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एक अनोखा बंधन--11
गतान्क से आगे.....................
मैने 2 दिन बाद का टिकेट करवा दिया ज़रीना का किसी को बोल कर. एमरान कही गया हुवा था इश्लीए उस से वो खत नही ले पाई मैं. पता नही कैसे उसे भनक लग गयी की ज़रीना गुजरात जा रही है और वो उस दिन सुबह आ धमका यहाँ जिस दिन ज़रीना को दोपहर को निकलना था.
“खाला ये सब क्या हो रहा है मेरी पीठ पीछे.”
“क्या हुवा एमरान मैं कुछ समझी नही.”
“हमें पता चला है कि ज़रीना आज गुजरात जा रही है. क्या मैं पूछ सकता हूँ कि मेरी होने वाली बीवी मुझसे पूछे बिना गुजरात क्यों जा रही है.”
मुझे बहुत गुस्सा आया उसके ऐसे बर्ताव पर, मैं बोली, “अभी वो बीवी हुई नही है तुम्हारी एमरान. और मैने ये शादी ना करने का फ़ैसला लिया है. ज़रीना को तुम पसंद नही हो.”
“हां-हां उसे तो वो काफ़िर पसंद है. ये हमारे प्यार की बेज़्जती है खाला और हम ये कतयि बर्दास्त नही करेंगे.”
मैने पहली बार एमरान को ऐसे रूप में देखा था. वो मुझसे पूछे बिना ही सीधा ज़रीना के कमरे की तरफ चल दिया.
मैने उसे टोका, “एमरान रूको कहा जा रहे हो.”
“आप बीच में ना पड़े खाला ये मेरे और ज़रीना के बीच की बात है.”
“रूको यही…तुम होते कौन हो ऐसा बोलने वाले.” मैं चिल्लाई
पर एमरान पहुँच गया ज़रीना के पास और जब मैं वाहा पहुँची तो उसने ज़रीना के बाल पकड़ रखे थे. दर्द से कराह रही थी मेरी बच्ची. एमरान उस वक्त एक शैतान लग रहा था मुझे.
मैने छुड़ाने की कोशिस की पर मुझे धक्का दे दिया एमरान ने. सर पर मेरे बहुत गहरी चोट लगी. ये तो ज़रीना ने हिम्मत दीखाई. उसके हाथ के करीब ही एक आइरन रखी थी. उसने उठा कर वो एमरान के सर पर दे मारी. एमरान गिर गया नीचे. हम दोनो तुरंत बाहर आ गये और बाहर से कुण्डी लगा दी.
“ज़रीना तुम अभी निकल जाओ यहा से. शमीम और उसके अब्बा को पता चल गया तो और ज़्यादा मुसीबत हो जाएगी. तुझे तो पता ही है कि किस तरह से सलमा को काट डाला था उन दोनो ने. इस से पहले कि बात और ज़्यादा बिगड़े तुम चली जाओ यहा से और अपनी जींदगी में खुस रहो.
“मेरा वो खत खाला.”
“खत से ज़्यादा ज़रूरी तुम्हारा यहा से निकलना है. ये एमरान दरवाजा तौड देगा जल्दी ही. तुम जाओ मेरी बच्ची और खुश रहो. बस यही दुवा कर सकती हूँ मैं तुम्हारे लिए. इस से ज़्यादा और कुछ नही कर सकती तुम्हारे लिए.”
मैने ज़रीना को पैसे भी दे दिए ताकि सफ़र में कोई दिक्कत ना हो.
मगर ज़रीना को निकले अभी 10 मिनिट ही हुवे थे कि एमरान भी दरवाजा तौड कर बाहर आ गया.
“खाला आपने ये अछा नही किया. हम आपको कभी माफ़ नही करेंगे. मैं भी देखता हूँ कि कैसे पहुँचती है ज़रीना गुजरात. अगर वो मेरी नही हुई तो किसी की भी नही होगी.” एमरान निकल गया घर से अनाप सनाप बकते हुवे. उसका सही चरित्र तो मुझे उस दिन ही पता चला था. अछा हुवा जो मैने अपनी भूल सुधार ली.
मगर बेटा उस दिन के बाद ना ज़रीना का कुछ पता है ना एमरान का. उस दिन से आज तक कुछ खबर नही है ज़रीना की. ना ही एमरान का कुछ आता पता है.
“हे भगवान इतना कुछ हो गया ज़रीना के साथ और मैं वाहा पड़ा हुवा सोता रहा. इस से अछा तो भगवान मुझे मार ही देते.”
