Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 16 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

नरेश का लंड अपनी बहन की नंगी चिकनी टाँग को देखकर और ज़्यादा उत्तेजित होकर झटके मारने लगा । कंचन ने ऐसे ही अपनी दोनों टांगों अपने भाई के सामने नंगा करके साफ़ किया।,
"भइया मेरी पीठ को साफ़ कर दोगे । मेरा हाथ नहीं पुहंच रहा है" शीला ने अपने भाई के सामने उल्टा होते हुए अपनी नाइटी को उतारकर कहा ।
नरेश अपनी बहन की इस हरकत से हक्का बक्का रह गया और बेड से उठते हुए अपनी बहन से टॉवल लेते हुए उसके गोर चिकने पीठ को टॉवल से साफ़ करने लगा । नरेश अपनी बहन के चुतडो को सिर्फ एक छोटी सी पेंटी में देखकर बुहत ज़्यादा उत्तेजित हो चुका था। नरेश का लंड तो इतने झटके खा रहा था की अब उसे अपने लंड में दर्द महसूस होने लगा था।

"भइया थोडा नीचे भी साफ़ करो ना" शीला ने अपने भाई से कहा । नरेश अपनी बहन की बात सुनकर अपना हाथ थोडा नीचे करके उसको चूतडो के ऊपर साफ़ करने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया और नीचे चुतडो को साफ़ करो ना" शीला अपने भाई का हाथ अपने चुतडो के क़रीब महसूस करके सिसकते हुए बोली ।
नरेश अपनी बहन के मुँह से ऐसी बात सुनकर हैंरान रह गया और अपना हाथ सीधा उसके चूतडों पर रखते हुए उसे टॉवल से साफ़ करने लगा । नरेश जानबूझ कर अपनी बहन के चूतड़ों को ज़ोर से साफ़ कर रहा था। क्योंकी ज़ोर देने से उसका हाथ टॉवल के ऊपर से ही उसकी दीदी के नरम नरम चूतडों में अंदर घुस रहा था।

"आह्ह्ह्ह ओहह हाँ वहीँ पर साफ़ करो" शीला अपने भाई के हाथों से अपने चूतड़ों पर टॉवल के ज़ोर से घीसने से गरम होते हुए बोली।
"दीदी आप बुहत सूंदर हो। आपकी यहाँ की स्किन कितनी नरम है। दिल करता है इसे अपने हाथों से मसलूँ" नरेश ने अपनी बहन के चूतडों से टॉवल को हटाकर उसे घूरते हुए कहा।
"तो मसलो न भैया" शीला अपने भाई की बात सुनकर जल्दी से बोली ।
नरेश अपनी दीदी के मुँह से यह सब सुनकर अपने हाथों को अपनी दीदी के चूतडों में ड़ालते हुए उन्हें बुहत ज़ोर से मसलने लगा । नरेश की हालत बुहत ज्यादा खराब हो चुकी थी। अपने हाथों को अपनी दीदी के नरम नरम नंगे चूतडों में महसूस करके बुहत ज्यादा उत्तेजित हो रहा था।

"ओहहहहह आअह्ह्ह्ह भैया आपके हाथ में तो जादू है मुझे कुछ हो रहा है" शीला अपने भाई के हाथों से अपने चूतडों को मसलवाते हुए ज़ोर से सिसकते हुए बोली,
"दीदी आपका भी कोई जवाब नहीं । आपका सारा जिस्म बुहत ख़ूबसूरत है" नरेश ने भी वैसे ही उत्तेजना में अपनी बहन के चूतडों को दबाते हुए कहा ।
"भाइया मेरा पूरा जिस्म टूट रहा है कुछ ऐसा करो न के मेरा सारा जिस्म शांत हो जाए" शीला ने अपने भाई की बात को सुनते हुए जल्दी से कहा।
"ओहहहह दीदी मैं तो कब से आपके जिस्म को देखकर आँखें सेक रहा था। आज आपके सारे शरीर का दर्द मिटा दूंगा" नरेश ने अपने हाथों को अपनी बहन के चूतडों से हटाते हुए उसके नंगे गोरे पेट में ड़ालते हुए अपनी प्यारी बहन को अपनी गोद के ऊपर बिठा दिया।
 
ओहहहह भैया यह मुझे अपने चूतडों में क्या चुभ रहा है" शीला ने अपने भाई का लंड अपने चूतडों में महसूस करके ज़ोर से सिसकारी भरकर अन्जान बनने का नाटक करते हुए कहा।
"हाहहहहह दीदी यही तो आपके सारे जिस्म की आग और तडप को मिटायेगा। यह तुम्हारे भाई का लंड है जो तुम्हारे जिस्म को देखकर कब से तडप रहा है" नरेश ने अपनी बहन के गोरे पेट को सहलाकर अपने लंड पर ज़ोर से दबाते हुए कहा ।

