Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी - SexBaba
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Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी

hotaks444

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पहले सिस्टर फिर मम्मी


लेखक – motabansh

स्कूल से छुट्टी मिलते ही मैं बाहर आ गया। मैं दसवीं कक्षा का छात्र हैं। स्कूल गेट के बाहर हर रोज घर ले जाने के लिये रिक्शावाला, मेरा इन्तेजार कर रहा था। मेरे बैठते ही रिक्शावाला तेजी के साथ दीदी के स्कूल की तरफ रवाना हो गया। ये मेरा हर रोज का रूटीन था। पहले रिक्शावाला मुझे लेता था, क्योंकी मेरे स्कूल की । छुट्टी 11:30 बजे होती थी फिर दीदी को, जो कि 12वीं क्लास में पढ़ती थी और उनके स्कूल की छुट्टी 12:00 बजे होती थी। कुछ ही देर में मैं दीदी के कोन्वेन्ट स्कूल के सामने पहुँच गया।

अभी 11:45 हुए थे, रिक्शावाला बगल की दुकान पर चाय पीने चला गया और मैंने अपने बैग में से दो किताबें निकल ली। ये दोनों किताबें मेरे दोस्त सोहन ने मुझे दी थी। एक किताब में औरत-मर्द के नंगे चित्र थे, और। दूसरी किताब में कहानियां थी। कहानियों की किताब को मैंने बाद में पढ़ने का निश्चय किया, और पिक्चर वाली किताब को अपनी हिस्टरी बुक के बीच में रखकर वहीं रिक्शा पर देखने लगा। पिक्चर्स काफी सेक्सी और ईरोटीक थी। पिक्चर्स देखते-देखते मेरा लण्ड खड़ा होने लगा, और मेरे चेहरे का रंग उत्तेजना के मारे लाल हो गया। अपने खड़े लण्ड को छुपाने के लिये, मैंने अपना स्कूल बैग अपनी गोद में रख लिया और औरत-मर्द की चुदाई के विभिन्न आसनों में ली गई उन तसवीरों को देखने लगा।

तभी स्कूल की घंटी बज उठी। मैंने जल्दी से किताबों को मोड़कर अपने स्कूल बैग में घुसाया, अपने लण्ड को अपनी पैन्ट में एडजस्ट किया और रिक्शे से उतरकर अपनी डार्लिंग बहन का इन्तेजार करने लगा। ठीक बारह बजे मुझे मेरी प्यारी, सेक्सी गुड़िया जैसी बहना रिक्शा की तरफ बढ़ती हुई दिख गई। सच में कितनी खूबसूरत थी, मेरी बहन। उसको देखकर किसी भी मर्द की रीड की हड्डी में जरूर एक सिहरन उठ जाती होगी।

मेरी बहन इतनी खूबसूरत और सेक्सी है कि, मैं उसके प्यार में पूरी तरह से डुब गया हूँ। वो भी मुझसे उतना ही प्यार करती है। बाहर की दुनियां के लिये हम भले ही भाई-बहन है, मगर घर में अपने कमरे के अंदर हम दोनों भाई-बहन, एक-दूसरे के लिये पति-पत्नी से भी बढ़कर है। आपको ये सुनकर शायद आश्चर्य लगेगा, मगर यही सच है। मेरी दीदी इस वक्त 19 साल की है, और मैं 18 साल का। हम दोनों अपने मम्मी-पापा के साथ, शहर से थोड़ी दूर उपनगरीय क्षेत्र में रहते हैं। मेरे पापा अभी 40 साल के, और मम्मी 35 साल की हैं। हमारा एक मध्यम वर्गीय परिवार है।
 
मेरी माँ बहुत ही खूबसूरत महिला है, और पापा भी एक खूबसूरत व्यक्तित्व के मालिक हैं। दोनों ने लव-मैरीज की थी, इसलिये उन्हें परिवार से अलग होकर रहना पड़ रहा है, जो कि हमारे लिये अच्छी बात है। पापा एक प्राईवेट बैंक में ऊंचे पद पर हैं, और मम्मी गवर्नमेन्ट जोब करती है। इस नये शहर में आकर, पापा ने जानबूझ कर शहर से बाहर शांति भरे माहौल में एक बंगलो खरीदा था।

हमें स्कूल ले जाने और ले आने के लिये, उन्होंने एक रिक्शा तय कर दिया था। घर की ऊपरी मंजिल पर, एक कमरे में मम्मी और पापा रहते थे और दूसरे कमरे में हम दोनों भाई-बहन। हमारे घर से स्कूल तक की दूरी, रिक्शा के द्वारा करिब 30 मिनट में तय हो जाती थी।

रिक्शा के पास आते ही बहन ने पूछा- “और भाई, कैसे हो? बहुत ज्यादा देर से इन्तेजार तो नहीं कर रहे?”

मैंने कहा- “नहीं दीदी, ऐसा नहीं है..." और उसको देखते हुए मुश्कुराया।

मैंने देखा कि, उसके गाल गुलाबी हो गये थे, और चेहरे पर शर्म की लाली और आँखों में वासना के डोरे तैयार रहे थे। मैं सोचने लगा कि, मेरी प्यारी बहना के गाल गुलाबी और आँखें वासना से भरी-भरी क्यों लग रही हैं?

क्या दीदी स्कूल में गरम हो गई थी?

