Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी - Page 2 - SexBaba
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Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी

ठीक उसी समय मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं किसी के जोर से बोलने और चिल्लाने की आवाज सुन रहा हूँ। जब मैंने दरवाजे की तरफ मुड़ कर देखा तो... ओहह... ये मैं क्या देखा रहा हूँ? मेरे अंदर की सांस, अंदर ही रह गई।

सामने दरवाजे पर मेरी मम्मी खड़ी थी। उनका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था। वो क्रोध में अपने होंठों को काट रही थी और अपने कूल्हे पर अपने हाथ रखकर चिल्ला रही थी। उसका चिल्लाना तो एक पल के लिये हम दोनों भाई-बहन को कुछ समझ में नहीं आया। थोड़ी देर बाद हमें उसकी स्पष्ट आवाज सुनाई दे रही थी।

ओहह... तुम दोनों बिल्कुल अच्छे बच्चे नहीं हो, पापियों खड़े हो जाओ। क्या मैंने तुम्हें यही शिक्षा दी थी? ओह... तुमने मेरा दिमाग खराब कर दिया। एक भाई-बहन होकर...” इसके आगे वो कुछ भी नहीं बोल पाई।

मैं एकदम भोंचक्का रह गया था, और शीघ्रता से अपने लण्ड को अपनी बहन की चत में से निकाल लिया। मेरे लण्ड का पानी अभी नहीं निकला था। वो निकलने ही वाला था, पर बीच में मम्मी के आ जाने के कारण रुक गया था। इसलिये मेरा लण्ड दर्द कर रहा था। मेरे दिमाग को शायद अभी भी हमारी पूरी स्थिति की गंभीरता का अहसास नहीं हुआ था। इसलिये मेरा लण्ड अभी भी खड़ा और उत्तेजित था। फिर अचानक से एक झटके के साथ, उसमें से एक तेज धार के साथ पानी निकल गया। मेरे वीर्य की कुछ बूंदें उछलकर सीधी मम्मी के ऊपर, उसकी साड़ी और पेट पर जा गिरी। ये सब कुछ एक क्षण में हो गया था।

झड़ जाने के बाद, मेरे सामने खड़ी मम्मी को देखकर, मेरे दिमाग में डर हावी हो गया और मैं डरकर अपनी पैन्ट को खोजने लगा। मैं अपनी कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा था। मेरा लण्ड अब पानी छोड़कर लटक गया था। मेरी बहन तेजी के साथ बिस्तर पर से उतर गई और अपनी स्कर्ट को उसने चूतड़ों से नीचे गिरा लिया था। मेरी मम्मी कुछ नहीं बोल पाई और मेरे वीर्य को अपनी साड़ी और पेट पर से साफ करने लगी।

छीईई, छीईई...” कहते हुए, वो कमरे से बाहर बिना कोई शब्द बोले, हम दोनों को अकेला छोड़कर, निकल गई।
 
हम दोनों एकदम अचंभित होकर कुछ देर वहीं पर खड़े रहे, फिर हमने अपने कपड़े पहन लिये। हम दोनों के । अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि हम कमरे से बाहर जा सकें। मेरी बहन बहुत उदास थी और मैं बहुत डरा हुआ था।

दीदी ने कहा- “चलो जो हुआ, सो हुआ। अब हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है। हम इस स्थिति का सामना करतेकरीब एक घंटे के बाद हम दोनों नीचे गये, और फ्रेश होकर अपना लंच लिया। हम दोनों ठीक तरह से खा भी। नहीं पा रहे थे, क्योंकी हमारे दिल में डर भरा हुआ था। हम नहीं जानते थे कि, हमारे साथ क्या होने वाला है? फिर हम अपने कमरे में आ गये, मम्मी अपने कमरे में ही थी।

हमने दोनों थोड़ी देर तक पढ़ाई की। फिर नीचे उतरकर नौकरानी से मम्मी के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि मम्मी अपने कमरे में हैं, और उन्होंने कहा है कि उन्हें डिस्टर्ब न किया जाये। तभी कालबेल बज उठी। दरवाजे पर डैडी के ओफिस का चपरासी था, जो कि पापा का सूटकेस लेने के लिये आया था। पापा शायद चार दिनों के लिये बाहर जा रहे थे। मैंने हिम्मत करके मम्मी के कमरे का दरवाजा खटखटाया, और उसे इस बारे में बताया।

मम्मी ने सामने रखे हुए एक सूटकेस की ओर इशारा किया। मैंने चुपचाप उस सूटकेस को उठा लिया, और बाहर आकर उसे चपरासी को दे दिया। फिर हम दोनों भाई-बहन ने डिनर लिया और दीदी वापस कमरे में चली गई। मैं हिम्मत करके मम्मी के कमरे की ओर चला गया। दरवाजा खुला था और मैं सीधा मम्मी के पास इस तरह से गया, जैसे कुछ हुआ ही नहीं है और पूछा- “क्या आपने डिनर कर लिया है? क्योंकी नौकरानी अब घर जाना चाहती है..."