नरेश ने अपने होंठो को पीछे से अपनी बहन की पीठ पर रख दिया और अपनी बहन की पीठ को चूमते हुए उसके काँधे तक आ गया।
"ओहहहह इस्सस क्या कर रहे हो भेया" अपने भाई के होंठ अपने पीठ से होते हुए अपने काँधे तक महसूस करके शीला ने सिसकते हुए कहा ।
"दीदी चुप करके बैठो में तुम्हारा इलाज कर रहा हूँ" यह कहते हुए नरेश ने अपनी बहन के काँधे को चूमते हुए अपने हाथों को ऊपर करते हुए अपनी बहन की दोनों चुचियों को ब्रा के ऊपर से हो पकड लिया।
"ओहहहह स्सश भैया मेरी चुचियों को मत दबाओ । मुझे अपनी टांगों के बीच कुछ हो रहा है" अपने भैया के हाथ अपनी चुचियों पर पड़ते ही शीला ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा । शीला की चूत से उत्तेजना के मारे पानी निकल रहा था।

"ओहहहहह दीदी मैं हूँ न। तुम्हारा सारा दर्द मिटाने के लिए चुपकर के मज़े लो" नरेश ने अपनी बहन की दोनों चुचियों को ज़ोर से दबाते हुए सिसकार कहा।
"दीदी ऐसा करो आप सीधा होकर मेरे ऊपर आ जाओ" नरेश ने अपनी बहन को अपनी गोद से उठाते हुए बेड पर सीधा लिटाते हुए कहा ।
"भइया यह आपके अंडरवियर में इतना लम्बा क्या है" शीला ने अपने भाई के सीधा लेटने से उसके खडे लम्बे और मोटे लंड को देखते हुए कहा।
"दीदी यही तो हमारा लंड है जो आपकी चूत की सारी खुजलि मिटायेगा" नरेश ने अपनी बहन की तरफ देखते हुए कहा।

शीला बेड पर चढते हुए अपने भाई के ऊपर अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाकर लेट गयी । शीला अपने भाई के ऊपर ऐसे लेटी थी की उसका लंड सीधा उसकी चूत से रगर खा रहा था, नरेश ने अपनी बहन को अपने ऊपर बैठते ही उसको ज़ोर से अपनी बाहों में भरते हुए अपने होंठो को उसके गुलाबी रसीले होंठो पर रख दिया ।
शीला अपने भाई के होंठो को अपने होंठो पर और अपनी नरम चुचियों को अपने भाई के ठोस सीने में महसूस करके उत्तेजना के मारे काँपते हुए अपनी चूत को अपने भाई के लंड पर रगडने लगी । नरेश की हालत भी बुरी थी वह इतनी देर से अपने आप को रोके हुए था । अपनी बहन के चूतडों को अपने लंड पर घीसने से उसका जिस्म भी काम्पने लगा।

नरेश ने अपनी बहन के दोनों होंठो को अपने मुँह में भरते हुए उन्हें ज़ोर से चूसने लगा और अपने लंड को अपनी बहन की चूत पर उसकी पेंटी के ऊपर से ही रगडने लगा, शीला का बदन कुछ देर में ही अकडते हुए झटके खाने लगा और उसकी चूत से पानी निकल कर उसकी पेंटी को भीगोने लगा ।
शीला ने झरते हुए अपने भाई के बालों में हाथ ड़ालते हुए अपनी आँखें बंद कर ली । नरेश भी झरने के क़रीब था । अपनी बहन की पेंटी के गीला होते ही वह यह सोचकर ही झरने लगा की उसकी बहन उसके लंड की रगड से झड चुकी है।

नरेश के लंड से पिचकारियां निकल कर सीधा उसकी बहन की पेंटी को भिगोने लगी । नरेश ने झरते वक्त अपनी बहन के नीचे वाले होंठ को अपने दांतों से काटते हुए अपनी बहन को ज़ोर से अपने सीने में दबा दिया। नरेश के लंड से जाने कितनी देर तक पिचकारियां निकलती रही और पूरा झरने के बाद नरेश ने अपनी बहन के मुँह से अपने होंठ हटा दिए ।
 