“अल्लाह रहम करे तुम दोनो की महोब्बत पर. मुझसे जो बन पड़ा मैने किया. इस से ज़्यादा कुछ नही कर सकती थी मैं.”
मौसी की बाते सुन कर आदित्या तो बिखर सा गया. समझ नही पा रहा था कि कैसे रिक्ट करे. ज़रीना के साथ क्या बीती होगी ये सोच-सोच कर उसका दिमाग़ घूम रहा था.
“क्या आपने पोलीस में कंप्लेंट की ज़रीना की गुमशुदगी की?” आदित्य ने भावुक आवाज़ में पूछा.
“की थी बेटा की थी. पर कुछ फ़ायडा नही हुवा. मैं गुजरात भी गयी थी उसे ढूँडने. मुझे लगा था कि वो गुजरात में ही होगी तुम्हारे साथ. पर तुम्हारे घर तो ताला लगा था. हमारी जान-पहचान के जो लोग हैं वाहा सब से मिली मैं. पता नही क्यों यही अंदेसा होता है कि कुछ अनहोनी हुई है उसके साथ.”
“नही…नही ऐसा नही हो सकता. मेरी ज़रीना को कुछ नही हो सकता. भगवान इतने निर्दयी नही हो सकते.” आदित्य पागलो की तरह बोला. बात ही कुछ ऐसी थी.
“हां बेटा उम्मीद तो मैं भी यही रखती हूँ कि ज़रीना ठीक होगी ज़हा भी होगी.”
“बहुत…बहुत धन्यवाद आपका जो आपने इतना कुछ किया ज़रीना के लिए. क्या आप एमरान के घर का पता बता सकती हैं.” आदित्य ने भावुक हो कर कहा.
“वाहा मत जाना और यहा आस पास किसी से बात भी मत करना. तुम्हारी जान पे बन आएगी. चुपचाप यहा से जाओ बेटा. यहा तुम दोनो के प्यार को कोई नही समझ सकता.” मौसी ने कहा.
“फिर भी बता दीजिए, क्या पता कोई सुराग मिल जाए ज़रीना के बारे में.”
“ठीक है बेटा, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.” मौसी ने कहा.
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गतान्क से आगे.....................
मैने 2 दिन बाद का टिकेट करवा दिया ज़रीना का किसी को बोल कर. एमरान कही गया हुवा था इश्लीए उस से वो खत नही ले पाई मैं. पता नही कैसे उसे भनक लग गयी की ज़रीना गुजरात जा रही है और वो उस दिन सुबह आ धमका यहाँ जिस दिन ज़रीना को दोपहर को निकलना था.
“खाला ये सब क्या हो रहा है मेरी पीठ पीछे.”
“क्या हुवा एमरान मैं कुछ समझी नही.”
“हमें पता चला है कि ज़रीना आज गुजरात जा रही है. क्या मैं पूछ सकता हूँ कि मेरी होने वाली बीवी मुझसे पूछे बिना गुजरात क्यों जा रही है.”
मुझे बहुत गुस्सा आया उसके ऐसे बर्ताव पर, मैं बोली, “अभी वो बीवी हुई नही है तुम्हारी एमरान. और मैने ये शादी ना करने का फ़ैसला लिया है. ज़रीना को तुम पसंद नही हो.”
“हां-हां उसे तो वो काफ़िर पसंद है. ये हमारे प्यार की बेज़्जती है खाला और हम ये कतयि बर्दास्त नही करेंगे.”
मैने पहली बार एमरान को ऐसे रूप में देखा था. वो मुझसे पूछे बिना ही सीधा ज़रीना के कमरे की तरफ चल दिया.
मैने उसे टोका, “एमरान रूको कहा जा रहे हो.”
“आप बीच में ना पड़े खाला ये मेरे और ज़रीना के बीच की बात है.”
“रूको यही…तुम होते कौन हो ऐसा बोलने वाले.” मैं चिल्लाई
पर एमरान पहुँच गया ज़रीना के पास और जब मैं वाहा पहुँची तो उसने ज़रीना के बाल पकड़ रखे थे. दर्द से कराह रही थी मेरी बच्ची. एमरान उस वक्त एक शैतान लग रहा था मुझे.