उसने कोई जवाब नहीं दिया और मैंने बाहर आकर नौकरानी को घर जाने के लिये कह दिया। हम दोनों भाईबहन, अब भी अपने अंदर काफी ग्लानि महसूस कर रहे थे। हमने एक-दूसरे से कोई ज्यादा बातचीत भी नहीं की। चूंकी हमारा कमरा एक था, इसलिये हम दोनों चुपचाप आकर सो गये। बेड के एक छोर पर वो और दूसरे छोर पर मैं लेट गया। हम दोनों ने एक-दूसरे को छुआ भी नहीं। दरवाजा भी खुला हुआ ही था। रात के 12:00 बजे के आस-पास अचानक मेरी नींद खुली। मुझे प्यास लगी थी।

मुझे महसूस हुआ कि, मेरी कमर के ऊपर कोई भी चीज रखी है। मैंने सोचा हो सकता है, ये मेरी दीदी का पैर हो। मगर जब मैंने उसे अपनी कमर के ऊपर से हटाने की कोशिश की, तो मुझे भारी महसूस हुआ। ऐसा लगा जैसे ये मेरी बहन के पैर नहीं है। मेरी आँखें खुल गई, और कमरे की मधिम रोशनी में मैंने जो देखा, उसने मेरे दिल की धड़कनें बढ़ा दीं। मेरा तो गला ही सूख गया।

ओह... ये मैं क्या देखा रहा था... मेरे और मेरी दीदी के बीच में हमारी मम्मी सोई हुई थी। एक पल के लिये तो मेरी समझ में कुछ नहीं आया, मगर फिर मैं टायलेट जाने के लिये बेड से नीचे उतर गया। मैं एक या दो कदम ही आगे बढ़ा पाया था।

तभि मम्मी की फुसफुसाहट भरी आवाज सुनाई दी- “कहां जा रहे हो, तुम?”
 
ओह्ह... मम्मी तुम जाग रही हो... मैं ये नहीं जानता था। मैं टायलेट जा रहा हूँ..”

“ठीक है... जरा रुको, मुझे भी वहीं जाना है...” कहते हुए, वो भी बेड से नीचे उतर गई।

जब वो खड़ी हो गई, तो मैंने उसे पूरी तरह से देखा। उसके बाल बिखरे हुए थे, उसने केवल ब्लाउज़ और पेटीकोट पहन रखा था। उसका गोरा चेहरा थोड़ा फूला हुआ-सा लग रहा था, मगर फिर भी उसकी सुंदरता में कोई कमी नहीं आई थी। वो गजब की जानमारू लग रही थी। जहां मैं खड़ा था, वहां तक आने के लिये उसने कदम बढ़ाये। जब वो चलने लगी तो, उसके कदम डगमगा गये और उसके मुँह से हल्की-हल्की बदबू भी आने लगी। थी। मुझे लग रहा था, शायद मम्मी ने घर में डैडी की शराब में से कुछ पी ली था।

जो भी हो, उसने मेरे नजदिक आकर, अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और आगे बढ़ते हुए मुझे अपने से सटा लिया। मैंने भी अपना एक हाथ उसकी कमर में डाल दिया।

मेरे ऐसा करने से मेरे बदन में एक हल्की सिहरन-सी हुई, और इस बात से मैं इनकार नहीं कर सकता था। मगर दोपहर की घटनाओं की रोशनी में, इस समय इस तरह का कोई भी ख्याल, मैं अपने दिमाग से कोसों दूर झटक देना चाहता था। टायलेट की तरफ जाते हुए, मम्मी का बदन मेरे बदन से रगड़ खा रहा था और उसकी एक चूची मेरे चेहरे पर दबाव डाल रही थी। इन सब कारणों से मेरे हाथ एकदम ठण्डे हो गये थे, और कमर से नीचे खिसक कर उसके चूतड़ों पर चला गया था।