"भइया आपके उस में से कुछ निकल रहा क्या?" शीला ने अपनी पेंटी पर अपने भाई के लंड का रस महसूस करके उसके होंठो से अपने होंठो को अलग करते हुए कहा।
"हाँ दीदी जैसे आपकी चूत से पानी निकला है वैसे ही मेरे लंड से भी वीर्य निकल गया है" नरेश ने अपनी बहन को समझाते हुए कहा ।
"भइया आपका वह छोटा और ढीला की हो गया?" शीला ने अपने भाई के नंगे सीने पर अपनी चुचियों को रगडते हुए कहा।
"हाहहह दीदी तुम्हें नहीं पता जब किसी मरद के लंड से पानी निकलता है तो वह शांत होकर ढीला हो जाता है" नरेश ने अपनी बहन से कहा और उसकी कमर से पकडकर ऊपर करते हुए उसकी ब्रा के ऊपर बने हुए शीला की चुचियों के उभार को चाटने लगा।

"हाहहह भैया क्या कर रहे हो मुझे फिर से नीचे कुछ हो रहा है" शीला ने अपने भाई के होंठो को अपनी चुचियों के क़रीब महसूस करके सिसकते हुए कहा।
"दीदी मुझे अपनी चुचियां का रस पिलाओ ताकी मेरे लंड में ताक़त आ जाये और मैं उसे तुम्हारी चूत में डालकर सारी खुजली मिटा दूं" नरेश ने अपनी बहन की बात सुनकर अपना मूह वहां से हटाते हुए शीला से कहा।
"क्या कहा भैया तुम इसे हमारी चूत में डालोगे?" शीला ने अपने भाई से नाटक करते हुए कहा।
"हाँ दीदी तुम्हें पता नहीं है की जब किसी लड़की की चूत में खुजलि होती है तो वह अपने मरद से चुदवा कर अपनी खुजली मिटाती है और मरद अपना लंड जब इसमें डालता है तो औरत को बुहत मजा आता है" नरेश ने अपनी बहन की चुचियों से ब्रा को नीचे करते हुए कहा।

"भइया पर आप तो मेरे भाई हैं फिर आप मेरी चूत में इसे कैसे डाल सकते हे" शीला ने मन ही मन में मुस्कराते हुए कहा।
"दीदी आपकी शादी अभी तक नहीं हुयी है तो अपनी प्यारी दीदी को किसी और से अपनी खुजलि मिटाने से अच्छा है की मैं ही आपकी चूत की खुजली मिटा दूँ। इससे तुम्हारा ही फ़ायदा है घर की बात घर में रहेगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा" नरेश ने अपनी बहन की ब्रा के नीचे होते ही उसकी गोरी चुचियों को घूरते हुए कहा।
"भइया पर आपका वह तो बुहत लम्बा और मोटा है यह मेरी छोटी सी चूत में कैसे जाएगा?" शीला ने फिर से अपने भैया से सवाल किया।
"दीदी वह तुम मुझ पर छोड दो । जब मेरा लंड फिर से लम्बा हो जायेगा तो वह खुद ही तुम्हारी चूत में अपनी जगह बनाकर अंदर घुस जाएगा" नरेश ने अपने हाथ से अपनी दीदी की एक चूचि के तने हुए गुलाबी दाने को मसलते हुए कहा।
 
"ओहहहह आह तो भैया जल्दी से मेरी दोनों चुचियों का रस पीकर तुम अपने लंड को लम्बा करो" शीला ने अपने भाई की बात सुनकर सिसकते हुए उसके सर में हाथ डालकर उसके होंठो को अपनी एक चूचि पर रखते हुए कहा । नरेश अपनी बहन की चूचि पर अपने होंठो के पड़ते ही उसकी चूचि के दाने को अपने मूह में भरकर ज़ोर से चूसने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया यह आप क्या कर रहे हो। मुझे अपने पूरे शरीर में कुछ हो रहा है" शीला ने अपनी चूचि के दाने को अपने भाई के मुँह में जाते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।

नरेशा अपनी बहन की बात का कोई जवाब न देकर उसकी चूचि को चूसते हुए अपना पूरा मूह खोलकर उसकी चूचि को पूरा अपने मुँह में भरकर चूसने लगा।
"आह्ह्ह्हह भैया मुझे अपनी चूत में कुछ हो रहा है। ओहहहह बुहत मज़ा आ रहा है मेरी दूसरी चूचि को भी चूसो उसमें भी बुहत रस है" शीला ने अपने भाई के बालों में हाथ डालकर ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।
नरेश अपनी बहन की बात सुनकर उसकी चूचि को अपने मूह से निकालते हुए उसकी दूसरी चूचि को अपने मूह में भरकर चाटने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया आपका लंड तो सच में मेरी चुचियों का रस पीने से लम्बा और मोटा होने लगा है" शीला ने अपने भाई के लंड को तनकर उसकी पेंटी पर झटके लगाता हुए महसूस करके सिसकते हुए कहा।

