Incest Kahani मेरी भुलक्कड़ चाची - Page 3 - SexBaba
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Incest Kahani मेरी भुलक्कड़ चाची

फूफा शायद अब पूरे जोश मे थे और तेज़ी से चोदने लगे, फिर 5, 6 धक्कों मे वो भी झड़ गये और चाची पर लेट गये, चाची उनके पीठ (बॅक) को कस कर जकड लिया और उनसे चिपक गयी, खुच देर बाद उन्होने फूफा को अपने से अलग किया और कपड़े ठीक करने लगी, तभी फूफा ने चाची को अपनी तरफ खींचा और किस कर लिया चाची शरमाते हुए उठी और सीधा नीचे चली गई. मेरी भी हालत कुछ अच्छी नही थी मे अभी भी अपने छोटेसे लंड को तना हुआ महसूस कर रहा था शायद यही मेरा सेक्स का पहल अनुभव था जिसे मैने अपनी आँखों के सामने देखा था, अब मुझे भी ये सब देखना अच्छा लगने लगा था.


दूसरे दिन मे जब सुबह 7 बजे उठा तो देखा फूफा बिस्तर पर नही थे विकाश अभी भी मेरे ही सोया था, मे उठा और अपने कमरे मे जा कर टूतपेस्ट और ब्रश लिया और छत की सीढ़ियों पर बैठ गया था भी देखा चाची चाइ (टी) लेकर फूफा के कमरे मे जा रही है, मे भी सीधे नीचे उतरा और खिड़की के पास जा कर खड़ा होगया अंदर से फूफा और चाची की आवाज़ आ रही थी.


चाची: "क्या बात आज तो बड़े फ्रेश लग रहे है"


फूफा: "हां...कल रात पहली बार इतनी अच्छी नींद आई"


चाची: "हमारी तो नींद ही उड़ा दी आपने"


फूफा: "क्यूँ क्या हुआ?"


चाची: "कल रात भर मे ठीक से नींद नही आई..पूरे बदन मे दर्द सा है"


फूफा:" क्यूँ कल रात तुम्हे मज़ा नही आया क्या?"


चाची:" हाए राम...कितना मोटा है आपका अभी तक दर्द हो रहा है...लग रहा है अभी भी अंदर है"


फूफा: "रात को तो बड़े मज़े से ले रही थी...अब कह रही हो दर्द हो रहा है"


चाची: "मना कर देती तो अच्छा होता.. ये दर्द तो नही होता"


फूफा: "बड़ी नाज़ुक हो..एक ही बार मे डर गयी...अब तो रोज करना है"


चाची: "ना बाबा...अभी 2, 3 दिन नही"


फूफा: "2, 3 दिन!!....अर्रे मेरा तो अभी भी खड़ा है तुम्हारी चूंची और चूतर देख कर..क्यूँ ना हम अभी !!"


चाची: "आआहह राजेश क्या कर रहे है आप, दरवाज़ा खुला है कमल आ जाएगी, आआअहह मत दबाओ दर्द हो रहा है"


फूफा: “उपरवालेने बड़े फुरशत मे बनाया है आपको”


चाची: “छोड़िए ना कोई आ जाएगा”


फूफा: "अर्रे 2 मिनट. मे हो जाएगा...सारी उपर करो ना!!"


चाची: "राजेश अभी नही, दोपहर मे कर लेना उूउउइ ऊओ नही"


फूफा: "अर्रे दोपहर मे भी कर लेंगे..अभी तो लंड खड़ा होगया है, तुम्हारी चूत लिए बिना मानेगा नही, तुम घूम के टेबल के सहारे झुक जाओ"
 
चाची: "ऊफ़्फूओ नही"


फूफा: "अर्रे घुमो ना...जल्दी से कर लूँगा"


चाची: "आप तो दीवाने हो गये हो..मुझे बदनाम कर के ही छोड़ेंगे"


फूफा: “जल्दी उठाओ ना!!”


चाची: “नही छोड़िए मे जा रही हूँ..”


फूफा: “अर्रे सुनो ना जल्दी कर लूँगा”


चाची: “नही दोपहर मे कर लेना”


फूफा: “अर्रे रूको !!”


