hotaks444
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गतान्क से आगे..............
फूफा: "तो क्या..कह देते हल्दी लगा रहे थे"
चाची: "हमे नही लगवानी आपसे हल्दी...हमारी तो जान ही निकल दी आपने"
फूफा: "तुम्हारा इतने मे ही दम निकल गया...अगर थोड़ी देर और पकड़ के रखता तो?"
चाची: "हम तो बेहोश ही हो जाते"
फूफा: "अर्रे पकड़ने से भी कोई बेहोश होता है, उसके लिए तो हमे और भी कुछ करना पड़ता"
चाची: "छी कितनी गंदी बाते करते है आप..बड़े बेशरम हो"
इतना बोलते हुए चाची भी कमरे बाहर निकल आई पर नज़र फूफा पर ही थी फूफा भी मुस्कुराते हुए चाची को ही देख रहे थे, मे समझ नही पा रहा था कि चाची को ये सब अच्छा लग है या चाची बड़ी भोली है. थी. हल्दी से फूफा का चेहरा पहचान मे नही आ रहा था, हम सब बच्चे वान्हा मज़े कर रहे थे और बाकी लोगो को हल्दी लगाने मे हेल्प कर रहे थे बड़ा मज़ा आ रहा था, धीरे धीरे शाम होने आई और सब लोग शांत होने लगे और अपना अपना चेहरा धोने लगे, फूफा नल के पास खड़े थे और साबुन (सोप) माँग रहे थे, तभी मैने चाची से कहा फूफा साबुन माँग रहे है, चाची साबुन ले कर नल के पास पहुँची फूफा को देख कर हस्ने लगी.
चाची: "दूल्हे से ज़्यादा हल्दी तो आप को ही लगी है राजेसजी"
फूफा: "लगाने वाली भी तो तुम ही हो"
चाची: "तो क्या कमल से लगवाना था"
फूफा: "कमल एक बार लगा भी देती तो क्या फरक पड़ता, हम तो कमल को रोज लगाते है"
चाची: "हाए..राजेसजी ये क्या कह रहे है आप"
फूफा: "अर्रे मे तो हल्दी की बात कर रहा हूँ तुमने क्या समझ लिया"
चाची: "जी..कुछ नही..अप बड़े वो है"
और चाची वान्हा से शर्मा के भागने लगी, फूफा ने चाची का हाथ पकड़ लिया रोका और कहा "अर्रे जा कहाँ रही हो, ज़रा इस हल्दी को तो साफ करने मे मदद कर दो, थोड़ा पानी दो ताकि मे अपना चेहरा धोलु" चाची नल से एक लोटे मे पानी लेकर उन्हे हाथ पर पानी डाल रही थी और फूफा चेहरा धो रहे थे, पानी डालते समय चाची नीचे झुकी हुई थी और उनका पल्लू नीचे हो गया था जिसे उनकी गोरी गोरी चूंची (बूब्स क्लीवेज) दिख रही थी, झुकने कारण बूब्स और भी बड़े दिख रहे थे, फूफा भी झुक कर अपना चेहरा धो रहे थे और उनकी नज़र बार बार चाची के चूंची पर जा रही थी
फूफा: "तो क्या..कह देते हल्दी लगा रहे थे"
चाची: "हमे नही लगवानी आपसे हल्दी...हमारी तो जान ही निकल दी आपने"
फूफा: "तुम्हारा इतने मे ही दम निकल गया...अगर थोड़ी देर और पकड़ के रखता तो?"
चाची: "हम तो बेहोश ही हो जाते"
फूफा: "अर्रे पकड़ने से भी कोई बेहोश होता है, उसके लिए तो हमे और भी कुछ करना पड़ता"
चाची: "छी कितनी गंदी बाते करते है आप..बड़े बेशरम हो"
इतना बोलते हुए चाची भी कमरे बाहर निकल आई पर नज़र फूफा पर ही थी फूफा भी मुस्कुराते हुए चाची को ही देख रहे थे, मे समझ नही पा रहा था कि चाची को ये सब अच्छा लग है या चाची बड़ी भोली है. थी. हल्दी से फूफा का चेहरा पहचान मे नही आ रहा था, हम सब बच्चे वान्हा मज़े कर रहे थे और बाकी लोगो को हल्दी लगाने मे हेल्प कर रहे थे बड़ा मज़ा आ रहा था, धीरे धीरे शाम होने आई और सब लोग शांत होने लगे और अपना अपना चेहरा धोने लगे, फूफा नल के पास खड़े थे और साबुन (सोप) माँग रहे थे, तभी मैने चाची से कहा फूफा साबुन माँग रहे है, चाची साबुन ले कर नल के पास पहुँची फूफा को देख कर हस्ने लगी.
चाची: "दूल्हे से ज़्यादा हल्दी तो आप को ही लगी है राजेसजी"
फूफा: "लगाने वाली भी तो तुम ही हो"
चाची: "तो क्या कमल से लगवाना था"
फूफा: "कमल एक बार लगा भी देती तो क्या फरक पड़ता, हम तो कमल को रोज लगाते है"
चाची: "हाए..राजेसजी ये क्या कह रहे है आप"
फूफा: "अर्रे मे तो हल्दी की बात कर रहा हूँ तुमने क्या समझ लिया"
चाची: "जी..कुछ नही..अप बड़े वो है"
और चाची वान्हा से शर्मा के भागने लगी, फूफा ने चाची का हाथ पकड़ लिया रोका और कहा "अर्रे जा कहाँ रही हो, ज़रा इस हल्दी को तो साफ करने मे मदद कर दो, थोड़ा पानी दो ताकि मे अपना चेहरा धोलु" चाची नल से एक लोटे मे पानी लेकर उन्हे हाथ पर पानी डाल रही थी और फूफा चेहरा धो रहे थे, पानी डालते समय चाची नीचे झुकी हुई थी और उनका पल्लू नीचे हो गया था जिसे उनकी गोरी गोरी चूंची (बूब्स क्लीवेज) दिख रही थी, झुकने कारण बूब्स और भी बड़े दिख रहे थे, फूफा भी झुक कर अपना चेहरा धो रहे थे और उनकी नज़र बार बार चाची के चूंची पर जा रही थी