desiaks
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रिया परेशान हो गयी. वो बोली- छोड़ो सेठ, दाम जो लिया था तो वो रात भर के लिए ही था. सुबह के लिए नहीं.
रमेश- अरे करने दे … तेरी चूत घिस थोड़ी न जाएगी?
रिया को अपने बाप की ऐसी बातें सुन कर अजीब लगा.
रवि के चंगुल से खुद को छुड़ाते हुए वो बोली- सेठ, रंडियों के भी कुछ उसूल होते हैं.
रवि- अरे तुझे पैसे ही चाहिएं न? मिल जाएंगे, मगर आ तो सही मेरे पास।
रिया- सेठ अपना एक और उसूल है. मैं दिन में धन्धा नहीं करती. मैं सिर्फ रात की रानी हूँ. दिन में मैं भी एक शरीफ लड़की हूं।
रवि- तुझे पैसों का ऑफर दिया है, आगे तेरी मर्जी।
रिया ने रवि की तरफ देखा और मुस्करा कर बाथरूम में फ्रेश होने चली गयी. थोड़ी देर बाद रिया नंगी ही बाथरूम से निकली और आइने के सामने बैठ कर बाल संवारने लगी। उसकी गोरी और गुदाज गांड स्टूल से काफी बाहर निकली हुई थी.
रमेश और रवि दोनों बैठ कर उसका बेशर्मी भरा रंडीपना देखने लगे. रिया उठी और फिर अपनी ब्रा और पैंटी पहनने लगी. जैसे ही उसने हाथ उठाये तो रवि ने उसे रोक लिया और बोला- रुको! तुम यह ब्रा और पैंटी अब नहीं पहन सकती।
रिया ने आश्चर्य से पूछा- क्यूं नहीं पहन सकती?
रवि- क्योंकि ये ब्रा और पैंटी अब मेरे दोस्त रमेश की हो गयी हैं.
रिया- अच्छा, कैसे भला?
रवि- क्योंकि रमेश को रंडियों की ब्रा और पैंटी कलेक्ट करने का शौक है. यह जब भी किसी को चोदता है तब उसकी ब्रा और पैंटी को अपने पास रख लेता है.
रवि की बात पर चौंकते हुए रिया रमेश के चेहरे की ओर देखने लगी. मगर रमेश उसको देख कर मुस्करा दिया.
फिर रवि बोला- तुम चाहो तो इसके ऐक्सट्रा पैसे ले लो. लेकिन अब यह ब्रा और पैंटी रमेश की ही है.
रिया रमेश को देख कर मुस्कुरायी और अपने हाथों में अपनी ब्रा और पेंटी लिए रमेश के पास आकर बोली- पैसे देने की कोई जरूरत नहीं सेठ. यह रख लो तुम। मेरी तरफ से फ्री. तुम भी क्या याद रखोगे कि किस दिलदार रंडी से पाला पड़ा था।
ये बोल कर रिया ने ब्रा और पेंटी को रमेश के हाथ में थमा दिया.
रमेश ने रिया की ब्रा और पेंटी को लेकर उसकी खुशबू को सूंघा और रिया रमेश की हरकत को देख कर खिलखिलाकर हंस दी.
फिर रिया ने अपनी जीन्स और टॉप को बिना ब्रा और पैंटी के ही पहन लिया. कपड़े पहन कर वो मटकती हुई दरवाजे की ओर जाने लगी.
दरवाजे के पास पहुंच कर वो बोली- सेठ … दोबारा कभी मेरी याद आये तो रत्न लाल को बोल देना. जितना रेट मैंने आपके लिए फिक्स किया है उससे एक पैसा ज्यादा मत देना उस हरामखोर रत्नलाल को।
तभी रवि ने रिया को रोकते हुए कहा- अरे सुन, तू ही अपना नम्बर दे दे. हम डायरेक्ट तुझसे ही बात कर लेंगे.
रिया- रंडी हूं, बेईमानी नहीं करूंगी सेठ. आज रत्न की वजह से ही इतनी बड़ी रांड बन पायी हूं. मैं उसे धोखा नहीं दे सकती. अगर तुम दोनों को मेरी चूत और गांड चुदाई आगे भी करनी है तो रत्न से ही बात करनी होगी. वरना बाय-बाय।
रमेश- अरे करने दे … तेरी चूत घिस थोड़ी न जाएगी?