चाची की आने की आहट सुन कर मैं छत (टेरेस) की सीढ़ियों (स्टेर केस) के पीछे चुप गया, चाची कपड़े ठीक करते हुए नीचे चली गयी. मैने उनकी पूरी बाते सुनली थी और सोच रहा था कि आज फिर दोपहर मे चाची की चुदाई होगी पर कहाँ होगी ये तो पता नही था, क्यूँ ना आज फिर चाची पर नज़र रखी जाए.


मैं फ्रेश हुआ और ब्रेकफ़स्ट के लिए किचन मे गया देखा मा और बुआ किचन मे खाना बना रहे थे मुझे देख कर बुआ ने पूछा "राज आज तो बड़ी जल्दी उठ गया नाश्ता किया?" मैने सर हिलाते हुए ना कहा बुआ बोली "जा फूफा को भी बुला लेआ, दो साथ मे ही नाश्ता कर्लो" मैं उन्हे बुलाने उपर की तरफ जाने लगा तभी देखा भूरा चुप चाप बाथरूम के पास खड़ा है मैने सोचा वो भी नाश्ते के लिए आया होगा पर वो अजीब सी हरकत कर रहा था बार बार बाथरूम की तरफ देखता और फिर तुरंत पीछे देखने लगता. मुझे देख कर वो थोड़ा घबराया और वही चुप चाप खड़ा हो गया पर मैं बिना रुके उपर चला गया और फूफा को नाश्ते के लिए नीचे आने के लिए कहा. फिर मैं दबे पैर बिना आवाज़ किए नीचे आया और छुप कर भूरा को देखने लगा वो बाथरूम की दरार से अंदर की तरफ देख रहा था मैं सोच मे पड़ गया कि ये क्या देख रहा है वैसे भी सुबह का समय था शायद उस भी नहाना हो पर वो तो डेली दालान मे हॅंडपंप पर नहाता है मे वहाँ से निकला और किचन की तरफ जाने लगा भूरा ने मुझे देखा और फिर वहाँ से चला गया.


कुछ देर बाद मैने देखा चाची बाथरूम से बाहर निकल रही है, उन्होने सिर्फ़ वाइट कलौर की ब्लाउज और पेटिकोट ही पहने हुई थी और उनके हाथ मे टवल था, मुझे देखते ही पूछी "राज..विकी उठ गया?" मैने कहा "वो अभी तक सो रहा है" ये कहती हुई प्रेम चाचा के कमरे मे चली गयी और फिर सारी पहन कर निकली और उपर छत (टेरेस) की तरफ चली गयी.
 
मैं किचन मे गया और कुछ देर बाद फूफा, प्रकाश और प्रेम चाचा भी आ गये थे हम सब बैठ कर नाश्ता करने लगे तभी चाची किचन मे आई और चाइ पीने लगी, फूफा तिरछी नज़र से चाची को देख रहे थे चाची भी देख रही थी दोनो मुस्कुरा रहे थे. मैं और प्रकाश चाचा हाथ ढोने के लिए बाहर आए तभी मैने देखा फूफा कुछ चाची को इशारा कर रहे है पर चाची कुछ समझ नही पा रही थी फिर फूफा भी बाहर आए, चाचा और फूफा कुछ बाते कर रहे थे. तभी चाची वहाँ आई और चाचा से कहने लगी "आप शाम मे कब तक आज़ाओगे?"


प्रकाश चाचा: "कुछ ठीक नही है..रात हो जाएगी, क्यूँ कुछ काम था"


चाची: "नही...कुछ बाज़ार से समान मंगाना था"


प्रकाश चाचा: "तो ठीक है देदो मे आते वक़्त ले आउन्गा"


चाची: "रहने दीजिए मे किसी और से मॅंगा लूँगी"


फूफा: "क्या लाना है मुझे बता दीजिए मे ले आता हूँ"


प्रकाश चाचा: "हाँ...राजेश जी भी बाज़ार जाने वाले है, इन्हे देदो ये ले आएँगे"


फिर प्रकाश चाचा और फूफा दालान मे चले गये, मैं समझ गया आज दोपहर मे चाचा नही है, फिर तो फूफा आज ज़रूर मज़े करेंगे. उनके जाते ही भूरा आया और चाची को नाश्ते के लिए बोला.


