Incest Sex Kahani रिश्तो पर कालिख - Page 13 - SexBaba
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Incest Sex Kahani रिश्तो पर कालिख

नीरा के इतना कहने के बाद ही में किसी तोते की तरह फिर से आज जो कॉलेज में हुआ वो सब को बता देता हूँ....और इस बारे मे कोई भी बात करने से मना भी कर देता हूँ...मैं नही चाहता मेरा परिवार किसी भी बात पर परेशान हो इसलिए क्लोज़ दा टॉपिक...



शमा--शॉपिंग करने में तो मज़ा आ गया भैया....



में--शॉपिंग तो कर ली लेकिन घूम कर आने के बाद तुम्हे पढ़ाई पर ध्यान भी देना होगा....मैं नही चाहता कभी भी किसी के सामने भी तुम्हारा सिर नीचा हो....



भाभी--इसकी पढ़ाई की चिंता तुझे करने की ज़रूरत नही है....वो मेरा काम है मैं संभाल लूँगी....खुद की पढ़ाई पर ध्यान दे तो ज़्यादा अच्छा होगा...


भाभी की ये बात सुनकर में बगले झाकने लगा ....आख़िर कहा भी तो सही था उन्होने....पढ़ाई की माँ बहन हो रखी थी इतने टाइम से....और मैं पढ़ाई का ग्यान शमा को दे रहा था...


मम्मी--अच्छा चलो अब जल्दी से खाना खा लो फिर बढ़िया सा रिजोर्ट सेलेक्ट कर लो....



नीरा--सेलेक्ट क्या करना है....वही रिजोर्ट सही रहेगा....लेकिन इस बार आउटिंग की जगह थोड़ी अलग होनी चाहिए....आप सुहानी को फोन क्यो नही कर देते....



में--मैं उसे फोन लगाने ही वाला था....लेकिन सोचा सब कुछ तुम लोगो के साथ ही सेलेक्ट किया जाए....


नीरा--आप तो ऐसे कह रहे हो जैसे आपका सेलेक्ट किया हुआ हमे पसंद नही आता....पिछली बार भी जबरदस्त सर्प्राइज़ था हम सब के लिए....और मुझे पक्का यकीन है आप इस बार भी कोई ना कोई सर्प्राइज़ देने की तैयारी मे ही हो...


रूही--ठीक कहा नीरा....चलो भाई अब जल्दी से फोन लगा भी दो सुहानी मेडम को....



उसके बाद मेरी उंगलिया सुहानी का नंबर डाइयल करने लग जाती है....


सुहानी--कैसे है सर....आज कैसे याद आ गयी....


में--हम सब अच्छे है सुहानी....बस हृषिकेश आने की तैयारी कर रहे है....लेकिन चाहते है इस बार जहाँ हम रुके वो जगह पहले से ज़्यादा ख़ास हो....बिल्कुल नेचर के करीब....



सुहानी--में तो आपकी मदद के लिए हमेशा रेडी हूँ सर....लेकिन जिस रिजोर्ट मे मैं पहले थी वो मैं अब छोड़ चुकी हूँ....इसलिए अगर आप को परेशानी ना हो तो क्या आपकी बुकिंग जहाँ मैं अभी हूँ वहाँ कर लूँ.... ये रिजोर्ट छोटा है लेकिन आपकी नीड्स बखूबी पूरी कर सकता है....



में--कैसी बात कर रही हो सुहानी....पहले वाला रिजोर्ट कोई मेरे ससुर का थोड़े ही था जो हमे उसी में जाना है....बस जगह अच्छी होने चाहिए....और मुझे तुम पर भरोसा है...



सुहानी--आपका भरोसा कभी नही टूटेगा....कितने मंबेर्स के लिए बुक रखना है सर....



में--ये सर सर क्या लगा रखा है.....जय नाम है मेरा....और चाहूँगा तुम मुझे इसी नाम से बुलाओ....


सुहानी--ठीक है सर.....आइ मीन जय...


में--मेरे अलावा 7 मेंबर है...और मेरे अलावा बाकी सब फीमेल है इस लिए उनकी सुविधा का ध्यान रखना होगा तुम्हे....


सुहानी--एक शेर और 7 शेरनिया......अब तो इंतज़ाम पक्का करना ही होगा....वरना गुस्से में आकर शेरनियो ने मेरा शिकार कर लिया तो में गयी....



में--हहहहः ऐसा कुछ नही है....तुम आराम से तैयारी कर लो....हम कल दिन तक वहाँ पहुँच जाएँगे आज रात को ही हम यहाँ से निकल रहे है....




सुहानी--ठीक है सर....सॉरी....सॉरी....जय....आप आएँगे तब तक सारी तैयारिया पूरी हो जाएँगी.....



में--ठीक है सुहानी....लेकिन इस सर को अपनी ज़ुबान से निकाल दो वरना पक्का मैं तुम्हारा सिर फॉड दूँगा....


