hotaks444
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गुप्ता जी - क्यों बंसल? तुमने उसकी इनर थाइस तो देखी होगी? कितनी गोरी है?
बंसल - नहीं सर, मैंने कभी उसकी इनर थाइस नहीं देखी।
गुप्ता जी - ओह क्यों? क्या वो शॉर्ट्स नहीं पहनती?
बंसल - नही।
गुप्ता जी - लेग्गिंग्स, टाइट सलवार?
बंसल - हाँ।
गुप्ता जी - तब तो आपने उसकी जांघों को देखा होगा। कैसी है उसकी थाइस?
बंसल - हाँ देखी है मोटी हैं काफी।
गुप्ता जी - (अपना लंड पेंट के ऊपर से मसलते हुए।। ) वो।।। मुझे साड़ी में उसकी हिप्स देख के ही पता चल गया था की उसकी जाँघे मोटी होंगी।)
बंसल - अच्छा मैं अब घर जांउगा।
गुप्ता जी को लगा की अब यहीं रुक जाना चाहिए इससे पहले बंसल को बुरा लग जाये। वो उसे अपनी कार में बैठा कर होटल छोड़ दिया। दरवाजे पे पहुच कर बंसल ने डोर बेल्ल बजाए। उससे सीधे खड़ा हुआ नहीं जा रहा था।
शालु जब दरवाजा खोलती है तो अपने पापा की ऐसी हालत देख उन्हें कन्धा देती है। कंधे पे जब वो उन्हें सम्भालती है तब उसके पापा का हाथ ठीक उसके बूब्स पे चला जाता है। अपने शरीर का वजन न सँभाल पाने के कारण वो अपने हाथ से कस के शालु के बूब्स दबा देता है। शालु लाचार अपने बूब्स को दबवाती बिस्तर तक आती है। जैसे ही उन्हें लिटाती है, बंसल का हाथ शालु के गले में होता है और वो उनके ऊपर गिर जाती है। शालु इस कदर अपने पापा पे गिरती है की उसकी जाँघो पे उसके पापा का लंड महसूस होता है।
शालु अपने आप को सम्भालती है, और उठ कर बेड पे बैठ जाती है। बंसल पूरी तरह नशे में था और उसकी आँख बंद थी। उसके शर्ट से शराब की बदबू आ रही थी। शालु को शराब की बदबू बर्दाश्त नहीं होती और वो पापा के शर्ट के बटन खोलने लगती है। शर्ट को अलग कर पहली बार वो अपने पापा के चेस्ट को देखती है। उसे समझ में नहीं आता की वो क्या करे तो वो अपने पापा के पेंट को भी बदलने की सोचती है। वो पेंट की तरफ देखती है, और फिर अपना हाथ आगे बढा कर एक बटन खोलती है, फिर धीरे से पेंट का चैन खोलने लगती है। पेंट के अंदर अपने पापा के कुछ उभार को छु कर उसे कुछ अजीब सा लगता है। वो पेंट निकालने के लिए जोर से खिचती है, लेकिन अगले ही पल पेंट उसके पापा के अंडरवियर के साथ नीचे खींच जाती है।
बंसल - नहीं सर, मैंने कभी उसकी इनर थाइस नहीं देखी।
गुप्ता जी - ओह क्यों? क्या वो शॉर्ट्स नहीं पहनती?
बंसल - नही।
गुप्ता जी - लेग्गिंग्स, टाइट सलवार?
बंसल - हाँ।
गुप्ता जी - तब तो आपने उसकी जांघों को देखा होगा। कैसी है उसकी थाइस?
बंसल - हाँ देखी है मोटी हैं काफी।
गुप्ता जी - (अपना लंड पेंट के ऊपर से मसलते हुए।। ) वो।।। मुझे साड़ी में उसकी हिप्स देख के ही पता चल गया था की उसकी जाँघे मोटी होंगी।)
बंसल - अच्छा मैं अब घर जांउगा।
गुप्ता जी को लगा की अब यहीं रुक जाना चाहिए इससे पहले बंसल को बुरा लग जाये। वो उसे अपनी कार में बैठा कर होटल छोड़ दिया। दरवाजे पे पहुच कर बंसल ने डोर बेल्ल बजाए। उससे सीधे खड़ा हुआ नहीं जा रहा था।
शालु जब दरवाजा खोलती है तो अपने पापा की ऐसी हालत देख उन्हें कन्धा देती है। कंधे पे जब वो उन्हें सम्भालती है तब उसके पापा का हाथ ठीक उसके बूब्स पे चला जाता है। अपने शरीर का वजन न सँभाल पाने के कारण वो अपने हाथ से कस के शालु के बूब्स दबा देता है। शालु लाचार अपने बूब्स को दबवाती बिस्तर तक आती है। जैसे ही उन्हें लिटाती है, बंसल का हाथ शालु के गले में होता है और वो उनके ऊपर गिर जाती है। शालु इस कदर अपने पापा पे गिरती है की उसकी जाँघो पे उसके पापा का लंड महसूस होता है।
शालु अपने आप को सम्भालती है, और उठ कर बेड पे बैठ जाती है। बंसल पूरी तरह नशे में था और उसकी आँख बंद थी। उसके शर्ट से शराब की बदबू आ रही थी। शालु को शराब की बदबू बर्दाश्त नहीं होती और वो पापा के शर्ट के बटन खोलने लगती है। शर्ट को अलग कर पहली बार वो अपने पापा के चेस्ट को देखती है। उसे समझ में नहीं आता की वो क्या करे तो वो अपने पापा के पेंट को भी बदलने की सोचती है। वो पेंट की तरफ देखती है, और फिर अपना हाथ आगे बढा कर एक बटन खोलती है, फिर धीरे से पेंट का चैन खोलने लगती है। पेंट के अंदर अपने पापा के कुछ उभार को छु कर उसे कुछ अजीब सा लगता है। वो पेंट निकालने के लिए जोर से खिचती है, लेकिन अगले ही पल पेंट उसके पापा के अंडरवियर के साथ नीचे खींच जाती है।