चाची:" भूरा नाश्ता करके ज़रा ये चावल की बोरी छत पर पहुँचा दे!"


भूरा:" जी मालकिन"


चाची: "और हां...अभी तू कहीं जाना मत थोड़ा छत पर काम है, कपड़े सुखाने है और थोड़ा कमरे की सफाई करनी है"


भूरा: "ठीक है मालकिन मे कर दूँगा"


इतना बोलते हुए चाची नाश्ता लाने अंदर चली गयी, भूरा वही आँगन मे बैठ गया जब चाची नाश्ता देने के लिए झुकी उनकी चूंचिया नीचे लटक गयी ये देख कर भूरा की आँखे बड़ी हो गयी. नाश्ता करने के बाद भूरा ने चाची को आवाज़ दी "छोटी मालकिन ये बोरी कहाँ रख ना है?" चाची: "कमाल के कमरे मे रखना". भूरा ने बोरी उठाई और उपर ले गया चाची भी कपड़े की बाल्टी लिए उपर आ गयी, ये देखते ही भूरा ने बाल्टी चाची के हाथ से ली और छत पर चला गया. चाची कपड़े सुखाने लगी, भूरा वही खड़ा था और चाची के बदन को घूर रहा था, चाची ने सारी थोड़ी उपर चढ़ा रखा था जिनसे उनके गोरे गोरे पैर साफ दिख रहे थे चाची जब जब कपड़े लेने के लिए नीचे झुकती भूरा अपना लंड सहलाने लगता, पानी लगने की वजह से चाची की ब्लाउज थोड़ी गीली हो गयी और निपल दिख रहे थे. भूरा बड़े मज़े से ये सब देख रहा था तभी चाची बोली "भूरा जाके नीचे के दोनो कमरे साफ कर्दे" भूरा बोला "और कुछ काम है मालकिन" चाची बोली " नही तू जा मैं ये कपड़े सूखा लूँगी".
 
मैं ये सब दालान से देख रहा था फिर मैं भी उपर अपने कमरे मे चला गया और भूरा को देखने लगा, भूरा सब से पहले चाची के कमरे मे गया और सफाई करने लगा तभी उसकी नज़र टेबल पर रखे हुए कपड़े पर पड़ी वो उन्हे उठा कर एक तरफ रखने लगा तभी उसने देखा उन कपड़ो मे चाची की ब्रा और पॅंटी थी ये देख कर उसके चेहरे पर चमक आ गयी उसने यहाँ वहाँ देखा और ब्रा और पॅंटी को अपने नाक से लगा कर सूंघने (स्मेल) लगा. मुझे ये सब बड़ा अजीब लग रहा था की ये भूरा क्या कर रहा है, फिर अच्छाणक उसने अपने हाथ अपने लंड पर रखा और उस दबाने लगा कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा मे उस का लंड देख कर डर गया, उसका लंड एक दम कला और तकरीबन 8इंच. लंबा और 2इंच मोटा होगा,

मुझे लगा ये इंसान का लंड है या जानवर का. तभी मुझे सीढ़ियों से नीचे आने की आवाज़ आई मे अपने कमरे मे चला गया (आप लोगो को बता दूं कि मेरा कमरा चाची के कमरे के एक दम पास मे है और सीढ़ियों से उतरते ही राइट हॅंड साइड मे चाची के कमरे की खिड़की है जो सीढ़ियों से साफ दिखती). नीचे उतरते वक़्त चाची की नज़र उनकी खिड़की की तरफ पड़ी और वो वही रुक गयी और छुप कर अंदर देखने लगी, मुझे पता था चाची अंदर भूरा का लंड देख रही है, उनके चेहरे से साफ दिख रहा था कि उन्होने भी इतना मोटा लंड पहली बार देखा है, चाची की आँखे बड़ी हो गयी थी और चेहर लाल पड़ रहा था, अपने एक हाथ से चूंचियों को दबा रही थी. चाची वहाँ काफ़ी देर तक खड़ी रही शायद उन्हे भी ये नज़ारा अच्छा लग रहा था. कुछ देर बाद भूरा मेरे कमरे मे आया मैं उसे बिना देखे कमरे से बाहर निकल गया, चाची भी नीचे जा चुकी थी.