टायलेट में पहुँच कर मम्मी ने लाइट ओन कर दी। तेज चमकदार रोशनी में वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। गोरा चेहरा, तीखे नाक-नक्श, बिखरे बाल, बड़ी-बड़ी नशे के कारण गुलाबी हुई आँखें और थोड़ा-सा फूला हुआ चेहरा, कुल मिलाकर उसे खूबसूरत ही बना रहे थे। उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थीं, जिसके कारण उसकी ब्लाउज़ में कैद चूचियां तेजी से उठ-बैठ रही थीं। उसने मेरी ओर देखा और मुश्कुराते हुए मुझसे पेशाब करने के लिये कहा। मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए मम्मी कि ओर देखा तो, वो मुश्कुराते हुए आगे बढ़ी और मेरे पीछे आकर, मुझे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया। फिर मेरे पजामे के नाड़े को खोलकर, उसे नीचे करके, मुझे पेशाब करने के लिये कहा।
 
मुझे बहुत शर्म आ रही थी, मगर साथ ही साथ मैं धीरे-धीरे उत्तेजित भी हो रहा था। क्योंकी मम्मी का मांसल बदन मेरी पीठ से चिपका हुआ था। मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूचियां, मेरी पीठ से चिपकी हुई हैं और मेरे चूतड़ उसकी मांसल जांघों के बीच के गड्ढे में, उसकी चूत के ऊपर चिपके हुए हैं। मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो गया और मेरे लिये पेशाब करना बहुत मुश्किल हो चुका था।

मम्मी अपनी गरदन को मेरे कंधे पर रखते हुए, अपने गाल को मेरे चेहरे से सटाकर, रगड़ते हुए बोली- “ओहह.. लड़के, क्या तुम्हें पेशाब नहीं आ रहा है... पेशाब करो, दिखाओ मुझे तुम कैसे पेशाब करते हो? मैंने तुम्हें चोदते हुए तो देखा ही है...”

मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था और मेरा लण्ड अब अपनी पूरी औकात पर आ गया था। यानी कि 7 इंच लम्बा हो गया था।

मेरे लण्ड को देखते हुए उसने कहा- “ओह्ह.. कितना बड़ा डण्डा है, तुम्हारा? तुम्हारी उमर के लिये तो ये बहुत बड़ा है, लेकिन बहुत अच्छा भी है...” इतना कहते हुए उसने अपने मुँह से चटकारे की आवाज निकाली। जैसे की खाने की कोई बहुत स्वादिष्ट चीज, उसे मिल गई हो। उसने मेरे लण्ड को अपने हाथों से पकड़ लिया।

मैंने इससे बचने की कोशिश की, मगर कोई फायदा नहीं हुआ। जब मैंने उसकी ओर पलटकर देखा तो, उसने सीधा मेरे होंठों पर अपने गरम मुलायम होंठ रख दिये और अपनी जीभ को मेरे मुँह में पेलने की कोशिश की। मुझे उसके मुँह से शराब का टेस्ट महसूस हुआ।

मम्मी मेरे लण्ड को थोड़ी देर तक सहलाती रही, फिर बोली- “ठीक है, अगर तुम पेशाब नहीं करना चाहते तो । कोई बात नहीं। मुझे पेशाब आ रही है, और मैं सोचती हूँ मुझे कर ही लेना चाहिए...” इतना कहने के बाद वो मेरे आगे आई और अपने पेटीकोट को अपने चूतड़ों के ऊपर उठाकर, घुटनों को मोड़कर, वहीं पर बैठ गई। ओहह... कितना मनोहर दृश्य मेरी आँखों के सामने था।

ओह दोस्तों, उसके खूबसूरत गोलाकार चूतड़, जो कि सफेद संगमरमर के जैसे थे और भूरे रंग की खाई के द्वारा अलग-अलग बंटे हुए थे, जिनके बीच में सिकुड़ा हुआ, छोटा-सा भूरे रंग का छेद था। ये सब देखते ही मेरी आँखें फैल गईं। मेरा मुँह और गला दोनों ही सूख गये, जब मैंने उसकी चूत को पीछे से देखा।
 
उसकी पेशाब करने की आवाज ने मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया था। पेशाब की तीखी गंध ने मेरे नथुनों को भर दिया और मेरे बदन में दौड़ते खून ने मेरे चेहरे पर आकर उसका रंग बदल दिया।

थोड़ी देर तक पेशाब करने और मुझे इस खूबसूरत, दिल को घायल कर देने वाला नजारा दिखाने के बाद, वो उठी और पेटीकोट को नीचे करके मेरी ओर देखते हुए प्यार से मुश्कुराते हुए बोली- “बेटे, अगर तुम्हें पेशाब लगी है तो तुम कर लो। मैं अपने कमरे में जा रही हैं और वहीं तुम्हारा इन्तेजार करूंगी...” कहकर वो बाथरूम से निकल गई।

