फिर भी ठीक था। पर डाली की डर के मारे पशीने छूट रहे थे। पर सभी का ध्यान टीवी पर था तो किसी का ध्यान ऊपर नहीं गया। पर उन्होंने जल्दी से खुद को नार्मल कर लिया था। फिर हम सभी इसी मुद्दे पर बात करने लगे। कोई बोलता ठीक है, कोई बोलता कैसे हव... और किसने किया? हम सभी अपने-अपने देने देने में लगे हुए थे की माम की आवाज आती है।
माम- "अरे किस बात पर इतना डिस्कशन हो रहा है, कोई हमें भी बताओ?"

माम के कहने पर हम सभी उनको देखते हैं, फिर जैना दीदी सब बता देती हैं। माम भी इन सबसे कुछ टेन्शन में आ जाती हैं, फिर ऐसे ही बातें करते हए हम सभी डिनर करते हैं। झुमरी का डिनर चंदा ने उसके रूम में ही उसको दे दिया था, और हम सभी भी डिनर करके सब अपने रूम में जाकर मो जाते हैं।

एम.एल.ए हाउस एम.एल.ए. अपने बड़े बेटे अमित का कल से इंतजार कर रहा था। उसने काल भी ट्राईकी लेकिन कोई रेस्पान्स हो नहीं मिल रहा था। तब उसने पोलिस को काल कर दिया उसके बेटे अजीत का टूटने के लियें। क्योंकी छोटें बेटे अमित की मौत के बाद अब वो किसी तरह की लापरवाही नहीं करना चाहता था।

पोलिस ने एम.एल.ए. के कहने पर खोज शुरू कर दी और अजीत के फोन की लास्ट लोकेशन से उन्हें उन सभी तक पहुँचा दिया तो सभी पोलिस वाले वहां गये। पर उन्हें कुछ देर खोजने के बाद डैड बाडीस मिली। उन्होंने फौरन एम.एल.ए. फिर औंब्यालेन्स और फोगन्सक डिपार्टमेंट को बलवा लिया। एम.एल.ए. को जब उसके बड़े की खबर मिली तो उसकी हालत ही खराब हो गई। पर जल्दी ही खुद को संभालकर पोलिस की बताई लोकेशन पर पहँचा, जहां उसके बेटे की लाश पड़ी थी। वो उसे देखकर जोर-जोर से रोने लगा।
 
एम.एल.ए. काला- "अरे का हो गया मेरे बेटे का? किसने मारा मेरे बेटे का? हम उसको नहीं छाईगा.." और राते रहता है।

फिर पोलिस वाले और कुछ लोग एम.एल.ए. को संभालते है और आगे की कर्यवाई करते हैं और पोलिस अपनी छानबीन। पर मिलता कुछ नहीं है।
ऐसे दिन पूरा हो जाता है और 9:00 बजे एम.एल.ए. काला अजीत का तिम संस्कार करता है। फिर दुखी हालत में घर आ जाता है और अपने रूम में आकर कुर्सी पर बैठ जाता है। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की ये उसके साथ क्या हो रहा है? क्योंकी आज तक उसने कितने काले धंधे किये हैं, मईर किए हैं पर कुछ नहीं हुआ । पर अब ऐसा क्या हो गया की उसके दोनों बेटों और सभी आदमियों को कोई धड़ाधड़ मार रहा है।

उसने अपने बाकी सभी आदमियों को उसके बेटों के कातिल को टूटने में लगा दिया और आगे क्या और कैसे करना है, और बेटों की मौत के गम में में सभी बातें सोच हो रहा था की उसे 12:00 बजे एक काल आता है, जिसकी स्क्रीन पर बास लिखा हुआ था।

बो नाम देखकर तुरंत काल उठा लेता है क्योंकी बास यानी र2, जिन्हें आज तक किसी ने नहीं देखा था, न ही एम.एल.ए. ने देखा था तो एम.एल.ए. उन्हीं का पालतू कुत्ता था पर देखा वो भी नहीं था, और आज उनका काल देखकर वो उसे उठा लेता है। पर वो हर बार कन्फ्यू ज ही रहता था। क्योंकी हर बार आवाज अलग-अलग आती थी, या फिर दो लोगों की जिसमें उसको क्लियर नहीं हो रहा था और कुछ पूछ भी नहीं सकता था। क्योंकी पूछा तो गया अपनी जान से। उसे तो बस उनका आईप ही फालो करना था।

एम.एल.ए.- हेला बास।

बास- कैसे हो कला?

एम.एल.ए.- ये तो आप भी जानते होंगे की मेरे साथ क्या हो रहा है?