सुहानी--ओके जय अब ग़लती नही होगी....अब में फोन रखती हूँ....मुझे अरेंज्मेंट्स भी देखने है....



उसके बाद सुहानी फोन काट देती है और में फोन सामने टॅबेल पर रख कर नीरा की तरफ देखता हूँ जो बस मुझे गुस्से से खा जाने वाली नज़रो से देख रही होती है......
 
सुहानी--ओके जय अब ग़लती नही होगी....अब में फोन रखती हूँ....मुझे अरेंज्मेंट्स भी देखने है....



उसके बाद सुहानी फोन काट देती है और में फोन सामने टॅबेल पर रख कर नीरा की तरफ देखता हूँ जो बस मुझे गुस्से से खा जाने वाली नज़रो से देख रही होती है......

नीरा--ये क्या तरीका है....रिजोर्ट चेंज कर दिया....लेकिन वो जगह कितनी अच्छी थी...अब उस से अच्छी जगह कौनसी होगी....



में--अरे मेरे लाल टमाटर नाराज़ क्यो होती है वैसे तो मुझे सुहानी पर भरोसा है लेकिन अगर फिर भी तुम्हे वो जगह पसंद ना आए तो हम पुरानी जगह चल देंगे....इस में मुँह फुलाने की कौनसी बात है...



भाभी--अगर कोई नयी जगह है जो पहले से भी बेहतर हो तो मज़ा दुगना हो जाएगा....वैसे टूर के लिए सही समय चुना है तुमने....4 -5 दिन हम सब वहाँ मज़े करेंगे और उसके बाद होली भी है....यानी मस्ती करने के खूब सारे दिन है अब हमारे पास.....


में--होली....अरे बाप रे...होली से तो डर ही लगता है भाभी मुझे...



रूही--चल अब डरना बंद कर और पॅकिंग कर ले....शाम को निकलना भी है...होली जब आएगी तब आज़एगी...



उसके बाद हम सभी अपनी अपनी तैयारियो मे मशगूल हो जाते है....बीच बीच मे नीरा आकर मुझे किस भी करती जा रही थी....


शाम को हमने दो गाड़ियाँ ले ली थी....एक गाड़ी में ड्राइव कर रहा था जिसमें आगे नीरा बैठी थी पीछे भाभी और शमा....
और दूसरी गाड़ी रूही चला रही थी...उस गाड़ी में आगे दीक्षा पीछे मम्मी और कोमल...


हम लोग हर 1 घंटे में रुक रहे थे क्योकि रूही हाइवे पर गाड़ी चलाने की इतनी अभ्यस्त नही थी....इसलिए किसी को भी गाड़ी में नींद नही आ रही थी....



ऐसे ही चलते चलते मस्तिया करते करते हृषिकेश पहुँच गये....



सुहानी ने हम लोगो का स्वागत जोरदार तरीके से किया....और उसके बाद रिजोर्ट की दो गाडियो में हम जंगल के अंदर बढ़ने लगे....



में--सुहानी ये जंगल तो काफ़ी गहरा है....किसी जंगली जानवर का डर तो नही है यहाँ....



सुहानी--जंगली जानवर तो काफ़ी है यहाँ लेकिन इंसानो को कोई नुकसान नही पहुँचा सकता....यहाँ के जानवर इंसानो से दूर ही रहते है....


में--फिर ठीक है....नही तो मालूम पड़ा जंगली जानवरो से डरते डरते हुए यहाँ एंजाय करना पड़े....



सुहानी--ऐसा कुछ भी नही होगा....आज का दिन आप लोग आराम करिए....कल से जंगल के नज़ारे देखना शुरू कर देना...



उसके बाद सुहानी हमे जंगल के बीचो बीच एक जगह पर ले आई....लेकिन ना तो यहाँ टॅंट लगाने की जगह दिख रही थी ना हे आराम करने की....



में--ये कैसी जगह है सुहानी....यहाँ तो सभी पेड़ इतने पास पास है कि गाड़ी भी आगे नही जा पाएगी....



सुहानी--मैने आप सभी के रहने की पूरी व्यवस्था यहीं करी है....



उसके बाद हम गाडियो से निकल कर पैदल ही जंगल के अंदर बढ़ने लगे....एक जगह रुकने के बाद सुहानी ने अपने हाथो का इशारा एक सिढी की तरफ किया और मुझे पहले उस पर चढ़ने को कहने लगी....


ज़मीन से उपर देखने पर मुझे पता चला कि वहाँ ट्री हाउस बने हुए थे....में सिढी पर चढ़ गया....ट्री हाउस अंदर से किसी लग्जरी होटेल रूम की तरह ही बना हुआ था....लाइट्स भी उन ट्री हाउस में सुपली हो रही थी....