मैं थोड़ी देर तक वहीं खड़ा सोचता रहा। इस बीच मेरा लण्ड थोड़ा ढीला हो गया था, इसलिये मैंने भी पेशाब कर लिया। बाथरूम से निकलकर जब मैं मम्मी के कमरे में पहुँचा, तो मैंने देखा कि डबल बेड पर मम्मी तकिये के सहारे पीठ टिकाकर बैठी थी। उसके सामने एक छोटी टेबल पर ग्लास में ड्रिंक रखा हुआ था। उसने इस समय अपने बालों को संवार लिया था। उसका पेटीकोट, उसकी नाभि से नीचे बंधा हुआ था। जिसके कारण उसका गोरा, मांसल पेट और नाभि दिख रहे थे। उसके ब्लाउज़ के आगे का एक बटन खुला हुआ था, जिसके कारण उसकी चूचियां एकदम बाहर की ओर निकली हुई दिख रही थीं। मैं धीमे कदमों से चलते हुए उसके पास पहुँचा।

उसने मुझे बेड पर बैठने का इशारा करते हुए पूछा- “क्या तुम ड्रिक लेना पसंद करोगे?”

मैं कुछ नहीं बोला, और चुपचाप उसकी तरफ देखता रहा।

उसने एक दूसरे ग्लास में ड्रिक डाल दी और थोड़ा मुश्कुराते हुए बोली- “लो पी लो, मैं समझती हूँ कि इसको लेने के बाद तुम अच्छा महसूस करोगे। फिर हम दोनों आराम से बात कर सकेंगे...”

मैंने देखा कि जब वो खुद ही मुझे ड्रिक ओफर कर रही है, तो मैंने उसे उठा लिया और एक ही सांस में पी गया।

उसने भी अपने ड्रिक को खाली कर दिया और फिर मेरी तरफ घूमकर बोली- “लड़के, तुम ऐसा कब से कर रहे हो?"

मैं चुप रहा।

देखो, मैं तुम्हें डांट नहीं रही हूँ। मैं सिर्फ इतना पूछना चाहती हूँ कि तुम ऐसा कैसे कर सकते हो? क्या तुम्हें डर नहीं लगा?”

मैंने बात को थोड़ा घुमाने के इरादे से, हिम्मत करके जवाब दिया- “तुम क्या बात कर रही हो, मम्मी... मैं चाहता हूँ कि तुम थोड़ा खुलकर बताओ...”

मुझे आश्चर्य है कि तुम दोपहर की घटना को इतनी जल्दी भूल गये। फिर भी मैं तुमसे खुलकर पूछती हूँ कि तुम ऐसा, यानी कि अपनी बहन को कब से चोद रहे हो?”

मुझे ड्रिंक और उसके खुले व्यवहार ने थोड़ा साहसी बना दिया था, लेकिन मैंने डरने और शर्माने का नाटक किया और हल्के से बड़बड़ाते हुए हाँ.. हूँ बोलकर चुप हो गया।
 
वह मुझसे लगातार पूछ रही थी- “बताओ मुझे, क्या तुम्हें जरा भी शर्म नहीं महसूस नहीं हुई, या पाप का एहसास नहीं हुआ, अपनी बहन को चोदते हुए?”

मैंने अपना सिर नीचे झुक लिया और कोई जवाब नहीं दिया। तब उसने मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे चेहरे को कोमलता से अपने हाथों में लेकर, मेरी आँखों में झांकते हुए कहा- “बेटे, मुझे विस्तार से बताओ, तुम दोनों के बीच ये सब कैसे हुआ?”
मैंने बड़े ही मासूमियत के साथ उससे माफी मांगी और उसकी आँखों में झांकते हुए, उससे वादा लिया कि वो नाराज नहीं होगी। उसके बाद मैंने उसे पूरी कहानी सुनाई।

मम्मी, यह लगभग 3 महीने पहले की बात है। एक दिन जब अचानक, मेरी नींद रात के करिब 12:00 या 12:30 बजे के आस-पास खुली। मैं बाथरूम जाने के लिये उठा। बाथरूम करने के बाद जब मैं वापस लौट रहा था, तब मैंने देखा कि आपके कमरे की लाइट जल रही थी और दरवाजा थोड़ा-सा खुला हुआ था। मैं अपने कमरे में घुसकर पर्दे के पीछे छिप गया और देखने लगा।

मैंने देखा कि तुम केवल पेटीकोट में ही कमरे के बाहर आ गई थी और तुम्हारी छातियां पूरी तरह से नंगी थी। फिर तुम अपने बालों का जूड़ा बनाते बनाते हुए सीधा बाथरूम के अंदर घुस गई थी। तुम्हारे खूबसूरत और नग्न बदन को देखाकर मेरे पैर जैसे जमीन से गड़ गये थे। मेरा मुँह सूख गया और मेरी रीढ़ कि हइडियों में एक कंपन दौड़ गई। तुम्हारी छातियां बड़ी ही कामुक अंदाज से हिल रही थीं। दम साधे मैं तुम्हें देखता रहा, तुम बिना बाथरूम का दरवाजा बंद किये, अपने पेटीकोट को ऊपर उठाकर पेशाब करने बैठ गई...”