बास- हमें सब पता है काला इसीलिए आज तुम्हें हमने बुलाया है, कहा आना है उसका अड्रेस तुम्हारे फोन पर भेज दिया है, जल्दी आ जाओ।

एम.एल.ए.- ठीक है बास।

इधर शहर के बीच एक सूनसान जगह पर एक फार्महाउस होता है जहां उसे बहुत सारे गुन्डे हाथों में गन लिए सेक्योर कर रहे थे। वो जगह अभी रात के अंधेरे में भी दिख रही थी। कयोंकी इतनी रात में भी लाइट से परे फार्महाउस में रोशनी हो रही थी और रात के 11:00 बजे इस फार्महाउस में दो लोग शराब और सिगरेट बातें कर रहे थे और उन्हें देखकर लग रहा था ये दोनों काई 40-50 साल के आसपास होगें। पर उनके चेहरे से कमीनापन छलक रहा था।

चला पास जाकर उनकी बातें सुनते हैं। अरे ये क्या ये दोनों और कोई नहीं बल्की राज2 और रजत हैं। पर में दोनों यहां क्या कर रहे हैं, और इस जगह इन गुन्डों के बीच ऐसे मजे से शराब और सिगरेट पी रहे हैं। कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

राज?- बता क्यों रोका तूने मुझे?

रजत- यार तुझे तो पता है इस शहर में हमारा दबदबा बना रहे और अपना नाम भी बढ़ता रहे, हम अपने काले जुर्म की दुनियां में राज कर सकें, और कोई हमें पकड़ भी ना सके। इसलिए हम दोनों में इतना सब किया और आज हम इस जुर्म की दुनियां में राज करते हैं, कितना पैसा कमाया है हमनें?

राज- "हाँ साले, सब हम यहां से कंट्रोल करते हैं और आज हम कितने शक्तिशाली हैं। इसका एक ही कारण है की कोई भी में नहीं जानता की 72' कौन है? कैसे दिखता है? वो एक है या दो? और इस 2' का मतलब क्या है? सब राज बना हुआ ही तो है, कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। र?' यानी रंजीत और रजत हैं, दो लोग, दो शातिर दिमाग और इतना शक्ति की परा महाराष्ट्र अपन चलाते हैं.... ये बोलकर राज2 यानी रंजीत और रजत दोनों हसने लगते हैं गला फाड़कर चूतिए की तरह- "हाहाहाहा."

रजत- "लेकिन रंजीत कोई अपने धंधे की बजाने पर तुला हुआ है। पता है ना एम.एल.ए. के बेटों की मौत, साला अभी तक हमें भी पता नहीं चला। इसमें अपने आदमियों में अपने इर की जगह उस किलर की होगी। यदि हमने जल्द ही कुछ नहीं किया तो तू समझ रहा है ना... इसलिए मैंने तुझे रोका है.."

रंजीत- हाँ यार मैं भी तुझसे इस बारे में बात करने की सोच रहा था और फिर एम.एल.ए. के इस केस में हमारा ना आना हमारे लिए गलत साबित हो सकता है। क्योंकी बो हमारा भी दुश्मन है। उसे जल्द ही खतम कर देना चाहिए, बन्योंकी वो भी हमारी तरह छुप के खेल रहा है।

रजत. ही थे, और उस गिराह में एम.एल.ए. के दोनों लोडा का ऐसी जगह मारा है जहां सड़क के दोनों कर पर ही कैमरे नहीं है, जिससे उसकी कोई फुटेज मिल सके और दोनों के साथ काई लाग थे पर काई भी जिंदा नहीं बचा। बल्की मारने के 4 घंटों के बाद हमें इसका जानकारी मिली। बड़ी अजीब बात है यार।

रंजीत- ये तने सही कहा। इतनी शक्ति, इतने आदमी और कांटैक्ट होने के बाद भी, और सबसे बड़ी बात तुझं पता है मैं उसे अपनी शक्ति से भी नहीं देंट पा रहा हैं। ये बात मुझे बड़ी अजीब लगी। कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है।

रजत- ये तक्या बोल रहा है? तेरी शक्ति से भी कुछ पता नहीं लगा सका? साला ये क्या झंझट है? सालें तेरी इस बात ने मेरी झांटें तक जला दीमादरचोद, साला अब ये कौन आ गया जो हमसे भी बड़ा कमीना है?
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कड़ी_30

रंजीत- "हौं, ऐसा कौन ये नई गॅग आ गई, या फिर ये मेरे जैसे शक्ति वाले का काम है?" रंजीत ने अपना शक जाहिर करते हुए शकभरी नजर से रजत को अपनी बात बताई।

जिसे सुनकर रजत को एक झटका लगा- "तेरा मतलब क्या है इस बात से की ये काम किसी एक आदमी का भी हो सकता है? पर इतने लोगों को मारना एक आदमी के लिए, वो ऐसे गुन्डों को, वो भी दो बार अंजाम देना नामुमकिन है और त में बात किस बिना पर बोल रहा है?"