में--वाह सुहानी ये तो मजेदार जगह है....



सुहानी--असली नज़ारा आपने देखा कहाँ है....ज़रा सेकेंड फ्लोर पर जाकर देखो....
 
में अपने कॉटेज के अंदर ही बनी सीढ़िया चढ़ता हुआ उपर पहुँच गया....और जब बाहर निकल कर देखता हूँ....में एक पेड़ के सबसे उपरी जगह पर था वहाँ से पूरा जंगल ऐसा लग रहा था मानो घास का मैदान था....पूरा हरा भरा जंगल मेरी आँखो के सामने था....और यही से एक कॉटेज से दूसरे पर जाने के लिए छोटे छोटे पुल भी बने थे जो मजबूती के साथ एक दूसरे से बँधे थे....


हम सभी पूरे जंगल का वही से नज़ारा लेने लग गये थे....जहा नीरा कुछ देर पहले मुझे आँखे दिखा रही थी वो अब शांत थी....



कोई किसी से कुछ नही कह रहा था बस उस नज़ारे को सब अपनी आँखो मे क़ैद करने मे लगे थे....



सुहानी--कैसी लगी जय आपको ये जगह....



जय--ऐसा लग रहा है जैसे रहने के लिए इस से खूबसूरत जगह कोई और हो ही नही सकती....इतनी खूबसूरत जगह तो सिवाए स्वर्ग के कही हो ही नही सकती....



मम्मी--सही कहा जय....सच मे बहुत खूबसूरत जगह है ये....मन करता है यहाँ ऐसे ही अपना पूरा जीवन बिता दूं....



सुहानी--मुझे बस यही डर लग रहा था क्या पता मैं आप लोगो के भरोसे पर खरी उतरूँगी भी या नही....लेकिन आप लोगो को खुश देख कर मुझे भी अब इतमीनान हो गया है....



नीरा--सच में इतनी सुंदर जगह देख कर मुझे बड़ी खुशी हो रही है....



सुहानी--कल इस से भी ज़्यादा सुंदर जगह आप देख पाएँगे....में किसी को आपलोगो को रास्ता बताने के लिए भिजवा दूँगी....



में--नही सुहानी....मुझे बस एक मॅप दे देना और उसमे जो जगह देखने लायक हो उन्हे मार्क कर देना....



सुहानी--सुहानी ठीक है जय....जैसा तुम चाहो....अब आप लोग आराम करो किसी भी चीज़ के ज़रूरत होने पर यहाँ मोजूद वाइयरलेस से तुम मुझे कॉंटॅक्ट कर सकते हो....



उसके बाद सुहानी ये कह कर वहाँ से चली गयी और हम फिर से खो गये जंगल की खूबसूरती को अपनी आँखो मे बसाते हुए....

जंगल की सुंदरता का लुफ्त उठाते उठाते ना जाने कब अंधेरा हो गया....हम सभी अब भी एक ही कॉटेज मे बैठे बाते कर रहे थे....



कोमल--वाह भैया कमाल की जगह है ये तो.....कितना सुकून है यहाँ पर...



दीक्षा--ज़्यादा सुकून मत ले लेना कहीं ऐसा ना हो तू पढ़ाई लिखाई छोड़ के जंगली बन कर यहीं रहने लग जाए.....



दीक्षा की इस बात पर हम सभी हँसे बिना नही रह सके....



भाभी--वैसे में तो कहती हूँ हमे भी एक छोटा सा घर ऐसी ही किसी जगह बना लेना चाहिए.....



मम्मी--ज़रूर में भी यही सोच रही हूँ....एक फार्म हाउस कुछ इस तरह से बनाया जाए कि वो किसी छोटे जंगल से कम ना हो...




में--हाँ मम्मी वापस जाकर मैं यही काम करूँगा सब से पहले.....में भी दुखी हो गया हूँ शहर की भीड़ भाड़ से.....




नीरा--क्या यार इतनी प्यारी जगह हम आए है और यहाँ बंदरों की तरह पेड़ पर टँगे बैठे है....कहीं घूमने चलना चाहिए....



में--आज नही नीरा.....हमने ये इलाक़ा अच्छे से देखा नही है अभी....कल सुबह हम सब एक साथ चलेंगे घूमने.....



नीरा--जैसा आप लोग चाहे.....में तो इस पेड़ पर भी खुश हूँ....




रूही--हाँ बंदरिया....तुझे तो जय भैया जहाँ दिख जाए वही खुशी मिल जाती है....



नीरा--इसमें ग़लत क्या है....मैं प्यार करती हूँ इनसे....



नीरा की ये बात सुन कर मैं मम्मी और शमा नीरा की तरफ अपना मुँह फाड़ के देखने लगे....मम्मी ने बात बदलते हुए कहा.....