"हाँ दीदी आपकी चुचियों का स्वाद इतना टेस्टी है की मेरा लंड फिर से तनकर लम्बा और मोटा होने लगा है" नरेश ने अपनी दीदी की चुचियों से मूह हटाते हुए कहा और फिर से अपनी दीदी की दोनों चुचियों को बारी बारी चूसने लगा । नरेश कुछ देर तक अपनी बहन की दोनों चुचियों का रस पीने के बाद उसे अपने ऊपर से हटाते हुए बेड पर सीधा लेटा दिया और खुद उसकी दोनों टांगों के बीच आते हुए अपनी बहन की गीली पेंटी को घूरने लगा ।
"क्या देख रहे हो भैया कुछ करो न । हमारी पेंटी के अंदर कुछ हो रहा है" शीला ने अपने भाई को अपनी पेंटी की तरफ घूरता हुआ देखकर उत्तेजना के मारे अपनी टांगों को फ़ैलाते हुए कहा।

नरेश अपनी बहन की बात सुनकर अपने दोनों हाथों को अपनी बहन की पेंटी में ड़ालते हुए उसकी पेंटी को उसके जिस्म से अलग कर दिया।
"वो दीदी आपकी चूत तो बुहत प्यारी है मेरा दिल तो इसे खाने का हो रहा है" नरेश ने अपनी बहन की हलके भूरे बालों वाली गुलाबी गीली चूत को देखकर उसकी तारीफ करते हुए कहा ।
 
भइया जैसे चाहे करो बस मुझे सुकून मिलना चाहिये" शीला ने अपने भाई की बात सुनकर और ज़्यादा उत्तेजित होते हुए कहा।
"हाँ दीदी आपको सुकून देने के लिए ही मैं आपकी चूत को अपनी जीभ से चाटता हूँ" नरेश ने अपना मुँह अपनी बहन की चूत के क़रीब करते हुए कहा।
"ओहहहहह शहहहह बुहत बढ़िया दीदी आपकी चूत की ख़ुश्बु तो लाजवाब है इसका स्वाद भी इसकी गंध की तरह लाजवाब ही होगा" नरेश ने अपना मुँह अपनी दीदी की चूत के बिलकुल पास रखते हुए अपनी साँसों को ज़ोर से अंदर की तरफ खीचते हुए कहा।

"ओहहहह भैया यह क्या कर रहे हो मुझे गुदगुदी हो रही है" शीला ने अपने भैया की साँसों को अपनी चूत के इतना क़रीब महसूस करके ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
नरेश ने अपनी बहन की बात सुनते ही अपने होंठो को अपनी दीदी की चूत के छेद पर रख दिया और अपनी बहन की चूत को बुहत ज़ोर से ऊपर से नीचे तक चूमने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया ओह्ह्ह्हह क्या कर दिया । ज़ोर से चूमो मुझे बुहत मज़ा आ रहा है" शीला अपने भाई के होंठो को अपनी चूत पर महसूस करके ज़ोर से सिसकने लगी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपकने लगा।

नरेश को अपने होंठो पर अपनी बहन की चूत का निकलता हुआ पानी लगा जो उसे बुहत नमकीन लगा।नरेश ने अपनी जीभ निकाली और अपनी बहन की चूत के निकलते हुए पानी को चाटने लगा।
"ओहहहह दीदी आपकी चूत का पानी तो बुहत नमकीन है" नरेश ने अपनी बहन की चूत से अपने होंठो को हटाते हुए कहा और फिर से अपनी जीभ से अपनी बहन की नमकीन चूत को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा ।
"आह्ह्ह्हहह भैया बुहत मज़ा आ रहा है ऐसे ही हमारी चूत को ज़ोर से चाटो" शीला अपने भाई की जीभ को अपनी चूत पर महसूस करके मज़े के मारे हवा में उडते हुए सिसककर कहा । नरेश अपनी बहन की चूत को चाटते हुए अपने एक हाथ से उसकी चूत के दाने को सहलाने लगा।