रंजीत- अबे देख, मैं भी तो ये सब कर सकता हैं और फिर मेरा अपनी शक्ति से उसे न दूँद पाना में सब इस बात के लिए शक की नजर में आती है। और ये तो तूने भी देखा था की उस जगह उन लोगों के अलावा सिर्फ एक पुरुश और स्त्री के ही जतों के निशान हैं, ना की किसी गैंग के। अब त ही बता में नहीं हो सकता क्या?
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रजत- ओहह... फक, मैंने तो ये सोचा ही नहीं। हमने अपनी शक्ति से ये बात बदल दी की उस जगह इन दो के ही फूट प्रिंट मिले हैं पोलिस को, और यदि एक बो किलर है तो वो लड़की या औरत है। जो भी है वो कौन है और दोनों जगह ही मिले थे।

मंजीत- पर अभी भी तू एक बात भूल रहा है। दोनों जगह पुरुष के पैर के निशान एक ही हैं पर स्त्री के नहीं। इसका मतलब वहां कोई और भी था, और इस बात का पता अब हमें एम.एल.ए काला से लग सकता है, तो आज उसे भी अपने बापों को देखने की खुशी देते हैं। लगा काल साले को और बुला यहां।

रजत को गंजीत की बात सही लगती है तो वो एम.एल.ए. काला को फोन करता है और उसे लाउडस्पीकर पर टेबल पर रख देता है।

एम.एल.ए.- हेलो बास।

रजत- काला कैसे हो?

एम.एल.ए.- कुछ भी ठीक नहीं है आपको तो सब पता ही है।

रंजीत- इसलिए तो तुम्हें काल किया है आज तुम 'र2' यानी हमसे मिलने वाले हो।
एम.एल.ए.-सच बास।

रजत- हाँ तुम अकेले। इस पते पर आ जाओ।

एम.एल.ए.- "ओके बास..." और काल कट।

रजत- वैसे तू घर में सभी लड़कियों की चूत के मजे लेता होगा। पर साले मुझे नहीं दिलाया अभी तक कमीने सालें।

पंजीत- अबे हामी, कहां चोदा उन रंडियों को। बल्की अभी तक किसी को चोदना तो दर हाथ तक नहीं लगाया। साली सब एक नम्बर माल बनकर घूमती हैं, पर अभी तक मेरे नीचे नहीं आई। पता नहीं साला वो लोल उधर में क्या करता है कुछ समझ में नहीं आता।

रजत- अबे तो कुछ कर ना... उसे क्या घंटा पता चलेगा? और वैसे जो-जो काम उसने बोलें थे, वो सब तो तने कर दिया। अब जिसलिए तने हाथ मिलाया उस काम को अंजाम दे।

रंजीत- अबे कैसे करण? पता नहीं कैसे, पर उसे बिला में हो रही हर चीज की खबर है और तू उसे नहीं जानता यार वो बहुत कमौना हैं। और ये सब मेरी शक्ति उसी ने दी है। अब सोच वो कितना शक्तिशाली होगा। इसलिए में उसके खिलाफ नहीं जा सकता।

रजत- पर हमें उन सभी के मजे लेने के लिए कुछ तो करना ही होगा, वरना लण्ड हिलाते रहो जिंदगी भर।

पंजीत- बात तो सही है तेरी। पर कुछ समझ में ही नहीं आता है क्या करं, कैसे करंग अब तू ही कुछ बता?

अभी रजत कुछ बोलता उसे पहले ही एक आदमी आता है और बोलता है- "सर एक आदमी आया है जो अपने आपको एम.एल.ए. काला बताता है, और कह रहा है की आपने बुलाया है."

रजत- हाँ उसे हमनें ही बुलाया है। उसे चैक करके अंदर ले आओ।

गुन्डा- औके सर।

फिर कुछ देर में एम.एल.ए. काला उस आदमी के साथ अंदर आता है, और उससे कहता है- "यही है परे महाराष्ट्र के डान 12' यानी रजत और रंजीत.."

काला उस आदमी की बात सुनकर वो टेबल पर दो आदमी को पीते हुए देखता है। उसकी तो वैसे इतने लोग और ऐसी सक्योरिटी देखकर फटी पड़ी थी, और हमें गौर से देखने के बाद वो बुरी तरह उछल पड़ता है।

काला- वो दो लोग हैं वो भी ये दोनों आश फक।

रजत- आओं काला, क्या हुआ सदमा लगा क्या हमें देखकर?

रंजीत- अरे वो तो लगना ही था। एक बिजनेसमैन तो दसरा डाक्टर जो ठहरा।

एम.एल.ए.- एस बास।

एम.एल.ए. को बैठने का इशारा करते हैं। वो उनकी सामने वाली कुसी पर बैठ जाता है। फिर उसे एक पेग शराब देते हैं। पीते हुए आगे की बातें करने लगते हैं।

रंजीत- तो अब बता काला कैसे हम सब कुछ? और याद रहे कुछ छुपाना नहीं, वरना अंजाम ठीक नहीं होगा। इतना तो तुम जान ही गये होंगे।

काला- एम बास।

रजत- तो फिर शुरू में शुरू कर।

एम.एल.ए. काला फिर सब बताते चलता है जो- जो हुआ, और जब रिया का नाम आता है तभी रंजीत उसे देखने लगता है, पर उसे रोकता नहीं और काला को भी पता होता है, जिससे उसे डर लगने लगता है। पर जब कोई कुछ नहीं कहता तो वो आगे बोलता चला जाता है और सब कुछ बता देता है। पर इससे रिया के अलावा कुछ पता नहीं चल पा रहा था।

पंजीत- "तो तुम्हें भी नहीं पता की तरे दोनों बेटों को किसने मारा? और त जानता है तू अंजाने में किससे पंगा ले रहा था. रंजीत की बात सुनकर काला की हवा टाइट हो जाती है।

पर काला फिर कुछ सोच कर बोलता है- "वो बास मुझे पता नहीं था प्लीज... मुझे माफ कर दो और फिर मैंने कुछ नहीं किया था.."
 