पेशाब करने के बाद तुम सीधा अपने कमरे में गई और दरवाजा बंद कर लिया। मैं हिम्मत करके तुम्हारे कमरे कि खिड़की के पास चला गया। पिताजी बिस्तर पर तकिये के सहारे नंगे लेटे हुए थे और सिगरेट पी रहे थे। उनका डण्डा लटका हुआ और भीगा हुआ लग रहा था। तुमने पिताजी के पास पहुँचकर उनसे कुछ कहा और उनके हाथ से सिगरेट ले ली। फिर तुमने अपने पेटीकोट को खोलकर फेंक दिया और अपने एक पैर को उनके चेहरे के दूसरी तरफ डाल दिया। तुम्हारा एक पैर अभी भी जमीन पर ही था, ऐसा करके तुमने अपनी फुद्दी को पिताजी के मुँह से लगा दिया। उन्होंने तुम्हारे खूबसूरत चूतड़ों को अपने हाथों में भर लिया और तुम्हारी फुद्दीको चाटने लगे। तुम बहुत खुश लग रही थी, और अपने एक हाथ से अपनी छातियों को मसलते हुए सिगरेट भी पी रही थी। कुछ देर बाद तुमने सिगरेट फेंक दी और नीचे झुक कर पिताजी के डण्डे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी...”
 
कुछ ही देर में उनका डण्डा खड़ा हो गया। तुमने डण्डे को चूसना बंद कर दिया और अपने दोनों पैर को फैलाकर पिताजी के ऊपर बैठ गई। उनके इण्डे को अपने हाथों से पकड़कर तुमने उसे अपनी फुद्दी में घुसा लिया और उनके ऊपर उछलने लगी। तुम्हारे दोनों गोरे मुलायम चूतड़ मुझे स्पष्ट दिख रहे थे और उनके बीच का भूरा छिद्र भी अच्छी तरह से नजर आ रहा था। पापा का इण्डा बहुत तेजी के साथ तुम्हारी फुद्दी में अंदर-बाहर हो रहा था

और पीछे से तुम्हारी खूबसूरत चूत में घुसता हुआ पिताजी का डण्डा मुझे दिख रहा था। मैंने ब्लू-फिल्मों के बाद पहली बार ऐसा दृश्य देखा था। मेरे जीवन का यह अदभुत अनुभव था। यह इतना रोमांचित कर देने वाला, और वासना भड़का देने वाला दृश्य था कि मैं बता नहीं सकता। यह सब कुछ देखकर मेरे पैर कांपने लगे थे, और मेरा डण्डा एकदम से खड़ा हो गया था। मेरे लिये बरदाश्त कर पाना संभव नहीं था। एक ओर पिताजी तुम्हारी
खूबसूरत चूचियों को मसल रहे थे और दूसरी तरफ मैं भी अपने लण्ड को मसलने लगा...”

(कहानी सुनाते-सुनाते मैं पूरी तरह से गरम हो चुका था, इसलिये मैंने नंगे शब्दों का इस्तमाल शुरू कर दिया था।)

कुछ ही देर में मेरे लण्ड से पानी निकल गया। पर तुम दोनों काफी जोश में आ चुके थे और एक दूसरे के साथ खुलकर गंदे शब्दों का प्रयोग करते हुए चुदाई कर रहे थे। धीरे-धीरे मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। कुछ देर के बाद तुम शायद झड़ गई और पिताजी के ऊपर गिर पड़ी, वो भी शायद झड़ चुके थे और हांफ रहे थे। इतना सब कुछ देखकर, मैं अपने खड़े लण्ड को हाथ में पकड़े हुए वापस अपने कमरे में लौट आया...”

ये तो तुमने मेरी कहानी ही मुझे सुना दी। मैंने तुमसे पूछा था कि तुम्हारी बहन और तुम्हारे बीच, कैसे नाजायज संबंध बना? बेटे, मुझे उसके बारे में बताओ, मैं बहुत उत्सुक हूँ..”

ओह... मम्मी, आगे की कहानी बताने में, मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा। मैं थोड़ी शर्म भी महसूस कर रहा

लड़के, तुम बहुत शैतान हो। तुम्हें अपने मम्मी-पापा की चुदाई की कहानी बताने में कोई शर्म नहीं आई, मगर अपनी बहन के साथ की गई बेशर्मी की कहानी सुनाने में तुम्हें शर्म आ रही है। तुम एक दुष्ट पापी लड़के हो...”