मम्मी--चलो अब सब थोड़ा आराम कर लो....नीरा...शमा तुम दोनो मेरे साथ सो जाना....कोमल दीक्षा तुम नेहा के साथ अड्जस्ट कर लेना....और जय तुम रूही को यहीं सुला लेना....



मम्मी की ये बात सुन कर जहाँ नीरा का मुँह उतर गया वहीं रूही का चेहरा किसी गुलाब की तरह खिल उठा.....



सब लोग अपने अपने कॉटेज की तरफ पेड़ो पर बने उस छोटे से पुल पर बढ़ गये....नीरा मुझे छोड़ कर जाना तो नही चाहती थी लेकिन उदास मन से मेरी तरफ देखने लगी....



में--मम्मी नीरा का मन नही है....इसे आप मेरे पास ही छोड़ जाओ.....ये बंदरिया मेरे पास अच्छे से सो जाएगी....



नीरा का इतना सुनना था और वो मुझ पर उछलती कुदती चढ़ के बैठ गयी....



में--ज़्यादा उछल कूद मत मचा हम पेड़ पर है कहीं ये ट्री हाउस गिर गया तो लेने के देने पड़ जाएँगे....




भाभी--जय अगर बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ....



में--हाँ भाभी बोलो....



भाभी--वैसे ये जगह काफ़ी अच्छी है लेकिन मेरा सोचना ऐसा है कि हमे ज़मीन पर ही टॅंट लगा कर रहना चाहिए....हम लोग काफ़ी उँचाई पर है....कही उतरते चढ़ते कोई हादसा ना हो जाए.....



में--भाभी की इस बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया....


में--ठीक है भाभी मैं कल ही सुहानी से बोलकर टॅंट का बंदोबस्त करवा दूँगा....
 
में--हाँ भाभी बोलो....



भाभी--वैसे ये जगह काफ़ी अच्छी है लेकिन मेरा सोचना ऐसा है कि हमे ज़मीन पर ही टॅंट लगा कर रहना चाहिए....हम लोग काफ़ी उँचाई पर है....कही उतरते चढ़ते कोई हादसा ना हो जाए.....



में--भाभी की इस बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया....


में--ठीक है भाभी मैं कल ही सुहानी से बोलकर टॅंट का बंदोबस्त करवा दूँगा....



मेरी ये बात सुनकर वो सभी लोग फिर से अपने कॉटेज की तरफ बढ़ जाते है जो नीरा की वजह से रुक गये थे....



वैसे तो किसी को भूक नही थी लेकिन सब का खाना. कॉटेज में पहले ही पहुँच गया था....में अपने बेड पर बैठ कर एक स्कॉच की बोतल खोल देता हूँ जिसमें से रूही और नीरा के लिए भी एक एक छोटा छोटा पेग बना देता हूँ....



रूही--क्या बात है भाई....आज तू खुद हमे दारू पिला रहा है....



में--क्या करूँ अगर मुझे पीनी है तो तुम दोनो को भी पिलानी तो पड़ेगी ही....



इसी तरह हसी मज़ाक करते करते वो दोनो निढाल हो कर बेड पर पसर जाती है और में बाहर खड़ा होकर पूनम के चाँद का दूर से दीदार कर रहा था....थोड़ी देर बाद में भी दोनो के बीच मे पसर जाता हूँ....मेरे ऐसा करते ही नीरा और रूही दोनो का हाथ मेरे सीने पर आजाता है.....



में भी सो जाता हूँ आने वाले उस ख्तरे से अंजान जो किसी मकड़ी के जाल की तरह हमे फसाने के लिए तैयार हो रहा था....
 
रात को तकरीबन 3 बजे...



में पसीने में पूरा भीगा हुआ लगातार एक सपना देखे जा रहा था....
मम्मी मुझे पुकार रही है उनके कपड़े जगह जगह से फट चुके है....माथे से खून रीस रहा है उनके बगल में रूही बेसूध पड़ी है....एक साया उनके पास लगातार बढ़ रहा था....उस साए के हाथो मे एक खंज़र था जो किसी की अंतड़ियाँ निकालने के लिए काफ़ी था....में भाग रहा हूँ लगातार रूही और मम्मी को पागलो की तरह आवाज़े लगाते हुए....



भैया.....भैयाअ....भैया....उठो क्या हुआ आपको



रूही की आती हुई आवाज़ ने मुझे उस सपने से बाहर निकाल दिया में लगभग हान्फता हुआ पसीने से लथपथ रूही को देखे जा रहा था....

रूही के इस तरह ज़ोर से जगाने की वजह से नीरा की भी आँख खुल गयी थी....वो भी मेरी तरफ मुँह फ़ाडे देखने लग गयी ...



रूही--क्या हुआ भाई....कोई बुरा सपना देखा है क्या....



में--तू ठीक है ना रूही....मम्मी कहाँ है....तुझे कही चोट तो नही लगी....