रजत. ही ऑके, अब तू निकल लेकिन जो तू जान चुका है उसे किसी को पता नहीं चलना चाहिए समझा।

काला- "ओके बास्स... ऐसा ही होगा.." फिर काला चला जाता है।

वो दोनों सोचने लगते हैं। पर किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। बहुत सोचने के बाद रजत बोलता है "रंजीत इन सबके बारे में तो अब सिर्फ रिया ही बता सकती है...'

रंजीत- साले गान्डू, ऐसे कैसे उससे उस दिन के बारे में पूछ सकता ह ऐसे तो उसको शक हो सकता है।

रजत- ही यार, ये तो है। अब तू ही कुछ सोच।

रंजीत- हम्म... कोई मौका मिलते ही उससे सब जानने की कोशिश करेगा।

रजत- हाँ ये ठीक रहेगा, चल अब सोते हैं।

रजत की बात पर रंजीत भी हामी भरता है और फिर दोनों सोने चल जाते हैं। उसे कुछ पता नहीं चल पाया इतना बड़ा नेटवर्क होने के बाद भी। क्योंकी हमने उस टाइम इन सब चीजों पर ध्यान ही नहीं दिया।

घर में में भी डिनर करने के बाद अपने रूम में सोने चला आया, पर चूत के बिना नींद नहीं आ रही थी। तो सबके सोने के बाद वही नाइट-क्लब चल दिया, और आज भी मुझे वही औरत मिल गई तो वो मुझे देखते ही मेरे पास चली आई।

औरत- आओं मेरे राजा, कितने दिन से तुम्हें ढूँढ रही थी पर मिल ही नहीं रहे थे। चलो मजे करते हैं।

मैं- क्यों नहीं मेरी रंडी। चल आज तो खूब चोदूंगा तुझे।

फिर दोनों एक रूम में गये और शुरू हो गया जंगली सेक्स। उसे 3 घंटे लगे और पीछे से बजाने के बाद घर आ गया और मजे से सो गया।

फिर सुबह मैं नंगा था, कमर तक बेडशीट थी जिसमें भी लण्ड खड़ा होकर तंबू बनाए हुए था। अब मैं तो घोड़े बैंचकर सो रहा था की मोम आती हैं मुझे जगानें। पर उन्हें मंग तंबू देखकर झटका लगता है, फिर कुछ देर में ही वो गर्म हो जाती हैं।

मोम मन में- "आहह... इतना मोटा और बड़ा तंबू बनाए है। मेरी तो चूत में खुजली होने लगी है। ऐसा लग रहा है की अभी जाकर दोनों पैर खोलकर सीधा उसके ऊपर बैठ जाऊँ। लेकिन फिर क्या होगा,
फिर पता नहीं मेरी मारेगा की नहीं? और एक बार बैठ गई तो मेरी पूरी फट जाएगी आअहह... अहह..." फिर नाइटी के ऊपर से ही चूत रगड़त हए- "आह्ह... मेरे बेटे, फरक आहह... साली मेरी चूत कितना तड़प रही है अपने बेटे का ये गधे जैसा लण्ड लेने के लिए आह्ह... फिर अपने बेटे को गर्म करके अब इस लण्ड को अपनी चूत में लूँगी..." ये सोचकर वो मुझे हिलाकर उठा देती है।

मैं भी कुछ देर में आँखें खोल देता हूँ।
मोम- "चल उठ जा और फ्रेश हो जा, नहीं तो तू बेडशीट गंदा कर देगा और तेरे इस तंबू में कोई नहीं रहने बाला। चल उठ जा..."

में मोम की बात सुनकर पहले तो समझ नहीं पाता और जब मुझे अपने तंबू का पता चलता है तो सब समझ जाता हैं। और मैं कुछ बोलता उसके पहले ही माम चली गई थी तो मैं भी उठकर नंगा ही बाथरूम में जाता हैं और मोम के बारे में सोचकर लण्ड का पानी निकालता हैं। फिर फ्रेश होकर स्कूल के लिए तैयार होकर नीचे आता हैं।

जब मैं नीचे आया तो अभी कोई नहीं था, बरना इँड होते हैं नाश्ता के लिए। तो मैं किचन में जाता है, जहां झुमरी एक मस्त कुकिंग ड्रेस में मोम के साथ नाश्ता तैयार कर रही थी। आज तो मोम टाइट जीन्स में थी जिसमें मोम की माटी गाण्ड क्या मस्त लग रही थी।

मैं भी तो सोच रहा था की साला अभी तो पानी निकालकर उसे मुलाया था, पर ये ता चूत मारने के लिए फिर तैयार हो गया। जब में किचेन में आया तो माम ने मुझे देखा और एक सेक्सी स्माइल दी, तो मैं भी कमीनी स्माइल दे दिया और पीछे से जाकर उनसे चिपक गया और लण्ड को तो ज्यादा ही उनकी गाण्ड में घुसाने के लिए कमर को आगे दबाता हैं।

मोम मन में- "अरे ये तो खुद मेरी मारने के चक्कर में है। देखो तो झुमरी के सामने ही कैसे अपना लण्ड मेरी गाण्ड में दबा रहा है, लगता है ये खुद मेरी प्यास बुझा देगा आज..."