मेरी बहन ने रिक्शा पर बैठने के लिये, अपने एक पैर को ऊपर उठाया। इस तरह करते हुए उसने बड़े ही
आकर्षक और छुपे हुए तरिके से, अपनी स्कर्ट को इस तरह से उठ जाने दिया कि, मुझे मेरी प्यारी बहन की मांसल, चिकनी और गोरी जांघे, उसकी पैन्टी तक दिख गईं। एक क्षण में ही दीदी रिक्शा पर बैठ गई थी, पर मेरे बगल में शैतानी भरी मुश्कुराहट के साथ बैठ गई।

मैं जानता था कि, यह उसका मुझे सताने के अनेक तरिकों में से एक तरीका है। जब वो मेरे बगल में बैठी तो उसके महकते बदन से निकलती सुगंध ने मेरी नाक को भर दिया, और मैंने एक गहरी सांस लेकर उस सुगंध को अपने अंदर और ज्यादा भरने की कोशिश की।

मेरी बहन मेरी उत्तेजना को समझ सकती थी। उसने मुश्कुराते हुए पूछा- “क्यों भाई, तुम्हारा चेहरा इस तरह से लाल क्यों हो रहा था? और तुम्हारी आँखें भी लाल हो रही हैं, क्या बात है?”

मैंने मुश्कुराते हुए उसकी ओर देखा और कहा- “देखो दीदी, तुम तो मेरे दोस्त सोहन को तो जानती ही हो। उसने मुझे दो बहुत ही गर्म किताबें दी है। तुम्हारा इन्तेजार करते हुए, मैं उन्हें देखा रहा था और फिर तुम जब रिक्शे पर बैठ रही थी, तब तुमने मुझे अपनी पैन्टी और जांघे दिखा दी। अब जबकी तुम मेरे बगल में बैठी हो, तो तुम्हारे बदन से निकलने वाली खुशबू मुझे पागल कर रही है.”
 
मेरी बहन हँसने लगी। रिक्शेवाले ने रिक्शे को आगे बढ़ा दिया था और हम दोनों भाई-बहन धीमे स्वर में फुसफुसाते हुए आपस में बात कर रहे थे, ताकी हमारी आवाज रिक्शावाला ना सुन सके। मेरी बहन मेरे दाहिने तरफ बैठी थी, और अपने दाहिने हाथ से उसने अपने किताबों को अपनी छाती से चिपकाया हुआ था। पथरीले रास्ते पर चलने के कारण रिक्शा बहुत हिल रहा था, और इसलिये अपना बैलेंस बनाने के लिये काजल दीदी ने अपने बांये हाथ को ऊपर उठाकर, रिक्शा का हुड पकड़ लिया।

ऐसा करने से मेरी प्यारी बहन की चिकनी, मांसल कांख, जो कि पशीने की पतली परत और उससे भीगे हुए उसके स्कूल ड्रेस के ब्लाउज़ से ढके हुए थे, से निकलती हुई तीखी गंध सीधी मेरी नाक में आकर समा गई।

मेरी गोद में रखे मेरे बैग के नीचे मेरा लण्ड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था, और ऐसा लग रहा था कि उसने मेरे बैग को अपने ऊपर उठा लिया है। यह मेरी बहन का एक और अनोखा अंदाज था मुझे सताने का, वो जानती थी कि मुझे उसकी कांख और उससे निकलने वाली गंध पागल बन देती है। उसके बदन की खुशबू मुझे कभी भी उत्तेजित कर देती है।

उसने मुझे अपनी आँखों के कोनों से देखा, और सीट की पुश्त से अपनी पीठ को टिकाकर आराम से बैठ गई। उसने अभी भी अपने बांये हाथ से हुड को पकड़ रखा था, और अपनी किताबों को अपनी छातियों से चिपकाये हुए थी। रिक्शा के हिलने के कारण उसकी किताबें, जो कि उसकी छातियों से चिपकी हुई थी, बार-बार उसकी चूचियों पर रगड़ खा रही थीं। जैसे ही रिक्शा एक मोड़ से मुड़ा तो मैंने ऐसा नाटक किया कि, जैसे मैं लुढ़क रहा हैं, और अपने चेहरे को उसकी मांसल कांखों में गड़ा दिया और लम्बी सांस खिंचते हुए उसकी कांखों को चाट लिया और हल्के से काट लिया।

मेरी बहन के मुँह से एक आनंद भरी चिख निकल गई और उसने मुझे जानवर कहा, और बोली- “देखो भाई, तुम एक जानवर की तरह से हरकत कर रहे हो। देखो, तुमने कैसे मेरी कांखों को चाटकर गुदगुदा दिया और काट लिया। मुझे दर्द हो रहा है, मुझे लगता है, तुम्हरे दोस्त की दी हुई कितबों ने तुम्हें कुछ ज्यादा ही गरम कर दिया है...”

अगर तुम मुझे इस तरह से सताओगी तो तुम्हें यही मिलेगा, समझी मेरी प्यारी बहना। वैसे डार्लिंग दीदी, मुझे एक बात बताओ कि, तुम आज कुछ ज्यादा ही चुलबुली और शैतान लग रही हो। ऐसा क्या हुआ है आज? क्या तुम भी मेरी तरह गरम हो गई हो, बताओ ना...”

तुम तो मेरी सहेली कनिका को जानते ही हो। उसने अपने घर पर कल रात हुई एक बहुत ही उत्तेजक घटना के बारे में मुझे बताया, जिसके कारण मैं बहुत गरम हो गई हैं। नीचे से पूरी तरह से गीली हो गई हूँ, और मेरी पैन्टी मेरी चूत के पानी से भीग गई है...”