रूही--में बिल्कुल ठीक हूँ...और मम्मी भी कॉटेज में आराम कर रही है....तूने ज़रूर कोई बुरा सपना देखा है....


इतने में नीरा ने उठ कर मेरे लिए पानी का ग्लास भर दिया....और मुझे अपने हाथो से पिलाने लगी....



में--हम अब यहाँ नही रहेंगे....हम सुबह होते ही वापस घर के लिए निकल जाएँगे....



मेरी ये बात सुनकर वहाँ जैसे एक सन्नाटा छा गया....नीरा और रूही दोनो एक दूसरे का चेहरा देखने लगे....लेकिन में निश्चय कर चुका था वापस घर जाने का....

एक अनचाहा डर मेरे मन मे घर कर गया था....में अब यहाँ से अपने परिवार को ले जाना चाहता था....


मेरे इस फ़ैसले से आफरा तरफरी का माहॉल बन गया था....कोई भी जाना नही चाहता था...सभी मुझे समझाने मे लगे हुए थे....



मम्मी--जय ये कैसा बच्पना है.....एक सपने के पीछे तू सबकी खुशियो पर पानी फेर देगा....



में--मम्मी पता नही क्यो...लेकिन मेरा मन नही मान रहा....



मम्मी--ठीक है अगर कुछ ग़लत होता है तो उसकी ज़िम्मेदारी में लेती हूँ.....तू बस अपने दिमाग़ से उस सपने को निकाल दे....


मम्मी की बात भी ठीक ही तो थी....एक सपने के पीछे में सब की ट्रिप खराब कर दूं ये सही नही होगा....इसलिए मैने फ़ैसला किया जैसा चल रहा है वैसे ही चलते रहने देने का....


में--ठीक है मम्मी जैसा आप चाहे....



मम्मी--तो फिर ठीक है चल अब सब को जंगल में घुमा कर ले आ....सुबह से सबको परेशान कर दिया है तूने....




उसके बाद में सब को एक जगह इकट्ठा करता हूँ और सबसे चलने की कहता हूँ....



नीचे उतर कर हम सभी मॅप के अनुसार आगे बढ़ने लगे....हम जिस तरफ जा रहे थे वहाँ एक छोटी नदी थी...और काफ़ी देर चलने के बाद हम सभी उस नदी पर पहुँच गये....



नदी ज़्यादा तेज़ नही बह रही थी....और ज़्यादा गहरी भी नही थी...



नदी को देखते ही नीरा कोमल रूही और भाभी जैसे पागल हो गये थे....उन्होने वही पर झाड़ियो मे जाकर चेंज किया और कूद पड़ी नदी के अंदर....



शमा--भैया मुझे डर लगता है पानी से....में नही जाउन्गि नदी मे...



में--डरना कैसा शमा ये नदी ज़्यादा गहरी नही है....और तुझे संभालने वाले हम लोग है ना यहाँ....



शमा--नही भैया मैं नही जाउन्गि....



शमा को डरता देख में उसे अपनी गोद में उठा लेता हूँ और नदी के अंदर मस्ती करती हुई नीरा और भाभी को इशारा करके शमा को संभालने की कह कर नदी में फेक देता हूँ....थोड़ी देर नदी मे उछाल कूद मचाने के बाद शमा भी अब नौरमल हो गयी थी...वो भी अब पानी में मस्ती करने लग गयी थी....उसको खुश देख कर मैने सुकून की साँस ली....



मेरे और मम्मी के अलावा सभी पानी मे मस्ती कर रहे थे....अचानक मम्मी ने मुझे भी पानी मे धक्का दे दिया....और मैं सीधा रूही और भाभी के बीच नदी में गिर गया....खुद को संभालने की कोशिश में मेरा हाथ रूही के बूब्स पर छु गया.....जिसे महसूस कर रूही अपनी आँखे बंद कर चुकी थी....



हम सभी नदी के पानी मे खेलते खेलते समय को भूल ही गये थे....



शमा--भैयाअ.....




में--क्या हुआ शमा....मज़ा नही आ रहा है क्या....



शमा--मज़ा तो आ रहा है लेकिन अब भूक लगने लग गयी है....



मम्मी--अरे खाना साथ लाना तो हम भूल ही गये....जय तू कॉटेज से जाकर खाना ले आ जब तक हम सब यही है....



नीरा--में भी चल रही हूँ आपके साथ खाना लेने......



में--ठीक है नीरा चल....इन भुक्कडो के लिए खाना लेकर आते है...
 
मम्मी--अरे खाना साथ लाना तो हम भूल ही गये....जय तू कॉटेज से जाकर खाना ले आ जब तक हम सब यही है....



नीरा--में भी चल रही हूँ आपके साथ खाना लेने......



में--ठीक है नीरा चल....इन भुक्कडो के लिए खाना लेकर आते है...