मोम- क्या बात है आज अपनी मोम को रेसे मक्खन लगाया जा रहा है?

मैं- नहीं, वो डैड नहीं है तो.. उनके बारे में पूछने आ गया की डैड नहीं आए क्या?

मोम मन में- "मतलब इसका बाप नहीं है, तो मजे ले रहा है की इसका नंबर लग जाए। पर इसे क्या पता उन्हें तो मैंने कितने दिन से हाथ तक नहीं लगाने दिया। जब से कपड़ों के ऊपर से इसके लण्ड को देखा है मुझे इसके अलावा कुछ दिखता ही नहीं.."

मोम- "तो इसलिए अपनी मोम के पास आया है? वो तेरे डैड का सुबह काल आया था, बोल रहे थे की वो सीधे ही आफिस निकल जाएगगें, कुछ काम है..."

झुमरी मन में जो कब से इन दोनों को देख और सब सुन रही थी- "देखो साली कैसे नाटक कर रही है? जैसे कुछ पता नहीं है की गधे जैसा लण्ड इसकी गाण्ड में घुसा पड़ा है। पर ये भी क्या करें? साला कितना कमाना है में और इसका लण्ड कया चोदता है। आज ही मेरी चूत ठीक हई है क्या-क्या करने के बाद आहह..'

मैं- ठीक है मोम, नाश्ता के लिए इंतजार करता है। आप जल्दी से ले आओ।

मा- ठीक है. मैं अभी लाती है सब तैयार है।

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कड़ी_31
मैं डिनर टेबल पर नाश्ते का इंतजार कर रहा था की घर की बाकी माल भी आ गई। सबने गड मानिंग विश किया। में सोचने लगा की साली ये भी क्या माल हैं, और मस्त होती जा रही हैं सबको रगडूंगा फाड़ के रख दंगा। इतने में माम और झुमरी नाश्ता ले आती हैं, और सब नाश्ता करके निकल जाते हैं। हाली, मिशा, नैना
और रिया।

मैं तो स्कूल की तरफ चल देता हैं। वहां पहुँच कर देखता हूँ की आज भी अभी तक रवि नहीं आया था। पर कुछ देर में ही रवि और रेणु भी आ गये और क्लास में हम तीनों साथ ही बैठते हैं।

लेकिन साली मेडम आज नहीं आई थी, और मुझे भी पता था की ऐसे उसकी फाड़ने के बाद वो आज नहीं आएगी। आज क्या वो तो दो-तीन दिन नहीं आएगी। लेकिन तब तक इस लण्ड का क्या करी? कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

ऐसे ही लंच हो जाता है और रवि मुझे कुछ कहने के लिए साइड में बुलाता है, तो मैं उसके पास जाता हैं। पर बो कुछ बोलता उससे पहले ही उसकी मोम का काल आ जाता है, जो उसे अभी किसी काम के लिए बोल रही थी। जिससे वो मुझं बाद में बात करने का बोलकर निकल जाता है। फिर मैं सोचता हूँ की अब क्या करं? कुछ समझ में नहीं आ रहा था तो ऐसे ही स्कूल ग्राउंड में घूमने लगा। कोई 10 मिनट बाद घूमते हुए मुझे रेण एक दीवार पर किताब के साथ दिखी, उसमें घुसी हुई दिखी।

लेकिन सबसे बड़ी बात थी की वहां सिर्फ कुछ ही बच्चे थे, जिनमें से भी तीन-चार लड़के थे बाकी लड़कियां थीं। पर वो लड़के बार-बार रेणु के सामने ही कभी घूमतें तो कभी खड़े होकर बातें करते। पर जो बात अजीब लगी, वो ये की उनका ध्यान हमेशा एक दूसरे पर न होकर रेणु की तरफ होता। वैसे तो रेणु एक मस्त माल थी पर आज ही उसके लिए ऐसा करना कुछ अजीब था। पर फिर कुछ देर में ही मेरी समझ में बात आ गई। तब तक तो मैं भी उसके पास पहुँच चुका था।

बो ऐसे की जब मैं उनको देख रहा था तो सभी बार-बार नीचे बैठकर रेण की दोनों टौंगों की बीच देखतं, और पैंट के ऊपर से अपनी लल्ली रगड़ते। साला मैंने थोड़ा सामने जाकर देखा तो सब समझ गया। साली कमीनी जानबूझ कर इस सभी को अपनी चूत दिखाकर इसके मजे लेकर खुद मजे कर रही है। साली में अपनी सफेद पैंटी भी साइड कर रखी है, ताकी सब खुलकर देख सके। अब राज? और अपनी मोम की सेक्स फिल्म लाइव वो खूब देख चुकी थी।