मैने अब दोपहर का इंतज़ार करने लगा, उस दिन मे बाहर खेलने नही गया और और चाची पे नज़र रखने लगा की चाची कहाँ जा रही है, क्या कर रही है. दोपहर के 1 बाज गये थे सब खाने के लिए बैठ थे, पर फूफा की नज़र तो चाची को ही ढूंड रही थी. सबने खाना खा और दोपहर की नींद की तैयारी मे लग गये पर फूफा तो बड़ी बेचैन नज़रों से चाची को ढूँढ रहे थे पर चाची दिखी नही. फूफा उपर अपने कमरे की तरफ जा रहे थे मे भी मौका देख कर उनके पीछे चल दिया पर वो तो सीधे चाची के कमरे मे घुस गये, मे भी दबे पैर अपने कमरे मे चला गया और वहाँ से सुनने की कोशिस करने लगा, चाची अपने कमरे मे थी.

क्रमशः.............
 
गतान्क से आगे..............

फूफा: “अर्रे हमने तो सारा घर ढूँढ लिया और आप यहाँ बैठी हैं”


चाची: “क्यूँ ऐसा भी क्या ज़रूरी काम आ गया था कि हमे ढूंड रहे थे”


फूफा: “यही बताउ या फिर कहीं और चलें?”


चाची: “यहीं बता दीजिए”


फूफा: “ठीक है”


चाची: “उ माआ..... क्या कर रहे है आप, कोई ऐसे दबाता है, मेरी तो जान ही निकाल देते हो...जाइए मे आपसे बात नही करती”


फूफा: “तुम तो बहुत जल्दी नाराज़ हो जाती हो, अच्छा बताओ दोपहर मे कहाँ मिलॉगी”


चाची: “नही...मुझे आज बहुत काम है”


फूफा: “ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी”


चाची: “आअहह...ये क्या कर रहे हो... कोई आ जाएगा दरवाज़ा खुला है....आअहह अऔच दर्द हो रहा है छोड़ो ना!”


फूफा: “पहले वादा करो दोपहर मे आओगी”


चाची: “नही..”


फूफा: “ठीक है..”


मैने सोचा क्यूँ ना थोड़ा देखा जाए क्या हो रहा है पर डर भी लग रहा था. मे दीवार से चिपकते हुए दरवाज़े के अंदर देखने लगा. चाची बिस्तर पर लेटी हुई थी और फूफा एक हाथ से चाची के चूंचियों को दबा रहे थे और दूसरे हाथ से सारी उपर कर रहे थे. चाची तुरंत खड़ी हो गयी और कपड़े ठीक करने लगी, फूफा ने चाची को पीछे से पकड़ा और उनके गालो पर किस करने लगे, तभी चाची बोली “छोड़िए ना...ठीक है मे दोपहर मे आ जायूंगी, अब तो छोड़िए”


फूफा: “ये हुई ना बात..”


चाची: “पर कहाँ?”


फूफा: “यही पर... तुम्हारे कमरे मे”


चाची: “नही नही दीदी (मेरी मा) दोपहर मे यही सोती है”


फूफा: “तो ठीक है मेरे कमरे मे आ जाना”


चाची: “नही नही वहाँ पर कोई ना कोई आता जाता रहता है”


फूफा: “फिर कहाँ?”


चाची: “एक काम करो मे जब मे जूटन (वेस्ट फुड) डालने दालान मे आउन्गि तो तुम मुझे वही मिलना”


फूफा: “दालान मे?”