सच में डार्लिंग सिस, ऐसा क्या हुआ... मुझे भी बताओ ना...” ।
 
कल रात कनिका के घर पर उसके मामा, यानी कि उसकी मम्मी के छोटे भाई आये थे। उसे और उसकी मम्मी दोनों को सिनेमा दिखाने ले गये थे। सिनेमा होल में उसके मामा और मम्मी एक दूसरे से लिपटने चिपटने लगे थे। बाद में घर वापस लौटने पर, उसके छोटे मामा ने रात में उसकी मम्मी को खूब चोदा। भाई जब मेरी सहेली ने, अपने मामा और मम्मी की चुदाई की पूरी कहानी बताई तो, मेरी चूत बुरी तरह से पनिया गई और मैं बहुत उत्तेजित हो गई।

कनिका ने मुझे बाद में बताया कि, उसके मामा ने बाद ने उसे भी उसकी मम्मी के सामने ही नंगा करके खूब चोदा। और उसकी मम्मी ने ये सब बहुत मजा लेकर देखा। तुम तो जानते ही हो भाई कि, उसके पापा विदेश गये हुए हैं।

ओहह... दीदी, कनिका सचमुच में बहुत ही भाग्यशाली लड़की है। कनिका की, उसके मामा और मम्मी के साथ की गई चुदाई का अनुभव सच में बहुत उत्तेजक है। दीदी मैं भी सोचता हूँ कि काश मैं तुम्हें और मम्मी को एक साथ, एक ही बिस्तर पर चोद पाता। इन किताबों को देखने के बाद, मैं भी बहुत गरम हो गया हूँ। मेरी प्यारी । बहना रानी, चलो जल्दी से घर पर चलते हैं,और एक दमदार चुदाई का आनंद उठाते हैं, क्यों? मुझे लगता है। तुम भी काफी गरम हो चुकी हो, अपनी प्यारी सहेली कनिका की कहानी को सुनकर..."

हां भाई, तुम सच कह रहे हो। मैं स्कूल की छुट्टी का इन्तेजार कर रही थी। मेरी चूत खुजला रही है और मेरा पानी निकल रहा है.”

ओहह... दीदी, तुम जब स्कूल से निकल रही थी, तभी मुझे लग रहा था कि तुम काफी गरम हो चुकी हो...”

हां, मेरे प्यारे भाई, कनिका की बातों ने मुझे गरम कर दिया है। उसकी चुदक्कड़ मम्मी और चोदू मामा की कहानी ने, मेरी नीचे की सहेली में आग लगा दी है। और मैं भी चाहती हूँ कि, हम जल्दी से जल्दी घर पहुँचकर एक-दूसरे की बांहों में खो जायें...”

अभी हम घर से लगभग 100 मीटर की दूरी पर थे, तभी एक जोर की आवाज ने हमारा ध्यान भंग कर दिया। रिक्शा रुक गया था, और इसका एक टायर पंक्चर हो चुका था। आस-पास में कोई रिपेयर करने वाली दुकान भी नहीं थी, और घर की दूरी भी अब ज्यादा नहीं थी। इसलिये हमने निर्णय किया कि हम पैदल ही घर जाते हैं। रिक्शावाले ने अपने रिक्शे को दूसरी तरफ मोड़ लिया और हम दोनों भाई-बहन नीचे उतरकर पैदल ही घर की ओर चल दिये।

कुछ दूर तक चलने के बाद, मेरी बहन ने मुश्कुराते हुए मुझसे कहा- “भाई, तुम मेरे पीछे-पीछे चलो, मेरे साथ नहीं..."

मेरी समझ में नहीं आया कि, मेरी डार्लिंग सिस्टर मुझे साथ चलने से क्यों मना कर रही है? मैंने आश्चर्य से पूछा- “तुम्हारे पीछे क्यों दीदी?”

मेरी बहन ने अपनी आँखों को नचाते हुए मुश्कुरा कर कहा- “भाई, ऐसा करने में तुम्हारा ही फायदा है। अगर तुम चाहो तो इसे आजमा कर देख सकते हो। बल्कि, मैं कहती हूँ तुम्हें एक अनोखा मजा मिलेगा.”

मुझे अपनी बहन पर पूरा भरोसा था। वो एक बहुत ही दृढ़ निश्चय और पक्के विश्वास वाली लड़की थी, और हर चीज को नाप-तौल कर बोलती थी। अगर उसने मुझसे पीछे चलने के लिये कहा था तो जरूर इसमें भी हमेशा । की तरह कोई अनोखा आनंद छुपा होगा। ऐसा सोचकर मैंने अपनी प्यारी सिस्टर को आगे जाने दिया और खुद उसके पीछे, उससे कुछ फासले पर चलने लगा। पूरी सड़क एकदम सुमसान थी, और एक-आध कुत्ते के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। शहर के इस भाग में मकान भी इक्का-दुक्का ही बने हुए थे, और एक साथ ना होकर इधर-उधर फैले हुए थे। मैं अपनी दीदी के पीछे-पीछे धीरे-धीरे चल रहा था, और मेरी डार्लिंग बहना भी धीरे-धीरे चल रही थी।
 
ओह्ह... डियर, क्या नजारा था।

मेरी प्यारी सिस्टर बहुत ही मादक अंदाज में अपने चूतड़ों को हिलाते हुए चल रही थी। अब मेरी समझ में आया, मुझे अपने पीछे आने के लिये कहने का राज। वो अपनी गाण्ड को बहुत ही मस्त अदा के साथ हिलाते हुए चल रही थी। उसके दोनों गोल-मटोल चूतड़, जिनको कि मैं बहुत बार देखा चुका था, उसकी घुटनों तक की स्कर्ट में हिचकोले लेते हुए मचल रहे थे। मेरी बहन के चलने का यह अंदाज मेरे लिये लण्ड खड़ा कर देने वाला था।