अब उसकी चूत लण्ड लिए बिना नहीं मानने वाली थी, ऊपर से बी.डी. के लण्ड का इतना बड़ा उभार उसे और मस्त कर देता था। और राज? और अपनी मोम का सेक्स देखकर उसकी ये काम इच्छा होती की वो उसके बेटे से अपनी चूत चुदाए। लेकिन बी. डी. उसे ज्यादा गर्म करने के चक्कर में भाव नहीं देता था। अब तो वो इतनी गर्म हो चुकी थी की कोई भी उसे चोदने के लिए बोले तो, वो मना नहीं करेंगी।

मैं जब उसकी दोनों टाँगों के बीच सफेद पैटी साइड किए हुए उसकी मस्त चूत देखता हूँ तो मुझे भी लग रहा था की अब तो इसे चोद ही देना चाहिए। साली की सील पैक चूत है। मैंने तो अभी तक नहीं मारी, लगता है अब जल्द ही मार लँगा। में उसके पास जाकर उससे बात करने के लग जाता है।

मैं- हाय, रेणु क्या कर रही हो?

रेणु मेरी आवाज सुनकर पहले चकित होती है क्योंकी में कभी उसे ज्यादा भाव नहीं देता था, और आज खुद आया हैं पर जल्दी ही उसे इतनी देर से कर रही मजे के बारे में याद आता है तो उसे सब समझ में आ जाता है। वो सोचती की की कमीना चूत देखते ही आ गया। पहले बना देता की चूत की वजह से आ जाएगा, तो अब तक तो पता नहीं कितनी बार मार चुका होता।

रेणु थोड़ी नाटक करते हुए- "हाय, दिख नहीं रहा पट रही हूँ.."

में बात सुनकर सब समझ जाता है की अब इसके चूत नाटक होंगे, एक बार मारने दे साली। ऐसा फाइंगा की 3 दिन तक बिस्तर में उठ नहीं पाएगी। साली दंख कैसे तेरी सेक्सी मोम भी तेरी चूत देखकर मुझसे अपनी गाण्ड मरवाने आ जाएगी।

मैं- "अरे यार क्यों गुस्सा कर रही हो? मैंने तो बस ऐसे ही बाल दिया था। मैं तो तुझे हेला ही बालने आया था। अब तुझे परेशानी है तो कोई बात नहीं, में चला.."

वो मेरी सुनकर पहले मजे लेकर खुश हो रही थी। अब फिर ऐसा लण्ड जाने की सोचकर फट से बोलने लगी "अरे सारी... सारी वो में ऐसे ही मजाक कर रही थी। तुम तो सीरियस हो गये।

मैं उसे जाल में फंसाते हुए. "ओके, मैं कह रहा था की पहले तुम मुझे छोटी बच्ची लगती थी तो मैंने सोचा तुम्हें कुछ नहीं पता है। मैंने तुम्हें गर्लफ्रेंड बनाने से भी मना कर दिया था। पर मुझे लगता है की तुम सबके लिए तैयार हो, इसलिए मैं तुम्हें एक आफर दे रहा है की तुम मेरी एक रात के लिये गर्लफ्रेंड बनो। यदि दोनों को मजा आया तो आगे जारी रखेंगे, वरना पूरा स्टाप, तो अब तुम्हारा क्या कहना है?"

रेण मन में- "अबे त एक बार मजे तो ले साले... ऐसा मेरी चूत का चस्का देंगी की मेरे आगे-पीछे घूमेंगा चूत के लिए और वैसे मुझे कौन सा इससे शादी करनी है। इसके लण्ड और पैसों से मजे ही तो करने हैं, जिससे मेरी जिशम की प्यास भी बुझ जाए और बाकी मजे भी कर सकू... फिर मोम भी तो कह रही थी की मैं इसे पटाऊँ
 
और लाइफ के पूरे मजे करं। और इसे अपने जिम में ऐसा लपेटू की साला फिर कहीं और जा ही नहीं सके। और अब तो खुद इसने इतना मस्त आफर दिया है तो हाथ से कैसे जाने दूं?"

मैं क्या सोच रही हो यार, हाँ या ना?

रेण- ओके में तैयार हूँ पर जाएंगे कहा, जहां हम ये सब कर सकें।

मैं मन में- "अब आएगा मजा... जवान सील पैक माल जो मिल रहा है। मेरा लण्ड तो साला अभी से टनटनाना शुरू कर दिया है।

मैं- "अब आज तो नहीं हो पाएगा। कल करते हैं तुम्हारे घर में। क्योंकी वहां तो वैसे भी कोई नहीं होता है, तुम क्या बोलती हो?"

रेण- हाँ, ये ठीक रहेगा। पर कितने बजे?

में कल 12:00 बजे ठीक रहेगा, ओके अब मैं चलता है अपने घर।

रेण- क्यों अभी तो और क्लासेस बाकी हैं, उन्हें नहीं लेना क्या?