शीला का पूरा जिस्म अपने भाई का हाथ अपनी चूत के दाने और उसकी जीभ को अपनी पूरी चूत पर महसूस करके काम्पने लगा । नरेश ने अब अपने हाथों से अपनी बहन की चूत के दोनों होंठो को अलग करते हुए अपनी जीभ को उसकी चूत के लाल सिरे में डालकर उसे ज़ोर से आगे पीछे करने लगा ।
"आह्ह्ह्ह भैया उईई क्या कर दिया ओह्ह्ह्ह" अपने भाई की जीभ को अपनी चूत के छेद में आगे पीछे होता हुआ देखकर शीला ज़ोर से काँपते हुए सिर्फ इतना कह सकी और उसका पूरा शरीर अकडने लगा। शीला अपने चूतड़ो को ज़ोर से अपने भाई की जीभ पर उछालते हुए उसे अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी और उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकलकर उसके भाई के मूह पर गिरने लगा।
 
शीला ने झरते हुए अपनी आँखें बंद कर ली थी और वह अपने चूतडों को मज़े के मारे अपने भाई के मूह पर ज़ोर से उछाल रही थी । नरेश का पूरा मूह अपनी बहन की चूत के पानी से भीग चूका था, वह जितना हो सकता था अपनी बहन की चूत का पानी चाट रहा था। मगर उसकी बहन की चूत से बुहत ज्यादा पानी निकला था जिसकी वजह से उसका मूह भीग गया था ।
शीला कुछ देर तक झरने के बाद शांत होकर अपनी आँखें खोल दी। नरेश अपनी बहन के शांत होते ही उसकी चूत से अपना मूह हटा दिया।
"भइया आपका मूह तो मेरी चूत के पानी से गन्दा हो गया" शीला ने अपने भाई के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा।
"दीदी कोई बात नहीं मुझे तुम्हारी चूत का स्वाद बुहत अच्छा लगा । अब ज़रा तुम अपने भाई के लंड का स्वाद भी चख लो" नरेश ने अपनी बहन की पूरी नाइटी को उठाकर अपना मूह पोछकर सीधा लेटते हुए कहा।

"क्यों नहीं भैया मगर पहले मुझे आपके छोटे बच्चे को देखने तो दो" शीला ने यह कहते हुए अपने भाई के अंडरवियर में हाथ डालकर उसे उसके जिस्म से अलग कर दिया । नरेश ने अपने चूतड़ उठाकर अपने अंडरवियर को उतारने में अपनी दीदी की मदद किया।
"वो भैया आपका लंड तो बुहत गोरा है इसका सुपाडा तो देखो कितना गुलाबी है । मै तो इसे अपने मूह में लेकर चूसूँगी" शीला ने अपने भाई के लंड के नंगा होते ही उसको अपनी मुठी में भरकर उसकी तारीफ करते हुए कहा ।
"हाहहह दीदी इसे प्यार करो ना" नरेश ने अपनी बहन का नरम हाथ अपने लंड पर पड़ते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"हा भैया अभी करती हू" शीला ने यह कहते हुए अपने भाई के लंड के सुपाडे को अपने होंठो से चूम लिया।

"ओहहहह दीदी" अपनी बहन के होंठ अपने लंड पर पड़ते ही नरेश बुहत ज़ोर से सिसक उठा । नरेश का पूरा जिस्म अपनी बहन के होंठ अपने लंड पर पड़ते ही काम्पने लगा, शीला ने अपनी जीभ निकाली और अपने भाई के लंड के गुलाबी सुपाडे पर फिराने लगी ।
"आह्ह्ह्ह इसशहहहह दीदी ऐसे ही चाटो। बुहत मजा आ रहा है" नरेश अपनी बहन की जीभ को अपने लंड के सुपाडे पर पड़ते ही काँपते हुए सिसककर बोला। शीला ने अपनी भाई के लंड के सुपाडे को ऐसे ही चाटते हुए अपना मूह खोलकर उसके गुलाबी सुपाडे को अपने मूह में भर लिया और अपने भैया के लंड के गुलाबी सुपाडे को अपने होंठो के बीच लेकर ज़ोर से चूसने लगी।

"ओहहहह दीदी आह्ह" नरेश अपनी बहन के नरम होंठो के बीच अपने लंड के मोटे सुपाडे को आगे पीछे होते हुए महसूस करके ज़ोर से सिसकने लगा । शीला को अपने भाई का लंड चूसते हुए बुहत मज़ा आ रहा था। इसीलिए वह अपने भाई के लंड के सुपाडे को बुहत ज़ोर से चूसने लगी ।
"हाहहह दीदी बस छोड़ो" नरेश ने बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपनी बहन को बालों से पकडते हुए अपने लंड को उसके मूह से निकाल दिया और उसे सीधा बेड पर लिटा दिया।
"क्या हुआ भाई। क्यों निकाला बुहत मज़ा आ रहा था।" शीला ने बेड पर लेटते ही हैंरान होते हुए कहा।