उसके गाण्ड नचाकर चलने के कारण उसके दोनों मस्त चूतड़, इस तरह हिलते हुए घूम रहे थे कि, वो किसी मरे हुए आदमी के लण्ड को भी खड़ा कर सकते थे।

मेरी बहन अपने मदमस्त चूतड़ों और गाण्ड की खूबसूरती से अच्छी तरह से वाकिफ थी, और वो अक्सर इसका उपयोग मुझे उत्तेजित करने के लिये करती थी। उसकी गाण्ड भी, मम्मी की गाण्ड की तरह काफी खूबसूरत और जानमारू थी। दीदी को अच्छा लगता था, जब मैं उसकी गाण्ड और चूतड़ों की तारीफ करता और उनसे प्यार करता था। घर तक पहुँचते-पहुँचते, उसकी गाण्ड और चूतड़ों के इस मस्ताने खेल को देखकर, मेरे सब्र का बांध टूट गया। मुझे लग रहा था कि, मेरे लण्ड से अभी पानी निकल जायेगा।

मैं जल्दी से उसके पास गया और बोला- “सिस्टर, तुम तो मुझे मार ही दोगी। मुझसे अब बरदाश्त नहीं होता है। चलो, जल्दी से घर के अंदर..."

भाई, क्या ये इतना बुरा है, जो तुम जल्दी से घर के अंदर जाना चाहते हो...”

ओह्ह... दीदी, ये तुम तब जान जाओगी, जब हम अपने कमरे के अंदर होंगे, जल्दी करो..”

जब हम घर पहुँचे तो मम्मी घर पर नहीं थी। जैसा कि आमतौर पर होता था, वो इस वक्त अपने ओफिस में होती थी। घर पर केवल खाना बनाने वाली आया थी। जिसने हमें बताया कि खाना तैयार होने में कुछ समय लगेगा। हमें इससे कोई ऐतराज नहीं था, बल्कि हम दोनों भाई-बहन तो ऐसा ही चाहते थे।

हमने उससे कह दिया- “हम ऊपर अपने कमरे में होम-वर्क कर रहे हैं, और वो हमें डिस्टर्ब ना करे। खाना बनाने के बाद, वो घर चली जाये...”

हम जल्दी से सीढ़ियों से चढ़ कर ऊपर जाने लगे। यहां भी दीदी ने एक लण्ड खड़ा कर देने वाली शैतानी की। उसने मुझे नीचे ही रोक दिया और वो खुद अपने चूतड़ों को हिलाते हुए, बड़े ही स्टाइलिश अंदाज में सीढ़ियां चढ़ने लगी। जब वो काफी ऊपर पहुँच गई, तब उसने अपने बांये हाथ को पीछे लाकर, अपनी नेवी ब्लू कलर की स्कर्ट, जो कि उसके घुटनों तक ही थी, को बड़े ही सेक्सी तरीके से थोड़ा सा ऊपर उठा दिया।
 
ऐसा करने से पीछे से उसकी मांसल और मोटी जांघे पूरी तरह से नंगी हो गई और उसकी काले रंग की, नायलोन की जालीदार पैन्टी का निचला भाग दिखने लगा। पैन्टी के साथ में, उनमें कसे हुए मदमस्त चूतड़ों की झलक भी मुझे मिल गई। मेरी बहन की इस हरकत ने आग में घी का काम किया, और अब बरदाश्त करना मुश्किल हो चुका था। मैं तेजी से दो-दो सीढ़ियां फलान्गते हुए, सेकंडों में ही अपनी प्यारी दीदी के पास पहुँच गया और हम दोनों भाई-बहन हँसते हुए अपने कमरे की ओर भागे। हम दोनों के बदन में आग लगी हुई थी,

और हम बेचैन थे कि, कब हम एक-दूसरे की बांहों में खो जाये।

इसलिये हमने दरवाजे को धक्का देकर खोला और अपने बैग और किताबों को एक तरफ फेंक कर, जूतों को। खोलकर, सीधे ही एक-दूसरे की बांहों में समा गये। दरवाजा हालांकि हमने बंद कर दिया था, पर हम दोनों में से किसी को उसको लोक करने का ध्यान नहीं रहा। वासना की आग ने, हमारी सोचने-समझने की शक्ति शायद । खतम कर दी थी। मैंने जोर से अपनी प्यारी बहन को अपनी बांहों में कस लिया, और उसके पूरे चेहरे पर चुंबन की बरसात कर दी।

उसने भी मुझे अपनी बांहों में कसकर जकड़ लिया था, और उसकी कठोर चूचियां मेरी छाती में दब रही थीं। उसकी चूचियों के खड़े निप्पल की चुभन को, मैं अपने छाती पर महसूस कर रहा था। उसकी कमर और जांचें मेरी जांघों से सटी हुई थीं, और मेरा खड़ा लण्ड मेरे पैन्ट के अंदर से ही उसकी स्कर्ट पर, ठीक उसकी बुर के ऊपर ठोकर मार रहा था। मेरी प्यारी दीदी अपनी चूत को मेरे खड़े लण्ड पर, पैन्ट के ऊपर से रगड़ रही थी।

हम दोनों के होंठ एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और मैं अपनी प्यारी बहन के पतले, रसीले होंठों को चूसते हुए, चूम रहा था। उसके होंठों को चूसते और काटते हुए, मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह में ठेल दिया था। उसके मुँह के अंदर जीभ को चारों तरफ घूमते हुए, उसकी जीभ से अपनी जीभ को लड़ाते हुए, दोनों भाई-बहन एक-दूसरे के। बदन से खेल रहे थे।
 