मेरा उन को भुक्कड़ कहते ही सब मेरे उपेर पानी उछालने लगे....और मैं तेज़ी से नीरा का हाथ पकड़ के पानी से बाहर आ गया....नीरा और मैं गीले कपड़ो मे ही मस्ती करते हुए कॉटेज की तरफ बढ़ गये....



कॉटेज में पहुँचते ही में खाना सेट करने लगा जबकि नीरा मुझे देखे जा रही थी....

में खाना सेट कर चुका था....और नीरा से कहने लगा अब जल्दी चल मुझे भी भूक लग रही है....



नीरा--क्या में आपकी भूक मिटा सकती हूँ....



मैने पलट कर देखा तो देखता ही रह गया.....


नीरा बिल्कुल नंगी होकर बस मुझे ही देखे जा रही थी
एक सेकेंड नही लगा नीरा का ये रूप देख कर मेरे शॉर्ट्स मे तूफान आने मे...





में--जान क्या हुआ...आज मूड बदला बदला क्यो है....



नीरा--आपको तो बिल्कुल फिकर नही है मेरी....कितना तड़पति हूँ आपके बिना मैं....



में--तड़प्ता तो में भी हूँ नीरा....



नीरा--क्या में इतनी भी सुंदर नही हूँ कि आप मुझे बिना कपड़ो के देख कर भी इतना दूर खड़े हो....या मन भर गया है आपका मुझ से...



में धीरे धीरे उसके पास पहुँच कर उसे अपनी बाहो में भर लेता हूँ और बेतहाशा उसके होंठो का रस पीने लग जाता हूँ....



नीरा मुझ से छूट कर मेरे कपड़े उतारने लग जाती है और मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा देती है....
 
मेरी जाँघो को चूमते चाटते वो मेरे लंड की तरफ बढ़ जाती है....नीरा मेरे लंड को किसी आइस्क्रीम की तरह चूसने लग जाती है..



में ज़्यादा देर तक सह नही पाता और उसे अपने उपर खीच के फिर से उसके होंठो पे अपने होंठ रख देता हूँ.....



मुझे मेरी जाँघो पर नीरा की चूत का रस बहता हुआ सा लगता है.....में नीरा को अपने नीचे लेता हूँ और उसे पूरा पलट कर उसकी चूत का रस पीने लग जाता हूँ...

नीरा इतनी ज़्यादा गरम हो रही थी कि मेरे होंठो को अपनी चूत पर महसूस करते ही बुरी तरह मेरे मुँह मे ही झड़ने लगी....



उसकी चूत को अच्छे से चाट लेने के बाद मैने उसे अपनी गोद मे बिठा दिया.....और उसके कंधे पर किस करते हुए उसके बोबे दबाने लगा...




थोड़ी देर बाद नीरा फिर से रेडी हो चुकी थी....और वो भी मेरा साथ देने लगी....



नीरा पलट कर मेरी गोद मे बैठ गयी और अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर गीली हो चुकी अपनी चूत की गहराईयो मे पहुचा दिया....वो लगातार मेरी गोद मे बैठी हुई अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी...


हम दोनो एक दूसरे की बाहो मे एक अलग ही दुनिया मे गोते लगा रहे थे....ना ही नीरा पीछे हट रही थी....और ना ही में.....



नीरा को मैने पलट कर अपने नीचे ले लिया और एक धक्के से पूरा लंड उसकी चूत मे उतार दिया....में लगातार उसकी चूत को अपने लंड से रगडे जा रहा था....



नीरा की चूत एक बार फिर से अपना रस छोड़ने लगी.....लेकिन मैने उसे चोदना बंद नही किया....



मैने उसे उल्टा लिटाया और नीरा की चूत मे बेरहमी के साथ धक्के देने लगा....नीरा की मदमस्त करती आवाज़ो से ट्री हाउस का वो कॉटेज....जैसे हमारे मिलन का गवाह बन बैठा था....बाहर से आ रही पक्षियों की कलरव ध्वनि भी थम सी गयी थी....वो भी शायड कॉटेज से आती नीरा की मदमस्त आवाज़ो मे खो से गये थे....




में लगातार नीरा को चोदे जा रहा था....उसके चेहरे पर सुकून के भाव एक बार मुझे फिर से सामने रखे आईने मे से दिख रहे थे....



उसे इस तरह से आनंद मे गोते लगता देख मैं भी खुद को ज़्यादा देर रोक नही पाया....और एक बाद एक कयि झटके खाता हुआ मेरा लंड अपने अंदर भरे लावे को नीरा की चूत मे भरने लगा....अपनी चूत मे मेरे लावे की गर्मी पाते ही नीरा फिर से झड़ने लगी....वो बुरी तरह से काँपती हुई मेरे साथ ही झड गयी....
 