मैं मन में. "अब इसे क्या बोले की में पढ़ने नहीं, बस चूत के लिए आता हैं। मुझे तो बक देखें ही पता नहीं कितना टाइम हो गया..."

मैं- नहीं, वो मुझे कुछ काम है यार। ओके बाड़।

रेण- ओंके बाड़।

मैं भी घर चल देता हैं। क्योंकी अब तो वैसे भी बोर ही होना है। मैंने तो सोचा था की मेंडम आएंगी तो उनकी मारोंगा। लेकिन साली पता नहीं कहां मरा रही है की आई ही नहीं।

मैंने घर आकर बेल नहीं बजाई सीधा दरवाजा खोलकर अंदर चल दिया अपने रूम की तरफ। लेकिन मुझे घर में जाते हुए किसी ने नहीं देख, यानी क्या कोई घर पर नहीं है? पर अभी मैंने ज्यादा ध्यान न देते ए अपने रूम में आकर अपने कपड़े चेंज कर के फ्रेश हुआ और कुछ खाने के लिए नीचे चल दिया। जब में नीचे आ रहा था तभी मोम किचेन से अपने रूम में जा रही थी।

मैं नीचे आकर देखा तो वहां कोई नहीं है। शायद झुमरी अब तक आराम कर रही है। फिर मैंने किचेन से पानी पिया, तो एक बार मोम के रूम में झोंक कर देखने की काम इच्छा हई तो मैं जाकर मोम के गम का दरवाजा धीरे-धीरे से खोलने लगा।

जब दरवाजा मेरा सिर अंदर घुस जाए, इतना खुल गया तो मैंने सिर अंदर डालकर देख तो जो देखा उसे देखकर मैं इतना मस्त हो गया की लण्ड झट से तनकर ऐसा कड़क हो गया की साला दर्द करने लगा था लोवर में, और आगे से टेंट की तरह बन गया था। पर मैं तो मेरे सामनें चल रहे उस मस्त और हाट सीन को देखकर अपनी वासना में खाता ही जा रहा था, मस्ती बढ़ रही थी, लण्ड अपना पानी छोड़ने के लिए फड़फड़ा रहा था।

अभी 12:00 बजे वाले थे तो शायद माम नहाने जाने के लिए आई थी। शायद घर का काम कर रही थी, आज झुमरी जो नहीं थी। इसलिए वो अभी नहाने जा रही थी और उन्होंने अपने सुबह वाले कपड़े पहने हुए थे, जिन्हें बा उतार रही थी।

जब मैं सीन देख रहा था। जिसमें माम मेरी तरफ पीठ किए थी और मोम ऊपर से शर्ट तो निकाल चुकी थी सिर्फ पिंक ब्रा में थी। आज दिन के उजाले में उनका जिम क्या मस्त लग रहा था, एकदम पटाका, कंचा माल और वो अभी अपनी जीन्स उतार रही थी, और अभी शुरु ही की थी, जिसमें उनकी पिक पैटी भी दिख रही थी। ये मेरे लिए सबसे मस्त सीन था। क्योंकी मुझे गाण्ड फाड़ने में मजा आता था, क्योंकी गाण्ड टाइट जो होती श्री तो लण्ड दबाकर घुसता था। वैसे भी मैं मोम की मोटी मस्त गाण्ड नहीं मार पाया था तो उसके लिए मुझे उसे मारने का एक अलग ही नशा चढ़ चुका था।

मोम ने अब अपनी जीन्स को अपने घुटने तक उतार लिया था। पर मुझे उनकी माटी गाण्ड पिक मस्त पैटी में क्या मस्त दिख रही थी। साला मेरा लण्ड तो फटने को हो गया था। कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। ये सब देखने के बाद सिर्फ एक ही चीज दिमाग में घूम रही थी की इस मस्त माटी गाण्ड का जमकर चोदा जाए मेरे लण्ड से।

मैं मोम को ऐसे देखकर जल्दी से बिना आवाज किए रूम के अंदर आ गया और अपना लण्ड बाहर निकालकर उसे हिलाने लगा। क्या मजा था यार, मैं तो मस्ती में मस्त हये जा रहा था की मोम सामने के शीशे में मुझे अपने रूम में खुद को देखते हुए लण्ड हिलाता देख चकित हो गई। और लण्ड का साइज देखकर फिर झटका लगा। पर कुछ ही देर में उन्हें भी इतने दिन से देखकर जिस लण्ड से चुदने के लिए मचल रही थी तो उन्होंने सोचा इससे अच्छा मौका फिर नहीं मिलेगा।

मोम अचानक पलटते हुए. "अवी, तू यहां और वो भी ऐसी हालत में? और ये तुम क्या कर रहे हो कमीने?" और ये बोलकर वो एक पतली सी नाइटी पहन लेती हैं। पर उसका पहनना ना पहनना एक जैसा ही था, क्योंकी उसमें से सब दिख रहा था।
 
मैंने मन में सोचा- "साली कितना नाटक करती है? हर रोज तो मेरा लण्ड लेने के लिए कैसे घर रही होती है

और वैसे काई में इसे पहली बार थोड़े ही चोद रहा है. अब इसे क्या पता की रति के लिए तो ये पहली टाइम ही है, क्योंकी उसकी तो यादें अभी भूल चुकी है।

में "वो.. वो मोम मैं तो तुम्हें देखने आया था। लेकिन तुम्हारी गाण्ड देखकर रुक गया, सच में मोम तुम्हारी गाण्ड मस्त है."