उसके हाथ मेरी पीठ पर से फिरते हुए, मेरे चूतड़ों और कमर को दबाते हुए, अपनी तरफ खींच रहे थे। मैं भी । उसके चूतड़ों को दबाते हुए, उसकी गाण्ड की दरार में स्कर्ट के ऊपर से ही अपनी उंगली चला रहा था। कुछ देर तक इसी अवस्था में रहने के बाद मैंने उसे छोड़ दिया, और वो बेड पर चली गई। उसने अपने घुटनों को बेड के किनारे पर जमा दिया।

फिर वो इस तरह से झुक गई, जैसे कि वो बेड की दूसरी तरफ कोई चीज खोज रही हो। अपने घुटनों को बेड पर जमाने के बाद, मेरी प्यारी बहना ने गरदन घुमाकर मेरी तरफ देखा और मुश्कुराते हुए अपनी स्कर्ट को ऊपर उठा दिया। इस प्रकार उसके खूबसूरत गोलाकार चूतड़, जो कि नायलोन की एक जालीदार कसी हुई पैन्टी के अंदर कैद थे, दिखने लगे। उसकी चूत के उभार के ऊपर, उसकी पैन्टी एकदम कसी हुई थी और मैं देखा रहा था कि चूत के ऊपर पैन्टी का जो भाग था, वो पूरी तरह से भीगा हुआ था।

मैं दौड़ के उसके पास पहुँच गया और अपने चेहरे को, उसकी पैन्टी से ढकी हुई चूत और गाण्ड के बीच में घुसा दिया। उसके बदन की खुश्बू, और उसकी चूत के पानी और पशीने की महक ने मेरा दिमाग घुमा दिया, और मैंने
बुर के रस से भीगी हुई उसकी पैन्टी को चाट लिया। वो आनंद से सिसकारियां ले रही थी, और उसने मुझसे अपनी पैन्टी को निकाल देने का आग्रह किया।

मैंने उसकी चूत और गाण्ड को कसकर चूमा, उसके मांसल चूतड़ों को अपने दांतों से काटा और उसकी बुर से निकलने वाली मादक गंध को एक लम्बी सांस लेकर अपने फेफड़ों में भर लिया। मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था, और मैंने अपने पैन्ट और अंडरवियर को खोलकर इसे आजादी दे दी। दीदी की मांसल, कंदली जांघों को अपने हाथों से कसकर पकड़ते हुए, मैं उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत चाटने लगा। जालीदार पैन्टी से रिस-रिस कर बुर का पानी निकल रहा था।

मैं पैन्टी के साथ ही उसकी बुर को अपने मुँह में भरते हुए, चूसते हुए, चाट रहा था। पैन्टी का बीच वाला भाग सिमट कर उसकी चूत और गाण्ड की दरार में फंस गया था।

मैं चूत चाटते हुए, उसकी गाण्ड पर भी अपना मुँह मार रहा था। मेरे ऐसा करने से बहन की उत्तेजना बढ़ गई थी। वो अपनी गाण्ड को नचाते हुए, अपनी चूत और चूतड़ों को मेरे चेहरे पर रगड़ रही थी। फिर मैंने धीरे से अपनी बहन की पैन्टी को उतार दिया। उसके खूबसूरत चूतड़ों को देखकर मेरे लण्ड को जोरदार झटका लगा। उसके मैदे जैसे गोरे चूतड़ों की बीच की खाई में भूरे रंग की अनछुई गाण्ड, एकदम किसी फूल की कली की तरह
दिख रही थी। जिसे शायद किसी विशेष अवसर पर, जैसा की दीदी ने प्रोमिस किया था, मारने का मौका मुझे मिलने वाला था।


उसकी गाण्ड के नीचे गुलाबी पंखुड़ियों वाली उसकी चिकनी चूत थी। दीदी की चूत के होंठ फड़फड़ा रहे थे और भीगे हुए थे। मैंने अपने हाथों को धीरे से उसके चूतड़ों और गाण्ड की दरार में फिराया, फिर धीरे से हाथों को सरकाकर उसकी बिना झांटों वाली चूत के छेद को अपनी उंगलियों से कुरेदते हुए, सहलाने लगा। मेरी उंगलियों । पर उसकी चूत से निकला, उसका रस लग गया था। मैंने उसे अपनी नाक के पास लेजाकर सँघा, और फिर जीभ निकालकर चाट लिया।
 
मेरी प्यारी बहन के मुँह लगातार सिसकारियां निकल रही थी, और उसने मुझसे कहा- “भाई, जैसा कि मैं समझती हूँ, अब तुमने जी भरकर मेरे चूतड़ों और चूत को देखा लिया है। इसलिये तुम्हें अपना काम शुरू करने में देर नहीं करनी चाहिए..."
मैं भी अब ज्यादा देर नहीं करना चाहता था, और झुक कर मैंने उसकी चूत के होंठों पर अपने होंठों को जमा दिया। फिर अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। उसकी बुर का रस नमकीन सा था।


मैंने उसकी बुर के कांपते हुए होंठों को, अपनी उंगलियों से खोल दिया, और अपनी जीभ को कड़ा और नुकीला बनाकर, चूत के छेद में घुसाकर उसके भगनाशे को खोजने लगा।