चाची: “हां....वहाँ जो आखरी वाला कमरा है जिसमे जानवरों के लिए घास रखी है वही पर”


फूफा: “पर वहाँ तो भूरा होगा ना”


चाची: “नही होगा मे उस बाज़ार भेज रही हूँ, कुछ घर के लिए समान लाने के लिए”
 
फूफा: “तो कितने बजे आओगी”


चाची: “कुछ बोल नही सकती, पर तुम 2.30 बजे के करीब दालान मे ही रहना”


फूफा: “ठीक है”


मैं सोच मे पड़ गया, कि मे उस कमरे मे ये सब देखूँगा कैसे क्यूँ कि उस कमरे मे कोई खिड़की नही थी. काफ़ी देर सोचने के बाद मुझे याद आया कि उस कमरे मे उपर की तरफ एक जगह है जहा पर काफ़ी अंधेरा है और बहुत सारे वेस्ट समान पड़े है, मे वहाँ आराम से बैठ कर ये सब देख सकता हूँ वो जगह मैने छुपा छुपी (हाइड & सीक) खेलते वक़्त ढूंढी थी, पर उपर जाने की लिए मुझे सीढ़ी (स्टेर) की ज़रूरत थी मैं तुरंत गया और दालान मे रखी लकड़ी की सीढ़ी वहाँ लगा आया और पूरी तरह देख लिया कि मे वहाँ महफूज़ हूँ कि नही.


दोपहर का समय था इसीलिए घर मे काफ़ी सन्नाटा था, मे गेस्ट रूम मे जा कर बैठ गया, कुछ देर बात फूफा वहाँ आए और लेट गये ह्मने कुछ देर बाते की फिर फूफा सोने लगे मे वहाँ से उठा और दरवाज़े पर रखी चेर पर बैठ गया वहाँ से किचन और आँगन दिखता था. तकरीबन 3 बज गये थे तभी मे चाची को आते देखा उनके हाथ मे एक बाल्टी थी जिसमे झूतान भरा हुआ था, मे तुरंत दबे पैर वहाँ से निकला और दालान के आखरी वाले कमरे मे उपर जा कर छुप गया. 5मिनट. बाद चाची अंदर आई और बाल्टी नीचे रख कर यहाँ वहाँ देखने लगी तभी फूफा भी अंदर आ गये और दरवाज़ा बंद कर लिया और तुरंत एक दूसरे से लिपट गये और किस करने लगे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो सालो के बाद मिल रहे है. फूफा ने चाची की सारी को उपर कर दिया और चूतर को मसल्ने लगे, चाची भी जोश मे किस करने लगी, 2, 3 मिनट. बाद फूफा बोले “कोमल लंड चुसोगी?”


चाची: “छीई... नही मैने कभी पहले नही लिया”


फूफा: “अर्रे एक बार लेके तो देखो बड़ा मज़ा आएगा”


चाची: “ना बाबा...मैं नही लेती मूह मे...कोई भला मूह मे भी लेता है”


फूफा: “अर्रे औरते तो को तो लंड चूसने मे बड़ा मज़ा आता है, कमल भी चुस्ती है...उसे तो चूत से ज़्यादा मूह मे लेना अच्छा लगता है, तुम भी एक बार ले के देखो...अगर अच्छा नही लगा तो दोबारा मत लेना”


चाची: “नही नही मुझे वॉमिट हो जाएगी”
 
फूफा: “अर्रे कुछ नही होगा”


इतना कहते हुए फूफा ने चाची को नीचे बिठा दिया, लंड चाची के मूह के पास लटक रहा था चाची ने तो पहले सिर्फ़ थोड़ा सा ही लंड अपने होंठो पर लगाया और किस करने लगी कुछ देर बाद चाची ने लंड के टॉप को मूह के अंदर लिया और चूसने लगी शायद चाची को अब अच्छा लग रहा था उन्होने थोड़ा और अंदर लिया और चूसने लगी, फूफा का लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था और चाची के मूह को चोद रहे थे चाची भी लंड को काफ़ी अंदर तक ले रही थी. अचानक फूफा ने लंड चाची के मूह से निकाला और चाची को खड़ा कर दिया और खुद नीचे बैठ गये और चाची के सारी उपर करने लगे चाची ने सारी अपने हाथ से उपर कर ली और फूफा ने चाची की पॅंटी उतार दी और थाइ पर हाथ फिराने लगे तभी अपनी एक उंगली उन्होने चूत के अंदर डाल दी और अंदर बाहर करनेलगे फिर अपनी ज़बान से चूत को चाटने लगे इतने मे चाची के मूह से सिसकारियाँ निकलने लगी, चाची अब पूरी तरह से गरम हो गयी थी और फूफा के सर को पकड़ कर अपनी चूत पे दबा रही थी. तभी फूफा ने एक तरफ थुका शायद ये चाची के चूत का पानी था.