"दीदी इस बार मैं यों ही नहीं झरना चाहता। मेरे लंड को आपकी चूत की सैर करने है" नरेश ने यह कहते हुए अपनी दीदी के चूतडों के नीचे एक तकिया रख दिया और खुद अपनी बहन की टांगों के बीच आते हुए उसके चूतडों को घुटनों तक मोड़ दिया ।
 
मानिषा की आँखों से नींद कोशों दूर थी। वह बस सब के सोने का इंतज़ार कर रही थी और अब वह अपने कमरे से निकलकर अपने बापू के कमरे की तरफ जाने लगी । मनीषा अपने बाप के कमरे का दरवाज़ा खोलते हुए उसके कमरे में दाखिल हो गयी।

मानिषा की चूत अपने बाप के कमरे में दाखिल होते ही उत्तेजना के मारे गीली हो चुकी थी, मनीषा ने देखा के उसका बाप बेड पर लेटा हुआ था । मनीषा तेज़ धडकनों के साथ जाते हुए अपने पिता के बेड पर जाकर बैठ गयी।
"बापु " मनीषा ने अपने बाप के पास बैठते हुए उसे पुकारते हुए कहा ।
"हूँ अरे बेटी तुम। मुझे बुहत तेज़ बुखार हो गया है" अनिल ने अपनी आँखें खोलते हुए मनीषा को देखकर कहा।
"अरे बापू कोई गोली खाई है आपने" मनीषा ने अपने बापू की बात सुनकर उसके माथे पर हाथ रखते हुए कहा।

"हा बेटी गोली खा ली है" अनिल ने वैसे ही सोये हुए जवाब दिया।
"बापु आपको तो बुहत तेज़ बुखार है । आप आराम करो में जा रही हूँ" मनीषा अपन बाप के माथे पर हाथ रखकर ही समझ गयी थी की उसे बुहत तेज़ बुखार है। मनीषा वहाँ से उठते हुए अपने बापू के कमरे से निकल गई। वह अपने नसीब को दिल ही दिल में कोस रही थी।



नरेश ने अपनी बहन की चूत पर अपना खडा लंड रगडने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया क्या कर रहे हो मुझे बुहत गुदगुदी हो रही है" शीला की चूत से अपने भाई के लंड को घिसता हुआ पाकर पानी निकलने लगा । नरेश ने अपने लंड को अपनी बहन की चूत से निकलते हुए पानी से भिगो दिया और अपनी बहन की चूत के छेद पर टीका दिया।

मानिषा को अपने कमरे में जाते हुए अचानक अपने बेटे का ख़याल आया और वह नरेश के कमरे के दरवाज़े के पास आकर उसे खोलने लगी, दरवाज़ा अंदर से बंद होने की वजह से मनीषा से नहीं खुला तो उसने दरवाज़े को खटकाना शुरू कर दिया ।
"कौन है । क्या काम है" दरवाज़े के खटकते ही नरेश ने गुस्से से वहीँ पर बैठे ही कहा।
"बेटा मुझे सर में दर्द है ज़रा मेरे कमरे में आ जाओ और मेरे सर को दबाओ" मनीषा ने अपने बेटे की आवाज़ के सुनते ही कहा।
 
माँ आप जाओ मैं आ रहा हू" नरेश ने अपनी मम्मी को वहीँ से जवाब दिया । मनीषा पहले तो जाने का फैसला कर लिया। मगर जाने क्या सोचकर वह वहीँ पर ठहर गई, नरेश ने अपनी बहन की चूत पर फिर से अपना लंड घीसने लगा।
"आआह्ह्ह्ह भैया ओह्ह्ह्हह्हह डाल भी दो ना" शीला ने फिर से सिसकते हुए कहा । नरेश ने अपनी बहन की बात सुनते ही अपना पूरा वजन अपनी बहन पर ड़ालते हुए अपने लंड को अपनी बहन की कुँवारी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा।
"उईईईई भैया निकालो बुहत दर्द हो रहा है" शीला अपने भाई के लंड का अपनी चूत पर दबाब पडते ही ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली।

मानिषा ने वह चीख़ सुन ली उसका दिल यह सोचते हुए ज़ोर से धडकने लगा की नरेश के साथ अंदर कौन है। कहीं कंचन तो नहीं ओह भगवान् कहीं उसकी बहन शीला तो अंदर नहीं ।
"बेटा दरवाज़ा खोलों में इंतज़ार कर रही हूँ" मनीषा ने फिर से दरवाज़े को खटकाते हुए कहा ।
"माँ अभी खोलता हूँ" नरेश समझ गया की उसकी माँ ऐसे वहां से नहीं जाने वाली वह जल्दी से शीला के ऊपर से उतरते हुए अपने कपडे पहनते हुए बोला।