उसके छोटे-से भगनाशे को खोजने में मुझे ज्यादा वक्त नहीं लगा। मैंने उसे अपने होंठों के बीच दबा लिया, और अपनी जीभ से उसको छेड़ने लगा। दीदी ने आनंद और मजे से सिसकारियां भरते हुए, अपनी गाण्ड को नचाते हुए, एक बहुत जोर का धक्का अपनी चूत से मेरे मुँह की ओर मारा। ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी जीभ को वो अपनी चूत में निगल लेना चाहती हो। वो बहुत तेज सिसकारियां ले रही थी, और शायद उत्तेजना की पराकाष्ठा तक पहुँच चुकी थी। मैं उसके भगनाशे को अपने होंठों के बीच दबाकर चूसते हुए, अपनी जीभ को अब उसके पेशाब करने वाले छेद में भी घुमा रहा था। उसके पेशाब की तीव्र गंध ने मुझे पागल बना दिया था। मैंने अपनी दो उंगलियों की सहायता से, उसके पेशाब करने वाले छेद को थोड़ा फैला दिया। फिर अपनी जीभ को उसमें तेजी से नचाने लगा। मुझे ऐसा करने में मजा आ रहा था।

और दीदी भी अपनी गाण्ड को नचाते हुए सिसकारियां ले रही थी- “ओह... भाई, तुम बहुत अच्छा कर रहे हो। डार्लिंग ब्रदर, इसी प्रकार से अपनी बहन की गरमाई हुई बुर को चाटो, हाँ हाँ भाई, मेरे पेशाब करने वाले छेद को भी चाटो और चूसो। मुझे बहुत मजा आ रहा है, और मुझे लगता है, शायद मेरा पेशाब निकल जायेगा। ओह्ह... भाई, तुम इस बात का ख्याल रखना कि, कहीं तुम मेरे मूत ही नहीं पी जाओ..."

मैंने दीदी की चूत पर से, अपने मुँह को एक पल के लिये हटाते हुए कहा- “ओह... सिस्टर, तुम्हारे पेशाब और चूत की खुशबू ने मुझे पागल बना दिया है। ऐसा लगता है कि मैंने तुम्हारी मूत की एक-दो बूंद पी भी लिया है,

और मैं अपने आपको इसका और ज्यादा स्वाद लेने से नहीं रोक पा रहा हूँ। हाये दीदी, सच में तुम्हारे बदन से निकलने वाली हर चीज बहुत ही स्वादिष्ट है, ओहह...”

ओह्ह... भाई लगता है, तुम कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुके हो, और मुझे ये बहुत पसंद है। तुम्हारा इस तरह से मुझे प्यार करना, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, प्यारे भाई। पर अगर तुम इसी तरह से मेरी चूत और पेशाब
वाले छेद को चूसोगे, तो मुझे लगता है कि मेरा पेशाब निकल जायेगा और मैं नहीं चाहती कि, हमारे कपड़े और बिस्तर खराब हो, ओहह... राजा, मेरे प्यारे सनम, तुम इस बात का ख्याल रखते हुए मुझे प्यार करो..."

मैं अभी तक पेशाब वाले छेद को चिडोर-चिडोर कर चाट रहा था। मगर दीदी के बोलने पर मैंने उसको छोड़कर अपना ध्यान उसकी चूत और भगनाशे पर लगा दिया। उसके भगनाशे को अपने होंठों से छेड़ते हुए, उसकी पनियाई हुई बुर के कसे हुए छेद में, अपनी जीभ को नुकीला करके पेलने लगा। अपने हाथों से उसके चूतड़ों और गाण्ड के छेद को सहलाते हुए, मैं उसकी गाण्ड के छेद को अपने अंगूठे से छेड़ने लगा। मैं अपनी जीभ को कड़ा करके उसकी चूत में तेजी के साथ पेल रहा था, और जीभ को बुर के अंदर पूरा लेजाकर उसे घुमा रहा था।

दीदी भी अपने चूतड़ों को तेजी के साथ नचाते हुए, अपनी गाण्ड को मेरी जीभ पर धकेल रही थी, और मैं उसकी बुर को चोद रहा था। हालांकि, इस समय मेरा दिल अपनी प्यारी बहन की गाण्ड के भूरे रंग के छेद को चाटने । का कर रहा था। परंतु मैंने देखा कि, दीदी अब उत्तेजना की सीमा को पार कर चुकी थी, शायद।।

दीदी अब अपने चूतड़ों नचाते हुए बहुत तेज सिसकारियां ले रही थी- “भाई, तुम मुझे पागल बना रहे हो, ओहह... डार्लिंग ब्रदर हाँ ऐसे ही, ऐसे ही चूसो मेरी चूत को, मेरी बुर के होंठों को अपने मुँह में भरकर, ऐसे ही चाटो राजा, ओह... प्यारे, बहुत अच्छा कर रहे हो तुम। इसी प्रकार से मेरी चूत के छेद में अपनी जीभ को पेलोऔर अपने मुँह से चोद दो मुझे। हाय... मेरे चोदू भाई, मेरी चूत के होंठों को काट लो और उन्हें काटते हुए अपनी जीभ को मेरी बुर में पेलो...”