चाची एक हाथ से सारी पकड़ी हुई थी और दूसरे हाथ से अपना ब्लाउज उपर किया और चूंची दबाने लगी मे पहली बार चाची की चूत और चूंची को उजाले मे देख रहा था मेरा भी लंड खड़ा हो गया था. तभी फूफा चाची को सीढ़ी के पास लाए और उन्हे झुका दिया जिसे उनके गोरी गोरी चूतर साफ दिख रही थी, चाची ने सीढ़ी पकड़ी हुई थी और चूतर काफ़ी पीछे किया हुआ था, ताकि फूफा को लंड डालने मे आसानी हो. फूफा चाची की गंद को घूर रहे थे उन्होने भी पहली बार चाची को उजाले मे नंगा देखा था फिर अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और चाची के चूत पर रगड़ने लगे, तभी चाची बोली “राजेश अब डाल भी दो..ज़्यादा वक़्त नही कोई भी आ सकता है”


फूफा: “अर्रे इतनी जल्दी क्या है ज़रा जी भर के देख तो लेने दो तुम्हारी चूत और गंद को”


चाची: “अर्रे बाद मे जी भर के देखना अभी चोदो, कोई आ गया तो बड़ी मुस्किल हो जाएगी”


फूफा: “कोमल तुम्हारी गंद का होल तो काफ़ी टाइट है, क्या कभी तुमने गंद नही मरवाई”


चाची: “चईए.. कैसी बाते कर रहे है आप मे क्या रंडी हूँ, जो अपनी गंद मरवाती फिरू”


फूफा: “अर्रे तुम्हे नही पता औरते तो चूत से ज़्यादा गंद मरवाना पसंद करती है...अगर तुम कहो तो मैं!”
 
चाची “नही नही...चूत मे तो बड़ी मुस्किल से जाता है अगर गंद मे डालो गे तो मर ही जाउन्गि”


फूफा: “अर्रे एक बार डालके तो देखो”


चाची: “नही...चूत मे डालना है तो डालिए नही तो मैं जाती हूँ”


फूफा: “ठीक है तुम्हारी मर्ज़ी”


फिर फूफा लंड चूत के अंदर डालने लगे, तभी चाची बोली “ज़रा धीरे से डालिएगा, आज तेल नही लगा है दर्द होगा” पर फूफा कहाँ सुनने वाले थे एक ज़ोर का धक्का दिया आधा लंड अंदर चला गया चाची तो उछल गयी और उनके मूह से चीख निकल गयी, फूफा बोले “कोमल चिल्लाओ मत कोई आ जाएगा, अभी तो सिर्फ़ आधा ही गया है” चाची ने सारी को अपनी मूह मे दबा लिया और फूफा ने एक फिर ज़ोर का धक्का मारा पूरा लंड अंदर चला गया, चाची अपनी गंद घुमाने लगी पर फूफा ने चाची पर झुक कर उनकी कमर पकड़ ली और घोड़े की तरह चोदने लगे. अब चाची का दर्द शायद कम हो गया था इसीलिए उन्होने अपना पैर थोड़ा और फैला दिया था की लंड आसानी से जा सके, फूफा भी चाची की कमर को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर के धक्के दे रहे थे, हर धक्के पर चाची की गंद थिरकने लगती. झुकने कारण उनकी चूंची और बड़ी लग रही थी और ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे हिल रही थी, फूफा तो बड़े मज़े से चोद रहे थे पर पसीने से पूरे गीले हो गये थे.


समाप्त
 
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