मैने छुड़ाने की कोशिस की पर मुझे धक्का दे दिया एमरान ने. सर पर मेरे बहुत गहरी चोट लगी. ये तो ज़रीना ने हिम्मत दीखाई. उसके हाथ के करीब ही एक आइरन रखी थी. उसने उठा कर वो एमरान के सर पर दे मारी. एमरान गिर गया नीचे. हम दोनो तुरंत बाहर आ गये और बाहर से कुण्डी लगा दी.
“ज़रीना तुम अभी निकल जाओ यहा से. शमीम और उसके अब्बा को पता चल गया तो और ज़्यादा मुसीबत हो जाएगी. तुझे तो पता ही है कि किस तरह से सलमा को काट डाला था उन दोनो ने. इस से पहले कि बात और ज़्यादा बिगड़े तुम चली जाओ यहा से और अपनी जींदगी में खुस रहो.
“मेरा वो खत खाला.”
“खत से ज़्यादा ज़रूरी तुम्हारा यहा से निकलना है. ये एमरान दरवाजा तौड देगा जल्दी ही. तुम जाओ मेरी बच्ची और खुश रहो. बस यही दुवा कर सकती हूँ मैं तुम्हारे लिए. इस से ज़्यादा और कुछ नही कर सकती तुम्हारे लिए.”
मैने ज़रीना को पैसे भी दे दिए ताकि सफ़र में कोई दिक्कत ना हो.
मगर ज़रीना को निकले अभी 10 मिनिट ही हुवे थे कि एमरान भी दरवाजा तौड कर बाहर आ गया.
“खाला आपने ये अछा नही किया. हम आपको कभी माफ़ नही करेंगे. मैं भी देखता हूँ कि कैसे पहुँचती है ज़रीना गुजरात. अगर वो मेरी नही हुई तो किसी की भी नही होगी.” एमरान निकल गया घर से अनाप सनाप बकते हुवे. उसका सही चरित्र तो मुझे उस दिन ही पता चला था. अछा हुवा जो मैने अपनी भूल सुधार ली.
मगर बेटा उस दिन के बाद ना ज़रीना का कुछ पता है ना एमरान का. उस दिन से आज तक कुछ खबर नही है ज़रीना की. ना ही एमरान का कुछ आता पता है.
“हे भगवान इतना कुछ हो गया ज़रीना के साथ और मैं वाहा पड़ा हुवा सोता रहा. इस से अछा तो भगवान मुझे मार ही देते.”
“अल्लाह रहम करे तुम दोनो की महोब्बत पर. मुझसे जो बन पड़ा मैने किया. इस से ज़्यादा कुछ नही कर सकती थी मैं.”
मौसी की बाते सुन कर आदित्या तो बिखर सा गया. समझ नही पा रहा था कि कैसे रिक्ट करे. ज़रीना के साथ क्या बीती होगी ये सोच-सोच कर उसका दिमाग़ घूम रहा था.
“क्या आपने पोलीस में कंप्लेंट की ज़रीना की गुमशुदगी की?” आदित्य ने भावुक आवाज़ में पूछा.
“की थी बेटा की थी. पर कुछ फ़ायडा नही हुवा. मैं गुजरात भी गयी थी उसे ढूँडने. मुझे लगा था कि वो गुजरात में ही होगी तुम्हारे साथ. पर तुम्हारे घर तो ताला लगा था. हमारी जान-पहचान के जो लोग हैं वाहा सब से मिली मैं. पता नही क्यों यही अंदेसा होता है कि कुछ अनहोनी हुई है उसके साथ.”
“नही…नही ऐसा नही हो सकता. मेरी ज़रीना को कुछ नही हो सकता. भगवान इतने निर्दयी नही हो सकते.” आदित्य पागलो की तरह बोला. बात ही कुछ ऐसी थी.
“हां बेटा उम्मीद तो मैं भी यही रखती हूँ कि ज़रीना ठीक होगी ज़हा भी होगी.”
“बहुत…बहुत धन्यवाद आपका जो आपने इतना कुछ किया ज़रीना के लिए. क्या आप एमरान के घर का पता बता सकती हैं.” आदित्य ने भावुक हो कर कहा.
“वाहा मत जाना और यहा आस पास किसी से बात भी मत करना. तुम्हारी जान पे बन आएगी. चुपचाप यहा से जाओ बेटा. यहा तुम दोनो के प्यार को कोई नही समझ सकता.” मौसी ने कहा.
“फिर भी बता दीजिए, क्या पता कोई सुराग मिल जाए ज़रीना के बारे में.”
“ठीक है बेटा, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.” मौसी ने कहा.
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