चूत के रस को चाटते हुए और बुर में जीभ पेलते हुए, मैं उसके भगनाशे को भी छेड़ देता था। मेरे ऐसा करने पर वो अपनी गाण्ड को और ज्यादा तेजी के साथ लहराने लगती थी। दीदी अब पूरी उत्तेजना में आ चुकी थी। मैंने अपने पंजों के बीच में उसके दोनों चूतड़ों को दबाया हुआ था, ताकी मुझे उसकी प्यारी चूत को अपने जीभ से चोदने में परेशानी ना हो। मैं अपनी बुकिली जीभ को उसकी चूत के अंदर गहराई तक पेलकर, घुमा रहा था।

“ओहह... भाई, ऐसे ही प्यारे, मेरे डार्लिंग ब्रदर, ऐसे ही... ओहह... खा जाओ मेरी चूत को, चूस लो इसका सारा रस, प्यारे ओह... चोदू, मेरे भगनाशे को ऐसे ही छेड़ोडो और कसकर अपनी जीभ को पेलो, ओहहह्ह... सीईई मेरे चुदक्कड़ बालम, मेरा अब निकलने ही वाला है, ओहह... मैं गई, गईई, गई राज्जा, ओह... बुर चोदू, देखो मेरा निकल रहा है, हाये पी जाओ इसे। ओह... पी जाओ मेरी चूत से निकले पानी को, शीईई, भाई मेरी चूत से। निकले स्वादिष्ट पानी को पी जाओ प्यारे..” कहते हुए दीदी अपनी चूत झाड़ने लगी।
 
उसकी मखमली चूत से गाढ़ा द्रव्य निकलने लगा। वो मेरे चेहरे को अपनी चूत और चूतड़ों के बीच दबाये हुए, बिस्तर पर अपनी गाण्ड को नचाते हुए गिर गई। उसकी चूत अभी भी फड़फड़ा रही थी, और उसकी गाण्ड में भी कंपन हो रहा था। मैंने उसकी चूत से निकले हुए रस की एक-एक बूंद को चाट लिया, और अपने सिर को उसकी मांसल जांघों के बीच से निकाल लिया।

मेरी बहन बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी। कमर के नीचे वो पूरी नंगी थी। झड़ जाने के कारण उसकी आँखें बंद थी, और उसके गुलाबी होंठ हल्के-से खुले हुए थे। वो बहुत गहरी सांसें ले रही थी। उसने अपने एक पैर को घुटनों के पास से मोड़ा हुआ था और दूसरे पैर को फैलाया हुआ था। उसके लेटने की ये स्थिति बहुत ही कामुक । थी। इस स्थिति में उसकी सुनहरी, गुलाबी चूत, गाण्ड का भूरे रंग का छेद और उसके गुदाज चूतड़ मेरी आँखों के सामने खुले पड़े थे और मुझे अपनी ओर खींच रहे थे। मेरा खड़ा लौड़ा, अब दर्द करने लगा था। मेरे लण्ड का सुपाड़ा, एक लाल टमाटर के जैसा दिख रहा था।

मेरे लण्ड को किसी छेद की सख्त जरूरत महसूस हो रही थी। मैं गहरी सांसें खींचता हुआ, अपनी उत्तेजना पर काबू पाने की कोशिश कर रहा था। मेरे हाथ मेरी दीदी के नंगे चूतड़ों के साथ खेलने के लिये बेताब हो रहे थे। मैं अपने अंडकोषों को सहलाते हुए, सुपाड़े के छेद पर जमा हुई पानी की बूंदों को देखते हुए, अपनी प्यारी नंगी बहन के बगल में बेड पर बैठ गया।

मेरे बेड पर बैठते ही दीदी ने अपनी आँखें खोल दी। ऐसा लग रहा था, जैसे वो एक बहुत ही गहरी निंद से जागी हो। जब उसने मुझे और मेरे खड़े लण्ड को देखा तो, जैसे उसे सब कुछ याद आ गया और उसने अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए, मेरे खड़े लण्ड को अपने हाथों में भर लिया और बोली- “ओह्ह... प्यारे, सच में तुमने मुझे बहुत सूख दिया है। ओहह... भाई, तुमने जो किया है, वो सच में बहुत खुशनुमा था। मैं बहुत दिनों के बाद इस प्रकार से झड़ी हूँ... ओहह... प्यारे, तुम्हारा लण्ड तो एकदम खड़ा है। ओह्ह... मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि मेरे प्यारे भाई का डण्डा खड़ा होगा और उसे भी एक छेद की जरूरत होगी। ओह्ह... डार्लिंग आओ, जल्दी आओ, तुम्हारे लण्ड में खुजली हो रही होगी। मैं भी तैयार हूँ, तुम्हारा खड़ा लण्ड देखकर मुझे भी उत्तेजना हो रही है, और मेरी बुर भी अब खुजलाने लगी है..."

“ऐसा नहीं है दीदी, अगर इस समय तुम्हारी इच्छा नहीं है तो कोई बात नहीं है। मैं अपने लण्ड को हाथ से झाड़ लूंगा...”

नहीं भाई, तुम अपनी बहन के होते हुए ऐसा कभी नहीं कर सकते, अगर कुछ करना होगा तो मैं करूंगी। भाई, मैं इतनी स्वार्थी नहीं हूँ कि, अपने प्यारे सगे भाई को ऐसे तड़पता हुआ छोड़ दें। आओ भाई, चढ़ जाओ अपनी बहन पर और जल्दी से चोदो, चलो, जल्दी से चुदाई का खेल शुरू करें...”

मैंने उसके होंठों पर एक जोरदार चुंबन जड़ दिया। और उसके मांसल, मलाईदार चूतड़ों को अपने हाथों से मसलते हुए, उससे कहा- “दीदी, तुम फिर से घुटनों के बल हो जाओ, मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूँ.."