नहीं मम्मी, ऐसा नहीं है। चलो, मैं शोर्ट में तुम्हें बता दें कि...”

नहीं, मुझे सारी कहानी विस्तार से बताओ और पूरी तरह से खुलकर बताओ कि कैसे तुमने अपनी बहन के साथ इतना बड़ा पाप किया? तुम्हें जब ऐसा करने में कोई शर्म नहीं आई, तो फिर मुझे उस पाप की कहानी बताने में, क्यों शर्म आ रही है?”

मेरे पास अब कोई रास्ता नहीं था, और मैंने उसे सब कुछ बता दिया।
 
उस रात, जब मैं लौटकर कमरे में आया तो, मैंने देखा कि दीदी शायद गहरी नींद में सोई हुई थी। उसका नाइटगाउन अस्त-व्यस्त हो गया था और उसकी खूबसूरत मांसल जांघे और पैन्टी में ढकी हुई, उसकी चूत दिख रही थी। मैं उसके पास आकर, उसकी जांघों पर हाथ फेरते हुए, उसकी पैन्टी को ध्यान से देखने लगा। उसकी पैन्टी उसकी चूत पर कसी हुई थी और ध्यान से देखने पर, उसकी चूत की फांकें स्पष्ट दिख रही थीं। मेरा दिल कर रहा था कि, मैं हाथ बढ़ाकर उसकी चूत को छू लूं। मैंने उसके चेहरे की ओर एक बार ध्यान से देखा कि हो । सकता है, वो जांघों पर हाथ फेरने से जाग गई हो। मगर दीदी अब भी गहरी नींद में सो रही थी। उसकी चूचियां, जो कि इस समय बहुत उभरी हुई, सीधी तनी हुई दिख रही थी और उसकी सांसों के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी। उसके नाइट-गाउन के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे। उसकी गोरी मुलायम चूचियों का ऊपरी भाग, फ्लोरोसेन्ट लाइट की रोशनी में चमक रहा था और मुझे अपनी ओर आमंत्रित कर रहा था।

वासना की आग में, मैं अब अंधा हो चुका था। दीदी की उभरी हुई चूचियों को देखाकर, मेरे हाथ बेकाबू होने । लगे। मैं हाथ बढ़ाकर उन्हें हल्के-हल्के दबाने लगा। फिर मैंने धीरे से नाइट-गाउन के सारे बटन खोल दिये और उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियों को दबाने और चूमने लगा। मुझे अब जरा भी होश नहीं था, ना ही मैं डर रहा था कि दीदी जाग जायेगी।

तभी बहन ने अपनी आँखें खोल दी, तो मैं थोड़ा सा डरा, मगर मैंने अपने हाथों को उसकी चूचियों पर से नहीं हटाया था। दीदी ने अपनी आँखें खोलकर मुझे देखा और मुश्कुराते हुए मेरे सिर के पीछे अपने हाथों को रखकर मेरे होंठों को चूम लिया। मुझे थोड़ा आश्चर्य तो हुआ।

पर तभी सिस्टर ने कहा- “ओह्ह.. भाई, क्या तुम मम्मी-पापा की चुदाई देखकर आ रहे हो...”

दीदी के ऐसे पूछने पर, मैं चौंक गया और मैंने पूछा- “तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है, दीदी?"

वो इसलिये भाई, क्योंकी तुम इतने ज्यादा उत्तेजित पहली बार लग रहे हो। मैं भी इतना ही उत्तेजित हो जाती थी, जब मैं मम्मी-पापा की चुदाई देखकर आती थी...”

ओह्ह... सिस्टर, इसक मतलब है कि, तुमने भी मम्मी और पापा की चुदाई देखी?”

येस ब्रदर, मैंने कई बार मम्मी-पापा का खेल देखा है। और हर बार मैं उतना ही उत्तेजित हो जाती थी, जितना आज तुम महसूस कर रहे हो। मगर मेरे पास बाथरूम में जाकर, उंगली या बैगन से करने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता था। पापा जब भी यहां होते हैं, वो दोनों हमेशा आपस में प्यार करते हैं, और खुलकर चुदाई करते हैं। मैंने उन दोनों का खेल बहुत बार देखा है। इसलिये मैं अब तभी देखने जाती हूँ, जब पापा कुछ दिनों की छुट्टी के बाद घर वापस आते हैं। उस समय पापा बहुत भूखे होते हैं और वो और मम्मी दोनों मिलकर बहुत जबरदस्त चुदाई करते हैं...”