उसे इस तरह से आनंद मे गोते लगता देख मैं भी खुद को ज़्यादा देर रोक नही पाया....और एक बाद एक कयि झटके खाता हुआ मेरा लंड अपने अंदर भरे लावे को नीरा की चूत मे भरने लगा....अपनी चूत मे मेरे लावे की गर्मी पाते ही नीरा फिर से झड़ने लगी....वो बुरी तरह से काँपती हुई मेरे साथ ही झड गयी....




हम दोनो बेड पर लेटे लेटे आराम कर रहे थे....



में--नीरा दर्द तो नही हो रहा है ना जान...




नीरा--नही जान दर्द तो आपसे दूर होकर होता है....आपके छुते ही सारा दर्द ख़तम हो गया है....



में--तो एक बार फिर से हो जाए....



नीरा--जान वहाँ सब भूख से बहाल हो रहे होंगे....फिर आपको भी तो भूक लगी है ना....



में--मेरी भूख तो तूने मिटा दी नीरा....



नीरा--मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूँ....




में--बोलो नीरा...क्या बात है...



नीरा--अगर कभी आपको भाभी शादी करने के लिए कह दे खुद से तब आप क्या करोगे....




में--नीरा ये कैसा सवाल है....में मना कर दूँगा उनको....मैं तुझ से प्यार करता हूँ बस और कुछ नही चाहिए मुझे....




नीरा--लेकिन मैं ऐसा नही चाहती....मैं चाहती हूँ...इस परिवार का कोई भी सदस्य आपसे प्यार माँगे तो आप उसे कभी मना नही करोगे....अगर भाभी से शादी भी करनी पड़े तो कर लोगे....मैं अपना प्यार अपने परिवार के साथ तो बाँट ही सकती हूँ....



में--नीरा क्या हो गया है तुझे कैसी बहकी बहकी बाते कर रही है....



नीरा--आपको पता नही है जान रूही दीदी भी आपसे बेइंतहा प्यार करती है....शायद मुझ से भी ज़्यादा....



में--क्या बकवास कर रही है नीरा....अब जल्दी से कपड़े पहन और नीचे चल....




नीरा--पहले मेरी कसम खाओ अगर आपसे अपने परिवार में कोई प्यार माँगे तो उसे मना नही करोगे....



में--नीरा फिर वही बात....ये कसम वसम मुझे खिला कर फसाया मत कर....




नीरा--जान क्या मेरी खातिर आप एक कसम नही खा सकते.....



में--ठीक है...तेरी कसम....



नीरा--तेरी कसम....क्या...?




में--तेरी कसम....अगर मुझ से कोई प्यार माँगेगा तो में उसे मना नही करूँगा...तेरी कसम...अब खुश....



नीरा--बहुत खुश.....आइ लव यू जान....
 
में आपको खुद से बाँध कर रखना नही चाहती....बस ये चाहती हूँ...आप कभी भी मेरी वजह से ये ना समझे की आपने मेरे कारण अपने परिवार को वो प्यार नही दिया जिसके वो हक़दार थे....



में--अब चुप चाप कपड़े पहन....और चल नीचे....



उसके बाद हम दोनो ने अपने अपने कपड़े पहने और नीचे उतरने लगे......

में सीढ़ियो से नीचे उतरते वक़्त बस नीरा की दी हुई कसम मे ही उलझा हुआ था....ना चाहते हुए भी मेरा दिमाग़ इधर उधर दौड़ने लगा....


में सीढ़ियो से नीचे उतर गया था....मेरे बाद नीरा सीढ़ियो से उतरने लगी....अभी कुछ चार सीढ़िया ही नीचे उतरी थी कि अचानक नीरा के पैर के नीचे से सीढ़ी टूट गयी....



नीरा मुझे आवाज़ लगाती हुई तकरीबन 20 फीट उँचाई से नीचे गिरने लगी....उसे अपनी आँखो के सामने इस तरह गिरता देख मेरे हाथ पाव फूल गये थे.....किसी तरह खुद को उस डर से बाहर लाते हुए मैने नीरा को अपनी बाहो मे लपक लिया.....



में--नीरा.....नीरा...तू ठीक तो है ना जान.....



नीरा मेरी बाहो मे खुद की साँसे संभालती हुई बोली....



नीरा--में ठीक हूँ पर लगता है पैर में मोच आ गयी है....काफ़ी दर्द हो रहा है....सीढ़ी से गिरते वक़्त मेरा पैर कहीं फस गया था....शायद उसी वजह से ये मोच आ गयी है....



मैने उसे वही पेड़ के सहारे बैठा दिया और अपने बेग मे से पानी की बोतल निकाल कर उसे पिलाने लगा....



में--अगर तुझे कुछ हो जाता तो सारी ज़िंदगी में खुद को माफ़ नही कर पाता....




नीरा--अब परेशान होना बंद भी करो....मोच है बस हल्की सी कल तक ठीक हो जाएगी....