मेरी बात सुनकर मेरी प्यारी सिस्टर ने बिना एक पल गंवाये, फिर से वही पोजीशन बना ली। उसने घुटनों के बल होकर, अपनी गरदन को पीछे घुमाकर मुश्कुराते हुए, मुझे अपनी बड़ी-बड़ी आँखों को नचाते हुए आमंत्रण दिया। उसने अपने पैरों को फैलाकर, अपने खजाने को मेरे लिये पूरा खोल दिया।

मैंने फिर से अपने चेहरे को उसकी जांघों के बीच घुसा दिया, और उसकी चूत को चाटने लगा। चूत चाटते हुए अपनी जीभ को ऊपर की तरफ ले गया, और उसकी खूबसूरत और मांसल गाण्ड की दरार में अपनी जीभ को घुसा दिया और जीभ निकालकर उसकी गाण्ड को चाटने लगा। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को फैलाकर, उसकी गाण्ड के छेद को चौड़ा कर दिया। फिर अपनी जीभ को कड़ा करके, उसकी गाण्ड में धकेलने की कोशिश करने लगा। उसकी गाण्ड बहुत टाईट थी और इसे मैं अपनी जीभ से नहीं चोद पाया।

मगर मैं उसकी गाण्ड को तब तक चाटता रहा, जब तक कि दीदी चिल्लाने नहीं लगी और सिसयाते हुए मुझे बोलने लगी- “ओह्ह... ब्रदर, अब देर मत करो। मैं अब गरम हो गई हैं। अब जल्दी से अपनी प्यारी बहन को चोद दो, और अपनी प्यास बुझा लो। मैं समझती हूँ, अब हमारा ज्यादा देर करना उचित नहीं होगा। ओह्ह... भाई, जल्दी करो और अपने लण्ड को मेरी चूत में पेल दो..”
 
मैंने अपने खड़े लण्ड को उसकी गीली चूत के छेद पर लगा दिया। फिर एक जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लण्ड उसकी बुर में, एक ही बार में पेल दिया। ओह्ह... क्या अदभुत अहसास था, यह। इसका वर्णन शब्दों में करना संभव नहीं है। उसकी रस से भरी, पनियाई हुई चूत ने, मेरे लौड़े को अपनी गरम आगोश में ले लिया। उसकी मखमली चूत ने मेरे लण्ड को पूरी तरह से कस लिया। मैं धक्के लगाने लगा। मेरी प्यारी बहन ने भी अपनी गाण्ड को पीछे की तरफ धकेलते हुए, मेरे लण्ड को अपनी चूत में लेना शुरू कर दिया। हम दोनों भाईबहन, अब पूरी तरह से मदहोश होकर मजे की दुनियां में उतर चुके थे।

मैं आगे झुक कर, उसकी कांख की तरफ से अपने हाथ को बाहर निकालकर उसकी गुदाज चूचियों को, उसके ब्लाउज़ के ऊपर से ही दबाने लगा। उसकी चूचियां एकदम कठोर हो गई थी। उसकी ठोस चूचियों को दबाते हुए मैं अब तेजी से धक्के लगाने लगा था, और मेरी दीदी के मुँह से सिसकारियां फूटने लगी थी।

दीदी सिसकाते हुए बोल रही थी- “ओह्ह... भाई, ऐसे ही, ऐसे ही चोदो, हाँ हाँ इसी तरह से जोर-जोर से धक्का लगाओ, भाई। इसी प्रकार से चोदो, मुझे...”

आह, शीईई, दीदी तुम्हारी चूत कितनी टाईट और गरम है। ओह्ह... मेरी प्यारी बहना, लो अपनी चूत में मेरे लण्ड को, ऐसे ही लो। देखो, ये लो मेरा लण्ड अपनी चूत में, ये लो, फिर से लो, क्या एक और दूं... ले लो, मेरी रानी बहन, हाये दीदी...”

मैं उसकी चूत की चुदाई, अब पूरी ताकत और तेजी के साथ कर रहा था। हम दोनों की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। ऐसा लग रहा था कि, किसी भी पल मेरे लौड़े से गरम लावा निकल पड़ेगा।

“ओह्ह... चोदू, चोदो, और जोर से चोदो। ओह्ह... कसकर मारो और जोर लगाकर धक्का मारो। ओह्ह... मेरा निकल जायेगा, उईई... कुत्ते और जोर से चोद मुझे। बड़ी बहन की बुर चोदने वाले, चोदू हरामी, और जोर से मारो, अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसाकर चोद, कुतिया के बच्चे, ३१शीईई, मेरा निकल जायेगा...”

मैं अब और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मैं अपने लण्ड को पूरा बाहर निकलकर, फिर से उसकी गीली चूत में पेल देता। दीदी की चूचियों को दबाते हुए, उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते और मसलते हुए, मैं बहुत तेजी के साथ दीदी को चोद रहा था।

मेरी बहन, अब किसी कुतिया की तरह कुकिया रही थी और वो अपने चूतड़ों को नचा-नचा कर, आगे-पीछे धकेलते हुए, मेरे लण्ड को अपनी चूत में लेते हुए, सिसिया रही थी- “ओह... चोदो, मेरे चोदू भाई, और जोर से चोदो। ओह्ह... मेरे चुदक्कड़ बलमा, श्श्शीईई, हरामजादे और जोर से मारो मेरी चूत को, ओहह... ओह... ईईस्स्स, आआहह, बहनचोद मेरा अब निकल रहा है, ओहहह, श्श्शीईई...” कहते हुए, अपने दांतों को पीसते हुए, और चूतड़ों को उचकाते हुए, वो झड़ने लगी।

मैं भी झड़ने ही वाला था। इसलिये चिल्लाकर उसको बोला- “ओह... कुतिया, लण्डखोर, साल्ली मेरे लिये रुको। मेरा भी अब निकलने वाला है, ओह्ह... रानी, मेरे लण्ड का पानी भी, अपनी बुर में लो, ओह... लो, लो, ओह्ह... ऊउफ्फ्फ ...”
 
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