रिया को अपने बाप की ऐसी बातें सुन कर अजीब लगा.
रवि के चंगुल से खुद को छुड़ाते हुए वो बोली- सेठ, रंडियों के भी कुछ उसूल होते हैं.
रवि- अरे तुझे पैसे ही चाहिएं न? मिल जाएंगे, मगर आ तो सही मेरे पास।
रिया- सेठ अपना एक और उसूल है. मैं दिन में धन्धा नहीं करती. मैं सिर्फ रात की रानी हूँ. दिन में मैं भी एक शरीफ लड़की हूं।
रवि- तुझे पैसों का ऑफर दिया है, आगे तेरी मर्जी।
रिया ने रवि की तरफ देखा और मुस्करा कर बाथरूम में फ्रेश होने चली गयी. थोड़ी देर बाद रिया नंगी ही बाथरूम से निकली और आइने के सामने बैठ कर बाल संवारने लगी। उसकी गोरी और गुदाज गांड स्टूल से काफी बाहर निकली हुई थी.
रमेश और रवि दोनों बैठ कर उसका बेशर्मी भरा रंडीपना देखने लगे. रिया उठी और फिर अपनी ब्रा और पैंटी पहनने लगी. जैसे ही उसने हाथ उठाये तो रवि ने उसे रोक लिया और बोला- रुको! तुम यह ब्रा और पैंटी अब नहीं पहन सकती।
रिया ने आश्चर्य से पूछा- क्यूं नहीं पहन सकती?
रवि- क्योंकि ये ब्रा और पैंटी अब मेरे दोस्त रमेश की हो गयी हैं.
रिया- अच्छा, कैसे भला?
रवि- क्योंकि रमेश को रंडियों की ब्रा और पैंटी कलेक्ट करने का शौक है. यह जब भी किसी को चोदता है तब उसकी ब्रा और पैंटी को अपने पास रख लेता है.
रवि की बात पर चौंकते हुए रिया रमेश के चेहरे की ओर देखने लगी. मगर रमेश उसको देख कर मुस्करा दिया.
फिर रवि बोला- तुम चाहो तो इसके ऐक्सट्रा पैसे ले लो. लेकिन अब यह ब्रा और पैंटी रमेश की ही है.
रिया रमेश को देख कर मुस्कुरायी और अपने हाथों में अपनी ब्रा और पेंटी लिए रमेश के पास आकर बोली- पैसे देने की कोई जरूरत नहीं सेठ. यह रख लो तुम। मेरी तरफ से फ्री. तुम भी क्या याद रखोगे कि किस दिलदार रंडी से पाला पड़ा था।
ये बोल कर रिया ने ब्रा और पेंटी को रमेश के हाथ में थमा दिया.
रमेश ने रिया की ब्रा और पेंटी को लेकर उसकी खुशबू को सूंघा और रिया रमेश की हरकत को देख कर खिलखिलाकर हंस दी.
फिर रिया ने अपनी जीन्स और टॉप को बिना ब्रा और पैंटी के ही पहन लिया. कपड़े पहन कर वो मटकती हुई दरवाजे की ओर जाने लगी.
दरवाजे के पास पहुंच कर वो बोली- सेठ … दोबारा कभी मेरी याद आये तो रत्न लाल को बोल देना. जितना रेट मैंने आपके लिए फिक्स किया है उससे एक पैसा ज्यादा मत देना उस हरामखोर रत्नलाल को।
तभी रवि ने रिया को रोकते हुए कहा- अरे सुन, तू ही अपना नम्बर दे दे. हम डायरेक्ट तुझसे ही बात कर लेंगे.
रिया- रंडी हूं, बेईमानी नहीं करूंगी सेठ. आज रत्न की वजह से ही इतनी बड़ी रांड बन पायी हूं. मैं उसे धोखा नहीं दे सकती. अगर तुम दोनों को मेरी चूत और गांड चुदाई आगे भी करनी है तो रत्न से ही बात करनी होगी. वरना बाय-बाय।