"भइया मैं क्या करुं" शीला ने परेशान होते हुए कहा।
"तुम अपने कपडे लेकर बाथरूम में घुस जाओ" नरेश ने अपना अंडरवियर पहनने के बाद कहा।

नरेश दरवाज़ा की तरफ जाने लगा, शीला नरेश की बात सुनकर जल्दी से अपने कपड़ों को उठाते हुए बाथरूम में घुस गई।
"बेटा इतनी देर क्या कर रहे थे?" मनीषा ने दरवाज़ा खुलते ही जल्दी से अंदर आते हुए कहा।
"कुछ नहीं माँ" नरेश ने अपनी माँ को जवाब दिया ।
"चलें मा" नरेश ने अपनी माँ की तरफ देखते हुए कहा।
"बेटा विजय नज़र नहीं आ रहा है?" मनीषा ने अपने बेटे से सवाल किया।
"वोह माँ कंचन की तबीयत खराब थी तो विजय उसके पास सो गया और शीला दीदी बाथरूम में है" नरेश ने अपनी माँ का जवाब देते हुए कहा । ओह भगवान तो नरेश अपनी बहन को चोदने वाला था। मनीषा मन ही मन में सोचने लगी और कमरे से निकल कर अपने बेटे के साथ अपने कमरे में जाने लगी ।
 
मानिषा अपने बेटे के साथ कमरे के अंदर दाखिल होते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया । मनीषा दरवाज़ा बंद करने के बाद बेड पर जाकर सीधा लेट गई।
"बेटे जाने क्यों सर और पूरे शरीर में बुहत दर्द है" मनिषा ने बेड पर सीधा लेटते हुए कहा।
"माँ मैं आपके सर को दबाता हू" नरेश ने अपनी माँ के साथ बेड पर बैठते हुए उसके सर को दबाते हुए कहा।
"हा बेटे अब कुछ अच्छा लग रहा है" अपने बेटे का हाथ अपने सर पर पड़ते ही मनीषा ने कहा।
"बेटा ऐसा करो मेरे सारे जिस्म की तेल के साथ मालिश करो। मुझे सारे जिस्म में बुहत दर्द महसूस हो रहा है" कुछ देर तक अपने बेटे से अपना सर दबवाने के बाद मनीषा ने कहा।
"माँ तेल कहाँ है?" नरेश ने अपनी माँ से पूछा।

"बेटा वह अलमारी में एक बोतल पडी है उसे ले आओ" मनीषा ने अपने बेटे को बताते हुए कहा । नरेश अपनी माँ की बात सुनकर बेड से उठते हुए वहां से तेल की बोतल उठा लाया और अपनी माँ की टांगों के पास बैठकर उसकी नाइटी को घुटनों तक ऊपर कर दिया।
नरेश ने तेल की बोतल से तेल निकालते हुए अपनी माँ की गोरी चिकनी टांग पर मलने लगा।
"आह्ह्ह्ह बेटा तुम बुहत अच्छे हो। हाँ ऐसे ही मालिश करते रहो बुहत मजा आ रहा है" अपने बेटे के हाथ को अपनी नंगी टाँग पर फिसलता हुआ महसूस करके मनीषा ने सिसकते हुए कहा।

नरेश अपनी माँ की दोनों टांगों की कुछ देर तक ऐसे ही मालिश करता रहा । नरेश का लंड जो ढीला पड चूका था । अपनी माँ की गोरी चिकनी टांगों की मालिश करते हुए फिर से तनने लगा।
"बेटा अब ऊपर भी कुछ मालिश करो न वहां पर भी दर्द है" मनीषा ने कुछ देर तक अपनी टांगों को अपने बेटे के हाथों से मालिश कराने के बाद कहा ।
"माँ आपकी नाइटी खराब हो जाएगी" नरेश ने अपनी माँ की नाइटी को देखते हुए कहा।
"बेटा तुम सही कह रहे हो। मैं अपनी नाइटी को उतार देती हूँ फिर तुम आराम से मेरी मालिश करो" अपने बेटे की बात सुनकर मनीषा ने उठकर अपनी नाइटी को अपने जिस्म से अलग कर दिया।