मोम मेरी बात सुनकर मस्त भी होती हैं और गुस्मा भी- "ये तुम अपनी मोम से कैसी बात कर रहे हो? शर्म नहीं आती तुम्हें और ये तुम मेरी गाण्ड के बारे में क्या बोल रहे थे?"

मैं- "वो मोम... मैं एकदम सच बोल रहा हैं। तुम्हारी गाण्ड तो क्या मस्त है मोटी-मोटी, गोल-गोल और इतनी उभरी हुई की कोई भी इसे मारने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाए."

मोम अब तो मेरी बात सुनकर गर्म होनी शुरू हो गई थी, जहां वो मेरा लण्ड देखकर खुद को कंट्रोल कर रही श्री। क्योंकी वो इतने जल्दी गर्म नहीं होना चाहती थी। वो तो मुझे और सिड्यूस करना चाहती थी। लेकिन मेरी बातों में उनकी चूत की आग अब भड़क चुकी थी।

मोम- "क्या सच में मेरी गाण्ड इतनी मस्त है की वो मेरे बेटे का लण्ड खड़ा कर सकती है?"

में ता मोम की बात सुनकर मस्त हो गया। क्योंकी अब तो मोम भी पूरी मेरी तरह चुदासी होकर बात कर रही थी। अब मुझे पता चल गया था की अब थोड़ी देर में ये मेरे लण्ड के नीचे होंगी।

मैं- "हाँ माम... और तुम्हारी ये इतनी बड़ी-बड़ी चूचियां भी कन्या कम हैं इन्हें तो दबा-दबा के मसलने और पीने में मजा आएगा..."

मोम- तो तुम अपनी मोम की सालों की प्यास बुझा पाओगे?
-
मैं- हाँ ही क्यों नहीं मोम... देखना मैं तो आपको इतना रगड़ के चोदूंगा की आपकी पूरी चूत चौड़ी हो जाएगी।

फिर मोम मस्ती से चलकर मेरे पास आती हैं, और दरवाजा लाक करके मेरे लण्ड को पकड़कर बैड के पास खड़ी हो जाती हैं, तो मैं मोम को किस करने लग जाता हैं। वो भी मुझे किस में साथ दे रही थी, तो कुछ ही देर में हम जंगली हो जाते हैं। मैं मोम की चूचियों को भी अपने हाथों से मसलने लगता हैं।

मोम- "आह.. अहह... » आह्ह... आह... उहह आहह...

माम भी पूरी गर्म हो गई थी। अब ता वा भी जंगली होकर मेरा साथ दे रही थी। ऐसा मेरे साथ काई नहीं कर पाया था। अब तो वो भी मेरे मोटे और लंबे लण्ड को हाथ में लेकर हिला रही थी, जिससे मुझे भी मस्ती और बढ़ने लगी। अब तो साला मैं और जोर-जोर से ये सब कर रहा था, और मोम के हाथों की मस्ती से मेरे को मजा भी आ रहा था।

मैं- "आह्ह... ही उम्म... ऐसे ही क्रया मस्त चीज हो यार तुम... पहले तुम कैसी कुछ नहीं की... आअहह.. सो
हाट..."

ऐसे ही कुछ देर के बाद अलग होकर मैं मोम की नाइटी में से मोम की चूचियां निकालकर उसे मसलते हमें चूसने लगता है। अब मेरी चुदास पूरा बढ़ गई थी। ये सिर्फ मोम के साथ ज्यादा होता था, क्योंकी में मोम के पास आता था, तभी कई बातें दिमाग में आती थीं, जैसे उन्हें प्यार करो, या कभी ऐसा चोदो की चूत भी भीख मांगे और मुझे तो हर बार चूत फाड़ना ही अच्छा लगता है और मैं उसे ही चुनता था।

मोम- "आह्ह... अहह... उहह ... हाँ तुम कितने चुदक्कड़ हो मेरे बेटे आह्ह... मज्जा आ रहा है है... हौं ऐसी ही चूसो मेरी चूचियों को.."

में एक चूची को चूसते हुए दूसरी चूची को मसल रहा था। फिर कुछ देर बाद में बैड पर बैठकर उनकी चूचियां चूसने लगा। पर अब मैं अपने हाथ पीछे लेजकर उनकी गाण्ड के दोनों चूतड़ो को अपने हाथों से कसके मसलता, जिससे मोम की मस्ती और बढ़ जाती। वो तो अब खुलकर सब बोल और कर रही थी।

मोम- "ऊहह... ही आह्ह... दर्द हो रहा है, थोड़ा धीरे... ऐसे ही मेरे बेटे... तेरी मोम कहीं नहीं जा रही.."
 
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