मैने उसे अपने सीने से लगा लिया उस पल की कल्पना करते ही जब वो मेरी आँखो के सामने इतनी उँचाई से मुझे पुकारती हुई गिर रही थी....



नीरा--अब ऐसे बैठे ही रहोगे या मुझे लेकर नदी पर चलोगे....इसी बहाने आपकी गोद मे सवारी करने का मोका भी मुझे मिल जाएगा....



में उसके गालो पर एक हल्की सी चपत लगाते हुए नीरा को अपनी पीठ पर लाद लेता हूँ...और एक हाथ से खाने का बेग पकड़ कर नदी की तरफ चल पड़ता हूँ.....



नीरा--अगर आज आप नही होते तो शायद मैं कभी उठ नही पाती उस जगह से....




में--तुझे संभालने के लिए मैं हूँ जान....अब तू इस बात को छोड़ दे....क्योकि ये बात करते ही मेरा मन घबराने लगता है....



नीरा--वैसे आपको तो मज़ा आरहा होगा ना मुझे उठाने मैं....बड़ा सॉफ्ट सॉफ्ट फील हो रहा होगा आपको आपकी पीठ पे....



में--चुप कर....यहाँ मेरी जान गले मे आ गई और तुझे अभी भी मज़ाक सूझ रहा है....



ऐसे ही बाते करते हुए हम नदी तक पहुँच गये....नीरा को इस तरह मेरी पीठ पर देख कर सभी लोग पानी से बाहर आगये....




मम्मी--क्या हुआ नीरा....तू जय की पीठ पर क्यो लटकी है....




में--कुछ नही मम्मी नीरा के पैर मे मोच आ गई है और आप लोगो तक खाना भी पहुँचाना था इसलिए में इसे अपनी पीठ पर लाद कर ले आया....
 
मैने नीरा को एक चट्टान पर आराम से बैठा दिया सभी लोग नीरा के पैर को देखने मे लगे थे....



मम्मी--पर ये हुआ कैसे.....कैसे लगी नीरा के पैर मे...



नीरा--वो क्या मैं ट्री हाउस से नीचे उतर रही थी....अचानक वहाँ की सीढ़ी टूट गयी और उसी मे उलझ कर ये हाल हो गया है.....ये नीचे ही खड़े थे और इन्होने मुझे पकड़ लिया....




भाभी--देखा जय....मैने कहा था ना....तुम अभी उस सुहानी को बुलाओ और घर चलने की तैयारी करो....



नीरा--घर...??घर क्यो भाभी....हल्की सी मोच ही आई है भाभी....ज़्यादा नही लगी है....और इतनी सी चोट के पीछे सबकी छुट्टियाँ खराब में नही कर सकती....



मम्मी--जय तू सुहानी को बोलकर नीचे ही कॅंप लगवा दे.....नेहा ने सही कहा था कल रात को इतनी उँचाई पर कोई भी हादसा हो सकता है....




में--पहले कुछ खा पी लेते है उसके बाद वहाँ जाकर सुहानी को वाइयरलेस से मेसेज भेज दूँगा....



उसके बाद सभी मेरी बात मान कर पेट पूजा मे जुट जाते है.......




वापस ट्री हाउस पर पहुँचने के बाद में उपर चढ़ के सारा समान और वो वाइयरलेस नीचे ले आता हूँ....नीचे आने के बाद मैं सुहानी को वाइयरलेस कर के यहाँ की सारी स्थिति बता देता हूँ....सुहानी हमारे पास ही आरहि थी इसलिए उसे पहुँचने मे ज़्यादा वक़्त नही लगा....




सुहानी--जो कुछ भी हुआ उसके लिए मैं तहे दिल से माफी मांगती हूँ आप सब से.....ज़रूर कोई चूक हुई है वरना ऐसा कभी नही हुआ.....




भाभी--सुहानी जो हुआ उसको भूल जाओ हमारे लिए ज़मीन पर ही कुछ बंदोबस्त करवा दो.....वैसे भी जंगल मे रहने का मज़ा तो जंगल के बीच मे रह कर ही आता है.....बंदरों की तरह पेड़ो पर नही.....




सुहानी अपने साथ आए दो आदमियो को बढ़िया जगह देख कर कॅंप लगाने की कह देती है और.....खुद उस टूटी हुई सीढ़ी का जायजा लेने लग जाती है.....




में--अब छोड़ो भी सुहानी उस सीढ़ी को.....हमारा कॅंप नदी के थोड़ा पास ही लगवाना.....



सुहानी--ठीक है जय जैसा आप चाहे.....फिर सुहानी दोनो आदमियो को निर्देश देती हुई उन्ही के साथ आगे बढ़ जाती है.....



और हम भी उनके पीछे पीछे चलते हुए कॅंप लगाने की जगह पर पहुँच जाते है....

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