नरेश के सामने अब उसकी माँ सिर्फ एक छोटी सी पेंटी और ब्रा में थी। उसका गोरा जिस्म बल्ब की रौशनी में दूध की तरह सफ़ेद दिख रहा था । नरेश की हालत अपनी माँ के जिस्म को देखते हुए खराब होने लगी,
"क्या देख रहे हो बेटा मालिश करो ना" मनीषा ने अपने बेटे को अपने जिस्म की तरफ घूरता हुआ देखकर कहा ।नरेश अपनी मम्मी की बात सुनकर जल्दी से बोतल में से तेल निकालकर अपनी माँ की नंगी जांघों पर लगाकर मालिश करने लगा।
"आह्ह्ह्ह बेटा ओह तुम्हारे हाथों से तो 'बहुत बुहत मजा आ रहा है अपने हाथों से ऊपर तक मालिश करो" मनिषा ने अपने बेटे के हाथों को अपनी जांघों पर महसूस करके मज़े के मारे ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
 
अपनी माँ की जांघों की मालिश करते हुए नरेश का लंड उसके अंडरवियर में पूरी तरह तनकर झटके मारना शुरू कर दिया था । नरेश ने अपने हाथ को अपनी माँ की जाँघ के ऊपर तक रगडते हुए उसकी मालिश करने लगा, अपनी माँ के जांघों की मालिश करते हुए नरेश का हाथ बार बार अपनी माँ की पेंटी को छु रहा था ।
मानिषा की हालत भी खराब होने लगी। अपने बेटे के हाथ को अपनी पेंटी पर महसूस करके उसकी चूत पानी टपकाने लगी । नरेश का लंड उसके अंडरवियर में आन्दोलन मचाने लगा था।
"ओहहहहह बेटा यह तुम्हारा अंडरवियर इतना फूला हुआ क्यों है" मनीषा ने अपनी जांघों को मज़े से अपने बेटे से मालिश कराते हुए कहा।

"वो माँ पता नहीं क्यों मेरा लंड आपके जिस्म को छूते ही उठकर खडा हो गया है" नरेश ने बड़ी बेशरमी से अपनी माँ को जवाब देते हुए कहा।
"आआह्ह्ह्ह हाँ बेटे तुम्हारा क़सूर नहीं है तुम अब जवान हो चुके हो। अपनी माँ की नंगी जाँघ की मालिश करते हुए तो तुम्हारा लंड उठेगा ही" मनीषा ने अपने बेटे की बात सुनने के बाद सिसकते हुए कहा ।
"माँ प्लीज एक बार मेरे लंड की भी मालिश कर दो जैसे मैं आपके जिस्म की कर रहा हूँ" नरेश ने अपनी माँ की बात सुनने के बाद कहा।
"क्या कहा बेटे अपनी माँ से अपने लंड की मालिश कराना चाहते हो" मनीषा ने हैंरान होते हुए कहा।
"हा माँ मैं आपके नरम हाथों से अपने लंड की मालिश कराना चाह्ता हू" नरेश ने इस बार अपनी माँ की पेंटी के ऊपर अपने हाथ को रखते हुए कहा।

"आआह्ह्ह्हह हहहहह बेटे पहले तुम अपनी जादुई हाथों से हमारे पूरे शरीर का दर्द तो मिटाओ" मनीषा ने अपने बेटे का हाथ अपनी पेंटी के ऊपर चूत पर पड़ते ही सिसकते हुए कहा।
"हा माँ मैं आपके सारे जिस्म की मालिश करता हूँ फिर आप मेरे लंड की मालिश करना" नरेश ने अपनी माँ की बात सुनकर खुश होते हुए कहा ।
"बेटे मै उलटी होकर लेट जाती हूँ। तुम मेरी पीठ की मालिश करो" मनीषा ने अपने बेटे की तरफ देखते हुए कहा और खुद उल्टा होकर लेट गई।
"माँ पीछे तो आपकी ब्रा के हुक हैं। मैं मालिश कैसे करूँ " नरेश ने अपनी माँ के गोरे पीठ की तरफ गौर से देखते हुए कहा।
"बेटा तो उन्हें खोल दो और सुकून के साथ मेरी पीठ की मालिश करो बुहत दर्द हो रहा है" मनीषा ने वैसे ही उल्टा लेटे हुए कहा।

नरेश की दिल की धडकनें अपनी माँ की बात सुनकर ज़ोर से चलने लगी । नरेश ने अपनी तेज़ धडक़नों के साथ अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए अपनी माँ की ब्रा के हुक खोल दिए, नरेश के सामने उसकी माँ की पीठ अब बिलकुल नंगी थी । उसने बोतल में से तेल निकालकर अपनी माँ के चिकने पीठ की मालिश करनी शुरू कर दिया।
 
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