ओहह.. दीदी, इसका मतलब बहुत दिनों से मम्मी-पापा की चुदाई देख रही हो। तुम ये भी जानती हो कि, किस दिन सबसे अच्छी चुदाई देखने को मिल सकती है? मगर सिस्टर, उसके बाद तुम बैगन का इस्तमाल क्यों करती हो? क्या तुम्हारे मन में, किसी आदमी के डण्डे का उपयोग करने की इच्छा नहीं हुई?”

भाई, मेरा तो बहुत मन करता था, मगर मेरे पास कोई रास्ता नहीं था। क्योंकी, मेरी सहेली कनिका ने मुझे पहले ही बता दिया था कि, बाहर के लड़कों के साथ बहुत सारे खतरे होते हैं। फिर हमारा गर्ल्स-स्कूल होने के कारण, कोई बोयफ्रेन्ड बनाना बहुत ही मुश्किल हो गया था...”
 
ओह्ह... दीदी, आज से पहले मैंने ऐसा मजेदार खेल केवल ब्लू-फिल्मों में ही देखा था। यह मेरे जीवन की पहली घटना है। इसने मुझे बहुत ही रोमांचित और उत्तेजित कर दिया है। इसलिये कमरे में आते ही, जब मैंने तुम्हारी नंगी जांघे और पैन्टी देखी तो, मैं बेकाबू हो गया और तुम्हारी छातियां दबाने लगा...”

ओहह... भाई, मैं समझ सकती हूँ कि तुम बहुत गरम हो गये होगे, तभी तुमने ऐसी हरकत की है। मैं तुम्हें अब तक एक छोटा लड़का ही समझती रही हूँ। मुझे नहीं पाता था कि तुम बड़े हो गये हो। मैं देखना चाहूंगी कि तुम कितने बड़े हो गये हो?” कहकर मेरी बहन उठकर बैठ गई। उसने मेरे पजामे को खोल दिया और मेरा लण्ड, जैसा कि तुम देख ही चुकी हो, 7 इंच का है और उस समय पूरी तरह से खड़ा था, को नंगा कर दिया।

लण्ड फनफनाते हुए बाहर निकल आया। इसको देखकर सिस्टर के मुँह से एक किलकारी निकल गई। फिर वो मुश्कुराते हुए बोली- “बहुत प्यारा है भाई, तुम्हारा लण्ड और काफी बड़ा भी है। मैं तो अभी तक तुम्हें बच्चा ही समझती थी, मगर तुम्हारे लण्ड को देखकर मुझे लग रहा है कि तुम बहुत बड़े हो गये हो...”

फिर दीदी नीचे झुक कर, मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरे लिये यह पहला और अनोखा अनुभव था। मुझे बहुत उत्तेजना हो रही थी और गुदगुदी भी हो रही थी। मैंने उसके मुँह से लण्ड को बाहर खींचने की कोशिश की। मगर बहन ने लण्ड के सुपाड़े को मुँह में भरकर चूसना जारी रखा हुआ था। यह बड़ा ही अनंददायक क्षण था मेरे लिये। पहली बार मैं अपने लण्ड को चुसवा रहा था, और वो भी मेरी प्यारी गुड़िया सी बहन द्वारा।

ओह्ह... दीदी, मुझे बहुत मजा आ रहा है, और मैंने ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया है.”
ब्रदर, तुम्हारा लण्ड सच में बहुत ही मजेदार है और मुझे चूसने में बहुत अच्छा लग रहा है। तुम्हारे इस खड़े लण्ड को देखने और चूसने से मेरी पैन्टी गीली महसूस हो रही है...” मेरी प्यारी बहन ने अपना मुँह, मेरे लण्ड पर से हटाते हुए कहा।

मुझे बहुत मजा आ रहा था, ऐसा लग रहा था कि मेरा फिर दुबारा से निकल जायेगा। इसलिये मैंने दीदी के बालों को पकड़कर, उसके मुँह को अपने लण्ड पर से हटाकर ऊपर उठा दिया और उसके होंठों को चूम लिया। बहना ने भी बहुत प्यार से मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच दबा लिया, और अपनी जीभ को मेरे मुँह में डाल दी। हम दोनों करिब पांच-सात मिनट तक दूसरे के होंठों को चूसते रहे।

कुछ देर बाद दीदी ने अपने चेहरे को मुझसे अलग किया और बोली- “ओह्ह... भाई, ये बहुत आश्चर्यजनक है कि हम दोनों को इस तरह का मौका मिला है। तुम अब बड़े हो गये हो। ओह्ह... ब्रदर, आओ हम दोनों जल्दी से चुदाई का खेल शुरू करे..” कहकर बहन बेड पर पीठ के बल लेट गई।

उसके नाइट-गाउन के सारे बटन तो, पहले से ही खुले हुए थे। अब उसने अपनी ब्रा भी उतार दी। उसकी गोलगोल, भारी चूचियों को मैंने अपने हाथों में ले लिया और एक चूची को मुँह में भरकर, दूसरी चूची को जोर से दबाते हुए चूसने लगा। दीदी के मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं। मैं धीरे-धीरे नीचे की ओर सरकता गया,

और मैंने अपने चेहरे को उसकी मोटी जांघों के बीच छुपा दिया।

उसकी झीनी पैन्टी के ऊपर से मैंने उसकी चूत को अपने मुँह में कैद कर लिया। मुझे ऐसा लगा, जैसे उसकी चूत के ऊपर बाल उगे हुए हैं। फिर मैंने जल्दी से उसकी पैन्टी को खींचा। दीदी ने भी अपने चूतड़ उठाकर, इस काम में मेरी सहायता की और मेरे सामने मेरी प्यारी बहन की खूबसूरत, हल्के झांटों वाली चूत नुमाया हो गई। मेरे अंदर जजबात का एक तूफान उमड़ पड़ा था। मैं अपने आपको, इतनी खूबसूरत और प्यारी चूत से, अब । अलग नहीं रख सकता था। अपनी इस उत्तेजित अवस्था में मुझे, अपने चेहरे को उसकी बुर में गाड़ देने में कोई हर्ज नजर नहीं आ रहा था। मैंने ऐसा ही किया और उसकी चूत को चाटने लगा, साथे में उनकी फांकों को अपनी जीभ से सहलाने लगा।
 
बहना ने अपने दोनों हाथों को मेरे सिर पर रख दिया और मेरे बालों में हाथ फेरते हुए, मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबाते हुए, अपनी गाण्ड को नचाते हुए, अपनी बुर मेरे चेहरे पर रगड़ ने लगी। उसकी चूत बहुत पानी फेंक रही थी। मुझे उसकी चूत का नमकीन पानी बहुत स्वादिष्ट लग रहा था। सिस्टर के मुँह से सिसकारियां निकलने लगी थी। वो अपने दोनों हाथों से, अपनी दोनों चूचियों को दबोचकर मसल रही थी।

मैं इस समय बहुत ही उत्तेजित अवस्था में था। मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत में पेल दिया और जीभ को चूत की दिवारों पर रगड़ते हुए अंदर घुमाने लगा। सिस्टर उत्तेजना के मारे अपनी गाण्ड हवा में उछाल रही थी। मेरे लिये उसपर काबू पाना मुश्किल हो रहा था। इसलिये मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को पकड़ लिया, । जिसकी वजह वो ज्यादा उछल नहीं पाये। फिर मैं उसकी बुर की टीट (क्लिट) को अपने होंठों के बीच दबाकर चूसने लगा।

दीदी- “ओहह... प्यारे, जानू मेरे, ओह्ह... अब चढ़ जाओ मेरे ऊपर, उफ्फ्फ्फ , १३श्शशीईई, अब मेरे लिये, ओह्ह... सनम, मेरे प्यारे भाई, जल्दी करो, अब मुझसे ये खुजली बरदाश्त नहीं हो रही है, तुम्हें मेरी चूत का रस पीने के और भी मौके मिलेंगे। आज हमारा पहला मिलन होने वाला है। देर मत करो ब्रदर, अपने मोटे फनफनाते हुए। लौड़े को जल्दी से मेरी चूत में पेल दो...”

मैं भी अब उसको चोदने की जरूरत महसूस कर रहा था। मैंने जल्दी से अपने चेहरे को उसकी जांघों के बीच से हटाया और अपने आपको उसकी जांघों के बीच ले आया। फिर एक हाथ से अपने खड़े लण्ड को पकड़कर उसकी चूत के गुलाबी छेद पर लगाके एक जोरदार झटका दिया। मेरा लण्ड दनदनाता हुआ सीधा उसकी चूत में घुसता चला गया।

दीदी के मुँह से एक चीख निकल गई। शायद मेरे इतनी तेजी के साथ लण्ड घुसाने के कारण उसे दर्द होने लगा था, मगर उसने अपने आपको संभाल लिया और मुझे कसकर अपनी बांहों में चिपटा लिया। ये सच है कि मैंने अपने दोस्तों से चुदाई संबंधी बहुत सारी बातें की हुई थी, और मैंने कुछ किताबें और फोटो अल्बम भी देखे हुए थे। लेकिन तुम्हारी और पापा की चुदाई देखने के बाद मैं एकदम पागल हो गया था। मेरे अंदर वासना का तूफान खड़ा हो गया था। मैं बहन की सिसकारियों और चीखों की तरफ बिना कोई ध्यान दिये, बहुत जोरदार धक्के लगा रहा था।
 
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